गुजरात के जिला अहमदाबाद के वीरमगांव के देसाई पोल के रहने वाले वासुदेवभाई भट्ट (व्यास) की अखबारों की एजेंसी तो थी ही, साथ ही वह कर्मकांड यानी पूजापाठ भी कराते थे. उनके परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटे और 3 बेटियां थीं. उन का एक बेटा अमेरिका में रहता है तो दूसरा आणंद के पास विद्यानगर में. बेटियों में एक डाकोर में रहती है तो दूसरी अहमदाबाद में.
उन की तीसरी बेटी केतकी व्यास ने वीरमगांव के ही देसाई चंदूलाल मगनलाल आटïï्स एंड कामर्स कालेज से बीकौम किया था. वह पढऩे में ठीकठाक थी, इसलिए वह गुजरात पब्लिक सर्विस कमीशन (जीपीएससी) की परीक्षा देना चाहती थी. परिवार की स्थिति सामान्य थी, इसलिए कोचिंग वगैरह करना उस के लिए संभव नहीं था. तब वह वीरमगांव में ही एक अधिकारी के पास मार्गदर्शन के लिए जाने लगी थी. उस अधिकारी के मार्गदर्शन और अपनी मेहनत की बदौलत केतकी व्यास जीपीएससी की परीक्षा पास करने में सफल रही.
जीपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद केतकी व्यास की पहली नियुक्ति नीलामी विभाग में चीफ अफसर के रूप में हुई. संयोग से उस समय नीलामी विभाग में पीएसआई के रूप में नौकरी करने वाले भास्कर व्यास से परिचय हुआ तो उस ने उन से विवाह कर लिया. केतकी व्यास को अपनी इस नौकरी से संतोष नहीं था, इसलिए वह लगातार मेहनत करती रही. परिणामस्वरूप उसने वर्ग-1 की परीक्षा पास कर ली, जिस से उस का कद और बढ़ गया.
अब केतकी व्यास बावणा में तहसीलदार हो गई. इस के बाद वह महेमदाबाद में स्टांप ड्यूटी में डिप्टी कलेक्टर बनी. पर उन की असली पहचान तो तब हुई, जब वह कडी में प्रांत अधिकारी बनी.
इतने दिनों से नौकरी करने वाली केतकी व्यास की जानपहचान अनेक राजनीतिक पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से हो गई थी. सरकारी काम से उन का गांधीनगर आनाजाना होता ही रहता था. उसी बीच उन की जानपहचान मुख्यमंत्री कार्यालय में काम करने वाले भारतीय जनता पार्टी के एक नेता से हो गई।
उस नेता के परिचय में आने के बाद तो केतकी व्यास का कद आश्चर्यजनक रूप से बढ़ गया. अखबारों में अकसर समाचार आता रहता कि सरकार ने इतने अधिकारियों का तबादला कर दिया, जिसकी लंबी लिस्ट होती थी. यह एक सामान्य प्रक्रिया थी, पर अपवादस्वरूप कभी ऐसा भी होता है कि मात्र एक अधिकारी का ट्रांसफर होता थी. पर इस सिंगल ट्रांसफर के पीछे कोई बड़ी वजह होती है. यह ट्रांसफर या तो सजा के रूप में होता है या फिर किसी विशेष काम के लिए.
पर दिसंबर, 2021 में जब केतकी व्यास कडी में प्रांत अधिकारी थी तो उन का प्रमोशन के साथ सिंगल ट्रांसफर और्डर हुआ था. इस आर्डर के आते ही केतकी व्यास आणंद जिले की एडिशनल कलेक्टर बन गई थी. आणंद में पद संभालने के साथ ही केतकी का नाता विवादों से जुड़ गया.
सामान्य रूप से किसी अधिकारी का तात्कालिक रूप से ट्रांसफर होता है तो उसे सरकारी आवास मिलने में समय लगता है. ऐसे में ट्रांसफर पर आया अधिकारी जब तक सरकारी आवास नहीं मिलता, सर्किट हाउस में रहता है. उसी तरह आणंद आई केतकी व्यास भी सर्किट हाउस में ठहरीं.
एडिशनल कलेक्टर बनते ही घमंडी हो गई केतकी व्यास
नौकरी पूरी होने की वजह से एडिशनल कलेक्टर पी.सी. ठाकोर रिटायर हुए थे. उन्हीं की जगह केतकी व्यास ट्रांसफर हो कर आई थी. रिटायर होते ही पी.सी. ठाकोर ने सरकारी आवास खाली कर दिया था. वही आवास केतकी व्यास को अलाट कर दिया गया था. सरकारी आवास मिल जाने के बावजूद केतकी व्यास सर्किट हाउस में ही रहती रहीं. जब इस बात के समाचार अखबारों छपे तब अधिकारियों ने उन से सॢकट हाउस खाली कराया था.
एडिशनल कलेक्टर बनते ही केतकी व्यास में कलेक्टर वाला रुतबा आ गया था। यह स्वाभाविक भी था. पर वह स्टाफ के साथ भी बदतमीजी से बात करने लगी थीं, जिस की वजह से स्टाफ ने हड़ताल कर दी थी. इस बात की भनक जब मुख्यमंत्री कार्यालय को लगी तो अधिकारियों ने बीच में आ कर मामला रफादफा कराया था.
आणंद आते ही केतकी व्यास मलाई काटने के लिए छटपटाने लगी थी. अपने स्वभाव के अनुसार उन की नजरें कलेक्टर औफिस पर जम गई थीं. उन की नजरें हमेशा इस बात पर रहने लगीं कि कलेक्टर औफिस में क्या चल रहा है, कलेक्टर साहब से कौन मिलनेजुलने आ रहा है? कोई हिसाबकिताब तो नहीं हो रहा है, यह जानने के लिए वह हर वक्त बेचैन रहती थीं.
किसी ने आ कर हिसाबकिताब कर लिया तो मलाई कलेक्टर साहब अकेले ही काट लेंगे और वह वंचित रह जाएंगी. इस के लिए उसे लगा कि अगर उस का कोई आदमी कलेक्टर औफिस में सेट हो जाए तो उन्हें अंदर की सारी जानकारी तो मिलती ही रहेगी, अपने कुछ काम करा कर वह भी कुछ कमाई कर सकेंगी.
फिर क्या था, केतकी व्यास ने जोड़तोड़ लगा कर अपने एक आदमी नायब तहसीलदार जे.डी. पटेल को कलेक्टर डी.एस. गढवी के औफिस में उन के पीए के रूप में रखवा दिया. इस के बाद कलेक्टर औफिस में चलने वाली तमाम गतिविधियों की जानकारी उन्हें होने लगी.
केतकी व्यास के अनुसार जब से वह ट्रांसफर हो कर आणंद आई थी, तभी से कलेक्टर डी.एस. गढवी उन से नजदीकी बनाने की कोशिश कर रहे थे. आतेजाते उन से मिलने, बाहर साथ घूमने चलने तथा साथ में कहीं बाहर खाने चलने के साथसाथ उन के व्यक्तिगत जीवन में रुचि लेने का प्रयास कर रहे थे. यही नहीं, उन के घर आने की भी बात करते थे. इस से केतकी व्यास को उन की रंगीनमिजाजी के बारे में पता चल गया. उन्हें लगा कि कलेक्टर साहब महिलाओं के शौकीन हैं.
पुलिस के अनुसार, कलेक्टर डी.एस. गढवी के स्वभाव से एडिशनल कलेक्टर केतकी व्यास परिचित हो गईं तो एक दिन उन्होंने नायब तहसीलदार जयेश पटेल को अपनी केबिन में बुला कर कहा, ”कलेक्टर मेरे पीछे पड़ा है. इस का मतलब कलेक्टर रंगीनमिजाज है. इसलिए औफिस में स्पाई कैमरा लगा कर किसी लड़की को बुला कर उसे उस के प्रेमजाल में फंसाओ.
इस के बाद उसे वीडियो दिखा कर वायरल करने तथा दुष्कर्म में फंसाने की धमकी दे कर विवादास्पद जमीनों की फाइलें क्लियर करा लो. जिन की जमीनें क्लियर होंगीं, उन से जो पैसा मिलेगा, उसे बराबर बराबर बांट लिया जाएगा. अगर कलेक्टर फाइल क्लियर करने से मना करेगा तो वीडियो वायरल कर दी जाएगी, जिस के बाद उस का ट्रांसफर हो जाएगा.’‘
एडिशनल कलेक्टर केतकी व्यास की यह योजना नायब तहसीलदार जयेश पटेल को भी पसंद आ गई. क्योंकि गुजरात में जमीनें अनमोल हैं. अगर योजना सफल हो जाती तो करोड़ो की कमाई हो सकती थी. इसलिए जयेश पटेल ने इस बातचीत के 10 दिन बाद अपने फोन के मारफत अपने दोस्त हरीश चावड़ा के नाम औनलाइन 3 जासूसी कैमरे मंगा लिए. इस की डिलीवरी के लिए गणेश दुग्धालय का पता दिया गया था.
3 जासूसी कैमरों का पार्सल हरीश चावड़ा ने रिसीव किया और उन्हें कलेक्टर औफिस में काम करने वाले जयेश पटेल तक पहुंचा दिया. इस के बाद जयेश पटेल ने कैमरों को एडिशनल कलेक्टर केतकी व्यास को दिखाया तो उनके पीए गौतम चौधरी ने कैमरों की जांच की.
कलेक्टर औफिस और चैंबर में लगवा दिए जासूसी कैमरे
इस तरह इस मंडली ने मिल कर तत्कालीन कलेक्टर डी.एस. गढवी को हनीट्रेप में फंसाने की पूरी तैयारी कर ली. जयेश पटेल के दोस्त हरीश चावड़ा की एक युवती से अच्छी दोस्ती थी. हरीश उसे अपनी स्कूटी पर बैठा कर कलेक्टर औफिस तक ले आया.
उस युवती को एक बार कलेक्टर औफिस जाने के लिए 5 हजार रुपए देने का लालच दिया गया. इस के अलावा उस से यह भी कहा गया था कि अगर उस के द्वारा कोई फाइल क्लियर होगी तो प्रत्येक फाइल पर उसे 25 हजार रुपए अलग से दिए जाएंगे.
उसी बीच जयेश पटेल ने कलेक्टर औफिस में कलेक्टर के चैंबर तथा एंटी चैंबर के स्विच बोर्ड में जासूसी कैमरे लगा दिए. हरीश चावडा द्वारा लाई गई युवती का परिचय जयेश पटेल ने कलेक्टर डीएस गढवी से एक वकील के रूप में कराया था. पहली ही मुलाकात में उस युवती को कलेक्टर के पास जमीनों की दोतीन फाइलें दे कर भेजा गया था.
एडिशनल कलेक्टर केतकी व्यास, जयेश पटेल और हरीश चावड़ा का इरादा उस युवती को भेज कर कलेक्टर डी.एस. गढवी से कुछ जमीनों की फाइलें क्लियर कराने का था. इन फाइलों में खडोल उमेटा गांव और करमसद गांव की फाइलें प्रमुख थीं. पुलिस के अनुसार, अगर ये फाइलें क्लियर हो जातीं तो सरकार को प्रीमियम का बहुत बड़ा नुकसान होता, शायद इसीलिए कलेक्टर गढवी ने उन फाइलों को क्लियर करने से मना कर दिया था.
जयेश पटेल द्वारा भेजी गई युवती कलेक्टर गढवी से 4-5 बार मिलने उन के चैंबर में गई थी. उसी बीच कलेक्टर गढवी और उस युवती के बीच काफी नजदीकी बढ़ गई थी. लेकिन केतकी व्यास, जयेश पटेल और हरीश चावड़ा को युवती और कलेक्टर गढवी की एक ही मुलाकात की फुटेज मिली थी, जिस में कलेक्टर डी.एस. गढवी उस युवती का हाथ पकड़ कर अपने एंटी चैंबर में ले जाते हुए दिखाई दे रहे थे. इन तीनों ने एंटी चैंबर में भी कैमरा लगाया था. परंतु एंटी चैंबर के इलेक्ट्रिक बोर्ड में किसी खराबी की वजह से वीडियो रिकौर्ड नहीं हो सकी थी.
पुलिस के अनुसार, फुटेज के आधार पर केतकी व्यास, जयेश पटेल और हरीश चावड़ा तत्कालीन कलेक्टर डी.एस. गढवी को ब्लैकमेल करने लगे थे. बदनामी से बचने के लिए डी.एस. गढवी तीनों से दबने ही लगे थे. इसी वजह से धीरेधीरे तत्कालीन कलेक्टर डी.एस. गढवी की पकड़ कलेक्टर औफिस पर कम होने लगी थी और कलेक्टर पर केतकी व्यास की पकड़ बढ़ती जा रही थी.
पुलिस के अनुसार, इन तीनों से तत्कालीन कलेक्टर डीएस गढवी इस हद तक दबने लगे थे कि कलेक्टर औफिस का कोई भी काम या फाइल होती, गढवी उसे केतकी व्यास के पास भेज देते थे. इस तरह आणंद कलेक्टर औफिस पर केतकी व्यास ने अपना लगभग आधिपत्य जमा लिया था.
किसी भी मामले में कलेक्टर के रूप में हस्ताक्षर भले ही डीएस गढवी के होते थे, पर उस पर नोट केतकी व्यास का होता था. चेहरा भले ही गढवी का होता था, पर परदे के पीछे खेल और आयोजन केतकी व्यास का होता था.
जैसा कि कहा जाता है कि लालच बुद्धि को भ्रष्ट कर देता है, वैसा ही कुछ केतकी व्यास के साथ भी हुआ. डी.एस. गढवी को पूरी तरह कब्जे में लेने के लिए दोबारा ट्रेप करने की कोशिश की गई. इस के लिए फिर से चैंबर के इलेक्ट्रिक बोर्ड में जासूसी कैमरा लगाया गया. इस बीच तत्कालीन कलेक्टर डी.एस. गढवी सूरत की अपनी एक महिला मित्र के साथ यौन गतिविधि करते जासूसी कैमरे में कैद हो गए.
केतकी व्यास, जयेश पटेल और हरीश चावडा ने ये सारी फुटेज कलेक्टर औफिस के कंप्यूटर औपरेटर के द्वारा निकलवा ली. इस के बाद इन फुटेज के आधार पर जयेश पटेल ने गढवी को बलात्कार का मुकदमा दर्ज कराने की धमकी दे कर ब्लैकमेल करने की कोशिश की. जबकि यह फुटेज उन लोगों के द्वारा भेजी गई युवती की नहीं थी.
यह फुटेज गढवी की महिला मित्र के साथ की थी। इसलिए गढवी ने पलट कर परिणाम भुगतने की धमकी दे दी, ”तुम लोगों की जो इच्छा हो कर लो.’‘ क्योंकि उन्हें अपनी उस महिला मित्र पर भरोसा था कि वह उन के खिलाफ कभी कोई बयान नहीं देगी.
कलेक्टर के आचरण की न्यूज चैनलों पर प्रसारित हुई खबर
तत्कालीन कलेक्टर डीएस गढवी की इस धमकी के बाद केतकी व्यास, जयेश पटेल और हरीश चावडा ने डीएस गढवी को बदनाम करने की पूरी तैयारी कर ली. अब तक यह घटना काफी संवेदनशील बन चुकी थी.
इस के लिए उन्होंने 8 जीबी की 5 पेनड्राइव मंगाई. इन्हीं पांचों पेनड्राइव में केतकी व्यास ने सूरत वाली महिला की फुटेज कापी कराई और अपने पीए गौतम चौधरी से तत्कालीन कलेक्टर डी.एस. गढवी के खिलाफ बदनाम करने वाला पत्र लिखवा कर पेन ड्राइव के साथ अलगअलग आसमानी रंग के लिफाफे में भर कर हरीश चावड़ा को सौंप दिया. हरीश चावड़ा ने उन लिफाफों को अलगअलग 6 चैनलों को पोस्ट कर दिया. इस के बाद यह फुटेज कुछ चैनलों पर प्रसारित हो गई.
इस फुटेज के प्रसारित होते ही आईएएस लौबी में ही नहीं, सरकार में भी हड़कंप मच गया. ज्यादा कुछ बवाल होता, उस के पहले ही राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से आईएएस डीएस गढवी को अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) नियम, 1969 के तहत कदाचार और नैतिक अधमता के गंभीर आरोप में निलंबन का आदेश दिया. इस के अलावा इस मुद्दे को देखने के लिए 5 महिलाओं की एक उच्च स्तरीय समिति भी बनाई गई.
राज्य सरकार ने इस मामले की जांच गुजरात पुलिस से कराने के बजाय सीधे गुजरात पुलिस के आतंकवाद निरोधी दस्ते एटीएस से कराने का निर्णय लिया. इस मामले की सच्चाई का पता लगाने की जिम्मेदारी एटीएस को सौंपी गई. जांच के बाद एटीएस ने कलेक्टर औफिस में काम करने वाली एडिशनल कलेक्टर केतकी व्यास, नायब तहसीलदार जयेश पटेल और आणंद जिला कलेक्टर औफिस में राजस्व संबंधी मामले देखने वाले हरीश चावड़ा के आरोपी होने की पुष्टि कर दी.
तब आणंद पुलिस ने औपचारिक रूप से एटीएस के इंसपेक्टर जे.पी. रोजिया की ओर से (आरएसी) रेजीडेंस एडिशनल कलेक्टर केतकी व्यास, नायब तहसीलदार जयेश पटेल और उस के दोस्त हरीश चावडा के खिलाफ आईपीसी की धारा 389, 354सी, आईटी अधिनियम 66ई और 120बी के तहत शिकायत दर्ज कर तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.
गिरफ्तार आरोपियों में केतकी व्यास के बारे में आप पहले जान ही चुके हैं. रही बात जयेश पटेल की तो वह आणंद के बाकरोल के पास रामभाई काका रोड पर स्थित एक सोसायटी के भव्य बंगले में रहता है. वर्ग 3 का अधिकारी होने के बावजूद उस के पास लगभग 5 करोड़ का बंगला है.
हरीश चावडा का 2 मंजिला मकान था, जिस में नीचे की मंजिल में पर मातापिता रहते थे तो ऊपर वाली मंजिल में वह अपने परिवर के साथ रहता था. कलेक्टर हनीट्रेप में गिरफ्तारी के बाद अब इन तीनों की नौकरी खतरे में पड़ गई है.
एडिशनल कलेक्टर और गैंग के सदस्य हुए गिरफ्तार
केतकी व्यास के पीए के रूप में काम करने वाले गौतम चौधरी ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत अदालत में अर्जी दी है कि वह इस मामले में गवाह बनने को तैयार है. अगर गौतम चौधरी इस मामले में गवाह बन जाता है तो केतकी व्यास की तमाम व्यक्तिगत बातों का रहस्य उजागर हो सकता है.
आरोपियों को जब लगा कि अब वे इस मामले में खुद ही फंसने वाले हैं तो उन्होंने साक्ष्यों को नष्ट करने की कोशिश की थी, फिर भी तमाम साक्ष्य जांच अधिकारियों के हाथ लग चुके हैं.
एटीएस ने केतकी व्यास सहित 3 लोगों के खिलाफ आणंद के थाना टाउन में केस दर्ज कराया था. पता चला था कि आणंद के लांभवेल रोड पर स्थित निशाआटोमोबाइल गैरेज में हनीट्रेप में उपयोग में लाए गए जासूसी कैमरे जलाए गए थे. पुलिस ने एफएसएल की टीम के साथ छापा मार कर वहां से राख बरामद कर वैज्ञानिक परीक्षण के लिए भेज दी.
20 अगस्त, 2023 की रात केतकी व्यास से पूछताछ में खुलासा हुआ था कि 2 हार्डडिस्क एक प्लास्टिक की थैली में डाल कर उन्हें संदेशर नहर में फेंक दी थीं. अगले दिन पुलिस ने गोताखोरों की मदद से दोनों हार्डडिस्क बरामद कर ली थीं.
एडिशनल कलेक्टर केतकी व्यास, जयेश पटेल और हरीश चावड़ा द्वारा किए गए इस कार्य से अधिकारी जगत शर्मशार हुआ. खास कर आईएएस लौबी में भारी नाराजगी है. जिस की वजह से पुलिस को आरोपियों के खिलाफ सख्ती से काररवाई करने का आदेश दिया गया है.
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि तीनों अधिकारियों ने एक युवती को हथियार बना कर हनीट्रेप किया था, आगे चल कर इस घटना को इम्मोरल ट्रैफिकिंग के अंतर्गत दर्ज किया जा सकता है. इस के लिए जो युवती कलेक्टर से मिलने गई थी, उसे गवाह बनाया जाएगा.
इस के अलावा इस मामले में कलेक्टर डीएस गढवी को ब्लैकमेल कर के पैसे वसूलने का भी मामला बनता है. डी.एस. गढवी ने तो ऐसा कोई मामला दर्ज नहीं कराया, पर एटीएस ने अपनी ओर से ब्लैकमेल कर के पैसों की मांग करने का मामला दर्ज कराया है.
अब केतकी व्यास का कहना है कि कलेक्टर डी.एस. गढवी उन के व्यक्तिगत जीवन में दखल दे कर उन से नजदीकी बनाने की कोशिश कर रहे थे. उन से बचने के लिए उन्होंने यह सब किया था.
कलेक्टर को ब्लैकमेल करने के मामले में अभी भी ऐसे तमाम सवाल हैं, जिन के जवाब मिलना बाकी है. तत्कालीन कलेक्टर को कब से ब्लैकमेल किया जा रहा है, इस की कोई जानकारी नहीं है. जासूसी कैमरा कब लगाया गया, इस के बारे में भी कुछ पता नहीं चला है.
ब्लैकमेल कर के कितनी फाइलें क्लियर कराई गईं, पुलिस के पास इस की भी कोई जानकारी नहीं है. हाईप्रोफाइल मामला होने के बावजूद पुलिस ने तीनों आरोपियों को रिमांड पर नहीं लिया था. बहरहाल, तीनों आरोपी कथा लिखने तक जेल में थे.