31दिसंबर, 2022 की रात का दूसरा पहर अभी शुरू ही हुआ था. समूचा शहर 2022 की विदाई और नए साल के आगमन के जश्न में डूबा हुआ था. उसी दौरान फूल सिंह राठौर नाम के एक शख्स ने ग्वालियर के थाना हजीरा में मोबाइल फोन द्वारा सूचना दी थी कि उस के गदाईपुरा स्थित मकान में किराएदार 45 वर्षीय ममता कुशवाहा की किसी ने हत्या कर दी है.
मकान मालिक के जरिए हत्या की सूचना मिलते ही एसएचओ संतोष सिंह एसआई, एएसआई और महिला हवलदार को साथ ले कर कुछ देर में ही घटनास्थल पर पहुंच गए.
दिल दहला देने वाली इस घटना की खबर उन्होंने एसएसपी अमित सांघी और सीएसपी रवि भदौरिया सहित फोरैंसिक विशेषज्ञ अखिलेश भार्गव को दे दी थी. कुछ ही देर में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी वहां पहुंच गए.
घटनास्थल पर पुलिस ने देखा कि हत्यारे ने महिला को चाकू से बुरी तरह से गोद कर मारने के बाद उस की लाश कंबल में लपेट कर पलंग के नीचे छिपा दी थी.
खून से लथपथ कंबल में लिपटी लाश का निरीक्षण करने के बाद एसएचओ संतोष सिंह भदौरिया ने मकान मालिक फूल सिंह राठौर और उन के मकान में रहने वाले अन्य किराएदारों से पूछताछ की तो उन्होंने बताया मृतका ममता की शादी भिंड जिले के सुकांड गांव में हुई थी. लेकिन पति ने शादी के 6-7 साल बाद ममता को छोड़ दिया था, तभी से वह अपनी नाबालिग बेटी के साथ ग्वालियर में किराए पर कमरा ले कर पति से अलग रह रही थी.
किराएदारों ने यह भी बताया कि ममता के साथ रहने वाली उस की 17 वर्षीय बेटी कल्पना इस घटना के बाद से नजर नहीं आ रही है. संतोष भदौरिया ने यह महत्त्वपूर्ण जानकारी पाने के बाद अपना सारा ध्यान मृतका की बेटी पर लगा दिया, क्योंकि उस के पकड़े जाने पर ममता की हत्या के रहस्य से परदा उठ सकता था.
उच्चाधिकारियों के जाने के बाद पुलिस ने घटनास्थल की कागजी काररवाई पूरी की. इस के बाद ममता की लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी. फिर एसएचओ ने मकान मालिक फूल सिंह राठौर की तहरीर के आधार पर भादंवि की धारा 302, 34 के तहत अज्ञात हत्यारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर के जांच शुरू कर दी.
ममता हत्याकांड का खुलासा करने के लिए एसएसपी अमित सांघी ने सीएसपी रवि भदौरिया और एसएचओ संतोष सिंह के नेतृत्व में एक टीम गठित कर दी. इस के बाद दोनों पुलिस अधिकारियों ने एक बार फिर से घटनास्थल का दौरा कर स्थिति को समझने का प्रयास किया.
परिस्थितियां बता रही थीं कि ममता की हत्या सुनियोजित ढंग से की गई है. घटनास्थल को देख कर यह स्पष्ट तौर पर लग रहा था कि हत्या के इस मामले में मृतका का कोई करीबी ही शामिल हो सकता है. इतना ही नहीं, वह घर के चप्पेचप्पे से वाफिक रहा होगा, क्योंकि हत्यारा अपना काम कर के चुपचाप वहां से निकल गया और पड़ोस में रहने वाले किराएदारों तक को भनक नहीं लगी.
पुलिस के लिए अब उस शख्स को तलाश करने की सब से बड़ी चुनौती थी. इस काम के लिए भरोसेमंद मुखबिरों को भी लगा दिया गया.
जांच के दौरान ही एक मुखबिर ने एसएचओ को चौंकाने वाली जानकारी दी. उस ने बताया कि ममता का अपनी बेटी कल्पना से उस के प्रेम संबंधों को ले कर पिछले 2 सालों से काफी मनमुटाव चल रहा था. कल्पना अपने 25 वर्षीय प्रेमी सोनू ओझा के साथ 2 बार घर से भाग भी चुकी थी, जिस पर ममता ने बेटी के प्रेमी सोनू के खिलाफ अगवा कर दुष्कर्म करने का मामला दर्ज करवाया था.
तब पुलिस ने ममता की बेटी कल्पना और उस के प्रेमी सोनू को एक बार गुजरात और दूसरी बार भिंड से बरामद कर लिया था. पड़ोसियों ने बताया कि कल्पना अपने प्रेमी सोनू ओझा से शादी करना चाहती थी और ममता इस के लिए कतई तैयार नहीं थी.
बेटी कल्पना के दूसरी बार अपने प्रेमी के साथ घर से भागने पर ममता ने बेटी के नाबालिग होने का हवाला देते हुए सोनू के खिलाफ अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. इस के बाद पुलिस ने जल्दी ही भिंड से कल्पना को ढूंढ निकाला.
अपनी मां के इस कदम से बेटी मां के खिलाफ हो गई. हालांकि उस वक्त कल्पना ने अपने प्रेमी सोनू को जेल जाने से बचाने के लिए अपना मैडिकल परीक्षण कराने से इंकार कर दिया था.
इस पर ममता ने तत्कालीन एसएचओ पर आरोपी की मदद करने का आरोप लगा कर न्यायालय में याचिका दायर कर एसएचओ को कड़ी फटकार लगवा कर बेटी का मैडिकल करवाने के बाद सोनू को आईपीसी की धारा 376 के तहत जेल भिजवा दिया था. मगर शातिरदिमाग कल्पना ने उल्टे अपनी मां पर गलत काम करने का आरोप लगा कर सनसनी फैला दी थी.
प्रारंभिक जांच के दौरान एसएचओ संतोष सिंह ने कल्पना का मोबाइल नंबर हासिल कर के उस की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स देख कर उन के होश उड़ गए. उस के फोन पर एक पखवाड़े में एक ही नंबर से साढ़े 3 सौ से अधिक बार बात हुई थी. घटना से पहले एक घंटे के दरम्यान में भी 12 बार काल की थी.
अत: उक्त नंबर शक के घेरे में आ गया. पुलिस ने उस नंबर की काल डिटेल्स का सारा डाटा निकलवाया तो वह नंबर सोनू ओझा निवासी प्रसाद नगर का निकला. जांच अधिकारी ने बिना समय गंवाए उसी समय सोनू के घर पर दबिश दी तो सोनू और कल्पना वहीं मिल गए.
पुलिस दोनों को ही पूछताछ के लिए हजीरा थाने ले आई. कहते हैं कि पुलिस जब अपनी पर आ जाती है तो अपराधी से सच उगलवा ही लेती है.
एसएचओ संतोष सिंह ने जब सोनू से सख्ती से पूछताछ की तो वह टूट गया. उस ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए बताया कि कल्पना की मां मुझे मरवाने की धमकी देती थी. यहां तक कि ममता जब भी घर से बाहर जाती थी तो घर के दोनों दरवाजों पर बाहर से ताला लगा कर कल्पना को अंदर रोता हुआ छोड़ जाती थी.
ऐसी स्थिति में हम दोनों एकदूसरे से दिल खोल कर मेलमुलाकात नहीं कर पा रहे थे. इसलिए कल्पना के कहने पर उस की मां ममता का गला दबाने के बाद पेट में चाकू मार कर हत्या की थी. सोनू ने बताया कि वह कल्पना के साथ शादी कर के अपना घर बसाना चाहता था, मगर ममता इस के लिए तैयार नहीं हो रही थी. इसलिए दोनों ने मिल कर उस की हत्या करने की योजना बनाई.
यह सुन कर एसएचओ चौंक गए, क्योंकि देखने में नाबालिग और भोलीभाली लगने वाली मृतका की बेटी नागिन से भी ज्यादा जहरीली निकली, जिस ने इश्क के नशे में अपनी मां को डंस लिया. कल्पना के कमसिन चेहरे से मासूमियत का नकाब उतर गया था.
इस के बाद कल्पना ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. उस ने बताया कि सोनू से मेलमुलाकात पर बंदिश लगा देने से उस का उस के प्रेमी से मिलनाजुलना बंद हो गया था.
वह सोनू से मिलने के लिए बहुत ही बेचैन रहने लगी, जिस से उसे अपनी मां दुश्मन नजर आने लगी और घर कैदखाना लगने लगा था. वह चाह रही थी कि किसी तरह मौका हाथ लगते ही अपने प्रेमी से मिलने जेल चली जाए.
जैसे ही उसे पता चला 15 दिसंबर को सोनू की रिहाई हो गई है तो उस ने सोनू से मुलाकात कर मां की हत्या की योजना बनाई.
योजना के अनुसार, उस ने सोनू द्वारा लाई गई नींद की गोलियां 30 दिसंबर की रात मां के खाने में मिला दीं. गोलियों का असर होते ही मां जल्द गहरी नींद में सो गई तो उस ने रात के तकरीबन 2 बजे अपने प्रेमी सोनू को फोन कर के घर के पिछले दरवाजे से कमरे में बुला लिया.
हत्या करने के दौरान मां की आवाज किसी को सुनाई न दे, इसलिए कल्पना ने मां का मुंह अपने दोनों हाथों से कस कर बंद कर लिया. इस के बाद सोनू ने मां का मुंह तब तक दबाए रखा, जब तक कि उन की सांस नहीं थम गई. वह जीवित न बच जाए, इसलिए उन के पेट पर चाकू से वार कर दिए.
नब्ज टटोलने के बाद जब मरने की संतुष्टि हो गई, उस के बाद सोनू अपने घर चला गया. सोनू के जाने के बाद कल्पना ने मां की लाश कंबल में लपेट कर बैड के नीचे छिपा दी.
सवेरा होने पर तैयार हो कर कमरे में ताला लगा कर वह अपने प्रेमी से मिलने उस के कमरे पर चली गई. सारे दिन प्रेमी के साथ मौज करने के बाद शाम को ताला खोल कर सोनू के पास प्रसाद नगर चली गई थी.
चूंकि कल्पना अब बालिग हो चुकी थी, इसलिए उस से और उस के प्रेमी सोनू से विस्तार से पूछताछ करने के बाद एसएचओ संतोष सिंह ने दोनों को न्यायलय में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. द्य
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में कल्पना परिवर्तित नाम है.