11सितंबर, 2020 की बात है. प्रशांत के घर उस के ससुर विनोद गौतम, उन का छोटा भाई महावीर सिंह और

बेटा रविकांत गौतम आए हुए थे. प्रशांत और उस के घर वालों ने उन की खूब खातिरदारी की. दरअसल, प्रशांत कुमार ने हाल ही में विनोद गौतम की बेटी कामिनी के साथ शादी की थी.

रात का खाना खाने के बाद प्रशांत के पिता रामऔतार अपने इन नए रिश्तेदारों के साथ बातचीत कर रहे थे. तभी विनोद गौतम के कहने पर रामऔतार ने बेटे प्रशांत और बहू कामिनी को बुलाया. उन दोनों को देख विनोद गौतम आपे से बाहर हो गया और उस ने दोनों को गोली मार दी. कामिनी लहूलुहान हो कर फर्श पर गिर गए. गोलियां चलते ही घर में अफरातफरी का माहौल हो गया. घर के लोगों ने रोनापीटना शुरू कर दिया.

रात 10 बजे गोलियों की आवाज गूंजी तो आसपास के लोगों ने सुनी. गांव वाले रामऔतार सिंह के घर की तरफ दौड़े. कोई समझ नहीं पा रहा था कि अचानक ऐसा क्या हो गया, जो गोली चल गई.  लोग जब घर में पहुंचे तो वहां की स्थिति दिमाग को सुन्न कर देने वाली थी.

लोगों के आने से पहले ही विनोद गौतम, उस का छोटा भाई महावीर सिंह और बेटा रविकांत गौतम वहां से भाग चुके थे. घर में खून ही खून फैला था. रामऔतार के बेटे प्रशांत और बहू कामिनी फर्श पर पड़े तड़प रहे थे. उन दोनों को देख यह बात सहज ही समझ आ रही थी कि उन दोनों को गोलियां लगी हैं.

इस की सूचना थाना टांडा को दे दी गई. थानाप्रभारी माधव सिंह बिष्ट पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. सब से पहले उन्होंने घायल कामिनी और प्रशांत को अपनी गाड़ी में डाला और इलाज के लिए रामपुर के जिला अस्पताल ले गए.

इस दौरान रामऔतार ने थानाप्रभारी को बता दिया था कि दोनों को गोली कामिनी के पिता विनोद गौतम ने मारी थी. वजह यह कि कुछ दिन पहले कामिनी ने अपने घर वालों को बिना बताए उन के बेटे प्रशांत से कोर्टमैरिज की थी.

थानाप्रभारी माधव सिंह बिष्ट विनोद गौतम को अच्छी तरह जानते थे, क्योंकि वह बहुजन समाज पार्टी का ऊधमसिंह नगर जिले का जिला अध्यक्ष था. नेता होने की वजह से आए दिन अखबारों में उस का नाम आता रहता था. विनोद कुमार गौतम मामूली इंसान नहीं था. राजनीति में उस की ऊंची पहुंच थी.

थानाप्रभारी ने यह सूचना अपने उच्चाधिकारियों को दे दी. सूचना मिलने के कुछ देर बाद ही रामपुर के एसपी शगुन गौतम जिला अस्पताल पहुंच गए. एसपी साहब ने दोनों घायलों का इलाज करने वाले डाक्टरों से बातचीत की. डाक्टरों ने बताया कि दोनों की हालत गंभीर है.

मामला हाईप्रोफाइल था, इसलिए एसपी गौतम ने इस की सूचना आईजी रमित शर्मा को दे दी. उन्होंने एसपी गौतम को स्पष्ट निर्देश दिए कि हमलावर चाहे कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, उस के खिलाफ तुरंत कड़ी काररवाई की जाए.

उधर प्रशांत कुमार और कामिनी की गंभीर हालत को देखते हुए डाक्टरों ने दोनों को मुरादाबाद के कौसमौस अस्पताल रेफर कर दिया. कौसमौस अस्पताल के डा. अनुराग अग्रवाल के नेतृत्व में डाक्टरों की एक टीम ने दोनों घायलों का इलाज शुरू कर दिया. प्रशांत को 2 गोलियां लगी थीं, जो उस के शरीर में फंसी हुई थीं. डाक्टरों की टीम ने उस के शरीर से दोनों गोलियां सफलतापूर्वक निकाल दीं.

एसपी शगुन कुमार गौतम ने आईजी साहब के निर्देश पर इस मामले को सुलझाने के लिए एक पुलिस टीम बनाई. टीम में थानाप्रभारी माधव सिंह बिष्ट और अजीमनगर के थानाप्रभारी सुभाष मावी को शामिल किया.

पुलिस टीम ने आरोपियों की तलाश शुरू कर दी. सभी आरोपी काशीपुर के निकटवर्ती गांव पैगा के रहने वाले थे. पुलिस टीम ने 13 सितंबर, 2020 को उन के घर दबिश दे कर तीनों अभियुक्तों विनोद गौतम, उस के छोटे भाई महावीर सिंह और बेटे रविकांत गौतम को गिरफ्तार कर लिया.पुलिस ने विनोद गौतम की निशानदेही पर उस की लाइसैंसी पिस्टल भी बरामद कर ली, जिस से जानलेवा हमला किया था.

तीनों से व्यापक पूछताछ की गई. पुलिस पूछताछ के बाद इस मामले की जो कहानी सामने आई, वह प्यार की बुनियाद पर टिकी थी.

रामपुर जिले का एक गांव है सैदनगर. रामऔतार सिंह अपने 5 बच्चों के साथ इसी गांव में रहते थे. उन के 2 बेटे और 3 बेटियां थीं. प्रशांत कुमार उन का सब से बड़ा बेटा था. उस के चाचा कुंवरपाल सिंह की ससुराल काशीपुर में थी.

प्रशांत काशीपुर में रह कर पढ़ाई कर रहा था. काशीपुर में ही एक शादी समारोह में प्रशांत की मुलाकात कामिनी से हुई. कामिनी काशीपुर के गांव पैगा के रहने वाले विनोद गौतम की बेटी थी.

विनोद गौतम के 4 बेटियां और एक बेटा था, जिस में कामिनी सब से बड़ी थी. कामिनी भी काशीपुर के एक कालेज से पढ़ाई कर रही थी. कामिनी और प्रशांत दूर के रिश्तेदार थे. शादी समारोह में दोनों एकदूसरे को देख कर बहुत प्रभावित हुए. दोनों में आपस में काफी बातें हुईं. दोनों ने एकदूसरे को अपने मोबाइल नंबर भी  दे दिए. यह करीब 2 साल पहले की बात है.

इस के बाद दोनों फोन पर बातचीत करने लगे. जब भी खाली होते, दोनों के बीच खूब बातें होतीं. धीरेधीरे बातों का दायरा बढ़ता चला गया और उन के दिलों में प्यार के अंकुर फूट निकले. चाहतों की उड़ान में दोनों यह भी भूल गए कि वे आपस में रिश्तेदार हैं.

प्रशांत चाहता था कि वह आईएएस  अफसर बने, इसलिए उस ने ठाकुरद्वारा कस्बे की नालंदा आईएएस अकैडमी में कोचिंग करनी शुरू कर दी. उधर कामिनी काशीपुर के एक कालेज से बीए कर रही थी.

इसी दौरान प्रशांत का चयन उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल के पद पर हो गया. प्रशांत ने सोचा कि नौकरी करते हुए अपनी सिविल सर्विस की तैयारी जारी रखेगा. पुलिस में चयन हो जाने के बाद उसे ट्रेनिंग के लिए मेरठ भेज दिया गया.

प्रशांत की नौकरी लग जाने के बाद कामिनी बहुत खुश हुई. दोनों के बीच पहले की तरह ही बातचीत चलती रही. इस बातचीत में तय हुआ कि प्रशांत की पुलिस ट्रेनिंग पूरी हो जाने के बाद दोनों शादी कर लेंगे.

कामिनी ने प्रशांत को बताया कि उस के पिता दबंग प्रवृत्ति के हैं, इसलिए यह शादी हरगिज नहीं होने देंगे. इस पर दोनों तय किया कि घर वालों को बिना बताए कोर्टमैरिज कर लेंगे.

ट्रेनिंग पूरी हो जाने के बाद प्रशांत की पहली पोस्टिंग बरेली स्थित पीएसी की 8वीं बटालियन में हो गई. 28 अगस्त, 2020 को प्रशांत छुट्टी ले कर अपने घर आया. इसी दौरान प्रशांत और कामिनी ने रामपुर की कोर्ट में शादी कर ली.

घटना से 4 दिन पहले की बात है, कामिनी अपने घर वालों को बिना बताए प्रशांत के घर यानी अपनी ससुराल पहुंच गई. घर से कामिनी के अचानक गायब हो जाने के बाद घर वाले परेशान हो गए. वे समझ नहीं पा रहे थे कि कामिनी अचानक कहां गायब हो गई. उन्होंने उसे अपने स्तर पर ढूंढना शुरू कर दिया, लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला.

जवान बेटी के घर से गायब हो जाने पर जो उस के मातापिता पर गुजरती है, उसे भुक्तभोगी ही समझ सकता है. विनोद गौतम का भी बुरा हाल था. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि बेटी को कहां ढूंढे.

विनोद गौतम के एक रिश्तेदार सैदनगर में रहते थे. विनोद गौतम ने अपने रिश्तेदार से कामिनी के गायब होने के बारे में बात की. इस पर रिश्तेदार ने बताया कि कामिनी तो यहां प्रशांत के घर आई हुई है. साथ ही यह भी बता दिया कि शायद कामिनी और प्रशांत ने शादी कर ली है.

यह सुन कर विनोद गौतम के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई. वह दबंग किस्म का व्यक्ति था. राजनीति में भी उस का काफी प्रभाव था. जब लोगों को यह बात पता चलेगी तो उस की समाज में क्या इज्जत रह जाएगी, यह सोचसोच कर वह परेशान था.

काफी सोचविचार के बाद विनोद गौतम ने 9 सितंबर को प्रशांत कुमार के पिता रामऔतार सिंह को फोन किया. उस ने रामऔतार से अपनी बेटी कामिनी के बारे में पूछा. उन्होंने बता दिया कि प्रशांत और कामिनी ने कोर्ट में शादी कर ली है. इस की खबर उन्हें भी शादी के बाद ही मिली.

यह सुन कर गौतम कुछ ज्यादा ही परेशान हो गया. उस ने गंभीर लहजे में रामऔतार से कहा कि तुम्हारे लड़के ने अच्छा नहीं किया. उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था. कम से कम रिश्तेदारी का तो लिहाज रखता. इस पर रामऔतार ने कहा कि यह जानकारी उन्हें बाद में मिली. अगर पहले पता होता तो वह उसे समझाते भी. वैसे भी दोनों बालिग हैं, इस में हम क्या कर सकते हैं. विनोद कुमार गौतम खून का घूंट पी कर रह गया.

उधर ससुराल में कामिनी खुश थी. ऐसे में विनोद गौतम की समझ में नहीं आ रहा कि क्या करे, क्योंकि बात उस की इज्जत से जुड़ी थी. काफी सोचविचार के बाद 9 सितंबर, 2020 को गौतम ने प्रशांत के पिता रामऔतार को फोन कर के कहा कि जो हो गया उसे छोड़ो.

हम चाहते हैं कि दोनों की शादी सामाजिक रीतिरिवाज से कर दी जाए. इस सिलसिले में बात करने के लिए हम सैदनगर आ रहे हैं. अपने साथ गांव के कुछ लोगों को भी लाएंगे, आप भी गांव के कुछ संभ्रांत लोगों को इकट्ठा कर लेना,  फिर इस बारे में बातचीत कर ली जाएगी.

विनोद गौतम अपने कई परिचितों और कुछ करीबियों को साथ ले कर तय समय पर सैदनगर पहुंच गया. उधर रामऔतार ने भी गांव के कुछ लोगों को इकट्ठा कर लिया था. सब लोग साथ बैठे और पंचायत शुरू हो गई.

पंचायत में विनोद गौतम ने अपनी इज्जत का वास्ता देते हुए कहा कि देखो गांव और समाज में हमारी बहुत बदनामी हो रही है. आप से अनुरोध है कि आप मेरी बेटी कामिनी को मेरे साथ घर भेज दें. इस पर रामऔतार सिंह ने साफ मना करते हुए कहा कि वह अपनी बहू को अभी नहीं भेजेंगे. फलस्वरूप विनोद गौतम मुंह लटका कर लौट गया.

10 सितंबर, 2020 को भी विनोद गांव के कुछ लोगों को साथ ले कर फिर सैदनगर पहुंचा. इस बार भी उस ने कामिनी को साथ भेजने की बात कही, लेकिन कामिनी ने पिता से मना कर दिया कि वह अभी उन के साथ नहीं जाएगी.

विनोद गौतम को यह उम्मीद नहीं थी कि बेटी इतनी बदल जाएगी. वह उसे जबरदस्ती तो घर ले जा नहीं सकता था, इसलिए उस ने कामिनी को समझाने की काफी कोशिश की, पर कामिनी नहीं मानी. रामऔतार सिंह ने भी कह दिया कि जब बेटी जाने से मना कर रही है तो आप उसे फिर कभी ले जाना. इस बार भी विनोद गौतम को खाली हाथ लौटना पड़ा.

लेकिन वह हार मानने वालों में से नहीं था. वह चाहता था कि किसी भी तरह एक बार कामिनी उस के साथ घर पहुंच जाए, इस के बाद क्या करना है, वह तय करेगा. लिहाजा वह बेटी को घर लाने के उपाय सोचने लगा.

11 सितंबर, 2020 को भी विनोद गौतम अपने भाई महावीर सिंह और बेटे रविकांत के साथ फिर सैदनगर पहुंचा. चूंकि विनोद गौतम रामऔतार का नजदीकी रिश्तेदार बन चुका था, लिहाजा उन्होंने उन सब की खातिरदारी की.

रात का खाना खाने के बाद गौतम ने उन से कहा कि मेरी बात पर विश्वास करो. मैं कामिनी को घर ले जाना चाहता हूं और इस के बाद दोनों की शादी धूमधाम से करूंगा. अगर कामिनी घर चली जाएगी तो कम से कम समाज में मेरी इज्जत तो बनी रहेगी.

इस बार रामऔतार ने कहा कि हमारी तरफ से कोई रोक नहीं है. हम अपनी बहू को भेजने से मना नहीं कर रहे, पर आप सीधे उस से बात कर लें तो ज्यादा अच्छा है. अगर वह जाना चाहती है तो हमें कोई एतराज नहीं होगा. रामऔतार ने बात करने के लिए बहू कामिनी को कमरे में बुलाया.

कामिनी पति प्रशांत के साथ कमरे में आई तो वहां पहुंचते ही सब से पहले उस ने वहां बैठे अपने ससुर रामऔतार के पैर छुए. प्रशांत का चेहरा देखते ही गौतम का खून खौल उठा, लेकिन उस समय उस ने खुद पर कंट्रोल रखा.

विनोद कुमार गौतम ने कामिनी से बात की और उस से घर चलने को कहा. उस समय रात के करीब 10 बज रहे थे. पिता की बातों पर कामिनी का दिल पसीज भी गया. लेकिन उस ने कहा कि पापा अब तो रात ज्यादा हो गई है, सुबह मैं आप के साथ चलूंगी.

लेकिन गौतम अपनी जिद पर अड़ा हुआ था. वह कामिनी पर उसी समय साथ चलने के लिए दबाव डाल रहा था, पर कामिनी पिता के साथ रात में जाने को तैयार नहीं थी. वह बारबार कह रही थी कि अभी नहीं, सुबह चलेंगे.

प्रशांत और कामिनी विनोद गौतम के सामने खड़े थे. प्रशांत का चेहरा देख कर गौतम का धैर्य जवाब दे गया. उस के दिमाग में एक ही बात घूम रही थी कि यह सब प्रशांत की वजह से ही हो रहा है, इसी के कारण समाज में उस की नाक कटी है, बदनामी हो रही है.

लिहाजा गुस्से में आगबबूला हुए विनोद गौतम ने अपनी अंटी से लाइसैंसी पिस्तौल निकाली और प्रशांत पर निशाना साधते हुए कई फायर किए. इन में से 2 गोलियां प्रशांत के लगीं और एक गोली कामिनी को. गोली लगते ही प्रशांत और कामिनी फर्श पर गिर पड़े.

कुछ ही पलों में फर्श पर खून फैल गया. अचानक मची अफरातफरी में मौके का फायदा उठा कर विनोद गौतम, उस का छोटा भाई महावीर सिंह और बेटा रविकांत गौतम वहां से भाग गए. जाते वक्त वे अपनी वैगनआर कार नंबर यूके06 पी7349 वहीं छोड़ गए.

बेटा और बहू को लहूलुहान हालत में देख कर रामऔतार के घर में चीखपुकार मचनी शुरू हो गई. उधर गोलियां चलने की आवाज सुन कर मोहल्ले वाले भी रामऔतार के घर पहुंच गए. उसी दौरान रामऔतार ने इस की सूचना थाना टांडा में दे दी.

सूचना पा कर थानाप्रभारी माधोसिंह बिष्ट कुछ ही देर में घटनास्थल पर पहुंच गए और काररवाई शुरू की.

तीनों आरोपियों विनोद कुमार गौतम, महावीर सिंह और रविकांत से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

विनोद कुमार गौतम के जेल जाने के बाद बसपा हाईकमान ने उसे पार्टी से निष्कासित कर दिया. इस के अलावा जिला प्रशासन ने  उस के लाइसैंसी पिस्टल का लाइसैंस निरस्त करने की काररवाई शुरू कर दी.

कथा लिखने तक गंभीर रूप से घायल प्रशांत कुमार और उस की पत्नी कामिनी का मुरादाबाद के कौसमौस अस्पताल में इलाज चल रहा था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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