कपड़े तलाशने में थोड़ा टाइम लग गया. जब वह बच्चे के कपड़े ले कर बाहर आई तो अर्नव वहां से गायब था. उस ने यह सोच कर कि कोई अर्नव को खिलाने के लिए साथ न ले गया हो, पड़ोसियों से पूछा, लेकिन बच्चे का कहीं पता नहीं लग सका.
योगेश के बेटे अर्नव के अचानक गायब हो जाने की खबर से गांव में तहलका मच गया कि इतना छोटा बच्चा कहां चला गया. इस तरह बच्चे का गायब हो जाना चिंता की बात थी. किसी अनहोनी की आशंका के चलते तय हुआ कि पुलिस में रिपोर्ट लिखा दी जाए.
घर वाले थाने जाने के लिए तैयार हो ही रहे थे कि किसी ने बताया कि पास के नाले में प्लास्टिक का एक कट्टा पड़ा हुआ है. चिंतित परिवार वाले नाले के पास पहुंचे और कट्टे को बाहर निकाला. उसे देखते ही सभी सदमे में आ गए. क्योंकि कट्टे में मासूम अर्नव ही था. अर्नव को कट्टे से बाहर निकाल कर घर वाले उसे एक प्राइवेट अस्पताल ले गए. पता चला काफी समय पहले उस की मौत हो चुकी थी.
बच्चे की गरदन पर नाखून के गहरे निशान थे, जिस से अंदाजा लगाया गया कि उस की हत्या गला दबा कर की गई होगी. यह इलाका काशीपुर (उत्तराखंड) के थाना आईटीआई के अंतर्गत आता था. योगेश अपने परिवार के साथ थाने के पास रेलवे लाइन के किनारे बसी दोहरी परसा कालोनी में रहता था.
देर रात इस मामले की सूचना पुलिस को दी गई. बच्चे का अपहरण कर के उस की हत्या की सूचना पाते ही थानाप्रभारी कुलदीप सिंह, एसआई मनोज देव के साथ घटनास्थल पर पहुंचे.
योगेश के घर जा कर पुलिस ने इस मामले में विस्तृत जानकारी हासिल की. पुलिस ने बच्चे की लाश वाले बोरे को गौर से देखा तो उस पर विकास (परिवर्तित नाम) लिखा हुआ था. पुलिस ने विकास के बारे में पूछताछ की तो पता चला कि विकास योगेश का मौसेरा भाई है.
कालोनी के एक आदमी ने पुलिस को बताया कि करीब 5 बजे उस ने विकास को प्लास्टिक का एक कट्टा कंधे पर लाद कर ले जाते देखा था.
विकास नाबालिग था. उसे देख कर यह कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि अवयस्क लड़का इतना जघन्य अपराध करेगा. इस के बावजूद पुलिस ने विकास को बुला कर उस से पूछताछ की. उस ने साफ शब्दों में कह दिया कि अर्नव की हत्या के बारे में उसे कुछ नहीं मालूम. उस कट्टे को विकास के घर वाले भी पहचानते थे. उन का कहना था कि वे उस कट्टे में आटा पिसवाते थे. कट्टा शायद हवा के झोंके में मकान की छत से उड़ गया होगा.
इस मामले में योगेश के मौसेरे भाई का नाम सामने आते ही पुलिस ने उस के बारे में जानकारी जुटाई. इस मामले में कोई बेगुनाह न फंसे, सोच कर पुलिस ने इस अपराध की तह तक जाने के लिए डौग स्क्वायड और फोरैंसिक एक्सपर्ट को भी मौके पर बुला लिया.
डौग स्क्वायड देर रात तक बच्चे की मौत की जांच में जुटी रही. लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. पुलिस ने आसपास के सीसीटीवी कैमरे भी खंगाले. लेकिन उन से भी कोई अहम जानकारी नहीं मिल सकी.
अंतत: पुलिस ने अपना पूरा ध्यान किशोर विकास की ओर लगा दिया. पुलिस ने विकास को हिरासत में लेने के लिए उस के घर दबिश दी तो वह घर से फरार मिला. इस से पुलिस को उस पर पूरा शक हो गया. विकास इतना चालाक था कि डौग स्क्वायड के आने से पहले ही गायब हो गया था. थानाप्रभारी ने उस के घर पर निगरानी के लिए एक सिपाही को लगा दिया.
इसी दौरान पुलिस को एक अहम जानकारी मिली कि बच्चे को ढूंढते समय विकास भी साथ था. योगेश के घर वालों की उस नाले में पड़े कट्टे पर पहले भी नजर गई थी. लेकिन उसे चैक करने के लिए विकास ही नाले में उतरा था.
उस ने कट्टा देखते ही खाली होने की बात कह कर उधर से सब का ध्यान हटा दिया था. जिस के बाद योगेश और गांव वाले वहां से हट कर दूसरी ओर चले गए थे.
बाद में गांव के ही एक आदमी ने जब बताया कि नाले में जो कट्टा पड़ा है, उस में जरूर कुछ न कुछ है. तब शक दूर करने के लिए योगेश के घर वाले दोबारा वहां पर गए. फिर नाले से कट्टा निकाल कर देखा तो उस में बच्चे का शव था.
इसी दौरान थानाप्रभारी को जानकारी मिली कि विकास घर आया हुआ है. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी विकास के घर पहुंच गए और विकास को हिरासत में ले लिया. पुलिस हिरासत में आते ही विकास के चेहरे की रंगत उड़ गई.
उस से वहीं पर कड़ाई से पूछताछ की गई तो उस ने स्वीकार कर लिया कि अर्नव की हत्या उसी ने की थी. 17 वर्षीय विकास ने स्वीकार किया कि आरती भाभी से उस के संबंध हैं. जिस की वजह से उसे अर्नव की हत्या करनी पड़ी.
विकास की बात सुन कर पुलिस भी हैरत में पड़ गई. 17 वर्षीय लड़के के प्रेम संबंध भाभी से होने वाली बात लोगों के गले नहीं उतर रही थी. सच्चाई जानने के लिए पुलिस ने आरती से पूछताछ की तो वह मूक बनी रही.
बाद में घर वालों ने उस से हकीकत जाननी चाही तो उस ने बताया कि विकास उस के पीछे पड़ा हुआ था. उस ने उसे कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आता था. विकास ने अर्नव को क्यों मारा, उसे कोई जानकारी नहीं थी.
विकास से पूछताछ के दौरान यह तो साबित हो गया था कि योगेश की बीवी का भले ही विकास के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था, लेकिन उसे मारने में आरती का कोई हाथ नहीं था.
देवरभाभी के प्यार के इस खेल में देवर ने एक मासूम को मौत की नींद सुला दिया था. आखिर उस डेढ़ वर्षीय बच्चे से उस की क्या दुश्मनी थी, जिसे रास्ते से हटाने के लिए उसे इतना बड़ा अपराध करना पड़ा. देवरभाभी की प्रेम दास्तान भी कुछ विचित्र थी.
ठाकुरद्वारा के खबरिया गांव निवासी निहाल सिंह का परिवार सन 1995 में रोजगार की तलाश में काशीपुर आया था. काशीपुर में निहाल सिंह को रामनगर रोड स्थित एक फैक्ट्री में नौकरी मिल गई थी. रामनगर रोड स्थित हिम्मतपुर में निहाल सिंह ने किराए का मकान ले लिया और वहीं रहने लगा.
उसी दौरान निहाल सिंह को आईजीएल फैक्ट्री में काम मिल गया तो वह वहां से नौकरी छोड़ कर अपने परिवार के साथ आईजीएल फैक्ट्री के पास किराए के मकान में रहने लगा. बाद में निहाल सिंह ने वहीं पर दोहरी परसा कालोनी में अपना मकान बना लिया था.
निहाल सिंह के 2 बेटे थे, बड़ा लोकेश और उस से छोटा योगेश. उस के दोनों बेटों ने उसी के साथ फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया था. दोनों बेटे कमाने लगे तो उस ने दोनों की शादी कर दी थी.
सन 2017 में निहाल सिंह के छोटे बेटे योगेश की शादी टंडोला मंझरा की आरती के साथ हुई थी. आरती सुंदर थी, जबकि उस के मुकाबले योगेश का रंग कुछ दबा हुआ था.योगेश नौकरी करता था. उस ने आरती के खर्चों में किसी भी तरह की परेशानी नहीं आने दी थी.
डेढ़ साल पहले आरती अर्नव की मां बनी. घर में बच्चे के आते ही उस के परिवार की खुशियां दोगुनी हो गई थीं.
योगेश के घर के पास ही उस के मौसा का घर था. उस के मौसा अनूप सिंह भी काफी समय पहले ठाकुरद्वारा के निकटवर्ती गांव जैतपुर से आ कर यहां बस गए थे. गांव की कुछ जमीन बेच कर कर अनूप सिंह ने भी उसी कालोनी में अपना मकान बना लिया था.
अनूप सिंह भी उसी फैक्ट्री में काम करता था, जिस में योगेश काम करता था. उस के परिवार में पत्नी तारावती, 2 बच्चे बेटी नीलम और बेटा विकास, कुल मिला कर 4 सदस्य थे. विकास उस का एकलौता बेटा था.
विकास का पढ़ाई में मन नहीं लगता था, जिस से वह हाईस्कूल में फेल हो गया. बाद में उस ने ओपन से हाईस्कूल की तैयारी करनी शुरू कर दी थी. उस का रेगुलर स्कूल जाना बंद हुआ तो वह इधरउधर आवारागर्दी करने लगा.
घर पर रहते घर वाले उसे पढ़ाई करने को कहते तो विकास निगाह बचा कर योगेश के घर चला जाता था. योगेश की ड्यूटी का टाइम फिक्स नहीं था. कभी उस की ड्यूटी दिन में लग जाती तो कभी रात में. विकास को इस से कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ता था. चूंकि योगेश उस की मौसी का लड़का था, इसलिए वह योगेश के सामने भी उस के घर पर पड़ा रहता था.
दिन में योगेश के ड्यूटी जाने के बाद घर पर केवल उस की पत्नी आरती ही रह जाती थी, जो विकास का टाइम पास करने के लिए बढि़या जरिया बन गई थी. आरती विकास से कुछ ज्यादा ही घुलमिल गई थी. विकास उस से जो भी पूछता, वह हंस कर जबाव देती थी. कुछ ही दिनों में उस की हंसती छवि विकास के दिल पर गहरा घाव कर गई.
विकास भले ही अभी बच्चा था, लेकिन इंटरनेट से उस ने वह सब पहले ही जान लिया था, जो उसे जवानी में जानना चाहिए था. उसी एकांत का लाभ उठा कर वह अपनी भाभी को भी इंटरनेट पर परोसी जा रही अश्लीलता के दर्शन करा देता था. जिस से दोनों एकदूसरे से इतने खुल गए थे कि विकास आरती के साथ कोई भी शरारत करता तो वह उसे हंस कर टाल देती. लेकिन शरारत के बाद वह उसे अजीब सी नजरों से देखती.
आरती की इन्हीं अदाओं पर वह मर मिटा था. वह भाभी के इस तरह से देखने का मतलब भी समझने लगा था.
इंसान की जुबान भी अजीब ही चीज है. कड़वे शब्द भी उसी से निकलते हैं और मीठे भी. अंतर दोनों में केवल इतना होता है कि कड़वे शब्द किसी के दिल में तीर की तरह चुभते हैं, तो मीठे शब्द किसी के दिल को खुश कर देते हैं. यही आरती के साथ भी हुआ. योगेश अपने काम में व्यस्त रहता था कि उस की बीवी कभी भी उस से खुश नहीं रहती थी. जबकि आवारा की तरह घर पर पड़ा विकास उस के दिल को भाने लगा था.
आरती की आंखों में अपने प्रति चाहत देख कर विकास अकेलेपन का लाभ उठाने की सोचने लगा. इस मामले में आरती भी पीछे नहीं थी. दोनों एकदूसरे से खूब प्यारीप्यारी बातें करते. लेकिन एक दिन ऐसा भी आया कि दोनों ने रिश्ते की मर्यादाओं को लांघ कर अवैध संबंध बना लिए.
अब योगेश की अनुपस्थिति में दोनों आए दिन अपनी शारीरिक भूख मिटाने लगे थे. विकास का हर वक्त योगेश के घर पर पड़े रहना योगेश को बुरा जरूर लगने लगा था. लेकिन बच्चा समझ कर उसने उस पर शक नहीं किया था.
योगेश का भ्रम तब टूटा जब एक दिन सच्चाई उस के सामने आई. दोनों के संबंधों का कच्चा चिट्ठा दोनों के घर वालों के सामने आ गया.
योगेश अपनी बीवी को प्यार करने के साथ उस की हर ख्वाहिश पूरी करता था. लेकिन उस की बीवी और उस के भाई ने उस के साथ जितना बड़ा विश्वासघात किया था, उस ने योगेश को बुरी तरह तोड़ दिया. उस ने आरती को खूब खरीखोटी सुनाई और उस की पिटाई भी की. उस के बाद दोनों के परिवार वालों के बीच मनमुटाव हो गया.
विकास ने उस दिन के बाद आरती के पास आनाजाना भी बंद कर दिया. उस के परिवार वालों ने भी उसे काफी मारापीटा और फिर कभी भी ऐसी हरकत न करने की नसीहत दी.
कुछ ही दिनों में योगेश का परिवार आरती और विकास की हरकतों को भुला बैठा था. आरती और विकास के दिलों में जो प्यार का अधपका ज्वालामुखी फट चुका था, उसे रोकना संभव नहीं था. आरती फिर से मौका पाते ही विकास से मोबाइल पर बात करने लगी.
वह एकांत का लाभ उठाने के लिए विकास को बुला लेती और उस के साथ अपनी हसरतों का खेल खेल कर उसे घर से निकाल देती. कई बार अर्नव उन के संबंधों में अड़चनें पैदा करने लगा था.
बच्चा तो आखिर बच्चा ही होता है. न उस के खानेपीने का कोई निश्चित समय होता है और न सोनेजागने का. विकास को अर्नव का डिस्टर्ब करना जरा भी पसंद नहीं था.
विकास ने कई बार आरती से घर से भाग चलने को कहा. लेकिन आरती जानती थी कि न तो उस के पास नौकरी है और न ही पैसा. ऐसे में उस के साथ भाग कर क्या खाएगी और क्या बेटे को खिलाएगी. यह बात उस ने विकास को समझाई भी.
लेकिन विकास नादान था. उसे केवल आरती के शरीर से खेलने की सनक थी, जिस के लिए उस के मन में आरती और अपने बीच से अर्नव को हटाने की जुनून सवार हो गया.
जब विकास का धैर्य टूट गया तो उस ने उस के बच्चे को ही रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया. बच्चे को मौत की नींद सुलाने की योजना बना कर उस ने 2 दिन पहले घर से एक प्लास्टिक का कट्टा ले कर रेलवे लाइन के किनारे स्थित दोमंजिले खंडहर में छिपा दिया था, ताकि वह अर्नव की हत्या कर उस कट्टे में डाल कर उसे कहीं दूर फेंक सके. वह मौके की तलाश में रहने लगा.
15 जुलाई, 2020 को उसे मौका मिल गया. अर्नव विकास को अच्छी तरह पहचानता था. उस दिन अर्नव की मां आरती जब उसे छोड़ कर घर के अंदर गई तो विकास बड़ी फुरती से वहां पहुंचा और अर्नव को चौकलेट खाने को दी. उस के बाद वह उसे उसे गोद में उठा कर रेलवे लाइन के किनारे स्थित खंडहर में ले गया. जहां पर जाते ही उस ने उस की गला दबा कर हत्या कर दी.
अर्नव को मौत की नींद सुलाने के बाद उस ने उस की लाश कट्टे में डाल कर पास के नाले में फेंक दी. बाद में जब गांव में अर्नव के गायब होने की बात चली तो वह भी उसे ढूंढने में सब के साथ लगा रहा, ताकि कोई उस पर शक न कर सके.
विकास से पूछताछ के बाद पुलिस ने मासूम अर्नव के हत्यारोपी विकास को भादंवि की धारा 301/201/264 के अंतर्गत मामला दर्ज कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.
केस का खुलासा होने के बाद योगेश और उस के घर वालों को आरती के प्रति इस कदर नफरत पैदा हो गई कि उन्होंने उसे उसी समय उस के मायके वालों के साथ भेज दिया. उन का कहना था कि जो औरत अपनी औलाद की न हुई, वह दूसरों की क्या होगी. बच्चे की हत्या में संलिप्तता न पाई जाने पर पुलिस ने उसे पूछताछ के बाद छोड़ दिया था.
—कथा परिजनों व पुलिस सूत्रों पर आधारित
सौजन्य: सत्यकथा, अगस्त, 2020