मराठी फिल्मों और टीवी सीरियलों की जानीमानी सहअभिनेत्री अलका पुनेवर नाश्ता करते समय पति संजय पुनेवर से बोली, ‘‘मेरा आज का शेड्यूल बहुत बिजी है. पहले मुझे एक स्टेज कार्यक्रम में भाग लेने के लिए नवी मुंबई के उरण जाना है. इस के बाद एक फिल्म की शूटिंग के लिए पूना जाऊंगी. जो लोग उरण में कार्यक्रम करा रहे हैं, वही थाणे रेलवे स्टेशन पर एक कार भेज देंगे. कार्यक्रम खत्म होने के बाद वही कार मुझे पूना छोड़ देगी.’’
अलका पुनेवर की इस बात पर संजय पुनेवर और उन के दोनों बच्चों को जरा भी हैरानी नहीं हुई, क्योंकि इस तरह की बातें उन के लिए आम थीं. नाश्ता करने के बाद संजय पुनेवर पत्नी को कार से थाणे रेलवे स्टेशन के पास छोड़ कर अपने औफिस चले गए. यह 27 दिसंबर, 2013 की बात है.
रात करीब 10 बजे संजय पुनेवर घर लौटे तो उन्होंने अपने बच्चों प्रतीक और पीयूष से अलका के बारे में पूछा. बच्चों ने बताया कि वह अभी नहीं लौटी हैं. अलका को शूटिंग से लौटने में कभी देर भी हो जाया करती थी, इसलिए उन्होंने सोचा कि खाना खाने के बाद वह उस से इत्मीनान से बात करेंगे. खाना खाने के बाद उन्होंने पत्नी अलका को फोन लगाया, लेकिन उस का फोन स्विच औफ बता रहा था. उन्होंने कई बार नंबर मिलाया, हर बार यही बताया गया कि डायल किया गया नंबर स्विच्ड औफ है. फोन नहीं मिला तो वह यह सोच कर सोने चले गए कि वह किसी खास काम में बिजी होगी, सुबह बात कर लेंगे.
28 दिसंबर, 2013 की सुबह जब उन की आंखें खुलीं तो उन्होंने अपने मोबाइल पर अलका का एसएमएस देखा. उन की जान में थोड़ी जान आई. वह एसएमएस सुबह साढ़े 4 बजे आया था. मगर उस एसएमएस में अलका ने यह नहीं लिखा था कि वह कहां है और घर कब लौटेगी. उस ने बेटे प्रतीक को लिखा था कि वह अपना बायोडाटा फलां कंपनी को मेल कर दे.
अलका और संजय के जुड़वां बेटे प्रतीक और पीयूष थे, जो अब 19-19 साल के हो चुके हैं. प्रतीक इंजीनियरिंग कर रहा था और पीयूष मैनेजमेंट. एसएमएस पढ़ने के बाद संजय ने अलका को फोन किया, लेकिन इस बार भी उस के फोन ने स्विच्ड औफ बताया.
धीरेधीरे अलका को घर से गए 36 घंटे बीत चुके थे. इस बीच उस के बारे में पता नहीं चला कि वह कहां है, क्या कर रही है, कब लौटेगी? उसे ले कर संजय पुनेवर और उन के दोनों बेटे परेशान थे. संजय को अलका से शादी किए 22 साल हो चुके थे. इन 22 सालों में ऐसा पहली बार हुआ था कि आउटडोर शूटिंग पर जाने के दौरान उस का मोबाइल फोन बंद हुआ था.
संजय का धैर्य जवाब दे चुका था. किसी अनहोनी की आशंका को देखते हुए वह बच्चों के साथ पत्नी को ढूंढ़ने के लिए निकल पड़े. उन्होंने उस के सभी दोस्तों को फोन कर के उस के बारे में पूछा, नातेरिश्तेदारों के यहां भी फोन किया. लेकिन कहीं से भी उस के बारे में कोई खबर नहीं मिली.
थकहार कर वह थाना कोपरी पहुंचे और थानाप्रभारी मीरा वनसोडे को पत्नी के गायब होने की सूचना दी तो थानाप्रभारी ने अलका पुनेवर की गुमशुदगी दर्ज कर ली.
मामला एक प्रतिष्ठित परिवार और फिल्म अभिनेत्री की गुमशुदगी का था, इसलिए थानाप्रभारी ने अलका पुनेवर के गायब होने की जानकारी पुलिस आयुक्त के.पी. रघुवंशी, पुलिस उपायुक्त बालासाहेब पाटिल के साथ पुलिस कंट्रोलरूम को भी दे कर खुद अपने स्तर से उस की तलाश भी करने लगीं.
गुमशुदगी दर्ज करा कर संजय अभी घर लौटे ही थे कि उन के साले अमित मिश्रा का फोन आया कि मुंबई से पूना जाने वाली रोड पर गहरी खाई में एक कार गिरी मिली है, जिसे खापोली पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया है. उस कार के अंदर से अलका के कुछ कागजात बरामद हुए हैं. मैं खापोली थाने के लिए निकल रहा हूं, आप भी वहां जल्दी से पहुंचें.
खाई में कार गिरने की जानकारी थाना कोपरी के थानाप्रभारी को भी मिल चुकी थी. संजय पुनेवर उस जगह के लिए निकल पड़े, जहां खाई में कार गिरे होने की जानकारी मिली थी. उन के और उन के साले अमित मिश्रा के वहां पहुंचने से पहले कोपरी थाने की पुलिस वहां पहुंच चुकी थी. कार देखने के बाद संजय ने पुलिस को बताया कि यह कार अलका की नहीं है.
थाना खापोली पुलिस ने खाई में गिरी कार से जो कागजात बरामद किए थे, उन में अलका पुनेवर का पासपोर्ट भी था. सारे कागजातों को थाना कोपरी पुलिस ने थाना खापोली पुलिस से अपने कब्जे में ले लिए. कार की छानबीन की गई तो उस में एक भी ऐसा सुबूत नहीं मिला, जिस से लगता कि इस दुर्घटना में किसी की जान की क्षति हुई हो. इस से संजय पुनेवर की जान में जान आई. उन्होंने राहत की सांस ली. पुलिस यह नहीं समझ पा रही थी कि जब कार खाई में गिरी तो इसे चलाने वाला कहां चला गया? और यह कार अलका की नहीं है तो और किस की है?
पुलिस को इस मामले में किसी गहरी साजिश की गंध आने लगी. मामला हाईप्रोफाइल परिवार से जुड़ा था, इसलिए पुलिस कमिश्नर ने इस मामले की जांच में क्राइम ब्रांच को भी लगा दिया.
क्राइम ब्रांच के चीफ हिमांशु राय के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई गई, जिस में अपर पुलिस आयुक्त निकेत कौशिक, पुलिस उपायुक्त अंबादास पोटे, सहायक पुलिस आयुक्त प्रफुल्ल जोशी क्राइम यूनिट-1 के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक नंदकुमार गोपाले को शामिल किया गया. इस टीम ने अभिनेत्री अलका के मामले की तफ्तीश बड़ी सरगरमी से शुरू कर दी.
टीम ने अलका के पति संजय पुनेवर और उन के दोनों बेटों प्रतीक व पीयूष को क्राइम ब्रांच के औफिस में बुला कर उन से अलका के बारे में गहन पूछताछ की. पुलिस ने संजय पुनेवर का वह मोबाइल फोन भी अपने कब्जे में लिया, जिस पर अलका का एसएमएस आया था.
जिस फोन नंबर से वह एसएमएस भेजा गया था, उस नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई गई तो पता चला कि जिस समय संजय के फोन पर वह एसएमएस आया था, उस के चंद सेकेंड बाद वही एसएमएस एक दूसरे फोन नंबर पर भी भेजा गया था. पुलिस ने उस नंबर की भी काल डिटेल्स निकलवाई तो जानकारी मिली कि यह नंबर किसी आलोक पालीवाल का था और वह नंबर तकरीबन 6 महीने पहले बंद हो चुका था.
अब पुलिस की जांच की दिशा बदल गई. पुलिस पता लगाने लगी कि आलोक पालीवाल कौन है? पुलिस पता लगाने की कोशिश करने लगी कि आलोक पालीवाल के फोन में अब किस कंपनी का सिम कार्ड ऐक्टिव है. फोन के आईएमईआई नंबर से पुलिस को आलोक का नया नंबर मिल गया. इस के बाद पुलिस ने उस के नए नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई.
इस काल डिटेल्स के अध्ययन पर चौंकाने वाली जानकारी मिली. पता चला कि उस नंबर से अलका पुनेवर की नियमित लंबी बातें होती थीं. वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक नंदकुमार गोपाले ने अलका के पति से आलोक पालीवाल के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि इस नाम का उस का कोई रिश्तेदार नहीं है और न ही उन्होंने कभी अलका के मुंह से आलोक पालीवाल के बारे में कुछ सुना है.
आलोक पालीवाल की काल डिटेल्स में मिले नंबरों में से पुलिस टीम को एक नंबर पर शक हुआ. जांच में पता चला कि वह नंबर उस के दोस्त संजीव कुमार का था. पुलिस ने आलोक को डिस्टर्ब करने के बजाए संजीव कुमार को बुला लिया. उस से आलोक और अलका के बारे में पूछताछ की गई तो उस ने अलका और आलोक पालीवाल की लवस्टोरी का सारा रहस्य उजागर करते हुए पूरी साजिश का खुलासा कर दिया.
संजीव की निशानदेही पर क्राइम ब्रांच पुलिस चेन्नई पुलिस के सहयोग से 4 फरवरी, 2014 को अलका पुनेवर और आलोक पालीवाल को चेन्नई के एक फाइवस्टार होटल से हिरासत में ले कर पूछताछ के लिए मुंबई ले आई. पुलिस अनुमान लगा रही थी कि अलका किसी साजिश का शिकार हुई है. लेकिन अलका से की गई पूछताछ में जो जानकारी मिली, उस के अनुसार खापोली थाना के अंतर्गत खाई में जो कार गिरी थी, वह एक साजिश के तहत गिराई गई थी. इस साजिश के पीछे के इरादे का पता चलने पर सभी दंग रह गए.
50 वर्षीया अलका पुनेवर के बचपन का नाम अलका मिश्रा था. सालों पहले उस के दादापरदादा रोजीरोटी की तलाश में उत्तर प्रदेश से नागपुर (महाराष्ट्र) आ कर बस गए थे. धीरेधीरे यह परिवार महाराष्ट्र की भाषा और रीतिरिवाजों में रंग गया. अलका की पढ़ाईलिखाई मराठी मीडियम से हुई. वह परिवार की एकलौती बेटी थी. उस का एक छोटा भाई था अमित मिश्रा.
ऐशोआराम से पलीबढ़ी अलका अति- महत्वाकांक्षी लड़की थी. उसे बचपन से ही मराठी फिल्में और टीवी सीरियल्स देखने का शौक था, इसलिए उस का झुकाव मराठी फिल्मों और टीवी सीरियलों की तरफ अधिक था. खूबसूरत अलका मराठी फिल्म और टीवी सीरियलों में काम कर के ग्लैमर की दुनिया में चमकना चाहती थी.
जब इस बात का अलका के पिता को पता चला तो वह परेशान हो उठे. वह नहीं चाहते थे कि उन की बेटी फिल्मों या टीवी सीरियलों में काम करे. उन्होंने अलका को समझाया, लेकिन वह नहीं मानी. इसलिए अलका के पढ़ाई खत्म करते ही उन्होंने उस की शादी तय कर दी. लड़का एक जानीमानी कंपनी में अच्छी पोस्ट पर था. उस के सिर से फिल्मों का भूत उतर जाए, इसलिए घर वालों ने उसे सात फेरों के बंधन में बांध दिया.
शादी के बाद अलका को एक बेटी पैदा हुई. लेकिन फिल्मों की दीवानी अलका को शादी का बंधन रास नहीं आया. एक बच्ची की मां होने के बाद भी उस की फिगर में गजब का आकर्षण था. उस के दिमाग से फिल्मों और टीवी सीरियलों का भूत नहीं उतरा था. वह अपनी दुधमुंही बच्ची की परवाह किए बिना सिल्वर स्क्रीन पर काम करने के लिए स्ट्रगल करने लगी. पति को उस की यह बात अच्छी नहीं लगी. लिहाजा दोनों के बीच मतभेद होने से परिवार में विवाद होने लगा. फिर नौबत तलाक तक पहुंच गई.
पति से तलाक होने के बाद अलका मुंबई में अपने एक रिश्तेदार के यहां आ गई. अब वह अकेली थी, इसलिए काम के लिए फिल्म निर्माताओं के यहां चक्कर लगाने लगी. उस की मेहनत रंग लाई और उसे मराठी फिल्मों और टीवी सीरियलों में सहकलाकार की भूमिकाएं मिलने लगीं.
कुछ दिनों बाद अलका को पति की कमी खलने लगी. तब अलका ने मुंबई के सटे जनपद थाणे के कोपरी में रहने वाले संजय पुनेवर से विवाह कर लिया. संजय पुनेवर एयरफोर्स में अधिकारी और खुले विचारों वाले आदमी थे. उन्हें अलका के मामलों से कुछ लेनादेना नहीं था और न ही अलका के फिल्मों में काम करने से कोई परहेज था.
संजय पुनेवर का परिवार आधुनिक विचारों वाला था, इसलिए अलका को उस के परिवार ने स्वीकार कर लिया. फिल्मों और टीवी सीरियलों में काम करते हुए उन का दांपत्यजीवन अच्छी तरह से चल रहा था. अलका ने जुड़वां बेटों को जन्म दिया, जिन का नाम प्रतीक और पीयूष रखा गया.
संजय पुनेवर अपने दांपत्यजीवन से बहुत खुश थे. ग्लैमर की दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाली अलका पुनेवर खुले दिल और विचारों वाली महिला थी. जिस संजय पुनेवर से 20 साल पहले अलका ने अपनी नन्ही सी बच्ची और पति को छोड़ कर शादी की थी, अब उसी संजय को छोड़ कर उस का झुकाव अपने से आधी उम्र वाले युवक आलोक पालीवाल की तरफ हो गया था.
अलका पुनेवर का दिल जिस आलोक पालीवाल के लिए धड़क रहा था, उस की उम्र उस के पहले पति से जन्मी बेटी से भी कम थी. नागपुर में रहने वाला आलोक पालीवाल का परिवार भी अलका के परिवार वालों की तरह उत्तर प्रदेश का रहने वाला था. आलोक पालीवाल के पिता रामचंद्र पालीवाल सुप्रसिद्ध प्लास्टिक सर्जन थे, जो बैंकाक के किसी अस्पताल में काम करते थे. चूंकि अलका अपनी खूबसूरती को बनाए रखना चाहती थी, इसलिए आलोक पालीवाल से मिलने के बाद बैंकाक जा कर उस के पिता से अपने चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी भी करवाई थी.
आलोक पालीवाल एक हैंडसम युवक था. इंजीनियरिंग करने के बाद उस ने बैंकाक से एमबीए किया था. उस के बाद एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस में एक बड़ी पोस्ट पर काम करने लगा था.
अलका पुनेवर और आलोक पालीवाल की मुलाकात लगभग 6 महीने पहले एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस की एक बिजनैस मीटिंग में हुई थी. उस मीटिंग में अलका पुनेवर एक गेस्ट के रूप में आई थी. उसी दौरान अलका को पता चला था कि आलोक का परिवार भी मूलरूप से उत्तर प्रदेश का रहने वाला था. इस मुलाकात के बाद उन के बीच होने वाली मुलाकातों ने उन्हें प्यार के मुकाम तक पहुंचा दिया था.
आलोक पालीवाल भी अपनी उम्र से 25 साल बड़ी अलका पुनेवर के प्यार में दीवाना हो गया था. दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया. आलोक पालीवाल ने जब अलका से शादी करने की बात घर वालों से कही तो घर वाले उस की पसंद पर चौंके. क्योंकि पहली बात तो यह थी कि अलका उस से उम्र में लगभग दोगुनी थी. इस के अलावा यह भी पता चला था कि अलका की 2 शादियां पहले भी हो चुकी थीं. पहले पति से उस की एक 24 साल की बेटी थी. दूसरे पति संजय पुनेवर से 19-19 साल के 2 बेटे थे. अमित ने तय कर लिया था कि कुछ भी हो जाए, वह अलका से जुदा नहीं होगा.
फिल्म और टीवी सीरियलों की लिखी गई स्क्रिप्ट पर काम करने वाली अलका पुनेवर ने आलोक के साथ रहने के लिए उस के साथ मिल कर एक रहस्यमय स्क्रिप्ट लिख डाली. उस स्क्रिप्ट में अलका पुनेवर और आलोक पालीवाल ने अपने एक दोस्त संजीव कुमार को भी शामिल कर लिया.
संजीव कुमार और आलोक पालीवाल बचपन के दोस्त थे. स्कूल और कालेज की पढ़ाई भी दोनों ने साथसाथ की थी. आलोक की नौकरी बंगलुरू स्थित एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस में लगी तो संजीव कुमार एयरटेल कंपनी में नौकरी पर लग गया. उस की पोस्टिंग मुंबई में थी.
अपनी लिखी गई स्क्रिप्ट के अनुसार आलोक पालीवाल संजीव कुमार और अलका पुनेवर ने घटना से 5 दिनों पहले 22 दिसंबर, 2013 को 28 हजार रुपए में एक पुरानी कार खरीदी. योजनानुसार, 27 दिसंबर, 2013 को अलका अपने पति संजय पुनेवर और बच्चों से शूटिंग पर जाने के लिए कह कर घर से निकली. संजय ने उसे कार से थाणे रेलवे स्टेशन के पास छोड़ दिया. कुछ देर बाद आलोक पालीवाल और संजीव कुमार कार ले कर वहां आ गए.
अलका उन की कार में बैठ गई. उन्होंने उसे सीएसटी रेलवे स्टेशन छोड़ा और उसे लोकल ट्रेन पकड़ कर उरण आने को कहा. मगर अलका ट्रेन के बजाए बस से उरण जा पहुंची. थोड़ी देर बाद आलोक और संजीव भी कार से उरण पहुंच गए. तीनों ने एक होटल में बैठ कर आगे की योजना बनाई. योजना के अनुसार अलका पूना के लिए निकल पड़ी. जबकि आलोक पालीवाल और संजीव कुमार कार ले कर पूना-खडाला की तरफ. रात 12 बजे के करीब वह खापोली पहुंचे, जहां 8-9 सौ फुट गहरी खाई थी.
खापोली के हील पौइंट पर ले जा कर दोनों कार से उतर गए. उन्होंने अलका के पासपोर्ट की फोटोकौफी और अन्य कागज कार में रख कर धक्का दिया तो कार खाई में गिर गई. उन्होंने ऐसा इसलिए किया कि लोग समझें कि अलका पुनेवर की इस हादसे में मौत हो गई है.
उन्होंने कार तो खाई में गिरा दी, लेकिन इस बात की जानकारी लोगों तक कैसे पहुंचे कि मराठी फिल्मों और टीवी सीरियलों की जानीमानी अभिनेत्री अलका पुनेवर की कार ऐक्सीडेंट में मौत हो गई है, इस के लिए आलोक और संजीव मुंबई-पूना एक्सप्रेस हाइवे पर आए और वहां से गुजरने वाले ट्रक ड्राइवरों को रोक कर उन्हें खाई में गिरी कार की जानकारी दी.
उन की बात सुन कर ट्रक चालक उस कार और उस महिला की मदद के लिए आगे आए. थोड़ी देर में वहां काफी लोग जमा हो गए.
आलोक और संजीव मौका देख कर वहां से खिसक गए और बस पकड़ कर पूना चले गए. वहां उन्हें अलका मिल गई. आलोक और अलका वहां से बंगलुरू और फिर चेन्नई चले गए, जबकि संजीव कुमार मुंबई लौट गया. वहीं से आलोक पालीवाल ने अपने पास छोड़े गए अलका के मोबाइल से संजय पुनेवर और एक दूसरे नंबर पर एसएमएस कर दिया था.
अलका का सोचना था कि वह मामला शांत होने पर अपने चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी करवा कर आलोक पालीवाल से शादी कर लेगी. प्लास्टिक सर्जरी कराने के बाद उसे कोई पहचान नहीं पाएगा. मगर उस की इस साजिश का खेल एसएमएस ने बिगाड़ दिया और वह पकड़ी गई. उसी के साथ साजिश रचने वाला आलोक भी पकड़ा गया.
अलका पुनेवर ने पुलिस को बताया कि उस का पति संजय पुनेवर उसे मानसिक रूप से परेशान करता था, जिस की वजह से उस ने यह कदम उठाया. क्राइम ब्रांच यूनिट-1 की टीम ने तीनों को थाना कोपरी की थानाप्रभारी मीरा वनसोडे को सौंप दिया. जांच पूरी कर के मीरा वनसोडे ने मामले की फाइल पुलिस उपायुक्त बालासाहेब पाटिल को सौंप दी.
आलोक पालीवाल और अलका पुनेवर का मकसद किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं था. उन के खिलाफ किसी ने कोई शिकायत भी नहीं दर्ज नहीं कराई थी. इसलिए उन के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता था. पुलिस उपायुक्त बालासाहेब ने तीनों को घर जाने दिया. थाने से निकल कर अलका पुनेवर घर जाने के बजाए आलोक पालीवाल के साथ चली गई थी.