25 सितंबर, 2020 की रात की बात है. रात 12 बजे 24 वर्षीय रेशमा शीलवंत चव्हाण अपनी मां के साथ देहू रोड पुलिस थाने पहुंची. रेखा शीलवंत मुंबई से 105 किलोमीटर दूर पूना शहर की रहने वाली थी. उन का घर आदर्श कालोनी में था. उन की कालोनी थाना देहू क्षेत्र में आता था. थाने की ड्यूटी पर मौजूद सबइंस्पेक्टर अशोक जगताप ने उन्हें सामने खाली पड़ी कुरसी पर बैठने का इशारा किया और उन के आने का कारण पूछा.
रेशमा चव्हाण ने अपने आने का जो कुछ कारण उन्हें बताया उसे सुन कर अशोक जगताप के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आईं. उन्होंने बताया कि आधा घंटे पहले प्रशांत अपने 2 साथियों के साथ उन के घर आया था और उस ने उन की छोटी बहन प्रिया चव्हाण को अपने साथ चलने के लिए कहा.
प्रिया के मना करने पर वह उसे जबरन अपने साथ ले गया. सर, कुछ कीजिए. मुझे प्रशांत गायकवाड़ पर जरा भी भरोसा नहीं है. वह मेरी बहन प्रिया के साथ कुछ भी कर सकता है. उस की 2 माह की बेटी का रोरो कर बुरा हाल है. मामला काफी संगीन था. सबइंसपेक्टर अशोक जगताप ने रेशमा चव्हाण की तहरीर पर प्रिया चव्हाण के अपहरण का मुकदमा दर्ज कर लिया.
इस के साथ ही उन्होंने इस मामले की जानकारी थानाप्रभारी मनीष कल्याणकर इंसपेक्टर क्राइम पाडूरंग गोकणे, सबइंसपेक्टर छाया बोरकर के साथसाथ पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी और रेशमा चव्हाण और उस की मां को आश्वासन दिया कि पुलिस जल्द से जल्द प्रिया को ढूंढ़ने की कोशिश करेगी.
वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में सबइंस्पेक्टर अशोक जगताप ने अपने सहायकों के साथ अपनी तफ्तीश की रूपरेखा तैयार की और प्रिया चव्हाण अपहरण की तफ्तीश शुरू कर दी. प्रशांत गायकवाड़ के मिलने की जहांजहां संभावना थी वहांवहां छापा मारा गया, लेकिन वह उन के हाथ नहीं लगा.
देहूरोड पुलिस अधिकारियों को मामले की तफ्तीश शुरू किए अभी 12 घंटे भी नहीं हुए थे कि पुलिस कंट्रोल रूम से उन्हें एक बुरी खबर मिली. 26 सितंबर, 2020 को दोपहर कंट्रोल रूम से सूचना मिली कि आदर्शनगर कालोनी की खाड़ी के पानी में एक महिला का शव तैर रहा है. आदर्श नगर इलाका देहूरोड पुलिस थाने के अंतर्गत आता था. इसलिए मामले की जानकारी देहूरोड पुलिस थाने को दे दी गई थी.
सूचना मिलते ही देहू रोड पुलिस थाने के सबइंसपेक्टर अशोक जगताप अपने सहायकों के साथ तुरंत घटना स्थल पर पहुंच गए. चूंकि रेशमा चव्हाण ने अपनी बहन प्रिया के अपहरण की शिकायत पहले ही थाने में दर्ज करवा रखी थी, इसलिए पुलिस टीम ने रेशमा चव्हाण को सूचना दे कर शिनाख्त के लिए घटनास्थल पर बुला लिया. शव को देखते ही रेशमा चव्हाण दहाड़ मार कर रोने लगी. इस से पुलिस टीम को समझते देर नहीं लगी कि खाड़ी में पड़ा शव प्रिया चव्हाण का ही है. रेशमा चव्हाण को सांत्वना देने के बाद प्रिया के शव को बाहर निकलवा कर उस का निरीक्षण किया गया.
सबइंस्पेक्टर अशोक जगताप अभी शव का निरीक्षण और वहां एकत्र भीड़ से पूछताछ कर ही रहे थे कि मामले की जानकारी पा कर थानाप्रभारी मनीष कल्याणकर, इंसपेक्टर पांडुरंग गोकणे, महिला सबइंसपेक्टर छाया वारेक के साथ मौका ए वारदात पहुंच गए थे. उन के साथ फौरेंसिक टीम भी आ गई थी. शव की फौरेंसिक जांच के बाद थानाप्रभारी मनीष कल्याणकर ने अपने सहायकों के साथ शव का सरसरी निगाह से निरीक्षण किया. फिर लाश को पोस्टमार्टम के लिए स्थानीय सिविल अस्पताल भेज कर थाने लौट आए.
मामला अब और गंभीर हो गया था. प्रशांत गायकवाड़ पर अब तक प्रिया चव्हाण के अपहरण तक का ही आरोप था. अब उस के विरूद्ध हत्या का भी मामला दर्ज कर लिया गया. थाने के वरिष्ठ अधिकारियों ने विचार कर मामले की तफ्तीश इंसपेक्टर पांडुरंग गोकणे और सबइंस्पेक्टर अशोक जगताप को सौंप दी.
सबइंसपेक्टर अशोक जगताप इस की तफ्तीश पहले ही कर रहे थे. लेकिन प्रशांत गायकवाड़ उन के हाथ नहीं आया था. फिर भी वह निराश नहीं थे. उन्हें अपने मुखबिरों पर पूरा भरोसा था. 27 सितंबर, 2020 को उन के एक मुखबिर ने बताया कि प्रशांत गायकवाड़ आज रात 3 बजे के आसपास पूना थरगांव के डांगे चौक पर अपनी पत्नी और बच्चों से मिलने के लिए आने वाला है.
सबइंसपेक्टर अशोक जगताप ने इस बात की जानकारी अपने वरीष्ठ अधिकारियों को दी और अपना जाल बिछा कर प्रशांत गायकवाड़ को हिरासत में ले लिया. पुलिस हिरासत में प्रशांत गायकवाड़ प्रिया अपहरण और हत्या के मामले में अपने आप को निर्दोष बता कर पुलिस को गुमराह करता रहा. लेकिन पुलिस की सख्ती के बाद वह ज्यादा देर न टिक सका. उस ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए प्रिया के अपहरण और हत्या के बारे में जो बताया वह काफी हैरान कर देने वाला था.
सूर्यकांत गायकवाड़ की गिनती पूना शहर के एक प्रतिष्ठित और संपन्न किसानों में होती थी. पूना शहर के देहूरोड पर शानदार बंगला और शहर के बाहर उन का एक फार्महाउस था. जहां उन की अच्छीखासी काश्तकारी थी. बंगले में सुखसुविधाओं की सारी चीजे मौजूद थीं. उन का बेटा प्रशांत बंगले में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता था.
35 वर्षीय प्रशांत गायकवाड़ स्वस्थ सुंदर और महत्त्वाकांक्षी युवक था. वह सूर्यकांत गायकवाड़ का एकलौता और लाड़ला बेटा था. उसे किसी चीज की कोई कमी नहीं थी. प्रशांत की शिक्षा पूरी होने के बाद उन्होंने थरगांव डांगे चौक पर रहने वाले अपने एक रिश्तेदार की बेटी से उस की शादी कर दी थी. समय के साथ वह 2 बच्चों का पिता बन गया. घर में सुंदर सुशील पत्नी होने के बावजूद जब वह किसी शादी प्रोग्राम था पार्टी में किसी संजीसंवरी युवती को देखता तो उस के मुंह में पानी आ जाता था और वह उसे पाने के लिए आतुर हो उठता था.
उस के पास पैसों की कोई कमी नहीं थी. 20 वर्षीय प्रिय शीलवंत चव्हाण जितनी सुंदर और खूबसूरत थी उतनी ही चंचल आधुनिक सभ्य समाज की युवती थी. वह किसी से भी बेझिझक बातें तो करती थी लेकिन अपनी मर्यादा में रहती थी. उस की बातें हर किसी को मोह लेती थीं. उस के पिता की मौत हो चुकी थी. परिवार संपन्न था, वह अपनी बड़ी बहन रेशमा और मां के साथ रहती थी.
सजीसंवरी प्रिया को प्रशांत गायकवाड ने अपने एक दोस्त की शादी के समारोह में देखा था. प्रिया की खूबसूरती देख कर प्रशांत गायकवाड़ उस का दीवाना हो गया. प्रिया शादी समारोह में जब तक रही प्रशांत गायकवाड़ की निगाहें उस का पीछा करती रहीं. प्रिया और उस के परिवार से प्रशांत गायकवाड़ का परिचय उस के दोस्त ने करवाया तो प्रशांत प्रिया के करीब आने की कोशिश करने लगा.
शादी समारोह खत्म होने के बाद प्रशांत ने प्रिया और उस की मां बहन को अपनी कार में लिफ्ट दे कर उन के घर छोड़ दिया. रास्ते में प्रिया चव्हाण उस की मां और बहन रेशमा चव्हाण प्रशांत गायकवाड़ की बातों और व्यवहार से इस तरह प्रभावित हुईं कि उसे अपने घर चायनाश्ते पर बुला लिया. प्रिया और उस के परिवार वालों के इस प्रस्ताव पर प्रशांत गायकवाड़ के मन में लड्डू फूटने लगे. प्रशांत गायकवाड़ यही चाहता था.
वह दूसरे दिन ही प्रिया से मिलने उस के घर पहुंच जाना चाहता था. लेकिन किसी तरह अपने मन को काबू कर वह एक सप्ताह बाद प्रिया के घर पहुंचा. यह संयोग ही था कि उस समय प्रिया घर में अकेली थी. प्रशांत गायकवाड़ के लिए यह समय सोने पर सुहागा था. उसे ऐसे ही मौके की तो तलाश थी. प्रशांत ने प्रिया से अधिकतर इधरउधर की बातें की और अपने आप को अनमैरिड बता कर प्रिया का मोबाइल नंबर ले लिया.
प्रिया का मोबाइल नंबर लेने के बाद प्रशांत प्रिया को अक्सर फोन करने लगा. नतीजा यह हुआ कि प्रशांत गायकवाड़ की मीठी लुभावनी बातें प्रिया के मन में धीरेधीरे घर करने लगीं और वह उस की तरफ आकर्षित हो गईं. प्रशांत गायकवाड़ यही चाहता भी था. वह मौका देख कर प्रिया को अपनी कार में बैठा कर लंबे सफर पर ले जाता. दोनों मौल में जा कर शौपिंग करते. प्रिया को वह अच्छेअच्छे उपहार देता था.
प्रिया इस बात से अनभिज्ञ थी कि प्रशांत गायकवाड़ सिर्फ उस के शरीर का भूखा है. प्रशांत ने कई बार मर्यादा की लक्ष्मण रेखा पार करने की कोशिश की, लेकिन प्रिया ने उसे रोक दिया. जब प्रशांत गायकवाड़ यह बात अच्छी तरह समझ गया कि प्रिया अपनी लक्ष्मण रेखा लांघने वाली नहीं है तो उस ने एक योजना के तहत अपनी पत्नी और बच्चों को उन के ननिहाल भेज कर प्रिया को जरूरी बात के लिए अपने बंगले पर बुलाया और नशे का शरबत पिला कर उस के साथ संबंध बनाए.
जब यह बात प्रिया को पता चली तो उसे नागवार लगा. बाद में जब यह बात प्रिया को मालूम हुई की प्रशांत गायकवाड़ शादीशुदा ही नहीं बल्कि 2 बच्चों का पिता भी है तो वह अपने आप को संभाल नहीं पाई और देहूरोड़ पुलिस थाने जा कर उस के विरूद्ध धोखा और बलात्कार की शिकायत दर्ज करवा दी. जिस से पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. यह मामला 2016 का था.
2 साल तक चले इस प्रकरण में जब प्रशांत गायकवाड़ को एहसास हो गया कि वह सजा के बिना नहीं बच सकता तो उस ने प्रिया से मेलमिलाप में ही अपनी भलाई समझी और प्रिया के घर जा कर उस से और उस की मांबहन से अपने किए की माफी मांगी. इतना ही नहीं, उस ने अपनी पत्नी को तलाक दे कर प्रिया से शादी करने का भी वादा किया. साथ ही उस ने मामले को वापस लेने की विनती भी की.
प्रशांत के अनुरोध पर प्रिया ने अपना भविष्य देखते हुए केश वापस ले कर प्रशांत गायकवाड़ को माफ कर दिया. वह पहले की तरह प्रशांत गायकवाड़ से मिलनेजुलने लगी. बीचबीच में जब प्रिया शादी की बात करती तो प्रशांत अपनी पत्नी से तलाक लेने का बहाना कर उसे टाल देता.समय अपनी गति से चलता रहा. प्रिया प्रशांत के बहकावे में आ कर अपने आप को भूल गई और गर्भवती हो गई. समय आने पर उस ने एक बच्ची को जन्म दिया.
बच्ची के जन्म के 2 माह बाद प्रिया ने जब अपनी शादी और बच्ची के भविष्य के लिए प्रशांत गायकवाड़ से बात की तो प्रशांत टालमटोल करता रहा. जिस से प्रिया और उस के परिवार वालों को उस की नीयत का पता चल गया. प्रिया की शादी और उस की बच्ची के हक का दबाव बनाने के लिए प्रिया की मां और बहन ने महिला संगठन का सहारा लिया.घटना के दिन जिस समय महिला संगठन प्रशांत गायकवाड़ के बंगले पर पहुंचा, उस समय प्रशांत घर पर नहीं था.
उन का सामना उस की पत्नी और बच्चों को करना पड़ा. संगठन की महिलाओं ने उसे जम कर लताड़ा. बंगले की खिड़की और बंगले में खड़ी कार के सारे शीशे तोड़ डाले और उस की पत्नी को चेतावनी दे कर निकल गईं कि अगर प्रशांत गायकवाड़ ने प्रिया से शादी नहीं की और बच्ची को पिता का नाम नहीं दिया तो दोबारा फिर आएंगी और अंजाम बुरा होगा.
पति प्रशांत के चरित्र और महिला संगठन की चेतावनी से उस की पत्नी बुरी तरह डर गई. उसे पति से नफरत हो गई. वह अपना सारा सामान और बच्चों को ले कर मायके जाने के लिए तैयार हो गई. शाम को प्रशांत गायकवाड़ घर आया तो घर की स्थित देख कर हैरान रह गया. पत्नी ने उसे आडे़ हाथों लेते हुए काफी खरीखोटी सुनाई और अपने दोनों बच्चों को ले कर उसी समय घर छोड़ कर मायके चली गई.
पत्नी के मायके जाने और अपने अपमान को वह सह नहीं सका. उस का खून खौल उठा और उस ने प्रिया चव्हाण के प्रति खतरनाक फैसला ले लिया. उस का मानना था कि न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी. रोजरोज की किटकिट खत्म हो जाएगी. अपने फैसले के अनुसार, प्रशांत गायकवाड़ ने अपने दो दोस्तों विक्रम रोकड़े और अभिजीत दड़े को अपनी मदद के लिए बुलाया और उन्हें अपने साथ ले कर रात को प्रिया चव्हाण के घर जा पहुंचा.
दोस्तों के साथ वह प्रिया को उठा कर आदर्श नगर कालोनी की खाड़ी के पास ले गया. उस ने प्रिया चव्हाण का गला दबा कर पहले उस की हत्या की और पहचान मिटाने के लिए वहां पड़े पत्थरों से उस के चेहरे को विकृत कर के खाड़ी के पानी में फेंक दिया. इस के बाद वह फरार हो गया.
प्रशांत सूर्यकांत गायकवाड़ से विस्तृत पूछताछ करने के बाद जांच अधिकारी अशोक जगताप ने उस के खिलाफ अपहरण के मुकदमे में धारा 302/201 और 364 और जोड़ दी. बाद में उन्होंने उस की निशानदेही पर उस के दोस्त के ठिकानों पर छापा मार कर विक्रम रोकड़े को तो अपनी गिरफ्त में ले लिया. लेकिन अभिजीत दड़े पुलिस टीम के पहुंचने के पहले ही फरार हो गया.
प्रशांत सूर्यकांत गायकवाड़ और विक्रम रोकड़े को पूना के मैट्रोपोलिटन मजिस्टै्रट के सामने पेश कर के यरवदा जेल भेज दिया गया. दोनों अभियुक्त जेल में हैं.