घटना मध्य प्रदेश के भोपाल जिले की है. शाम के 7 साढ़े 7 का समय था. भोपाल के चूना भट्ठी थाने की ट्रेनी एसडीपीओ रिचा जैन अपने चैंबर में किसी केस की फाइल देख रही थीं, तभी उन्हें कोलार सोसायटी में किसी महिला का कत्ल कर दिए जाने की सूचना मिली.
महिला की हत्या का मामला गंभीर होने से एसडीपीओ रिचा जैन सीएसपी भूपेंद्र सिंह को ले कर तुरंत मौके पर पहुंच गईं. कोलार सोसायटी की एक संकरी गली में लगभग 45-50 साल की एक महिला का खून से सना शव पड़ा हुआ था. उक्त महिला के कपड़े और पहने हुए जेवरों से साफ लग रहा था कि महिला का संबंध किसी अच्छे परिवार से है.
महिला के जेवर देख कर एसडीपीओ जैन ने अंदाजा लगाया कि हत्या लूट की गरज से नहीं की गई है. वहां मौजूद लोगों से पूछताछ की गई तो पता चला कि मृतका का नाम राधा यादव है, जो करोद क्षेत्र की रहने वाली है.
यह जानकारी भी मिली कि राधा ने कोलार कालोनी की गरीब बस्ती में रहने वाले सैकड़ों लोगों को कर्ज दे रखा था, वह अपने कर्ज व ब्याज की वसूली के लिए अकसर वहां आतीजाती रहती थीं.
सीएसपी भूपेंद्र सिंह ने अनुमान लगा लिया कि राधा के कत्ल के पीछे लेनदेन का मामला हो सकता है. यह बात 18 मार्च, 2020 की है.
लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाने के बाद एसडीपीओ ने एक टीम को कालोनी में रहने वाले राधा के कर्जदारों की सूची बनाने के काम में लगा दिया. जिस से अगले ही दिन यह बात सामने आई कि लगभग पूरी बस्ती राधा की कर्जदार थी.
राधा यादव ने यहां 20 लाख रुपए से अधिक की रकम ब्याज पर दे रखी थी. साथ ही यह भी पता चला कि राधा काफी दबंग किस्म की महिला थी. वह अपना पैसा वसूलने के लिए कर्जदार की सार्वजनिक बेइज्जती करने से भी पीछे नहीं रहती थी, जबकि अधिकांश लोगों का कहना था कि कितना भी चुकाओ मगर राधा का कर्ज बढ़ता ही जाता था.
इन बातों के सामने आने से यह बात लगभग तय हो गई थी कि राधा की हत्या लेनदेन के विवाद में ही हुई थी, इसलिए राधा के मोबाइल फोन के रिकौर्ड के आधार पर पुलिस ने उन लोगों से पूछताछ शुरू कर दी, जिन्होंने घटना वाले दिन राधा से फोन पर बात की थी.
लेकिन इस से पुलिस के सामने कोई खास जानकारी नहीं आई. हां, यह जरूर पता चला कि राधा की हत्या में 2 युवक शामिल थे, जो घटना के बाद अलगअलग दिशा में भागे थे. इन में से एक बदमाश का स्थानीय लोगों ने पीछा भी किया था, मगर वह चारइमली की तरफ भागते समय एकांत पार्क के पास बहने वाले नाले में कूद कर फरार हो गया था.
पुलिस की जांच चल ही रही थी कि इसी बीच 21 मार्च, 2020 को जनता कर्फ्यू लगा दिया गया. जबकि लौकडाउन से ठीक पहले 23 मार्च को कबाड़ का व्यापार करने वाले एक व्यक्ति ने हबीबगंज पुलिस को एकांत पार्क के पास नाले में लाश पड़ी होने की खबर दी.
एकांत पार्क के पास बहने वाला नाला चूना भट्ठी और हबीबगंज थाने की सीमा को बांटता है. ऐसे में हबीबगंज पुलिस ने जा कर नाले से लाश बरामद की, जिस के पास एक मोबाइल फोन भी मिला. लाश कीचड़ में सनी हुई थी और वह लगभग सड़ने की स्थिति में आ चुकी थी. इसलिए जब पुलिस ने उस के मोबाइल में पड़ी सिम के आधार पर पहचान करने की कोशिश की तो उस की पहचान अभिषेक के रूप में हो गई.
बाबानगर शाहपुरा का रहने वाला अभिषेक हिस्ट्रीशीटर था, इसलिए पुलिस को लगा कि उस की हत्या की गई होगी. शव की कलाई पर धारदार हथियार की चोट के निशान भी थे. साथ ही जहां लाश मिली थी, वहां नाले की दीवार के पास चूनाभट्ठी थाने की सीमा में खून भी गिरा मिला था.
इस से पुलिस ने अनुमान लगाया कि नाले में अभिषेक चूनाभट्ठी की तरफ से गिरा है. इसलिए जब चूनाभट्ठी थाने से संपर्क किया गया तो एसडीपीओ रिचा जैन को 18 मार्च की वह घटना याद आ गई, जिस में लोगों ने बताया था कि राधा यादव का एक हत्यारा पीछा कर रही भीड़ से बचने के लिए नाले में कूद गया था.
कहीं अभिषेक कौशल ही तो राधा का हत्यारा नहीं, सोच कर सीएसपी भूपेंद्र सिंह ने नाले के पास मिले खून के नमूनों को घटनास्थल के पास गली में मिले खून से मिलान के लिए भेज दिया. जिस में पता चला कि गली में मिला खून और नाले के पास गिरा खून एक ही व्यक्ति का था.
इस से साफ हो गया कि 18 मार्च की रात राधा यादव की हत्या कर फरार होने के लिए नाले में कूदने वाला बदमाश कोई और नहीं, बल्कि अभिषेक ही था जो दलदल में फंस कर मर गया था. इसलिए पुलिस ने अभिषेक के मोबाइल की कालडिटेल्स निकाली, जिस में पता चला कि घटना वाले दिन कोलार कालोनी निवासी अजय निरगुडे से उस की कई बार बात हुई थी.
यही नहीं, घटना के समय अजय और अभिषेक दोनों के फोन की लोकेशन भी एक साथ उसी स्थान की थी, जहां राधा यादव का कत्ल हुआ था.
अजय की तलाश की गई तो पता चला कि अजय 18 मार्च, 2020 से लापता है. 18 मार्च को ही राधा की हत्या हुई थी. इस से पुलिस को पूरा भरोसा हो गया कि अजय ही अभिषेक के साथ राधा की हत्या में शामिल था.
चूंकि घटना के 4 दिन बाद से ही देश में लौकडाउन लग गया था, इस से पुलिस का काम थोड़ा मुश्किल हो गया. लेकिन एसपी (साउथ) साई कृष्णा के निर्देश पर चूनाभट्ठी पुलिस दूसरी जिम्मेदारियों के साथ अजय की तलाश में जुटी रही.
क्योंकि उसे भरोसा था कि जब तक नाले में अभिषेक की लाश बरामद नहीं हुई थी, तब तक अजय ने भोपाल से भागने की कोई जरूरत नहीं समझी होगी. फिर अभिषेक की लाश मिलने के साथ ही देश में ट्रेन बस सब बंद हो गई थीं, इसलिए अजय कहीं बाहर नहीं गया होगा, वह भोपाल के आसपास ही कहीं छिपा होगा.
उस का पता लगाने के लिए पुलिस ने मुखबिरों को भी लगा दिया. इस कवायद का नतीजा यह निकला कि 7 मई, 2020 को पुलिस को खबर मिली कि अजय ईदगाह हिल्स पर अपनी ससुराल पक्ष के एक रिश्तेदार के घर पर छिपा है.
पुलिस टीम ने वहां छापा मार कर सो रहे अजय को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में अजय पहले तो इस मामले में कुछ भी जानने से इनकार करता रहा लेकिन जब पुलिस ने थोड़ी सख्ती दिखाई तो उस ने सुपारी ले कर राधा की हत्या करने की बात कबूल कर ली. उस ने बताया कि 4 महिलाओं रेखा हरियाले, सुनीता प्रजापति, गुलाबबाई प्रजापति और सुलोचना ने राधा की हत्या के लिए उसे एक लाख 80 हजार रुपए की सुपारी देने के साथ 20 हजार रुपए एडवांस में भी दिए थे.
उस ने बताया कि कोलार कालोनी में राधा के एजेंट के तौर पर काम करने वाला ताराचंद मेहरा और उस का भतीजा मनोज भी शामिल था, सो पुलिस ने उसी दिन छापा मार कर उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया. हत्या की सुपारी देने वाली रेखा हरियाले, सुनीता प्रजापति, गुलाब बाई और सुलोचना भी पकड़ी गईं. जिस के बाद राधा हत्याकांड की कहानी इस प्रकार सामने आई.
पंचवटी कालोनी करोंद निवासी राधा यादव कई साल से भोपाल की गरीब बस्तियों में ब्याज पर पैसा देने का काम करती थी. उस का पति राजेंद्र उर्फ राजन एलआईसी में नौकरी करता था. लेकिन किसी वजह से उस की नौकरी छूट गई थी, वह खाली था.
राधा के 2 बेटे हैं, जिन की उम्र 16 और 18 साल है. राधा का पति शराबी था, जिस की वजह से पति का उस से झगड़ा होता रहता था. फिर एक दिन ऐसा आया कि राजन उसे छोड़ कर कहीं चला गया जो वापस नहीं लौटा.
एकलौते बेटे के घर छोड़ कर चले जाने पर राजेंद्र के पिता ताराचंद को गहरा सदमा लगा जिस से उन की मृत्यु हो गई. ससुर ताराचंद की मृत्यु के बाद राधा ने उन की खेती की 10-12 बीघा जमीन बेच कर ब्याज पर पैसे देने शुरू कर दिए.
लोगों की मानें तो राधा का पूरे भोपाल में 50 लाख से अधिक और अकेली कोलार कालोनी में 20 लाख से अधिक रुपया ब्याज पर चल रहा था. इलाके के लोग राधा को सिंघम चाची कहते थे.
राधा उधार दिए पैसों पर मोटा ब्याज वसूलती थी. उसे अपना पैसा वसूल करना अच्छी तरह आता था. लोगों का कहना है कि जो एक बार राधा का कर्जदार हो गया, वह फिर उस कर्ज से उबर नहीं पाया. कर्ज वसूलने का उस का अपना हिसाब था, जिस की वजह से आदमी का कर्ज कभी पूरा नहीं हो पाता था. इस पर कोई अगर उस का विरोध करता तो राधा गुंडई करने में भी पीछे नहीं रहती थी.
कर्जदार की कार, आटो भी वह खड़ेखड़े नीलाम कर देती थी और कोई उस का कुछ नहीं कर पाता था.
पकड़े गए आरोपियों में से ताराचंद मेहरा कोलार कालोनी में राधा के एजेंट के तौर पर काम करता था. जानकारी के अनुसार राधा ने अकेले उस के माध्यम से ही इस कालोनी में 8 लाख से ज्यादा का कर्ज बांट रखा था. बाकी सभी आरोपी राधा के कर्जदार हैं, जो उस के हाथ कई बार जलील भी किए जा चुके थे.
आरोपी महिलाओं ने बताया कि उन्होंने राधा से जितना पैसा कर्ज लिया था, उस का कई गुना अधिक वे ब्याज के तौर पर वापस कर चुकी थीं. लेकिन इस के बाद भी वह आए दिन पैसे वसूलने उन के दरवाजे पर आ कर गालीगलौज करती थी.
इस से वे तंग आ चुकी थीं. जब तक राधा जिंदा है, तब तक वे उस का कर्ज कभी नहीं चुका सकतीं. यही सोच कर उन्होंने राधा की हत्या करवाने की सोच कर अजय से बात की थी.
शाहपुरा का नामी बदमाश अभिषेक अजय निरगुड़े का मुंहबोला साला था. अजय ने अभिषेक से बात की और एक लाख 80 हजार रुपए में राधा की हत्या का सौदा तय कर दिया. इस काम में राधा का एजेंट ताराचंद और उस का भतीजा मनोज भी साथ देने को राजी हो गए.
योजनानुसार घटना वाले दिन रेखा ने राधा को फोन कर चाय पीने के लिए अपने घर बुलाया. राधा लगभग रोज ही ब्याज की वसूली करने के लिए कालोनी में आती थी, सो रेखा से बात होने के बाद वह उस के घर पहुंच गई, जहां चाय पीने के दौरान ताराचंद ने रेखा को फोन कर ब्याज का पैसा लेने के लिए बुलाया. इसलिए रेखा के घर से उठ कर राधा ताराचंद के घर की तरफ जाने लगी.
आरोपियों को मालूम था कि राधा, रेखा के घर से ताराचंद के घर जाने के लिए संकरी गलियों से हो कर गुजरेगी. इसलिए रास्ते में अजय और अभिषेक घात लगा कर बैठ गए और रेखा के वहां आते ही दोनों ने मिल कर चाकू से गोद कर उस की हत्या कर दी.
रेखा की चीखपुकार सुन कर कालोनी के लोग बाहर निकल आए, लेकिन गलियों से परिचित होने के कारण अजय तो आसानी से मौके से फरार हो गया, जबकि अभिषेक को पकड़ने के लिए भीड़ उस के पीछे पड़ गई.
भीड़ ने अभिषेक को पकड़ लिया. भीड़ में मौजूद किसी व्यक्ति ने उस पर धारदार हथियार से हमला किया, जिस से उस की कलाई कट गई. उसी दौरान किसी तरह अभिषेक भीड़ से बच कर भाग गया और नाले के पास एक पेड़ के पीछे छिप गया.
जब भीड़ उस की तरफ आई तो वह पकड़े जाने से बचने के लिए नाले में कूद गया, जहां नाले की दलदल मे फंस कर उस की मौत हो गई. बाद में पुलिस को मिली अभिषेक की लाश ही राधा यादव के हत्यारों तक पहुंचने की सीढ़ी बनी.