हरियाणा के जिला करनाल के ब्रास गांव स्थित एक बड़ी इमारत के बीच बने उस हाल की भव्यता देखते ही बनती थी. उस में डिजाइन वाले महंगे कालीन बिछे थे तो दोनों तरफ आरामदायक सोफे और बीच में मेजें लगी थीं. नीचे बैठने के लिए भी गद्दे बिछे थे. उस हाल में कुछ खास था तो वह थी एक सिंहासननुमा रखी ऊंची कुरसी, जिस के सामने एक छोटी सी मेज थी, जिस पर पारदर्शी शीशा लगा था.
रोज की तरह 15 नवंबर, 2016 की भी रात करीब 9 बजे कई लोग सोफे पर बैठे थे. उसी बीच हथियारों से लैस कुछ युवक पिछले दरवाजे से हौल में दाखिल हुए. उन के पीछे एक महिला भी आई, जिस पर नजर पड़ते ही सभी लोग हाथ जोड़ कर उस के सम्मान में खड़े हो गए. महिला ऊपर से नीचे तक गेरुआ वस्त्र पहने थी और सिर पर वैसे ही रंग की पगड़ी भी बांधे थी. उस के गले में बेशकीमती सोने की मोटी चेन झूल रही थी. इस के अलावा हाथों में रत्नजडि़त सोने के कंगन और अंगुलियों में हीरेजडि़त अंगूठियां अपनी चमक बिखेर रही थीं.
महिला के माथे पर लाल तिलक लगा था और चेहरे पर गर्वपूर्ण मुसकान तैर रही थी. वह सधे कदमों से चलते हुए सिंहासननुमा कुरसी पर जा कर बैठ गई तो उस की चरणवंदना करने वालों की कतार लग गई. लोग झुकते तो वह उन के सिर पर हाथ रख कर आशीर्वाद देती. बीचबीच में वह लोगों से बातें भी कर रही थी. करीब एक घंटे तक यही सिलसिला चलता रहा. लगभग रोज ही ऐसा नजारा उस हाल में होता था. वह कोई मामूली शख्सियत नहीं थी. वह खुद को धर्मरक्षक बताती थी. अपने राष्ट्रवादी होने का गुणगान करती थी. लोग उसे अनोखी शक्तियों की वारिस और ज्योतिष विद्या की बाजीगर समझ कर पूजते थे.
कट्टरपंथी विचारधारा की उस महिला का नाम था साध्वी देवा ठाकुर. ब्रास गांव स्थित जिस इमारत में वह रहती थी, उसे लोग श्रीमाता बालासुंदरी देवाजी धाम के नाम से जानते थे. उसे डेरा भी कहा जाता था. साध्वी का इलाके में खासा रसूख था. तमाम लोग उस के मुरीद थे. उस के पास न धनदौलत की कमी थी और न ही शोहरत की. भगवा चोले में सोने के बेशकीमती आभूषणों से लद कर देवा जब चेलों के साथ शान से चलती थी तो उस का रुतबा देखते ही बनता था.
धर्म के नाम पर उस की तीखी बयानबाजियां सुर्खियां बन जाती थीं. उस रात कुछ और लोग उस से मिलने के लिए आए तो एक शख्स ने उन्हें रोक दिया, ‘‘माफ कीजिएगा, साध्वीजी से अब आप कल मिल सकते हैं. अभी वह कहीं और के लिए प्रस्थान करेंगी.’’
उसी बीच एक आदमी ने देवा के सामने जा कर कहा, ‘‘साध्वीजी, आप को समारोह में भी जाना है.’’
‘‘हां, चलते हैं.’’ कह कर देवा ने हाथ उठा कर सामूहिक आशीर्वाद दिया और हाल से बाहर आ गई. उस के बाहर आते ही कुछ और हथियारधारी वहां आ गए. यह सब देख कर कोई चौंका नहीं, क्योंकि यह रोज की बात थी. साध्वी को हथियारधारी चेलों को अपने साथ रखने का बहुत पहले से शौक था. हालांकि न उन की जान को खतरा था और न ही किसी से रंजिश. बावजूद इस के वह राइफल, बंदूक, पिस्टलधारी युवकों के घेरे में रहती थी.
इतना ही नहीं, देवा ने खुद भी एक पिस्तौल का लाइसैंस लिया हुआ था, जिसे वह कभी होलेस्टर के साथ गले में लटकाती थी तो कभी पर्स में रखती थी. सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर वह बेहद सक्रिय रहती थी और हथियारों के साथ के अलावा विभिन्न क्रियाकलापों के फोटो व वीडियो पोस्ट करती रहती थी.
हौल के बाहर एक लग्जरी फौर्च्युनर कार नंबर एचआर 54डी 0021 खड़ी थी, जो उसी के नाम से रजिस्टर्ड थी. देवा उस कार में सवार हो गई. कार ने फर्राटे भरे और कुछ देर बाद करनाल शहर के रेलवे स्टेशन के नजदीक बने सावित्री मैरिज लौन के बाहर जा कर रुकी. देवा के पहुंचते ही वहां मौजूद लोग उस की आवभगत में जुट गए. कोई झुक कर पैर छू रहा था तो कोई हाथ जोड़ रहा था. देवा के चेहरे पर भी अनोखी मुसकान थी. दरअसल यह सैक्टर-6 निवासी विक्की मेहता का सगाई समारोह था. मेहता परिवार भी देवा का भक्त था, इसलिए विशेष आग्रह कर उन्हें आशीर्वाद देने के लिए आमंत्रित किया गया था.
लौन में अनेक लोग मौजूद थे. खानापीना चल रहा था, साथ ही एक मंच सजा हुआ था. मंच पर व उस के सामने डीजे की धुनों पर लोग नृत्य कर रहे थे. दरजनों लोग सामने पड़ी कुरसियों पर बैठ कर पार्टी का आनंद ले रहे थे. कई लोगों से मिलतेमिलाते देवा अपने चेलों के साथ मंच के सामने पहुंच कर रुक गई. इसी बीच उस का चेला डीजे का संचालन कर रहे युवक के पास पहुंच कर बोला, ‘‘यह सब बंद कर के हमारी पसंद का गाना बजा.’’
‘‘कौन सा सर?’’ युवक ने पूछा.
‘‘मितरां नू शौक गोलियां चलाउण दा…’’ उस ने बताया.
हथियारधारी के इतना कहते ही चंद सेकेंड बाद मनचाहा गाना बज गया. इस गाने पर देवा के चेले हथियार लहरा कर नाचने लगे. गाने के बोलों की तर्ज पर उन्होंने हवाई फायरिंग शुरू कर दी. इन में 2-3 लोग मंच पर चढ़ कर गोलियां चलाने लगे तो कुछ नीचे ही रहे. पलक झपकते ही गोलियों की तड़तड़ाहट से वातावरण गूंज उठा.
देवा को भी उन के एक चेले ने दोनाली बंदूक लोड कर के दी तो उस ने भी गोलियां दाग दीं. देवा ने अपनी पिस्तौल से भी कई फायर किए. यह खुशी थी या शान दिखाने की कुंठित मानसिकता, यह तो कोई नहीं जानता था, पर कानून की नजर में यह सब करना अपराध की श्रेणी में आता था. लेकिन कानून को ठेंगा दिखा कर वहां जम कर फायरिंग की जा रही थी.
देवा और उन के चेले इतने जोश में थे कि हथियारों को बारबार लोड कर के हवाई फायर कर रहे थे. अचानक पैदा हुए ऐसे माहौल से वहां मौजूद लोग सकते में आ गए. हर कोई फटी नजरों से नजारा देख रहा था. बच्चों में भी दहशत कायम हो गई. मंच पर व उस के सामने अब देवा व उस के चेलों का कब्जा था. दृश्य ऐसा फिल्मी हो गया था, जैसे डाकू हथियारों के साथ बेखौफ हो कर जश्न मना रहे हों. दरजनों राउंड फायर हो चुके थे. इसी बीच एक बंदूक से फायर मिस होने पर बंदूक की नाल कुरसी पर बैठे लोगों की तरफ घूम गई. बंदूक की एक गोली सुखविंदर सिंह नामक व्यक्ति के कंधे पर जा लगी, दूसरी गोली ने 50 वर्षीय महिला सुनीता का सीना भेद दिया. गोली लगते ही खून का फव्वारा फूट पड़ा और वह नीचे गिर पड़ी.
इन के अलावा गोली के छर्रे लगने से अमरजीत सिंह, अनिल, विनोद व 11 वर्षीया बच्ची मनस्वी घायल हो गई. पलक झपकते ही वहां की खुशियां मातम में तब्दील हो गईं. किसी को भी ऐसी अप्रत्याशित घटना की उम्मीद नहीं थी. लोगों में चीखपुकार मच गई और अफरातफरी का माहौल पैदा हो गया. वहां के माहौल व खतरे को भांप कर देवा हथियारों के शौक के चक्कर में मातम का आशीर्वाद दे कर चेलों के साथ रफूचक्कर हो गई.
आननफानन में सभी घायलों को उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने सुनीता को मृत घोषित कर दिया. कइयों के अंधविश्वास को भी झटका लगा, क्योंकि ज्योतिष की जानकार जो देवा लोगों का भविष्य बताती थी, वह इतनी बड़ी घटना का आकलन आखिर कैसे नहीं कर सकी.
इस सनसनीखेज घटना की सूचना पुलिस को मिली तो वह हरकत में आ गई. कुछ ही देर में सिटी थानाप्रभारी मोहनलाल मय पुलिस बल के वहां पहुंच गए. वारदात बड़ी थी लिहाजा एसपी पंकज नैन भी मौकाएवारदात पर आ गए. पुलिस ने लोगों से पूछताछ की तो उन्होंने देवा व उस के चेलों का कारनामा बयान कर दिया. कुछ लोगों ने देवा व उस के साथियों की गोलियां चलाते हुए बनाई गई वीडियो भी पुलिस को दे दी. पुलिस ने मुआयना किया तो कारतूस के दरजनों खोखे वहां से बरामद हुए.
पुलिस ने उन्हें अपने कब्जे में ले लिया. पुलिस ने साध्वी व उस के साथियों के खिलाफ भादंवि की धारा-302 हत्या, 307 हत्या के प्रयास व आर्म्स एक्ट के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर लिया. मामला गंभीर था. एसपी पंकज नैन ने देवा के खिलाफ सख्त काररवाई करने के निर्देश दिए. उधर मृतका सुनीता के परिवार के लोगों में कोहराम मचा था. सुनीता सैक्टर-6 की रहने वाली थी और भावी दूल्हे विक्की की मौसी थी. घायलों का उपचार किया जा रहा था. पुलिस ने सुनीता के शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम हेतु कल्पना चावला मैडिकल कालेज भेज दिया.
देवा व उस के चेलों की गिरफ्तारी के लिए 4 पुलिस टीमों का गठन किया गया. अगली सुबह पुलिस बल आरोपी देवा के डेरे पर पहुंचा, लेकिन वह फरार हो चुकी थी. पुलिस ने वहां की तलाशी ली. डेरे की भव्यता देख कर पुलिस भी हैरान रह गई. देवा भले ही साध्वी थी, लेकिन डेरे में वे तमाम अत्याधुनिक सुविधाएं थीं, जिन के आम आदमी सिर्फ ख्वाब देखता है.
पुलिस ने संभावित ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी, साथ ही देवा का इतिहास खंगाला तो पता चला कि वह एक मामूली लड़की थी. एक मामूली लड़की किस तरह लोगों के लिए देखते ही देखते देवी बन गई. दरअसल जिसे लोग साध्वी देवा ठाकुर के नाम से जानते थे. उस का बचपन का नाम ममता था. कई सालों पहले प्रचारित होना शुरू हुआ कि ममता का व्यवहार आम बच्चों से अलग है. वह दूसरों के मन की बात जान लेती है और बैठेबैठे ध्यान मुद्रा में चली जाती है. बाद में कहा जाने लगा कि ममता के पास अपार शक्तियां हैं और उस का साक्षात्कार सीधे ईश्वर से होता है. यह चर्चाएं कुछ ऐसी फैलीं कि लोग उसे देवी मानने लगे.
लोग उस के पास अपनी समस्याएं ले कर आने लगे. इस के बाद ममता ने गेरुआ वस्त्र पहन लिए और नाम भी बदल कर साध्वी देवा ठाकुर रख लिया. 11 जनवरी, 1998 को माला बालासुंदरी देवा धाम से डेरे का शिलान्यास कर के वहां पूजास्थल भी बना दिया गया. धीरेधीरे देवा के मुरीदों की संख्या बढ़ती गई. देवा महत्त्वाकांक्षी थी. शाही अंदाज में जीना अच्छा लगता था. कमाई हुई तो उस ने डेरे को आलीशान तरीके से विस्तार दे दिया. देवा ने सन 2010 में देवा इंडिया फाउंडेशन नाम से एक संस्था रजिस्टर्ड करा ली और खुद उस की चेयरपरसन बन गई. डेरे पर आने वाले लोग खुल कर दान देते थे. ऐसे भक्तों के दान ने ही देवा को राजसी ठाठबाट वाली महिला बना दिया.
देवा को हथियारों से प्रेम था, इसलिए उस ने अपने साथ हथियारबंद लोग रखे. इस से रौब भी जमता था और शौक भी पूरा होता था. कुछ ही सालों में देवा ने अपनी अलग पहचान बना ली. देवा ने अपने प्रचार के लिए सोशल साइट्स को भी जरिया बनाया. हथियारों के लाइसैंस देने की वह पैरवी करती थी.
एक बार वह तब सुर्खियों में आई, जब उस ने बयान जारी कर के कहा कि देश को आधार कार्ड से ज्यादा जरूरत हथियारों के लाइसैंस की है. अगर सरकार देश के नागरिकों की हत्या आतंकवादियों के हाथों होने से नहीं रोक सकती तो सभी भारतीयों को हथियारों के लाइसैंस दे दिए जाएं, ताकि वे अपनी सुरक्षा खुद कर सकें.
कुछ महीने पहले देवा ने एक जनसभा में यह कह कर सनसनी फैला दी थी कि गैरहिंदुओं की जबरन नसबंदी की जाए, ताकि उन की आबादी को बढ़ने से रोका जा सके. इस मामले में जम्मूकश्मीर के श्रीनगर में एक याचिका के बाद अदालत ने देवा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे. इस सब के बीच फायरिंग से हुई मौत का मामला देवा पर भारी पड़ गया.
पुलिस उस की तलाश में जुटी रही. उस की तलाश में अन्य जनपदों के अलावा राजस्थान जा कर भी छापेमारी की गई, पर वह नहीं मिली. लोगों में देवा को ले कर गुस्सा था. एक संगठन के पदाधिकारी ललित भारद्वाज ने बयान जारी किया कि धर्म की आड़ में देवा को ऐसी घिनौनी हरकत नहीं करनी चाहिए थी. देवा की फायरिंग की वीडियो वायरल हो रही थी. पुलिस को इस वारदात से पहले की भी एक वीडियो मिली, जिस में पानीपत जिले में आयोजित एक समारोह में देवा व उस के चेलों ने जम कर फायरिंग की थी.
2 दिन बीत चुके थे, लेकिन देवा का कोई सुराग नहीं लग रहा था. घटना के बाद से ही उस के दोनों मोबाइल बंद थे. पुलिस उस तक पहुंच पाती कि इसी बीच 18 नवंबर को उस ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया. इस दौरान देवा का हुलिया ही बदला हुआ था. न उस के बदन पर कोई आभूषण था और न ही भगवा वस्त्र. वह गुलाबी छींटदार सलवारसूट पहन कर आई थी.
पता चलते ही पुलिस वहां पहुंच गई और माननीय न्यायाधीश हरीश सब्बरवाल की अदालत में देवा को पेश कर के हथियारों की बरामदगी और उस के साथियों की गिरफ्तारी का हवाला दे कर रिमांड मांगा. अदालत ने उसे 5 दिनों के रिमांड पर पुलिस के हवाले कर दिया.
पुलिस देवा का कस्टडी रिमांड ले कर बाहर निकली तो उस ने मीडिया के सामने कोरे झूठ का हास्यास्पद जाल फेंका कि वह निर्दोष है और उसे षडयंत्र के तहत फंसाया जा रहा है. वह इस बात को भी झुठला गई कि उस ने गोलियां चलाई थीं. देवा के चेहरे पर मायूसी का डेरा था. उस ने खुद को बीमार भी बताया.
इस दौरान अदालत के बाहर गहमागहमी का माहौल रहा. देवा से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे साथ ले कर कई स्थानों पर दबिशें दीं. उस रात उसे महिला थाने की हवालात में रखा गया तो उसे नींद नहीं आई. रात में वह कई बार रोई. अगले दिन पुलिस उसे ले कर राजस्थान रवाना हो गई. वहां उस की निशानदेही पर न तो हथियार मिल सके और न उस के चेले. पुलिस खाली हाथ लौट आई.
23 नवंबर को पुलिस ने देवा के 3 आरोपी चेलों शुभम, देवेंद्र व मलकीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया. इन के कब्जे से फायरिंग में इस्तेमाल की गई 2 बंदूकें व 2 माउजरों के साथ 4 दरजन से अधिक कारतूस बरामद किए गए. पुलिस ने नीलोखेड़ी से देवा की फौर्च्युनर कार भी बरामद कर ली. पुलिस ने चारों आरोपियों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.
कथा लिखे जाने तक आरोपियों की जमानत नहीं हो सकी थी. पुलिस देवा के फरार अन्य 3 साथियों राजीव, बलजीत व महमल की सरगरमी से तलाश कर रही थी. देवा ने धर्म की आड़ में हथियारों का शौक रख कर उन के प्रदर्शन का जानलेवा खेल नहीं खेला होता तो शायद ऐसी नौबत कभी न आती.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित