इटावा के सिविल लाइंस क्षेत्र में रहने वाले उमेश शर्मा बैंक औफ बड़ौदा में सीनियर मैनेजर थे. वह 2 साल पहले रिटायर हो गए थे. रिटायर होने के बाद उन्होंने खुद को समाजसेवा में लगा दिया था. अपनी सेहत के प्रति वह सजग रहते थे, इसीलिए वाकिंग करने नियमित विक्टोरिया पार्क में जाते थे.
इटावा का विक्टोरिया पार्क वैसे भी पर्यटक स्थल के रूप में जाना जाता है. पहले यहां एक बहुत बड़ा पक्का तालाब था. ब्रिटिश शासनकाल में महारानी विक्टोरिया यहां आई थीं तो उन्होंने इस पक्के तालाब में नौका विहार किया था. इस के बाद यहां विक्टोरिया मैमोरियल की स्थापना हुई. अब यह पार्क एक रमणीक स्थल बन गया है.
एक दिन उमेश शर्मा विक्टोरिया पार्क गए तो वहां उन की मुलाकात देवेश कुमार से हुई जो उन का दोस्त था. उसे देख कर वह चौंक गए. क्योंकि 50-55 की उम्र में भी वह एकदम फिट था. उमेश शर्मा उस से 8-10 साल पहले तब मिले थे, जब देवेश कुमार की पत्नी का देहांत हुआ था.
वर्षों बाद दोनों मिले तो वे पार्क में एक बेंच पर बैठ कर बतियाने लगे. उमेश ने महसूस किया कि पत्नी के गुजर जाने के बाद देवेश पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा था, वह पहले से ज्यादा खुश दिखाई दे रहा था.
काफी देर तक दोनों इधरउधर की बातें करते रहे. उसी दौरान उमेश शर्मा ने पूछा, ‘‘देवेश यार, यह बताओ तुम्हारी सेहत का राज क्या है. लगता है भाभीजी के गुजर जाने के बाद
तुम्हारे ऊपर फिर से जवानी आई है. क्या खाते हो तुम, जो तुम्हारी उम्र ठहर गई है.’’
‘‘उमेश भाई, खानापीना तो कोई खास नहीं है. मैं भी वही 2 टाइम रोटी खाता हूं जो आप खाते हो. लेकिन मैं अपनी मसाज पर ज्यादा ध्यान देता हूं.’’ देवेश बोला.
‘‘मसाजऽऽ’’ उमेश शर्मा चौंके.
‘‘हां भई, मैं सप्ताह में 1-2 बार मसाज जरूर कराता हूं.’’
‘‘लगता है, मसाज किसी अच्छे मसाजिए से कराते हो?’’ उमेश शर्मा ने ठिठोली की.
‘‘सही कह रहे हैं आप, मैं जिन से मसाज कराता हूं वे सारे मसाजिए बहुत अनुभवी हैं. वे शरीर की नसनस खोल देते हैं. आप भी एक बार करा कर देखो, फिर आप को भी ऐसी आदत पड़ जाएगी कि शौकीन बन जाओगे.’’ देवेश ने कहा.
‘‘अरे भाई, आप ठहरे बड़े बिजनैसमैन और हम रिटायर्ड कर्मचारी, इसलिए हम भला आप की होड़ कैसे कर सकते हैं. सरकार से जो पेंशन मिलती है, उस से गुजारा हो जाए वही बहुत है. वैसे जानकारी के लिए यह तो बता दो कि मसाज कराते कहां हो?’’ उमेश शर्मा ने पूछा.
‘‘उमेश भाई, आप अभी तक सीधे ही रहे. मैं आप के सिविल लाइंस एरिया के ही ग्लैमर मसाज सेंटर पर जाता हूं. वहां पर लड़कियां जिस अंदाज में मसाज के साथ दूसरे तरह का जो मजा देती हैं, वह काबिलेतारीफ है. आप को तो पता ही है कि मैं शौकीनमिजाज हूं, लड़कियों का कद्रदान.’’ देवेश ने बताया.
‘‘देवेश, तुम इस उम्र में भी नहीं सुधरे.’’ उमेश शर्मा बोले.
‘‘देखो भाई, मेरा जिंदगी जीने का तरीका अलग है. मैं लाइफ में फुल एंजौय करता हूं. कमाई के साथ लाइफ में एंजौय भी जरूरी है. भाई उमेश, मैं अपने तजुर्बे की बात आप को बता रहा हूं. देखो, मैं ने कृष्णानगर के वेलकम स्पा सेंटर के अलावा अन्य कई होटलों में चल रहे मसाज सेंटरों की सेवाएं ली हैं, लेकिन जितना मजा मुझे ग्लैमर मसाज सेंटर में आता है, उतना कहीं और नहीं आया.
ग्लैमर मसाज सेंटर की संचालिका कविता स्कूल, कालेज गर्ल से ले कर हाउसवाइफ तक उपलब्ध कराने में माहिर है. मेरी बात मानो तो एक बार आप भी मेरे साथ चल कर जलवे देख लो.’’ देवेश ने उमेश शर्मा को उकसाया.
‘‘नहीं देवेश, आप को तो पता है कि मैं इस तरह के कामों से बहुत दूर रहता हूं.’’ उमेश शर्मा ने कहा. कुछ देर बात करने के बाद दोनों अपनेअपने रास्ते चले गए.
देवेश से बातचीत में उमेश शर्मा को चौंकाने वाली जानकारी मिली थी. वह यह जान कर आश्चर्यचकित थे कि उन की कालोनी में मसाज सेंटर के नाम पर जिस्मफरोशी का धंधा चल रहा था और उन्हें जानकारी तक नहीं थी. इस धंधे में स्कूल कालेज की लड़कियों को फांस कर ये लोग उन की जिंदगी तबाह कर रहे थे. चूंकि उमेश शर्मा खुद समाजसेवी थे, इसलिए वह इस बात पर विचार करने लगे कि जिस्मफरोशी के अड्डों को कैसे बंद कराया जाए.
उमेश शर्मा का इटावा के एसएसपी संतोष कुमार मिश्रा से परिचय था. वह सामाजिक क्रियाकलापों को ले कर एसएसपी साहब से कई बार मुलाकात कर चुके थे. लिहाजा उन्होंने सोच लिया कि इस बारे में एसएसपी से मुलाकात करेंगे. और फिर एक दिन एसएसपी संतोष कुमार मिश्रा से मिल कर उमेश शर्मा ने उन्हें स्पा और मसाज सेंटरों की आड़ में चल रहे जिस्मफरोशी के धंधे की जानकारी दे दी.
एसएसपी ने इस सूचना को गंभीरता से लिया. जैसी उन्हें सूचना मिली, उस के अनुसार यह धंधा शहर की पौश कालोनियों के अलावा कुछ होटलों में भी चल रहा था. इसलिए उन्होंने सूचना की पुष्टि के लिए अपने खास सिपहसालारों तथा मुखबिरों को लगा दिया और उन से एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा.
एक सप्ताह बाद मुखबिरों व सिपहसालारों ने जो रिपोर्ट एसएसपी संतोष कुमार मिश्र के समक्ष पेश की, वह चौंकाने वाली थी. उन्होंने बताया कि स्पा और मसाज सेंटरों में ही नहीं, बल्कि शहर के कई मोहल्लों में देहव्यापार जोरों से चल रहा है. उन्होंने कुछ ऐसे मकानों की भी जानकारी दी, जहां किराएदार बन कर रहने वाली महिलाएं देह व्यापार में संलग्न थीं.
रिपोर्ट मिलने के बाद एसएसपी ने एएसपी (सिटी) डा. रामयश सिंह, एएसपी (ग्रामीण) रामबदन सिंह, महिला थानाप्रभारी सुभद्रा कुमारी, क्राइम ब्रांच तथा 1090 वूमन हेल्पलाइन की प्रमुख मालती सिंह को बुला कर एक महत्त्वपूर्ण बैठक बुलाई.
बैठक में एसएसपी ने शहर में पनप रहे देह व्यापार के संबंध में चर्चा की तथा उन अड्डों पर छापा मारने की अतिगुप्त रूपरेखा तैयार की. इस का नाम उन्होंने ‘औपरेशन क्लीन’ रखा.
इस के लिए उन्होंने 4 टीमों का गठन किया. टीमों के निर्देशन की कमान एएसपी (सिटी) डा. रामयश तथा एएसपी (ग्रामीण) रामबदन सिंह को सौंपी गई.
योजना के अनुसार 22 सितंबर, 2019 की रात 8 बजे चारों टीमों ने सब से पहले सिविल लाइंस स्थित ग्लैमर मसाज सेंटर पर छापा मारा. छापा पड़ते ही मसाज सेंटर में अफरातफारी मच गई. यहां से पुलिस ने संचालिका सहित 4 महिलाओं तथा 3 पुरुषों को गिरफ्तार किया.
काउंटर पर बैठी महिला को छोड़ कर सभी महिलापुरुष अर्धनग्न अवस्था में पकड़े गए थे. इन में एक छात्रा भी थी. उस का स्कूल बैग भी बरामद हुआ.
मसाज सेंटर पर छापा मारने के बाद संयुक्त टीमों ने कृष्णानगर स्थित वेलकम स्पा सेंटर पर छापा मारा. यहां से पुलिस टीम ने नग्नावस्था में 2 पुरुष तथा 2 महिलाओं को पकड़ा. पकड़े जाने के बाद वे सभी छोड़ देने को गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन पुलिस ने उन की एक नहीं सुनी.
इस के बाद पुलिस ने स्टेशन रोड स्थित एक मकान पर छापा मारा. पूछने पर पता चला कि पकड़ी गई महिला तथा पुरुष पतिपत्नी हैं. पति ही पत्नी की दलाली करता था. पत्नी के साथ एक ग्राहक भी पकड़ा गया. इस मकान से पुलिस ने 2 संदिग्ध महिलाओं को भी गिरफ्तार किया. लेकिन जब उन दोनों से पूछताछ की गई तो वे निर्दोष साबित हुईं. अत: उन दोनों को पुलिस ने छोड़ दिया.
पुलिस टीमों को सफलता पर सफलता मिलती जा रही थी. अत: टीमों का हौसला भी बढ़ता जा रहा था. इस के बाद पुलिस ने चंद्रनगर, शांतिनगर तथा सैफई रोड स्थित कुछ मकानों पर छापा मारा और वहां से 7 महिलाओं तथा 8 पुरुषों को रंगेहाथ गिरफ्तार किया. पकड़ी गई युवतियों में 2 छात्राएं थीं जो कालेज जाने के बहाने घर से निकली थीं और देह व्यापार के अड्डे पर पहुंच गई थीं.
पुलिस टीम ने शहर के 2 होटलों तथा एक रेस्तरां पर भी छापा मारा लेकिन यहां से कोई नहीं पकड़ा गया. हालांकि होटल से 2 प्रेमी जोड़ों से पूछताछ की गई, पूछताछ में पता चला कि उन की शादी तय हो चुकी थी, इसलिए पुलिस ने उन्हें जाने दिया. रेस्तरां से पुलिस ने एक शादीशुदा जोड़े से भी पूछताछ की, जो रिलेशनशिप में रह रहे थे. वेरीफिकेशन के बाद पुलिस ने उन्हें भी जाने दिया.
छापे में पुलिस टीमों ने 14 कालगर्ल्स तथा 15 ग्राहकों को पकड़ा था. कालगर्ल्स को महिला थाना तथा पुरुषों को सिविल लाइंस थाने में बंद किया गया. महिला थानाप्रभारी सुभद्रा कुमारी वर्मा ने कालगर्ल्स से पूछताछ की.
पकड़ी कालगर्ल्स नेहा, माया, कविता, पूनम, गौरी, रिया, शमा, रीतू, साधना, शालू, अर्चना, दीपा, अमिता तथा मानसी थीं, वहीं जो ग्राहक गिरफ्तार हुए थे, उन के नाम पंकज, मनोज, अशोक, सुनील, अमन, आलोक, रमेश, पवन, रोहित, विक्की, उमेश, राजू, महेश, मनीष तथा प्रमोद थे. ये सभी इटावा, भरथना, इकदिल तथा बकेवर के रहने वाले थे.
अभियुक्तों की गिरफ्तारी की सूचना पर एसएसपी संतोष कुमार मिश्रा भी महिला थाने पहुंच गए. वहीं पर उन्होंने प्रैस कौन्फ्रैंस आयोजित कर पत्रकारों को विभिन्न जगहों से गिरफ्तार की गई कालगर्ल्स और ग्राहकों की जानकारी दी.
कहीं खुद पति पत्नी का दलाल तो कहीं मजबूर लड़कियां पकड़ी गई कालगर्ल्स से विस्तृत पूछताछ की गई तो सभी ने इस धंधे में आने की अलगअलग कहानी बताई. नेहा मूलरूप से इटावा जिले के लखुना कस्बे की रहने वाली थी. 3 भाईबहनों में वह सब से बड़ी थी. उस के पिता एक ज्वैलर्स के यहां काम करते थे.
पिता को मामूली वेतन मिलता था, जिस से परिवार का भरणपोषण भी मुश्किल से होता था. भरणपोषण के लिए कभीकभी उन्हें कर्ज भी लेना पड़ जाता था. जब वह इस कर्ज को समय पर चुकता नहीं कर पाते थे, तो उन्हें बेइज्जत भी होना पड़ता था.
नेहा बेहद खूबसूरत थी. वह कस्बे के बाल भारती स्कूल में 10वीं की छात्रा थी. 16-17 साल की उम्र ही ऐसी होती है कि लड़कियां खुली आंखों से सपने देखने लगती हैं. नेहा भी इस का अपवाद नहीं थी. उम्र के तकाजे ने उस पर भी असर किया और वह इंटरमीडिएट में पढ़ने वाले अर्जुन से दिल लगा बैठी. दोनों का प्यार परवान चढ़ा तो उन के प्यार के चर्चे होने लगे.
पिता को जब नेहा के बहकते कदमों की जानकारी हुई तो वह चिंता में पड़ गए. नेहा उन की पीठ में इज्जत का छुरा घोंप कर कोई दूसरा कदम उठाए, उस के पहले ही उन्होंने उस की शादी करने का फैसला किया. दौड़धूप के बाद उन्होंने नेहा का विवाह इकदिल कस्बा निवासी गोपीनाथ के बेटे मनोज से कर दिया.
खूबसूरत नेहा से शादी कर के मनोज बहुत खुश हुआ. शादी के एक साल बाद नेहा एक बेटे की मां बन गई, जिस का नाम हर्ष रखा गया. बस इस के कुछ दिनों बाद से ही नेहा मनोज की नजरों से उतरनी शुरू हो गई.
इस की वजह यह थी कि शादी के बाद भी नेहा मायके के प्रेमी अर्जुन को भुला नहीं पाई थी. वह नेहा से मिलने आताजाता रहता था. यह बात मनोज को भी पता चल गई थी.
वक्त गुजरता गया. वक्त के साथ मनोज के मन में यह शक भी बढ़ता गया कि हर्ष उस की नहीं बल्कि अर्जुन की औलाद है. हर्ष की पैदाइश को ले कर मनोज नेहा से कुछ कहता तो वह चिढ़ कर झगड़ा करने लगती. रोजरोज के झगड़े से तंग आ कर एक रोज उस ने पति को सलाह दी कि अगर तुम्हें लगता है कि अर्जुन से अब भी मेरे संबंध हैं तो यह घर छोड़ कर इटावा शहर में बस जाओ.
नेहा की यह बात मनोज को अच्छी लगी. मनोज का दोस्त अनुज इटावा शहर में ठेकेदारी करता था. उस ने इटावा जा कर अनुज से बात की. अनुज ने अपने स्तर से उसे अपने यहां काम पर लगा लिया और स्टेशन रोड स्थित एक मकान में किराए पर कमरा दिलवा दिया. मनोज अपने बीवीबच्चे को वहीं ले आया.
शहर आ कर मनोज ने चैन की सांस ली. उस के मन से अर्जुन को ले कर जो शक बैठ गया था, वह धीरेधीरे उतरने लगा. नेहा ने भी सुकून की सांस ली कि अब उस के घर में कलह बंद हो गई. दोनों के दिन हंसीखुशी से बीतने लगे.
पर खुशियों के दिन अधिक समय तक टिक न सके. दरअसल, इटावा शहर आ कर मनोज को भी शराब की लत लग गई थी. पहले वह बाहर से पी कर आता था, बाद में दोस्तों के साथ घर में ही शराब की महफिल जमाने लगा. रोज शराब पीने से एक ओर मनोज जहां कर्ज में डूबता जा रहा था, वहीं कुछ दिनों से नेहा ने महसूस किया कि पति के दोस्त शराब पीने के बहाने उस की सुंदरता की आंच में आंखें सेंकने आते हैं. ऐसे दोस्तों में एक अनुज भी था.
नेहा ने कई बार मनोज से कहा भी कि वह छिछोरे दोस्तों को घर न लाया करे, लेकिन वह नहीं माना. मनोज क्या करना चाहता है, नेहा समझ नहीं पा रही थी. जब तक वह समझी, तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
एक शाम मनोज काम से कुछ जल्दी घर आ गया. आते ही बोला, ‘‘नेहा, तुम सजसंवर लो. तुम्हें मेरे साथ चलना है. हम वहां नहीं गए तो वह बुरा मान जाएगा.’’
नेहा खुश हो गई. मुसकरा कर बोली, ‘‘आज बड़े मूड में लग रहे हो. वैसे यह तो बता दो कि जाना कहां है?’’
‘‘मेरे दोस्त अनुज को तुम जानती हो. आज उस ने हमें खाने पर बुलाया है.’’ मनोज ने कहा.
मनोज ने बीवी को ही झोंका धंधे में अनुज का नाम सुनते ही नेहा के माथे पर शिकन पड़ गई, क्योंकि उस की नजर में अनुज अच्छा आदमी नहीं था. मनोज के साथ घर में बैठ कर वह कई बार शराब पी चुका था और नशे में उसे घूरघूर कर देखता रहता था. नेहा की इच्छा तो हुई कि वह साफ मना कर दे, लेकिन उस ने मना इसलिए नहीं किया कि मनोज का मूड खराब हो जाएगा. वह गालियां बकनी शुरू कर देगा और घर में कलह होगी.
नेहा नहाधो कर जाने को तैयार हो गई तो मनोज आटो ले आया. दोनों आटो से अनुज के घर की ओर चल पड़े. थोड़ी देर में आटो रुका तो नेहा समझ गई कि अनुज का घर आ गया है. मनोज ने दरवाजा थपथपाया तो दरवाजा अनुज ने ही खोला. मनोज के साथ नेहा को देख कर अनुज का चेहरा चमक उठा. उस ने हंस कर दोनों का स्वागत किया और उन्हें भीतर ले गया.
घर के भीतर सन्नाटा भांयभांय कर रहा था. सन्नाटा देख कर नेहा अनुज से पूछ बैठी, ‘‘आप की पत्नी नजर नहीं आ रहीं, कहां हैं?’’
‘‘वह बच्चों को ले कर मायके गई है.’’ अनुज ने हंस कर बताया. नेहा ने पति को घूर कर देखा तो वह बोला, ‘‘थोड़ी देर की तो बात है, खापी कर हम घर लौट चलेंगे.’’
अनुज किचन से गिलास और नमकीन ले कर आ गया. पैग बने, चीयर्स के साथ जाम टकराए और दोनों दोस्त अपना हलक तर करने लगे. फिर तो ज्योंज्यों नशा चढ़ता गया, त्योंत्यों दोनों अश्लील हरकतें व भद्दा मजाक करने लगे. पीने के बाद तीनों ने एक साथ बैठ कर खाना खाया. खाना खाने के बाद मनोज पास पड़ी चारपाई पर जा कर लुढ़क गया.
इसी बीच अनुज ने नेहा को अपनी बांहों में जकड़ लिया और अश्लील हरकतें करने लगा. नेहा ने विरोध किया और इज्जत बचाने के लिए पति से गुहार लगाई. लेकिन मनोज उसे बचाने नहीं आया. अनुज ने उसे तभी छोड़ा जब अपनी हसरतें पूरी कर लीं.
उस के बाद दोनों घर आ गए. जैसेतैसे रात बीती. सुबह मनोज जब काम पर जाने लगा तो उस से बोला, ‘‘नेहा, तुम सजसंवर कर शाम को तैयार रहना. आज रात को भी हमें एक पार्टी में चलना है.’’
नेहा ने उसे सुलगती निगाहों से देखा, ‘‘आज फिर किसी दोस्त के घर पार्टी है…’’
मनोज मुसकराया, ‘‘बहुत समझदार हो. मेरे बिना बताए ही समझ गई. जल्दी से अमीर बनने का यही रास्ता है.’’ मनोज ने जेब से 2 हजार रुपए निकाल कर नेहा को दिए, ‘‘यह देखो, अनुज ने दिए हैं. इस के अलावा एक हजार रुपए का कर्ज भी उस ने माफ कर दिया.’’
नेहा की आंखें आश्चर्य से फट रह गईं. मनोज ने उस से देह व्यापार कराना शुरू कर दिया था. कल कराया. आज के लिए उस ने ग्राहक तय कर के रखा हुआ था. शाम को मनोज ने नेहा को साथ चलने को कहा तो उस ने मना कर दिया. इस पर मनोज ने उसे लातघूंसों से पीटा और जबरदस्ती अपने साथ ले गया.
इस के बाद तो यह एक नियम सा बन गया. मनोज रात को रोजाना नेहा को आटो से कहीं ले जाता. वहां से दोनों कभी देर रात घर लौटते, तो कभी सुबह आते. कभी मनोज अकेला ही रात को घर आता, जबकि नेहा की वापसी सुबह होती. नेहा भी इस काम में पूरी तरह रम गई.
धीरेधीरे जब ग्राहकों की संख्या बढ़ी तो नेहा ग्राहकों को अपने घर पर ही बुलाने लगी. छापे वाले दिन मनोज ने जिस्मफरोशी के लिए 2 ग्राहक तैयार किए थे. पहला ग्राहक मौजमस्ती कर के चला गया था, दूसरा ग्राहक सुनील जब नेहा के साथ था, तभी पुलिस टीम ने छापा मारा और वे तीनों पकड़े गए.
पुलिस द्वारा पकड़ी गई पूनम इकदिल कस्बे में रहती थी. उस के मांबाप की मृत्यु हो चुकी थी. एक आवारा भाई था, जो शराब के नशे में डूबा रहता था. कम उम्र में ही पूनम को देह सुख का चस्का लग गया था. पहले वह देह सुख एवं आनंद के लिए युवकों से दोस्ती गांठती थी, फिर वह उन से अपनी फरमाइशें पूरी कराने लगी. यह सब करतेकरते वह कब देहजीवा बन गई, स्वयं उसे भी पता नहीं चला.
पूनम को भिन्नभिन्न यौन रुचि वाले पुरुष मिले तो वह सैक्स की हर विधा में निपुण हो गई. अमन नाम का युवक तो पूनम का मुरीद बन गया था. अमन शादीशुदा और 2 बच्चों का पिता था.
पूनम और अमन की जोड़ी उस की पत्नी साधारण रंगरूप की थी. वह कपड़े का व्यापार करता था और इटावा के सिविल लाइंस मोहल्ले में रहता था. अमन को जब भी जरूरत होती, वह पनूम को फोन कर होटल में बुला लेता.
एक रात अमन से पूनम बोली, ‘‘अमन क्यों न हम दोनों मिल कर स्पा खोल लें. मसाज की आड़ में वहां देहव्यापार कराएंगे. शौकीन अमीरों को नया अनुभव और उन्माद मिलेगा तो हमारे स्पा में ग्राहकों की भीड़ लगी रहेगी. थोड़े समय में हम दोनों लाखों में खेलने लगेंगे.’’
पूनम का यह आइडिया अमन को पसंद आया. चूंकि वह स्वयं बाजारू औरतों का रसिया था, इसलिए जानता था कि देह व्यापार से अधिक मजेदार और कमाऊ धंधा कोई दूसरा नहीं. हालांकि इस धंधे में पुलिस द्वारा पकड़े जाने का अंदेशा बना रहता है, पर जोखिम लिए बिना पैसा भी तो छप्पर फाड़ कर नहीं बरसता.
आधा पैसा अमन ने लगाया, आधा पूनम ने. फिफ्टीफिफ्टी के पार्टनर बन कर दोनों ने कृष्णानगर स्थित किराए के मकान में वेलकम स्पा खोल लिया. यह लगभग एक साल पहले की बात है.
चूंकि पूनम खुद कालगर्ल थी, इसलिए अनेक देहजीवाओं से उस की दोस्ती थी. उन में से ही कुछ देहजीवाओं को उस ने मसाजर के तौर पर स्पा में रख लिया. वे केवल नाम की मसाजर थीं, वे तो केवल अंगुलियों के कमाल से कस्टमर की भावनाएं जगाने और बेकाबू होने की सीमा तक भड़काने में माहिर थीं. कस्टमर भी ऐसे आते थे, जिन्हें मसाज से कोई वास्ता नहीं था. कामपिपासा शांत करने के लिए उन्हें हसीन बदन चाहिए होता था.
चंद दिनों में ही स्पा की आड़ में देह व्यापार कराने का अमन और पूनम का यह धंधा चल निकला. स्पा के दरवाजे हर आदमी के लिए खुले रहते थे. शर्त केवल यह थी कि जेब में माल होना चाहिए.
बीच शहर में खुल्लमखुल्ला देह व्यापार होता रहे और पुलिस को खबर न हो, यह संभव नहीं होता.
वेलकम स्पा में होने वाले देह व्यापार की जानकारी स्थानीय थाना पुलिस को थी, पर किसी वजह से वह आंखें बंद किए थी. एसएसपी संतोष कुमार मिश्रा ने जब औपरेशन क्लीन चलाया, तब छापा पड़ा और स्पा से 2 पुरुष अमन, आलोक तथा 2 महिलाएं पूनम व माया देह व्यापार करते पकड़ी गईं.
पुलिस टीम द्वारा छापे में पकड़ी गई कविता बकेवर कस्बे की रहने वाली थी. उस के पिता कानपुर में पनकी स्थित एक प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करते थे. लेकिन कुछ वर्ष पूर्व संदिग्ध परिस्थितियों में उन की मौत हो गई थी.
पति की मौत के बाद कविता की मां ने स्वयं को टूट कर बिखरने नहीं दिया. कभी स्वरोजगार तो कभी मेहनत मजदूरी कर के अपना और बेटी कविता की परवरिश करती रही. वक्त थोड़ा आगे बढ़ा.
कविता ने किशोरावस्था में प्रवेश किया. चेहरे पर लुनाई झलक मारने लगी. कच्ची कली मसलने के शौकीनों को यही तो चाहिए था. कविता को बड़ा लालच दे कर वे एकांत में उस के संग बड़ेबड़े काम करने लगे. कुछ ही समय बाद कविता कली से फूल बन गई. कविता को जो बुलाता, उस के साथ चली जाती.
जिस्मानी खेल में कविता को आनंद तो बहुत मिला पर बदनामी भी कम नहीं हुई. कस्बे में वह बदनाम लड़की के रूप में जानी जाने लगी. बेटी की करतूतें मां के कानों तक पहुंचीं तो उस ने सिर पीट लिया, ‘‘मुझ विधवा के पास एक इज्जत थी, वह भी इस लड़की ने लुटा दी. मैं तो हर तरह से कंगाल हो गई.’’
बेटी गलत राह पर चलने लगे तो हर मांबाप को उसे सुधारने की एक ही राह सूझती है शादी. कविता की मां ने भी उस का विवाह रोहित के साथ कर दिया. रोहित इटावा के सिविल लाइंस में रहता था और गल्लामंडी में काम करता था.
रोहित टूट कर चाहने वाला पति था. वह अपनी हैसियत के दायरे में कविता की फरमाइश भी पूरी करता था. इसलिए कविता रम गई. 3-4 साल मजे से गुजरे, उस के बाद कविता को रोहित बासी लगने लगा. पति से अरुचि हुई तो कविता का मन अतीत में खोने लगा.
इन्हीं दिनों कविता की मुलाकात स्पा संचालिका पूनम से हुई. उस ने कविता को मसाज पार्लर खोलने की सलाह दी. यही नहीं, पूनम ने कविता को मसाज पार्लर चलाने के गुर भी सिखाए. पूनम की सलाह पर पति के सहयोग से कविता ने सिविल लाइंस में ग्लैमर मसाज सेंटर खोला. कविता ने मसाज के लिए कुछ देहजीवाओं को भी रख लिया.
शुरूशुरू में उसे मसाज पार्लर में कमाई नहीं हुई. लेकिन जब उस ने मसाज की आड़ में देह व्यापार शुरू किया तो नोटों की बरसात होने लगी. औपरेशन क्लीन के तहत जब कविता के मसाज सेंटर पर छापा पड़ा तो यहां से 4 युवतियां कविता, गौरी, रिया तथा शमा और 3 पुरुष रोहित, उमेश व पवन पकड़े गए.
पुलिस छापे में पकड़ी गई अर्चना कच्ची बस्ती इटावा की रहने वाली थी. अर्चना को उस के पिता रामप्रसाद ने ही बरबाद कर दिया था. 30 वर्षीय अर्चना शादीशुदा थी. उस का विवाह जय सिंह के साथ हुआ था. जय सिंह में मर्दों वाली बात नहीं थी. सो अर्चना ससुराल छोड़ कर मायके में आ कर रहने लगी थी. उस ने पिता को साफ बता दिया था कि अब वह ससुराल नहीं जाएगी.
रामप्रसाद तनहा जिंदगी गुजार रहा था. उस की पत्नी की मौत हो चुकी थी और बड़ा बेटा अलग रहता था. जब अर्चना ससुराल छोड़ कर आ गई तो रामप्रसाद की रोटीपानी की दिक्कत खत्म हो गई. अर्चना ने पिता की देखभाल की जिम्मेदारी संभाल ली. अर्चना ने अपना बिस्तर पिता के कमरे में ही बिछा लिया.
रामप्रसाद हर रात अर्चना के खुले अंग देखता था. उन्हीं को देखतेदेखते उस के मन में पाप समाने लगा. वह भूल गया कि अर्चना उस की बेटी है. मन में नकारात्मक एवं गंदे विचार आने लगे. वह हवस पूरी करने का मौका देखने लगा.
एक रात अर्चना गहरी नींद सो रही थी, तभी रामप्रसाद उठा और अर्चना की गोरी, सुडौल और चिकनी पिंडलियों को सहलाने लगा. रामप्रसाद की अंगुलियों की हरकत से अर्चना हड़बड़ा कर उठ बैठी, ‘‘पिताजी यह क्या कर रहे हो?’’
रामप्रसाद ने घबराने के बजाए अर्चना को दबोच लिया और उस के कान में फुसफुसाया, ‘‘चुप रह, शोर मचाने की कोशिश की तो मुझ से बुरा कोई नहीं होगा.’’
अर्चना ने हवस में अंधे हो चुके पिता को दूर धकेलने की कोशिश की. उसे पवित्र रिश्ता याद दिलाया. मगर रामप्रसाद ने उसे अपनी हसरत पूरी करने के बाद ही छोड़ा. इस के बाद यह खेल हर रात शुरू हो गया. अर्चना को भी आनंद आने लगा. जब दोनों का स्वार्थ एक हो गया तो पवित्र रिश्ते की पुस्तक में पाप का एक अलिखित समझौता हो गया.
लगभग एक साल तक बापबेटी रिश्ते को कलंकित करते रहे. उस के बाद अर्चना का मन बूढ़े बाप से भर गया. अब वह मजबूत बांहों की तलाश में घर के बाहर ताकझांक करने लगी. एक रोज उस की मुलाकात एक कालगर्ल संचालिका से हो गई. उस ने उसे पैसों और देहसुख का लालच दे कर देह व्यापार के धंधे में उतार दिया.
छापे में पकड़ी गई रीतू, शालू और साधना (काल्पनिक नाम) हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की छात्राएं थीं. तीनों गरीब परिवार की थीं. उन्हें ऊंचे ख्वाब और महंगे शौक ने यह धंधा करने को मजबूर किया. देह व्यापार में लिप्त संचालिकाओं ने इन छात्राओं को सब्जबाग दिखाए. हाथ में महंगा मोबाइल तथा रुपए थमाए, फिर देहधंधे में उतार दिया.
ये छात्राएं स्कूलकालेज जाने की बात कह कर घर से निकलती थीं और देह व्यापार के अड्डे पर पहुंच जाती थीं. घर आने में कभी देर हो जाती तो वे एक्स्ट्रा क्लास का बहाना बना देतीं. पकड़े जाने पर जब पुलिस ने उन के घर वालों को जानकारी दी तो वह अवाक रह गए. उन का सिर शर्म से झुक गया.
कुछ कहानियां मजबूरी की छापा पड़ने के दौरान पकड़ी गई अमिता, मानसी व काजल घरेलू महिलाएं थीं. आर्थिक तंगी के कारण इन्हें देह व्यापार का धंधा अपनाना पड़ा. अमिता नौकरी के बहाने घर से निकलती थी और देह व्यापार के अड्डे पर पहुंच जाती थी. मानसी का पति टीबी का मरीज था. दवा और घर खर्च के लिए उस ने यह धंधा अपनाया.
2 बच्चों की मां काजल की उस के पति से नहीं बनती थी, इसलिए वह पति से अलग रहती थी. घर खर्च, बच्चों की पढ़ाई तथा मकान के किराए के लिए उसे यह धंधा अपनाना पड़ा.
पुलिस द्वारा पकड़े गए अय्याशों में 3 महेश, मनीष और राजू दोस्त थे. तीनों चंद्रनगर में रहते थे और एक ही फैक्ट्री में काम करते थे. विक्की, रमेश और पंकज ठेकेदारों के साथ काम करते थे और कृष्णानगर में रहते थे. उमेश और अशोक प्राइवेट नौकरी करते थे. ये भरथना के रहने वाले थे.
पुलिस ने थाना सिविललाइंस में आरोपियों के खिलाफ अनैतिक देह व्यापार अधिनियम 1956 की धारा 3, 4, 5, 6, 7, 8 और 9 के तहत केस दर्ज कर उन्हें अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, कथा में कुछ पात्रों के नाम काल्पनिक हैं.