5 जून, 2023 को केरल हाईकोर्ट की जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने सोशल एक्टिविस्ट रेहाना फातिमा को पोक्सो ऐक्ट के मामले में बरी करते हुए कहा कि अंगरेजी में एक कहावत है, ‘ब्यूटी इज इन द आई औफ द बिहोल्डर.’ सौंदर्य तो देखने वाले की आंख में होता है. अश्लीलता और विकृति के मामले में भी कुछ ऐसा ही होता है.
केरल की रेहाना का यह केस क्या था? कौन हैं ह्यूमन राइट्स एक्टविस्ट रेहाना फातिमा? उन्होंने ऐसा क्या कर दिया था, जिस की लड़ाई लडऩे के लिए उन्हें हाईकोर्ट तक जाना पड़ा? तो आइए पहले यह जानते हैं कि यह रेहाना फातिमा हैं कौन?
केरल के कोच्चि जिले में 30 मई, 1986 को एक रूढि़वादी मुसलिम परिवार में रेहाना का जन्म हुआ था. उसे पढऩे के लिए मदरसे में भेजा जाता था. पांचों वक्त की नमाज पढऩे को कहा जाता था. उस के पिता प्यारीजान सुलेमानी बीएसएनएल टेलीकम्युनिकेशन में नौकरी करते थे.
रेहाना 12वीं में पढ़ रही थी, तभी उस के पिता प्यारीजान सुलेमानी की मौत हो गई. पिता की मौत के बाद अनुकंपा के आधार पर रेहाना को बीएसएनएल में टेक्निशियन की नौकरी मिल गई. रेहाना की एक बहन भी है. नौकरी करते हुए रेहाना ने इग्नू से बीकौम किया और फिर एमसीए की डिग्री पूरी की. पूरी तरह व्यवस्थित होने के बाद रेहाना घर वालों की मरजी के खिलाफ मनोज के. श्रीधरन के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगी, जिन से उन्हें 2 बच्चे हैं. इस के बाद उन्होंने अपना एक और नाम सूर्य गायत्री भी रख लिया था.
5 फीट 7 इंच लंबी और गहरे भूरे रंग की आंखों वाली रेहाना पहली बार विवाद में तब आई थीं, जब 2014 में उन्होंने मौरल पुलिस के विरोध में विवादास्पद ‘किस औफ लव’ अभियान में अपने साथी मनोज के. श्रीधरन के साथ हिस्सा लिया था. इस का उन्होंने वीडियो बना कर वायरल किया था, जिसे ले कर काफी विवाद हुआ था.
रेहाना फातिमा ऐक्टिंग और मौडलिंग भी करती थीं. रेहाना ने इंटरसैक्सुअलिटी पर बनी फिल्म ‘एका’ में अभिनय भी किया है. इस फिल्म के पोस्टर में टैगलाइन लिखी गई थी, ‘मैं मध्यलिंगी हूं. बचपन से ही मेरे एक लिंग और योनि है. मैं जीना चाहता हूं.’
इस के प्रोड्यूसर ने दावा किया था कि भारत में बनाई गई अपनी तरह की यह पहली फिल्म है. फिल्म में रेहाना ने न्यूड सीन भी किए थे. उन का कहना था कि उस सीन में उन्हें नेचुरल महसूस हुआ था. उन्हें सहज लगे इस के लिए फिल्म के क्रू ने भी कपड़े उतार दिए थे.
रेहाना मुसलिम हैं. पर बचपन से ही विभिन्न धर्मों के रीतिरिवाजों और हठधर्मिता पर सवाल उठाते हुए उन्होंने 2016 में केरल के ‘अय्यनथोल पुली काली’( वार्षिक ओणम बाघ नृत्य, जो त्रिशूर का एक लोकप्रिय कार्यक्रम है) में अपने सहयोगियों के साथ शरीर पर चित्र बना कर भाग ले कर पुरुष प्रभुत्त्व वाले गढ़ों को चुनौती दी थी. क्योंकि इस में इस के पहले केवल पुरुष ही हिस्सा लेते थे. यह केरल के हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार है. उन्होंने अपने नाबालिग बच्चों से अपने अद्र्धनग्न शरीर पर पेंटिंग बनवाई थी.
अपने स्तन तरबूज से ढक कर दिया था जवाब
इस के बाद 2018 में जब कोझीकोड के फारुक ट्रेनिंग कालेज के मुसलिम असिस्टेंट प्रोफेसर जौहर मुन्नवीर टी. ने महिलाओं के स्तन की तुलना तरबूज से की थी. उन्होंने कहा था कि मुसलिम महिलाएं ठीक से कपड़े नहीं पहनतीं और अपने तरबूज से स्तन दिखाती हैं. इस के बाद रेहाना ने अपने ऊपर के सारे कपड़े उतार कर स्तनों को केवल तरबूज से ढक कर फोटो पोस्ट कर के जवाब दिया था. तब उन की इस फोटो को उस प्रोफेसर के उपयुक्त जवाब के रूप में बहुत लोगों ने पसंद किया था.
सितंबर, 2018 में जब सुप्रीम कोर्ट ने मासिक धर्म वाली महिलाओं को सबरीमाला के अयप्पा मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति दी थी. क्योंकि अयप्पा मंदिर में पहले उन्हीं महिलाओं को प्रवेश मिलता है, जिन्हें मासिक धर्म न आता हो (10 साल से पहले और 55 साल के बाद) तब केरल के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मंदिर में प्रवेश करने का प्रयत्न किया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करने वाले और धर्म में आस्था रखने वाले हिंदुओं ने उन का रास्ता रोक कर उन के प्रयास को विफल कर दिया था. हिंदू धर्म को ठेस पहुंचाते हुए रेहाना ने भी 2 महिलाओं के साथ अयप्पा मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की थी. पर हिंदुओं ने उन्हें भी मंदिर के अंदर नहीं घुसने दिया था.
इस के बाद रेहाना ने बुरका पहन कर एक फोटो फेसबुक पर पोस्ट की थी, जिस में वह अश्लील मुद्रा में बैठी थीं और खुद को अयप्पा का भक्त बताया था. इस के बाद अयप्पा के भक्तों ने उन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. तब 27 नवंबर, 2018 को ‘धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए’ रेहाना को गिरफ्तार किया गया था. इस के लिए उन्हें 18 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था.
इस के लिए रेहाना फातिमा की काफी आलोचना तो हुई ही थी, उन्हें बीएसएनएल की नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा था. उन्हें जबरदस्ती रिटायर कर दिया गया था. इतना ही नहीं, केरल मुसलिम जमात काउंसिल ने भी उन्हें इस के लिए मुसलिम समुदाय से निष्कासित कर दिया था.
इस के बाद 19 जून, 2020 को इंस्टाग्राम पर रेहाना ने एक वीडियो डाला, जिस में वह बिस्तर पर टौपलेस लेटी थीं और उन का बेटा तथा बेटी उन के शरीर पर पेंटिंग कर रहे थे. इस पर उन्होंने हैशटैग लगया था, ‘बौडी आर्ट पौलिटिक्स’. कामुकता देखने वाले की नजरों में होती है
रेहाना ने इस वीडियो के कैप्शन में लिखा था कि औरत का शरीर, उस की नग्नता 55 किलोग्राम मांस से कहीं ज्यादा है. औरत अगर लेगिंग्स भी पहनती है तो पुरुषों को उत्तेजना हो जाती है. जबकि पुरुष अपनी टांगें ही नहीं ऊपर का हिस्सा भी खोल कर घूमते रहते हैं, तब उन के शरीर को ले कर कोई प्रतिक्रिया नहीं आती. साफ है सैक्सुअलिटी की जानकरी लोगों को गलत तरीके से दी जा रही है.
उन का कहना था कि जिस तरह सुंदरता देखने वालों की आंखों में होती है, उसी तरह पोर्न भी देखने वालों की आंखों में होता है. कोई भी बच्चा, जो अपनी मां को नग्न देखेगा, कभी किसी महिला के शरीर को प्रताडि़त नहीं करेगा. इसलिए महिलाओं के शरीर और सैक्सुअलिटी को ले कर लोगों के मन में जो गलत धारणा बनी है, उसे खत्म करने की वैक्सीन की शुरुआत घर से होनी चाहिए.
रेहाना का यह वीडियो सामने आते ही बवाल मच गया था. भाजपा नेता ए.वी. अरुण प्रकाश की शिकायत पर तिरुवल्ला पुलिस ने रेहाना के खिलाफ केरल पुलिस ऐक्ट की धारा 120, जुवेनाइल जस्टिस ऐक्ट की धारा 75 और इन्फौर्मेशन टेक्नोलौजी ऐक्ट की धारा 67बी (डी) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया. लेकिन बाद में लोगों के कहने पर उन के खिलाफ पोक्सो ऐक्ट भी लगया गया था.
मुकदमा दर्ज होने के बाद सोशल एक्टिविस्ट रेहाना को गिरफ्तार कर लिया गया. निचली अदालतों से उन की जमानतें खारिज हो गईं तो उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. वहां से भी एक बार उन की जमानत याचिका खारिज कर दी गई. उन्होंने दोबारा डबल बेंच में जमानत की अरजी लगाई. दूसरी अरजी में उन्हें जमानत मिली. इस के बाद यह मुकदमा चलता रहा.
‘गौमाता’शब्द पर हुआ था विरोध
नवंबर, 2020 में एक बार वह फिर विवादों में आ गईं. खाने के एक शो में उन्होंने एक वीडियो डाला, जिस में उन्होंने मांस के लिए बारबार गौमाता शब्द का प्रयोग किया था. वीडियो में रेहाना ने कई बार कहा था कि वह गौमाता का मांस पका रही हैं. तब पुलिस ने धारा 153 के तहत रेहाना के खिलाफ केस दर्ज किया था.
इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस सुनील थौमस की पीठ ने कहा था कि हिंदू गौमाता शब्द का इस्तेमाल पवित्र गाय के लिए करते हैं. पकाए जा रहे मांस के बारे में रेहाना ने बारबार गौमाता का मांस कह कर करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को आहत किया है. जानबूझ कर इस तरह गौमाता शब्द का इस्तेमाल करना आपत्तिजनक है.
तब कोर्ट ने उन के सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर रोक लगाते हुए स्पष्ट किया था कि साफ लगता है कि गलत उद्देश्य से इस शब्द का उपयोग किया गया है. किसी को भी किसी की धार्मिक भावना की आहत करने का अधिकार नहीं है. इस के बाद रेहाना पर सोशल मीडिया पर अपने विचारों की अभिव्यक्ति पर रोक लग गई थी.
रेहाना ने पेंटिंग वाला जो वीडियो डाला था, उस में उन्होंने निचली अदालत से बरी करने की अपील की थी, पर निचली अदालत ने उन्हें बरी करने से मना कर दिया था. तब रेहाना हाईकोर्ट पहुंच गई, जहां लंबी सुनवाई के बाद जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने 5 जून, 2023 को अपने फैसले में रेहाना को बरी करते हुए कहा था कि निर्दोष कलात्मक अभिव्यक्ति को अश्लील नहीं माना जा सकता. न्यूडिटी और वल्गारिटी डिफरेंस है.
रेहाना ने अदालत में अपनी सफाई में कहा था कि उन्होंने यह वीडियो जानबूझ कर बना कर इंस्टाग्राम पर अपलोड किया था. वह इस वीडियो के माध्यम से पुरुष मानसिकता और महिला के शरीर को अश्लील मानने के खिलाफ मैसेज देना चाहती थी.
इस पर अदालत ने कहा था कि महिला शरीर के साथ भेदभाव करना वाजिब नहीं है. महिला के शरीर पर बौडी पेंटिंग उस का अधिकार है. महिला चाहे तो अपने शरीर का कैनवास के रूप में उपयोग कर सकती है. पुरुष अपना आधा शरीर खोल कर घूमते हैं, इसे कोई अश्लील नहीं मानता. यह दुख की बात है कि पुरुष और महिला के शरीर को ले कर भेदभाव किया जाता है. हमारे यहां के तमाम मंदिरों और सार्वजनिक स्थानों पर नग्न महिलाओं के शिल्पों या चित्रों को पवित्र या कला माना जाता है.
आदमी और औरत की नग्नता में अंतर
दुनिया में नग्नता और अश्लीलता हमेशा चर्चा का विषय रहा है. कुछ अश्लील हरकतें हम रोजाना देखते हैं. सडक़ पर जा रही लडक़ी को घूरघूर कर देखना अश्लीलता ही है. शौर्ट पहनी लडक़ी के पैरों को देखना या अंग विशेष को लोलुपता से ताकना विकृति है. कुछ शहरों और गांवों की स्थिति तो ऐसी है कि लड़कियों को स्लीवलैस कपड़े पहनने के बारे में सौ बार सोचना पड़ता है. शरीर पर गंदी नजर न पड़े, इस के लिए लड़कियों को दुपट्ïटा ओढऩा पड़ता है.
आज भी यह स्थिति है कि अमुक प्रकार के कपड़े महिलाएं पति के साथ कहीं घूमने जाती हैं, तभी पहनती हैं. सभी पुरुष खराब नहीं होते, पर कुछ के कारण सभी शंका की नजरों से देखे जाते हैं. हर मामले में पुरुषों को ही दोष नहीं दिया जा सकता. कुछ मामलों में लड़कियां भी कम नहीं हैं.
‘ह्वाई बौयज हैव आल द फन’यह कह कर तमाम लड़कियां भी लडक़ों के साथ और लडक़ों के आगे न करने वाली हरकतें करती हैं. अश्लीलता में सवाल लडक़े या लडक़ी का नहीं, नजर, नीयत और विकृति का होता है. सोशल मीडिया पर अश्लीलता का चलन सा चल पड़ा है. तमाम रील्स ऐसी होती हैं, जिन में लड़कियों को मनोरंजन का साधन दिखाया जाता है. फालोअर्स, लाइक्स, कमेंट्स और हिट बढ़ाने के लिए न जाने कैसेकैसे संवाद बोले जाते हैं और देखने के लिए ललचाएं, इस तरह की हरकतें की जाती हैं.
इस तरह की रील्स बनाने में लड़कियां भी पीछे नहीं हैं. इस सब के पीछे लाखों और हजारों फालोअर्स होते हैं. रील्स बनाने वाली या बनाने वाले बिंदास कहते हैं कि लोगों को जो देखना है, वह हम बनाते हैं और जो सुनना है, वह हम कहते हैं. हम किसी को शपथ तो खिलाते नहीं कि हमें फालो करो. सैक्स गंदी चीज नहीं है, पर इस का मतलब यह तो नहीं कि हर लडक़ी को गंदी नजरों से देखा जाए.
माननीय न्यायाधीश ने रेहाना को बरी करते हुए कहा था कि एक मां को अपने ही बच्चे से पेंटिंग बनवाना यौन अपराध नहीं करार दिया जा सकता. यह भी नहीं कहा जा सकता कि उस ने यह सब अपनी यौन संतुष्टि के लिए किया है. इस वीडियो में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसे अश्लील कहा जा सके. यह मात्र एक कलात्मक अभिव्यक्ति है, जिस में महिला ने अपने शरीर को अश्लील न माने जाने की बात करने का प्रयास कर रही है.
बरी होने के बाद रेहाना ने कहा कि मैं अपने बच्चों के साथ सभी को यह बताना चाहती थी कि महिला के शरीर को न्यूडिटी और अश्लीलता के खांचे में रख कर नहीं देखना चाहिए. महिला को भी अपने शरीर पर अधिकार है. इस के लिए न तो किसी महिला को झिझकना चाहिए और न शर्मिंदा होना चाहिए.
रेहाना ने अपना पक्ष रखते हुए आगे कहा कि जब उन्हें जेल भेजा गया था तो उन के बच्चों की समझ में यह बात बिलकुल नहीं आई कि उन्होंने अपनी मां के शरीर पर जो पेंटिंग बनाई, इस के लिए उन्हें जेल क्यों भेजा गया. अब उन के बरी होने पर बच्चे खुश हैं.