मांडू का नाम तो जरूर सुना होगा. वही मांडू जहां की रानी रूपमती थीं, बाजबहादुर थे. उन की प्रेमकहानी है. आज भी वहां की मिट्टी में सैकड़ों साल पहले की गंध है. इसी गंध के लिए फरवरी, खासकर वैलेंटाइन डे पर तमाम प्रेमी जोड़े मांडू पहुंचते हैं. संभव है, इसीलिए मांडू की धरा की मिट्टी से रसीली गंध फूटती हो. मांडू मध्य प्रदेश के जिला धार में आता है. लेकिन धार उतना प्रसिद्ध नहीं है, जितना मांडू.
बात इसी मांडू की है. 6 फरवरी, 2020 को तिर्वा के रहने वाले अजय सिंह पाटीदार ने फोन पर थाना मांडू के प्रभारी जयराज सोलंकी को फोन पर बताया कि सातघाट पुलिया के पास एक किशोरी की लाश पड़ी है, जिस का सिर कुचला हुआ है.
उस वक्त शाम के 5 बजने को थे. सूचना मिलते ही टीआई जयराज सोलंकी पुलिस टीम ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए. वहां सातघाट पुलिया के पास सूखी नदी के किनारे, पत्थरों के बीच 17-18 साल की एक किशोरी का शव पड़ा था, जिस का सिर कुचल दिया गया था. मृतका ने स्कूल ड्रैस पहन रखी थी. साथ ही वह ठंड से बचने के लिए ट्रैकसूट पहने थी.
टीआई सोलंकी ने अनुमान लगाया कि मृतका आसपास के किसी स्कूल में पढ़ती होगी. हत्या एक युवती की हुई थी, इसलिए हत्या के साथ बलात्कार की आशंका भी थी. अंधेरा घिरने में ज्यादा देर नहीं थी.
थानाप्रभारी ने आसपास के क्षेत्रों के लोगों को बुला कर लाश दिखाई. लेकिन कोई भी उसे पहचान नहीं सका. इस पर अजय सिंह सोलंकी ने लाश पोस्टमार्टम के लिए धार के जिला अस्पताल भेज दी. साथ ही इस मामले की सूचना एसपी आदित्य प्रताप सिंह को भी दे दी.
एसपी के निर्देश पर वायरलैस से धार जिले के सभी थानों को स्कूल गर्ल का शव मिलने की सूचना दे दी गई. हाल ही में पदस्थ बीएसएफ के एक कांस्टेबल ने थाने आ कर थानाप्रभारी सोलंकी को बताया कि 6 फरवरी, 2020 की रात लगभग 7 साढ़े 7 बजे जब वह बागड़ी फांटा के पास स्थित पैट्रोल पंप पर अपनी मोटरसाइकिल में पैट्रोल डलवा रहा था, तभी वहां एक इनोवा गाड़ी आई, जिस में से युवक उतरा. उस ने पैट्रोल भरने वाले को 1000 रुपए दे कर कार में डीजल डालने को कहा.
इसी बीच कार में एक युवती की ‘बचाओ बचाओ’ की आवाज सुनाई दी. इस पर डीजल भरवाने के लिए उतरा युवक बिना डीजल डलवाए ही चला गया. उस ने पैट्रोल भरने वाले से हजार रुपए भी वापस नहीं लिए.
बीएसएफ के कांस्टेबल ने यह भी बताया कि उस ने कार के बारे में पूछा था, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली. युवती का शव मांडू नालछा मार्ग पर मिला था. अजय सिंह सोलंकी ने पैट्रोल पंप पर लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखी, जिस में संदिग्ध कार तो दिखी पर कार के नंबर को नहीं पढ़ा जा सका.
नहीं हो पाई पहचान
दूसरे दिन जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम से पहले एफएसएल अधिकारी पिंकी मेहरडे ने शव की जांच की. पता चला कि हत्या के समय मृतका का मासिक धर्म चल रहा था, इसलिए बलात्कार की बात पोस्टमार्टम से ही साफ हो सकती थी.
एफएसएल अधिकारी ने यह शंका जरूर जाहिर की कि चूंकि शव के नाखून नीले पड़ गए हैं, इसलिए उस का सिर कुचलने से पहले उसे जहर दिए जाने की आशंका है. जबकि घटनास्थल की जांच में करीब 16 फीट की दूरी तक खून फैला मिला था. इस से अनुमान लगाया गया कि मृतका की हत्या वहीं की गई थी.
दूसरे दिन जिला अस्पताल में युवती के शव का पोस्टमार्टम किया गया, जिस से पता चला कि हत्या से पहले उस के साथ बलात्कार नहीं हुआ था.
पोस्टमार्टम तो हो गया, लेकिन हत्यारों तक पहुंचने के लिए उस की पहचान होना जरूरी था. क्योंकि बिना शिनाख्त के जांच की दिशा तय नहीं की जा सकती थी. चूंकि मृतका स्कूल ड्रैस में थी, इसलिए जिले के अलावा आसपास के जिलों के स्कूलों से भी किसी छात्रा के लापता होने की जानकारी जुटाई जाने लगी.
इसी दौरान खरगोन के गोगांव का रहने वाला एक दंपति शव की पहचान के लिए मांडू आया. उन की बेटी पिछले 4-5 दिनों से लापता थी. इस से पुलिस को शिनाख्त की उम्मीद बंधी, लेकिन शव देख कर उन्होंने साफ कह दिया कि शव उन की बेटी का नहीं है.
इस के 4 दिन बाद एसपी धार आदित्य प्रताप सिंह ने इस केस की जांच की जिम्मेदारी एसडीओपी (बदनावर) जयंत राठौर को सौंप दी. साथ ही उन का साथ देने के लिए एक टीम भी बना दी, जिस में एसडीओपी (धामनोद) एन.के. कसौटिया, टीआई (मांडू) जयराज सिंह सोलंकी, टीआई (कानवन) कमल सिंह, एएसआई त्रिलोक बौरासी, प्रधान आरक्षक रविंद्र चौधरी, संजय जगताप, राजेंद्र गिरि, रामेश्वर गावड़, सखाराम, आरक्षक राजपाल सिंह, प्रशांत लोकेश व वीरेंद्र को शामिल किया गया.
5 दिन बीत जाने के बाद भी शव की शिनाख्त नहीं हो सकी, जो पहली जरूरत थी. इस पर एसडीओपी जयंत राठौर और एन.के. कसौटिया ने उस संदिग्ध कार को खोजने में पूरी ताकत लगा दी, जो घटना से एक रात पहले बागड़ी फांटा के पैट्रोल पंप पर देखी गई थी.
सीसीटीवी फुटेज में कार का नंबर साफ नहीं दिख रहा था. पुलिस ने चारों तरफ 2 सौ किलोमीटर के दायरे में स्थित टोलनाकों के सीसीटीवी फुटेज खंगालनी शुरू कर दीं. लेकिन संदिग्ध इनोवा कार के नंबर की पहचान इस से भी नहीं हो सकी. हां, पुलिस को इतना सुराग जरूर मिल गया कि कार के नंबर के पीछे के 2 अंक 77 हैं और उस के सामने वाले विंडस्क्रीन पर काली पट्टी बनी है.
पुलिस के पास इस के अलावा कोई सुराग नहीं था. एसडीओपी जयंत राठौर के निर्देश पर उन की पूरी टीम जिले भर में ऐसी कारों की खोज में जुट गई, जिस के रजिस्ट्रेशन नंबर में अंतिम 2 अंक 77 हों और उस की सामने वाली विंडस्क्रीन पर काली पट्टी बनी हो.
इस कवायद में 460 इनोवा कारों की पहचान हुई. इन सभी के मालिकों से संपर्क किया गया. अंतत: इंदौर के मांगीलाल की इनोवा संदिग्ध कार के रूप में पहचानी गई, मांगीलाल ने बताया कि कुछ दिन पहले उन की कार उन के बेटे ऋषभ का दोस्त मुकेश, जो गांव पटेलियापुरा का रहने वाला है, मांग कर ले गया था.
मुकेश को कार चलाना नहीं आता था, इसलिए वह अपने एक दोस्त पृथ्वीराज सिंह को भी साथ लाया था. मांगीलाल से मुकेश और पृथ्वीराज के मोबाइल नंबर भी मिल गए. लेकिन दोनों के मोबाइल स्विच्ड औफ थे.
पटेलियापुरा मांडू इलाके का ही छोटा सा गांव है. इसलिए एसडीओपी जयंत राठौर समझ गए कि उन की जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही है. शक को और पुख्ता करने के लिए उन्होंने साइबर सेल के आरक्षक प्रशांत की मदद से मुकेश और पृथ्वीराज सिंह के मोबाइल की लोकेशन निकलवाई. घटना वाली रात उन की लोकेशन उसी स्थान की मिली, जहां दूसरे दिन सुबह युवती की लाश मिली थी.
सही दिशा में जांच
इस से यह साफ हो गया कि अज्ञात युवती की लाश का कुछ न कुछ संबंध मुकेश और पृथ्वीराज सिंह से रहा होगा, जिस के चलते जयंत राठौर ने गांव में अपने मुखबिर लगा दिए. जल्द ही पता चल गया कि मुकेश के चचेरे भाई ईश्वर पटेल की बेटी रोशनी 7 फरवरी से लापता है. उस ने बेटी के गायब होने की सूचना भी पुलिस को नहीं दी थी. पता चला रोशनी नालछा के उत्कृष्ट विद्यालय में 12वीं में पढ़ती थी.
किशोर बेटी घर से गायब हो और पिता हाथ पर हाथ रख कर बैठा रहे, ऐसा तभी होता है जब पिता को बेटी का कोई कृत्य नश्तर की तरह चुभ रहा हो. बहरहाल, मृतका की शिनाख्त ईश्वर पटेल की बेटी रोशनी के रूप में हो गई.
एसडीओपी जयंत राठौर और एन.के. कसौटिया के निर्देश पर टीआई (मांडू) जयराज सोलंकी, टीआई (कानवन) गहलोत की टीम ने गांव से ईश्वर और उस की पत्नी को पूछताछ के लिए उठा लिया. जबकि ईश्वर का चचेरा भाई संदिग्ध मुकेश और उस का दोस्त पृथ्वीराज सिंह अपने घरों से लापता थे.
संदिग्ध के तौर पर ईश्वर पटेल को पुलिस द्वारा उठा लिए जाने से गांव के लोग आक्रोशित हो गए. उन का कहना था कि ईश्वर ऐसा काम नहीं कर सकता. गांव के लोग इस बात से भी नाराज थे कि पुलिस द्वारा पिता को हिरासत में ले लिए जाने की वजह से रोशनी का अंतिम संस्कार नहीं हो पा रहा है.
एसडीओपी जयंत राठौर को अभी मुकेश और पृथ्वीराज सिंह की तलाश थी, जो घटना के बाद गुजरात भाग गए थे. दोनों की तलाश में मुखबिर लगे हुए थे, जिन से 14 फरवरी को दोनों के गुजरात से वापस लौटने की खबर मिली. पुलिस ने घेरेबंदी कर दोनों को बामनपुरी चौराहे पर घेर कर पकड़ लिया.
थाने में पूछताछ के दौरान सभी आरोपी रोशनी की हत्या के बारे में कुछ भी जानने से इनकार करते रहे, लेकिन ईश्वर के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था कि जवान बेटी के लापता हो जाने के बाद उस ने पुलिस में रिपोर्ट क्यों नहीं दर्ज करवाई. उसे खोजने के बजाय वह घर में क्यों बैठा रहा.
अंतत: थोड़ी सी नानुकुर के बाद वह टूट गया. उस ने स्वीकार कर लिया कि रोशनी अपने प्रेमी करण के साथ भागने की तैयारी कर रही थी. उसे इस बात की जानकारी लग चुकी थी, इसलिए अपनी इज्जत बचाने के लिए उस ने चचेरे भाई मुकेश से बात की. मुकेश ने अपने दोस्त के साथ मिल कर रोशनी की हत्या कर दी.
आरोपियों द्वारा पूरी कहानी बता देने के बाद पुलिस ने तीनों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. किशोरी रोशनी की हत्या के पीछे जो कहानी पता चली, वह कुछ इस तरह थी.
गांव पटेलियापुरा में रहने वाले ईश्वर पटेल की 19 वर्षीय बेटी रोशनी की खूबसूरती तभी चर्चा का विषय बन गई थी, जब उस ने किशोरावस्था में प्रवेश किया था. चंचल स्वभाव और पढ़नेलिखने में तेज रोशनी स्वभाव से काफी तेज थी.
अगर पढ़ाईलिखाई में तेज होने के साथसाथ दिलदिमाग और चेहरामोहरा खूबसूरत हो तो ऐसी लड़की को पसंद करने वालों की कमी नहीं रहती. पिता ईश्वर पटेल बेटी की इन खूबियों से परिचित था, इसलिए उस ने नौंवी क्लास के बाद आगे पढ़ने के लिए उस का दाखिला नालछा के उत्कृष्ट विद्यालय में करा दिया था.
इंसान की हर उम्र की अपनी एक मांग होती है. रोशनी ने जब किशोरावस्था से यौवन में प्रवेश करने के लिए कदम बढ़ाए तो उसे किसी करीबी मित्र की जरूरत महसूस हुई. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि जब दिल किसी को ढूंढने लगे तो सब से पहले आसपास ही नजर जाती है, खासकर लड़कियों के मामले में.
रोशनी के साथ भी यही हुआ. उसे करण मन भा गया. करण रोशनी के पिता के दोस्त का बेटा था. पारिवारिक दोस्ती के कारण रोशनी के हमउम्र करण का उस के घर में आनाजाना था.
सच तो यह है कि करण रोशनी का तभी से दीवाना था, जब से उस ने अपना पहला पांव किशोरावस्था में रखा था. लेकिन रोशनी के तीखे तेवरों के कारण उस ने आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं की थी.
करण से हो गया प्यार
करण के साथ रोशनी की अच्छी पटती थी. लेकिन उस ने करण की तरफ कभी ध्यान नहीं दिया था. लेकिन जब उस के दिल में प्यार की चाहत जागी तो सब से पहले करण पर ही निगाहें पड़ीं.
मन में कुछ हुआ तो वह करण का विशेष ध्यान रखने लगी. जब यह बात करण की समझ में आई तो उस ने भी हिम्मत कर के रोशनी की तरफ कदम बढ़ाने की कोशिश की. एक दिन मौका पा कर उस ने रोशनी को फोन लगा कर उस से अपने दिल की बात कह दी.
रोशनी मन ही मन करण से प्यार करने लगी थी, इसलिए उस ने करण का प्यार स्वीकारने में जरा भी देर नहीं लगाई. इस के बाद दोनों घर वालों से नजरें बचा कर मिलने लगे.
रोशनी बचपन से ही जिद्दी और तेजतर्रार थी. यही वजह थी कि जब उस के सिर पर करण की दीवानगी का भूत चढ़ा तो उस ने मन ही मन फैसला कर लिया कि वह करण से ही शादी करेगी. इसी सोच के चलते वह करण पर खुल कर प्यार लुटाने लगी.
इतना ही नहीं, छोटे से गांव में वह करण से चोरीछिपे मिलने से भी नहीं डरती थी. जब भी उस का मन होता, गांव के किसी सुनसान खेत में करण को मिलने के लिए बुला लेती. नतीजा यह हुआ कि एक रोज गांव के कुछ लोगों ने दोनों को सुनसान खेत में एकदूसरे का आलिंगन करते देख लिया. फिर क्या था, यह खबर जल्द ही रोशनी के पिता ईश्वर तक पहुंच गई.
ईश्वर को पहले तो इस बात पर भरोसा नहीं हुआ, लेकिन जब उस ने रोशनी और करण पर नजर रखना शुरू किया तो जल्द ही सच्चाई सामनेआ गई. ईश्वर पटेल यह बात जानता था कि रोशनी जिद्दी है, इसलिए उस ने उसे कुछ कहने के बजाय कुछ और ही फैसला कर लिया.
उस ने रोशनी की शादी करने की ठान ली. रोशनी को बिना बताए उस ने बेटी के लिए वर की तलाश शुरू कर दी.
रोशनी के सौंदर्य और गुणों की चर्चा रिश्तेदारों और बिरादरी में थी. उस के लिए एक से बढ़ कर एक रिश्ते मिलने लगे. लेकिन रोशनी करण के साथ शादी करने का फैसला कर चुकी थी, इसलिए पिता द्वारा पसंद किए गए हर लड़के को वह नकारने लगी. इस से ईश्वर पटेल परेशान हो गया.
इसी बीच कत्ल से कुछ दिन पहले रोशनी के लिए एक अच्छा रिश्ता आया. इतना अच्छा कि इस से अच्छा वर वह बेटी के लिए नहीं खोज सकता था. इसलिए उस ने रोशनी पर दबाव डाला कि वह इस रिश्ते के लिए राजी हो जाए. लेकिन रोशनी टस से मस नहीं हुई.
बेटी का हठ देख कर ईश्वर समझ गया कि रोशनी उस की नाक कटवाने पर तुली है. ईश्वर ने रोशनी पर नजर रखनी शुरू कर दी. इस से उस का अपने प्रेमी से मिलनाजुलना मुश्किल हो गया. यह देख कर रोशनी ने विद्रोह करने की ठान ली.
उस ने वैलेंटाइन डे पर करण के साथ भाग कर शादी करने की योजना बना ली. चूंकि ईश्वर उस के ऊपर गहरी नजर रख रहा था, इसलिए उसे इस बात की जानकारी मिल गई.
कातिल ईश्वर
जब कोई दूसरा रास्ता नहीं मिला तो उस ने अपनी इज्जत बचाने के लिए रोशनी को कत्ल करने की सोच ली. इस के लिए उस ने गांव में ही रहने वाले अपने चचेरे भाई मुकेश से बात की तो वह इस काम के लिए राजी हो गया. मुकेश को कार चलानी नहीं आती थी, इसलिए उस ने अपने एक दोस्त पृथ्वीराज सिंह पटेल को अपनी योजना में शामिल कर लिया.
5 फरवरी, 2020 को मुकेश अपने दोस्त ऋषभ से उस की इनोवा कार मांग कर ले आया और दोनों रोशनी के स्कूल पहुंच गए. दोनों ने मांडू घुमाने के नाम पर रोशनी और उस की एक सहेली पिंकी को कार में बैठा लिया.
मुकेश और पृथ्वी दोनों को ले कर दिन भर मांडू में घूमते रहे. इस बीच उन्होंने रोशनी को धामनोद ले जा कर नर्मदा पुल से फेंकने की योजना बनाई, लेकिन उस की फ्रैंड के साथ होने की वजह से उन्हें अपना इरादा बदलना पड़ा.
शाम होने पर उन्होंने रोशनी की फ्रेंड पिंकी को सोड़पुर में उतार दिया. उस के बाद वे रोशनी को अज्ञात जगह की ओर ले कर जाने लगे. यह देख कर रोशनी ने अपने चाचा मुकेश से घर छोड़ने को कहा तो मुकेश बोला, ‘‘क्यों करण के संग मुंह काला करना है क्या?’’
चाचा के मुंह से ऐसी बात सुन कर वह डर गई. वह समझ गई कि मुकेश अब उसे जिंदा नहीं छोड़ेगा. इसलिए उस ने अपने पिता को फोन कर जान की भीख मांगी. लेकिन ईश्वर ने उस की एक नहीं सुनी.
इस बीच दोनों कार में डीजल डलवाने के लिए बागड़ी फांटे के पैट्रोल पंप पर रुके, जहां रोशनी के चिल्लाने पर एक पुलिस वाले को अपना पीछा करते देख वे वहां से डर कर भाग निकले.
इस के बाद दोनों ने एक सुनसान इलाके में कार रोकी और रोशनी को जबरन जहर पिला दिया. फिर सातघाट पुलिया के पास ले जा कर उस का गला चाकू से रेतने के बाद पहचान छिपाने के लिए उस का चेहरा भी पत्थर से कुचल दिया.
आरोपियों ने सोचा था कि लाश की पहचान न हो पाने से पुलिस उन तक कभी पहुंच नहीं सकती, लेकिन एसडीओपी जयंत राठौर और एन.के. कसौटिया की टीम ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर उन्हें कानून की ताकत का अहसास करवा दिया.
सौजन्य: मनोहर कहानियां, मई 2020