प्रियंका कानपुर जिले के गांव मझावन निवासी राजकुमार विश्वकर्मा की सब से छोटी  बेटी थी. सन 2015 में उस की शादी अशोक विश्वकर्मा से हो गई. अशोक कानपुर शहर की इंदिरा बस्ती में  किराए के मकान में रहता था और लोडर चलाता था.खूबसूरत पत्नी पा कर अशोक अपने को खुशकिस्मत समझ रहा था, जबकि प्रियंका दुबलेपतले सांवले अशोक को पा कर मन ही मन अपनी बदकिस्मती पर रोती थी. पत्नी खूबसूरत हो, तो पति उस के हुस्न का गुलाम बन जाता है. अशोक भी प्रियंका का शैदाई बन गया.

प्रियंका ने अशोक की कमजोरी का फायदा उठा कर उसे अपनी अंगुलियों पर नचाना शुरू कर दिया. वह सुबह 8 बजे घर से निकलता और फिर रात 8 बजे ही घर लौटता था. वह पूरी पगार प्रियंका के हाथ पर रख देता था.अशोक मूलरूप से सरसौल का रहने वाला था. उस के 2 भाई सर्वेश व कमलेश थे. मातापिता की मृत्यु के बाद तीनोें भाइयों में घर, खेत का बंटवारा हो गया था. कमलेश खेती करता था, जबकि सर्वेश प्राइवेट नौकरी कर रहा था. अशोक की अपने भाई कमलेश से नहीं पटती थी, इसलिए अशोक ने अपने हिस्से की जमीन बंटाई पर दे रखी थी.

घर में प्रियंका को रोकनेटोकने वाला कोई नहीं था. पहली बात तो यह थी कि पति कम कमाता था, ऊपर से वह स्मार्ट भी नहीं था. अत: वह पत्नी के दबाव में रहता था.

अशोक विश्वकर्मा का एक दोस्त था राकेश. हृष्टपुष्ट, हंसमुख व स्मार्ट. वह बिजली मेकैनिक था. किदवई नगर में वह रामा इलैक्ट्रिकल्स की दुकान पर काम करता था. जिस दिन अशोक काम पर नहीं जाता था, उस दिन वह दुकान पर पहुंच जाता. दोनों खातेपीते और खूब बतियाते. खानेपीने का इंतजाम राकेश ही करता था.

एक सुबह अशोक ड्यूटी पर जाने को निकला, तो राकेश को कह गया कि उस के घर की बिजली बारबार चली जाती है, जा कर फाल्ट देख आए.

दोपहर को समय निकाल कर राकेश, अशोक के घर पहुंचा, तो उस समय भी बिजली नहीं आ रही थी. गरमी के दिन थे और उमस भी खूब हो रही थी. पसीने से बेहाल प्रियंका अपनी साड़ी के आंचल को ही पंखा बना कर हवा कर रही थी. उस का खुला वक्षस्थल राकेश की आंखों के आगे कामना की रोशनी बिखेरने लगा.

राकेश को आया देख कर प्रियंका ने आंचल संभाला और चहकती हुई बोली, ‘‘वाह देवर जी, शादी के दिन दिखे, उस के बाद कभी घर नहीं आए.’’‘‘अब आ तो गया हूं, भाभी.’’ राकेश मुसकराया.‘‘वह तो बिजली ठीक करने आए हो, तुम्हारे पास हम जैसे गरीबों से मिलने का वक्त कहां है.’’‘‘ऐसी बात नहीं है भाभी, काम में इतना व्यस्त रहता हूं कि समय नहीं मिलता. फिर भैया से कभीकभी मुलाकात हो ही जाती है.’’
राकेश ने अपने औजारों का थैला टेबल पर रखा और बिजली की लाइन पर नजर डाली, ‘‘भाभी एक स्टूल तो दो.’’

प्रियंका फटाफट स्टूल ले आई. स्टूल रखने को वह झुकी, तो आंचल गिर गया. एक बार फिर से राकेश की आंखों में हुस्न की चांदनी कौंधी. प्रियंका ने आंचल संभाला फिर हंसती हुई बोली, ‘‘मैं तो तंग आ गई हूं इस बिजली से. कभीकभी रात को 2-2 घंटे अंधेरे में रहना पड़ता है.’’

राकेश ने टकटकी लगा कर प्रियंका की आंखों में देखा, ‘‘शादी वाले दिन तो आप को ठीक से देखा नहीं था. खूबसूरत तो तब भी थी आप, पर अब तो आप के हुस्न में गजब का निखार आ गया है. आप तो खुद ही रोशनी का खजाना हैं, आप के आगे बिजली की क्या हैसियत?’’राकेश ने प्रशंसा का पुल बना कर प्रियंका के दिल में घुसपैठ करनी चाही.

‘‘हटो, बहुत मजाक करते हो तुम.’’ प्रियंका हया से लजाई, ‘‘फटाफट लाइन जोड़ दो. देखो मैं पसीने से भीगी जा रही हूं.’’राकेश ने लाइन जोड़ कर स्विच औन किया तो पंखा चल पड़ा और कमरा रोशनी से भर गया. प्रियंका ने प्रशंसा भरी निगाहों से उसे देखा और बोली, ‘‘मैं तुम्हारे लिए शरबत बनाती हूं.’’
प्रियंका ने प्यार से राकेश को शरबत पिलाया. दोनों के बीच कुछ देर बातें हुईं फिर राकेश सामान थैले में रख कर जाने लगा तो प्रियंका ने पूछा, ‘‘अच्छा ये तो बताओ, कितने पैसे हुए?’’

‘‘किस बात के?’’
‘‘अरे तुम ने बिजली ठीक की है.’’
‘‘अच्छा भाभी, अपनों से भी कोई पैसे लेता है. एक मिनट में बेगाना बना दिया. देना ही है तो कोई ईनाम दो.’’ राकेश के होंठों पर अर्थपूर्ण मुसकान तैरने लगी.
‘‘मांगो क्या चाहिए?’’‘‘तुम्हारा प्यार चाहिए भाभी. पहली ही नजर में तुम मेरी आंखों में रचबस गई हो.’’
‘‘धत पहली ही बार में सब कुछ पा लेना चाहते हो.’’ कह कर प्रियंका ने नजरें झुका लीं.
‘‘ठीक है, दूसरी बार में पा लूंगा. जब मुझे ईनाम देने का मन हो फोन कर के बुला लेना.’’ राकेश ने एक पर्चे पर अपना मोबाइल नंबर लिख कर प्रियंका को दे दिया. उस के बाद अपना थैला उठाया और फिर चला गया.

जब राकेश अपने प्यार का ट्रेलर दिखा गया, तो प्रियंका के कदम क्यों नहीं बहकते. पूरी रात वह राकेश के बारे में सोचती रही.अभी एक सप्ताह भी न बीता था कि प्रियंका ने राकेश का नंबर मिला दिया. उस ने फोन उठाया तो प्रियंका ने खनकती आवाज में झूठ बोला, ‘‘बिजली फिर चली गई है, ठीक कर जाओ.’’
राकेश इसी इंतजार में बैठा था. उस ने भी सांकेतिक शब्दों में कहा, ‘‘ठीक है भाभी, अपने हुस्न की रोशनी बिखेर कर रखो. मै अभी आ रहा हूं.’’

राकेश दोस्त के घर पहुंचा तो बिजली आ रही थी. उस ने चाहत भरी नजरों से प्रियंका को देखा, जो मंदमंद मुसकरा रही थी.राकेश ने पूछा, ‘‘भाभी, झूठ क्यों बोला?’’‘‘झूठ कहां बोला,’’ प्रियंका ने मदभरी नजरों से उसे देखा, ‘‘बत्ती आ रही है पर मेरे मन में अंधेरा है. पंखा चल रहा है, पर मैं अंदर से पसीने से तर हूं.’’
खुला आमंत्रण पा कर राकेश 2 कदम आगे बढ़ा और प्रियंका को अपनी बांहों में भर लिया. फिर तो कमरे में अनीति का अंधेरा गहराता चला गया. प्रियंका की चूडि़यां राकेश की पीठ पर बजने लगीं और दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कर लीं.

अविवाहित राकेश ने पहली बार यह सुख पाया था. इसलिए वह तो निहाल हो ही गया. प्रियंका भी राकेश की कायल हो गई. थकी सांसों वाले अशोक से वह पहले ही ऊब गई थी, राकेश का साथ मिला तो प्रियंका अपनी सारी मर्यादा भूल गई.अवैध संबंधों का सिलसिला एक बार शुरू हुआ तो वक्त के साथ बढ़ता ही गया. जिस रात अशोक लोडर पर माल लाद कर दूसरे शहर जाता, उस रात प्रियंका फोन कर राकेश को घर बुला लेती फिर रात भर दोनों रंगरलियां मनाते.

अशोक को इस बात की भनक भी नहीं थी कि उस का दोस्त उस की बीवी का बिस्तर सजा रहा है. राकेश का बारबार अशोक के घर आना पासपड़ोस के लोगों को खलने लगा. उन के बीच कानाफूसी होने लगी कि राकेश और अशोक की बीवी प्रियंका के बीच नाजायज रिश्ता है. एक कान से दूसरे कान होते हुए जब यह बात अशोक के कानों तक पहुंची तो उस का माथा ठनका. उस ने इस बाबत प्रियंका से जवाब तलब किया तो वह साफ मुकर गई. यही नहीं वह त्रियाचरित्र दिखा कर अशोक पर ही हावी हो गई.

अशोक उस समय तो चुप हो गया परंतु उस के मन में शक जरूर पैदा हो गया. अब वह घर पर नजर रखने लगा. इस का परिणाम भी जल्द ही उस के सामने आ गया. उस रोज अशोक दोपहर को घर आया तो राकेश उस के घर की तरफ से आता दिखा. उस ने आवाज दे कर राकेश को रोकने का प्रयास भी किया. पर वह उस की आवाज अनसुनी कर स्कूटर से भाग गया.

घर पहुंच कर अशोक ने पत्नी से पूछा, ‘‘प्रियंका, क्या राकेश घर आया था?’’‘‘नहीं तो. यह तुम राकेश…राकेश क्या रटते रहते हो. क्या तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं. क्या मैं बदचलन हूं, वेश्या हूं? हे भगवान! मुझे मौत दे दो.’’औरत के आंसू मर्द की कमजोरी बन जाते है. जब प्रियंका आंसू बहाने लगी तो अशोक को झुकना पड़ा. उस ने वादा किया कि अब वह उस पर शक नहीं करेगा. आंसुओं से प्रियंका ने अशोक का शक तो दूर कर दिया, किंतु मन ही मन वह डर भी गई थी. उस ने राकेश को भी बता दिया कि अशोक उन दोनों पर शक करने लगा है, हमें अब सतर्कता बरतनी होगी.

इंदिरा बस्ती में अशोक का एक रिश्तेदार शिव रहता था. एक रोज उस ने बताया कि राकेश उस के घर अकसर आता है. प्रियंका का उस से लगाव है. उस के आते ही प्रियंका दरवाजा बंद कर लेती है. बंद दरवाजे के पीछे क्या होता होगा, यह तो तुम भी जानते हो और मैं भी जानता हूं. इसलिए प्रियंका को समझाओ कि वह घर की इज्जत नीलाम न करे.

शिव की बात अशोक को तीर की तरह चुभी. वह शराब के ठेके पर गया और जम कर शराब पी. नशे में धुत हो कर वह घर पहुंचा और पत्नी से पूछा, ‘‘प्रियंका, सचसच बता, तेरा राकेश के साथ टांका कब से भिड़ा है?’’‘‘नशे में तुम यह कैसी बहकीबहकी बातें कर रहे हो. मैं तुम्हें सुबह जवाब दूंगी.’’ प्रियंका बोली.
‘‘नहीं, मुझे अभी और इसी वक्त जवाब चाहिए.’’ अशोक ने जिद की.
‘‘राकेश से मेरा कोई गलत संबंध नहीं हैं.’’ प्रियंका ने सफाई दी.

‘‘साली, बेवकूफ बनाती है. पूरी बस्ती जानती है कि तू राकेश के साथ गुलछर्रे उड़ा रही है. आज मैं भी जान गया, इसलिए तुझे ऐसी सजा दूंगा कि तू बरसों तक नहीं भूलेगी.’’ कहते हुए अशोक ने प्रियंका को जम कर पीटा.कहते हैं शक की विषबेल बहुत जल्दी पनपती है. अशोक के साथ भी यही हुआ. दिन पर दिन उस का शक बढ़ता गया. आए दिन दोनों के बीच कलह व मारपीट होने लगी.

कभी प्रियंका भारी पड़ती तो कभी अशोक प्रियंका की देह सुजा देता. इस कलह के कारण राकेश ने प्रियंका से मिलना तथा उस के घर आना बंद कर दिया था. अशोक राकेश को भी खूब खरीखोटी सुनाता था. कई बार उस ने दुकान पर जा कर भी उसे सब के सामने जलील किया था.9 जुलाई, 2020 की शाम अशोक को पता चला कि दोपहर में राकेश उस के घर के आसपास मंडरा रहा था. इस पर उसे शक हुआ कि वह जरूर प्रियंका से मिलने आया होगा. अत: राकेश को ले कर अशोक और प्रियंका में पहले तूतूमैंमैं हुई फिर अशोक ने प्रियंका की पिटाई कर दी. गुस्से में प्रियंका थाना किदवई नगर जा कर पति प्रताड़ना की शिकायत कर दी.

शिकायत मिलते ही थानाप्रभारी धनेश कुमार ने 2 सिपाहियों को भेज कर अशोक को थाने बुलवा लिया. थाने पर उस ने सच्चाई बताई, परंतु पुलिस ने उस की एक न सुनी और हवालात में बंद कर दिया.
अशोक रात भर हवालात में रहा. सुबह माफी मांगने तथा फिर झगड़ा न करने पर उसे थाने से घर जाने दिया गया.

पत्नी द्वारा थाने में बंद करवाना अशोक को नागवार लगा था. वह मन ही मन जलभुन उठा था. 10 जुलाई की सुबह जब वह घर पहुंचा तो प्रियंका पड़ोस की महिलाओं से पति को पिटवाने और बंद करवाने की शेखी बघार रही थी. पति को सामने देख कर उसे सांप सूंघ गया. वह घर के अंदर चली गई.दोपहर लगभग 12 बजे दोनों में फिर राकेश को ले कर बहस होने लगी. इसी बीच प्रियंका ने दोबारा लौकअप में बंद कराने की धमकी दी तो अशोक का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. उस ने कमरे में रखी लोहे की रौड उठाई और प्रियंका पर प्रहार करने लगा.

रौड के प्रहार से प्रियंका का सिर फट गया. वह चीखतेचिल्लाते घर के बाहर निकली और गली में गिर पड़ी. कुछ ही देर में उस की सांसें थम गईं. हत्या करने के बाद अशोक फरार हो गया.

मकान मालिक कमल कुमार व अन्य लोग बाहर निकले तो खून से सना प्रियंका का शव गली में पड़ा था. इस के बाद तो इंदिरा बस्ती में सनसनी फैल गई. सैकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ आई. इसी बीच मकान मालिक कमल कुमार ने थानाप्रभारी धनेश कुमार को इस की सूचना दे दी. थानाप्रभारी ने अपने आला अधिकारियों को इस घटना से अवगत करा दिया. कुछ ही देर में एसपी (साउथ) दीपक भूकर, तथा एसएसपी प्रीतिंदर सिंह घटनास्थल आ गए.

उन्होंने शव का निरीक्षण किया फिर मकान मालिक कमल कुमार तथा अन्य लोगों से पूछताछ की. उस के बाद शव पोस्टमार्टम के लिए हैलट अस्पताल भिजवा दिया.चूंकि पूछताछ से यह बात साफ हो गई थी कि अशोक ने ही अपनी पत्नी प्रियंका की हत्या की है. इसलिए थानाप्रभारी धनेश कुमार ने मकान मालिक कमल कुमार की तहरीर पर भादंवि की धारा 302 के तहत अशोक विश्वकर्मा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और उस की गिरफ्तारी के प्रयास में जुट गए.

रात 10 बजे धनेश कुमार को पता चला कि अशोक सोंटा वाले मंदिर के पास मौजूद है. इस सूचना पर वह पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए और हत्यारोपी अशोक को हिरासत में
ले लिया. उसे थाना किदवई नगर लाया गया.थाने में जब उस से प्रियंका की हत्या के संबंध में पूछा गया तो उस ने सहज ही जुर्म कबूल कर लिया. यही नहीं उस ने हत्या में प्रयुक्त लोहे की रौड भी बरामद करा दी, जो उस ने घर के अंदर छिपा दी थी.

पूछताछ में अशोक ने बताया कि प्रियंका बदचलन थी, अपनी गलती मानने के बजाय वह उस पर हावी हो जाती थी. इसलिए उस ने गुस्से में उस की हत्या कर दी. उसे इस गुनाह की सजा का खौफ नहीं है.
11 जुलाई, 2020 को थानाप्रभारी ने अभियुक्त अशोक विश्वकर्मा को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

सौजन्य: सत्यकथा, अक्टूबर 2020

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