निश्चित जगह पर पहुंच कर अखिलेश उर्फ चंचल को प्रियंका दिखाई नहीं दी तो वह बेचैन हो उठा. उस बेचैनी में वह इधरउधर टहलने लगा. काफी देर हो गई और प्रियंका नहीं आई तो वह निराश होने लगा. वह घर जाने के बारे में सोच रहा था कि प्रियंका उसे आती दिखाई दे गई. उसे देख कर उस का चेहरा खुशी से खिल उठा. प्रियंका के पास आते ही वह नाराजगी से बोला, ‘‘इतनी देर क्यों कर दी प्रियंका. मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं. अच्छा हुआ तुम आ गईं, वरना मैं तो निराश हो कर घर जाने वाला था.
‘‘जब प्यार किया है तो इंतजार करना ही पड़ेगा. मैं तुम्हारी तरह नहीं हूं कि जब मन हुआ, आ गई. लड़कियों को घर से बाहर निकलने के लिए 50 बहाने बनाने पड़ते हैं.’’ प्रियंका ने तुनक कर कहा.
‘‘कोई बात नहीं, तुम्हारे लिए तो मैं कईकई दिनों तक इंतजार करते हुए बैठा रह सकता हूं. क्योंकि मैं दिल के हाथों मजबूर हूं,’’ अखिलेश ने कहा, ‘‘प्रियंका, मैं चाहता हूं कि तुम आज कालेज की छुट्टी करो. चलो, हम सिनेमा देखने चलते हैं.’’
प्रियंका तैयार हो गई तो अखिलेश पहले उसे एक रेस्टोरेंट में ले गया. नाश्ता करने के बाद दोनों सिनेमा देखने चले गए.
सिनेमा देखते हुए अखिलेश छेड़छाड़ करने लगा तो प्रियंका ने कहा, ‘‘दिनोंदिन तुम्हारी शरारतें बढ़ती ही जा रही हैं. शादी हो जाने दो, तब देखती हूं तुम कितनी शरारत करते हो.’’
‘‘शादी नहीं हुई, तब तो इस तरह धमका रही हो. शादी के बाद न जाने क्या करोगी. अब तो मैं तुम से शादी नहीं कर सकता.’’ अखिलेश ने कान पकड़ते हुए कहा.
‘‘अब मुझ से पीछा छुड़ाना आसान नहीं है. शादी तो मैं तुम्हीं से करूंगी.’’ प्रियंका ने कहा.
‘‘फिर तो मुझे यही गाना पड़ेगा कि ‘शादी कर के फंस गया यार.’’’ अखिलेश ने कहा तो प्रियंका हंसने लगी.
प्रियंका उत्तर प्रदेश के जिला शाहजहांपुर के थाना सदर बाजार के मोहल्ला बाड़ूजई प्रथम के रहने वाले चंद्रप्रकाश सक्सेना की बेटी थी. वह ओसीएफ में दरजी थे. उन के परिवार में प्रियंका के अलावा पत्नी सुखदेवी, 2 बेटे संतोष, विपिन तथा एक अन्य बेटी कीर्ति थी. बड़े बेटे संतेष की शादी हो चुकी थी. वह अपनी पत्नी प्रीति के साथ दिल्ली में रहता था.
कीर्ति की भी शादी शाहजहांपुर के ही मोहल्ला तारोवाला बाग के रहने वाले राजीव से हुई थी. वह अपनी ससुराल में आराम से रह रही थी. गै्रजएुशन कर के विपिन ने मोबाइल एसेसरीज की दुकान खोल ली थी. जबकि प्रियंका अभी पढ़ रही थी. प्रियंका घर में सब से छोटी थी, इसलिए पूरे घर की लाडली थी. विपिन तो उसे जान से चाहता था.
प्रियंका बहुत सुंदर तो नहीं थी, लेकिन इतना खराब भी नहीं थी कि कोई उसे देख कर मुंह मोड़ ले. फिर जवानी में तो वैसे भी हर लड़की सुंदर लगने लगती है. इसलिए जवान होने पर साधारण रूपरंग वाली प्रियंका को भी आतेजाते उस के हमउम्र लड़के चाहत भरी नजरों से ताकने लगे थे. उन्हीं में एक था उसी के भाई के साथ मोबाइल एसेसरीज का धंधा करने वाला अखिलेश यादव उर्फ चंचल.
अखिलेश उर्फ चंचल शाहजहांपुर के ही मोहल्ला लालातेली बजरिया के रहने वाले भगवानदीन यादव का बेटा था. भगवानदीन के परिवार में पत्नी सुशीला देवी के अतिरिक्त 3 बेटे मुनीश्वर उर्फ रवि, अखिलेश उर्फ चंचल, नीलू और 2 बेटियां नीलम और कल्पना थीं. अखिलेश उस का दूसरे नंबर का बेटा था. भगवानदीन यादव कभी जिले का काफी चर्चित बदमाश था. उस की और उस के साथी रामकुमार की शहर में तूती बोलती थी.
रामकुमार की हत्या कर दी गई तो अकेला पड़ जाने की वजह से भगवानदीन ने बदमाशी से तौबा कर लिया और अपने परिवार के साथ शांति से रहने लगा. लेकिन सन 2002 में उस के सब से छोटे बेटे नीलू की बीमारी से मौत हुई तो वह इस सदमे को बरदाश्त नहीं कर सका और कुछ दिनों बाद उस की भी हार्टअटैक से मौत हो गई.
बड़ी बेटी नीलम का विवाह हो चुका था. पिता की मौत के बाद घरपरिवार की जिम्मेदारी बड़े बेटे रवि ने संभाल ली थी. वह ठेकेदारी करने लगा था. हाईस्कूल पास कर के अखिलेश ने भी पढ़ाई छोड़ दी और मोबाइल एसेसरीज का धंधा कर लिया. एक ही व्यवसाय से जुड़े होने की वजह से कभी विपिन और अखिलेश की बाजार में मुलाकात हुई तो दोनों में दोस्ती हो गई थी.
दोस्ती होने के बाद कभी अखिलेश विपिन के घर आया तो उस की बहन प्रियंका को देख कर उस पर उस का दिल आ गया. फिर तो वह प्रियंका को देखने के चक्कर में अकसर उस के घर आने लगा. कहने को वह आता तो था विपिन से मिलने, लेकिन वह तभी उस के घर आता था, जब वह घर में नहीं होता था. ऐसे में भाई का दोस्त होने की वजह से उस की सेवासत्कार प्रियंका को करनी पड़ती थी. उसी बीच वह प्रियंका के नजदीक आने की कोशिश करता.
उस के लगातार आने की वजह से विपिन से उस की दोस्ती गहरी हो ही गई, प्रियंका से भी उस की नजदीकी बढ़ गई. इस के बाद विपिन और अखिलेश ने मिल कर मोबाइल हैंडसेट बनाने वाली एक नामी कंपनी की एजेंसी ले ली तो उन का कारोबार भी बढ़ गया और याराना भी. इस से उन का एकदूसरे के घर आनाजान ही नहीं हो गया, बल्कि अब साथसाथ खानापीना भी होने लगा था.
अब अखिलेश को प्रियंका के साथ समय बिताने का समय ज्यादा से ज्यादा मिलने लगा था. उस ने इस का फायदा उठाया. उसे अपने आकर्षण में ही नहीं बांध लिया, बल्कि उस से शारीरिक संबंध भी बना लिए. वह विपिन की अनुपस्थिति का पूरा फायदा उठाने लगा. विपिन के चले जाने के बाद केवल मां ही घर पर रहती थी. वह घर के कामों में व्यस्त रहती थी. फिर उसे बेटी पर ही नहीं, बेटे के दोस्त पर भी विश्वास था, इसलिए उस ने कभी ध्यान ही नहीं दिया कि वे दोनों क्या कर रहे हैं.
प्रियंका अपने भाई और परिवार को धोखा दे रही थी तो अखिलेश अपने दोस्त के साथ विश्वासघात कर रहा था. वह भी ऐसा दोस्त, जो उस पर आंख मूंद कर विश्वास करता था. उसे भाई से बढ़ कर मानता था. प्रियंका और अखिलेश क्या कर रहे हैं, किसी को कानोकान खबर नहीं थी. जबकि जो कुछ भी हो रहा था, वह सब घर में ही सब की नाक के नीचे हो रहा था.
संतोष की पत्नी प्रीति को बच्चा होने वाला था, इसलिए संतोष ने प्रीति को शाहजहांपुर भेज दिया. डिलीवरी की तारीख नजदीक आ गई तो उसे जिला अस्पताल में भरती करा दिया गया. प्रीति के अस्पताल में भरती होने की वजह से विपिन और उस की मां का ज्यादा समय अस्पताल में बीतता था.
छुट्टी न मिल पाने की वजह से संतोष नहीं आ सका था. उस स्थिति में प्रियंका को घर में अकेली रहना पड़ रहा था. विपिन को अखिलेश पर पूरा विश्वास था, इसलिए प्रियंका और घर की जिम्मेदारी उस ने उस पर सौंप दी थी. अखिलेश और प्रियंका को इस से मानो मुंहमांगी मुराद मिल गई थी. जब तक प्रीति अस्पताल में रही, दोनों दिनरात एकदूसरे की बांहों में डूबे रहे.
26 फरवरी, 2014 को प्रीति को जिला अस्पताल में बेटा पैदा हुआ था. खुशी के इस मौके पर अखिलेश ने 315 बोर के 2 तमंचे और 10 कारतूस ला कर विपिन को दिए थे. भतीजा पैदा होने पर दोनों ने उन तमंचों से एकएक फायर भी किए थे. बाकी 8 कारतूस और दोनों तमंचे अखिलेश ने विपिन से यह कह कर उस के घर रखवा दिए थे कि भतीजे के नामकरण संस्कार पर काम आएंगे. विपिन ने दोनों तमंचे और कारतूस अपने कमरे में बैड पर गद्दे के नीचे छिपा कर रख दिए थे.
विपिन पुलिस में भरती होना चाहता था, इसलिए रोजाना सुबह 5 बजे उठ कर जिम जाता था. वहां से वह 9 बजे के आसपास लौटता था. कभीकभी उसे देर भी हो जाती थी. 23 मार्च को विपिन 9 बजे के आसपास घर लौटा तो मां नीचे बरामदे में बैठी आराम कर रही थीं. भाभी प्रीति बच्चे के साथ सामने वाले कमरे में लेटी थी. उस ने कपड़े बदले और ऊपरी मंजिल पर बने अपने कमरे में सोने के लिए चला गया.
विपिन ने दरवाजे को धक्का दिया तो पता चला वह अंदर से बंद है. इस का मतलब अंदर कोई था. उस ने आवाज दी, लेकिन अंदर कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई. उस ने पूरी ताकत से दरवाजे पर लात मारी तो अंदर लगी सिटकनी उखड़ गई और दरवाजा खुल गया. अंदर अखिलेश और प्रियंका खड़े थे. दोनों की हालत देख कर विपिन को समझते देर नहीं लगी कि अंदर क्या कर रहे थे. उन के कपड़े अस्तव्यस्त थे और वे काफी घबराए हुए थे.
विपिन के कमरे में घुसते ही प्रियंका निकल कर नीचे की ओर भागी. विपिन का खून खौल उठा था. उस ने गुस्से में अखिलेश को एक जोरदार थप्पड़ जड़ते हुए कहा, ‘‘तुझे मैं दोस्त नहीं, भाई मानता था. मैं तुझ पर कितना विश्वास करता था और तूने क्या किया? जिस थाली में खाया, उसी में छेद किया.’’
‘‘भाई, मैं प्रियंका से सच्चा प्यार करता हूं और उसी से शादी करूंगा.’’ अखिलेश ने कहा, ‘‘वह मुझ से शादी को तैयार है.’’
‘‘तुम दोनों को पता था कि हमारी जाति एक नहीं है तो यह कैसे सोच लिया कि तुम्हारी शादी हो जाएगी?’’ विपिन गुस्से से बोला, ‘‘तुम ने जो किया, ठीक नहीं किया. मेरी इज्जत पर तुम ने जो हाथ डाला है, उस की सजा तो तुम्हें भोगनी ही होगी.’’
अखिलेश को लगा कि उसे जान का खतरा है तो उस ने जेब से 315 बोर का तमंचा निकाल लिया. वह गोली चलाता, उस के पहले ही विपिन ने उस के हाथ पर इतने जोर से झटका मारा कि तमंचा छूट कर जमीन पर गिर गया. अखिलेश ने तमंचा उठाना चाहा, लेकिन विपिन ने फर्श पर पड़े तमंचे को अपने पैर से दबा लिया.
अखिलेश कुछ कर पाता, विपिन ने बैड पर गद्दे के नीचे रखे दोनों तमंचे और आठों कारतूस निकाल कर उस में से एक तमंचा जेब में डाल लिया और दूसरे में गोली भर कर अखिलेश पर चला दिया. गोली अखिलेश के सीने में लगी. वह जमीन पर गिर गया तो विपिन ने एक गोली उस के बाएं हाथ और एक पेट में मारी. 3 गोलियां लगने से अखिलेश की तुरंत मौत हो गई.
अखिलेश का खेल खत्म कर विपिन नीचे आ गया. प्रियंका बरामदे में दुबकी खड़ी थी. उस के पास जा कर उस ने पूछा, ‘‘मैं ने सही किया या गलत?’’
प्रियंका ने जैसे ही कहा, ‘‘गलत किया.’’ विपिन ने उस की कनपटी पर तमंचे की नाल रख कर ट्रिगर दबा दिया. प्रियंका कटे पेड़ की तरह फर्श पर गिर पड़ी. इस के बाद उस ने एक गोली और चलाई, जो प्रियंका के सीने में बाईं ओर लगी. प्रियंका की भी मौत हो गई. प्रियंका को खून से लथपथ देख कर उस की मां और भाभी बेहोश हो गईं.
अखिलेश और प्रियंका की हत्या कर विपिन घर से बाहर निकला तो सामने पड़ोसी सचिन पड़ गया. सचिन से उस की पुरानी खुन्नस थी. उस ने उस की ओर तमंचा तान दिया. विपिन का इरादा भांप कर सचिन अपने घर के अंदर भागा. विपिन भी पीछेपीछे उस के घर में घुस गया. सचिन कहीं छिपता, विपिन ने उस पर भी गोली चला दी. गोली उस की कमर में लगी, जिस से वह भी फर्श पर गिर पड़ा.
सचिन के घर से निकल कर विपिन अपने एक अन्य दुश्मन सतीश के घर में घुस कर 2 गोलियां चलाईं. लेकिन ये गोलियां किसी को लगी नहीं. अब तक शोर और गोलियों के चलने की आवाज सुन कर आसपड़ोस वाले इकट्ठा हो गए थे. लेकिन विपिन के हाथ में तमंचा देख कर कोई उसे पकड़ने की हिम्मत नहीं कर सका. इसलिए विपिन एआरटीओ वाली गली में घुस कर आराम से फरार हो गया.
किसी ने कोतवाली सदर बाजार पुलिस को इस घटना की सूचना दे दी थी. चंद मिनटों में ही कोतवाली इंसपेक्टर यतेंद्र भारद्वाज पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए थे. इस के बाद उन की सूचना पर पुलिस अधीक्षक राकेशचंद्र साहू, अपर पुलिस अधीक्षक (नगर) ए.पी. सिंह, फोरेंसिक टीम और डाग स्क्वायड की टीम भी वहां आ गई थी.
पुलिस तो आ गई, लेकिन अपनी नौकरी पर गए चंद्रप्रकाश को किसी ने इस बात की सूचना नहीं दी. काफी देर बाद सूचना पा कर वह घर आए तो बेटी की लाश देख कर बेहोश हो गए. एक ओर बेटी की लाश पड़ी थी तो दूसरी ओर उस की और उस के प्रेमी की हत्या के आरोप में बेटा फरार था.
सचिन की हालत गंभीर थी. इसलिए पुलिस ने उसे तुरंत सरकारी अस्पताल भिजवाया. उस की हालत को देखते हुए सरकारी अस्पताल के डाक्टरों ने उसे कनौजिया ट्रामा सेंटर ले जाने को कहा. लेकिन वहां भी उस की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ. तब उसे वसीम अस्पताल ले जाया गया. डा. वसीम ने उस का औपरेशन कर के फेफड़े के पार झिल्ली में फंसी गोली निकाली. इस के बाद उस की हालत में कुछ सुधार हुआ.
फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल से साक्ष्य उठा लिए. डाग स्क्वायड टीम ने खोजी कुतिया लूसी को छोड़ा. वह विपिन के घर से निकल कर सतीश के घर तक गई, जहां विपिन ने 2 गोलियां चलाई थीं. घटनास्थल के निरीक्षण के बाद पुलिस अधिकारियों को समझते देर नहीं लगी कि मामला अवैध संबंधों में हत्या का यानी औनर किलिंग का है.
पुलिस ने घटनास्थल की सारी काररवाई निपटा कर दोनों लाशों को पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद थाने आ कर इंसपेक्टर यतेंद्र भारद्वाज ने अखिलेश के बड़े भाई मुनीश्वर यादव की ओर से विपिन सक्सेना के खिलाफ अखिलेश और प्रियंका की हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया. इस के बाद विपिन की तलाश शुरू हुई.
26 मार्च की सुबह पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर विपिन को पुवायां रोड पर चिनौर से पहले हाइड्रिल पुलिया के पास से गिरफ्तार कर लिया. उस समय वह अपने चचेरे भइयों सुशील और लल्ला के पास चिनौर जा रहा था. कोतवाली ला कर उस से पूछताछ की गई तो उस ने बिना किसी हीलाहवाली के अपना जुर्म कुबूल कर लिया.
पूछताछ में विपिन ने पुलिस को बताया कि जिस यार को मैं भाई की तरह मानता था, उस ने मेरी इज्जत पर हाथ डाला तो मुझे इतना गुस्सा आया कि मैं ने उस का खून कर दिया. घटना को अंजाम देने के बाद वह एआरटीओ वाली गली के पास से निकल रहे नाले में अखिलेश से छीना तमंचा और अपनी खून से सनी टीशर्ट निकाल कर फेंक दी थी.
खाली बनियान और जींस पहने हुए वह एआरटीओ गली से रोडवेड बसस्टैंड पहुंचा. यहां से उस ने निगोही जाने के लिए सौ रुपए में एक आटो किया. निगोही जाते समय रास्ते में उस ने दूसरा तमंचा फेंक दिया. निगोही से वह प्राइवेट बस से बरेली पहुंचा. बरेली में उस ने नई टीशर्ट खरीद कर पहनी. पूरे दिन वह इधरउधर घूमता रहा. रात को उस ने बरेली रेलवे स्टेशन से दिल्ली जाने के लिए टे्रन पकड़ ली.
दिल्ली में विपिन बड़े भाई संतोष के यहां गया. उसे उस ने पूरी बात बताई. संतोष को पता चल गया कि प्रियंका मर चुकी है, फिर भी वह उस के अंतिम संस्कार में शाहजहांपुर नहीं गया. संतोष को जब पता चला कि पुलिस विपिन की गिरफ्तारी के लिए घर वालों तथा रिश्तेदारों को परेशान कर रही है तो उस ने उसे घर भेज दिया.
26 मार्च को विपिन अपने चचेरे भाइयों के पास चिनौर जा रहा था, तभी पुलिस ने मुखबिरों से मिली सूचना पर गिरफ्तार कर लिया था. उस समय भी उस के पास एक तमंचा था.
पूछताछ में विपिन ने बताया था कि उस के पास कारतूस नहीं बचे थे. अगर कारतूस बचा होता तो वह खुद को भी गोली मार लेता. कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर के पुलिस ने विपिन को सीजेएम की अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.द्य
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित