Top 7 Detective Story Of 2023 : इन जासूसी कहानियां  (Hindi Detective Story) और आर्टिकल को पढ़कर आप जान पाएंगे कि कैसे इन कहानियों के जरिये हम अपने आस पास रह रहे जासूसों से कैसे सतर्क रह सकते है और खुद को उनका शिकार होने से कैसे बचा सकते है. तो पढ़िए  Best Detective stories In Hindi मनोहर कहानियां जो आपको गलत फैसले लेने से बचा सकती है.

1.   दो जासूस और अनोखा रहस्य भाग 1

साहिल और फैजल दोनों बचपन के दोस्त थे. दिल्ली के मौडल टाउन इलाके में वे दादादादी के समय से बिलकुल साथसाथ वाली कोठियों में दोनों परिवार रहते आ रहे थे. दोस्ती की यह गांठ तीसरी पीढ़ी तक आतेआते और मजबूत हो गई थी. दोनों को एकदूसरे के बिना पलभर भी चैन नहीं आता था. लगभग एक ही उम्र के, एक ही स्कूल में 10वीं क्लास में पढ़ते थे दोनों. साहिल एकदम गोराचिट्टा और थोड़ा भारी बदन का था. उस की गहरी, काली आंखें और सपाट बाल उस के अंडाकार चेहरे पर खूब फबते थे. ऊपर से वह चौकोर फ्रेम का मोटे शीशे वाला चश्मा पहनता था जो उस की पर्सनैलिटी में चार चांद लगा देता था.

दूसरी तरफ फैजल एकदम दुबलापतला था और उस के गाल अंदर पिचके हुए थे. उस के घुंघराले ब्राउन बाल थे और आंखें गहरी नीली. सांवला रंग होने के बावजूद उस के चेहरे में ऐसी कशिश थी कि देखने वाला देखता ही रह जाता था.

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2. ये हैं दुनिया की बेहतरीन जासूसी एजेंसियां

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किसी भी देश में सुरक्षा और चौकसी बनाए रखने के लिए कई तरह की सेनाओं, एजेंसियों और अन्य माध्यमों का प्रयोग किया जाता है. इन में से एक महत्त्वपूर्ण कार्य है जासूसी करना. यह काम सरकारी जासूसी एजेंसी से कराया जाता है. खुफिया एजेंसियों का काम दूसरे देशों और संगठनों में सेंध लगा कर उन की जानकारी अपने देश के लिए निकालना होता है.

यही कारण है कि हर देश अपनी सुरक्षा संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए खुफिया एजेंसियों पर निर्भर रहता है. वह खुफिया जानकारी ही होती है, जो किसी भी वारदात को अंजाम तक पहुंचने से पहले रोक सकती हैं.

दूसरे देशों की खुफिया एजेंसियों के असर को काटने के लिए अपनी खुफिया एजेंसी को ज्यादा कारगर बनाना जरूरी होता है. इन एजेंसियों में काम करने वाले लोग और इन के तरीके आम लोगों को पता नहीं होते.

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3. इंसाफ में देर है पर अंधेर नहीं

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रोजगार की तलाश में ऐसा ही एक जोड़ा अप्रैल, 2015 में जबलपुर आया तो बिलहरी में किराए का मकान ले कर रहने लगा. पति का नाम मयूर मलिक था और पत्नी का रिंकी शर्मा. रहने का ठिकाना मिल गया तो मयूर इधरउधर काम करने लगा. कुछ दिनों बाद उसे एक दुकान में नौकरी मिल गई. जल्दी ही उन के यहां एक बेटा भी हो गया.

रिंकी हालांकि हंसमुख और मिलनसार स्वभाग की थी, लेकिन अड़ोसपड़ोस में उस का कम ही उठनाबैठना था. रोज होने वाली बातचीत में उस ने पड़ोसियों से अपने बारे में बताया था कि वह और मयूर बिहार के जिला मुजफ्फरपुर के एक गांव के रहने वाले हैं.

शादी के बाद रोजगार की तलाश में दोनों जबलपुर आ गए हैं. आमतौर पर वहां रहने वालों में बाहर से आए परिवारों की औरतें भी घरगृहस्थी चलाने के लिए मजदूरी या घरों में झाड़ूपोंछा, बरतन आदि का काम करती थीं, पर रिंकी ने ऐसा कुछ नहीं किया तो इस की एक खास वजह थी.

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4. एक थीं नूर इनायत खान 

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पहले विश्वयुद्ध के बाद नूर के पिता परिवार सहित मास्को से लंदन आ गए थे. नूर का बचपन वहीं बीता. नाटिंगहिल के एक नर्सरी स्कूल में उन की पढ़ाई शुरू हुई. 1920 में वे सब फ्रांस में पैरिस के निकट सुरेसनेस में रहने लगे. 1927 में पिता की मृत्यु के बाद 13 साल की छोटी सी उम्र में ही नूर के कंधों पर मां और 3 छोटे भाईबहनों की जिम्मेदारी आ गई.

स्वभाव से शांत, शर्मीली, संवेदनशील नूर ने जीविका के लिए संगीत को माध्यम चुना. वे पियानो पर सूफी संगीत का प्रचारप्रसार करने लगीं. वीणा बजाने में भी वे निपुण थीं. उन्होंने कविताएं, बच्चों के लिए कहानियां लिखीं, साथ ही साथ, फ्रैंच रेडियो में भी वे नियमित रूप से योगदान करने लगीं. 1939 में जातक कथाओं से प्रेरित हो कर उन्होंने ट्वंटी जातका टेल्स लिखी.

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5. लाल कंघी : कैसे बनी हत्यारे का सबूत

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सर्दी की रात थी. साढ़े 9 बजे kahan के थाने में औसानगंज रोड पर एक लड़की की गोली मार कर हत्या किए जाने की सूचना मिली. पुलिस दल ने मौके पर पहुंच कर सुनसान हो चुके इलाके का मुआयना किया. फिर लाश की शिनाख्त में जुट गए. गोरीचिट्टी, इकहरे बदन की खूबसूरत नाकनक्श वाली करीब 25 वर्षीय युवती को किसी ने पीछे से गोली मारी थी.

जांच के दौरान मौके से एक लाल रंग की कंघी मिली. युवती के पास एक बैग भी था. युवती के बैग से एक मोबाइल फोन मिला. उसी से उस के घर का पता चला. उस के घर सूचना दे दी गई. वह देवयानी थी. इसी मोहल्ले की रहने वाली.

उस की मौत घटनास्थल पर ही हो चुकी थी, फिर भी उसे डाक्टर की पुष्टि के लिए अस्पताल भेज दिया गया. वहीं से लाश को पोस्टमार्टम के लिए भी भेजा गया, ताकि कुछ और जानकारियां मिल सकें.

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6. उलझी हुई पहेली, जो सुलझ गई भाग 1

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नव्या भी पढ़ना चाहती थी लेकिन घर की खराब आर्थिक स्थिति ने उस के सपने चुरा लिए थे. वह खुशीखुशी मुकुल की बात मान गई. मुकुल ने उस की पढ़ाई का सारा खर्च उठाने से ले कर हर तरह का सहयोग किया, जिस का सुखद परिणाम भी सामने आया. नव्या ने कुछ ही प्रयासों में बैंक पीओ का इम्तिहान पास कर लिया.

मुकुल की खुशी का ठिकाना नहीं था लेकिन उस के अरमानों को किसी की नजर लग गई. नव्या का अफेयर अपने एक युवा अधिकारी विमल से चलने लगा. पति अब उसे गंवार और बेकार लगने लगा था. घर में झगड़े शुरू हो गए लेकिन मुकुल उसे तलाक देने में अपनी हार देख रहा था. इसलिए वह उसे तरहतरह से समझाने में लगा रहा. नव्या के घर वाले भी पशोपेश में पड़ गए थे. एक तरफ मुकुल जैसा मध्यवर्गीय लेकिन सुलझा हुआ दामाद, दूसरी ओर विमल की शानोशौकत.

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7. महंगा इनाम : क्या शालिनी को मिल पाया अपना इनाम भाग 1

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मैं एक प्राइवेट डिटेक्टिव थी और खुद ही अपनी बौस थी यानी मैं सैल्फ इंप्लायमेंट पर निर्भर थी. सेल्फ इंप्लायमेंट में यही सब से बड़ी खराबी है कि यह किसी भी वक्त बेरोजगारी में बदल सकता है. मेरा काम काफी दिनों से मंदा चल रहा था, बिल न जमा होने से बिजली कंपनी वाले काफी दिनों से मेरी बिजली काटने की धमकी दे रहे थे. अब आप समझ सकते हैं कि मैं क्यों बेचैनी से के्रजी सुशांत के प्रोग्राम का इंतजार कर रही थी.

अंतत: एफएम पर क्रेजी सुशांत की अजीबोगरीब आवाज उभरी. ऐसा मालूम होता था, जैसे वह नाक माइक पर रख कर बोलने का आदी था. सुशांत कह रह था, ‘क्रेजी सुशांत अपने प्रोग्राम के साथ आप की सेवा में हाजिर है. श्रोताओ, क्या मैं वास्तव में क्रेजी नहीं हूं. मेरे पागलपन का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि मैं हर रोज किसी न किसी की सेवा में 30 हजार रुपए पेश करता हूं. इस के लिए आप को सिर्फ इतना करना होगा कि एक एसएमएस भेज कर अपना नाम, पता और फोन नंबर मुझे भेज दें.’

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