मुंबई में ठाणे जिले के मीरा रोड (पूर्व) पर गीता नगर है. यहां फेज 7 में आकाशदीप सोसाइटी के चेयरमैन प्रताप जायसवाल और सेक्रेटरी सुरेश चह्वण 7 जून, 2023 की सुबह एक शिकायत ले कर नयानगर थाने गए थे. उन्होंने एसएचओ को बताया कि सोसाइटी के 704 नंबर फ्लैट से अजीब तरह की सड़ांध आ रही है. उन्होंने बताया कि दुर्गंध तो कई दिनों से आ रही थी, लेकिन पिछले 2 दिनों से और तीखी हो गई है. उस की वजह से सोसाइटी के लोग काफी परेशान हो गए हैं. वहां से हो कर गुजरना तक मुश्किल हो गया है.
ऐसे मामलों में ज्यादातर लाश के होनेे की ही बात सामने आती है, इसलिए एसएचओ ने इस सूचना को गंभीरता से लिया और तुरंत ही कुछ पुलिसकर्मियों को साथ ले कर आकाशदीप सोसायटी की तरफ निकल गए. पुलिस की जांच टीम बिल्डिंग की 7वीं मंजिल पर स्थित उस फ्लैट पर पहुंची तो उस का मेन गेट बंद था. एक पुलिसकर्मी ने दरवाजे की कालबेल बजाई. कुछ सेकेंड बीत गए, लेकिन भीतर से किसी के दरवाजा खोलने की आहट तक नहीं सुनाई दी.
पुलिसकर्मी ने दोबारा 2-3 बार कालबेल बजाई और दरवाजे को जोर से थपथपाया. कुछ सेकेंड बाद आवाज आई, “अभी आता हूं. वेट! वन मिनट!”
फ्लैट में दनदनाते घुसी पुलिस
दरवाजे की कुंडी खुली, दरवाजे के पीछे से सुटके गाल पर अधपकी दाढ़ी वाला एक अधेड़ व्यक्ति दिखा. उस ने दरवाजा उतना ही खोला, जितने से वह अपनी गरदन बाहर निकाल सकता था. शांति से बोला, “क्या बात है? कौन है?”
“पूरा किवाड़ खोलो, तुम्हारे घर में क्या पड़ा है, जो बिल्डिंग में इतनी तेज बदबू फैल रही है. आसपास के लोग परेशान हो रहे हैं.” एक पुलिसकर्मी बोला.
“कुछ भी तो नहीं. वह मैं ने घर की सफाई की है, उसी कचरे की बदबू है…” दरवाजे के भीतर से झांकता हुआ व्यक्ति एकदम धीमी आवाज में बोला.
इस बीच बाहर खड़ी पुलिस टीम और कुछ स्थानीय लोग दरवाजे को धकेल कर भीतर घर में घुस गए. अंदर जाते ही सभी बदबू से बेहद परेशान हो गए. उन्होंने रुमाल से अपनी नाकमुंह बंद करने पड़े. वे घर के हाल से होते हुए जब दूसरे कमरे की ओर बढ़े तब उन के होश उड़ गए. वहां पुलिस को 3 बाल्टियों में लाश के कई टुकड़े मिले. पास में ही खून से लथपथ पेड़ काटने वाली आरी भी मिली. छानबीन से जल्द ही मालूम हो गया कि शव के टुकड़े वहां रहने वाली सरस्वती वैद्य नाम की माहिला के हैं, जो 32 वर्ष की थी. वह उस फ्लैट में 56 वर्षीय मनोज साने के साथ रहती थी, जिस ने दरवाजा खोला था.
मनोज आसानी से पुलिस की गिरफ्त में आ गया था. हालांकि वह दरवाजा खुलते ही भागने की कोशिश में भी था, जिसे पुलिस और सोसाइटी के लोगों ने नाकाम कर दिया. वह भाग न सका. वहीं पकड़ लिया गया. उस की हालत उस वक्त एकदम से विक्षिप्तों जैसी हो गई थी. चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं. ऐसा लग रहा था कि मानो उस का कोई बड़ा गुनाह सब की नजरों में आ गया हो. फिर भी वह एक ही रट लगाए हुए था, “मैं ने उसे नहीं मारा… खुद जहर खा लिया था उस ने.”
इस पर एक पुलिसकर्मी ने डपट दिया, “चुप रह, बकवास करता है. चल अभी कमरे में दिखा हमें.”
प्रेशर कुकर में मिले लाश के टुकड़े
और फिर मनोज को धकियाती हुई पुलिस फ्लैट के अंदर फैल गई. वहां उन्हें सरस्वती के शव के और कई टुकड़े मिले. किचन में काफी बरतन और एक बाल्टी में लाश के कई टुकड़े मिले. जिन में से कुछ को प्रेशर कुकर में पकाया गया था तो कुछ को भूना गया था. पकेअधपके मांस को देख कर सभी लोग हैरान हो गए. लाश के टुकड़ों को जांच के लिए मुंबई के जे.जे. अस्पताल में भेज दिया गया. यह मामला सामने आते ही दिल्ली में हुए श्रद्धा वालकर मामले की यादें ताजा हो गईं.
संभ्रांत इलाके के फ्लैट से टुकड़ों में मिली लाश की खबर तुरंत चारों ओर फैल गई. सोशल मीडिया से ले कर टीवी चैनलों पर और कुछ समय बाद ही यह खबर लोगों के मोबाइल में पहुंच गई थी. जबकि इसे अगले रोज प्रिंट मीडिया ने प्रमुखता से प्रकाशित किया. उस बारे में तरहतरह की बातें छपने से इलाके में सनसनी फैल गई. सोसाइटी के लोग इस घटना के बारे में सुन कर दंग रह गए. यह बेहद लोमहर्षक घटना थी.
एसएचओ ने इस घटना की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को दे कर सोसाइटी के लोगों से भी गहन पूछताछ की. उन से मिली जानकारी से पता चला कि सरस्वती और मनोज इलाके में पिछले कई सालों से किराए पर रह रहे थे. उन के आपसी रिश्ते को ले कर भी लोगों के बीच संदेह था, क्योंकि उन की उम्र का भी बड़ा अंतर था. किसी ने प्रेमी युगल बताया तो किसी ने आपसी रिश्तेदार.
सरस्वती वैद्य की मौत के बारे में पूछने पर मनोज ने दावे के साथ बताया कि वह 3 जून, 2023 को ही मर गई थी. उस ने जहर पी कर आत्महत्या कर ली थी. सरस्वती को उस ने नहीं मारा. जब वह 3 जून की सुबह सो कर उठा, तब पाया कि सरस्वती के मुंह से झाग निकल रहे हैं. उस की नब्ज टटोली, जो नहीं चल रही थी. सांसें भी बंद हो चुकी थीं. सरस्वती की इस हालत को देख कर वह डर गया कि लोग कहीं उसे ही उस की मौत का जिम्मेदार न ठहरा दें. इसी डर की वजह से उस ने लाश को ठिकाने लगाने का फैसला कर लिया.
आत्महत्या का नहीं मिला सबूत
पुलिस को मनोज की बातें काफी अटपटी लगीं. पुलिस ने महसूस किया कि मनोज ने सरस्वती की लाश के टुकड़ों को ठिकाने लगाने के बाद आत्महत्या की योजना बनाई थी. बचने के लिए उस ने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की.
पुलिस को सरस्वती की आत्महत्या के भी कोई ठोस सबूत नहीं मिले. किसी तरह का लिखा नोट या फिर मोबाइल में टेक्स्ट मैसेज, फोटो या वीडियो भी नहीं था. लाश की जो हालत थी, उस से जहर खा कर जान देने जैसी बात की पुष्टि आसान नहीं थी.
पुलिस को जांच में यह भी पता चला कि मनोज एचआईवी संक्रमित है. और उस के दावे के मुताबिक सरस्वती उस की प्रेमिका जरूर थी, लेकिन उस ने कभी भी शारीरिक संबंध नहीं बनाए थे. जबकि पुलिस को उन के संबंधों और सरस्वती की लाश को ठिकाने लगाने संबंधी कई बातें सुनने को मिलीं. सोसाइटी के कुछ लोगों ने बताया कि मनोज आवारा कुत्तों को मांस खिलाता हुआ देखा गया था, जो सरस्वती के शरीर के हो सकते हैं. ऐसा करते हुए उसे पहले कभी नहीं देखा गया था.
इस मामले की छानबीन के क्रम में पुलिस को सरस्वती की 4 बहनों के बारे में भी जानकारी मिली, जबकि लोगों को उस के बारे में पता था कि वह अनाथालय में पलीबढ़ी है. उस के मातापिता या परिवार के बारे में किसी का कुछ नहीं पता.
बहनों को थाने बुलवा कर उन से पूछताछ की गई. उन के बयान के आधार पर मनोज साने के खिलाफ हत्या, सबूत मिटाने और लाश को ठिकाने लगाने के जुर्म में रिपोर्ट दर्ज कर ली गई. इस हत्याकांड में मीरा रोड की नया नगर थाने की पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 और 201 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.
पूछताछ में पता चला कि सरस्वती वैद्य और मनोज के रिश्ते की कहानी एक राशन की दुकान से शुरू हुई थी. यहीं दोनों की पहली मुलाकात साल 2014 में हुई थी. इस बारे में मनोज साने ने बताया कि बोरीवली की एक राशन की दुकान पर सरस्वती मिली थी. उन की पहली जानपहचान बेहद दिलचस्प थी. तब दोनों दुकानदार से एक ही बात पर लड़ पड़े थे.
राशन की दुकान पर हुई थी मुलाकात
दरअसल, दुकानदार चावल का वजन कम तौल रहा था, जो मनोज को मिलना था. सरस्वती वहीं खड़ी दुकानदार की हरकत देख रही थी. जब सरस्वती ने इस का विरोध किया, तब शांत स्वभाव का मनोज भी उस का साथ देने लगा और उन्होंने इस की शिकायत मापतौल विभाग में करने की चेतावनी दी. हालांकि बाद में पता चला कि मनोज कभी उसी राशन की दुकान पर काम करता था.
मनोज की बातों से सरस्वती को एहसास हुआ कि वह एक गंभीर और सुलझा हुआ इंसान है. दिखने में जरूर समय का मारा हुआ निराश और हताश दिखता है, लेकिन उसे मानसम्मान की जरूरत है. इस के बाद उन दोनों की कई मुलाकातें हुईं. धीरेधीरे सरस्वती उस की ओर खिंचती चली गई. मनोज ने भी महसूस किया कि सरस्वती के उस की जिंदगी में आने से कुछ अच्छा महसूस कर रहा है.
सरस्वती वैद्य ने मनोज को अपना परिचय एक अनाथ लडक़ी के रूप में दिया. उस का कहना था कि उस के आगेपीछे कोई नहीं है. उसे रिश्ते की एक ऐसी डोर चाहिए, जो उस की भावनाओं को समझ सके, प्यार दे सके. इस तरह से सरस्वती और मनोज के बीच प्रगाढ़ रिश्ते की शुरुआत हुई. रिश्ता परवान चढ़ा और फिर दोनों 2 साल के अंदर ही साथसाथ रहने लगे. मनोज आकाशदीप सोसाइटी में पहले से रह रहा था.
इस हत्याकांड की गहन छानबीन की जानकारी डीसीपी जयंत बजलवे ने देते हुए बताया कि गिरफ्तार किए गए मनोज को अदालत में पेश करने के बाद उसे 14 दिनों के न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.
साइको किलर था मनोज
पुलिस ने पाया कि मनोज एक साइको किलर की तरह पेश आया था. उस ने हैवानियत की सारी सीमाओं को तोड़ दिया था. मनोज साने ने अपनी लिवइन पार्टनर की न सिर्फ बेरहमी से हत्या की थी, बल्कि उस के शरीर के कई टुकड़े भी कर दिए थे. बाद में उस ने इन टुकड़ों को धीरेधीरे ठिकाने लगाना शुरू किया था.
यह भी पता चला कि शरीर के टुकड़ों को ठिकाने लगाने के लिए वह उन्हें पहले कुकर में उबालता था और उस के बाद उन्हें ठिकाने लगाता था. कुछ स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि उबालने के बाद वह टुकड़ों को पीस कर टायलेट में फ्लश कर देता था, ताकि इस हत्या के बारे में किसी को पता न चले. वहीं कुछ लोगों का यह भी कहना है कि वह कुत्तों को यह टुकड़े खिलाता था. पड़ोसियों ने टायलेट की पाइपलाइन जाम होने की शिकायत की थी.
मनोज साने को ले कर उस के एक पड़ोसी ने पुलिस को एक अजीब बात बताई. उन्होंने कहा कि मनोज और उस की लिवइन पार्टनर उन से एकदम कटेकटे रहते थे. वह किसी से भी ज्यादा मतलब नहीं रखते थे. एक फ्लोर पर 4 फ्लैट हैं. बाकी लोगों के घर के लोगों का अकसर एकदूसरे के यहां आनाजाना होता था, लेकिन उस का दरवाजा हमेशा बंद रहता था. वे लोग सिर्फ आनेजाने के लिए ही दरवाजा खोलते थे.
पुलिस की जांच में कई सनसनीखेज खुलासे हुए. जिस में एक उस की आदत भी थी. मनोज ने ही पुलिस को बताया कि उस ने वेब सीरीज देख कर सरस्वती की हत्या करने का प्लान बनाया था. साथ ही श्रद्धा वालकर मामले की भी पूरी स्टडी की थी. इस के अलावा उस ने बौडी कंपोज करने का तरीका गूगल पर सर्च किया था.
दूसरी सनसनीखेज जानकारी दोनों के अनाथ होने को ले कर भी थी. मनोज साने लोगों से कहता था कि वह और सरस्वती दोनों अनाथ हैं. इस की सच्चाई का भेद तब खुल गया, जब पुलिस छानबीन के दरम्यान दोनों के रिश्तेदार सामने आ गए.
सरस्वती की 4 और बहनें हैं. मातापिता के तलाक के बाद उन का पालनपोषण एक अनाथालय में हुआ था. वहीं, आरोपी मनोज के रिश्तेदार बोरीवली में रहते हैं और बोरीवली (पश्चिम) के पौश इलाके भाईनाका की साने रेजीडेंसी में उस का एक फ्लैट है. यह फ्लैट मनोज ने 30 हजार रुपए मासिक किराए पर दे रखा है.
लाश के किए 100 टुकड़े
यहां तक कि मनोज और सरस्वती शुरुआती दिनों में 2 साल तक इसी फ्लैट में रहे थे. पुलिस के अनुसार मनोज एक कोल्ड माइंडेड इंसान है और उस ने बहुत सोचसमझ कर हत्या को अंजाम दिया है. उस ने बताया कि लाश के टुकड़े करने से पहले उस का फोटो भी खींचता था. उस ने लाश के करीब 100 टुकड़े किए थे. मोबाइल और फोटो पुलिस ने कब्जे में ले लिया है. आगे की जांच में इन से मदद मिलेगी.
जांच में सरस्वती की मृत देह पर मारपीट के कई निशान पाए गए. मोबाइल में खींची गई तसवीरें और सरस्वती की मृत देह पर मारपीट के निशान मनोज की दरिंदगी की मंशा को जाहिर कर रहे थे. इस के अलावा गूगल की सर्च हिस्ट्री कई अहम राज खोल सकती है.
मनोज के बारे में पुलिस को एक अहम राज उस के एचआइवी पीडि़त होने का भी मालूम हुआ. इस का दावा उस ने खुद किया. उस ने बताया कि इस की जानकारी उसे 2008 से ही थी. उस का कहना है कि वह इलाज करवा रहा था और सरस्वती से उस ने कभी शारीरिक संबंध नहीं बनाए. पुलिस उस के सभी दावों की जांच कर रही है.
वह विगत 29 मई से ही काम पर नहीं जा रहा था. उस ने कई लोगों को अपने और सरस्वती के बीच मामाभांजी का रिश्ता बताया था. जबकि दोनों की शादी के बाद सरस्वती की बहनें उस के घर खाना खाने आई थींं. पूछताछ में मनोज ने बताया कि दोनों के बीच आर्थिक तंगी को ले कर झगड़ा होता था. 3 जून की रात भी दोनों के बीच झगड़ा हुआ था. इस अनुसार संभव है कि मनोज ने उस की पहले हत्या कर दी हो और फिर बाद में शव को ठिकाने लगाने की योजना बनाई हो.