स्वप्नरोहिदास के लिए महानगर मुंबई एक अच्छा शहर था. खुले विचारों आधुनिकता और ग्लैमर के आवरण में लिपटा शहर. मुंबई आ कर उसे आर्टिफिशियल ज्वैलरी बनाने वाली एक कंपनी में काम मिल गया था. वहां काम करतेकरते वह ज्वैलरी बनाने का अच्छा कारीगर बन गया था.
इस कंपनी की डिजाइन की गई ज्वैलरी फिल्म और सीरियल बनाने वाली प्रोडक्शन कंपनियों के लिए भी सप्लाई की जाती थी. स्वप्न को अच्छी सैलरी मिल रही थी, जिस से वह खुश रहता था.
स्वप्न के मातापिता पश्चिम बंगाल स्थित गांव में रहते थे. स्वप्न हर महीने अपनी सैलरी का कुछ हिस्सा उन्हें भेज देता था. बाकी बचे पैसे वह अपने ऊपर खर्च करता था. वह पैसे खानेपीने और अपनी मौजमस्ती पर खर्च करता था.
स्वप्न दिन भर काम करने के बाद शाम को जब अपने आवास पर आता तो फ्रैश हो कर अमूमन घूमने के लिए निकल जाता था उस की मंजिल ज्यादातर बीयर बार होती थी. देर रात तक बीयर बार में बैठना जैसे उस की दिनचर्या बन चुकी थी. उस का पसंदीदा बार संदेश बीयर बार ऐंड रेस्टोरेंट था. यह बीयर बार उसे इसलिए पसंद था क्योंकि वहां कई महिला वेटर बंगाल की थीं.
एक रात स्वप्न रोहिदास बीयर बार में बैठा बीयर पी रहा था, तभी अचानक उस की निगाह एक खूबसूरत और कमसिन बाला पर गई, जो बंगाली थी और बार में बैठे कस्टमर को मुसकरा कर बीयर सर्व कर रही थी. उस के कपड़े आधुनिक और ग्लैमर से भरपूर थे.
वह स्वप्न की आंखों के रास्ते दिल में उतर गई. जब तक वह बीयर बार में रहा, उस की निगाहें उस बाला का ही पीछा करती रहीं. जब वह बार से लौटा तो घर में उसे चैन नहीं मिला. उस रात चाह कर भी वह सो नहीं सका. रात भर उस की आंखों के सामने वही बार बाला घूमती रही. वह यह भी भूल गया था कि उस की शादी हो चुकी है और वह एक बेटी का पिता है.
अगले दिन वह थोड़ा जल्दी संदेश बीयर बार ऐंड रेस्टोरेंट पहुंच गया और उसी टेबल पर जा कर बैठा, जिसे वह लड़की अटेंड करती थी. स्वप्न के बैठते ही वह लड़की उस के पास आई और अपनी चिरपरिचित मुसकान के साथ उस के सामने मेन्यू कार्ड रख कर और्डर देने का आग्रह किया.
उस की मीठी आवाज सुन कर एक मिनट के लिए स्वप्न को कुछ नहीं सूझा फिर अपने आप को संभाल कर उस ने अपनी मनपसंद व्हिस्की के साथसाथ खाने का भी और्डर दे दिया. खानेपीने के बाद स्वप्न ने उस लड़की को अच्छी टिप दी और घर लौट आया.
घर लौट कर वह बिस्तर पर लेटा तो जरूर, लेकिन नींद उस की आंखों से कोसों दूर थी. नशे की हालत में भी उस बाला का मुसकराता हुआ चेहरा सामने आ जाता था. वह उस की नजरों से एक मिनट के लिए भी ओझल नहीं हो पा रही थी. रात तो रात उसे दिन में भी चैन नहीं आया.
काम के दौरान बारबार उस की छवि उस के सामने आ जाती थी. स्वप्न रोजाना बार में जा कर उसी टेबल पर जा कर बैठता और मौका मिलने पर उस बारबाला से बात करने की कोशिश करता.
उस बाला से परिचय हुआ तो पता चला उस का नाम रोजीना शेख उर्फ रोशनी है और वह उसी प्रांत और जिले की रहने वाली है, जहां का स्वप्न रोहिदास था.
जानकारी के बाद तो उस का दिल बल्लियों उछलने लगा. वह अपने आप को रोक नहीं पाया, उस ने भी रोजीना शेख को अपना परिचय दे दिया. इतना ही नहीं उस ने रोशनी के सामने दोस्ती का प्रस्ताव भी रख दिया.
स्वप्न रोहिदास रोजीना शेख की नजर में अच्छा युवक था. हैंडसम होने के साथ वह अच्छा पैसा भी कमाता था, इसलिए उस के साथ दोस्ती करने में उसे कोई संकोच नहीं हुआ. उस ने मुसकराते हुए स्वप्न का दोस्ती का आमंत्रण स्वीकार कर लिया. रोजीना शेख उर्फ रोशनी ने सोचा भी नहीं था कि अचानक उस की जिंदगी में कोई युवक आएगा और उस के दिलोदिमाग पर छा जाएगा.
उस दिन के बाद रोजीना और स्वप्न अकसर रोज मिलनेजुलने लगे. पहले तो उन का मिलने का ठिकाना संदेश बीयर बार ही था. दोनों रेस्टोरेंट चालू होने के पहले ही पहुंच जाते थे और मौका मिलने पर वहीं बातें हो जाती थीं. जब रोजीना की ड्यूटी खत्म हो जाती तो स्वप्न उसे उस के घर छोड़ कर आता था. जिस दिन रोजीना की छुट्टी होती, उस दिन स्वप्न उस के साथ ही रहता था.
वह उसे रेस्टोरेंट, मौल ले जा कर उस पर खुले हाथों से पैसे खर्च करता था. इस के अलावा उसे महंगे उपहार देता. यह सिलसिला कई महीनों तक चलता रहा.
रोजाना ने देखा एक सपना
रोजीना उसे अपना एक सच्चा दोस्त मानती थी, इसलिए वह दिन प्रतिदिन उस के करीब आती गई. वह स्वप्न के इतना करीब आ गई कि उस के साथ अपनी गृहस्थी बसाने के सपने देखने लगी.
एक दिन अपने दिल की यह बात उस ने स्वप्न को बताई तो उस का अस्तित्व डगमगा गया, क्योंकि वह पहले से ही शादीशुदा था. वह रोजीना के साथ टाइम पास और मौजमस्ती के लिए जाता था. इस के अलावा उस का और कोई मकसद नहीं था. इसलिए वह रोजीना की बात को बड़ी सफाई से टाल गया, जिस से रोजीना के सारे सपने कांच की तरह टूट कर बिखर गए. उसे गहरा झटका तब लगा, जब उसे पता चला कि उस का प्रेमी शादीशुदा ही नहीं, बल्कि एक बच्ची का पिता भी है.
इस के बाद रोजीना ने स्वप्न से दूरियां बनानी शुरू कर दीं. अब वह बार में स्वप्न का उतना ही सहयोग करती थी, जितना वह अपने अन्य ग्राहकों का करती थी. चूंकि स्वप्न ने रोजीना के साथ खूब मौजमस्ती की थी, इसलिए उस ने तय कर लिया कि वह स्वप्न से इस का हरजाना वसूल करेगी. वह स्वप्न रोहिदास को धमकी देने लगी कि वह उस की पत्नी और परिवार वालों को अपने प्रेम और अवैध संबंधों की बात बता देगी.
32 वर्षीय स्वप्न रोहिदास पश्चिम बंगाल के जिला हावड़ा के तालुका शहापुर आमरदाहा गांव के रहने वाले परेश रोहिदास का बेटा था. उन का पूरा परिवार खेती पर निर्भर था. लेकिन महत्त्वाकांक्षी स्वप्न रोहिदास को खेती का काम पसंद नहीं था. वह ज्यादा पढ़ालिखा तो नहीं था लेकिन आकांक्षाएं ऊंची थीं. वह शहर में रह कर नौकरी करना चाहता था. उस के गांव के कई दोस्त मुंबई में रहते थे. उन से बात कर के वह मुंबई आ गया था.
दोस्तों ने उस की मदद की और आर्टिफिशियल ज्वैलरी बनाने वाली एक कंपनी में उस की नौकरी लगवा दी. वहां काम करतेकरते वह ज्वैलरी डिजाइन का काम सीख कर कुशल कारीगर बन गया. उसे वहां से अच्छी तनख्वाह मिलने लगी. रहने के लिए उस ने दहिसर रावलपाडा में किराए का कमरा ले लिया था.
स्वप्न जब ठीकठाक कमाने लगा तो घर वालों ने अपने इलाके की एक लड़की से उस की शादी कर दी. खूबसूरत पत्नी को पा कर स्वप्न खुश था. शादी के महीना भर बाद वह मुंबई चला गया क्योंकि उसे नौकरी भी करनी थी. लेकिन वह महीने 2 महीने में अपने घर आता रहता था. इसी तरह कई साल बीत गए और वह एक बेटी का पिता भी बन गया.
अकेले रहने का फायदा उठाया स्वप्न ने
स्वप्न मुंबई में अकेला रहता था. दिन में तो वह काम पर चला जाता था, लेकिन उस के लिए रात मुश्किल हो जाती थी. वह परिवार, पत्नी और बच्ची से दूर था. रंगीन तबीयत का होने की वजह से उसे अकसर पत्नी की याद सताती थी.
जवान खून था, ऊपर से कमाई भी अच्छी थी उस ने जल्द ही मन बहलाने का रास्ता खोज लिया. काम से छूटने के बाद वह घर आता और फ्रैश हो कर मन बहलाने के लिए बीयर बारों के चक्कर लगाता. जल्द ही वह दिन भी आ गया, जब बीयर बार स्वप्न को मौजमस्ती के लिए अच्छी जगह लगने लगे. वहां जा कर वह 2-4 पैग ले कर खाना खाता और घर आ कर के सो जाता. उसी दौरान उस की दोस्ती रोजीना शेख उर्फ रोशनी से हो गई जो बाद में प्यार में बदल गई.
मुसलिम समुदाय की खूबसूरत रोजीना शेख उर्फ रोशनी भी पश्चिम बंगाल के हुगली जिले की रहने वाली थी. उस के पिता की मृत्यु हो चुकी थी. मां के अलावा उस की एक छोटी बहन थी. पिता की मौत के बाद घर की सारी जिम्मेदारियां उस की मां के कंधो पर आ गई थीं. मां ने मेहनतमजदूरी कर जैसेतैसे दोनों बेटियों को पाला.
बालिग होने के बाद रोजीना अपनी एक सहेली रुबिका के साथ मुंबई आ गई थी. जिस सहेली के साथ वह आई थी, वह मुंबई के दहिसर में रह कर बीयर बारों में काम करती थी.
पहले तो रोजीना शेख को बीयर बार के कामों में रुचि नहीं थी,लेकिन घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए वह बीयर बारों में अपना नाम बदल कर नौकरी करने लगी. इधरउधर कई बारों में काम करने के बाद वह दहिसर के संदेश बीयर बार ऐंड रेस्टोरेंट में आ गई, जहां उस की अच्छी कमाई हो जाती थी. अपनी कमाई का आधा हिस्सा वह अपनी मां के पास भेज देती थी. दहिसर की जनकल्याण सोसायटी में उस ने 7 हजार रुपए महीना किराए पर एक कमरा ले लिया था.
उस दिन रविवार था, स्वप्न रोहिदास की छुट्टी का दिन. उस ने रोजीना को फोन किया लेकिन उस ने काल रिसीव नहीं की. कई बार फोन करने के बाद जब रोजीना ने फोन उठाया तो स्वप्न ने उसे तय जगह पर मिलने के लिए बुलाया, पर वह नहीं आई. इस पर स्वप्न को गुस्सा आ गया.
हार गई रोशनी
शाम को स्वप्न ने दहिसर की एक शराब की दुकान से बीयर की एक बोतल खरीदी और रोजीना शेख उर्फ रोशनी के घर पहुंच गया. उस ने वहीं बैठ कर बीयर पी. फिर उस ने रोजीना से उस के बुलाने पर न आने का कारण पूछा तो रोजीना ने उसे दोटूक जवाब दिया, ‘‘मेरा मूड ठीक नहीं था. गांव से मां का फोन आया था. मुझे पैसों की सख्त जरूरत है. बताओ, क्या तुम मेरी मांग पूरी कर सकते हो?’’
‘‘तुम ने मुझे क्या बैंक समझ रखा है, जब देखो तुम पैसों की मांग करती रहती हो?’’ स्वप्न के दिमाग पर बीयर का सुरूर चढ़ चुका था.
उस की यह बात सुन कर रोजीना ने भी उस की ही भाषा में जवाब दिया, ‘‘तो तुम ने क्या मुझे अपनी बीवी समझ रखा है कि मैं तुम्हारी हर बात मानूं?’’
इन बातों को ले कर बात इतनी बढ़ी कि स्वप्न अपना विवेक खो बैठा और पास रखी तौलिया उठा रोजीना के गले में डाल कर कस दी. थोड़ी देर में दम घुटने से रोजीना की मृत्यु हो गई.
रोजीना उर्फ रोशनी की हत्या के बाद जब उस का गुस्सा शांत हुआ तो उस के हाथपैर फूल गए. हाथ में हथकड़ी और कानून के डर से वह बुरी तरह घबरा गया.
पुलिस से बचने और कानून को गुमराह करने के लिए उस ने घटना का रुख चोरी की तरफ मोड़ने की कोशिश की. उस ने कमरे की अलमारी खोल कर सारा सामान इधरउधर डाल दिया और उस में रखे कीमती गहने, पौने 2 लाख नगदी के अलावा कमरे में रखे 2 मोबाइल फोन अपने पास रख लिए और वहां से भाग कर अपने कमरे पर जा पहुंचा. फिर वहां से वह पश्चिम बंगाल स्थित अपने गांव चला गया.
29 दिसंबर, 2019 को रोजीना ने अपना रूम नहीं खोला तो उस की नौकरानी को दाल में कुछ काला नजर आया. वह 2 बार रोशनी के घर पर आ कर लौट गई थी. तीसरी बार जब वह आई, तब भी रोजीना का फ्लैट बंद पा कर उस ने यह बात पड़ोसियों और फ्लैट मालिक सुनील सखाराम को बताई.
फ्लैट मालिक सुनील सखाराम ने डुप्लीकेट चाबी से जब घर का दरवाजा खोला तो अंदर का दृश्य देख हैरान रह गया. पड़ोसियों के भी होश फाख्ता हो गए. मामला गंभीर था, अत: उन्होंने इस की जानकारी पुलिस कंट्रोल रूम के साथसाथ थाने को भी दे दी.
वह इलाका दहिसर पुलिस थाने के अंतर्गत आता था. थाने की ड्यूटी पर तैनात एसआई सिद्धार्थ दुधमल ने तुरंत मामले की जानकारी इंसपेक्टर मराठे, असिस्टेंट इंसपेक्टर जगदाले को दे दी और घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. घटनास्थल पर पहुंच कर पुलिस ने कमरे का सरसरी निगाहों से निरीक्षण किया.
एसआई सिद्धार्थ ने पूछताछ की प्रक्रिया अभी शुरू ही की थी कि मामले की जानकारी पा कर थानाप्रभारी एम.एम. मुजावर, इंसपेक्टर सुरेश रोकड़े (क्राइम) घटनास्थल पर पहुंच गए. उन के साथसाथ मुंबई के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त दिलीप सावंत, डीसीपी डा. डी.एस. स्वामी और एसीपी सुहास पाटिल के अलावा फोरैंसिक टीम भी मौकाएवारदात पर पहुंच गई.
अधिकारियों ने घटनास्थल का फौरी तौर पर निरीक्षण कर थानाप्रभारी एम.एम. मुजावर को आवश्यक दिशानिर्देश दिए. घटनास्थल की सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद मामले की तफ्तीश की जिम्मेदारी इंसपेक्टर सुरेश रोकड़े को सौंपी गई.
अपने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश पर इंसपेक्टर सुरेश रोकड़े ने अपनी जांच टीम का गठन किया, जिस में असिस्टेंट इंसपेक्टर डा. चंद्रकांत धार्गे, ओम टोटावर, विराज जगदाले, एसआई सिद्धार्थ दुधमल, कांस्टेबल परब, जगताप, नाइक, तटकरे आदि को शामिल किया गया. टीम ने सरगरमी से मामले की जांच शुरू कर दी.
पुलिस ने रोजीना उर्फ रोशनी के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. साथ ही कमरे में मिली बीयर की बोतल के बैच नंबर के आधार पर उस शराब की दुकान का पता लगा लिया, जहां से वह बोतल खरीदी गई थी. इस के बाद घटनास्थल और शराब की दुकान के पास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से पता चल गया कि रोशनी की हत्या स्वप्न रोहिदास ने की थी.
फोन कंपनी से उस के पश्चिम बंगाल स्थित घर का पता लग गया था. लिहाजा पुलिस टीम फ्लाइट से उस के गांव पहुंच गई. वह अपने घर पर ही मिल गया. उसे हिरासत में ले कर पुलिस मुंबई लौट आई.
दहिसर पुलिस की गिरफ्त में आए स्वप्न रोहिदास ने बिना किसी हीलाहवाली के अपना गुनाह स्वीकार कर लिया. जांच अधिकारी इंसपेक्टर सुरेश रोकड़े ने उस से विस्तृत पूछताछ के बाद उसे भादंवि की धारा 302 के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.