11जुलाई, 2014 को रात करीब 8 बजे होटल क्रिस्टल पैलेस के रिसैप्शन कांउटर पर एक युवक पहुंचा. उस युवक के पास 2 बैग थे. वह काउंटर पर बैठी लड़की से बोला, ‘‘हमें डबलबैड वाला एसी रूम चाहिए.’’
यह सुन कर रिसैप्शन पर बैठी लड़की उस युवक को गौर से देखने लगी. वह समझ नहीं पा रही थी कि जब वह अकेला है तो डबल बेड वाले कमरे की बात क्यों कर रहा है. उस ने पूछा, ‘‘आप अकेले हैं?’’
‘‘जी नहीं, मिसेज भी साथ हैं. वह बाहर आटो का किराया दे रही हैं.’’ युवक ने इतना ही कहा था कि एक युवती दरवाजा खोलते हुए अंदर दाखिल हुई और उस युवक के बराबर में आ कर खड़ी हो गई. रिसैप्शनिस्ट समझ गई कि यह इस की बीवी होगी. रिसैप्शनिस्ट ने एसी रूम का किराया एक हजार रुपए प्रतिदिन बताया तो युवक ने रूम लेने की सहमति जता दी.
रिसैप्शनिस्ट ने कमरा बुक करने की औपचारिकताएं पूरी कराने के लिए उस युवक और युवती से नाम पूछा तो उन्होंने अपने नाम दिलीप वर्मा और पिंकी बताए. आईडी के रूप में दिलीप वर्मा ने अपना पैन कार्ड और पिंकी ने वोटर आईडी कार्ड दिखा कर उन की फोटोकौपी जमा करा दी. औपचारिकताएं पूरी करने के बाद रिसैप्शनिस्ट ने कमरा नंबर 207 उन के नाम बुक कर दिया. होटल में काम करने वाले एक लड़के से उन का सामान कमरा नंबर 207 में पहुंचा दिया.
2 दिनों तक दिलीप और पिंकी होटल में सामान्य तरीके से रहे. लेकिन तीसरे दिन के क्रियाकलापों से रिसैप्शनिस्ट को दिलीप पर शक होने लगा. दरअसल हुआ यह कि 16 जुलाई की दोपहर 12 बजे के करीब दिलीप होटल से यह कह कर बाहर गया कि वह बाहर से खाना लाने और एटीएम से पैसे निकालने जा रहा है.
जब दिलीप 2 घंटे तक नहीं लौटा, तो रिसैप्शनिस्ट ने जानकारी लेने के लिए इंटरकौम से कमरा नंबर 207 में इंटरकौम की घंटी भी बजाई. लेकिन कई बार घंटी बजने के बाद भी पिंकी ने फोन नहीं उठाया तो रिसैप्शनिस्ट ने यह जानकारी होटल के मैनेजर गणेश सिंह को दी.
दिलीप खाना लेने और एटीएम मशीन से पैसे निकालने गया था. यह काम कर के उसे काफी देर पहले लौट आना चाहिए था. उस के न आने और पिंकी द्वारा कमरे का फोन न उठाने पर मैनेजर गणेश सिंह को भी शक होने लगा. मैनेजर ने उसी समय होटल मालिक प्रशांत गुप्ता को फोन कर के होटल बुला लिया.
कुछ देर बाद प्रशांत गुप्ता होटल पहुंचे तो मैनेजर गणेश सिंह ने सारी बात उन्हें बता दी. होटल क्रिस्टल पैलेस गाजियाबाद के सेक्टर-16 वसुंधरा में था. इस संदिग्ध मामले की जानकारी पुलिस को देनी जरूरी थी. इसलिए प्रशांत गुप्ता के कहने पर मैनेजर ने थाना इंदिरापुरम की पुलिस चौकी प्रहलाद गढ़ी के चौकीप्रभारी शिव कुमार राठी को फोन कर के यह सूचना दे दी.
सूचना पाते ही वह 2 सिपाहियों के साथ होटल क्रिस्टल पैलेस पहुंच गए. होटल के स्टाफ से बात करने के बाद उन्होंने ‘मास्टर की’ से कमरे का ताला खुलवाया तो डबल बैड पर एक युवती की लाश पड़ी दिखाई दी. होटल कर्मचारियों ने बताया कि यह लाश उसी युवती की है जो दिलीप के साथ आई थी. दिलीप ने इसे अपनी पत्नी बताया था. मामला हत्या का था इसलिए चौकीप्रभारी शिव कुमार राठी ने यह खबर इंदिरापुरम के थानाप्रभारी राशिद अली को भी दे दी. कुछ ही देर में वह क्रिस्टल होटल पहुंच गए.
थानाप्रभारी राशिद अली ने कमरे का निरीक्षण किया तो युवती के गले पर लाल घेरे का निशान दिखाई दिया. पलंग के पास ही मोबाइल चार्जर पड़ा हुआ मिला. इस से ऐसा लगा कि दिलीप ने शायद उसी तार से उस का गला घोंटा होगा. मृतका नीले रंग की जींस और टीशर्ट पहने थी. बिस्तर पर मिले संघर्ष के निशानों से अनुमान लगाया गया कि मृतका ने अपनी जान बचाने की कोशिश की होगी.
कमरे में 2 बैग भी रखे हुए थे. तलाशी लेने पर उन में से पेन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, दोनों के कपड़े व कुछ अन्य सामान बरामद हुआ. बैग से शिरडी से दिल्ली तक के 2 टिकिट भी मिले, जो 11 जुलाई के थे. कमरे में बीयर की 3 खाली बोतलें भी मिलीं.
बरामद सामान से मृतका की पहचान पिंकी उर्फ प्रिया पुत्री राजेश्वर निवासी 115/4 बी ब्लौक, गली नं. 7, खिचड़ीपुर दिल्ली के रूप में हुई. यह भी पता चल गया कि जो युवक उस के साथ आया था, वह दिलीप वर्मा पुत्र श्रीप्रकाश वर्मा निवासी सी 912, बुधविहार मंडोली शाहदरा, दिल्ली का था. मृतका की तलाशी लेने पर उस की जेब से उस का मोबाइल बरामद हुआ. स्थितियों को देख कर अनुमान लगाया जा सकता था कि किसी बात को ले कर दोनों में तकरार इतनी बढ़ी होगी कि गुस्से में दिलीप ने उस का गला घोंट दिया होगा और फरार हो गया.
थानाप्रभारी ने मौके पर क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को भी बुला लिया. टीम ने विभिन्न कोणों से मृतका के फोटो खींचे और अन्य वैज्ञानिक सुबूत इकट्ठे किए. इस के बाद लाश को पोस्टमार्टम के लिए हिंडन स्थित मोर्चरी भेज दिया गया और होटल मालिक प्रशांत गुप्ता की तहरीर पर दिलीप वर्मा के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर ली.
अगली काररवाई तक पुलिस ने होटल का वह कमरा सील कर के बुकिंग रजिस्टर अपने कब्जे में ले लिया. पुलिस ने मृतका पिंकी के फोन की काल लिस्ट देखने के बाद उस नंबर को मिलाया, जिस पर उस की आखिरी बार बात हुई थी. वह नंबर अक्षय नाम के एक युवक का था, जो पिंकी का परिचित था. पुलिस ने अजय को पिंकी की हत्या की सूचना दी तो वह उस के परिजनों के साथ थाना इंदिरापुरम पहुंच गया.
पुलिस उन्हें मोर्चरी ले गई तो उन्होंने लाश देख कर पुष्टि कर दी कि वह पिंकी ही थी. पिंकी के घरवालों ने बताया कि वह लक्ष्मीनगर के एक माल में नौकरी करती थी. जुलाई के पहले हफ्ते में वह एक दिन अपनी ड्यूटी पर तो गई लेकिन वापस नहीं लौटी. उन लोगों ने उस का फोन मिलाया तो वह स्विच औफ मिला था. जिस जगह वह नौकरी करती थी वहां भी मालूम किया गया और इधरउधर भी देखा गया. लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला था. इस पर उन लोगों पुलिस को सूचना दे दी.
लाश का पोस्टमार्टम हो जाने के बाद पुलिस ने पिंकी की लाश उस के घरवालों को सौंप दी. उस के घरवालों ने पुलिस को यह भी बताया कि वह दिलीप वर्मा नाम के किसी युवक को नहीं जानते.
घरवालों को पिंकी की लाश सौंपने के बाद इस मामले की जांच एसएसआई विशाल श्रीवास्तव को सौंप दी गई. विशाल श्रीवास्तव ने 17 जुलाई को होटल क्रिस्टल पैलेस के मैनेजर गणेश सिंह से पूछताछ की तो उस ने बताया कि 14 जुलाई, 2014 की देर शाम 8 बजे दिलीप वर्मा और पिंकी होटल पहुंचे थे. दिलीप ने पिंकी को अपनी पत्नी बता कर कमरा लिया था. अगले दिन दोनों एक साथ कहीं गए थे लेकिन वापसी में वे अलगअलग होटल लौटे थे.
16 जुलाई को दोपहर 12 बजे के आसपास दिलीप यह कह कर होटल से गया था कि वह खाना लाने व एटीएम से पैसे निकालने जा रहा है. वह काफी देर बाद नहीं लौटा तो उस का मोबाइल मिलाया गया. लेकिन वह स्विच्ड औफ था.
इस पर पिंकी के कमरे का फोन मिलाया. लेकिन जब कोई जवाब नहीं मिला तो यह सूचना होटल मालिक प्रशांत गुप्ता को दी गई. उन के होटल पहुंचने के बाद प्रह्लाद गढ़ी के चौकीप्रभारी को खबर की गई. एसएसआई ने गणेश सिंह के अलावा प्रशांत गुप्ता से भी पूछताछ की.
हत्यारोपी दिलीप वर्मा का पुलिस को पता मिल चुका था. उस की तलाश में एक पुलिस टीम उस के मंडोली, शाहदरा स्थित पते पर भेजी गई. लेकिन वह घर पर नहीं मिला. पुलिस ने उस के बारे में उस के पिता श्रीप्रकाश वर्मा से मालूमात की.
उन्होंने बताया कि दिलीप जुलाई के पहले हफ्ते में शिरडी घूमने गया था और अभी तक नहीं लौटा है. पुलिस उन्हें यह हिदायत दे कर लौट आई कि जैसे ही वह घर आए, उसे इंदिरापुरम थाने ले आएं.
थाना इंदिरापुरम पुलिस ने दिलीप के मोबाइल फोन को सर्विलांस पर लगा दिया ताकि उस की लोकेशन का पता लग सके. इस से पहले कि पुलिस को उस की लोकेशन पता चलती, लोनी क्षेत्र में उस के द्वारा आत्महत्या कर लेने की सूचना मिल गई.
20 जुलाई, 2014 को दोपहर 2 बजे लोनी थाने को सूचना मिली कि अमित विहार के पास स्थित एक ढलाई फैक्ट्री की पहली मंजिल पर एक 25 वर्षीय युवक ने आत्महत्या कर ली है. पुलिस मौके पर पहुंची तो पता चला कि मरने वाला युवक दिलीप वर्मा है. पुलिस ने मौके पर जरूरी काररवाई पूरी कर लाश पोस्टमार्टम के लिए हिंडन स्थित मोर्चरी भेज दी.
लोनी पुलिस ने दिलीप के पिता से मालूमात की तो उन्होंने बताया कि दिलीप ने 18 जुलाई को हरिद्वार से फोन कर के उन्हें बताया था कि उस ने वसुंधरा स्थित क्रिस्टल होटल में 16 जुलाई को अपनी प्रेमिका पिंकी की हत्या कर दी है और पुलिस के डर से वह इधरउधर छिप रहा है.
उस ने कहा था, ‘पापा, मुझ से बड़ी भूल हो गई है. आप मुझे बचा लो. नहीं तो मैं सुसाइड कर लूंगा.’
तब मैं ने उसे घर आने को कहा था. इस पर 18-19 जुलाई की रात 2 बजे वह घर पहुंचा. उस वक्त वह रो रहा था. तब मैं ने उसे अपने छोटे भाई भीष्म वर्मा के साथ लोनी स्थित फैक्ट्री भेज दिया था. जहां उस ने सुसाइड कर लिया.
लोनी पुलिस को जब पता चला कि मरने वाला युवक एक लड़की की हत्या के आरोप में वांछित था तो उस ने यह सूचना थाना इंदिरापुरम को दे दी. खबर मिलते ही एसएसआई विशाल श्रीवास्तव थाना लोनी पहुंच गए. लोनी पुलिस ने दिलीप के सुसाइड के मामले की फाइल विशाल श्रीवास्तव को सौंप दी.
विशाल श्रीवास्तव ने थाने बुला कर दिलीप के पिता श्रीप्रकाश वर्मा से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि 19 जुलाई, 2014 की सुबह दिलीप जब घर पहुंचा तो उस ने पिंकी और खुद के प्यार की पूरी कहानी बताई थी.
दिलीप पिंकी से प्यार वाली बात यदि पहले ही बता देता तो शायद आज उन्हें यह दिन देखने को नहीं मिलता. पुलिस को पिंकी और दिलीप के प्यार की जो कहानी पता चली, वह इस प्रकार थी.
19 वर्षीय पिंकी दिल्ली के खिचड़ीपुर निवासी राजेश की बेटी थी. 45 वर्षीय राजेश दिल्ली के हसनपुर डिपो के पास एक निजी कंपनी में चपरासी था. उस के 6 बेटियां और एक बेटा था. पिंकी उस की दूसरे नंबर की बेटी थी. राजेश को जो सैलरी मिलती थी उस से जैसेतैसे उस के घर का खर्च चल पाता था. तब उस की पत्नी आशा एक निजी अस्पताल में सफाई कर्मचारी के रूप में काम करने लगी. आर्थिक तंगी की वजह से वह बच्चों को ज्यादा पढ़ालिखा नहीं सका.
युवावस्था की ओर बढ़ती हर लड़की की तरह पिंकी के भी कुछ सपने थे. लेकिन परिवार के हालात ऐसे नहीं थे कि वह उन सपनों को साकार कर सके. अपने सपने पूरे करने के लिए उस ने खुद ही कुछ करने का फैसला किया. उस ने अपने लिए नौकरी ढूंढ़नी शुरू कर दी. वह खूबसूरत तो थी ही. इसलिए एक जानकार के जरिए उसे लक्ष्मी नगर स्थित एक माल में सेल्सगर्ल के रूप में नौकरी मिल गई.
नौकरी लगने के बाद पिंकी ने बनठन कर रहना शुरू कर दिया. यहीं पर जनवरी, 2014 के पहले सप्ताह में उस की मुलाकात दिलीप वर्मा से हुई. दिलीप अकसर उस माल में आता रहता था. पहली ही मुलाकात में दोनों आंखों के जरिए एकदूसरे के दिल में उतर गए थे.
बाद में दोनों ने एकदूसरे को अपने फोन नंबर भी दे दिए. दोनों की फोन पर बातें होने लगीं. उन की दोस्ती प्यार के मुहाने की ओर बढ़ती चली गई. एकांत में मेलमुलाकातों के चलते उन के बीच शारीरिक संबंध भी बन गए.
समाज भले ही ऐसे संबंधों को मान्यता न दे लेकिन आधुनिकता की इस दौड़ में आज का युवा ऐसे रिश्तों से परहेज नहीं करता. दिलीप से प्यार हो जाने के बाद पिंकी के संबंध और भी कई युवकों से हो गए. बाद में वह उन युवकों से पैसे भी ऐंठने लगी. वह अपने कपड़ों की तरह दोस्तों को बदलने लगी. ऐसे में उस की दिलीप से दूरी बढ़ गई.
पिंकी के बदले व्यवहार को दिलीप समझ नहीं सका. लेकिन जब उस ने एक दिन उसे किसी दूसरे युवक के साथ घूमते देखा तो उस का खून खौल गया. प्रेमिका की इस बेवफाई पर उस ने उस से कुछ नहीं कहा. ऐसा कर के वह उसे बदनाम नहीं करना चाहता था. लेकिन अगली मुलाकात में दिलीप ने जब उस युवक के बारे में उस से जानना चाहा तो वह साफ मुकर गई.
उस ने पिंकी को समझाने की बहुत कोशिश की. वह उस पर लगातार सुधरने के लिए दबाव डालता रहा. इसी दबाव के चलते एक दिन उस ने पिंकी के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया. जिसे सुन कर पहले तो पिंकी आश्चर्यचकित रह गई, लेकिन दिलीप के बारबार कहने पर उस ने कह दिया कि इस बारे में फिर किसी दिन बात करेंगे.
रूठी प्रेमिका को मनाने की दिलीप की कोशिश काफी दिनों तक चलती रही. इसी कोशिश के तहत जुलाई के पहले हफ्ते में दिलीप ने शिरडी जाने के 2 टिकिट बुक कराए. पिंकी शिरडी जाने को तैयार भी हो गई.
दोनों नियत समय पर शिरडी पहुंच गए. 11 जुलाई को शिरडी से लौटने का टिकिट भी बुक था. वहां से लौट कर दोनों 14 जुलाई को देर शाम 8 बजे गाजियाबाद के वसुंधरा स्थित क्रिस्टल होटल पहुंचे. वहां दिलीप ने उसे अपनी पत्नी बता कर कमरा बुक कराया. एक दिन का किराया उस ने जमा कर दिया.
16 जुलाई को दिलीप ने पिंकी से शादी के मसले पर फिर बात की. वह उस की बात को फिर से टालने लगी. तभी दिलीप ने उस से उस युवक के बारे में पूछा जिस के साथ वह घूम रही थी. इस बात पर पिंकी भड़क गई. बातोंबातों में दोनों में तकरार बढ़ गई. जब बात ज्यादा बढ़ी तो दिलीप ने गुस्से में मोबाइल फोन चार्जर के तार से पिंकी का गला घोंट दिया.
पिंकी की हत्या के आरोप में वह फंस सकता था इसलिए दोपहर 12 बजे के करीब वह रिसैप्शन पर बैठी लड़की से यह कह कर निकल गया कि वह ढाबे से खाना लेने जा रहा है. और आते समय वह एटीएम से पैसे निकाल कर लाएगा ताकि कमरे का किराया दे सके.
होटल से निकलते ही दिलीप ने अपना मोबाइल फोन बंद कर दिया था. वह वहां से सीधा हरिद्वार निकल गया. ताकि पुलिस उसे न ढूंढ़ सके. दिलीप के घरवालों को यही पता था कि वह शिरडी से नहीं लौटा है. उन्होंने 1-2 बार उस का फोन भी मिलाया था, लेकिन वह स्विच्ड औफ था.
18 जुलाई, 2014 को दिलीप ने अपने पिता को फोन कर के बताया कि वह हरिद्वार में है. उस समय उस की आवाज में घबराहट थी. हरिद्वार में होने की बात पर श्रीप्रकाश वर्मा ने चौंकते हुए पूछा, ‘‘तू गया तो शिरडी था, हरिद्वार कैसे पहुंचा?’’
‘‘पापा मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गई है. मैं ने गाजियाबाद में एक लड़की का मर्डर कर दिया है. अब मैं बहुत परेशान हूं. मन करता है सुसाइड कर लूं.’’ दिलीप ने बताया.
मर्डर की बात सुनते ही वह अपने यहां पुलिस के आने की बात को समझ गए. बेटे ने अपराध तो किया ही था, लेकिन इस का मतलब यह नहीं था कि वह उसे सुसाइड करने देते. उन्होंने उसे काफी समझाया और सुसाइड जैसा कदम न उठाने की बजाय घर आने को कहा. पिता के समझाने पर दिलीप रात 2 बजे घर आ गया. उस समय वह काफी तनाव में था. उस समय श्रीप्रकाश वर्मा ने उस से कुछ नहीं कहा. अगले दिन सुबह उन्होंने उस से पूछा तो उस ने पिंकी से प्यार होने से ले कर हत्या तक की पूरी बात बता दी.
गाजियाबाद पुलिस दिलीप की तलाश में जब घर आई थी तो श्रीप्रकाश गुप्ता से कह गई थी कि जैसे ही दिलीप घर आए तो उसे इंदिरापुरम थाने ले आएं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया बल्कि उन्होंने उसे छोटे भाई भीष्म वर्मा के साथ लोनी में स्थित फैक्ट्री भेज दिया. जहां वह दोपहर 12 बजे के करीब पहली मंजिल पर गले में अंगोछे का फंदा बना कर पंखे के हुक से लटक गया और उस की मौत हो गई.
प्रेमिका पिंकी के हत्यारे प्रेमी दिलीप ने भी अपनी जीवनलीला खत्म कर ली थी इसलिए इस मामले में जांच के लिए अब कुछ खास बचा ही नहीं था.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित