उत्तर प्रदेश का एक शहर एवं जिला मुख्यालय है फिरोजाबाद. यह शहर कांच की चूडि़यों के लिए प्रसिद्ध है. इसी जिले के थाना बसई मोहम्मदपुर के गांव आलमपुर कनैटा में राजवीर सिंह लोधी अपने परिवार के साथ रहता था. उस की पत्नी की करीब 3 साल पहले मौत हो गई थी.
राजवीर की गांव में आटा चक्की थी. उस के 2 बेटे बलजीत व जितेंद्र के अलावा 2 बेटियां राधा, ललिता उर्फ लता थीं. वह एक बेटे और एक बेटी की शादी कर चुका था. छोटा बेटा जितेंद्र पिता के साथ चक्की के काम में हाथ बंटाता था जबकि ललिता उर्फ लता गांव के ही स्कूल में पढ़ रही थी.
इसी गांव में रामवीर सिंह लोधी भी अपने परिवार के साथ रहता था. वह निजी तौर पर पशुओं का इलाज करने का काम करता था. उस के 4 बेटों में अनिल कुमार सब से छोटा था. वह बीएससी कर चुका था और नौकरी की तलाश में था. अनिल का बड़ा भाई जितेंद्र दिल्ली के एक होटल में नौकरी करता था.
ललिता 11वीं कक्षा में पढ़ती थी. जब वह स्कूल जाती, तो रास्ते में अकसर उसे गांव का युवक अनिल मिल जाता था. वह उसे चाहत भरी नजरों से देखता था. उस की उम्र करीब 20 साल थी. लता ने भी उन्हीं दिनों जवानी की दहलीज पर कदम रखा था. अनिल लता की जाति का ही था. लता को भी अनिल अच्छा लगता था. उस का झुकाव भी अनिल की तरफ होने लगा. दोनों ही एकदूसरे को देख कर मुसकरा देते थे.
दोनों के बीच यह सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा. दोनों एकदूसरे से प्यार का इजहार करने में सकुचा रहे थे, क्योंकि उन का यह पहलापहला प्यार था. आखिर एक दिन अनिल ने हिम्मत कर के लता से पूछ ही लिया, ‘‘लता, तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है?’’
लता को तो जैसे इसी पल का ही इंतजार था. उस ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘मेरी पढ़ाई तो ठीक चल रही है, पर तुम कैसे हो?’’
‘‘मैं अच्छा हूं,’’ अनिल ने जवाब दिया. इस औपचारिक बातचीत के बाद दोनों ने एकदूसरे को अपनेअपने फोन नंबर भी दे दिए थे, जिस से उन के बीच फोन पर भी बातचीत होने लगी. रही बात मिलने की तो लता के स्कूल जातेआते समय अनिल पहुंच जाता था, जिस से वे एकदूसरे से मिल लेते थे.
धीरेधीरे उन का प्यार परवान चढ़ने लगा. कभीकभी लता सहेली के पास जाने की बात कह कर घर से निकल जाती और अनिल से एक निश्चित जगह पर मिल लेती थी. उन के प्रेम संबंध यहां तक पहुंच गए थे कि दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया था.
उस समय अनिल बेरोजगार था. उस ने लता से वादा किया कि शादी के लिए हम तब तक इंतजार करेेंगे, जब तक वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो जाता. नौकरी लगने के बाद वह उसे अपने साथ ले जाएगा. यह बात सुन कर ललिता बहुत खुश हुई.
दोनों एक ही जाति के थे, इसलिए उन्हें पूरा विश्वास था कि दोनों के घर वालों को उन की शादी पर कोई ऐतराज नहीं होगा. पिछले डेढ़ साल से दोनों का प्रेम प्रसंग बिना किसी बाधा के चल रहा था.
मिलने और मोबाइल पर बात करने में दोनों पूरी सावधानी बरतते थे. लेकिन ऐसी बातें ज्यादा दिनों तक छिपी नहीं रहतीं. किसी तरह लता के परिजनों को उन के प्रेम संबंधों की भनक लग गई.
लिहाजा उन्होंने लता को समझाया कि वह अनिल से मिलना बंद कर दे. इस से परिवार की बदनामी ही हो रही है. लता ने उस समय तो उन से वादा कर दिया कि वह घर की मानमर्यादा का ध्यान रखेगी. उस के वादे से घर वाले निश्चिंत हो गए.
2-4 दिनों तक तो लता ने अनिल से बात नहीं की. लेकिन इस के बाद प्रेमी की यादें उसे विचलित करने लगीं. उधर अनिल भी परेशान रहने लगा. दोनों की यह बेचैनी ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रह सकी.
दिल की लगी नहीं छूटी घर वालों की बातों को दरकिनार कर के लता ने अनिल से फोन पर बतियाना शुरू कर दिया. लेकिन अब वह सावधानी बरतने लगी ताकि घर वालों को पता न चले.
लेकिन एक बार लता की मां ने रात में उसे मोबाइल पर बात करते देख लिया. उस ने यह बात पति राजवीर को बताई. उस ने जब लता का मोबाइल चैक किया तो पता चला कि वह अनिल से ही बात कर रही थी.
यह जान कर राजवीर का खून खौल उठा. उस ने लता को बहुत लताड़ा और उस पर पहरा लगा दिया. इतना ही नहीं, राजवीर ने इसकी शिकायत अनिल के पिता रामवीर सिंह से भी कर दी. रामवीर ने भी अनिल को बहुत डांटा.
अब दोनों पर ही पाबंदियां लग गई थीं, जिस से वे बेचैन रहने लगे. लता का फोन भी उस के घर वालों ने अपने पास रख लिया था. लता किसी भी तरह अनिल से बात करना चाहती थी. एक दिन लता को यह मौका मिल गया. घर पर उस की सहेली मिलने आई थी. लता ने उस के मोबाइल फोन से अनिल से बात की और कहा कि यह दूरियां अब उस से सही नहीं जा रही हैं.
तब अनिल ने उसे समझाते हुए कहा, ‘‘लता, कुछ दिनों के लिए मैं भाई के पास दिल्ली जा रहा हूं. जब मामला ठंडा पड़ जाएगा तो मैं गांव आ जाऊंगा.’’
लता को भी अनिल की बात सही लगी और उस ने न चाहते हुए भी दिल पर पत्थर रख कर उसे दिल्ली जाने की इजाजत दे दी. अनिल अपने भाई जितेंद्र के पास दिल्ली पहुंच गया. जितेंद्र ने अनिल की नौकरी एक निजी अस्पताल में लगवा दी.
दिल्ली जा कर अनिल के नौकरी करने की जानकारी लता के पिता राजवीर को हुई तो उस ने राहत की सांस ली. उस ने निर्णय लिया कि मौका अच्छा है, क्यों न लता के हाथ पीले कर दिए जाएं. लिहाजा आननफानन में उस ने लता के लिए लड़का तलाशना शुरू कर दिया गया.
यह तलाश जल्द ही पूरी हो गई. एटा जिले के जलेसर नगर में सुनील नाम का लड़का पसंद कर लिया गया. शादी की बात भी पक्की कर दी गई. दोनों पक्षों ने इसी साल नवंबर महीने में देवउठान के पर्व पर शादी करने की बात तय कर ली.
लता को जब अपनी शादी तय होने की बात पता चली, तो उस की नींद उड़ गई. क्योंकि वह तो अनिल की दुलहन बनने का सपना संजोए बैठी थी. लता ने अपनी शादी का विरोध किया लेकिन घर वालों के आगे उस की एक नहीं चली.
अनिल भी उस समय दिल्ली में था. लता ने उसे फोन कर के अपनी शादी तय होने की बात बता दी. यह बात सुन कर वह भी परेशान हो गया. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसी स्थिति में क्या करे.
जुलाई के पहले सप्ताह में गोदभराई की रस्म संपन्न हो गई. लता गोदभराई के दिन चाह कर भी किसी से कुछ नहीं कह सकी. वह उदास थी. उस का दिल रो रहा था. वह अनिल से मिलने के लिए तड़प रही थी.
15 अगस्त को रक्षाबंधन था. लता को पता था कि रक्षाबंधन पर अनिल गांव जरूर आएगा. उस ने सोचा तभी अनिल से मिल कर अपने मन की बात कहेगी. इतना ही नहीं, लता ने निर्णय ले लिया था कि अनिल के गांव आने पर वह अपने घर वालों की मरजी के खिलाफ अनिल के साथ शादी कर लेगी, चाहे इस के लिए उसे अपना घर छोड़ कर भागना ही क्यों न पड़े.
प्रेमी के लिए तड़प रही थी लता लेकिन लता के अरमानों पर उस समय बिजली गिर गई, जब रक्षाबंधन के दिन भी अनिल गांव नहीं आया, इस से वह बहुत निराश हुई. घर वालों ने लता को उस का मोबाइल फोन लौटा दिया था. लता ने अनिल को फोन किया तो उस ने बताया कि छुट्टी नहीं मिलने की वजह से वह इस बार घर नहीं आ सका. लेकिन अगले महीने गांव जरूर आएगा.
लता को अब तसल्ली नहीं हो रही थी. उस के घर वालों ने शादी की खरीदारी शुरू कर दी थी. उसे अपने ही घर में एकएक दिन काटना बड़ा मुश्किल हो रहा था. सारीसारी रात वह बिस्तर पर करवटें बदलती रहती. उस ने एक दिन रात में ही निर्णय लिया, जिस की भनक उस ने अपने परिजनों को नहीं लगने दी.
16-17 अगस्त, 2019 की रात को जब लता के घर वाले सोए हुए थे, सुबह 4 बजे वह घर से गायब हो गई. परिजन जब सो कर उठे तो ललिता घर में दिखाई नहीं दी. उन्होंने सोचा कि वह मंदिर गई होगी. जब काफी देर तक वह वापस नहीं आई तो उस की तलाश की गई. उस का मोबाइल भी बंद था.
बदनामी के डर से इस की सूचना पुलिस को भी नहीं दी गई. सुबह के समय गांव के कुछ लोगों ने ललिता को बाइक पर किसी युवक के साथ जाते देखा था. यह जानकारी राजवीर सिंह को मिली तो उस ने बदनामी की वजह से यह बात भी पुलिस तक को बताना ठीक नहीं समझा.
राजवीर व उस के परिवार वालों को शक था कि ललिता अनिल के पास दिल्ली चली गई होगी. राजवीर ने रामवीर से दिल्ली में रह रहे उस के बेटे अनिल का मोबाइल नंबर ले कर उस से बात की. अनिल ने बताया कि लता उस के पास नहीं आई है. इस के बाद घर वाले लगातार लता के मोबाइल पर फोन करते रहे, लेकिन उस का फोन बंद मिला. 17 अगस्त की दोपहर में राजवीर ने जब लता को फोन मिलाया तो उस से बात हो गई.
19 अगस्त, 2019 की सुबह थाना मटसेना के आकलपुर गांव की कुछ महिलाएं जंगल की तरफ गईं तो उन्होंने गांव के बाहर बेर की बगिया में एक पेड़ से फंदों पर 2 शव लटके देखे. इन में एक शव युवक का था और दूसरा युवती का.
यह देख कर महिलाएं भाग कर घर आईं और यह बात लोगों को बता दी. इस के बाद तो आकलपुर गांव में कोहराम मच गया. जिस ने सुना, वही बगिया की ओर दौड़ पड़ा.
सूरज की पौ फटतेफटते वहां सैकड़ों की भीड़ जुट गई. गांव के लोगों ने पेड़ पर शव लटके देख पुलिस को सूचना दे दी. सूचना मिलते ही थानप्रभारी मोहम्मद उमर फारुक पुलिस टीम के साथ मौकाएवारदात पर पहुंच गए.
पुलिस ने फोटो खींचने के बाद दोनों शव नीचे उतरवाए. उन की तलाशी ली तो दोनों के पास आधार कार्ड मिले. पुलिस को पता चला कि मृतक युवक आलमपुर कनैटा निवासी रामवीर का 20 वर्षीय बेटा अनिल कुमार था, जबकि मृतका उसी गांव के रहने वाले राजवीर की बेटी ललिता उर्फ लता थी.
थानाप्रभारी ने घटना की जानकारी अपने आला अधिकारियों के साथ ही युवकयुवती के घर वालों को भी दे दी. सूचना मिलते ही दोनों परिवारों में कोहराम मच गया. आकलपुर गांव आलमपुर गांव की सीमा से सटा हुआ था, इसलिए घर वाले रोतेबिलखते वहां पहुंच गए. इसी दौरान सीओ (सदर) बलदेव सिंह खनेड़ा व एसपी (ग्रामीण) राजेश कुमार सिंह भी घटनास्थल पर पहुंच गए. अपने बच्चों की लाशें देख कर दोनों के परिजनों का रोरो कर बुरा हाल था.
पुलिस को दोनों के पास से सुसाइड नोट भी मिले. अनिल का सुसाइड नोट उस की पैंट की जेब से जबकि ललिता ने सुसाइड नोट अपनी कलाई में बंधे कलावे से बांध रखा था. आधार कार्ड, सुसाइड नोट के अलावा दोनों के मोबाइल फोन पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिए. जरूरी काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने दोनों शव पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिए.
पुलिस ने जब केस की जांच शुरू की तो पता चला कि अनिल और ललिता ने गांव लौटने का फैसला कर लिया था और यह बात घर वालों को बता दी थी. ऐसे में दोनों के शव पेड़ से लटके मिलने पर सवाल उठने लगे.
मिलन नहीं तो मौत ही सही इस प्रेमी युगल की प्रेम कहानी की इबारत सुसाइड नोट में लिखी मिली. दोनों ने एक साथ जीनेमरने की कसम खाई और सुसाइड नोट लिखे. ललिता ने अपने सुसाइड नोट में अनिल के अलावा किसी और से शादी न करने की बात लिखी थी. एक पेज के सुसाइड नोट में उस ने लिखा था कि मैं अनिल के पास दिल्ली चली गई थी.
मेरे घर वालों ने मेरी शादी तय कर दी थी, जबकि मैं किसी दूसरे से शादी नहीं कर सकती थी. अनिल मुझ से घर वापस जाने के लिए कह रहा था, लेकिन मैं घर नहीं जाना चाहती थी. मैं अनिल के बिना नहीं रह सकती. इसलिए अपनी मरजी से आत्महत्या कर रही हूं. इस के लिए किसी को परेशान न किया जाए.
वहीं अनिल ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि ललिता मेरे पास दिल्ली आ गई थी. 18 अगस्त को वह उसे गांव छोड़ने आया था, लेकिन लता ने अपने घर जाने से इनकार कर दिया. उस ने लिखा कि मम्मीपापा मुझे माफ कर देना. मैं लता के बिना नहीं रह सकता. मैं अपनी मरजी से आत्महत्या कर रहा हूं.
पुलिस ने अनिल के घर मिले एक रजिस्टर से उस के सुसाइड नोट की राइटिंग का मिलान भी किया.
प्रेम विवाह को ले कर परिवार के लोगों ने दोनों के बीच में दीवारें खड़ी कर दीं तो प्रेमी युगल ने मरने का फैसला ले लिया. प्रेमी जोड़े ने इतना बड़ा कदम उठा लिया कि एक पेड़ पर एक ही दुपट्टे से एक ही फंदे पर लटक कर मौत को गले लगा लिया.
इस प्रेम कहानी का अंत लता के घर वालों की जिद के कारण हुआ. 16 अगस्त को जब लता अचानक गांव से गायब हो गई थी, तब वह सीधे दिल्ली में रह रहे अपने प्रेमी अनिल के पास पहुंची थी. 17 अगस्त को लता के पिता की उस से मोबाइल पर बात भी हुई.
लता ने परिजनों को सारी बात बताई और कहा कि उस ने अनिल के साथ शादी करने का फैसला कर लिया है. घर वालों ने इस रिश्ते को मानने से इनकार कर दिया और उसे ऊंचनीच समझाते हुए घर लौटने को कहा. इस के बाद प्रेमी युगल ने घर वालों से 18 अगस्त को गांव आने की बात कही थी. लेकिन 19 अगस्त को दोनों ने आत्महत्या कर ली.
चूंकि मृतकों के परिजनों ने पुलिस को कानूनी काररवाई करने की कोई तहरीर नहीं दी, इसलिए पुलिस ने कोई मामला दर्ज नहीं किया. इस के अलावा पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी स्पष्ट हो गया कि अनिल और लता ने आत्महत्या की थी. अत: पुलिस ने इस मामले की फाइल बंद कर दी.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित