7 जून, 2023 दिन बुधवार को लखनऊ की अदालत में संजीव जीवा की हत्या के बारे में एकदम से एक नाम और चर्चा में आया, वह नाम था संजीव जीवा की पत्नी पायल माहेश्वरी का. क्योंकि पुलिस रिकौर्ड के अनुसार वह भी गैंगस्टर है. इस की वजह यह है कि पति के जेल जाने के बाद पति के जुर्म का कारोबार पायल ने ही संभाल रखा है.
धमका कर रंगदारी वसूलना, अपहरण कर फिरौती वसूलना और जमीनों पर कब्जा करने जैसे काम पायल खुद ही देखती है, शायद इसीलिए पुलिस ने उस पर गैंगस्टर ऐक्ट लगाया है और अब वह गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार है. माफिया डौन अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन और मुख्तार अंसारी की पत्नी अफशां अंसारी के बाद गैंगस्टर संजीव जीवा की पत्नी पायल माहेश्वरी का नाम लेडी गैंगस्टरों में ऊपर आ गया है.
पायल जाति से शर्मा थी, जबकि संजीव माहेश्वरी जाति का था. आखिर इन दोनों की मुलाकात कैसे हुई? कौन है यह पायल शर्मा माहेश्वरी, जिस पर संजीव का दिल आ गया? दोनों का विवाह कैसे हुआ, विवाह के बाद पति के जेल जाने पर उस ने कैसे संभाला पति के जुर्म का कारोबार? उस ने ऐसा क्या किया था कि आज उसे फरार होना पड़ा? पुलिस के डर से वह पति के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो पाई थी.
शादी समारोह में हुई मुलाकात
पायल शर्मा माहेश्वरी गाजियाबाद के मोदीनगर के रहने वाले शर्मा परिवार से आती है. वह बेहद साधारण परिवार से थी. उस की पढ़ाईलिखाई गाजियाबाद में हुई थी. वह एक सीधीसादी, सरल स्वभाव की लडक़ी थी.
कहा जाता है कि पायल की जीवा से तब मुलाकात हुई थी, जब वह जुर्म की दुनिया में अपने कदम पूरी तरह जमा चुका था. 2 हत्याओं में उस का नाम आ चुका था. जबकि एक मामले में तो उसे उम्रकैद की सजा भी हो चुकी थी, लेकिन मुख्तार अंसारी का करीबी होने के कारण अकसर वह जमानत या पैरोल पर जेल से बाहर आ जाया करता था.
अब तक संजीव जीवा का अपराध का यह कारोबार मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद से ले कर दिल्ली, मेरठ और उत्तराखंड तक फैल चुका था. लोग उस के नाम से घबराते थे. उस की पकड़ भी अच्छी बन चुकी थी. इलाके के बड़ेबड़े लोग अपना रुतबा दिखाने के लिए जीवा को अपने यहां बुलाने लगे थे.
सन 2004 की बात है. गाजियाबाद के किसी शादी समारोह में संजीव जीवा गया था. उस शादी समारोह में पायल भी आई हुई थी. संजीव ने उसे देखा तो देखता ही रह गया. उस की सुंदरता में वह खो गया. इस तरह उस का दिल पायल पर आ गया.
बस फिर क्या था, इतना बड़ा अपराधी आशिक बन गया. दुनियाजहान भूल कर वह पायल के पीछे लग गया. लेकिन उस शादी समारोह में वह पायल से बात नहीं कर पाया. पर उस ने पायल के बारे में सारी जानकारी पता कर ली थी. अब संजीव जीवा का ज्यादा से ज्यादा समय गाजियाबाद की मोदीनगर तहसील में बीतने लगा. सुबहशाम वह पायल के घर वाली गली के सामने उस की एक झलक पाने के लिए बैठा दिखाई देता.
इसी तरह वह 2-3 महीने तक चलता रहा. पायल समझ गई थी कि यह आदमी उसी के लिए यहां बैठा रहता है, क्योंकि महिलाओं को किसी की नजर पहचानने देर नहीं लगती. सब कुछ जानतेसमझते हुए भी पायल की कुछ कहने की हिम्मत नहीं हो रही थी. हालांकि इस बीच संजीव ने अपने दिल की बात पायल से कही भी थी और उस की बात न मानने पर अंजाम भुगतने की धमकी भी दी थी.
पायल ने 15 साल बड़े जीवा से की शादी
आखिर संजीव जीवा की मेहनत रंग लाई और पायल उस से मिलने लगी. पायल और संजीव जीवा की मुलाकातों की जानकारी घर वालों को हुई तो घर वाले डर गए. पायल के घर वाले इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं थे. क्योंकि कोई भी मातापिता अपनी बेटी की शादी किसी सजायाफ्ता मुजरिम के साथ नहीं करना चाहेगा. पायल को घर वालों ने रोकना चाहा, पर वे उसे रोक नहीं पाए और साल 2006 में हरिद्वार में पायल ने खुद से 15 साल बड़े संजीव जीवा से शादी कर ली.
शादी के बाद संजीव फिर जेल चला गया. कहा जाता है कि जेल में तो वह सिर्फ नाम के लिए था. वह हमेशा जेल के अस्पताल के वीआईपी कमरे में रहता था. वहीं वह लोगों से तथा अपनी गैंग वालों से मुलाकात करता था. उस से मिलने वालों में सब से टौप पर पायल का नाम था. पायल को 3 बेटे और एक बेटी है. संजीव भले जेल में था, पर बाहर के सारे काम उस की पत्नी पायल ने संभाल लिए थे. वह जैसा निर्देश देता था, पायल वैसा ही करती थी.
उत्तर प्रदेश से ले कर दिल्ली तक फैले जीवा के सारे शोरूम, ट्रेडिंग, प्रौपर्टी और विवादों को पायल ही देखती थी. इतना ही नहीं, जीवा के पूरे गैंग को भी पायल ही संभालती थी. पायल मुजफ्फरनगर छोड़ कर भले परिवार के साथ दिल्ली में रहने लगी थी, लेकिन वह अकसर मुजफ्फरनगर में ही दिखाई देती थी. वहीं से वह शामली के गांव वाले घर पर भी नजर रखती थी.
मुजफ्फरनगर में पायल की करीब 50 करोड़ की संपत्ति है. इस के अलावा उस का कारोबार दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ तक फैला था. पतिपत्नी की मिला कर लगभग 100 करोड़ की संपत्ति है. धीरेधीरे पायल संजीव के रंग में रंग गई थी. संजीव के गैंग के लोग पायल के एक इशारे पर किसी भी घटना को अंजाम देने के लिए तैयार रहते थे.
पति जीवा की तरह पायल भी बन गई गैंगस्टर
जैसेजैसे संजीव की संपत्ति बढ़ रही थी, वैसेवैसे उस के अपराधों की संख्या भी बढ़ती जा रही थी. इसी के साथ उस पर पुलिस का शिकंजा भी कसता जा रहा था. संजीव के कई भरोसेमंदों को पुलिस जेल का रास्ता दिखा चुकी थी. तब अपने रुतबे और कारोबार को बचाने के लिए संजीव ने राजनीति का सहारा लिया. वह अजीत सिंह के बेटे की पार्टी रालोद में शामिल हो गया.
इसी वजह से साल 2017 के विधानसभा चुनाव में पायल को मुजफ्फरनगर की सदर सीट से पायल माहेश्वरी को राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) से टिकट मिल गया. पर वह चुनाव हार गई. लेकिन क्षेत्र में और राजनीति में उस की पकड़ बन गई. चुनाव हार जाने के बाद भी क्षेत्र के लोगों से वह मिलती रही और उन की समस्याएं सुन कर हल करवाती रही. क्योंकि उसे उम्मीद थी कि साल 2022 में रालोद से उसे फिर टिकट मिलेगा. पर पार्टी ने उस पर दोबारा दांव नहीं खेला.
पायल माहेश्वरी सहित 9 लोगों पर साल 2021 में पहली बार मुजफ्फरनगर में धमकी देने और फिरौती वसूलने का मुकदमा दर्ज हुआ. उस पर आरोप लगा कि जमीन नाम न करने पर उस ने जान से मारने की धमकी दी थी. इस मामले में पायल ने गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत की अरजी लगाई, पर वह अदालत से खारिज हो गई.
जमानत की अरजी खारिज होने के बाद भी पुलिस उसे काफी समय तक गिरफ्तार नहीं कर पाई. जबकि पुलिस ने उस की गिरफ्तारी के लिए दिल्ली, मुजफ्फरनगर और शामली में न जाने कितनी बार छापे मारे. दूसरी ओर पायल के गुर्गे केस करने वाली पार्टी पर केस वापस लेने के लिए लगातार दबाव बनाते रहे.
इस के बाद तो जीवा के साथ धमकाने और फिरौती वसूलने में पायल का नाम लगातार आता रहा. इन्हीं मामलों को आधार बना कर साल 2022 में पुलिस ने पायल पर भी गैंगस्टर ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर गैंगस्टर घोषित कर दिया. पहला केस दर्ज होने के बाद से फरार हुई पायल माहेश्वरी आज भी फरार है.
फरार होने की ही वजह से शाइस्ता और जैनब की तरह पायल भी पति के अंतिम संस्कार में नहीं पहुंच पाई. पति के अंतिम संस्कार में शामिल होने और गिरफ्तार न किए जाने के लिए उस ने हाईकोर्ट में अपील भी की थी. पर कोर्ट ने उस की इस अपील को खारिज कर दिया था. अब देखना यह है कि वह कब तक पुलिस के चंगुल से बची रहती है. जबकि पुलिस उस के पीछे अब हाथ धो कर पड़ी है.