राजस्थान की राजधानी जयपुर के रहनसहन में चकाचौंध और आधुनिकता घुली आबोहवा से अलग करीब 65 किलोमीटर दूर ऐतिहासिक पहचान रखने वाला शहर शाहपुर है. वहीं मनोहरपुर इलाके के एकलव्य एकेडमी क्लासेज फौर लाइब्रेरी सेंटर में ग्रामीण परिवेश की शोभा चौधरी (23) पढ़ाई कर रही थी. वह चिमनपुरा के बाबा भगवानदास पीजी कालेज में जियोग्राफी की स्टूडेंट भी थी.  वह एमए फाइनल की पढ़ाई के साथसाथ सीईटी की तैयारी भी कर रही थी. इस कारण ही उस ने कोचिंग सेंटर में अक्तूबर 2022 में दखिला लिया था.

दोस्ती की पड़ी बुनियाद

नए साल का पहला दिन था. कोचिंग क्लास खत्म होने पर शोभा जल्दीजल्दी अपनी किताबेंकौपियां बैग में समेट रही थी. इसी जल्दबाजी में उस की एक नोटबुक बेंच के नीचे जा गिरी थी. उस में रखे कुछ खुले पन्ने वहीं आसपास बिखर गए थे. उन्हें समेटने के लिए शोभा नीचे झुकने वाली ही थी कि तभी एक युवक बिखरे पन्ने समेटने लगा. कुछ सेकेंड बाद वह नोटबुक और पन्ने शोभा को देता हुआ बोला, ‘‘हाय! आई एम सुनील बागड़ी. तुम भी बागड़ी मैं भी बागड़ी. अच्छा है न.’’

शोभा मुसकराई, कुछ पल रुक कर बोली, ‘‘तुम्हें कैसे पता मैं…’’

वह तुरंत बीच में ही वह बोल पड़ा, ‘‘अब यह मत पूछो कैसे पता…क्यों पता? तुम्हारे बारे में मुझे बहुत कुछ पता है. तुम्हारा नाम शोभा बागड़ी है, तुम्हारा गठवाड़ में ननिहाल है. कहो तो कुछ और बताऊं?’’

शोभा एक बार फिर मुसकराई और युवक से नोटबुक ले कर बैग में रख ली. बैग पीठ पर टांगती हुई बोली, ‘‘थैंक्स.’’

“सिर्फ थैंक्स? मैं तुम से जानपहचान बनाना चाहता हूं. मेरा घर भी गठवाड़ में है.’’ युवक बोला.

उस की बात सुन कर शोभा ठिठक गई. बोली, ‘‘तो तुम मेरे रिश्तेदार हो?’’

“रिश्तेदार? अभी तक तो नहीं. लेकिन बनना चाहता हूं.’’ युवक बोला.

इस पर शोभा चौंक पड़ी, ‘‘रिश्तेदार बनना चाहते हो, क्या मतलब है इस का? मैं कुछ समझी नहीं?’’ शोभा अब थोड़े ठहराव के साथ बोली.

“इस बारे में कहीं बैठ कर बात करते हैं न,’’ लडक़ा बोला.

“नहीं, मुझे जल्दी है…’’ कहती हुई शोभा तेज कदमों से कोचिंग से बाहर निकल गई.

पीछेपीछे युवक भी चलता हुआ बोला, ‘‘अभी कम से कम दोस्ती का हाथ तो मिला लो.’’

“ठीक है,’’ शोभा बोली और युवक के बढ़े हाथ से अपना हाथ मिला लिया.

इस तरह शोभा और सुनील बागड़ी के बीच पहली जानपहचान और दोस्ती की बुनियाद पड़ गई. कोचिंग में दोनों के अलगअलग क्लासेज थे. शोभा अपनी पढ़ाई पूरी करने में लगी हुई थी, वह नोट्स, किताबें और आगामी परीक्षाओं की दुनिया में खोई रहती थी. जबकि सुनील के दिलोदिमाग में कुछ और ही चलता रहता था. वह खोयाखोया रहता था. शोभा से मिलने के लिए अकसर वही पहल करता था.

असल में सुनील बागड़ी, जिस का असली नाम सुरेंद्र मीणा है, ने शोभा को एक विवाह समारोह में 6 साल पहले 2017 में देखा था. तब वह अपनी ननिहाल गठवाड़ी में मामा राजेंद्र चौधरी के यहां शादी में गई हुई थी. सुरेंद्र मीणा उर्फ सुनील बागड़ी शोभा के मामा के घर के पास में ही रहता था. वह शोभा को दूर से देखते ही उस पर मर मिटा था.

एकतरफा प्रेम करता था सुरेंद्र मीणा

यह कहें कि सुरेंद्र मीणा ने जब से उसे देखा था, तभी से वह उस पर फिदा हो गया था. उस की अदाओं पर मर मिटा था. उस से एकतरफा प्रेम करने लगा था. जबकि शोभा से आमनासामना नहीं हुआ था, बातचीत तो दूर की बात थी. उस के दिमाग में शोभा की सुंदरता बैठ गई थी और उस का ध्यान आते ही उस के दिल की धडक़नें बढ़ जाती थीं. शादी के बाद वह अपने घर अरनिया गांव लौट गई थी, जबकि धीरेधीरे कर सुरेंद्र ने उस के बारे में बहुत सारी जानकारी मालूम कर ली थी. जैसे वह कौन है, कहां की रहने वाली है, क्या करती है, आदिआदि.

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इसी सिलसिले में उसे मालूम हुआ कि वह कालूराम बागड़ी की बेटी शोभा बागड़ी है, जो शाहपुर में रह कर पढ़ाई कर रही है. एकतरफा प्यार में दीवाना बना सुरेंद्र उसे सालों से तलाश रहा था. प्यार को पाने के लिए उस ने भी उसी कोचिंग सेंटर में दखिला ले लिया था. शोभा का सजातीय बनने के लिए सनकी प्रेमी ने अपने नाम के साथ उस की जाति का टाइटल बागड़ी भी लगा लिया था.

मौका देख कर सुनील शोभा से दोस्ती कर उस के दिल में अपनी जगह बनाने की कोशिश में लग गया था. उसे प्यार की मंजिल तक पहुंचने का भरोसा था. इसी विचार के साथ शोभा से नजदीकियां बढ़ाने लगा, जबकि शोभा अपनी पढ़ाई में व्यस्त रहती थी. उसे 2 तरह की पढ़ाई करनी पड़ रही थी. कालेज की पढ़ाई के अलावा कोचिंग में पढऩे जाना होता था, जिस से वह हमेशा जल्दबाजी में रहती थी. सुरेंद्र के साथ बहुत ज्यादा समय नहीं गुजार पाती थी.

शोभा आज के जमाने की लडक़ी थी, लेकिन उस के लिए करिअर सब से महत्तवपूर्ण था. वह सुरेंद्र की दोस्त बन गई थी, लेकिन उस की दोस्ती हालसमाचार के आदानप्रदान तक ही सीमित थी. जबकि सुरेंद्र उसे अपना जीवनसाथी बनाने के सपने देखने लगा था. कोचिंग सेंटर में शोभा से अधिक बात नहीं होने पर वह उसे फोन पर बातें करने की कोशिश करता था. लंबी प्यार की बातें करने की शुरुआत करने से पहले ही शोभा कोई न कोई बहाने से फोन कट कर देती थी. जिस से सुनील उस का हालचाल तक ही ले पाता था. किसी तरह वह शोभा को इतना बता पाया कि 6 साल पहले उस ने जब से उसे देखा है, वह उसे रातों को सपने में आती है.

शोभा ने समझाया सुरेंद्र मीणा को

यह सुन कर शोभा ने हंसते हुए अपनी सुंदरता की तारीफ पर सुनील को धन्यवाद दिया, साथ ही यह भी कह दिया कि उस की सुंदरता की सभी तारीफ करते हैं, इस का मतलब यह नहीं कि वह अपने रूपरंग की बातों पर ध्यान देती रहे. उसे फिजूल की बातों से मतलब नहीं है. पहले वह अच्छा करिअर बनाना चाहती है. शोभा की बातें सुन कर सुनील मन मसोस कर रह जाता. उस की स्थिति एक पागल प्रेमी की तरह हो जाती और वह गहरे अवसाद में घिर जाता. वह बारबार शोभा को समझाने की कोशिश करता कि उस ने सिर्फ दोस्ती नहीं की है, बल्कि उस से मोहब्बत की है. बातोंबातों में उस ने कह भी दिया था कि वह उस से प्यार करता है.

एक बार सुनील ने शोभा की एक सहेली के जरिए अपने दिल की बात पहुंचाने की कोशिश की. उस के जरिए कहलवाया कि यदि वह उस के प्यार को नहीं स्वीकारेगी तब वह अपना जीवन खत्म कर लेगा. इस बात का असर शोभा पर हुआ. उस ने तुरंत सुनील को अकेले में बात करने के लिए बुलाया. सुनील खुश हो कर उस से मिलने चला गया.

शोभा ने उस से कहा, ‘‘सुनील, प्यार करना अच्छी बात है, लेकिन यह दोनों तरफ से होना चाहिए. तुम्हें मैं अच्छी लगती हूं, इस का मतलब यह नहीं है कि मेरे दिल में तुम्हारे लिए जगह है. मैं लडक़ी हूं, मेरा भी अपना बहुत कुछ है, मुझे भी अपने दिल की सुननी पड़ती है. समाज और परिवार की मानमर्यादा का खयाल रखना होता है.’’

“तुम ने यही समझाने के लिए मुझे यहां बुलाया है?’’ सुनील बीच में ही बोल पड़ा.

“नहीं समझाने के लिए नहीं, बल्कि बताने के लिए कि मैं शादीशुदा हूं.’’ शोभा सहजता के साथ बोल पड़ी.

“…लेकिन तुम्हारी तो मांग सूनी है, गले में मंगलसूत्र भी नहीं है, शादी की कोई निशानी?’’ सुनील आश्चर्य से बोला.

“तुम सही कह रहे हो, मेरी अभी मंडप पर शादी नहीं हुई है, लेकिन मेरी शादी 12 साल पहले एक शादी समारोह में ही तय हो चुकी है. मैं अपने मातापिता के फैसले को नहीं टाल सकती हूं.’’ शोभा ने अपने बारे में और स्पष्ट किया.

“बेकार की बातें हैं, मैं नहीं मानता इसे. आज के जमाने के अनुसार तो यह बाल विवाह जैसी बात हो गई.’’ सुनील बहस करने लगा.

“तुम जो कुछ समझो या कहो, मेरे लिए यह एक सच्चाई है. मैं ने 12 साल पहले जिसे अपना जीवनसाथी मान लिया है, उसे कैसे ठुकरा दूं?’’ शोभा बोली.

“मैं भी तो 6 साल से तुम से प्यार करता हूं!’’ सुनील बिफरता हुआ बोला.

“यह सिर्फ तुम समझते हो, इस बारे में केवल तुम्हें ही मालूम है. मैं तुम्हें एक दोस्त के अलावा और कुछ नहीं समझती हूं. हम दोनों एक ही जाति के हैं, इसलिए भी थोड़ा लगाव है.’’

शोभा की बात सुन कर सुनील का कोई जवाब नहीं निकला, लेकिन अंदर ही अंदर वह उस से नाराज था. उस वक्त उस की आंखें नम हो गई थीं. उस ने कातर आवाज में सिर्फ इतना कहा, ‘‘शोभा, एक बार ठंडे दिल और दिमाग से मेरे प्यार के बारे में विचार करो.’’

बचपन में हो गई थी शोभा की शादी

शोभा इस का कोई भी जवाब दिए बगैर वहां से चली गई. सुनील के दिमाग में खलल पैदा हो गई. उस ने किसी प्रिय चीज के खो जाने का अपने भीतर गुस्सा भी महसूस किया. उस की आखिरी कही बात ‘सिर्फ दोस्त हूं’ दिमाग पर हथौड़े की तरह पडऩे लगी. फिर भी सुनील ने उम्मीद नहीं छोड़ी. शोभा से बातचीत का सिलसिला पहले की तरह जारी रखा. आखिरी बार शोभा ने दोटूक जवाब दे दिया,‘‘सुनील, तुम मुझे भूल जाओ, मैं अपनी इज्जत नीलाम नहीं करूंगी.’’

यह बात सुनील के दिल में चुभ गई. उस के बाद तो सुनील की स्थिति पागल प्रेमी जैसी हो गई. वह किसी भी कीमत पर शोभा को हासिल करना चाहता था.

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दरअसल, शोभा के पिता ने उस की शादी साल 2011 में जयपुर में चंदवाजी के अरनिया गांव निवासी राजू लील के साथ तभी तय कर दी थी, जब उस की 2 बड़ी बहनों की शादी हो रही थी. राजू प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहा था. उस के चचेरे भाइयों के साथ शोभा की दोनों बहनों की शादी हुई थी. इस कारण शोभा के मम्मीपापा उसी परिवार में शोभा को ब्याहना चाहते थे.

यह जान कर भी सुनील बागड़ी उर्फ सुरेंद्र मीणा शोभा के पीछे लगा हुआ था. मार्च 2023 के तीसरे हफ्ते की बात है. शोभा अपने पिता की खेतीकिसानी के कटाई में हाथ बंटा रही थी. इस कारण वह बीते 10 दिनों से कोचिंग नहीं गई थी. सुनील उसे बारबार फोन कर रहा था. उन दिनों शोभा का फोन घर पर होता था. उसे लगा कि सुनील के लगातार फोन आने से घर वाले उस का गलत अर्थ लगा सकते हैं. इस कारण उस ने सुनील के नंबर को ब्लौक कर दिया था.

नंबर ब्लौक होने पर सुनील नाराज हो गया था. अपनी नाराजगी के साथ उस ने शोभा की सहेली को फोन किया. उस रोज 21 मार्च की तारीख थी. उस ने सहेली को शोभा से बात करवाने की जिद की. शोभा की सहेली ने बताया कि वह 10 दिनों से कोचिंग नहीं आई है और उस की शोभा से इस बीच एक बार भी बात नहीं हुई है.

सुनील को शोभा की सहेली की बातों पर विश्वास नहीं हुआ. वह गुस्से में आ गया. उसे लगा कि शोभा के बारे में उस की सहेली भी उसे बरगला रही है. सुनील के दिमाग में अजीब तरह की शैतानियत कौंध गई. वह आक्रोशित हो गया. उस की मुट्ïिठयां भिंच गईं. उस ने मन ही मन एक योजना बना ली.

सुरेंद्र ने कर दिया शोभा पर हमला

इधर शोभा ने अपने मामा राजेंद्र चौधरी से बात की. उन से पीजी कालेज साथ चलने के लिए आग्रह किया. उस ने मामा से कहा कि उसे कालेज में प्रैक्टिकल बुक जमा करवानी है और एक एफीडेविट बनवाना है. तय कार्यक्रम के अनुसार मामा उस के गांव आ गए. वह 25 मार्च को साढ़े 10 बजे मामा और एक अन्य युवक विकास के साथ घर से निकली. उस ने रास्ते में मामा से कहा कि उसे पहले अपनी सहेली के यहां कोचिंग के लिए एकलव्य एकेडमी में जाना है. सहेली से प्रैक्टिकल कौपी लेनी है.

शोभा के मामा उस के कहे अनुसार पहले एकेडमी गए, लेकिन वह विकास के साथ बाहर ही रुके. शोभा अकेली एकेडमी में गई. पहली मंजिल पर ही वह सुरेंद्र से टकरा गई. उस ने उसे जरूरी बात करने के लिए तीसरी मंजिल पर चलने को कहा. न चाहते हुए भी सुरेंद्र के कहे पर उस के साथ चली गई, लेकिन कुछ मिनटों में ही सीढिय़ों पर शोभा के चीखने की आवाज गूंज गई.

तेज आवाज सुन कर कुछ स्टूडेंट दौड़ कर तीसरी मंजिल पर जा पहुंचे. वहां जख्मी शोभा सीढिय़ों पर गिरी हुई थी, जबकि सुरेंद्र पास सटे मकान की छत पर कूद कर भाग गया था. उसे भागते कई छात्रों ने देखा. सभी तुरंत खून से लथपथ शोभा को निम्स अस्पताल ले कर गए, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका. कुछ घंटे में ही उस की मौत हो गई.

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शोभा हत्याकांड की सूचना एकेडमी के संचालक ने पुलिस को दे दी. घटना की सूचना पाते ही मनोहरपुर थाने के एसएचओ मनीष शर्मा एएसआई हरीराम और पुलिस टीम सहित घटनास्थल पर पहुंचे. एकेडमी के संचालक और वहां के स्टूडेंट से उन्होंने छात्रा की हत्या के बारे में पूछताछ की. फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल के साक्ष्य जुटाए. उस के बाद पुलिस टीम निम्स अस्पताल पहुंची, जहां शोभा की मौत हो चुकी थी.

शोभा के शव की तहकीकात इमरजेंसी में इलाज करने डाक्टर से की गई. इसी बीच पुलिस को मालूम हुआ कि शोभा का मर्डर करने वाला युवक भी इसी अस्पताल में जीवन और मौत से जूझ रहा है. उस ने जहर खा लिया है. शोभा के साथ हुई घटना के बारे में सुन कर उस के पापा, भाई और अन्य घर वाले भागेभागे अस्पताल पहुंचे. उन का रोरो कर हाल बेहाल हो गया था.

पुलिस ने कालूराम की रिपोर्ट पर शोभा की हत्या का मामला दर्ज पर कर लिया. इस का आरोपी सुरेंद्र मीणा उर्फ सुनील बागड़ी को बनाया गया. डाक्टरों ने शोभा की लाश का पोस्टमार्टम कर उसी दिन शव उस के घर वालों को सौंप दिया. पोस्टमार्टम में शोभा के शरीर पर चाकू के 6 निशान पाए गए. वे निशान छाती, हाथ और गरदन पर थे. फेफड़े वाली जगह पर 6 इंच का घाव बन गया था. काफी मात्रा में खून बह चुका था. इसी कारण उस की मौत बताई गई.

उसी रात सुरेंद्र मीणा की भी मौत हो गई. उस के बाद पुलिस ने मामले को हत्या और आत्महत्या में बदल कर बंद कर दिया.

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