Top 11 Best Family Crime Stories in Hindi : इन फैमिली क्राइम स्टोरीज को पढ़कर आप जान पाएंगे कि आज कल के बदलते परिवेश में कैसे परिवार के सदस्य भी एक दूसरे के खून के प्यासे बनते जा रहे है. छोटी छोटी बातों के लिए अपनों की जान के दुश्मन बनते रिश्तों की सच्चाई जानने के लिए पढ़े ये मनोहर कहानियां Top 11 Best Hindi Family Crime Stories 

1. रेशमा की हंसी ने बुलाई मौत

शोर सुन कर आसपास के घरों से लोग निकल आए. उन्होंने तभी देखा कि नन्हे अपनी पत्नी रेशमा के बाल पकड़ कर खींचता हुआ अपने घर में ले गया था. उधर नाजमा व अन्य लोगों ने देखा कि रसोई का शेड टूटा हुआ नीचे पड़ा है, वहां पर खून भी पड़ा था. इस के अलावा जिधर से नन्हे अपनी पत्नी रेशमा को घसीट कर ले गया था, वहां पर खून की बूंदें दिखाई दे रही थीं. इकट्ठा हुए लोग यह जानने के लिए नन्हे के घर पहुंच गए थे कि आखिर हुआ क्या है.

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2. जलन में जल गया पूरा परिवार

पुलिस ने किसी तरह दरवाजा खोला. दरवाजा खुलने पर जब सभी अंदर गए तो अंदर का दृश्य भयानक था. घर के अंदर एक कमरे में 5 लाशें पड़ी थीं, जिन में सुकांतो के बेटे, पत्नी, भतीजे की पत्नी और 2 बच्चियों की लाशें थीं. पर इन के शरीर पर किसी भी तरह की चोट वगैरह का कोई निशान नहीं था.

दूसरे कमरे में अकेले सुकांत सरकार ऐसे थे, जिन की सांसें अभी चल रही थीं. पर वह बुरी तरह घायल थे. उन का पूरा शरीर खून से लथपथ था. उन के पास एक बड़ा सा चाकू पड़ा था. चाकू पर भी खून लगा था. साफ लग रहा था उसी चाकू से उन पर वार हुए थे.

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3. 17 साल बाद खुला मर्डर मिस्ट्री का राज

दरवाजा खोल कर जैसे ही जनार्दन नायर अंदर घुसे, चीखते हुए तुरंत बाहर आ गए. घर के अंदर उन की 50 साल की पत्नी रमादेवी की खून से सनी लाश पड़ी थी. पत्नी की लाश देख कर वह चीखनेचिल्लाने लगे. उन की चीखपुकार सुन कर पड़ोसी इकट्ठा हो गए.

रमादेवी के मर्डर की बात सुन कर पड़ोसी भी हैरानपरेशान हो गए. दिनदहाड़े किसी के घर में घुस कर इस तरह हत्या कर देने वाली बात हैरान करने वाली तो थी ही, डराने वाली भी थी. सभी लोग सहम उठे थे. महिलाएं कुछ ज्यादा ही डरी हुई थीं. क्योंकि दिन में वही घर में अकेली रहती हैं.

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4. खुशी के माहौल में 4 हत्याएं

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वे दोनों भी कब सो गए, उन्हें नहीं पता चला. रात के 2 बज गए थे. अचानक घर में चीखपुकार मच गई. गांव वाले भी चीखने की आवाजें सुन कर मनाराम के घर की ओर दौड़ पड़े. घर से आ रही रोनेधोने और चीखने की आवाजों के अलावा ‘मैं मार दूंगा…सब को मार दूंगा’ की आवाज भी शामिल थी. गांव वाले कुछ समझ पाते, इस से पहले ही उन्होंने मनाराम को कुल्हाड़ी ले कर घर से निकलते देखा.

वह बाहर आया और वहीं लडख़ड़ाता हुआ धड़ाम से गिर पड़ा. उस के हाथ की कुल्हाड़ी छिटक कर दूर गिर गई. उस पर खून लगा हुआ था. जमीन पर गिरा हुआ मनाराम अब भी बड़बड़ा रहा था, ‘मार डालूंगा…सब को मार डालूंगा…मुझे भी मार दो!’

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5. मां के प्रेम का जब खुला राज

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घर पहुंच कर नेत्रपाल ने अनुज को गोद से उतार कर राधा की गोद में दे दिया तो एक बार फिर दोनों की अंगुलियां टकरा गईं. वही सनसनी फिर राधा की देह से गुजर गई. नेत्रपाल ने मुसकरा कर कहा, “अब चलता हूं भाभी.”

“अरे ऐसे कैसे जाओगे? तुम ने मेरी इतनी मदद की है, बदले में मेरा भी तो फर्ज बनता है. अंदर चलो, चाय पी कर जाना.” कहते हुए राधा ने घर का ताला खोला और नेत्रपाल का हाथ पकड़ कर उसे अंदर ले आई.

भीतर आ कर उस ने बेटे को गोद से उतार कर बिस्तर पर लिटा दिया. इस के बाद उस ने साड़ी का पल्लू सिर से उतारा ही था कि झटके से उस का जूड़ा खुल गया. लंबे बाल कंधों पर लहराने लगे. नेत्रपाल को राधा की यह दिलकश अदा भा गई.

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6. जिन्दा दफन की आंगन की किलकारी

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इस के अलावा उस के मन में एक बात यह भी घूम रही थी कि यदि बच्ची नहीं मरी तो वह उस की वजह से पूरी जिंदगी परेशान रहेगा. लिहाजा उस ने बेटी को खत्म करने की सोची. इस बारे में उस ने अपने साले दिनेश से बात की तो उस ने भी जीजा की हां में हां मिलाते हुए 6 दिन की बच्ची को खत्म करने को कहा.

दोनों ने बच्ची को मारने का फैसला तो कर लिया लेकिन अपने हाथों से दोनों में से किसी की भी उस का गला दबाने की हिम्मत नहीं हो रही थी. फिर उन्होंने तय किया कि बच्ची को जिंदा ही गड्ढे में दफना देंगे और जब सुनीता पूछेगी तो कह देंगे कि बच्ची की मौत हो गई थी और उसे दफना आए हैं.

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7. बेटी बनी गवाह : मां को मिली सजा – भाग 1

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कुछ ही देर में 15 साल की प्रियांशी गवाही देने अदालत में खड़ी हुई तो वकील अखिलेश भाटी ने उस से सवाल किया, “जिस दिन तुम्हारे पापा का मर्डर हुआ था,उस वक्त तुम क्या कर रही थी और तुम ने क्या देखा?”

“जी सर ,उस दिन मैं मम्मी के साथ ऊपर के कमरे में गई थी. उस समय मम्मी फोन पर किसी से बात कर रहीं थीं, तभी मैं ने नीचे उतर कर देखा तो 2 लोग मेरे पापा के कमरे से बाहर निकल रहे थे, उन में से एक प्रकाश अंकल भी थे. मैं ने पापा के कमरे में जा कर देखा तो पापा खून से लथपथ पड़े हुए थे, उन की गरदन पर किसी धारदार हथियार के निशान साफ दिख रहे थे. उसी समय मैं ने मम्मी को आवाज दे कर नीचे बुलाया था.”

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8. कंजूस पिता की ज़िद का नतीजा – भाग 1

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निष्ठा ने जब पिता के चीखने की आवाज सुनी तब वह पहली मंजिल पर थी. चीख की आवाज सुन कर निष्ठा ने सोचा कि शायद आज फिर पापा का किसी से झगड़ा हो गया है. वह जल्दीजल्दी सीढि़यों से उतर कर नीचे आई. घर का मुख्य दरवाजा भिड़ा हुआ था उस ने जैसे ही दरवाजा खोला उस के पिता सामने गिरे पड़े थे और हाथ में चाकू लिए एक युवक वहां से भाग रहा था. कुछ आगे एक युवक लाल रंग की मोटरसाइकिल पर बैठा था. जिस ने सिर पर हेलमेट लगा रखा था. कुछ लोग गली में मौजूद थे लेकिन उन्हें पकड़ने की किसी की भी हिम्मत नहीं हुई. युवक मोटरसाइकिल पर बैठ कर भाग गए.

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9. 50 बोटियों में बंटी झारखंड की रुबिका

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रूबिका पहाड़न का टुकड़ों में कटा हुआ शव मोमिन टोला स्थित एक पुराने और बंद पड़े मकान में मिला. उस की लाश को दरजनों टुकड़ों में काटा गया था. लाश के टुकड़ों को देख कर कोई भी हत्यारों की हैवानियत का अंदाजा सहज ही लगा सकता था.

रूबिका की बोटीबोटी करने वालों ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थीं. उस के शव की पहचान न हो सके, इस के लिए आरोपियों ने उस की खाल तक उतार दी थी. शव के बरामद हुए 50 टुकड़ों में दाएं पैर के अंगूठे, कपड़े आदि से ही उस की पहचान हुई. शव के टुकड़े इलैक्ट्रिक कटर जैसे किसी औजार से किए गए जान पड़ते थे. रूबिका का सिर 2 हफ्ते बाद मोमिन टोला के निकट तालाब के पास से बरामद हुआ था.

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10. 3 महीने बाद खुला सिर कटी लाश का राज

सर्चिंग के दौरान हनुमान डोल मंदिर से करीब 50 मीटर दूर एक पुलिया के नीचे प्लेटफार्म से सटी रेत पर चादर से लिपटा एक शव बीट गार्ड को दिखाई दिया. शव मिलने की सूचना जब तक उस ने थाना रानीपुर को दी, तब तक शाम हो चुकी थी. तीसरे दिन 29 दिसंबर, 2023 को जब रानीपुर पुलिस फोरैंसिक टीम के साथ वहां पहुंची तो देखा कि शव के सिर्फ पैर दिख रहे थे. शव पत्थर और रेत में ढंका हुआ था. जब पुलिस टीम ने शव बाहर निकाला तो एक धड़ मिला, जिस के शरीर से सिर गायब था. कपड़ों के लिहाज से यह लाश किसी महिला की थी.

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11. तांत्रिक शक्ति के लिए अपने बच्चों की बलि

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निशा खुद को अब बहुत ऊंची तांत्रिक समझने लगी थी. उस पर पैसा बरस रहा था, लेकिन घर में शौहर और बच्चों से वह दूर होती आ रही थी. उन्हीं दिनों उस की जिंदगी में सऊद फैजी ने कदम रखा. वह पार्षद रह चुका था, उसे 36 साल की निशा की देह में ऐसी कशिश दिखाई दी कि वह उस के घर के चक्कर काटने लगा.

रोजरोज आने से निशा का झुकाव उस की ओर होने लगा. वह सऊद फैजी के प्रेम में उलझ गई. सऊद फैजी जवान था और जोशीला भी था. एक दिन एकांत में उस ने निशा को बाहुपाश में जकड़ लिया. निशा ने कोई विरोध नहीं किया, उस ने अपने आप को सऊद फैजी की बांहों में सौंप दिया.

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