दुनिया में ऐसे बहुत सारे लोग हैं, जो चांद या मंगल पर जाना चाहते हैं यानी अंतरिक्ष में घूमना चाहते हैं तो ऐसे भी तमाम लोग हैं, जो यह जानना चाहते हैं कि आखिर समुद्र के अंदर क्या है? शायद इसी वजह से आज ऐसी कई कंपनियां बन गई हैं, जो इस तरह का टूरिज्म आयोजित करने लगी हैं. ऐसी ही एक कंपनी है ओशनगेट, जिस ने समुद्र के अंदर की दुनिया दिखाने के लिए एक पनडुब्बी बनाई थी, जिस का नाम था ‘टाइटन’.

टाइटन पनडुब्बी कैप्सूल के आकार की थी. इसलिए लोग इसे कैप्सूल या टाइटन सबमर्सिबल भी कहते थे. इस का कद ट्रक के बराबर था. यह 22 फुट लंबी और 9.2 फुट चौड़ी थी. इस की बाहरी परत 5 इंच मोटी थी. यह कार्बन फाइबर से बनी थी. इस के अंदर कोई सीट वगैरह नहीं थी. इस में बाहर देखने के लिए सामने शीशा लगा था.

इस में जाने वाले अंदर बैठ जाते थे तो इसे बाहर से बंद किया जाता था. यानी इसे अंदर से न तो बंद किया जा सकता था और न ही अंदर से खोला जा सकता था. इस की यात्रा 8 घंटे की होती थी, इसलिए इस में सवार यात्रियों के लिए इस के अंदर ही आक्सीजन की व्यवस्था की जाती थी.

टाइटैनिक टूरिज्म के तहत टाइटैनिक का मलबा दिखाने ले जाने के लिए कंपनी 2 करोड़ रुपए से अधिक किराया लेती थी. यह पनडुब्बी समुद्र में शोध और सर्वे के भी काम आती थी. इसे पानी में उतारने और औपरेट करने के लिए पोलर प्रिंस वेसल जहाज का इस्तेमाल किया जाता था. इस पनडुब्बी की खास बात यह थी कि यह 13 हजार फुट से अधिक गहराई तक गोता लगा सकती थी, जबकि टाइटेनिक का मलबा 12 हजार फुट की गहराई पर पड़ा है.

साल 1985 में कनाडा के न्यूफाउंडलैंड के पास टाइटैनिक जहाज का मलबा मिला था. जहाज डूबने के 70 साल बाद भी टाइटैनिक का जादू लोगों के सिर से उतरा नहीं था. लोग इस की कहानियां आज भी कहते हैं. जब टाइटैनिक पर फिल्म बनी तो इस का मलबा चर्चा में आया. लोगों में इस का मलबा देखने की उत्सुकता जागी तो इस का फायदा अमेरिका की ओशनगेट कंपनी ने उठाया और साल 2021 में टाइटैनिक टूरिज्म की शुरुआत हुई.

यह टूरिज्म कनाडा के न्यूफाउंडलैंड से शुरू होता था और वहीं जा कर खत्म होता था. इस यात्रा के लिए जाने वालों को एक महीने पहले से ही तैयार किया जाता था. टाइटन पनडुब्बी लोगों को 19 हजार फुट की गहराई तक ले जाती थी. ओशनगेट की वेबसाइट पर जा कर कोई भी टाइटैनिक टूरिज्म के लिए अपना स्लौट बुक कर सकता था.

लेकिन इस के लिए कुछ शर्तें तय की गई थीं. जैसे कि यात्रा पर जाने वाले की उम्र 18 साल से अधिक होनी चाहिए. यह यात्रा कनाडा से शुरू होती थी, इसलिए वहां जाने के लिए पासपोर्ट और वीजा होना चाहिए. एक सप्ताह तक पनडुब्बी में रहने की क्षमता होनी चाहिए. पानी के अंदर किसी भी परिस्थिति से निपटने में सक्षम होना चाहिए. 6 फुट की सीढ़ी तेजी से चढ़ सके और 10 किलोग्राम वजन उठाने की सामथ्र्य भी होनी चाहिए.

इसी पनडुब्बी से 5 लोग टाइटैनिक जहाज को, जो 111 साल पहले समुद्र में डूब गया था, उस का मलबा देखने के लिए 16 जून, 2023 को निकले थे. उन का यह पूरा ट्रिप 8 दिनों का था.

5 अरबपति गए टाइटैनिक जहाज का मलबा देखने

16 जून, 2023 को इस यात्रा के लिए पहले से ही बुकिंग थी. इसमें जाने वाला कोई साधारण आदमी तो हो नहीं सकता था, क्योंकि जिस का किराया ही 2 करोड़ रुपए से अधिक हो, उस में साधारण आदमी कैसे यात्रा कर सकता है. तो इस पनडुब्बी में यात्रा करने वाले सभी अरबपति लोग थे. इन में से एक थे ब्रिटिश बिजनैसमैन हैमिश हार्डिंग, दूसरे पाकिस्तानी-ब्रिटिश बिजनैसमैन शहजादा दाऊद और तीसरा उन का बेटा सुलेमान, चौथे फ्रेंच डाइवर पौल हेनरी और पांचवे ओशनगेट कंपनी के सीईओ स्टौकटन रश. यही स्टौकटन रश ही पनडुब्बी के पायलट थे.

dead-passengers-of-titan-submarine

सफर की शुरुआत 16 जून को कनाडा के पोर्ट न्यूफाउंडलैंड से हुई थी. वहां से ये लोग एक समुद्री जहाज पर सवार हो कर लगभग 7 सौ किलोमीटर का सफर तय कर के उस जगह पहुंच गए थे, जहां टाइटनिक जहाज का मलबा समुद्र की तलहटी में पड़ा था. यहां तक पहुंचने में उन्हें 2 दिन का समय लगा था. ये लोग वहां 18 जून को पहुंचे थे.

वहां पहुंच कर भारतीय समय के अनुसार शाम के साढ़े 5 बजे और वहां के समय के अनुसार सुबह के 8 बजे टाइटन पनडुब्बी में चारों यात्रियों को बैठा कर बाहर से बंद कर दिया गया. क्योंकि इस पनडुब्बी की बनावट ही ऐसी थी कि इसे बाहर से ही बंद किया और खोला जा सकता था. इस के अंदर बैठे लोग इसे न तो अंदर से खोल सकते थे और न बंद कर सकते थे.

इस तरह पांचों लोगों को पनडुब्बी में बैठा कर समुद्र में उतार दिया गया. समुद्र में उतरते ही पनडुब्बी तेजी से टाइटैनिक जहाज के मलबे की ओर बढ़ी. समुद्र की सतह से टाइटैनिक जहाज का मलबा करीब 4 हजार मीटर यानी 12,500 फुट नीचे समुद्र की तलहटी में है.

पनडुब्बी को वहां तक पहुंचने में करीब 2 घंटे लगते थे. उसी तरह इसे ऊपर आने में भी 2 घंटे का समय लगता था. यह पनडुब्बी 4 घंटे समुद्र के अंदर टाइटैनिक के मलबे के आसपास घूमती रहती थी, जिस से उस से गए टूरिस्ट आराम से टाइटैनिक का मलबा देख सकें और फोटो आदि खींच सकें. इस तरह देखा जाए तो इस पनडुब्बी का सफर 8 घंटे का था.

पनडुब्बी और जहाज का टूट गया संपर्क

जहाज पनडुब्बी को समुद्र में उतार कर वहीं घूमता रहता था, क्योंकि उस के वापस आने पर उसे पोर्ट तक लाना भी होता था. पनडुब्बी के समुद्र में उतरने के 1 घंटा 45 मिनट बाद यानी 9 बज कर 45 मिनट पर अचानक ऊपर खड़े जहाज पोलर प्रिंस से पनडुब्बी का संपर्क टूट गया था.

ऊपर जहाज में बैठे लोगों ने पनडुब्बी में बैठे लोगों से संपर्क करने की बहुत कोशिश की, पर उन्हें कोई कामयाबी नहीं मिली. पनडुब्बी के अंदर बैठे लोग कुछ कर नहीं सकते थे. वे तो पूरी तरह ऊपर जहाज में बैठे लोगों के भरोसे थे. उस समय यह अनुमान लगाया गया था कि पनडुब्बी में केवल 4 दिन का ही औक्सीजन है.

जहाज में बैठे लोग जब संपर्क नहीं जोड़ पाए तब वे पनडुब्बी के वापस आने का इंतजार करने लगे. पनडुब्बी सुबह के 8 बजे समुद्र में नीचे गई थी. उसे 8 घंटे बाद वापस आना था यानी वहां के समय से उसे शाम के 3, साढ़े 3 बजे के बीच वापस आना था. लेकिन वह वापस नहीं आई. तब जहाज में बैठे लोगों को चिंता हुई. सभी परेशान होने लगे कि आखिर पनडुब्बी वापस क्यों नहीं आई?

इस के बाद जहाज पर आए लोगों ने कनाडा और यूएस के कोस्ट गार्ड (तट रक्षक) को सूचना दी. कोस्ट गार्ड आए और सर्च औपरेशन शुरू हुआ. उन के वहां आतेआते रात हो गई थी, लेकिन वे रात को भी पनडुब्बी की तलाश में लगे रहे.

टाइटन पनडुब्बी का क्या हुआ, उस से गए यात्री बाहर आए या नहीं, यह जानने से पहले आइए थोड़ा उस टाइटैनिक जहाज के बारे में जान लें, जिस का मलबा देखने ये पांचों अरबपति गए थे.

टाइटैनिक अपने समय का सब से बड़ा जहाज था. इसे उस समय का सब से अच्छा और न डूबने वाला जहाज कहा गया था. इस में दुनिया की तमाम सुविधाओं का ध्यान रखा गया था. इस का निर्माण ब्रिटिश शिपिंग कंपनी व्हाइट स्टार लाइन ने किया था. इस का निर्माण कार्य 31 मार्च, 1909 को शुरू हुआ था तो 31 मई, 1911 को इस विशाल जहाज को लोगों के सामने पेश किया गया था.  इसे देखने के लिए करीब 10 हजार लोग इकट्ठा हुए थे.

उस समय इसे तैरते हुए शहर की उपाधि दी गई थी. कहा जाता है कि इस की ऊंचाई करीब 17 मंजिला बिल्डिंग के बराबर थी. यह भाप से चलने वाला जहाज था. इस की लंबाई फुटबाल के 3 मैदानों के बराबर थी. जहाज में रोजाना 800 टन कोयले की खपत होती थी. इस की सीटी तो 11 मील दूर तक सुनी जा सकती थी. इस जहाज में हर सुखसुविधा उपलब्ध थी.

ब्रिटेन के साउथंप्टन से न्यूयार्क सिटी के लिए टाइटैनिक 10 अप्रैल, 1912 को सफर पर निकला था. यात्रा के 4 दिनों बाद यानी 14 अप्रैल को रात 11 बज कर 40 मिनट पर यह एक हिमशिला (बर्फ का बहुत बड़ा टुकड़ा) से टकरा गया था, जिस से इस के 2 टुकड़े हो गए थे. इस के बाद यह पूरा जहाज करीब 2 घंटे में डूब गया था. उस समय इस जहाज में 2,224 लोग सवार थे. इस हादसे में करीब 15 सौ लोगों की मौत हो गई थी. सिर्फ 706 लोगों को बचाया जा सका था.

अलगअलग शख्सियत थे टाइटन में डूबने वाले

इसी जहाज के मलबे को देखने के लिए टाइटन पनडुब्बी में 5 लोग सवार थे, जिस में ब्रिटिश बिजनैसमैन हैमिश हार्डिंग 58 साल के थे. इन का जन्म 24 जून, 1964 को ब्रिटेन में हुआ था. यह संयुक्त अरब अमीरात में ब्रिटिश व्यापारी थे. इस के अलावा यह खोजी, पायलट और अंतरिक्ष यात्री भी थे.

यह हार्डिंग ऐक्शन ग्रुप के संस्थापक और अंतरराष्ट्रीय विमान ब्रोकरेज कंपनी ‘ऐक्शन एविएशन’के अध्यक्ष थे. यह कंपनी चार्टर्ड विमान खरीदने और बेचने का काम करती है. इस का हेडऔफिस दुबई में है. भारत में चीता लाने में इन्होंने काफी मदद की थी. इन की अपनी लग्जरी टूरिस्ट कंपनी भी है.

फ्रैंच डाइवर पौल हेनरी जार्जियोले. इन का तो शौक ही नईनई चीजों की खोज करना था. यह पहले फ्रैंच नेवी में थे. यह नौसेना में कमांडर थे. इन्हें तो मिस्टर टाइटैनिक नाम से ही जाना जाता था. वह टाइटैनिक के बारे में करीब 35 सालों से शोध कर रहे थे. इस के पहले भी यह टाइटैनिक पर जाने वाले अभियानों का हिस्सा रहे हैं. 1987 में जब टाइटेनिक का कुछ हिस्सा लाया गया था, तब उस टीम में भी पौल भी शामिल थे.

पाकिस्तानी-ब्रिटिश बिजनैसमैन शहजादा दाऊद 48 साल के थे. यह कंग्लोमरेट एग्रो कारपोरेशन के अध्यक्ष थे. यह कंपनी खाद बनाती है. यह अपनी बीवी क्रिस्टीन और बच्चों अलीना और सुलेमान के साथ साउथ वेस्ट लंदन में रहते थे. लेकिन इधर एक महीने से इन का परिवार कनाडा में रह रहा था.

शहजादा दाऊद फाउंडेशन (नौन प्राफिटेबल संस्था) और कैलिफोर्निया की रिसर्च आर्गेनाइजेशन एसईटीआई के लिए भी काम करते थे. वह अलगअलग प्राकृतिक जगहों पर घूमने और रहस्यों को उजागर करने के शौकीन थे. शहजादा दाऊद का परिवार पाकिस्तान के सब से रसूखदार परिवारों में एक है. उन का नेटवर्थ 350 मिलियन डालर यानी भारतीय रुपयों में 2868 करोड़ रुपए से ज्यादा है.

उन का बेटा सुलेमान 19 साल का था. उस ने अभी जल्दी ही पढ़ाई खत्म की थी. वह साइंस फिक्शन का बहुत बड़ा शौकीन था.

स्टौकटन रश ओशनगेट कंपनी के फाउंडर भी थे और सीईओ भी. यही इस पनडुब्बी के पायलट भी थे. यही इस अभियान को कमांड कर रहे थे. रश कंपनी के फाइनेंशियल और इंजीनियरिंग के काम को देखते थे. उन्होंने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के बर्कले हास स्कूल औफ बिजनैस से एमबीए किया था. इन की पत्नी वेंडी रश के परदादा और परदादी 1912 में टाइटैनिक दुर्घटना में मारे गए थे. वे दोनों टाइटैनिक पर सवार सब से धनी यात्रियों में से थे.

अमेरिकी और कनाडाई एजेंसियां उतरीं सर्च अभियान में

टाइटन पनडुब्बी वापस नहीं आई तो कनाडा और अमेरिका के कोस्ट गार्डों ने पनडुब्बी को खोजने का औपरेशन शुरू कर दिया था. सर्च औपरेशन में 10 जहाज, पनडुब्बियों को शामिल किया गया था. इस के अलावा फ्रांस ने अपना अंडरवाटर रोबोट भी उतारा था.

पनडुब्बी से जब संपर्क टूटा था, तब वह अमेरिकी तट से 900 नौटिकल मील दूर केप कोड के पूर्व में थी. इस खोजी और बचाव अभियान में अमेरिकी और कनाडाई एजेंसियों के अलावा गहरे समुद्र में उतरने वाली व्यावसायिक कंपनियां भी लगी थीं, जो सैन्य विमानों, पनडुब्बियों और सोनार बौय मशीनों से पनडुब्बी को खोज रहे थे. इस में कई निजी जहाज भी मदद कर रहे थे. रेस्क्यू टीम समुद्र में 7,600 स्क्वायर मील के एरिया में सर्चिंग कर रही थी. पानी में सोनार बौय भी छोड़े गए थे, जो पानी में 13 हजार फुट की गहराई तक मौनिटरिंग करने में सक्षम होते हैं.

आखिर इस सर्च औपरेशन में कनाडाई जहाज होराइजन आर्कटिक को सफलता मिली. वह अपने साथ रिमोट औपरेटेड वाहन लाया था. उसी की मदद से पनडुब्बी का मलबा खोजा गया. पनडुब्बी का यह मलबा समुद्र में 12,500 फुट की गहराई में टाइटैनिक के मलबे से करीब 16 सौ फुट की दूरी पर 22 जून, 2023 को यानी गायब होने के 4 दिन बाद मिला था. मलबा मिलने के बाद साफ हो गया था कि टाइटन पनडुब्बी में सवार पांचों अरबपतियों की मौत हो गई है. समुद्र में इतने नीचे जाना और बचाव कार्य को अंजाम देना आज की विकसित प्रौद्योगिकी के बावजूद टेढ़ी खीर है.

टाइटन पनडुब्बी की आखिरी लोकेशन टाइटनिक जहाज के पास ही दर्ज की गई थी. लापता होने के कुछ देर बाद रडार पर विस्फोट से जुड़े कुछ सिग्नल भी मिले थे. यह जानकरी तुरंत कमांडर को शेयर की गई थी, जिस से सर्च औपरेशन में मदद मिली. इस मलबे से पता चला कि यह हादसा कैटास्टौफिक इंप्लोजन की वजह से हुआ था.

बताया जाता है कि कैटास्टौफिक इंप्लोजन तब होता है, जब किसी पनडुब्बी पर इतना दबाव बन जाए कि वह फट जाए. कहा जाता है कि मलबे में मानव अवशेष मिले थे. इस की सही जानकारी तो मैडिकल जांच के बाद ही मिलेगी. इस से साफ हो गया है कि मलबा देखने जाने वालों के शव अब नहीं मिल सकेंगे.

बहुत चुनौतीपूर्ण है टाइटन का सफर

अब हम यह समझने की कोशिश करते हैं कि जब पनडुब्बी समुद्र में अंदर जाती है तो क्या होता है, उस के अंदर बैठे लोगों को किस तरह की चुनौतियों का सामना करना होता है?

समुद्र इतना विशाल है कि वह अपने आप में पूरी एक दुनिया है. आज तक वैज्ञानिक समुद्र के बारे में 5 प्रतिशत ही जान पाए हैं. टाइटैनिक का मलबा समुद्र में जहां पड़ा है, वहां की गहराई 12,500 फुट है. वहां जाने के लिए मनुष्य को इतने सारे खतरों का सामना करना पड़ता है कि मनुष्य को सोचने का भी वक्त नहीं मिलता कि वे कब हादसे का शिकार हो जाते हैं.

समुद्र में सूर्य का प्रकाश 600 फुट की गहराई तक ही पहुंच पाता है. इस के बाद जैसे दुनिया से संपर्क खत्म हो जाती है. इस के बाद मनुष्य अपने हिसाब से खोज करता है. औक्सीजन सिलेंडर के जरिए मनुष्य 1,575 फुट की गहराई तक ही अंडरवाटर रेस्क्यू कर पाया है. इस के बाद मनुष्य को पनडुब्बी का सहारा लेना पड़ता है.

समुद्र इतना गहरा है कि इस में दुनिया की सब से ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा भी समा सकता है. समुद्र में 3,300 फुट की गहराई पर एकदम अंधेरा हो जाता है. वहां जमा देने वाली ठंड होती है. समुद्र के अंदर जाने पर समुद्री जीवों का भी सामना करना पड़ता है. ऊपरी सतह पर बहुत सारी मछलियां और समुद्री जीव होते हैं. समुद्र के अंदर 4,500 फुट की गहराई पर जाने पर विशाल आक्टोपस का सामना करना पड़ता है.

यहां यह ध्यान देना पड़ता है कि पनडुब्बी के पीछे कोई समुद्री जीव तो नहीं आ रहा. 7,000 फुट के नीचे व्हेल जोन शुरू होता है, जिसे समुद्र का राजा कहा जाता है. जानकारी के अनुसार समुद्र में 7,000 से 8,000 फुट की गहराई में व्हेल रहती हैं.

10,000 फुट की गहराई पर न सूर्य प्रकाश देखने को मिलेगा, न कोई समुद्री जीव. केवल पनडुब्बी में सवार लोग ही होंगे. तब स्थिति बड़ी भयावह होती होगी. जो पनडुब्बी नीचे जा रही होती होगी, उस पर पानी का दबाव भी बहुत ज्यादा हो चुका होता है.

अटलांटिक महासागर में 12,500 फुट की गहराई पर टाइटैनिक का मलबा पड़ा है, जिसे देखने के लिए लोग पनडुब्बी से जाते हैं. यहीं पर टाइटन पनडुब्बी में विस्फोट हुआ है. इस जगह को बहुत खतरनाक माना जाता है. इसे मिडनाइट जोन कहा जाता है. क्योंकि यहां घुप्प अंधेरा होता है. यहां जमा देने वाली ठंड होती है. पानी के तेज बहाव के कारण यहां तेज करंट भी बनता है. टाइटन पनडुब्बी समुद्र में 13,123 फुट नीचे तक जा सकती थी. बताया जाता है कि किसी तकनीकी खराबी की वजह से यह हादसा हुआ है.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...