मध्य प्रदेश के जिला खरगोन का एक कस्बा है बोरावां. यह कस्बा यहां के फार्मेसी कालेज के लिए मशहूर है. हौस्टल युक्त फार्मेसी कालेज के मालिक हैं मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अरुण यादव. इंदौर निवासी अंकित राठौर, जिला धार का अक्षय जोशी और जिला खंडवा के पंधाना का रहने वाला विशाल चौधरी इसी फार्मेसी कालेज में साथसाथ पढ़ते थे. बीफार्मा के ये तीनों छात्र अच्छे दोस्त थे और कालेज के ही हौस्टल में रहते थे.
बोरावां से 7 किलोमीटर दूर स्थित ओझरा गांव की काजल भी इसी कालेज की बीफार्मा की छात्रा थी. वह अपने घर से कालेज आतीजाती थी. एक ही कालेज में साथ पढ़ने की वजह से अंकित से उस की अच्छी दोस्ती थी. अक्षय और विशाल भी अंकित के सहपाठी थे, इसलिए उन से काजल के भी अच्छे संबंध थे. लेकिन अंकित उस के कुछ ज्यादा ही निकट था. कह सकते हैं कि दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी.
इन सभी छात्रों का यह आखिरी साल था, जिस की परीक्षा 20 मई से 31 मई, 2014 के बीच होनी थी. चूंकि इस फार्मेसी कालेज में बीफार्मा तक ही पढ़ाई संभव थी, इसलिए परीक्षा के बाद सभी छात्रछात्राओं को अपनेअपने घर चले जाना था. काजल एमफार्मा करना चाहती थी. इस के लिए उस ने पुणे जाने का मन बना रखा था. इस बारे में उस ने अपने पिता से बात भी कर ली थी.
काजल और अंकित की निकटता की बात किसी से छिपी नहीं थी. अन्य छात्रों के साथ दोनों कई बार बाहर घूमने भी गए थे. दोनों की रोजाना कालेज में तो मुलाकात होती ही थी, कभीकभी छुट्टी के दिन अंकित काजल के ओझरा स्थित घर भी आ जाता था. काजल बालिग थी और समझदार भी. दोनों चूंकि सहपाठी थे, इसलिए घर वाले भी अंकित के आने पर आपत्ति नहीं करते थे.
10 मई को शनिवार था. उस दिन काजल और उस के मातापिता को एक मांगलिक समारोह में शामिल होने के लिए इंदौर जाना था. 11 बजे जब जाने की तैयारी हो गई तो काजल ने पिता से कहा, ‘‘पापा, आप दोनों चले जाइए, एग्जाम सिर पर हैं, मुझे पढ़ाई करनी है.’’
काजल के पिता को बेटी की बात ठीक लगी. वह काजल को घर पर छोड़ कर पत्नी के साथ इंदौर के लिए निकल गए. उन के जाने के बाद काजल पढ़ाई में लग गई.
लगभग साढ़े 12 बजे अंकित राठौर काजल के घर आया. उस के साथ अक्षय जोशी और विशाल चौधरी भी थे. आरोप के अनुसार, काजल इन लोगों के इरादे से अनजान थी. बातों के दौरान अंकित ने अचानक काजल को दबोच लिया. उस का इरादा भांप कर काजल ने विरोध करते हुए धमकी दी, ‘‘मुझे छोड़ो, वरना मैं शोर मचा दूंगी.’’
‘‘तुम शोर तो तब मचाओगी, जब शोर मचाने लायक रहोगी.’’ कह कर अंकित ने आगे बढ़ कर उस का मुंह दबा दिया. इस के बाद तीनों ने उसे गिरा दिया और मुंह दबाए दबाए ही उस के साथ बड़ी दरिंदगी से दुष्कर्म किया.
चूंकि काजल तीनों को पहचानती थी, इसलिए उस का जिंदा रहना उन के लिए खतरनाक साबित हो सकता था. इसलिए अंकित और उस के साथियों ने तय किया कि इसे मार दिया जाए. अंकित काजल के यहां पहले भी आताजाता रहा था, इसलिए वह उस के घर के कोनेकोने से परिचित था.
अंकित दौड़ कर कोने में पड़ा पलंग का पाया उठा लाया और उसे काजल के सिर पर दे मारा. उसी एक वार में वह बेहोश हो गई तो अंकित किचन में गया और वहां रखा मिट्टी के तेल का डिब्बा उठा लाया. उस ने उस के ऊपर मिट्टी का तेल डाला तो संयोग से काजल को होश आ गया. वह जान बख्श देने की मिन्नतें करने लगी, लेकिन अब अंकित और उस के साथियों को काजल की नहीं, अपनी चिंता थी.
उन्होंने उस की मिन्नतों पर ध्यान न दे कर माचिस की तीली जला कर उस के ऊपर फेंक दी. मिट्टी का तेल पड़ा होने की वजह से काजल जलने लगी. आग की जलन से वह चिल्लाई तो पड़ोस में रहने वाले सतीश यादव के कानों में उस की चीखने की आवाज पड़ी. उस समय वह खाना खा रहे थे. वह खाना छोड़ कर बाहर आए और दौड़ कर काजल के चाचा को बुला लाए. उन्हें साथ ले कर वह छत पर चढ़े तो वह उन्हें एक लड़का खड़ा दिखाई दिया.
वहां से उन्होंने जो मंजर देखा था, वह बड़ा ही भयावह था. उस समय उन के पास इतना समय नहीं था कि वे उस युवक से कुछ पूछते. सतीश यादव काजल के चाचा के साथ सीढि़यों से तेजी से नीचे की ओर भागे. उन के साथसाथ वह युवक भी नीचे आ गया. दोनों आग बुझाने की कोशिश करने लगे तो युवक भी उन की मदद करने लगा.
काजल की चीखपुकार सुन कर अब तक आसपड़ोस के काफी लोग एकत्र हो गए थे. काजल की हालत देख कर सभी के रोंगटे खड़े हो गए. वह बुरी तरह जली हुई थी. उस के शरीर का कोई भी अंग जलने से नहीं बचा था. उस के तन पर एक धागा तक नहीं बचा था. यह सब कैसे हुआ, लोग इधरउधर ताकझांक कर रहे थे कि तभी कुछ लोगों ने देखा कि 2 युवक भागने की कोशिश में हैं.
एक तो वे लड़के गांव के नहीं थे, दूसरे उन की हरकतें संदिग्ध लगीं, इसलिए गांव वालों ने उन्हें पकड़ लिया. पूछताछ में दोनों लड़के गांव वालों के सवालों का ठीक से जवाब नहीं दे सके तो गांव वालों ने उन की पिटाई शुरू कर दी.
घटना की सूचना थाना ओझरा पुलिस को देने के साथसाथ काजल के मातापिता को भी दी गई थी. उस समय तक वे कसराबाद से 20 किलोमीटर आगे पहुंच गए थे. वे वहीं से लौट पड़े. सूचना मिलने के थोड़ी देर बाद ही थाना ओझरा के थानाप्रभारी गिरीश जेजुलकर पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर आ गए थे. उन्होंने तुरंत वाहन की व्यवस्था कराई और बुरी तरह जली काजल को इलाज के लिए खरगोन भिजवाया.
काजल को ले जाने जाने वाली गाड़ी में ही अंकित भी बैठा था. तब तक लोगों को पता नहीं था कि पकड़े गए दोनों लड़कों के साथ यह भी था. लेकिन जब कसराबाद पहुंचे तो पता चला कि यह भी उन्हीं के साथ था तो उसे भी पुलिस के हवाले कर दिया गया.
काजल 96 प्रतिशत जली थी, इसलिए खरगोन अस्पताल ने प्राथमिक चिकित्सा के बाद उसे इंदौर के चोइथराम अस्पताल ले जाने को कहा. काजल को चोइथराम अस्पताल पहुंचाया गया. चूंकि यह बर्न केस था और काजल 96 प्रतिशत जली थी. उस के बचने की संभावना न के बराबर थी, इसलिए उस का जल्दी से जल्दी बयान लेना जरूरी था. अस्पताल प्रशासन ने इस बात की सूचना तुरंत स्थानीय थाना राजेंद्रनगर पुलिस को दे दी. स्थिति गंभीर थी, इसलिए थाना पुलिस तुरंत तहसीलदार को ले कर काजल का बयान लेने अस्पताल पहुंच गई.
तहसीलदार को दिए अपने बयान में काजल ने बताया था कि मातापिता और भाई के चले जाने के बाद वह घर में अकेली रह गई थी. परीक्षा नजदीक होने की वजह से वह अपनी पढ़ाई में लगी थी. दोपहर को पीछे का दरवाजा खटखटाया गया तो उस ने जा कर दरवाजा खोला. बाहर अंकित राठौर अक्षय जोशी और विशाल चौधरी के साथ खड़ा था.
चूंकि तीनों लड़के काजल के साथ पढ़ते थे और उन में अंकित उस का घनिष्ठ दोस्त होने की वजह से उस के घर भी आताजाता रहा था, इसलिए अकेली होने के बावजूद उस ने उन तीनों को अंदर आने दिया. उसे लगा, परीक्षा नजदीक होने की वजह से वे उस से कुछ पूछने समझने आए होंगे.
लेकिन अंकित और उस के साथियों का इरादा कुछ और ही था. अंदर आते ही उन्होंने उसे दबोच लिया तो उसे उन के इरादे का पता चला. उन के इस इरादे से वह घबरा गई. उस ने विरोध करते हुए शोर मचाने की धमकी दी तो उन्होंने उस का मुंह दबा दिया.
दबोचने के बाद तीनों ने बारीबारी से उस के साथ दुष्कर्म किया. चूंकि वह उन्हें पहचानती थी, इसलिए उसे खत्म करने के इरादे से पहले तो उन्होंने उस के सिर पर पलंग के पाये से वार किया. इस वार से वह गिर कर बेहोश हो गई. लेकिन जब उन लोगों ने उस के ऊपर मिट्टी का तेल डाला तो उसे होश आ गया.
वह जान बख्श देने के लिए गिड़गिड़ाई, लेकिन वे उसे जिंदा नहीं छोड़ना चाहते थे. इसलिए उन पर ध्यान कर के अंकित ने आग लगा दी. आग की जलन से वह चीखी चिल्लाई तो अलगबगल के लोग आ गए और आग बुझा कर उसे अस्पताल पहुंचाया.
काजल के साथ दुष्कर्म कर के जलाने वाले तीनों आरोपी पकड़े जा चुके थे. चोइथराम अस्पताल के डाक्टरों ने काजल को बचाने की कोशिश तो बहुत की, लेकिन उन की यह कोशिश सफल नहीं हुई और अगले दिन यानी 11 मई की सुबह 8 बजे उस ने दम तोड़ दिया.
उस के मरते ही मातापिता की हालत खराब हो गई. मां तो बेहोश हो कर गिर पड़ी. काजल जब से अस्पताल में भरती हुई थी, तब से पिता को याद करते हुए मिलने आने वाले रिश्तेदारों से वह कह रही थी कि पापा को बुला दो, मगर पिता बेटी से मिलने की हिम्मत नहीं कर सके. बेटी की मौत पर वह बिलखबिलख कर रो रहे थे कि अगर एक बार बेटी से मिल लेते तो शायद उसे संतोष हो जाता.
पुलिस ने अपनी काररवाई निपटा कर काजल के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया था. उसी दिन उस की लाश का पोस्टमार्टम हो गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार वह बुरी तरह जली थी. यहां तक कि उस के अंदर तक के अंग जल गए थे. वह सेकेंड और थर्ड डिग्री के बीच यानी 96 प्रतिशत जली थी. जलने की कुल 6 डिग्रियां होती हैं. छठी डिग्री में शरीर राख हो जाता है.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार काजल और हत्यारों के बीच संघर्ष के भी निशान पाए गए थे. हत्यारों ने पलंग के पाये से जो वार किया था, उस से करपटी, सिर के सामने और अंदरूनी हिस्से की ज्यादातर हड्डियां टूट गई थीं. उस के साथ बड़ी ही दरिंदगी से दुष्कर्म किया गया था, जिस से गुप्तांग ही नहीं, गर्भाशय भी जख्मी हो गया था.
पोस्टमार्टम के बाद काजल का शव घर वालों को सौंप दिया गया. घर वालों ने ओझरा ले जा कर उसी दिन देर शाम नर्मदा नदी के किनारे गांव नावड़ातोड़ी के पास अंतिम संस्कार कर दिया. इंदौर के थाना राजेंद्रनगर पुलिस ने जो काररवाई की थी, उस की फाइल थाना ओझरा पुलिस को भेज दी थी, क्योंकि पूरे प्रकरण की रिपोर्ट वहीं दर्ज थी.
काजल के साथ दुष्कर्म और उसे जला कर मारने के आरोप में पकड़े गए आरोपियों से जब थाना ओझरा पुलिस ने पूछताछ की तो पहले अक्षय और विशाल ने अंकित को पहचानने से ही इनकार कर दिया. लेकिन जब पुलिस ने थोड़ी सख्ती की तो दोनों ने कहा कि जब ये सब हुआ वे दोनों घर के बाहर खड़े थे. अंकित भी कुछ इसी तरह की बातें करता रहा. तीनों ही बारबार बयान बदलते रहे.
अंत में पुलिस की सख्ती पर अंकित और उस के दोस्तों ने स्वीकार कर लिया कि इस पूरी वारदात को उन्होंने ही अंजाम दिया था. वारदात को अंजाम देने के लिए वे काजल के घर लगभग आधा घंटा रुके थे.
पूछताछ में अंकित राठौर, विशाल चौधरी और अक्षय जोशी ने पुलिस को जो बताया था, उस के अनुसार अंकित इंदौर के ही कुशवाहनगर के रहने वाले सुनील राठौर का बेटा था. सुनील राठौर की पिछले साल जून में मौत हो चुकी थी. पिता की मौत के बाद उस के साथ घर में मां संध्या और बहन नंदिनी रह गई थी. नंदिनी किसी कंपनी में नौकरी करती थी. उसी की कमाई से घर का खर्च चल रहा था. मांबेटी को उम्मीद थी कि अंकित पढ़लिख कर दोनों का सहारा बनेगा, लेकिन इस घटना से दोनों की उम्मीदों पर पानी फिर गया.
अंकित की बीफार्मा की पढ़ाई का यह अंतिम साल था. 31 मई को उस का अंतिम पेपर था. वैसे तो वह सीधासादा छात्र था. इस के पहले उस ने कभी कोई वारदात भी नहीं की थी. वह पढ़ने में तो ठीकठाक था ही, कालेज में होने वाले विभिन्न सांस्कृतिक व खेल प्रतियोगिताओं में भी भाग लेता रहता था. अच्छे प्रदर्शन के लिए उसे स्पोर्ट्समैन औफ द ईयर का अवार्ड भी मिला था. इस के पहले उसी की ही नहीं, उस के साथियों अक्षय और विशाल की भी कालेज से कोई शिकायत नहीं हुई थी.
अंकित का साथी अक्षय जोशी बांकानेर के रहने वाले राजेंद्र जोशी का बेटा था. राजेंद्र जोशी गांव में ही दुर्गा मंदिर के पुजारी थे तो मां घर संभालने के साथसाथ घर चलाने में पति की मदद के लिए टिफिन सेंटर चलाती थी. उस के घर की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी. कमजोर आर्थिक स्थिति के बावजूद पतिपत्नी बेटे को पढ़ा कर उस का भविष्य सुधारना चाहते थे. लेकिन बेटा अब दुष्कर्म और हत्या के आरोप में जेल की हवा खा रहा है.
विशाल चौधरी जिला खंडवा के पंधाना के रहने वाले अनिल चौधरी का बेटा था. उन की किराना की दुकान थी. पत्नी लता चौधरी सुभाषचंद्र बोस वार्ड-5 से कांग्रेस के समर्थन से पार्षद हैं. वह ठीकठाक घर से है. इसलिए शहर के नामचीन रामचंद्र नामड़ा स्कूल से उस ने 12वीं तक पढ़ाई की थी.
विशाल का बीफार्मा का यह अंतिम साल था. कुछ दिनों पहले वह घर भी आया था, लेकिन परीक्षा की वजह से वह जल्दी वापस आ गया था. वापस आ कर उस ने जो किया, उस की वजह से परीक्षा शुरू होने से पहले ही जेल चला गया.
अंकित ने पुलिस को जो बताया था, उस के अनुसार काजल अंकित की घनिष्ठ मित्र थी. इस के बावजूद वह उस से दूरी बना कर रहती थी. जबकि वह काजल से हर तरह के संबंध बनाना चाहता था. लेकिन वह काजल से जैसे संबंध बनाना चाहता उस के लिए उस ने उसे कभी मौका ही नहीं दिया.
काजल और अंकित का कालेज का यह अंतिम साल था. 31 मई को अंतिम पेपर दे कर अंकित हौस्टल छोड़ कर इंदौर चला जाता. जबकि वह इंदौर वापस जाने से पहले एक बार काजल को पा लेना चाहता था. उस ने किसी से सुना था कि अगर किसी लड़की को दिल से निकालना हो तो उस से शारीरिक संबंध बना लो.
ओझरा से इंदौर 130 किलोमीटर दूर था. एक बार इंदौर जाने के बाद सिर्फ काजल से मिलने आना अंकित के लिए संभव नहीं था. अगर वह आ भी जाता तो कोई जरूरी नहीं कि काजल से उस की मुलाकात हो ही जाती या फिर उसे अपनी इच्छा पूरी करने का मौका मिल ही जाता. यही सब सोच कर उस ने अपनी इच्छा पूरी करने का निश्चय कर लिया था. उसे पता था कि वह काजल के साथ अकेला जबरदस्ती नहीं कर सकता, इसलिए उस ने अपने दोस्तों अक्षय और विशाल से बात की.
मौजमजा के चक्कर में वे भी तैयार हो गए. इस के बाद तीनों योजना बना कर मौके की तलाश में काजल के घर का चक्कर लगाने लगे. 10 मई की दोपहर काजल के मातापिता बेटे के साथ मांगलिक समारोह में भाग लेने के लिए घर से निकले तो काजल को अकेली पा कर उन्हें मनमर्जी करने का मौका मिल गया. चूंकि काजल उन तीनों को पहचानती थी, इसलिए उन्होंने उसे खत्म करने के लिए पहले उस पर पलंग के पाये से वार किया. और जब वह बेहोश हो गई तो उसे जलाने के लिए मिट्टी का तेल डाल कर आग लगा दी.
पूछताछ पूरी कर के पुलिस ने सुबूत के लिए तीनों के कपड़े उतरवा लिए थे. इस के बाद मैडिकल जांच करा कर अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. मामले की जांच ओझरा पुलिस कर रही थी.
यह मामला प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज के सामने पहुंचा तो उन्होंने कहा कि वह खुद इस मामले की जांच पर नजर रखेंगे. दूसरी ओर घर वालों का कहना है कि उन के बच्चों को गलत फंसाया गया है. अंकित के घर वालों ने 14 फरवरी वैलेंटाइन डे पर गोवा में खिंचाए गए कुछ फोटो भी अदालत में पेश किए हैं, जिन में काजल अपने इन दोस्तों के साथ है. उन का कहना है कि काजल अंकित से प्रेम करती थी और उस के साथ शादी करना चाहती थी. उन का यह भी कहना है कि चोइथराम अस्पताल में काजल ने खुद स्वीकार किया है कि उस ने आग लगा कर आत्महत्या की है.
अगर मान लिया जाए कि काजल ने आत्महत्या की है तो क्या उस के साथ दरिंदगी से जो दुष्कर्म हुआ है, उसे भी उस ने खुद कराया है. बहरहाल, सभी आरोपी अभी जेल में हैं. घर वालों के आग्रह पर कोर्ट ने उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी है, जिस से अगर वे निर्दोष साबित होते हैं तो उन का भविष्य बरबाद न हो.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. काजल परिवर्तित नाम है.