रात 9 बज कर 12 मिनट पर नवनीत के मोबाइल पर दूसरी काल आई, उस में काल करने वाले ने उसे धमकी दी कि उस ने पुलिस से शिकायत क्यों की? वह पुलिस के पास क्यों गया? यह भी धमकी दी कि अगर सुबह तक पैसे नहीं मिले तो वह बच्चा जिंदा नहीं रहेगा.
पैसे सुबह को किस जगह देने हैं, इस बारे में थोड़ी देर में फोन पर बता दिया जाएगा. यहां तक कि अपहर्ता ने नवनीत को भरोसा दिलाने के लिए वैदिक से बात भी करवाई. वैदिक ने पिता से फोन पर कहा, “पापा, ये लोग मुझे दिल्ली की तरफ ले जा रहे हैं. उस के बाद अपहर्ता नवनीत को डांटते हुए बोला कि उस की डिमांड को वह हलके में कतई न ले.
इस की सूचना भी नवनीत ने एसएसपी मीणा को दे दी. उन्होंने अपनी टीम को तुरंत रिएक्ट करने से मना किया. इस सूचना के बाद उन्होंने रणनीति बनाई. सीसीटीवी से यह पता चल चुका था कि बच्चा अपहर्ताओं के साथ सफेद वैगनआर कार में ही है.
अब जरूरी था सीसीटीवी फुटेज की मदद से कार की लोकेशन का पता लगाना. वह भी हो गया. लोकेशन भी मिल गई, अपहर्ता का फोन कभी औन तो कभी बंद होता था. उस की लोकेशन भी बारबार बदल रही थी. अलगअलग लोकेशनों पर पुलिस कार की तलाश कर रही थी. फोन नंबर बंद होते ही लोकेशन भी बंद हो जाती थी. पुलिस यह समझ गई थी कि अपहर्ता ऐसा चकमा देने के लिए कर रहे हैं, ताकि बच्चे को कहीं छिपाया जा सके.
यह बात 5 अगस्त, 2023 की है. शाम हो चुकी थी, अंधेरा होने में अभी वक्त था. सूरज की गरमी भी कम होने लगी थी. मुरादाबाद दिल्ली हाईवे से सटी पौश कालोनियों में बुद्धि विहार सेक्टर 9बी के बच्चे खेलने के लिए खुले में निकलने लगे थे. उन्हीं में 7 साल का वैदिक भी था. पिछले कई दिनों से उस पर साइकिल चलाने का जुनून सवार था, जबकि उसे भूख भी लगी थी. जब तक वह अपने खास दोस्त के साथ साइकिल की रेस नहीं लगा लेता था, तब तक उसे चैन नहीं आता था.
वह अपनी मम्मी वैदिका से आलू के परांठे बना कर रखने को बोल आया था. इधर वैदिक का साथी भी अपनी साइकिल के साथ आ गया था. वैदिक उस के साथ साइकिल की रेस लगाने लगा था. उधर घर में उस की मम्मी परांठा बनाने की तैयारी कर रही थी. उस के लिए खास तरह का परांठा बनाने वाली थी. आलू उबालने के लिए प्रेशर कुकर में डाल गैस औन कर चुकी थी. प्याज, धनिया पत्ती, मटर के साथ पनीर का एक बड़ा टुकड़ा थाली में ले कर डाइनिंग टेबल के साथ की कुरसी पर बैठ गई थी.
बेटे के अपहरण पर नवनीत के उड़े होश
अभी वह प्याज काटने ही वाली थी कि उस ने देखा कि किचन से चाकू लाना ही भूल गई है. वह उठी और किचन की ओर जाने लगी. इसी बीच उस की निगाह बाहर के खुले दरवाजे की ओर चली गई. छोटा वाला मेनगेट खुला था.
“मैं ने उसे कितनी बार कहा है कि जब भी बाहर जाओ, जाते वक्त मेनगेट की कुंडी जरूर लगा दो. लेकिन उस पर तो साइकिल की धुन सवार हो गई है.’’ बड़बड़ाती हुई खुद गेट बंद करने चली गई. …लेकिन यह क्या वैदिक का दोस्त दौड़ता हुआ उस के पास आ रहा था.
जब तक वह कुछ समझ पाती, हांफता हुआ उस के पास आ चुका था. वह घबराया हुआ था. उस के कुछ बोलने से पहले ही वैदिका बोल पड़ी, “क्या हुआ समीर, तू इतना घबराया हुआ क्यों है? पानी पीना है? चल अंदर आ!’’
“नहीं, नहीं! आंटी, उधर 2 लोग सफेद कार में वैदिक को बिठा कर कहीं ले गए.’’ बोलता हुआ वह हांफने लगा. जोरजोर से सांसें लेने लगा.
वैदिका ने जो कुछ सुना, उसे विश्वास ही नहीं हुआ. फिर से पूछने लगी, “ठीकठीक बताओ वैदिक कहां है? क्या हुआ उस के साथ?’’
“आंटी, जब हम लोग साइकिल रेस लगा रहे थे, तब सफेद मारुति वैगनआर कार से 2 आदमी बाहर निकले और वैदिक को रोक लिया. मैं भी वहीं रुक गया. एक आदमी उस से कोई पता पूछने लगा. वह इशारे से पता के बारे बताने लगा, लेकिन दूसरे आदमी ने पीछे से उस का मुंह दबा कर जबरन गेट खुली वैगनआर में बिठा लिया.’’ समीर बोला.
“गाड़ी का नंबर देखा? दोनों आदमियों को पहले कभी इधर देखा है?’’ वैदिका पूछने लगी.
“नहीं आंटी, गाड़ी पर कोई नंबर ही नहीं था. गाड़ी तेजी से चल पड़ पड़ी. उस में किसी को पहचान नहीं पाया.’’ समीर बोला.
वैदिका समीर को घर के अंदर ले आई. उस ने अपने पति नवनीत गुप्ता को तुरंत फोन किया. वह मुरादाबाद में एक मोबाइल कंपनी में टेक्नीशियन के पद पर नौकरी करते थे. उस वक्त शाम के साढ़े 6 बज चुके थे.
नवनीत फोन सुनते ही घर आ गए. उन्हें समझते देर नहीं लगी कि उन के बेटे का फिरौती के लिए बदमाशों ने अपहरण कर लिया है. उन्होंने ठंडे दिमाग से काम लिया. जबकि वैदिका का रोरो कर बुरा हो रहा था. वह बेहद घबराई हुई थी. नवनीत ने अपने बेटे के अपहरण की सूचना मझोला थाने को दी.
सूचना पाते ही एसएचओ विप्लव शर्मा घटनास्थल पर जा पहुंचे. उन्होंने वहां की तमाम जानकारियां जुटाईं. लोगों से पूछताछ की. उन्हें वैदिक के दोस्त से भी कई जानकारियां मिलीं. एसएचओ शर्मा ने अपहरण के इस मामले की सूचना अपने उच्च अधिकारियों को भी दे दी. सूचना पाते ही मुरादाबाद के एसएसपी हेमराज मीणा, एसपी (सिटी) अखिलेश भदौरिया, सीओ अर्पित कपूर और एएसपी आकाश कुमार भी घटनास्थल पर पहुंच गए.
अपहर्ताओं की तलाश में जुटीं 5 पुलिस टीमें
सब से पहले एसएसपी ने सघन चेकिंग के निर्देश दिए और मुरादाबाद की सभी सीमाओं पर बैरिकेडिंग लगवा दिए. बगैर नंबर प्लेट की सफेद वैगनआर को अपने कब्जे में करने के आदेश के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया. कारण, मीणा ने इस वारदात की सूचना मुरादाबाद रेंज के डीआईजी मुनिराज को भी दे दी थी. उन्होंने सूचना पाते ही आसपास के जिलों में अलर्ट जारी कर दिया था.
अपहरण के लगभग एक घंटे बाद वैदिक गुप्ता के पिता नवनीत गुप्ता को एक अनजान नंबर से फोन आया. फोन करने वाले ने सीधेसीधे 40 लाख रुपए की फिरौती मांगी थी. वैदिक गुप्ता मुरादाबाद स्थित आर्यंस इंटरनैशनल स्कूल में कक्षा 2 में पढ़ रहा था. शायद इस की जानकारी अपहर्ताओं को थी और वे परिवार की अच्छी आर्थिक स्थिति को अच्छी तरह जानते थे.
मुरादाबाद की पुलिस पूरी मुस्तैदी से वैदिक को बरामद करने के प्रयास में जुट गई थी. हेमराज मीणा द्वारा कुल 5 पुलिस टीमों का गठन किया गया था. उन्हें अलगअलग काम सौंप दिए गए थे. नवनीत की किसी से दुश्मनी या मतभेद के बारे में भी पूछताछ की गई. उन्होंने पुलिस से मिली हिदायत के मुताबिक फिरौती की रकम मांगने वाले का अनजान नंबर पुलिस को दे दिया.
सर्विलांस के लिए बनाई गई टीम घटनास्थल के सीसीटीवी फुटेज की जांच में जुट गई थी. सर्विलांस किसी भी वारदात की जांच की शुरुआत का आधुनिक तरीका बन चुका है. उस से सफेद रंग की वैगनआर कार के जाने की दिशा का पता चल गया था. उस में सवार बदमाशों के साथ वैदिक के होने की संभावना इसलिए भी बनी थी, क्योंकि कार पर नंबर प्लेट नहीं लगी थी. यह सूचना दूसरी जांच टीम के लिए महत्त्वपूर्ण थी.
उसी रात 9 बज कर 12 मिनट पर नवनीत के मोबाइल पर दूसरी काल आई, उस में काल करने वाले ने उसे धमकी दी कि उस ने पुलिस से शिकायत क्यों की? वह पुलिस के पास क्यों गया? यह भी धमकी दी कि अगर सुबह तक पैसे नहीं मिले तो वह बच्चा जिंदा नहीं रहेगा.
पैसा सुबह को किस जगह देने हैं, इस बारे में थोड़ी देर में बताएगा. यहां तक कि अपहर्ता ने नवनीत को भरोसा दिलाने के लिए वैदिक से बात भी करवाई. वैदिक ने पिता से फोन पर कहा कि वह दिल्ली जा रहा है. उस के बाद अपहर्ता उसे डांटते हुए बोला कि उस की डिमांड को वह हलके में कतई न ले.
इस की सूचना भी नवनीत ने एसएसपी मीणा को दे दी. उन्होंने अपनी टीम को तुरंत रिएक्ट करने से मना किया. इस सूचना के बाद उन्होंने रणनीति बनाई. सीसीटीवी से यह पता चल चुका था कि बच्चा अपहर्ताओं के साथ सफेद वैगनआर कार में ही है.
अब जरूरी था सीसीटीवी फुटेज की मदद से कार की लोकेशन का पता लगाना. वह भी हो गया. लोकेशन भी मिल गई, अपहर्ता का फोन कभी औन तो कभी बंद होता था. उस की लोकेशन भी बारबार बदल रही थी. अलगअलग लोकेशनों पर पुलिस कार की तलाश कर रही थी. फोन नंबर बंद होते ही उन की लोकेशन भी बंद हो जाती थी. पुलिस यह समझ गई थी कि अपहर्ता ऐसा चकमा देने के लिए कर रहे हैं, ताकि बच्चे को कहीं छिपाया जा सके.
पुलिस को चकमा दे रहे थे अपहर्ता
इसी बीच उस ने 2 बार नंबर प्लेट भी बदल डाली थी, लेकिन पुलिस की नाकेबंदी सख्त थी और दूसरी टीमें लगी हुई थीं. जिस से वे जिले से बाहर नहीं निकल पाए थे. पूरी रात पुलिस और अपहर्ता के बीच चूहेबिल्ली की लुकाछिपी का खेल चलता रहा.
सुबह करीब 4 बजे वे बिलारी क्षेत्र के हजरत नगर गढ़ी कुंदरकी मार्ग पर जा पहुंचे. वहां वे जंगल में जा छिपे थे. जबकि इस की सटीक लोकेशन पुलिस को मिल गई थी. इस तरह से मिले तकनीकी सुराग की दिशा में काररवाई की बारी आ गई थी. एसएसपी ने 2 पुलिसकर्मियों को किसान बना कर वहां तक जाने का आदेश दिया.
आदेश के मुताबिक 2 पुलिसकर्मी सादे कपड़ों में लोकेशन की दिशा में कुछ दूर आगे बढ़े, तब उन्हें वैगनआर कार नजर आ गई. लेकिन उस तक छिपछिप कर पहुंच गए और कार के भीतर की गतिविधियों पर नजर गड़ा दी. इस तरह उन्होंने सुबह साढ़े 5 बजे तक इंतजार किया.
जब कार में किसी तरह की हरकत नजर नहीं आई, तब दोनों पुलिसकर्मी उस के काफी करीब जा पहुंचे. उस में बच्चा सोया हुआ दिखा. तब तक बाकी पुलिसकर्मी खेत को चारों तरफ से घेर चुके थे. कुछ पुलिसकर्मी किसान बने पुलिसकर्मियों के पीछे भी खड़े हो गए थे.
इसी बीच उन पर अपहर्ता ने गोली चला दी, जिस से एक पुलिसकर्मी जख्मी हो गया. पुलिसकर्मियों ने भी जिधर से गोली चली थी, उस दिशा में फायरिंग कर दी. जवाबी फायरिंग से अपहर्ता भागने लगे, लेकिन एक के पैर में गोली लग गई और वह वहीं गिर गया. उस के बाद पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया.
बच्चे की सकुशल बरामदगी हो गई. उन्हें सुबह थाने ले आया गया. इस अपहरण कांड में गिरफ्तार 2 बदमाश शामिल थे. पहला आरोपी शशांक मेहता उर्फ विक्की मेहता (35 वर्ष) और दूसरा आरोपी उस का साथी अंकुश शर्मा बुद्धि विहार निवासी था. अंकुश शर्मा वैदिक का पड़ोसी ही निकला.
पड़ोसी ने ही किया अपहरण
पुलिस ने जब उन का रिकौर्ड खंगाला तब मालूम हुआ कि उन में एक नामी हिस्ट्रीशीटर अंकुश शर्मा था. उस के साथ शंशाक मेहता भागीदार था. दोनों मूलरूप से थाना छजलैट क्षेत्र के हैं, लेकिन वे 20 सालों से मुरादाबाद शहर की आशियाना कालोनी में किराए का कमरा ले कर रहे थे. हिस्ट्रीशीटर अंकुश शर्मा टेंपो चलाता था और वह बड़े व्यापारियों से ब्याज पर रुपए दिलाने का काम भी करता था.
उस ने ही शशांक मेहता को ब्याज पर रुपए दे कर अपने गैंग में शामिल कर लिया था. जांच में अंकुश की मां की भूमिका भी इस मामले में बताई गई है. पुलिस कथा लिखे जाने तक एक हिस्ट्रीशीटर, एक आरोपी की मां सहित 3 लोगों की भूमिका की जांच कर रही थी.
हालांकि अंकुश शर्मा और शशांक मेहता को पुलिस ने 7 अगस्त, 2023 को कोर्ट में पेश कर दिया था. कोर्ट ने दोनों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. अपहर्ताओं ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि पड़ोस में रहने वाले नवनीत गुप्ता से उन की अच्छी तरह जानपहचान है. पैसों की जरूरत को पूरा करने की गरज से उन के बेटे वैदिक का अपहरण कर 40 लाख रुपए की फिरौती वसूलने की साजिश रची थी, लेकिन उस से पहले ही पुलिस ने उन की सारी प्लानिंग पर पानी फेर दिया.
पुलिस ने घटना में प्रयुक्त एक वैगनआर कार (यूपी-21 सीएन 2464 नंबर प्लेट लगी) बरामद की. साथ ही 2 देशी तमंचे .315 बोर तथा 3 जिंदा कारतूस बरामद किए. एसएसपी हेमराज मीणा ने बच्चे को सहीसलामत बरामद करने वाली पुलिस टीम को 25 हजार रुपए का पुरस्कार दिए जाने की भी घोषणा की.