उस दिन अगस्त, 2020 की 24 तारीख थी. रात के करीब 8 बज रहे थे. हिंदी न्यूज चैनल ‘सहारा समय’ के पत्रकार रतन सिंह कुछ देर पहले ही बलिया मुख्यालय से अपने घर फेफना आए थे.
वह अपने पिता बदन सिंह से किसी घरेलू मामले पर बातचीत कर रहे थे, तभी गांव की प्रधान सीमा सिंह के पति सुशील सिंह का भाई सोनू ंिसंह आ गया. उस ने रतन सिंह को घर के बाहर बुला कर कुछ मिनट बात की. फिर रतन सिंह उस के साथ चले गए. बदन सिंह भी अन्य कामों में व्यस्त हो गए.
रतन सिंह को गए अभी आधा घंटा ही बीता था कि किसी ने जोरजोर से उन का दरवाजा पीटना शुरू कर दिया. बदन सिंह ने दरवाजा खोला तो सामने उन का भतीजा अभिषेक खड़ा था. वह बेहद घबराया हुआ था. उस की हालत देख बदन सिंह ने पूछा, ‘‘क्या बात है अभिषेक, इतने घबराए हुए क्यों हो?’’
‘‘चाचा…चाचा, जल्दी चलो प्रधान के घर. रतन भैया को गोलियों से छलनी कर दिया है. 8-10 लोगों ने भैया को पीटा, फिर मौत के घाट उतार दिया.’’
अभिषेक की बात सुन कर बदन सिंह सन्न रह गए. वह भाईभतीजों व पड़ोस के लोगों के साथ ग्रामप्रधान सीमा सिंह के आवास पर पहुंचे. प्रधान का घर थाना फेफना से मात्र 50 कदम दूर था. घर के बाहर ही खून से लथपथ रतन सिंह का शव पड़ा था और हमलावर फरार थे. बेटे का शव देख कर बदन सिंह फूटफूट कर रो पड़े. इस के बाद तो उन के घर पर कोहराम मच गया.
घटनास्थल के पास ही थाना था, इस के बावजूद पुलिस वहां नहीं आई थी. बदन सिंह को पता चला कि झगड़े के समय प्रभारी निरीक्षक शशिमौली पांडेय आए थे, पर वह बिना किसी हस्तक्षेप के वापस चले गए थे. बदन सिंह समझ गए कि बेटे की हत्या में इंपेक्टर की मिलीभगत है. फिर भी उन्होंने पहले थाना फेफना फिर डायल 112 पर बेटे की हत्या की सूचना दी.
चूंकि रतन सिंह एक टीवी चैनल के पत्रकार थे. इसलिए उन की हत्या से फेफना कस्बे से ले कर बलिया तक सनसनी फैल गई और लोग घटनास्थल की ओर दौड़ पड़े. देखते ही देखते घटनास्थल पर भीड़ जुट गई. प्रिंट और इलैक्ट्रौनिक मीडिया के लोग भी वहां आ गए.
चूंकि अपराधियों ने युवा पत्रकार की हत्या कर कानूनव्यवस्था को खुली चुनौती दी थी, इसलिए बलिया पुलिस में हड़कंप मच गया था. हत्या की सूचना पा कर एसपी देवेंद्र नाथ दुबे, एएसपी संजीव कुमार यादव तथा सीओ चंद्रकेश सिंह भी घटनास्थल आ गए थे.
फेफना थानाप्रभारी इंसपेक्टर शशिमौली पांडेय वहां पहले से मौजूद थे. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया था. हत्या को ले कर जनता में रोष था. इसलिए सुरक्षा के नजरिए से अतिरिक्त फोर्स को भी बुलवा लिया गया. एसपी देवेंद्र नाथ दुबे ने सहयोगियों के साथ घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. रतन सिंह के सिर, सीने व पेट में गोलियां लगी थीं, जिस से उन की मौके पर ही मौत हो गई थी.
शरीर के अन्य हिस्सों पर भी चोटों के निशान थे, जिस से स्पष्ट था कि हत्या से पहले उन के साथ मारपीट की गई थी. फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर मौके से साक्ष्य जुटाए.
बदन सिंह ने पुलिस को बताया कि रात 8 बजे प्रधान सीमा सिंह के पति सुशील सिंह का भाई सोनू सिंह घर आया था. वह रतन को किसी बहाने सुशील सिंह के घर ले गया. वहां 8-10 लोग मौजूद थे. उन लोगों ने पहले रतन सिंह को लाठीडंडों से पीटा, फिर गोलियां दाग कर मौत की नींद सुला दिया.
7 महीने पहले भी इन लोगों ने रतन सिंह से झगड़ा किया था. रतन ने उन के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी. तब इन लोगों ने मामले को रफादफा करने का दबाव डाला था. समझौता न करने पर जान से मारने की घमकी दी थी. हत्या में शामिल पट्टीदार अरविंद सिंह से जमीनी विवाद भी चल रहा था.
बदन सिंह ने आरोप लगाया कि थानाप्रभारी शशिमौली पांडेय भी अपराधियों से मिले हैं. इसलिए उन के विरुद्ध भी काररवाई की जाए.
इधर पुलिस अधिकारियों ने तमाम लोगों से पूछताछ की, जिस से पता चला कि पत्रकार रतन सिंह की हत्या जमीनी विवाद में हुई है.
घटनास्थल का निरीक्षण करने और पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मृतक रतन सिंह का शव पोस्टमार्टम के लिए बलिया जिला अस्पताल भिजवा दिया. फिर उन्होंने फेफना थानाप्रभारी शशिमौली पांडेय को आदेश दिया कि वह थाने में मृतक के घरवालों की तहरीर पर यथाशीघ्र मुकदमा दर्ज करें.
आदेश पाते ही थानाप्रभारी शशिमौली पांडेय ने मृतक के पिता बदन सिंह की तहरीर पर आईपीसी की धारा 147/148/149/302 के तहत सोनू सिंह, अरविंद सिंह, दिनेश सिंह, तेज बहादुर सिंह, वीर बहादुर सिंह, प्रशांत सिंह उर्फ हीरा, विनय सिंह उर्फ मोती, सुशील सिंह उर्फ झाबर, अनिल सिंह, उदय सिंह सहित 10 लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया.
रिपोर्टकर्ता बदन सिंह ने फेफना थानाप्रभारी शशिमौली पांडेय पर कई गंभीर आरोप लगाए थे. एसपी देवेंद्र नाथ दुबे ने शशिमौली को सस्पेंड कर के थाने का चार्ज इंसपेक्टर राजीव कुमार मिश्र को सौंप दिया. कार्यभार संभालते ही वह सक्रिय हो गए. उन्होंने अभियुक्तों की टोह में अपने खास खबरियों को लगा दिया.
पुलिस अधिकारियों ने पत्रकार रतन सिंह हत्याकांड को चुनौती के रूप में लिया और खुलासे के लिए एएसपी संजीव कुमार यादव की निगरानी में एक पुलिस टीम का गठन किया.
इस टीम में थानाप्रभारी राजीव कुमार मिश्र, सीओ चंद्रकेश सिंह, एसओजी प्रभारी राजकुमार सिंह, एसआई ओम प्रकाश चौबे, हेडकांस्टेबल श्याम सुंदर यादव, विवेक यादव, सूरज सिंह तथा बलराम तिवारी को शामिल किया गया.
इस गठित पुलिस टीम ने 24 अगस्त की रात में ही ताबड़तोड़ छापेमारी कर 6 नामजद अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया. पकड़े गए अभियुक्तों में सोनू सिंह, अरविंद सिंह, दिनेश सिंह, वीर बहादुर सिंह, सुशील सिंह तथा विनय सिंह थे.
पूछताछ में इन सभी ने हत्या में शामिल होने का जुर्म कुबूल कर लिया. साथ ही यह भी बताया कि विवाद के दौरान रतन सिंह पर फायर प्रशांत सिंह उर्फ हीरा ने किया था. पुलिस ने पूछताछ के बाद सभी को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया और बलिया कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.
25 अगस्त, 2020 को जब प्रमुख समाचार पत्रों में रतन सिंह हत्याकांड का मामला सुर्खियों में छपा तो बलिया से ले कर लखनऊ तक सनसनी फैल गई.एक ओर पत्रकार संगठन सक्रिय हुए तो दूसरी ओर राजनीतिक पार्टियां हमलावर हुईं. फेफना कस्बा तथा उस के आसपास के गांव वाले भी रोष में आ कर धरनाप्रदर्शन में जुट गए.
उधर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में यह मामला आया तो उन्होंने फेफना विधायक तथा खेल राज्यमंत्री उपेंद्र तिवारी से सारी जानकारी हासिल की फिर ट्वीट कर रतन सिंह की हत्या पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की. साथ ही पीडि़त परिवार को 10 लाख रुपए की आर्थिक मदद की घोषणा की.
इस के बाद खेल राज्यमंत्री उपेंद्र तिवारी मृतक पत्रकार के परिवार से मिलने फेफना पहुंचे. वहां मृतक की पत्नी प्रियंका के आंसुओं के सैलाब को देख कर वह भावुक हो गए. उन्होंने प्रियंका सिंह को धैर्य बंधाया और 10 लाख रुपए मुख्यमंत्री की तरफ से तथा 5 लाख रुपए किसान दुर्घटना बीमा का दिलाने का आश्वासन दिया. साथ ही एक लाख रुपए स्वयं अपनी तरफ से दिए.
लेकिन प्रियंका और उस के परिवार ने इस रकम को नाकाफी बताया और मंत्री महोदय से सरकार से 50 लाख रुपए तथा सरकारी नौकरी दिलाने की बात कही.इस पर उपेंद्र तिवारी ने प्रियंका सिंह को मुख्यमंत्री से मिलाने को कहा. इधर पुलिस ने फरार चल रहे 4 अभियुक्तों पर 25-25 हजार रुपए का इनाम घोषित कर दिया. पुलिस को अदालत से गैरजमानती वारंट मिल गया था. पुलिस टीम अभियुक्तों की तलाश में छापे तो मार रही थी, पर वह पकड़ में नहीं आ रहे थे.
27 अगस्त, 2020 की रात 11 बजे प्रभारी निरीक्षक राजीव कुमार मिश्रा गश्त पर थे, तभी उन्हें मुखबिर से सूचना मिली कि मुख्य अभियुक्त प्रशांत सिंह उर्फ हीरा एकौनी तिराहे पर है. इस सूचना पर उन्होंने पुलिस टीम को बुला लिया और एकौनी तिराहे पर पहुंच गए.
पुलिस को देख कर वह रसड़ा की ओर भागा. पुलिस ने पीछा किया तो उस ने फायर कर दिया, पर पुलिस ने उसे दबोच लिया. पूछताछ में उस ने अपना नाम प्रशांत सिंह उर्फ हीरा निवासी फेफना बताया.
प्रशांत सिंह ने बताया कि वह रतन सिंह की हत्या में शामिल था. उस ने ही रतन पर फायर किया था. गिरफ्तारी से बचने के लिए वह बनारस भागने की फिराक में था, लेकिन पकड़ा गया. पुलिस ने उस के पास से एक अवैध पिस्टल .32 बोर तथा एक जिंदा व एक मिस कारतूस बरामद किया.
29 अगस्त की सुबह 5 बजे पुलिस टीम ने मुखबिर की सूचना पर शेष बचे 3 अन्य अभियुक्तों को वंधैता गेट से गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार किए गए अभियुक्तों ने अपना नाम तेजबहादुर सिंह, अनिल सिंह व उदय सिंह बताया. उन के पास से पुलिस ने 2 कुल्हाड़ी व एक लाठी बरामद की.
पूछताछ में तीनों ने रतन सिंह की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. पुलिस ने कुल्हाड़ी व लाठी को साक्ष्य के तौर पर सुरक्षित कर लिया. इस तरह पुलिस ने सभी 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.पुलिस जांच में पत्रकार रतन सिंह की हत्या के पीछे की जो कहानी प्रकाश में आई, उस का विवरण इस प्रकार है.
बलिया जिले का एक कस्बा है फेफना. बदन सिंह अपने परिवार के साथ इसी कस्बे में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी आशा सिंह के अलावा 2 बेटे पवन सिंह, रतन सिंह तथा बेटी सरला सिंह थी. बदन सिंह बड़े काश्तकार थे, अत: उन की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. उन का एक पुश्तैनी मकान था, दूसरा मकान उन्होंने फेफना-रसड़ा मार्ग पर बनवाया था. वह नए मकान मेें रहते थे.
बदन सिंह के बड़े बेटे की मौत हो चुकी थी. छोटा बेटा रतन सिंह पढ़ालिखा स्मार्ट युवक था. रतन सिंह की पत्नी का नाम प्रियंका सिंह था. वह 2 बच्चों की मां थी, बेटा युवराज (10 वर्ष) तथा बेटी परी (4 वर्ष). प्रियंका सिंह खुशमिजाज घरेलू महिला थी.
रतन सिंह बलिया मुख्यालय पर हिंदी टीवी चैनल सहारा समय में कार्यरत थे. वह सुबह 9 बजे घर से निकलते थे और रात 8 बजे तक घर वापस आ पाते थे.
रतन सिंह के पुश्तैनी मकान के पास कुछ जमीन थी. इस जमीन पर उन का पट्टीदार अरविंद सिंह कब्जा करना चाहता था. वह उस जमीन पर घासफूस, भूसा आदि रख देता था. ग्रामप्रधान सीमा सिंह का पति सुशील सिंह तथा देवर सोनू सिंह अरविंद सिंह का साथ देते थे.
सोनू सिंह की दोस्ती प्रशांत सिंह उर्फ हीरा से थी, जो दिनेश सिंह का बेटा था. हीरा अपराधी प्रवृत्ति का था और अवैध शराब का कारोबार करता था. रतन सिंह शराब माफिया के संबंध में खबरें प्रसारित करते रहते थे सो हीरा, रतन सिंह से खुन्नस रखता था और अरविंद सिंह को उन के खिलाफ उकसाता रहता था.
इसी विवादित जमीन को ले कर 26 दिसंबर, 2019 को अरविंद सिंह और बदन सिंह में झगड़ा, मारपीट और फायरिंग हुई. तब रतन सिंह ने अरविंद सिंह, प्रशांत सिंह उर्फ हीरा तथा दिनेश सिंह सहित 5 लोगों के खिलाफ भादंवि की धारा 147/148/149/504/506/307 के तहत रिपोर्ट दर्ज करा दी.
इस घटना के बाद दोनों पक्षों में खुन्नस और बढ़ गई. चूंकि दबंग प्रशांत सिंह उर्फ हीरा को इस मामले में जेल जाना पड़ा था, सो वह मन ही मन रतन सिंह को मिटा कर उस के बाप बदन सिंह का घमंड चूर कर देना चाहता था. वह धीरेधीरे अरविंद सिंह व अन्य लोगों को रतन सिंह के खिलाफ भड़काने लगा था.
आखिर सब ने मिल कर रतन सिंह के खिलाफ एक योजना बना ली.24 अगस्त, 2020 की रात 8 बजे प्रशांत सिंह उर्फ हीरा ने अपने पिता दिनेश सिंह, चाचा अरविंद सिंह, प्रधान के पति सुशील सिंह, उस के छोटे भाई सोनू सिंह तथा अन्य साथी उदय सिंह, अनिल सिंह, तेजबहादुर सिंह, वीर बहादुर सिंह तथा विनय सिंह को प्रधान के घर बुलाया.
इस के बाद सब ने एक बार फिर मंत्रणा की. फिर पुराने मामले में समझौते के बहाने रतन सिंह को सोनू सिंह की मार्फत बुलवा लिया. रतन सिंह के आने पर समझौते को ले कर बातचीत शुरू हो गई.
पर बात बनने के बजाय बढ़ गई. इस पर सब मिल कर रतन सिंह को पीटने लगे. किसी ने लाठी से तो किसी ने कुल्हाड़ी से प्रहार किया.रतन सिंह चीखने लगे और थाना फेफना को फोन करने लगे. इस पर हीरा ने उन का फोन छीन लिया और बोला, ‘‘पत्रकार, आज तू चक्रव्यूह में फंस गया है. अब निकल नहीं पाएगा.’’
यह कहते हुए हीरा ने रतन सिंह पर 3 फायर झोंक दिए. रतन सिंह जमीन पर गिर गए और वहीं दम तोड़ दिया. हत्या करने के बाद सभी आरोपी फरार हो गए. फायरिंग की आवाज सुन कर कुछ लोग प्रधान के घर के बाहर पहुंचे. वहां रतन सिंह का शव देख कर सभी चकित रह गए. उन लोगों में अभिषेक भी था, जो बदन सिंह का भतीजा था. उस ने भाग कर यह खबर चाचा को दी.
29 अगस्त, 2020 को थाना फेफना पुलिस ने अभियुक्त प्रशांत सिंह उर्फ हीरा, उदय सिंह, अनिल सिंह तथा तेजबहादुर सिंह को बलिया की जिला अदालत में पेश किया, जहां से चारों को जिला जेल भेज दिया गया.
सौजन्य: सत्यकथा, अक्टूबर 2020