गफूर मियां की हेयर कटिंग और ड्रेसिंग की दुकान थी. दुकान खोलने के बाद सफाई आदि कर के गफूर मियां अखबार खोल कर बैठ गए. अखबार पढ़ते पढ़ते उन की नजर एक इश्तहार पर पड़ी, जिस में लिखा था, ‘3 लाख का नकद ईनाम उस आदमी के लिए जो रुस्तम बटेरी का पता बताए या उस की गिरफ्तारी में मदद करे. बताने वाले का नाम गुप्त रखा जाएगा.
‘रुस्तम का कद 6 फीट 4 इंच, चौड़ा सीना, चौकोर चेहरा, भूरे बाल, कहींकहीं सफेदी, उम्र करीब 40 साल, गोरा रंग, काली आंखें, मजबूत शरीर. 2 खास निशानियों में एक यह कि उस के बाएं हाथ का अंगूठा थोड़ा कटा हुआ है और दूसरी यह कि उस का एक दांत सोने का है. वह बातें बहुत होशियारी से करता है. बेहद चालाक और खतरनाक है. दाढ़ी हलकी और मूंछें घनी हैं (अब शायद कुछ बदलाव आ गया हो).’
पुलिस की ओर से यह इश्तहार अखबार में दिया गया था. इश्तहार पढ़ कर उन की आंखों में चमक आ गई. उस इश्तहार में उन्हें 3 लाख रुपए का ईनाम दिखाई दे रहा था. उस इश्तहार को 2 दिन में वह 10-12 बार पढ़ चुके थे. सुबह से ले कर रात 8 बजे तक उन की दुकान पर सिर्फ 4 ग्राहक ही आए थे.
वैसे गफूर मियां हेयर कटिंग और ड्रेसिंग में माहिर थे. लेकिन पिछले एक साल से उन का धंधा बहुत मंदा चल रहा था. इस की वजह उन की दुकान के ठीक सामने नया खुलने वाला दिलदार खां का दिलखुश सैलून था. उस सैलून में चमकदमक के साथ नईनई तरह की मशीनें थीं. वहां आधुनिक मसाज का भी इंतजाम था, इसलिए ग्राहक मुंहमांगे पैसे तो देते ही थे, साथ ही खुश हो कर जाते थे.
गफूर मियां भी चाह रहे थे कि वह भी अपनी दुकान को आधुनिक लुक दें, लेकिन उन के सामने समस्या पैसों की थी. इसलिए वह सोच रहे थे कि किसी तरह यह 3 लाख का ईनाम उन्हें मिल जाए.
रुस्तम बटेरी 3 हफ्तों से गायब था. उस ने बड़ी बेदर्दी से अपनी खाला का कत्ल कर के जेवर उड़ाए थे. पुलिस तमाम कोशिशों के बावजूद 3 हफ्ते बाद भी उस का पता नहीं लगा पाई थी. तब खाला के बेटे ने यह 3 लाख रुपए का ईनाम रखवाया था. उम्मीद यह भी थी कि कहीं रुस्तम मुल्क से बाहर न भाग गया हो.
गफूर मियां ने एक बार फिर अखबार में छपा वह इश्तहार पढ़ा और दुआ मांगी ‘या खुदा यह ईनाम किसी तरह मुझे दिलवा दे या फिर कुछ ग्राहक ही भेज दे, जिस से आमदनी का कोई जरिया तो बने.’
रात के 8 बज रहे थे. सर्दी भी बढ़ चुकी थी. गफूर मियां ने दिलखुश सैलून देखने के लिए दरवाजा खोला कि एक आदमी लंबा कोट पहने हुए उन से टकरा गया. टकराते ही वह आदमी गुर्राया, ‘‘बेवकूफ, इस ठंड के मौसम में क्यों मेरे हाथ का घूंसा खाना चाहता है.’’
वह लंबाचौड़ा आदमी यकीनन ग्राहक था, उस का रुख दुकान की तरफ था. गफूर मियां ने फौरन उस का कंधा पकड़ कर कहा, ‘‘आइए जनाब, अंदर तशरीफ लाइए हुजूर.’’
जोर लगा कर वह उसे अंदर ले आए और कुरसी पेश करते हुए बोले, ‘‘तशरीफ रखिए जनाब.’’
उस ने गुर्रा कर पूछा, ‘‘सैलून कितने बजे तक खुला रहेगा?’’
गफूर मियां ने मीठे लहजे में कहा, ‘‘जनाब, वेसे 10 बजे तक खुला रहता है पर आप चाहेंगे तो मैं देर तक आप की खिदमत कर सकता हूं.’’
ग्राहक ने इत्मीनान से कोट उतारा और चारों तरफ एक सतर्क नजर डाली और कुरसी पर बैठ कर बोला, ‘‘काम बढि़या होना चाहिए. कटिंग करो, बाल छोटे कर दो, दाढ़ी बिलकुल साफ कर दो. मूंछें हलकी करो और बाल डार्क ब्राउन रंग दो. और हां, मूंछों का कलर हलका ब्राउन रखना.’’
गफूर मियां ने ग्राहक की ओर देखा. क्या शानदार आदमी था. हुस्न और सेहत का बेजोड़ नमूना. वह बोले, ‘‘जनाब, काम बहुत अच्छा होगा. आप इत्मीनान से बैठें.’’ और फिर मुस्तैदी से वह अपने काम में लग गए.
पहले कटिंग शुरू की. उन्होंने देखा उस आदमी के बाल बहुत रूखे और मोटे थे. उन पर बड़े भौंडे अंदाज में उन पर लाल रंग चढ़ा हुआ था.
‘‘यह औरतें भी अजीब दिमाग की होती हैं. उन की पसंद और नापसंद का कुछ ठिकाना नहीं रहता.’’ अजनबी ग्राहक ने कहा.
गफूर मियां बात शुरू होने पर बहुत खुश हुए. उन के अंदर का नाई जाग उठा. वह मीठे लहजे में बोले, ‘‘जनाब, क्या बात हो गई?’’
‘‘बात क्या होनी है. मेरी मंगेतर को पहले लाल बाल पसंद थे, लेकिन अब जिद पकड़ ली है कि बालों को डार्क ब्राउन करा लो, बहुत अच्छे लगेंगे. हुक्म दिया कि दाढ़ी भी साफ करा लो. मूंछें हलकी कर के लाइट ब्राउन करा दो. अब तुम ही बताओ कि मेरी क्या मजाल है कि उस की बात टाल दूं.’’
‘‘अच्छा, यह आप की मंगेतर की फरमाइश है.’’ गफूर मियां मुसकराते हुए बोले, ‘‘आप ने अभी तक शादी क्यों नहीं की?’’
‘‘अगले हफ्ते मेरा शादी का प्रोग्राम है.’’ वह बोला, ‘‘मैं 40 साल का हूं. कारोबार और दूसरी परेशानियों ने उम्र ज्यादा कर दी. वैसे मैं इस बात को मानता हूं कि शादी 40 साल के बाद ही करनी चाहिए. तुम बताओ, तुम्हारे कितने बच्चे हैं?’’
‘‘बच्चे नहीं जनाब, अभी तो बच्चों की मां ही नहीं आई है.’’
सुन कर वह चौंका, ‘‘तुम्हारी उम्र कितनी है?’’
‘‘जनाब, मैं 36 साल का हूं.’’ गफूर ने बताया.
‘‘पर लगते तो मुझ से भी बड़े हो?’’
‘‘क्या बताऊं जनाब, परेशानियों ने समय से पहले बूढ़ा बना दिया.’’
कटिंग खत्म हो चुकी थी. ग्राहक ने अंदाजा लगा लिया था कि नाई काफी तजुर्बेकार है और अपने काम में एक्सपर्ट है. उस ने बिलकुल उस के मनमाफिक कटिंग की थी. अब वह शेव की तैयारी कर रहा था.
‘‘अरे भाई, नाम क्या है तुम्हारा?’’ ग्राहक बोला.
‘‘जी, गफूर मियां.’’
‘‘अच्छा गफूर मियां, कोई अखबार हो तो दो पढ़ने को.’’
गफूर मियां ने सामने पड़ा अखबार उस की तरफ बढ़ाया. उस ने अपना बायां हाथ आगे बढ़ाया, तभी गफूर मियां को उस के हाथ का अंगूठा दिख गया जो आधा था. फिर अचानक ग्राहक ने फौरन सीधा हाथ बढ़ा कर अखबार छीन लिया. उस की नजर सब से पहले ईनाम वाले इश्तहार पर पड़ी.
‘पुलिस वालो, अपना वक्त बेकार कर रहे हो.’ वह आदमी बुदबुदाया. फिर बोला, ‘‘गफूर मियां, गोली मारो इस इश्तहार को. तुम अपना काम जल्द निपटाओ.’’
गफूर मियां ने शेविंग क्रीम लगाई और उस की दाढ़ी साफ करनी शुरू कर दी.
‘‘मियां इस धंधे में कितना कमा लेते हो?’’ उस ने पूछा.
‘‘बस जनाब, गुजारा हो जाता है.’’ गफूर ने जवाब दिया.
‘‘हा…हा…हा…’’ ग्राहक ने एक जोरदार ठहाका लगाया. तभी गफूर मियां ने आइने में उस के सोने के दांत की झलक देख ली.
यह देख कर वह खुश हो गया. सोचने लगा कि 3 लाख रुपए खुद मेरे पास चल कर आए हैं. पर उस मजबूत कदकाठी के शख्स पर काबू पाना नामुमकिन था. उस का तो एक मुक्का ही उस की गरदन तोड़ सकता था. आइने से ही 2 गहरी काली जालिम आंखें गफूर मियां को चेतावनी दे रही थीं.
वह जल्दीजल्दी अपना काम करने लगे. एक बार दिल में आया कि इसे यहां बिठा कर बाहर चला जाऊं और दरवाजा बंद कर दूं फिर पुलिस को बुला लूं. पर यह जालिम मुझे जाने दे, तब न. इस से बचना नामुमकिन है. अचानक गफूर मियां के दिल में एक खयाल आया. वह मुसकरा पड़े.
‘‘सामने वाले दिलखुश सैलून के बारे में तुम्हारा क्या खयाल है?’’ ग्राहक ने पूछा.
‘‘जनाब, कल का छोकरा है. हुनर हाथों में नहीं दिमाग में है. ग्राहकों को लूटता है. मसाज की आड़ में बेशर्मी होती है वहां.’’
‘‘यह काम तुम भी शुरू कर दो.’’
‘‘तौबातौबा हुजूर, मैं ऐसे कामों से दूर भागता हूं. वैसे भी पैसे की कमी है सरकार. अगर कुछ रकम मिल जाए तो दुकान की डेकोरेशन कराऊंगा और उस बदमाश दिलदार के आधे ग्राहक तो तोड़ ही लूंगा. आप को मालूम है जनाब, यह जो डाई आप के बालों में लगाऊंगा, मैं ने तैयार की है. केमिस्ट्री के एक होनहार स्टूडेंट से मेरी दोस्ती हो गई थी. उस के मशविरे पर मैं ने यह डाई बनाई है. यह स्किन को जरा भी नुकसान नहीं पहुंचाती और काफी दिनों तक बनी रहती है.’’ गफूर मियां ने डाई की शीशी दिखाते हुए कहा.
डाई करने से पहले बालों को सूखा करने में करीब 11 बज गए. सामने वाले दिलदार का सैलून भी बंद हो चुका था. डाई लगाने के बाद ग्राहक ने पैसे पूछे. गफूर मियां ने 75 रुपए बताए. ग्राहक ने सौ का नोट दिया. इस के बाद वह बाकी पैसे लिए बिना ही दुकान से निकल गया.
सड़क सुनसान हो चुकी थी. गफूर मियां ने जल्दीजल्दी सामान समेटा और दुकान बंद की. वह सीधे थाने जा पहुंचे. वहां उन्होंने सीनियर इंसपेक्टर अकरम अली से मिलने की गुजारिश की, जो इस केस को देख रहे थे.
गफूर ने अकरम अली से रिक्वेस्ट की कि अगर आप मेरी बात पर अमल करें तो कल आप रुस्तम बटेरी को गिरफ्तार कर सकते हैं.
अकरम अली ने उलझ कर पूछा, ‘‘कल क्या कोई चमत्कार हो जाएगा कि मैं रुस्तम को पकड़ लूंगा.’’
‘‘हुजूर, एक बार मेरी बात तसल्ली से सुन तो लीजिए. कल सुबह 9 बजे 2-3 सिपाहियों के साथ मेरे सैलून पर आ जाइए और आप का मुलजिम आप के हाथों में होगा.’’
पहले तो अकरम अली ने गफूर को टालना चाहा पर गफूर मियां की आवाज में बेहद यकीन था और आंखों में विनती थी. गफूर मियां ने फिर हाथ जोड़ कर कहा, ‘‘हुजूर, कल सुबह आप लोग सादे कपड़ों में मेरे सैलून के आसपास जरूर रहें.यह मेरी गुजारिश है. मैं इस बात का यकीन दिलाता हूं कि अगर आप नाउम्मीद हुए तो आप मुझे जेल में बंद कर देना.’’
‘‘गफूर मियां, तुम सारी बात खुल कर क्यों नहीं बता रहे हो? क्या आज रुस्तम तुम्हारी दुकान से बनठन कर चला गया और अब वह सवेरे तुम्हें टिप देने आएगा?’’
‘‘सर आप को यह सुबह पता चल जाएगा. मेरी इतनी दरख्वास्त मान लीजिए.’’
अकरम अली को गफूर मियां की बेचारगी पर रहम आ गया. उन्होंने उस से वादा कर लिया कि कल सुबह ठीक 9 बजे 2 सिपाहियों के साथ उस के सैलून के आसपास मौजूद रहेंगे.
रात भर गफूर मियां को ख्वाब में 3 लाख रुपए दिखते रहे. सवेरे जल्दी उठ कर तैयारी के बाद वह दुकान पहुंच गए और इंतजार शुरू कर दिया.
ठीक 9 बजे अकरम अली 2 सिपाहियों के साथ सादे कपड़ों में उन की दुकान के आसपास मंडराने लगे. इंतजार करतेकरते 10 बज गए पर रुस्तम नहीं आया. अब गफूर मियां को घबराहट होने लगी. ठीक साढ़े 10 बजे सैलून के बाहर एक टैक्सी रुकी और आंधीतूफान की तरह रात वाला ग्राहक अंदर दाखिल हुआ. उस ने काले रंग का चश्मा लगा रखा था. चेहरा भी ढका हुआ था.
अंदर पहुंचते ही वह गफूर मियां पर टूट पड़ा, ‘‘उल्लू के पट्ठे, कमीनेकुत्ते…’’ कहते हुए उस ने उस की गरदन पकड़ ली.
उसी वक्त सीनियर इंसपेक्टर अकरम अली और सिपाही अंदर आ गए. थोड़ी हाथापाई के बाद पिस्तौल के बल पर उसे काबू कर लिया गया. इस हाथापाई में उस का चश्मा और सिर से टोपी भी गिर गई.
कुछ राहगीर भी अंदर आ गए. सारे लोग सूरतेहाल देख कर हंस रहे थे क्योंकि रुस्तम बटेरी के बाल डार्क ब्राउन और मूंछें हरे रंग से रंगी हुई थीं. यूं लग रहा था जैसे कोई तोता इंसान बन गया हो.
अकरम अली ने गफूर मियां की पीठ थपथपाते हुए कहा, ‘‘मुबारक हो, तुम्हें 3 लाख रुपए का ईनाम मिल गया. तुम ने एक खतरनाक मुलजिम को पकड़वाया. आखिर यह सब कैसे हुआ?’’
‘‘जनाब मैं ने अपनी नई बनाई हुई डाई इस्तेमाल की थी. उस की खास बात यह है कि यह 6-7 घंटे तो ब्राउन रंग की रहती है फिर अपने ओरिजिनल कलर यानी गहरी हरी हो जाती है. यह कलर डाई मैं ने खासतौर से रंगीनमिजाज नौजवानों के लिए तैयार की है, जिन्हें रंगबिरंगे बाल पसंद होते हैं.
‘‘मुझे पक्का यकीन था कि रुस्तम सवेरे जब अपने हरे बाल देखेगा तो सीधा मेरी दुकान पर मेरी पिटाई करने के लिए जरूर पहुंचेगा, इसलिए सुबह तो उस को आना ही था. तभी तो मैं ने आप से गुजारिश की थी कि आप मेरी दुकान पर आएं.’’
गफूर मियां के कारनामे ने उन्हें रातोंरात इतना मशहूर कर दिया कि उन की दुकान पर खूब भीड़ रहने लगी. उन के दिन फिर गए और 3 लाख रुपए का ईनाम भी मिल गया.