अनिल के घर से आती रोनेचीखने की आवाजें सुन कर पड़ोसियों को हैरानी हुई कि ऐसी क्या बात हो गई, जोअनिल इतनी जोर से रो रहा है. वह रोते हुए चीख रहा था, ‘‘अनिता तुम्हें क्या हो गया, तुम उठ क्यों नहीं रही हो?’’

अनिल सुबकते हुए कह रहा था, ‘‘देखो, हमारा बेटा मयंक भी नहीं उठ रहा है?’’

चीखपुकार और रोने की आवाजें सुन कर आसपड़ोस के कुछ लोग अनिल के घर पहुंच गए. लोगों ने देखा, एक कमरे में अनिता और उन का बेटा मयंक पड़े थे. दोनों ना तो होश में थे और ना ही हिलडुल रहे थे. अनिल ने पड़ोसियों को आया देख कर कहा, ‘‘पता नहीं मेरी बीवी और बेटे को क्या हो गया है? कुछ बोल ही नहीं रहे हैं. लगता है, इन्होंने कुछ खा लिया है. उल्टियां भी हुई थीं.’’

पड़ोसियों ने भी अनिता और मयंक के हाथपैर हिला कर उन की स्थिति जानने की कोशिश की, लेकिन दोनों में जीवन के कोई लक्षण नजर नहीं आए. पड़ोस की भाभीजी बोली, ‘‘कल रात तक तो अनिता मुझ से खूब हंसहंस कर बात कर रही थी. रात ही रात में ऐसा क्या हो गया, जो मरणासन्न सी पड़ी है.’’

अनिता और मयंक के कुछ खाने की बात सुन कर पड़ोसियों की सुगबुगाहट शुरू हो गई. तभी अनिल रोतेरोते बोला, ‘‘भाई साहब, आजकल कोरोना की महामारी चल रही है, कहीं मेरी बीवी और बेटा कोरोना के शिकार तो नहीं हो गए.’’

कोरोना की बात सुन कर पड़ोसियों ने कहा, ‘‘अनिल, इन दोनों को अस्पताल ले जाओ. एक बार डाक्टर को दिखाओ. क्या पता किसी और वजह से बेहोशी आ गई हो?’’

अनिल ने रोतेबिलखते हुए अपने साले और एकदो दूसरे रिश्तेदारों को फोन किया. फिर पत्नी अनिता और बेटे मयंक को कांवटिया अस्पताल ले गया. अस्पताल की इमरजेंसी में डाक्टरों ने जांचपड़ताल के बाद मांबेटे को मृत घोषित कर दिया. डाक्टरों ने अनिल की बताई बातों और दोनों शवों के लक्षण देख कर यह अंदाजा लगा लिया कि दोनों की मौत जहरीला पदार्थ खाने से हुई है. मांबेटे की संदिग्ध मौत के कारण अस्पताल प्रशासन की ओर से इस संबंध में पुलिस को सूचना दे दी गई.

यह बात इसी साल 25 जून की है. अनिल शर्मा जयपुर में सूर्यनगर, नाड़ी का फाटक, लाइफलाइन डेंटल अस्पताल के पास स्थित मकान नंबर 12 में पत्नी अनिता और बेटे मयंक के साथ रहता था. अनिल जयपुर कलेक्ट्रेट में क्लर्क है.

अस्पताल की सूचना पर करधनी थाना पुलिस कांवटिया अस्पताल पहुंची और अनिता व मयंक के शव को कब्जे में ले कर पंचनामे की कार्यवाही की. इस के बाद दोनों शवों का पोस्टमार्टम कराया गया. करधनी थाना पुलिस ने मामला धारा 174 सीआरपीसी में दर्ज कर इस की जांच एएसआई प्रमोद कुमार को सौंप दी.

पुलिस ने मौकामुआयना किया. अनिता के पति अनिल और पड़ोसियों से पूछताछ की. पूछताछ में सामने आया कि पड़ोसियों ने अनिता के देवर सुनील को घटना से एक दिन पहले शाम को अनिल के घर पर आतेजाते देखा था. यह भी पता चला कि अनिल की साली पूजा भी वहां आतीजाती रहती थी.

संदेह हुआ तो जांच हुई शुरू

शुरुआती जांच में पुलिस अधिकारियों को मांबेटे की मौत का यह मामला संदिग्ध नजर आया. इस पर डीसीपी (जयपुर पश्चिम) प्रदीप मोहन शर्मा ने जांच के लिए अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त बजरंग सिंह के निर्देशन में एक टीम बनाई. इस टीम को झोटवाड़ा के एसीपी हरिशंकर शर्मा के सुपरविजन और करधनी थानाप्रभारी रामकिशन बिश्नोई के नेतृत्व में काम करना था.

इस टीम में एएसआई प्रमोद कुमार, हैडकांस्टेबल मनोज कुमार, कांस्टेबल नरेंद्र सिंह, अजेंद्र सिंह, बाबूलाल, रामसिंह, अमन, रविंद्र और महिला कांस्टेबल निशा को शामिल किया गया.

पुलिस ने जांच में तेजी लाते हुए अनिल, उस के छोटे भाई सुनील और साली पूजा के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. इस के अलावा अनिल की गतिविधियों का भी पता लगाया. अनिल की ससुराल वालों की जानकारी भी हासिल की गई. अनिल की साली पूजा के बारे में भी जरूरी सूचनाएं जुटाई गईं.

पुलिस ने एकदो बार अनिल और पूजा से पूछताछ भी की. पुलिस की जांचपड़ताल तेज होती देख अनिल को लगा कि पुलिस गहराई में जा रही है. वह राजस्थान की राजधानी जयपुर की कलेक्ट्रेट में बाबू था. इसलिए उस का वास्ता सभी तरह के लोगों से पड़ता था. वैसे भी वह सरकारी कामकाज की सारी प्रक्रिया जानता था.

अनिल ने घटना के करीब एक हफ्ते बाद राजस्थान के पुलिस महानिदेशक कार्यालय में इस मामले की जांच के लिए एक परिवाद लगा दिया. दूसरी तरफ, कलेक्ट्रेट के अधिकारियों से पुलिस के एक उच्चाधिकारी को जांच के नाम पर अनिल को परेशान नहीं करने की सिफारिश कराई.

इन दोनों बातों से उस पर पुलिस का शक गहरा गया. कारण यह कि पुलिस ने अभी तक उस से कोई खास पूछताछ नहीं की थी, फिर भी उस ने कलेक्ट्रेट के अधिकारियों से सिफारिश लगवाई थी.

पुलिस को अनिल, सुनील और पूजा के मोबाइल की काल डिटेल्स मिली, तो उन में कई चौंकाने वाले पहलू सामने आए. तीनों के बयानों में काफी विरोधाभास था. पुलिस ने व्यापक जांचपड़ताल के बाद अनिल से सख्ती से पूछताछ की, तो उस की 38 साल की पत्नी अनिता और 14 साल के बेटे मयंक की मौत का राज खुल गया.

अनिल ने रचा बड़ा षडयंत्र

अनिल से पूछताछ के आधार पर उस के छोटे भाई सुनील और साली पूजा से भी पूछताछ की गई. इस पूछताछ के बाद पुलिस ने 30 जुलाई को अनिता और मयंक की हत्याओं के आरोप में अनिल, सुनील और पूजा को गिरफ्तार कर लिया.

पूछताछ में मांबेटे की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह अनिल का अपनी साली पूजा से प्रेम प्रसंग का परिणाम थी. जीजा अनिल के इश्क में पूजा इतनी निष्ठुर हो गई थी कि उस ने अपना घर बसाने के लिए बहन का घर उजाड़ने के साथ बहन और भांजे को भी मरवा दिया.

अनिल अपनी शादीशुदा साली के हुस्न का इतना दीवाना हो गया था कि उस ने पूजा से अवैध संबंधों का विरोध करने वाली पत्नी और बेटे को ही मौत की नींद सुला दिया. उस ने अपने भाई सुनील और साली पूजा के साथ मिल कर बीवीबच्चे की जान ले ली.

करीब 15 साल पहले अनिल शर्मा की शादी राजस्थान के सीकर जिले के लोसल कस्बे में रहने वाले अंजनी कुमार की बेटी अनिता से हुई थी. बड़ी बेटी अनिता की शादी के बाद अंजनी कुमार के परिवार में पत्नी मंजू, छोटी बेटी पूजा और बेटा अनुराग रह गए थे.

शादी के बाद अनिता खुश थी. पति अनिल सरकारी नौकरी में था. घर का खर्च आराम से चल जाता था. परिवार में ज्यादा जिम्मेदारियां भी नहीं थी. घर में केवल अनिल का छोटा भाई सुनील था. हंसीखुशी से दिन गुजर रहे थे. शादी के कुछ समय बाद ही अनिता ने एक दिन अनिल को खुशखबरी दी. अनिता के मुंह से जल्दी ही पिता बनने की बात सुन कर अनिल के जीवन में खुशियों के रंग भर गए.

आखिर वह दिन भी आ गया, अनिता ने बेटे को जन्म दिया. बेटा पा कर अनिल भी खुश था और अनिता भी. इन दोनों से ज्यादा खुश मंजू और अंजनी कुमार थे. वे दोनों नानानानी बन गए थे. नवासे ने उन के बुढ़ापे में भी खुशियों का चमन खिला दिया था. अनिल और अनिता ने बेटे का नाम मयंक रखा. मयंक समय के साथ बड़ा हो कर स्कूल जाने लगा.

पहले अनिल की पोस्टिंग सीकर में थी. इसी दौरान 14 जुलाई, 2014 को अनिल के ससुर अंजनी कुमार की संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई. सीकर जिले की लोसल थाना पुलिस ने जांचपड़ताल के बाद आत्महत्या का मामला मानते हुए अंजनी कुमार की मौत की फाइल बंद कर दी.

पत्नी और बेटे की हत्या में अनिल की जयपुर में हुई गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में यह रहस्य भी उजागर हुआ है कि अंजनी कुमार की हत्या की गई थी. अंजनी कुमार की हत्या के बारे में बाद में बात करेंगे. पहले अंजनी कुमार की मौत के बाद की कहानी जान लें.

अनिल की ससुराल में ससुर अंजनी कुमार ही परिवार के मुखिया थे. उन की मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. परिवार में दिवंगत अंजनी कुमार की पत्नी, एक जवान बेटी पूजा और छोटा बेटा अनुराग रह गए थे. घर में जवान बेटी हो और कोई बड़ा पुरुष ना हो, तो लोगों की गंदी नजरें पीछा करती ही हैं.

ऐसे समय में अनिल ने आगे बढ़ कर सहारा देने के लिए अपनी सास, साली और साले को सीकर में अपने साथ ही रख लिया. दोनों परिवार एकसाथ रहने लगे. इस दौरान अनिल और पूजा के बीच प्यार के बीज अंकुरित हो गए. घर में उन्हें ज्यादा मौका नहीं मिल पाता था, इसलिए मौका मिलने पर अनिल और पूजा घर से बाहर एकदूसरे की बांहों में समाने लगे.

इस बीच, अनिल ने अपने ससुर का प्लौट 30 लाख रुपए में बेच दिया और ससुराल वालों को बता दिया कि इस रकम से आप के लिए जयपुर में प्लौट ले लिया है. सास और सालासाली ने अनिल की बात पर भरोसा कर लिया. जबकि हकीकत यह थी कि अनिल ने ससुराल वालों के नाम से जयपुर में कोई प्लौट नहीं लिया था.

साल 2016 में अनिल का तबादला सीकर से जयपुर कलेक्ट्रेट में हो गया. तबादला होने पर अनिल को गुलछर्रे उड़ाने का बड़ा मौका हाथ लग गया. इस के लिए उस ने एक चाल चली. वह अपनी सास को विश्वास में ले कर साली पूजा तथा साले अनुराग को पढ़ाने के बहाने जयपुर ले आया, जबकि पत्नी अनिता व बेटे मयंक को सास की देखभाल के लिए सीकर में ही छोड़ दिया.

बीवी की जगह साली को लाया साथ

जयपुर आने के बाद अनिल को आजादी मिल गई. मन की मुराद पूरी करने के लिए वह साली पूजा को भी साथ ले आया था. जयपुर में उन्हें देखनेपूछने या टोकने वाला कोई नहीं था. इसलिए अनिल और पूजा को प्रेमबेल ज्यादा मजबूत होती गई.

जीजा के प्यार में डूबी पूजा अपनी बहन की ही सौतन बन कर अनिल से शादी करने के ख्वाब देखने लगी. अनिल को भी पता नहीं पूजा में ऐसा क्या दिखा कि वह भी उस से शादी रचाने को बेताब था. बस समस्या यह थी कि दोनों के बीच समाज और परिवार आड़े आ रहे थे.

इस बीच, अनिल ने जयपुर में मकान खरीद लिया और परिवार को जल्दी ही जयपुर ले आया. जयपुर आने पर अनिता को अनिल और पूजा की करतूतों का पता चल गया. अनिता ने इस का विरोध किया. फलस्वरूप घर में कलह होने लगी.

अनिल ने परिस्थितियां भांप कर सास, साली और साले को अपने मकान के पास ही दूसरा मकान दिलवा दिया. अनिता ने अपनी मां से पूजा की शादी जल्द से जल्द करने पर जोर दिया. अनिल ने साल 2018 में पूजा की शादी करवा दी.

भले ही पूजा की शादी हो गई थी, लेकिन वह तो जीजा अनिल को ही सपनों का राजकुमार मानती थी. यही कारण रहा कि पूजा शादी के बाद ससुराल बहुत कम जाती थी. जब भी वह ससुराल जाती, पति को नौकरी नहीं लगने का ताना मार कर उस से दूर ही रहती.

शादी के बाद भी पूजा और अनिल के बीच दूरियां कम नहीं हुई थी, बल्कि प्रेम की यह बेल एकदूसरे से गुंथ कर बढ़ती ही जा रही थी. इस बात पर अनिता और अनिल के बीच आए दिन झगड़ा होता था. इसी बीच, पूजा जयपुर में एक प्राइवेट नौकरी करने लगी.

अनिल और पूजा की राह में सब से बड़ा रोड़ा अनिता और मयंक थे. रोजाना के झगड़े से परेशान हो कर अनिल ने ऐसा षडयंत्र रचा कि सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे. अनिल ने इस षडयंत्र का मोहरा बनाया अपने छोटे सगे भाई सुनील को. उस ने सुनील शर्मा की शादी कराने और जयपुर में मकान दिलाने का लालच दिया.

सुनील की उम्र 30 साल से ज्यादा हो गई थी, लेकिन अभी तक उस की शादी नहीं हुई थी. वह बेरोजगार था. अनिल ने अपने भाई सुनील से कहा कि वह उस की शादी अपनी साली पूजा से करा देगा. पूजा भी तैयार है. लेकिन उस की भाभी अनिता और मयंक रोड़ा बने हुए हैं. अगर उन दोनों को ठिकाने लगा दिया जाए तो कोई परेशानी नहीं होगी.

पूजा तो अनिल की ग्रिप में पहले से ही थी, भाई भी मिल गया तो अनिल ने दोनों के साथ मिल कर अनिता और मयंक को रास्ते से हटाने की योजना बनाई.

इस के तहत अनिल ने मई के पहले सप्ताह में नींद की हाईडोज वाली गोलियां खरीदीं और अपने गांव धानोता जा कर सुनील को दे आया. साथ ही उसे पूरी योजना भी समझा दी.

कोरोना संक्रमण काल में लौकडाउन लगने के कारण मौका नहीं मिलने की वजह से सुनील जयपुर नहीं आ सका. अनिल ने 24 जून को अपने भाई सुनील को गांव से जयपुर अपने घर बुलाया. अनिल अपनी ड्यूटी पर चला गया. शाम को ड्यूटी पूरी कर के अनिल ने अपनी मोटरसाइकिल पर पूजा को साथ लिया. दोनों जयपुर स्थित अजमेर रोड पर एक होटल में पहुंचे और किराए पर एक कमरा ले लिया.

कुछ देर रुकने के बाद योजना के तहत दोनों ने कमरे में अपनेअपने बैग और मोबाइल छोड़ दिए. वे होटल से यह कह कर निकल गए कि कुछ देर में आएंगे. सुनील उसी दिन शाम को जयपुर स्थित अपने भाई के घर पहुंच गया.

होटल से निकल कर अनिल पूजा के साथ अपनी सास मंजू के घर जयपुर के चरणनदी मुरलीपुरा गया. वहां दोनों ने खाना खाया. कुछ देर बाद सास के घर से पूजा को मोटरसाइकिल पर बैठा कर अनिल अपने घर सूर्य नगर के लिए चल दिया. घर से कुछ पहले ही अनिल ने अपनी बाइक एक खाली प्लाट में खड़ी कर दी.

उस समय रात के करीब 11 बज रहे थे. अनिल व पूजा पैदल ही घर की ओर चल दिए. रास्ते में उन्हें सुनील मिला. सुनील ने बताया कि उस ने 13 गोलियां दूध में मिला कर भाभी अनिता और भतीजे मयंक को पिला दी हैं.

अंतिम घटनाक्रम

पूजा के साथ अनिल अपने घर में गया. सुनील बाहर खड़ा रहा. अनिल व पूजा ने देखा तो अनिता और मयंक बेहोश थे लेकिन उन की सांसें चल रही थीं. खेल बिगड़ता देख कर अनिल ने पहले से खरीदी हुई सल्फास की गोलियां नींबू की शिकंजी में मिला कर बेहोशी की हालत में ही अनिता और मयंक को मुंह खोल कर पिला दीं. एकदो गोलियां उन के मुंह में भी डालीं.

इस के बाद अनिल और पूजा मकान का गेट बंद कर वापस अजमेर रोड वाले होटल में चले गए. सुनील अपने गांव धानोता चला गया.

अगले दिन 25 जून को अनिल सुबह अकेला अपने घर पहुंचा और अनिता व मयंक की उल्टियों के बर्तन धो कर रोनाचीखना शुरू कर दिया. उस की चीखपुकार सुन कर पड़ोसी एकत्र हो गए. बाद की कहानी आप पढ़ चुके हैं. अनिता और मयंक की हत्या का राज खुलने पर करधनी थाना पुलिस ने भादंसं की धारा 302, 201 व 120बी के तहत नामजद केस दर्ज कर लिया.

अब अनिल के ससुर अंजनी कुमार की मौत का मामला भी समझ लीजिए. सीकर के लोसल निवासी अंजनी कुमार की संदिग्ध मौत जुलाई 2014 में घर में बने पानी की हौदी में डूबने से हुई थी. उस समय लोसल थाना पुलिस ने इसे आत्महत्या का मामला मानते हुए फाइल बंद कर दी थी.

अब पत्नी और बेटे की हत्या में गिरफ्तार अनिल ने करधनी थाना पुलिस को पूछताछ में बताया कि अंजनी कुमार की हत्या की गई थी. उन की हत्या में रिश्तेदार और अन्य लोग शामिल थे.

अंजनी कुमार की हत्या किस मकसद से किनकिन लोगों ने की थी, इस का खुलासा अनिल ने किया है.

करधनी थाना पुलिस ने इस मामले में लोसल थाना पुलिस को सूचना भेज दी है. लोसल पुलिस इस मामले की जांच कर रही है. हो सकता है अंजनी कुमार की हत्या का कोई नया राज खुले.

बहरहाल, जीजासाली के अंधे प्रेम ने 3 परिवारों को बरबाद कर दिया. अनिल के साथ उस का भाई भी जेल की सलाखों के पीछे चला गया. पूजा ना तो अपने पति की हुई और ना ही जीजा की हो सकी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सौजन्य: मनोहर कहानियां, सितबंर 2020

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