22जून, 2019 की सुबह पुणे शहर के पौश इलाके में स्थित मुढ़वा की रहने वाली 40 वर्षीय राधा अग्रवाल घर से अपनी स्कूटी ले कर निकली थी. उस ने घर पर बताया था कि वह अपनी सहेलियों के साथ साईंबाबा के दर्शन करने शिरडी जा रही है. 2 दिन में घर लौट आएगी. घर से निकलते समय वह अपने सारे गहने पहने हुई थी. जब वह 25 जून तक नहीं लौटी तो पति किशोरचंद्र अग्रवाल ने उस का फोन मिलाया. लेकिन राधा का फोन स्विच्ड औफ मिला.
राधा के 16 वर्षीय बेटे मानव अग्रवाल ने इस बारे में अपनी मां की सहेलियों से बात की तो उन्होंने बताया कि वह तो शिरडी गई ही नहीं थी, न ही उन्हें राधा के शिरडी जाने की कोई जानकारी है.
राधा की सहेलियों से यह जानकारी मिलने पर परिवार के लोग परेशान हो गए. चूंकि उस दिन राधा अग्रवाल गहने पहन कर गई थी, इसलिए उन की चिंता और भी बढ़ गई. 25 जून की शाम को ही मानव अग्रवाल अपने 3-4 सगेसंबंधियों के साथ थाना मुढ़वा पहुंच गया. उस ने वहां मौजूद थानाप्रभारी संपतराव भोसले को अपनी मां के लापता होने की विस्तार से जानकारी दे दी.
राधा अग्रवाल शहर के करोड़पति रियल एस्टेट कारोबारी किशोरचंद्र अग्रवाल की पत्नी थी. मानव अग्रवाल की बात सुन कर थानाप्रभारी भी आश्चर्य में पड़ गए कि आशा अग्रवाल आखिर अपनी मरजी से कहां चली गई.
बहरहाल, उन्होंने राधा अग्रवाल की डिटेल्स लेने के बाद मानव को भरोसा दिया कि पुलिस उन्हें अपने स्तर से ढूंढने की कोशिश करेगी.
चूंकि मामला एक प्रतिष्ठित परिवार की महिला से जुड़ा था, इसलिए थानाप्रभारी ने इस की सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी. इस के बाद उन्होंने राधा अग्रवाल की गुमशुदगी की काररवाई शुरू कर दी. उन्होंने फोटो सहित उस का हुलिया पुणे शहर के सभी पुलिस थानों को भिजवा दिया. इस के अलावा उन्होंने मुखबिरों को भी लगा दिया.
थानाप्रभारी ने मामले की जांच के लिए एसआई अमोल गवली, स्वप्निल पाटील, हैडकांस्टेबल कैलाश चह्वाण, निलेश जगताप, श्रीनाथ जाधव, अमोल चह्वाण और एस.ए. काकड़े को शामिल कर एक टीम बनाई. पुलिस टीम अपने स्तर से राधा अग्रवाल को तलाशने लगी.
जांच में पता चला कि राधा अग्रवाल शादी के पहले से ही खुले विचारों वाली थी. वह किसी प्रकार के बंधनों को नहीं मानती थी. शादी के बाद उसे परिवार भी वैसा ही मिला था. घर में उसे किसी प्रकार की कोई कमी नहीं थी. अभाव केवल एक यह था कि पति का ज्यादा संग नहीं मिल पाता था, क्योंकि पति किशोरचंद्र अग्रवाल अपने रियल एस्टेट कारोबार में ज्यादा व्यस्त रहते थे. एक बेटा था जो पढ़ाई कर रहा था.
सोशल मीडिया पर रहने का शौक राधा के पास भले ही रुपएपैसों की कमी नहीं थी, लेकिन वह पति का साथ चाहती थी जो उसे नहीं मिल पाता था. वह कसे हुए बदन की सुंदर महिला थी. एक युवक की मां होने के बाद भी उस का शारीरिक आकर्षण बरकरार था. यही वजह थी कि राधा ने अपना मन बहलाने के लिए जब सोशल मीडिया का सहारा लिया तो कुछ ही दिनों में उस के हजारों फालोअर्स और सैकड़ों दोस्त बन गए थे.
राधा ने घूमने के लिए एक स्कूटी ले रखी थी, जिस से वह अपने दोस्तों और सहेलियों से मिलने जाया करती थी. वह तरहतरह के पोज में खींचे गए अपने फोटो फेसबुक पर डाल दिया करती थी, जिस से उसे काफी प्रशंसा मिलती थी. सोशल मीडिया से जुड़ने के बाद राधा अग्रवाल के चेहरे पर अकसर चमक दिखाई देती थी. वह अपनी इस जिंदगी से काफी खुश रहने लगी थी.
यह जानकारी मिलने के बाद जांच अधिकारी को इस बात का पूरा भरोसा हो गया कि राधा अग्रवाल की गुमशुदगी के पीछे कोई गहरा रहस्य है, जिस का परदा उठाना जरूरी है. पुलिस ने राधा अग्रवाल का मोबाइल नंबर ले कर उस की काल डिटेल्स निकलवाई तो अंतिम लोकेशन पुणे के ही भोसले नगर, रेंज हिल इलाके की मिली.
पुलिस वहां पहुंच गई और इधरउधर खोजबीन करने लगी. वहां पर एक स्कूटी मिली, जो राधा अग्रवाल की ही थी. पुलिस ने स्कूटी की डिक्की खोल कर देखी तो उस में राधा का मोबाइल फोन मिला. फोन डिस्चार्ज हो चुका था.
जब मोबाइल को चार्ज कर औन किया किया तो वाट्सऐप और फेसबुक पर महिला और युवक दोस्तों की लंबी फेहरिस्त देख पुलिस टीम हैरान रह गई. राधा अग्रवाल के फोन पर जिस नंबर से आखिरी बार बातचीत हुई थी, पुलिस ने उस नंबर की जांच की तो वह नंबर आनंद निगम का निकला, जो कर्नाटक का रहने वाला था. पुलिस टीम उस के घर पहुंच गई लेकिन वह घर से फरार मिला. परिवार वालों से पूछताछ कर के आखिरकार पुलिस उस के पास पहुंच ही गई. आनंद निगम को हिरासत में ले कर पुलिस पुणे लौट आई.
आनंद निगम से थाने में पूछताछ की जानी थी, इसलिए सूचना पा कर डीसीपी सुहास बाबचे और एसीपी सुनील देशमुख भी थाना मुढ़वा पहुंच गए. पुलिस अधिकारियों के सामने थानाप्रभारी संपतराव भोसले ने आनंद निगम से राधा अग्रवाल के बारे में पूछताछ की तो पहले तो वह यही कहता रहा कि राधा अग्रवाल नाम की किसी महिला को नहीं जानता.
लेकिन पुलिस ने जब वाट्सऐप और फेसबुक पर उस की और राधा की चैटिंग दिखाई तो वह सहम गया. वह चाह कर भी अपना झूठ नहीं छिपा सका. सख्ती से की गई पूछताछ में उस ने स्वीकार कर लिया कि वह राधा अग्रवाल की हत्या कर चुका है.
हत्या की बात सुनते ही पुलिस चौंक गई. आनंद से उस की लाश के बारे में पूछा गया तो उस ने बता दिया कि लाश ताम्हिणी के वर्षाघाट के जंगलों में है. हत्या करने के बाद वह उस के सभी गहने और नकदी ले भागा था.
पुलिस को किसी भी तरह राधा अग्रवाल की बौडी बरामद करनी थी. उसे संशय था कि कहीं जंगली जानवरों ने शव को नष्ट न कर दिया हो. इसलिए पुलिस आनंद निगम को ले कर 12 जुलाई, 2019 को ताम्हिणी वर्षा घाट के जंगल में जा पहुंची.
लेकिन जंगल में राधा अग्रवाल के केवल अस्थिपंजर और कपड़े मिले. उस का मांस जंगली जानवर नोंचनोंच कर खा चुके थे. पुणे पुलिस ने स्थानीय पुलिस के सहयोग से कंकाल बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. इस के बाद पुलिस आनंद निगम को ले कर पुणे लौट आई.
पूछताछ करने पर आनंद निगम ने राधा अग्रवाल की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस तरह थी.
आनंद की अपनी कहानी 31 वर्षीय आनंद निगम मूलरूप से कर्नाटक का रहने वाला था. उस के पिता का नाम शिवाजी निगम था. परिवार में उस के मातापिता के अलावा एक छोटी बहन थी. परिवार की माली स्थिति साधारण थी.
जब उस के पिता का निधन हो गया तो घर की जिम्मेदारी आनंद पर आ गई. वह रोजीरोटी की तलाश में परिवार के साथ पुणे आ गया और वहां की वृंदावन कालोनी के तापकीर नगर में रहने लगा. पुणे में रहते हुए उस की मां ने एक दूसरे आदमी का हाथ पकड़ लिया था. बहन जवान हुई तो उस ने भी लवमैरिज कर ली. इस के बाद आनंद ने भी अंतरजातीय विवाह कर अपना घर बसा लिया. समय गुजरता गया और वह 2 बच्चों का बाप बन गया.
अपनी रोजीरोटी के लिए उस ने एक पुरानी कार ले ली और लोगों को कार चलाना सिखाने लगा. उस के पास ड्राइविंग सीखने के लिए ज्यादातर महिलाएं आती थीं. व्यवहारकुशल होने के नाते अधिकतर महिलाएं उस के प्रभाव में आ जाती थीं, जो उस की दोस्त बन जाती थीं. वह उन से फेसबुक, वाट्सऐप के माध्यम से चैटिंग किया करता था, जिस का असर उस के व्यवसाय पर पड़ने लगा था.
यह बात जब उस की पत्नी को मालूम हुई तो उस ने उसे आड़ेहाथों लिया. विवाद इतना बढ़ा कि उसे अपना कार ड्राइविंग का धंधा बंद करना पड़ा. इस के बाद उसे परिवार चलाने के लिए कोई काम तो करना ही था. उस ने अपने जानपहचान वालों और दोस्तों से ब्याज पर पैसे ले कर भोसले नगर के रेंज हिल इलाके में एक टी-स्टाल शुरू कर दिया. स्टाल पर वह बीड़ीसिगरेट भी बेचता था.
इस काम में उस की मां भी मदद किया करती थी. पूरा दिन खपाने के बाद भी इस काम में कोई खास आमदनी नहीं हो पाती थी. घर का खर्च भी बमुश्किल चलता था. ऐसे में उसे कर्ज उतारना भी मुश्किल हो गया था. नतीजा यह हुआ कि उस का कर्ज बढ़तेबढ़ते 2 लाख के करीब पहुंच गया. वह इसी चिंता में रहता कि कर्ज कैसे उतारे.
आनंद सोशल साइट्स पर एक्टिव रहता था. एक दिन उस ने फेसबुक पर राधा अग्रवाल का प्रोफाइल देखा तो उस पर मोहित हो गया. उस ने बिना देर किए फ्रैंड रिक्वेस्ट भेज दी. राधा अग्रवाल ने भी आनंद निगम का फोटो देखते ही उस की फ्रैंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली.
हालांकि राधा अग्रवाल और आनंद निगम की उम्र में काफी अंतर था. राधा अग्रवाल आनंद निगम से करीब 10 साल बड़ी थी. लेकिन दोनों को इस से कोई फर्क नहीं पड़ा. कुछ दिनों की चैटिंग के दौरान दोनों में गहरी दोस्ती हो गई और धीरेधीरे वे एकदूसरे के करीब आने लगे.
राधा अग्रवाल के पास पैसों की कमी नहीं थी. खर्च करने के लिए उस के पास पैसा ही पैसा था. जबकि कहीं आनेजाने के लिए स्कूटी थी. वह आनंद निगम के संपर्क में आ कर कुछ इस प्रकार फिसली कि अपनी मर्यादा की लक्ष्मण रेखाओं को भी लांघ गई. जब भी मौका मिलता, दोनों पुणे शहर के किसी भी होटल में जा कर मौजमजे कर लेते थे.
समय अपनी गति से चल रहा था. राधा अग्रवाल अब पूरी तरह से आनंद निगम पर आंख मूंद कर भरोसा करने लगी थी. आनंद निगम उस से जो भी कहता, उसे वह तहेदिल से स्वीकार करती थी. आनंद निगम को जब इस बात का पूरा यकीन हो गया कि राधा पूरी तरह उस की दीवानी है, तो उस ने अपने ऊपर चढ़े कर्जे को उतारने की एक खतरनाक योजना तैयार कर ली. वैसे तो राधा अग्रवाल लाख दो लाख रुपए उसे ऐसे ही दे सकती थी. लेकिन आनंद अपने ऊपर किसी प्रकार का बोझ नहीं रखना चाहता था. इस से रिश्ता खराब होने पर राधा अग्रवाल भी उस से अपना पैसा मांग सकती थी. यही सब सोच कर वह सिर्फ अपनी योजना पर ध्यान देने लगा.
योजना को अंजाम देने के लिए एक दिन उस ने राधा से कहा, ‘‘राधा, तुम इतनी खूबसूरत हो कि अगर किसी मैगजीन में तुम्हारे फोटो भेजे जाएं तो वे कवर पेज पर छप सकते हैं.’’
यह सुन कर खुश होते हुए राधा बोली, ‘‘सच!’’ ‘‘हां, क्या तुम ने अपने फोटोजेनिक चेहरे को कभी गौर से नहीं देखा?’’ आनंद बोला, ‘‘देखो, मैं चाहता हूं कि किसी नैचुरल जगह पर तुम्हारा फोटोशूट कर के फोटो मैगजीन वगैरह में भेजे जाएं.’’
‘‘ठीक है, मैं इस के लिए तैयार हूं.’’ राधा बोली. ‘‘तो ठीक है, तुम कल अपने सारे गहने पहन कर आ जाओ. हम पुणे से कहीं दूर चलेंगे.’’
राधा उस पर आंखें मूंद कर भरोसा करती ही थी. इसलिए 22 जून की सुबह अपने सारे गहने पहन कर घर से निकली. घर वालों से उस ने कह दिया कि वह अपनी सहेलियों के साथ स्कूटी से साईंबाबा के दर्शन करने शिरडी जा रही है. 2 दिन में लौट आएगी.
इस के बाद वह स्कूटी ले कर आनंद द्वारा बताई गई जगह पर पहुंच गई. आनंद वहां पहले ही खड़ा था. वहां से आनंद ने राधा की स्कूटी संभाली और राधा उस के पीछे चिपक कर बैठ गई.
राधा छली गई ग्लैमर के चक्कर में दोनों आपस में हंसीमजाक करते हुए कब पुणे से 80 किलोमीटर दूर निकल गए, पता ही नहीं चला. और जब पता चला तो वह ताम्हिणी के वर्षाघाट के जंगलों में पहुंच गए थे. आनंद निगम को अपनी योजना के अनुसार वह जगह उपयुक्त लगी. उस ने स्कूटी एक तरफ खड़ी कर दी. इस के बाद उस ने राधा से फोटो सेशन के लिए तैयार होने को कहा.
राधा अग्रवाल खुशीखुशी अपना फोटो सेशन कराने के लिए तैयार हो गई. सड़क से कुछ दूर जंगल में जा कर आनंद अलगअलग ऐंगल से उस के फोटो खींचने लगा. फिर आनंद ने राधा से एकदो हौरर फोटो खींचने के लिए अनुरोध किया. हौरर फोटो सेशन करने के लिए आनंद ने राधा की सहमति से पहले उस की आंखों पर पट्टी बांधी. फिर उस के हाथपैर बांध कर फोटो खिंचवाने को कहा.
राधा उस के कहने के अनुसार करती रही. हाथपैर बांधने के बाद आनंद ने उस के सारे गहने उतार कर अपने पास रख लिए. इस के बाद उस ने साथ छिपा कर लाए गए तेज धारदार चाकू से राधा अग्रवाल का गला रेत दिया. राधा अग्रवाल की एक मार्मिक चीख निकल कर निर्जन जंगल में खो गई.
राधा अग्रवाल की हत्या करने के बाद आनंद निगम ने उस का मोबाइल फोन स्कूटी की डिक्की में रख दिया. उस के हैंडबैग से नोटों से भरा पर्स निकाल लिया और स्कूटी ले कर पुणे की तरफ लौट पड़ा था. ताम्हिणी वर्षा घाट से कुछ दूर आनंद ने पर्स से सारे पैसे निकालने के बाद उसे भी फेंक दिया.
इस के बाद वह घोरपेड़ फाटक पर आ कर एक पान की दुकान पर रुका. वहां पर उस ने एक सिगरेट पी.
वहां से आनंद निगम अपने घर न जा कर सीधे अपने टी-स्टाल पर पहुंचा. उस समय रात का एक बजा था. चारों तरफ सन्नाटा था. उस ने राधा की स्कूटी अपने टी-स्टाल के पीछे खड़ी कर चाकू टी-स्टाल के अंदर छिपा दिया. फिर वह निश्चिंत हो कर अपने घर चला गया.
2 दिन निकल जाने के बाद राधा अग्रवाल के लूटे गए गहनों में से 7 तोले सोने के गहनों को वह अपने एक रिश्तेदार के यहां छिपा कर रख आया. बाकी बचे गहनों को ज्वैलर्स के यहां बेच कर अपना कर्ज उतार दिया. इतना करने के बाद वह पुणे शहर को छोड़ कर कर्नाटक में अपने गांव निकल गया.
आनंद निगम से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उस की निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल चाकू और राधा अग्रवाल के गहने बरामद कर लिए. उसे भादंवि की धारा 302, 201, 363, 364(ए) के तहत गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे पुणे की यरवडा जेल भेज दिया गया.
—कथा में किशोरचंद्र और मानक नाम परिवर्तित हैं.