हाईप्रोफाइल मामला होने के कारण कोर्ट परिसर और आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. आरोपियों को न्यायालय में कड़ी सुरक्षा के बीच लाया गया था. फैसले को ले कर कोर्टरूम पत्रकारों, वकीलों व अन्य लोगों से भरा हुआ था. लेकिन जब कोर्ट की काररवाई शुरू हुई तो कोरोना के कारण अंदर आरोपी एवं पीडि़त पक्ष के वकीलों सहित कुछ अन्य वकील ही मौजूद रहे.

आने वाले फैसले पर उद्योग जगत की भी निगाहें लगीं थीं. कई उद्यमी दोपहर में फैसला आने से पहले कोर्टरूम के बाहर आ कर खड़े हो गए थे. आरोपियों के परिवार की महिलाएं भी वहां थीं.

सभी को फैसले का बड़ी बेसब्री से इंतजार था. निर्धारित समय पर अदालत के विशेष जज आजाद सिंह कोर्टरूम में आ कर अपनी कुरसी पर बैठे तो वहां मौजूद सभी लोगों की नजरें उन पर जम गईं.

आगे बढ़ने से पहले आइए हम इस चर्चित कांड को याद कर लें. यह अपहरण और हत्याकांड इतना दिल दहलाने वाला था कि इस की गूंज प्रदेश भर में सुनाई दी थी. इस घटना ने प्रदेश के कारोबारियों को स्तब्ध कर दिया था.

सुहागनगरी के नाम से प्रसिद्ध फिरोजाबाद शहर के चूड़ी कारोबारी अतुल मित्तल का 24 वर्षीय बेटा आदित्य मित्तल 22 अगस्त, 2016 को सुबह साढ़े 8 बजे हमेशा की तरह अपने घर शांति भवन से कार से थाना टूंडला क्षेत्र स्थित आर्चिड ग्रीन जिम के लिए निकला था. जिम के बाद आदित्य अपनी फैक्ट्री चला जाता था. लेकिन उस दिन जब वह फैक्ट्री नहीं पहुंचा, तब घर वालों को चिंता हुई.

आदित्य ने बेंगलुरु की क्राइस्ट यूनिवर्सिटी से एमबीए करने के बाद सन 2014 में फिरोजाबाद वापस आ कर संभाला था. वह अपने पिता के साथ ओम ग्लास का कामकाज संभाले हुए था.

आदित्य का मोबाइल फोन स्विच्ड औफ आ रहा था. कई घंटे तक जब आदित्य लौट कर नहीं आया, तब घर वालों ने उस की खोजबीन शुरू की. इस बीच आदित्य के ताऊ प्रदीप मित्तल के मोबाइल पर एक मैसेज आया. इस में लिखा था, ‘आदित्य का अपहरण हो गया है. किसी को पता नहीं चलना चाहिए, मेरे अगले फोन का इंतजार करना.’

जवान बेटे के अपहरण की सूचना पा कर घर वाले परेशान हो गए. चूंकि अपहर्त्ताओं ने किसी को सूचना न देने की धमकी दी थी, इसलिए घर वालों ने पुलिस को खबर नहीं दी और वे अपहर्त्ता के फोन का इंतजार करने लगे.

अपहर्त्ता ने उन से संपर्क किया और बताया कि आदित्य की कार थाना नारखी के नगला बीच में खड़ी है, उसे उठवा लो. उसी दिन आदित्य की कार नारखी थाना क्षेत्र से बरामद हो गई.

मांगी 10 करोड़ की फिरौती

रात में अपहर्त्ता ने फोन कर के उन से 10 करोड़ रुपए की फिरौती की मांग की. अपहर्त्ता इस से कम लेने पर राजी नहीं हुए, तब घर वालों ने इस की सूचना थाना टूंडला में दे दी. कारोबारी के बेटे के अपहरण की सूचना पर पुलिस सक्रिय हो गई. यह बात 22 अगस्त, 2016 की है.

पुलिस ने शहर की पौश कालोनी गणेश नगर निवासी आदित्य के दोस्तों बिल्डर रोहन सिंघल व कारोबारी अर्जुन से भी आदित्य के बारे में पूछा, लेकिन दोनों ने उस के बारे में कोई जानकारी होने से मना कर दिया.

घर वालों ने अपने स्तर पर आदित्य के सभी दोस्तों के साथ उसे सभी संभव जगहों पर तलाश किया, लेकिन उस का कोई सुराग नहीं मिला. दूसरे दिन अपहर्त्ताओं का फोन आया, उन्होंने अब फिरौती के रूप में 10 करोड़ की जगह 30 किलोग्राम सोने की मांग किए जाने के साथ ही पुलिस में खबर करने पर आदित्य को मार डालने की धमकी दी.

चूंकि रोहन सिंघल आदित्य का घनिष्ठ दोस्त था, इसलिए आदित्य के घर वालों ने रोहन सिंघल को फोन कर के आदित्य के बारे में पूछताछ की तो उस ने उन से सीधे मुंह बात न कर के टालमटोल करने की कोशिश की.

रोहन को शक था कि कहीं उस का फोन रिकौर्ड न किया जा रहा हो. इसी शक के चलते उस ने फोन  को जल्दबाजी में डिसकनेक्ट कर दिया. जबकि रोहन अपहरण से एक दिन पहले 21 अगस्त की रात आदित्य के घर गया था और उस की मां के सामने सुबह जिम जाने की बात की थी.

रोहन की इस हरकत पर घर वालों को उस पर शक हुआ. आदित्य के ताऊ प्रदीप मित्तल ने घटना के 2 दिन बाद बिल्डर रोहन सिंघल, उस के भाई पवन सिंघल व कारोबारी अर्जुन के विरुद्ध थाना टूंडला में आदित्य का अपहरण करने की रिपोर्ट दर्ज करा दी.

आरोपी चढ़े हत्थे

अपहरण के 3 दिन बाद 25 अगस्त की शाम थाना शिकोहाबाद पुलिस ने शिकोहाबाद क्षेत्र की भूड़ा स्थित नहर में आदित्य का शव बरामद किया. शव के हाथपैर रस्सी से बंधे थे. घर वालों ने शिकोहाबाद आ कर आदित्य के शव की शिनाख्त कर ली. नहर किनारे से आदित्य की चप्पलें भी बरामद हुईं.

अपहृत आदित्य का शव मिलने के बाद पुलिस ने जांच करने के बाद रईसजादे रोहन सिंघल और उस के फार्महाउस के राजमिस्त्री पवन कुमार निवासी सरजीवन नगर को गिरफ्तार कर लिया. तत्कालीन एसएसपी अशोक कुमार शर्मा ने प्रैस कौन्फ्रैंस में अपहरण व हत्याकांड का खुलासा करते हुए घटना में शामिल 2 हत्यारोपियों की गिरफ्तारी की जानकारी दी.

दोनों हत्यारोपियों की निशानदेही पर तत्कालीन एसपी (सिटी) संजीव वाजपेई पुलिस बल के साथ कर्मयोगी अपार्टमेंट पहुंचे और वहां से रस्सी व सीरींज आदि बरामद कीं. इस के साथ ही अन्य आरोपियों पर शिकंजा कसने के लिए जांच अधिकारी टूंडला थानाप्रभारी राजीव यादव ने जांच आगे बढ़ाई.

कई राजनैतिक दलों व विभिन्न संगठनों ने इस घटना में शामिल सभी आरोपियों की गिरफ्तारी व उन्हें कड़ी सजा दिलाए जाने की पुरजोर मांग की. इस के साथ ही नगर में कैंडिल मार्च निकालने का सिलसिला शुरू हो गया. इलैक्ट्रौनिक और पिं्रट मीडिया में भी यह घटना सुर्खियों में थी. जब यह मामला प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक पहुंचा तो अधिकारियों पर दवाब पड़ा. आखिर पुलिस ने सक्रियता दिखाई और शेष आरोपियों की गिरफ्तारी कर लिया.

पुलिस विवेचना में रोहन के दोस्त अर्जुन का नाम हट गया. तफ्तीश के दौरान पुलिस ने हत्या में शामिल राजमिस्त्री पवन कुमार के साथी गोपाल निवासी सरजीवन व फार्महाउस में काम करने वाले श्रमिक मुकेश निवासी मोतीलाल की ठार, आसफाबाद के साथ ही रोहन के भाई पवन सिंघल व उस की मां अनीता सिंघल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

आरोपियों से पूछताछ के बाद अपहरण की पूरी कहानी पुलिस के सामने आ गई.

आदित्य के बचपन का एक दोस्त था अर्जुन. उस के पिता गत्ता कारोबारी थे. बिल्डर के धंधे की वजह से कर्ज में डूबे शहर के रईसजादे रोहन सिंघल ने तब एक घिनौनी साजिश रची. उस ने कौमन फ्रैंड अर्जुन के जरिए वारदात से 3 महीने पहले आदित्य से दोस्ती की और लगातार रैकी करता रहा. साथ ही उस के घर भी आनाजाना शुरू कर दिया. आदित्य के परिवार का कारोबार देख उस ने कर्ज से मुक्ति पाने के लिए आदित्य के अपहरण की साजिश रची.

21 अगस्त को रोहन सिंघल आदित्य के घर आया और दूसरे दिन जिम जाने की प्लानिंग की. घटना के दिन 22 अगस्त को आदित्य अपनी कार से आर्चिड ग्रीन स्थित जिम जाने के लिए निकला.

लौटते समय वह आदित्य को आर्चिड ग्रीन कालोनी के गेट से अपनी रिवौल्वर से फायर कराने के बहाने अपने साथ जलेसर रोड स्थित निर्माणाधीन कालोनी कर्मयोगी अपार्टमेंट ले गया और वहां अपने राजमिस्त्री पवन कुमार की सहायता से उसे बंधक बना लिया.

डर की वजह से की हत्या

रस्सी से आदित्य के हाथपैर बांध कर उसे नशे के इंजेक्शन लगाए गए ताकि वह बेहोश रहे. जब दूसरे दिन शहर में आरोपियों की गिरफ्तारी को ले कर लोगों ने कैंडिल मार्च निकाला तब रोहन डर गया. गुजरते वक्त के साथ उसे अपने पकड़े जाने का खतरा सताने लगा था.

हड़बड़ी में उस ने आदित्य को लगातार कई इंजेक्शन दिए, जिस से उस की मौत हो गई. अब वह लाश को ठिकाने लगाने के प्रयास में जुट गया.

24 अगस्त की रात में अन्य आरोपियों के साथ शव को ले जा कर शिकोहाबाद नहर में फेंक दिया गया, जो 25 अगस्त को नहर किनारे बबूल के पेड़ों में अटक गया, जिसे शिकोहाबाद पुलिस ने बरामद किया. फिरौती वसूलने से पहले ही उस ने आदित्य को मार डाला और अपने ही जाल में फंस गया.

इस बीच रोहन सिंघल ने बेहद चालाकी का परिचय दिया. आदित्य के घर वालों के शक से बचने के लिए वह अपहरण के बाद भी उन के संपर्क में रहा. वह जानना चाहता था कि परिजनों द्वारा क्या काररवाई की जा रही है.

आदित्य के अपहरण से पहले शातिर दिमाग रोहन ने फरजी नामों से 3 सिम खरीदे थे. इस के बाद उस ने वायस चेंजर ऐप के माध्यम से आदित्य के घर वालों से फिरौती मांगी. पहले 10 करोड़ मांगे. बाद में कैश की जगह 30 किलोग्राम सोने की डिमांड रख दी. घर वालों ने  कहा कि वे इतनी बड़ी फिरौती देने में असमर्थ हैं.

पुलिस पूछताछ में रोहन ने जानकारी दी कि उसे पकड़े जाने का डर था. फिरौती में सोना मांग कर वह पुलिस को भटकाना चाहता था, ताकि पुलिस को लगे कि आदित्य का अपहरण किसी बाहरी गैंग द्वारा किया गया है. पुलिस ने रोहन की लाइसैंसी रिवौल्वर भी जब्त कर ली.

पुलिस ने आदित्य के अपहरण व हत्या में 6 लोगों के विरुद्ध न्यायालय में चार्जशीट  दाखिल की थी. मामला सेशन के सुपुर्द हो कर सुनवाई के लिए पहुंचा.

भादंवि की धारा 120बी के आरोपी पवन सिंघल व उस की मां अनीता सिंघल की जमानत हाईकोर्ट से मंजूर हो गई थी और वे जेल से बाहर आ गए थे.

इस बहुचर्चित मामले की सुनवाई करीब पौने 5 साल तक फिरोजाबाद जिले के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (षष्टम) एवं विशेष जज आजाद सिंह के न्यायालय में चल रही थी. सत्र न्यायाधीश द्वारा 7 अप्रैल, 2021 को इस केस का फैसला सुनाया जाना था.

सुनवाई के दौरान न्यायालय में सरकारी गवाह सहित 15 गवाहों की पेशी हुई. पीडि़त परिवार की ओर से न्यायालय के समक्ष तमाम साक्ष्य प्रस्तुत किए गए. दोषियों को जल्दी सजा दिलाने के लिए हाईकोर्ट तक दौड़ लगाई.

आरोपियों को मिली सजा

हाईकोर्ट द्वारा भी 4 बार दिशानिर्देश जारी किए गए. आरोपियों ने अदालत में खुद को बेकसूर बताया. गवाहों के बयान और दोनों पक्षों के वकीलों की जिरह सुनने के बाद विशेष जज आजाद सिंह ने सबूतों के आधार पर 7 अप्रैल, 2021 को अपना फैसला सुनाया.

जज आजाद सिंह ने आरोपियों रोहन सिंघल, पवन कुमार, मुकेश व गोपाल को अपहरण व हत्या का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

न्यायाधीश ने रोहन पर 2.40 लाख रुपए व अन्य तीनों पर 2.3-2.30 लाख रुपए का जुरमाना भी लगाया. जुरमाना न देने पर दोषियों को एकएक वर्ष की अतिरिक्त सजा भुगतने का ऐलान किया गया. वहीं साक्ष्य के अभाव में न्यायाधीश ने पवन सिंघल व उस की मां अनीता सिंघल को बरी कर दिया.

अभियोजन पक्ष की ओर से न्यायालय में पैरवी विशेष लोक अभियोजक अजय कुमार शर्मा ने की. फैसला सुनाए जाने के बाद उन्होंने बताया कि पवन व अनीता को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी, जबकि शेष चारों आरोपी तभी से जेल में बंद थे.

जैसे ही दोषियों को सजा सुनाई गई तो उन के परिवार की महिलाएं बिलखने लगीं. दोषियों को कड़ी सुरक्षा के बीच ले जाया गया. जेल ले जाते समय परिवार की महिलाएं काफी दूर तक उन के पीछेपीछे गईं.

आदित्य मित्तल के पिता अतुल मित्तल को यह खबर मिली कि बेटे की हत्या के मामले में विशेष जज ने 4 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है तो उन के दिल को सुकून मिला.

आखिर इतनी मशक्कत के बाद दोषियों को सजा मिल गई. मित्तल परिवार आरोपियों को फांसी की सजा दिलाने तक पैरवी करेगा. गलत शख्स से दोस्ती ने आदित्य की जान ले ली. दोषियों को सजा जरूर मिल गई है, लेकिन बेटे को खोने का गम आज भी परिवार के सदस्यों की आंखों में झलकता है.

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