एक छात्रा की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई है और उस के घर वाले आननफानन में उस का दाह संस्कार करने की तैयारी कर रहे हैं.
फोन करने वाले ने यह भी बताया कि छात्रा का किसी से प्रेम प्रसंग चल रहा था. हरथला पुलिस चौकी महानगर मुरादाबाद के थाना सिविललाइंस के अंतर्गत आती है. सूचना महत्त्वपूर्ण थी, इसलिए यह खबर थानाप्रभारी नवल मारवाह को देने के बाद चौकी इंचार्ज वीरेंद्र सिंह राणा सोनकपुर कालोनी पहुंच गए.
वहां जाने पर पता चला कि जबर सिंह की बेटी संगीता की मौत हुई है. एसआई वीरेंद्र सिंह जबर सिंह के घर पहुंच गए. वहां घर के बाहर कालोनी के काफी लोग जमा थे और अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही थी.
पुलिस को आया देख कर लोग आश्चर्यचकित हो कर देखने लगे. एसआई वीरेंद्र सिंह ने सब से पहले जबर सिंह से पूछताछ की. उस ने बताया कि उस की बेटी संगीता कई दिनों से बीमार थी, जिस से बीती रात उस की मृत्यु हो गई.
लेकिन जब उन्होंने संगीत की लाश का मुआयना किया तो उस के गले पर दबाव जैसे निशान दिखाई दिए. इस से उन्हें यह मामला संदिग्ध लगा. उन्होंने पुलिस अधिकारियों के आने तक अंतिम संस्कार की काररवाई रुकवा दी. यह जानकारी उन्होंने थानाप्रभारी मारवाह को भी दे दी.
थानाप्रभारी ने इस घटना से उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया. चूंकि मामला मुरादाबाद शहर का था, इसलिए थानाप्रभारी नवल मारवाह के अलावा एसपी (सिटी) अमित कुमार आनंद, सीओ (सिविल लाइंस) दीपक भूकर भी मौके पर पहुंच गए.
मृतका संगीता की लाश का मुआयना करने के बाद एसपी अमित कुमार आनंद ने जबर सिंह से बात की तो उस ने उन्हें भी बेटी के मरने की वजह बीमारी बताई. लेकिन जब एसपी साहब ने उस से पूछा कि संगीता को इलाज के लिए किस डाक्टर के पास ले गए थे तो जबर सिंह चुप रह गया.
इस से पुलिस को यह समझते देर नहीं लगी कि दाल में जरूर काला है. लिहाजा उन्होंने थानाप्रभारी को निर्देश दिए कि लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजने की तैयारी करें. पोस्टमार्टम के बाद ही मौत की वजह पता चलेगी.
एसपी (सिटी) अमित कुमार के आदेश पर थानाप्रभारी ने संगीता की लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी. साथ ही उन्होंने मृतका के घर वालों के बयान भी दर्ज किए.
संगीता के घर वालों ने पुलिस को बताया कि कल रात घर के सभी लोग छत पर सोने चले गए थे. संगीता नीचे के कमरे में सो रही थी. सुबह जब सब छत से नीचे आए तो संगीता अपने बिस्तर पर मृत पड़ी मिली. रात में उस की मृत्यु कैसे हो गई, किसी को पता नहीं चला. बयान दर्ज करने के बाद थानाप्रभारी थाने लौट गए.
17 जून की शाम को जब पुलिस को संगीता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली तो हकीकत सामने आ गई. रिपोर्ट में बताया गया था कि गला घोंट कर उस की हत्या की गई थी. इस से स्पष्ट हो गया कि संगीता के घर वाले पुलिस से झूठ बोल रहे थे. मृतका के शरीर पर चोटों के निशान भी पाए गए. यानी उस के साथ मारपीट भी की गई थी.
थानाप्रभारी ने इस बारे में एसपी (सिटी) अमित कुमार आनंद को अवगत कराया. उन के आदेश पर हरथला पुलिस चौकी इंचार्ज वीरेंद्र कुमार राणा की तरफ से थाने में अज्ञात के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर ली गई.
पुलिस को हत्या का शक संगीता के घर वालों पर ही था, लिहाजा पुलिस ने संगीता के पिता जबर सिंह को थाने बुला कर उस से सख्ती से पूछताछ की. उस ने बताया कि संगीता ने मोहल्ले में उस का जीना मुश्किल कर दिया था.
इसलिए उसे मारने के अलावा उस के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था. जबर सिंह से पूछताछ के बाद संगीता की हत्या की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—
जिला मुरादाबाद के सिविल लाइंस थानाक्षेत्र में एक कालोनी है सोनकपुर. इसी कालोनी में जबर सिंह अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी जगवती के अलावा एक बेटी व 2 बेटे थे. जबर सिंह राजमिस्त्री था. इसी काम से होने वाली आमदनी से उस ने अपने सभी बच्चों को पढ़ाया. संगीता बीए की पढ़ाई कर रही थी और पढ़ाई में काफी होशियार थी.
संगीता का एक दूर का रिश्तेदार था राजकुमार, जो उत्तर प्रदेश परिवहन निगम में संविदा पर ड्राइवर था. वह भी उसी कालोनी में रहता था. उसका जबर सिंह के यहां खूब आनाजाना था. रिश्ते में वह संगीता का भाई लगता था. संगीता और राजकुमार हमउम्र थे, इसलिए उन दोनों की आपस में खूब पटती थी.
राजकुमार जब भी आता, संगीता से ही ज्यादा बतियाता था. इसी बातचीत के दौरान दोनों के बीच प्यार हो गया. दोनों यह भी भूल गए कि उन के बीच भाईबहन का रिश्ता है. पिछले 5 सालों से उन के बीच यह सिलसिला चल रहा था. इस दौरान उन्होंने अपनी हसरतें भी पूरी कर ली थीं. संगीता के घर वालों को इस की भनक तक नहीं लगी.
यह बात उन्हें तब पता चली जब संगीता के पिता जबर सिंह उस की शादी के लिए लड़का ढूंढने लगे. तब संगीता ने हिम्मत जुटा कर अपने घर वालों को बताया कि वह राजकुमार से प्यार करती है और उसी से शादी करेगी.
बेटी की यह बात सुन कर जबर सिंह के पैरों तले से जमीन खिसक गई. क्योंकि जिस के साथ वह शादी करने की बात कह रही थी, वह उन का रिश्तेदार था. रिश्तेदार के साथ उस की शादी कैसे हो सकती थी. वैसे भी वे दोनों आपस में भाईबहन थे. संगीता के मातापिता ने उसे बहुत समझाया लेकिन वह अपनी जिद पर अड़ी रही.
घर वाले संगीता को लाख समझा रहे थे लेकिन वह अपनी जिद नहीं छोड़ रही थी. तब जबर सिंह ने राजकुमार के घर वालों से बात की और कहा कि वह राजकुमार को समझाएं कि वह संगीता का पीछा छोड़ दे. घर वालों ने जब राजकुमार को समझाया तो इतना हुआ कि उस ने संगीता के घर जाना बंद कर दिया. लेकिन कुछ दिनों बाद संगीता और राजकुमार ने घर के बाहर मिलना शुरू कर दिया.
किसी तरह जबर सिंह को यह बात पता चली तो उस ने अपने रिश्तेदारों और कालोनी के खास लोगों को बुला कर पंचायत बैठाई. पंचायत में संगीता और राजकुमार को भी बुलवाया गया. पंचायत के सामने दोनों ने वादा किया कि वे भविष्य में नहीं मिलेंगे. इस के बाद दोनों का मिलनाजुलना बंद हो गया. संगीता भी सामान्य हो कर घर के कामों में हाथ बंटाने लगी.
जब घर का माहौल सामान्य हो गया तो जबर सिंह संगीता के लिए फिर से वर की तलाश में जुट गया. इस की जानकारी संगीता को हुई तो उस ने फिर से अपना राग अलापना शुरू कर दिया. उस ने जिद पकड़ ली कि वह राजकुमार के अलावा हरगिज किसी और से शादी नहीं करेगी. यानी उस ने अपने घर वालों की चिंता फिर से बढ़ा दी. इतना ही नहीं, उस ने घटना से 8 दिन पहले खानापीना तक छोड़ दिया.
ऐसे में रिश्तेदारों और कालोनी की महिलाओं ने संगीता को समझाया, ‘‘तू जिस राजकुमार के साथ शादी करने की जिद कर रही है वह तो रोडवेज में केवल ड्राइवर है, वह भी ठेके पर. तू तो अच्छीखासी पढ़ीलिखी है तेरे लिए तो कोई ढंग की नौकरी वाला लड़का भी मिल जाएगा. इसलिए तू राजकुमार के चक्कर में मत पड़, बस अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे.’’
इतना समझाने के बाद भी वह टस से मस नहीं हुई. वह बोली, ‘‘मैं ने राजकुमार को अपना सब कुछ सौंप दिया है. या तो मर जाऊंगी या फिर शादी उसी से करूंगी.’’
लाख समझाने पर भी न तो उस ने खाना खाया और न ही राजकुमार से शादी करने की जिद छोड़ी. इसी दौरान मौका मिलने पर वह अपने घर से भाग कर प्रेमी राजकुमार के घर चली गई.
घर वालों के लिए यह बहुत बड़ा धक्का था. पिता जबर सिंह ने गुस्से में कह दिया कि वह चली गई तो आज से हमारा उस से कोई संबंध नहीं है. आसपड़ोस के लोगों और कुछ रिश्तेदारों ने जबर सिंह को समझाया कि जा कर अपनी बेटी को घर ले आओ, अभी कुछ नहीं बिगड़ा है.
कुछ ने सलाह दी कि पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवा दो. कुछ लोगों ने कहा कि रिपोर्ट लिखवाने से कोई फायदा नहीं है. दोनों बालिग हैं. अगर संगीता ने तुम्हारे खिलाफ बयान दे दिया तो तुम लोग उलटे फंस सकते हो.
ऐसे में जबर सिंह परेशान हो गया. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए. उस ने अपनी पत्नी और बेटों से इस बारे में बात की. सभी ने यह निर्णय लिया कि राजकुमार के घर जा कर संगीता को घर लाया जाए, क्योंकि उस के वहां जाने के बाद बहुत बदनामी हो रही थी.
16 जून, 2020 को संगीता के घर वाले राजकुमार के घर पहुंचे. उन्होंने संगीता को समझाया कि वह अभी घर चले. पूरे रीतिरिवाज के साथ वह उस की शादी राजकुमार से कर देंगे. घर वालों पर विश्वास कर के संगीता उन के साथ घर आ गई.
घर आने पर घर वालों ने उसे समझाना चाहा कि वह राजकुमार से शादी करने की जिद छोड़ दे. इस बात पर घर वालों से उस का झगड़ा व मारपीट हुई.
संगीता के घर वाले उस से बहुत परेशान हो चुके थे, लिहाजा उन्होंने इस मामले को हमेशा के लिए खत्म करने की योजना बनाई. योजना के अनुसार, 17 जून की रात में जबर सिंह और उस के बेटे सचिन ने संगीता की गला घोंट कर हत्या कर दी.
हत्या करने के बाद उन्होंने उस की लाश बैड पर डाल दी और सोने के लिए छत पर चले गए.
सुबह होते ही वे लोग छत से नीचे आए और घर में रोनाधोना शुरू हो गया. रोने की आवाज सुन कर मोहल्ले वाले जबर सिंह के घर पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि बीमारी की वजह से संगीता की मौत हो गई है. फिर आननफानन में संगीता के दाह संस्कार की तैयारी शुरू हो गई.
जब संगीता की मौत का पता उस के प्रेमी राजकुमार को लगा तो उस ने इस मामले की सूचना पुलिस चौकी हरथला में दी. उस के बाद पुलिस मौके पर पहुंची.
जबर सिंह से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उस के बेटे सचिन को भी गिरफ्तार कर लिया. उस ने भी हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया. इस के बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों को 19 जून को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.
घटना के बाद मुरादाबाद के नए एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने चार्ज संभाला तो उन्होंने नए पुराने केसों की फाइलें देखनी शुरू कीं.
जब उन्होंने संगीता मर्डर केस की फाइल का अवलोकन किया तो इस औनर किलिंग के मामले में उन्हें संगीता की मां जगवती की भी संलिप्तता नजर आई. एसएसपी के आदेश पर 29 जून को मृतका की मां जगवती को भी हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर उसी दिन जेल भेज दिया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
सौजन्य: सत्यकथा, सितंबर 2020