15 जुलाई, 2023 की सुबह सैर पर निकले कुछ लोगों की नजर नाले के पास खड़ी एक कार पर पड़ी. पोलो कार वहां पर काफी समय से खड़ी थी. कार स्टार्ट थी, लेकिन काफी समय से न तो उस कार में कोई आया और न ही कार से बाहर निकला. कार के सभी शीशे भी पूरी तरह से बंद थे. इस कार को इस तरह से खड़े देख वहां पर राहगीर जमा हो गए थे.
तभी एक व्यक्ति ने हिम्मत जुटाई और कार का दरवाजा खोला तो उस कार की पिछली सीट पर एक व्यक्ति बैठा हुआ था. लेकिन कार का दरवाजा खुलने के बाद भी उस व्यक्ति ने किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं की, जिस से लोगों का शक हुआ. वहां पर मौजूद लोगों ने उस व्यक्ति को कई बार आवाज लगाई, लेकिन उस की तरफ से कोई उत्तर नहीं मिला.
तब तक वहां पर काफी भीड़ इकट्ठी हो गई थी. उसी भीड़ में मौजूद एक व्यक्ति ने उसे पहचानते हुए बताया कि वह रामबाग कालोनी रामपुर रोड हल्द्वानी का होटल मालिक अंकित चौहान पुत्र धर्मपाल चौहान है. अंकित की पहचान होते ही उस के एक परिचित ने उस के छोटे भाई अभिमन्यु को सूचना दी. साथ ही वहां पर मौजूद लोगों ने हल्द्वानी कोतवाली में फोन कर इस की सूचना दे दी थी.
अंकित के इस हालत में मिलने की सूचना पाते ही उस का छोटा भाई अभिमन्यु और कोतवाल हरेंद्र चौधरी पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए थे. पुलिस ने कार खोल कर स्थिति का जायजा लिया. पुलिस ने अंकित चौहान को आवाज देते हुए हिलाया तो वह सीट पर ही लुढक़ गया. उस की नाक के पास हाथ लगा कर सांस चैक की तो उस की सांस नहीं चल रही थी.
पुलिस की मदद से भाई अभिमन्यु अंकित को ले कर सीधा सुशीला तिवारी अस्पताल गया, जहां पर उसे देखते ही डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. उस के बाद अंकित के शव को मोर्चरी ले जाया गया. जहां पर उस की मौत की खबर सुन कर परिचितों के साथसाथ सगेसंबंधियों की भीड़ लग गई. अंकित के पापा की कई साल पहले किसी बीमारी के चलते मौत हो गई थी.
घर में मां ऊषा देवी के अलावा भाईबहन रहते थे. 5 दिन पहले ही अंकित की मां ऊषा देवी अपनी बेटियों के साथ माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए गई हुई थी. उस वक्त सभी कटरा के पास थे. अंकित की मौत की सूचना पाते ही वे वहां से घर की तरफ वापस चल पड़े.
उधर पुलिस उस के शव को मोर्चरी में रखवा कर सीधे उस की कार के पास पहुंची. पुलिस ने गहनता से कार की जांचपड़ताल की. जिस वक्त सूचना पर पुलिस कार के पास पहुंची थी, कार स्टार्ट थी और एसी भी चल रहा था. लेकिन उस जांचपड़ताल के दौरान पुलिस को ऐसी कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली, जिस से अंकित की मौत का पता चल सके.
जांच के दौरान पुलिस को कार से 53 हजार रुपए नकद और एक मोबाइल फोन भी मिला था. मोबाइल अंकित का ही था. शुरुआती जांच में पुलिस ने अनुमान लगाया कि अंकित की मौत कार्बन मोनोआक्साइड गैस से हुई होगी. लेकिन इस के बावजूद भी पुलिस संशय में थी कि अंकित पिछली सीट पर क्यों बैठा था? उस वक्त उस की कार भी लौक नहीं थी. उस के सभी शीशे भी पूरी तरह से बंद थे.
इस में भी सब से बड़ा सवाल यह उठता था कि अगर अंकित पिछली सीट पर बैठा था तो उस की कार कौन चला रहा था. अंकित के पिछली सीट पर बैठे होने से यह तो पक्का हो ही गया था कि उस कार में उस के अलावा भी कोई दूसरा व्यक्ति रहा होगा. पुलिस ने अपनी काररवाई कर मृतक की लाश का पंचनामा भर कर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया था.
पोस्टमार्टम के दौरान डाक्टरों को मृतक के शरीर पर किसी भी तरह के निशान नहीं मिले. लेकिन उस के दोनों ही पैरों पर एक जैसे सर्पदंश जैसे निशान जरूर नजर आए थे. जिस से कयास लगाया जा रहा था कि अंकित वहां पर पेशाब करने गाड़ी से उतरा होगा और उसी दौरान उस के पैरों में सांप ने काट लिया हो. लेकिन इस बात के भी 2 पहलू थे. अगर सांप काटता तो एक ही पैर में काटता. लेकिन उस के दोनों ही पैरों में एक जैसे ही निशान मिले थे. जिस से अंकित की मौत का मामला उलझता ही जा रहा था.
सोमवार को पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली. जिस में साफ लिखा गया था कि अंकित की मौत सांप के काटने से ही हुई थी. लेकिन इस बात को उस के घर वाले बिलकुल भी मानने को तैयार नहीं थे. कारण वही था कि अगर उस के पैर में सांप ने ही काटा था तो एक ही सांप ने उस के दूसरे पैर में ठीक उसी जगह पर कैसे काटा? उस के बाद उस की मौत का दूसरा पहलू यह भी था कि वह पिछली सीट पर क्यों बैठा पाया गया?
इस मामले को ले कर मृतक अंकित चौहान की बहन ईशा चौहान की तरफ से पुलिस को एक लिखित तहरीर दी गई थी, जिस के आधार पर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर लिया.
व्यापारियों के दबाव में आई पुलिस
अंकित के घर वालों के साथसाथ कुछ व्यापारियों की जिद के आगे पुलिस की एक न चली. व्यापारियों के दबाव के चलते नैनीताल के एसएसपी पंकज भट्ट ने तत्काल अधीनस्थों के साथ एक मीटिंग की. उस के बाद पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों से मृत्यु के कारणों के संबंध में चर्चा करने के बाद पुलिस अन्य पहलुओं को ले कर फिर से उस की जांच में जुट गई.
केस के खुलासे के लिए एसएसपी पंकज भट्ट ने एक पुलिस टीम का गठन किया. टीम में कोतवाल हरेंद्र चौधरी, एसएसआई विजय मेहता, महेंद्र प्रसाद, मंगलपड़ाव चौकीप्रभारी जगदीप नेगी, एसआई कुमकुम धानिक, मंडी चौकीप्रभारी गुलाब कांबोज, इसरार नबी, घनश्याम रौतेला, चंदन नेगी, अरुण राठौर, बंशीधर जोशी, छाया, एसओजी प्रभारी राजवीर नेगी, कुंदन कठावत, त्रिलोक रौतेला, दिनेश नागर, अनिल गिरि, भानुप्रताप व अशोक को शामिल किया.
जिस जगह अंकित की कार खड़ी पाई गई थी, उस से काफी दूरी पर एक सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ था. पुलिस ने उस की फुटेज निकाल कर चैक की तो रात के 12 बजे के समय घटनास्थल पर एक कार की लाइट दिखाई दी थी. जिस के कुछ समय बाद ही कार की लाइट बंद हो गई थी. उस के बाद उस कार के पास एक और कार आ कर रुकी, जो थोड़ी देर बाद ही वहां से चली गई थी.
मृतक के दोनों पैरों में एक ही जैसे 2 निशान मिलने से पुलिस को भी शक था कि कहीं किसी ने जानबूझ कर तो सांप से कटवा कर उस की हत्या तो नहीं कर दी. उसी शक की बुनियाद पर पुलिस ने अपनी जांच आगे बढ़ाई. पुलिस ने फिर से मृतक के घर वालों से पूछताछ की.
घर वालों ने बताया कि रामपुर रोड छठ पूजा स्थल के पास रामबाग कालोनी से शुक्रवार की देर शाम वह अपनी कार सेनिकला था. लेकिन देर रात तक वह घर नहीं पहुंचा. घर वालों ने उस का देर रात तक इंतजार किया. अंकित कई बार होटल में ही सो जाता था. जिस के कारण उन्हें उस की कोई चिंता नहीं थी. उस के साथ उस रात क्या हुआ पता नहीं.
यह सब जानकारी जुटाने के बाद पुलिस के पास एक ही रास्ता बचा था. वह था अंकित के मोबाइल की काल डिटेल्स खंगालना. पुलिस को पूरी उम्मीद थी कि उस की मौत का राज जरूर उस के मोबाइल से ही मिल सकता है. यही सोच कर पुलिस ने अंकित के मोबाइल की काल डिटेल्स खंगाली तो उस में एक फोन नंबर ऐसा सामने आया, जिस पर अंकित की सब से ज्यादा बातें होती थीं. वह नंबर था हल्द्वानी के बरेली रोड गोरापड़ाव क्षेत्र में रहने वाली माही आर्या उर्फ डौली का. लेकिन वह उस वक्त बंद आ रहा था.
उस के बाद पुलिस ने माही के फेसबुक और इंस्टाग्राम पर सर्च किया तो सभी अकाउंट बंद मिले. इस केस की तह तक जाने के लिए पुलिस को एक छोटा सा क्लू मिला तो पुलिस ने माही के मोबाइल की भी काल डिटेल्स निकलवाई. जिस से जानकारी मिली कि कई दिन से उस की लगातार 2 मोबाइल नंबरों पर बातें हो रही थीं. उस में एक नंबर था दीप कांडपाल का और दूसरा रमेश नाथ का. इन नंबरों के मिलते ही पुलिस ने इन को डायल किया तो ये दोनों नंबर भी बंद पाए गए.
काल डिटेल्स से मिली सफलता
इन दोनों नंबरों के बंद आने से पुलिस को एक आशा की किरण दिखाई दी. पुलिस को लगा कि जरूर अंकित की मौत का राज इन्हीं 2 फोन नंबरों में छिपा हुआ है. इस तरह से कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए पुलिस ने दीप कांडपाल की काल डिटेल्स खंगाली तो उस में भी एक ऐसा नंबर मिला, जिस पर वह हर रोज बातें करता था.
पुलिस उसी नंबर पर काल कर किसी तरह से उस के पास पहुंचने में कामयाब हो गई. उस युवक ने बताया कि वह दीप कांडपाल के साथ मिल कर शराब का कारोबार करता है. दीप कांडपाल दिल्ली, हरियाणा से शराब ला कर हल्द्वानी और उस के आसपास के क्षेत्र में सप्लाई करता है.
पुलिस ने उस युवक को अपनी गिरफ्त में ले कर पूछताछ की तो उस ने बताया कि माही आर्या अंकित चौहान की गर्लफ्रैंड है. वह हर रोज रात में उसी से मिलने जाता था. हर रात वह उसी के साथ खातापीता था. शराब पीने के बाद वह गालीगलौज भी करता था, जिस से माही आर्या तंग आ गई थी. उस के बाद से ही दोनों के संबंधों में खटास आने लगी थी.
पुलिस ने रमेशनाथ, दीप कांडपाल और माही के फोन नंबरों को पहले ही सर्विलांस पर लगा रखा था. सभी नंबर काफी समय से बंद चल रहे थे. लेकिन अचानक ही रमेश नाथ का मोबाइल औन हुआ. उसी दौरान पुलिस को उस की लोकेशन मिल गई. लोकेशन मिलते ही पुलिस आननफानन में उस के पीछे लग गई.
पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए रमेश नाथ को बरेली से गिरफ्तार कर लिया. रमेश नाथ एक सपेरा था. सपेरे को गिरफ्तार कर पुलिस ने उस से कड़ी पूछताछ की. उस ने अंकित हत्याकांड का खुलासा कर दिया. रमेश नाथ ने स्वीकार किया कि अंकित की हत्या उस के द्वारा लाए गए सांप से कटवा कर ही की गई थी.
सपेरे रमेश नाथ ने बताया कि वह हल्द्वानी में मानपुर पश्चिम में किराए के मकान में रहता है. वहीं से वह घरघर जा कर मांगने, खाने व सांप पकडऩे का काम करता है. रमेश नाथ ने पुलिस को जानकारी देते हुए बताया कि अब से लगभग 7-8 महीने पहले एक युवक ने उसे माही उर्फ डौली से मिलवाया था.
युवती को किसी ज्योतिष ने बताया था कि उस पर कालसर्प योग है, जिस के उपचार के लिए किसी जहरीले नाग की पूजा करनी होगी. उस के बाद उस का कालसर्प योग खत्म हो जाएगा. सपेरे ने उस वक्त माही की मांग पर उसे एक सांप ला कर दिया था. जिस के बाद से सपेरे का उस के घर आनाजाना शुरू हो गया था.
सपेरा रमेश नाथ ने खोला मुंह
माही के घर पर अंकित चौहान, दीप कांडपाल, नौकर रामऔतार और नौकरानी ऊषा का आनाजाना लगा रहता था. उसी दौरान एक दिन अंकित को छोड़ कर सभी माही के घर पर मौजूद थे. उसी दौरान दीप कांडपाल ने उसे बताया, “अंकित ने माही को परेशान कर रखा है. माही अब अंकित को प्यार नहीं करती. माही अब मुझ से प्यार करती है, लेकिन अंकित फिर भी उसे तंग करता रहता है. कभी भी वह उस के घर आ जाता है और शराब पी कर मारपीट करता है. उस ने इस का जीना हराम कर रखा है.
“माही की परेशानी को देख कर मुझे गुस्सा भी आ जाता है. मन करता है कि उस का खेल खत्म ही कर दूं. लेकिन पुलिस हम पर शक करके तुरंत ही गिरफ्तार कर लेगी. इसलिए हम चाहते हैं कि तुम हमें एक जहरीला सांप ला कर दे दो, जिस से कटवा कर हम उस की हत्या कर सकें. जिस से लोगों को लगे कि सांप के काटने से अंकित की मौत हो गई.”
इस काम के बदले माही ने उसे, नौकर रामऔतार व नौकरानी ऊषा को 10-10 हजार रुपए भी दिए.
यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने माही के नौकर और उस की नौकरानी की तरफ ध्यान दौड़ाया. पुलिस दिनरात एक कर के नौकर रामऔतार के पीछे पड़ी तो उस का कनेक्शन पीलीभीत से जुड़ा हुआ मिला. पुलिस जैसेतैसे कर के रामऔतार के घर पहुंची तो पता चला कि वह नेपाल भाग गया है. इस जानकारी के मिलते ही पुलिस टीम नेपाल पहुंची.
नेपाल पहुंचते ही पुलिस ने वहां के तमाम होटल और कैसीनो भी छान मारे. लेकिन कहीं भी रामाऔतार का पता नहीं चल सका. उस के बाद नेपाल की सीमा पर भी निगरानी रखी,लेकिन कहीं भी कोई सफलता नहीं मिली. उस के बाद पुलिस टीम ने इन चारों की तलाश में दिल्ली व पीलीभीत में डेरा डाल दिया. साथ ही पुलिस ने माही समेत चारों पर 25-25 हजार का इनाम भी घोषित कर दिया था.
आरोपियों तक पहुंचने के लिए पुलिस ने पहले ही मुखबिरों को लगा रखा था. उसी दौरान 23 जुलाई, 2023 को पुलिस को एक मुखबिर से सूचना मिली कि दीप कांडपाल और उस की प्रेमिका माही आर्या पुलिस की पकड़ से बचने के लिए रुद्रपुर की कोर्ट में सरेंडर करने जा रहे हैं.
यह जानकारी मिलते ही पुलिस और एसओजी की टीम ने घेराबंदी कर दोनों को कोर्ट में पेश होने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया. दोनों को गिरफ्तार कर पुलिस टीम उन्हें हल्द्वानी कोतवाली ले आई. कोतवाली लाते ही माही आर्या ने सहज ही अपना जुर्म कुबूल कर लिया. उस ने स्वीकार किया कि उस ने ही सपेरे से सांप मंगा कर अंकित को कटवाया था, जिस के कारण ही उस की मौत हुई थी.
पुलिस के सामने उस ने अपनी जिंदगी की जो फाइल खोल कर रखी, उस से इश्क, सैक्स, धोखा और कत्ल की लंबी कहानी उभर कर सामने आई.
स्कूल टाइम में ही बहक गई थी माही
नैनीताल जिले के हल्द्वानी शहर से रामपुर रोड पर लगभग 3 किलोमीटर दूर एक गांव पड़ता है प्रेमपुर लोश्यानी. माही आर्या उर्फ डौली का जन्म इसी गांव के एक साधारण परिवार में हुआ था. भले ही माही आर्या ने एक साधारण परिवार में जन्म लिया था. लेकिन जितनी देखनेभालने में वह खूबसूरत थी, उस से कहीं ज्यादा महत्त्वाकांक्षी भी थी. गरीबी में जन्म लेने के बाद उस का पालनपोषण भी आर्थिक तंगी में ही हुआ. लेकिन उस की खूबसूरती ने गरीबी के आगे भी हार नहीं मानी थी.
जैसेजैसे उस ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा, उस की सुंदरता में और भी निखार आता गया. जिस के कारण वह आसपड़ोसियों की भी चहेती बनी हुई थी. गरीबी से लड़तेझगड़ते उस ने किसी तरह से हाईस्कूल पास कर लिया. लेकिन हालात से हार कर उसे अपनी आगे की पढ़ाई बंद करनी पड़ी.
हाईस्कूल तक आतेआते कई युवक उस की खूबसूरती के दीवाने बन गए थे. उन सब में उस का सब से ज्यादा चहेता था विपिन कुमार (काल्पनिक नाम). स्कूल में सब से ज्यादा उस का टाइम उसी के साथ व्यतीत होता था. विपिन उस के दुखदर्द को भलीभांति समझता था.
यही कारण था कि माही सब से ज्यादा उसी पर विश्वास करती थी, जिस के कारण दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई थी. उसी दोस्ती के सहारे माही ने उसे अपना जीवनसाथी बनाने का प्रण भी कर लिया था. उसी दौरान दोनों के बीच अवैध संबंध भी स्थापित हो गए थे. यह सिलसिला दोनों के बीच काफी समय चलता रहा. लेकिन उन की यह प्रेमगाथा जल्दी ही जगजाहिर हो गई. जिस के कारण माही पर उस के घर वालों की पाबंदी लग गई और उस की आगे की पढ़ाई पर रोक लग गई.
आगे की पढ़ाई पर रोक लगते ही माही तिलमिला उठी. वह विपिन के वियोग में घुटघुट कर जीने लगी. उस के बाद भी दोनों ने जैसेतैसे मोबाइल के द्वारा संपर्क बनाए रखा. अपने घर वालों की पाबंदी से तंग आ कर माही ने विपिन पर घर से भागने का दबाव बनाया तो उस ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया.
विपिन ने अपने घर वालों से माही के साथ शादी करने की बात रखी तो उन्होंने उसे अपनाने से साफ मना कर दिया. यह बात सुनते ही माही को जिंदगी का सब से बड़ा झटका लगा. जब उस के घर वालों को पता चला कि वह अभी भी विपिन की पीछे पड़ी हुई है तो उन्होंने उसे घर से निकाल दिया. यह 2008 की बात है.
माही के साथ हुआ गैंगरेप
उस के बाद वह जिंदगी और मौत से संघर्ष करते हुए इधरउधर भटकने लगी. उस वक्त उस की खूबसूरती ही उस के लिए अभिशाप बन गई थी. घर वालों ने ठुकराया तो वह हल्द्वानी आ गई. हल्द्वानी आते ही उस के साथ गैंगरेप की घटना घटी. जिस से आहत हो कर उस ने अधिक मात्रा में नींद की गोलियां खा लीं.
उस की हालत बिगड़ गई. लेकिन जैसे ही उसे होश आया तो उस ने अपने को एक बूढ़ी औरत के घर में पाया. उस के ठीक होने तक उस बूढ़ी औरत ने उस की खूब सेवा की. बूढ़ी औरत की तरफ से सहानुभूति मिलते ही वह उसी के पास रहने लगी. लेकिन कुछ ही दिन बाद उसे पता चला कि वह उस औरत के पास आने के बाद एक दलदल में फंस कर रह गई.
हालांकि वह औरत बड़े लोगों के यहां पर काम कर के अपनी गुजरबसर करती थी. लेकिन उस के कुछ ऐसी औरतों से भी संबंध थे, जो जिस्मफरोशी के धंधे से जुड़ी थीं. माही ने जिंदगी से हार मानने हुए उन्हीं औरतों के साथ काम करना शुरू कर दिया. जहां पर रह कर माही की आर्थिक स्थिति सुधरी तो उसे पैसे का लालच आने लगा.
उसी धंधे के सहारे वह कुछ ही दिनों में पैसों में खेलने लगी और जल्दी ही उस ने शहर के बड़ेबड़े लोगों के साथ मजबूत संबंध बना लिए थे. उसी दौरान उस पर शहर के एक नामीगिरामी कांग्रेस नेता की कृपा बरसी और वह मकान मालिक बन बैठी.
उस कांग्रेसी नेता ने उस से खुश हो कर हल्द्वानी के गोरापड़ाव में उस का मकान ही बनवा दिया था. मकान बनते ही माही उस घर में अकेली ही ठाटबाट से रहने लगी थी. यही नहीं, उस ने अपने घर के कामकाज के लिए एक नौकरानी और नौकर भी रख लिया था.
कालगर्ल माही के ठाटबाट और रहनसहन से हल्द्वानी के पूर्व सभासद का बेटा भी उस के संपर्क में आया. वह माही की सुंदरता पर रीझ गया और उस ने उस के साथ दोस्ती करने के बाद उस से शादी भी कर ली थी. सभासद के बेटे के साथ शादी करने के बाद वह कुछ दिन अपनी ससुराल में रही.
लेकिन शादी के बाद भी उस की पुरानी हरकतें छूटने को तैयार नही थीं. जिस से उस के ससुराल वाले बुरी तरह से तंग आ चुके थे. यही कारण रहा कि कुछ ही दिनों में उसे शादी जैसा बंधन अखरने लगा. उस के बाद वह ट्रांसपोर्ट नगर स्थित अपनी ससुराल छोड़ कर गोरापड़ाव में अपने घर आ कर रहने लगी थी.
जिस्म परोस कर कमाने लगी पैसे
अपनी ऊंची ख्वाहिशों के कारण माही समाज में अकेली ही रह गई थी. उस ने अपने जिस्म को बेच कर इतना पैसा कमा लिया था कि वह ऐशोआराम की जिंदगी जी रही थी. एक बार वह जिस्मफरोशी के धंधे में उतरी तो उस ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. अपने जिस्म के बूते पर उस ने जो चाहा उसे हासिल कर लिया. उसी वक्त उस ने एक कार खरीदने का मन बनाया.
कार खरीदने का मन बनाते ही उस ने पुरानी कार की तलाश शुरू कर दी थी. अंकित चौहान पुरानी कार खरीदनेबेचने का काम करता था. वह कार खरीदने के लिए उस से मिली. माही की खूबसूरती देखते ही अंकित चौहान भी उस का दीवाना हो गया. उसी बहाने से अंकित चौहान ने उस का मोबाइल नंबर भी ले लिया था.
फिर दोनों में जल्दी ही दोस्ती भी हो गई. धीरेधीरे दोनों की नजदीकियां बढ़ीं तो वह भी उस के घरेलू कामों में उस की सहायता करने लगा था. अंकित हर रोज रात को माही के पास जाता था. वहीं पर रात का खाना खाता और उस के साथ ही रात रंगीन करता था. माही को पता था कि अंकित बहुत बड़ी प्रौपर्टी का मालिक है. उस के पास उस का अपना होटल भी है.
यही सोच कर उस ने उस के साथ शादी करने का मन बनाया. उस ने कई बार उस से शादी करने वाली बात भी कही, लेकिन उस ने एक कान से सुन कर दूसरे कान से बाहर निकाल दिया. जिस से माही को लगने लगा था कि वह केवल उस की देह का ही दीवाना है.
उसी दौरान माही को जानकारी मिली कि वह उस के साथसाथ किसी अन्य युवती से भी प्यार करता है. यह जानकारी मिलते ही माही परेशान हो उठी. फिर माही ने उस से पूरी तरह से पीछा छुड़ाने का मन बना लिया था. लेकिन इस के बावजूद अंकित उस पर अपना ही अधिकार जमाता था. हर रात उसी के साथ खातापीता और फिर उसे मारनेपीटने भी लगा था.
अंकित के व्यवहार से वह समझ गई कि वह उस से किसी भी कीमत पर शादी करने वाला नहीं. वह केवल उस के शरीर का ही उपयोग कर रहा है. उस के बाद धीरेधीरे उस के मन में अंकित के प्रति नफरत पैदा हो गई थी.
दीप कांडपाल बना नया प्रेमी
साल 2016 में उस की मुलाकात मोटाहल्दू निवासी दीप कांडपाल से हुई. दीप कांडपाल शराब बेचने का अवैध धंधा करता था. उस के साथ ही वह प्रौपर्टी खरीदनेबेचने का काम भी करता था. उस के पास काफी रुपयापैसा था. दीप कांडपाल भी उस की खूबसूरती पर इस कदर लट्टू हुआ कि उसे देखते ही पहली मुलाकात में उस से दोस्ती कर ली.
दीप कांडपाल से दोस्ती होते ही माही ने अंकित की अनदेखी करना शुरू कर दिया था. माही के लिए मर्द बदलना कपड़े बदलने के बराबर हो चुका था. कुछ ही दिनों में उस ने दीप कांडपाल के साथ भी संबंध बना लिए. वह भी उस के घर आनेजाने लगा था. यही नहीं, दीप कांडपाल ने उसे प्रौपर्टी डीलिंग के काम में अपने साथ रख लिया था.
माही ने पहले से ही अपने घर के काम के लिए ऊषा, उस के पति रामऔतार को रख रखा था. ऊषा ही माही के घर के कामकाज करने के साथ ही उस का खाना भी बनाती थी. माही के घर के सामने ही एक खाली प्लौट पड़ा हुआ था. ऊषा ने वहीं पर एक झोपड़ी डाल कर अपना बसेरा बना लिया था. अंकित ऊषा से बुरी तरह से चिढ़ता था. उस का भी एक कारण था कि ऊषा हर वक्त उसी के घर पर पड़ी रहती थी.
अंकित की मारपीट से बचने के लिए वह कभीकभी खाना भी वहीं पर खाती थी, जिस के कारण वह ऊषा देवी और उस के पति को अपनी अय्याशी में बाधा मानता था. जबकि उस से तंग आ कर दीपू कांडपाल, रामऔतार व उस की पत्नी ऊषा से उस की घनिष्ठता बढ़ गई थी.
अंकित से परेशान एक दिन माही ने किसी ज्योतिष को अपना हाथ दिखाया. तब उस ज्योतिष ने माही का हाथ देखते हुए बताया कि उस पर कालसर्प दोष चल रहा है, उस से छुटकारा पाने के लिए उसे कालसर्प दोष की पूजा करानी होगी. उस के लिए एक जहरीले नाग की जरूरत होगी.
अब से लगभग 8 महीने पहले माही की मुलाकात सपेरे रमेश नाथ से हुई. रमेश नाथ गलीगली घूम कर अपनी रोजीरोटी चलाता था. रमेश नाथ से मिल कर उस ने उस से एक जहरीला सांप लाने को कहा. रमेश नाथ जंगल से एक सांप पकड़ कर लाया. उस के बाद माही ने अपने घर में कालसर्प दोष की पूजा कराई. जिस के बाद उस ने रमेश नाथ को अपना गुरु मान लिया था.
रमेश नाथ तभी से बराबर उस के संपर्क में बना हुआ था. उसी आनेजाने के दौरान माही ने सपेरे रमेश नाथ के साथ भी अबैध संबंध बना लिए थे. वही पर रमेश नाथ की मुलाकात दीप कांडपाल, ऊषा और उस के पति रामऔतार से हुई.
अंकित नहीं छोड ऱहा था माही का पीछा
हालांकि माही ने अंकित से बात करना बिल्कुल ही बंद कर दिया था, इस के बावजूद अंकित उस का पीछा छोडऩे को तैयार न था. अंकित से तंग आ कर एक दिन माही स्कूटी से उस के घर के पास पहुंची और उस से कहा कि वह आज उस के घर वालों से उस की शिकायत करने आई है.
यह बात सुनते ही अंकित ने उसे उस वक्त तो समझाबुझा कर वापस भेज दिया. लेकिन कुछ ही दिनों में वह फिर से अपनी हरकतों पर आ गया. अंकित ने सोचा यह सब उस की नौकरानी ऊषा ही करा रही है. अंकित ने उस पर शक किया. उस के बाद उस ने खाली प्लौट के मालिक से शिकायत कर कहा कि वह बंगालन है वह आप के प्लौट पर टोनाटोटका भी करा सकती है. यह बात सुनते ही उस प्लौट के मालिक ने अपने प्लौट से उस की झोपड़ी हटवा दी.
इस मामले में दीप कांडपाल और अंकित में भी मनमुटाव हो गया था. झोपड़ी हटने के बाद ऊषा और उस का पति रामऔतार माही के घर पर ही रहने लगे थे. इस सब से तंग आ कर माही ने दीप कांडपाल के साथ मिल कर अंकित को मारने का प्लान बनाया.
अंकित को मौत की नींद सुलाने की योजना बनते ही माही और दीप कांडपाल ने एक टीवी सीरियल देखना शुरू किया. जिस से उन्हें सहज ही अंकित को मौत देने का कोई उचित तरीका मिल सके. सीरियल देख कर उन्हें सब से अच्छा तरीका सांप से कटवा कर मौत की नींद सुलाने का अच्छा लगा. उन के लिए सांप की व्यवस्था करने के लिए रमेश नाथ मौजूद था.
माही ने तुरंत ही रमेश नाथ को फोन कर के अपने घर बुला लिया. उस के बाद माही, दीप कांडपाल, ऊषा, रामऔतार और रमेश नाथ सब एक हो गए. जब अंकित को मौत की नींद सुलाने का पक्का प्लान बन गया तो माही ने रमेश नाथ से एक सांप की व्यवस्था करने को कहा.
उसी दौरान 6 जुलाई, 2023 को रमेश को फोन पर किसी ने बताया कि पंचायतघर के पास ब्यूटीपार्लर में एक सांप घुसा हुआ है. यह जानकारी मिलते ही रमेश नाथ ने मौके पर जा कर कोबरा प्रजाति का वह सांप पकड़ कर अपने पास रख लिया. यह बात उस ने माही और दीप कांडपाल को भी बता दी.
कोबरा से डसवा कर प्रेमी को दी मौत
सांप की व्यवस्था होते ही माही ने 8 जुलाई, 2023 को अंकित को मौत की नींद सुलाने का प्लान बनाया. क्योंकि उस दिन अंकित का बर्थडे था. उस दिन अंकित माही के घर पहुंचा और वहां पर मौजूद सभी लोगों के साथ शराब पी कर मौजमस्ती की. लेेकिन उस दिन ये लोग अंकित को मारने में नाकामयाब रहे.
उस के बाद 14 जुलाई को योजनानुसार माही ने अंकित को अपने घर बुलाया. उस दिन माही के घर दीप कांडपाल, सपेरा रमेश नाथ, नौकरानी ऊषा और उस का पति रामऔतार सभी मौजूद थे. माही ने सपेरे रमेश नाथ, ऊषा और उस के पति को इस मामले में सहयोग करने के लिए 10-10 हजार रुपए भी दिए.
अंकित के आने से पहले माही ने चारों को मंदिर वाले कमरे में रहने को कहा था. अंकित के आते ही वह उसे ले कर अपने बैडरूम में चली गई. माही ने वहीं पर पहले से ही जहर मिली शराब रख रखी थी. अंकित के साथ प्यार का नाटक करते हुए उस ने उसे जहरीली शराब पिला दी. जिस के पीते ही वह बेहोश हो गया.
अंकित के बेहोश होते माही ने चारों को बाहर बुला लिया. माही ने चारों आरोपियों की सहायता से उसे बैड पर उलटा लिटा कर उस के ऊपर एक कंबल डाल दिया. उस को उलटा लिटाते ही दीप कांडपाल ने उस के हाथ पकड़े और ऊषा व उस के पति ने उस के पैर पकड़े. उस के बाद सपेरे ने कोबरे से उस के पैर में डसवाया. फिर सभी उस के खत्म होने का इंतजार करने लगे.
लेकिन 10 मिनट गुजर जाने पर भी अंकित के शरीर में यूं ही हलचल होती रही. जिस के बाद फिर से दूसरे पैर में कोबरा से डसवा दिया, ताकि वह जल्दी खत्म हो जाए. इस के कुछ देर बाद ही अंकित की मौत हो गई.
लाश नहीं लगा सके ठिकाने
अंकित की हत्या करने के बाद उस की लाश को भुजियाघाट के पास फेंकने की योजना थी. अंकित की मौत हो जाने के बाद उस के शव को उसी की कार की पिछली सीट पर डाला. दीप कांडपाल कार चला रहा था. रमेश नाथ अगली सीट पर बैठा था.
रात के 11 बजे दोनों कार में शव डाल कर भुजियाघाट पहुंचे, लेकिन उस वक्त वहां पर कुछ कारें खड़ी थीं. जिस के कारण उन्हें वहां पर शव फेंकने का मौका नहीं मिला. इस की जानकारी दीप कांडपाल ने माही को दी और फिर कार को ले कर तीनपानी रेलवे क्रौसिंग के पास पहुंचे.
माही ने पहले ही दिल्ली के लिए कार बुक कर रखी थी. दीप कांडपाल से बात होते ही माही नौकर नौकरानी को साथ ले कर रेलवे क्रौसिंग पर पहुंची. उस के बाद अंकित की कार का एसी औन कर कार स्टार्ट कर के छोड़ दी. बाद में सभी आरोपी दिल्ली के लिए बुक कार से फरार हो गए.
माही की एक बहन की शादी दिल्ली में हुई थी. दिल्ली पहुंचते ही माही ने अपनी बहन से कहा कि हम 5 लोग तेरे घर पर आ रहे हैं. लेकिन उस की बहन उस की हरकतों को अच्छी तरह से जानती थी. इसी कारण उस ने उसे अपने घर आने से मना कर दिया.
उस के बाद पांचों ने रात दिल्ली में गुजारी और अगले ही दिन बस से बरेली पहुंचे. जहां पर पहुंचते ही सपेरा रमेश नाथ अपने गांव भोजीपुरा जाने की बात करने लगा. रमेश के अलग होने से पहले ही माही ने उस से कहा था कि वह अपना मोबाइल बंद ही रखे अन्यथा उस के कारण हम मुसीबत में भी फंस सकते हैं.
बरेली से नौकर नौकरानी दीप कांडपाल और माही को साथ ले कर अपने घर चले गए. उस के बाद वहां से नेपाल भाग गए. इन चारों से अलग होते ही रमेश नाथ ने अपना मोबाइल औन कर लिया था. उस ने सोचा था कि अगर किसी की काल भी आई तो वह उसे उठाएगा ही नहीं. लेकिन उसे पता नहीं था कि मोबाइल औन होते ही पुलिस उस के पास पहुंच जाएगी.
दुनिया में सब से ज्यादा शातिर इंसान का दिमाग ही होता है. जिस को चाहे जैसे यूज करो. इस केस की मास्टमाइंड रही जहरीली प्रेमिका माही उर्फ डौली ने भी यही सोचा था कि वह अंकित को सांप से कटवा कर पाकसाफ बच जाएगी. लेकिन पुलिस के लंबे हाथों से वह नहीं बच पाई.
इस मर्डर केस का खुलासा करने वाली टीम को एसएसपी पंकज भट्ट ने 5 हजार रुपए बतौर पुरस्कार देने की घोषणा की.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित