राजस्थान के बानसुर विधानसभा क्षेत्र में एक गांव है हमीरपुर. वहां एक रिटायर फौजी का बेटा सुनील सांखला आईपीएस बन गया था. उसे 2021 के यूपीएससी परीक्षा में 263 रैंक मिला था. गांव में उस के दोस्तों और रिश्तेदारों को इस की जानकारी 22 अप्रैल, 2022 को उस के सोशल मीडिया पोस्ट से लगी थी. यह खबर पूरे गांव में फैल गई और उन्होंने उस का स्वागत करने का मन बना लिया.
गांव वाले उसे पहले से ही काफी होनहार समझते थे, क्योंकि उन्हें उसी ने 2020 में बताया था कि उस की इनकम टैक्स विभाग में नौकरी लगी हुई थी, इस के साथ ही वह यूपीएससी की तैयारी कर रहा है. आईपीएस बन कर ही गांव आवेगा. जैसा कहा था, वैसा उस ने कर दिखाया, गांव वाले उस की तारीफ किए बगैर नहीं थकते थे. आए दिन चौपाल पर उस की चर्चा होने लगी थी. उस के किस्से नई पीढ़ी के स्कूली लड़कों को सुनाए जाने लगे थे. वह एक तरह से प्रेरणा का स्रोत बन चुका था.
उस ने अपने सोशल मीडिया के फेसबुक पेज पर पुलिस के स्टार और भारत के अशोक स्तंभ लगी पट्टी की तसवीरें थीं. कुछ अन्य तसवीरों में कुछ अखबारों की कतरनें थीं, जिस में उस के बारे में लिखा था कि उस ने किस तरह से परीक्षा पास की, कितने घंटे की रोजाना पढ़ाई की, किस का कितना सपोर्ट मिला, इंटरव्यू में क्या कुछ पूछा गया, समाज और देश के लिए वह क्या करना चाहता है. उस का लक्ष्य क्या है, उद्ïदेश्य क्या है, प्रेरणा कहां से मिली, उन से क्या सीखनी चाहिए? इत्यादि.
गांव में उस के आने का इंतजार होने लगा. 22 अप्रैल, 2022 को वह अपने गांव आया. उसे गांव वालों ने सिर आंखों पर बिठा लिया. उस के दोस्त खुशी से झूम उठे. उस के गांव आने की खुशी में एक स्वागत समारोह का आयोजन किया गया. ग्रामीणों ने गांव की चौपाल पर उस का भव्य स्वागत किया. साफा बांधा गया, माला पहनाई गई, गांव में मिठाई बांटी गई और गांव के वरिष्ठ नागरिकों ने उस की सफलता की तारीफ की. उस की पढ़ाई, मेहनत, ईमानदारी और जज्बे को प्रेरक बताया.
इस भव्य स्वागत समारोह की एक ग्रुप फोटी उतारी गई. इसे सभी ने यादगार के तौर पर अपनेअपने मोबाइल में सेव कर लिया. उस के घर में इस का प्रिंट निकाल कर दीवार पर लगा दिए गए.
देखते ही देखते उस की लोकप्रियता गांव से निकल कर आसपास के क्षेत्रों और उस के समाज में फैल गई. जिस ने भी सुना, उस की तरीफ की. उस के बाद उस के पास शादी के औफर आने लगे. उस के परिवार से अधिक हैसियत वाले समृद्ध परिवार अपनी लड़की की शादी उस से करने को लालायित हो गए.
24 वर्षीय सुनील सांखला के पिता भारतीय सेना से सेवानिवृत्त थे. उस ने अपने स्वागत भाषण में बताया कि उस की पोस्टिंग महाराष्ट्र कैडर में है. फिलहाल वह वहीं ड्यूटी कर रहा है. अगले रोज उस के फेसबुक पेज पर स्वागत के ग्रुप फोटो के साथ जौइनिंग लेटर और अन्य जगहों से मिले सम्मान आदि की तसवीरें भी लगा दीं.
उस के कई शौक में एक शौक अपनी पब्लिसिटी का भी भा. वह अपने बारे में लोगों को बताने को उत्सुक रहता था कि उस का ओहदा किस तरह का है? उस की कौन सी खूबी के चलते उसे पुरस्कार, सम्मान और बधाइयां मिलती हैं. उस की सोशल साइट पेज पर 2 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के प्रशंसा पत्र भी लगे हुए थे. उन में एक राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और दूसरा हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के थे.
इन सब वजहों से ही वह लोकप्रिय हो गया था. जहां उसे अपना प्रभाव जमाने और पहचान बताने की जरूरत होती थी, वहां वह इन का ही इस्तेमाल करता था. खैर, सब कुछ उस के मनमुताबिक चल रहा था. इसी बीच उस के लिए अच्छे घराने से शादी का प्रस्ताव भी आ गया. उस की सगाई भी हो गई.
सगाई के समय उस ने अपने होने वाले ससुराल वालों बताया कि उस का आईपीएस के लिए चयन महाराष्ट्र कैडर में हुआ है. उस ने यह भी बताया कि उसे सीबीआई विभाग में एक महत्त्वपूर्ण जांच की जिम्मेदारी मिली है. इसलिए वह ज्यादातर सिविल कपड़ों में ही होता है. वैसे खास मौके पर वरदी में होता है.
एक दिन आईपीएस सुनील का ससुराल वालों के साथ उदयपुर जाना हुआ. वहां सर्किट हाउस पहुंचा और अपने लिए ठहरने के लिए कमरा बुक करने का आग्रह किया.
उस ने बताया कि यहां उस का एक जांचपड़ताल के सिलसिले में आना हुआ है. संयोग से उसी समय उदयपुर के एसपी भुवन भूषण यादव भी वहां पहुंच गए. सुनील कुमार उन्हें देखते ही सैल्यूट करते हुए बोला, ”सर! जय हिंद!’’
”जय हिंद!’’ यादव भी बोले और हाथ नीचे करने से पहले सुनील के सैल्यूट करने के तरीके को देख कर वह चौंक गए.
सवालिया निगाहों से देखते हुए उन्होंने पूछा, ”आप न्यू अपौइंटमेंट! …कहां से?’’
”सर, मैं सुनील कुमार राजस्थान से, मुंबई से आया हूं…सीबीआई में हूं.’’
”ओके गुड…बैच?’’ यादव ने दूसरा सवाल किया.
”…जी…जी.’’ सुनील कोई स्पष्ट जवाब नहीं सका.
”लगता है आप थोड़ी हड़बड़ी में हैं…’’ यादव ने व्यंग्य किया, ”हो जाता है ऐसा अकसर नए अफसर को सीनियर के सामने… कोई बात नहीं…लेकिन आप के सैल्यूट करने का अंदाज मुझे कुछ ठीक नहीं लगा,’’ एसपी यादव बोले.
”अभी चलता हूं फिर मिलूंगा,’’ कहते हुए उस पर एसपी यादव परीक्षण करती एक नजर डालते हुए जाने के लिए मुड़ गए. सुनील उन की इस अदा के बारे में कुछ समझ नहीं पाया. यह सब रिसैप्शन के पास ही हो रहा था.
”सर, आप का कोई आईडी
कार्ड!’’ रिसैप्शन पर बैठा व्यक्ति बोला.
”हांहां, यह लो.’’ कहते हुए सुनील ने अपनी जेब से आईडी कार्ड निकाल कर उस के सामने बढ़ा दिया.
रिसैप्शन पर बैठे व्यक्ति ने सुनील का आईडी कार्ड ले कर स्कैन किया और वापस लौटाते हुए बोला, ”सर, इस में अच्छा फोटो नहीं लगाया है, आप के डिपार्टमेंट वालों ने, दूसरा बनवा लीजिएगा.’’
”इस में क्या खराबी है?’’ सुनील ने चौंकते हुए पूछा.
”आप के साथ और लोग भी हैं?’’ रिसैप्शनिस्ट बोला.
”हां, तो?’’ सुनील बोला.
”सर, एक साथ एक ही अलाउड है, लेकिन आप ने 3 का नाम लिखा है.’’
”अरे कुछ नहीं होता…कर लो!’’ सुनील ने समझाते हुए एक तरह से आग्रह किया.
”सर, सभी का आईडी दीजिए.’’
”अरे, मैं हूं न! आईपीएस हूं…और तुम मुझ से ही बहस कर रहे हो!’’ सुनील बोला.
”क्यों नहीं मिस्टर सुनील, वह अपनी ड्यूटी निभा रहा है. तुम गलत हो और उसे भी गलत करने के लिए दबाव दे रहे हो.’’ उसी वक्त एसपी यादव वहां आ गए और उन्होंने सख्ती भरे अंदाज में कहा.
”सर, आप इसी की तरफदारी कर रहे हैं? हम लोगों के पीछे यहां कौन कितना काम करता है, नहीं जानते क्या आप?’’ सुनील बोला.
”लाओ, दिखाओ मुझे अपना आईडी कार्ड.’’ एसपी बोले.
”सर, आप एक आईपीएस पर शक कर रहे हैं?’’
”शक नहीं, विश्वास के साथ कहता हूं कि तुम गलत हो. मैं ने मुंबई में पता कर लिया है. वहां तुम्हारे नाम का सीबीआई में कोई है ही नहीं.’’ एसपी बोले.
”क्या बोल रहे हैं सर, मेरा आईडी देखिए सीबीआई का है.’’
”ऐसा है मिस्टर सुनील, मैं ने बांद्रा मुंबई में पोस्टेड सीबीआई विभाग में अभीअभी बात की है. वहां के औफिसर का कहना है कि सीबीआई से आईडी कार्ड जारी नहीं किया जाता, तुम फरजी आईपीएस हो. मुझे तो तुम पर संदेह उसी वक्त हो गया था जब तुम ने उल्टा सैल्यूट मारा था. जिसे सही सैल्यूट का पता नहीं हो, वह पुलिस का अफसर कैसे हो सकता है…’’
”सर, आप मुझ पर गलत आरोप लगा रहे हैं.’’ सुनील हकलाता हुआ बोला. सर्दी में चेहरे पर पसीने की बूंदें भी दिखने लगी थीं.
”मैं ने तुम्हारे तीनों आदमियों से भी पूछताछ की है…उन की बातें तुम्हारी बातों से मेल नहीं खाती हैं.’’
सुनील क्यों बना फरजी आईपीएस
एसपी भुवन भूषण यादव ने तुरंत फोन कर के स्थानीय पुलिस को बुला लिया. सुनील को तुरंत हिरासत में ले लिया गया. उसे उदयपुर की हाथीपोल थाने की पुलिस ने गिरफ्तार किया. उस के साथ उस के परिवार के 3 अन्य लोग इंद्राज सैनी, अमित कुमार चौहान और सत्यनारायण भी गिरफ्तार कर लिए गए थे. उस से पूछताछ होने पर उस ने अपने फरजीवाड़े का जुर्म स्वीकार कर लिया.
ऐसा कदम उठाने के संबंध में उस ने बताया कि उस का सपना आईएएस बनने का था, लेकिन नहीं बन पाया. तब उस ने ऐसा किया. उस ने 4 बार यूपीएससी की परीक्षा दी, लेकिन पास नहीं हो पाया. उसे बुरा लगा, लेकिन अपने आसपास के लोगों में रुतबा दिखाने के लिए दिल्ली जा कर कुछ समय गुजारा करने लगा. फिर सीबीआई का फरजी आईपीएस अधिकारी बन कर गांव लौटा.
संयोग से उसे बानसूर गांव के एक इंसपेक्टर का फरजी आईडी कार्ड भी मिल गया. एक आईपीएस में जितना रुतबा, रौब और दंबगई का जलवा होता है, उतना किसी और विभाग के अफसर में शायद नहीं होता. ऐसा सुनील सांखला का सोचना था. लेकिन शायद उस ने बचपन में पंचतंत्र की कहानी ‘रंगा सियार’ नहीं पढ़ी होगी, वरना वह न तो नकली वरदी पहनता और न ही असली पुलिस की नजरों में आ पाता.
हालांकि गांव वाले उसे पहले से ही काफी होनहार समझते थे, जब उन्होंने उस की करतूत के बारे में सुना, तब भौचक रह गए. उस के शातिराना ढंग के बारे में जिस ने भी सुना, दंग रह गया. उस ने न केवल नकली आईडी बनवाई और वरदी पहनी, बल्कि 2 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के लेटर हेड पर फरजी बधाई संदेश भी बनवा लिए. उस ने पूछताछ में बताया कि उस ने पुलिस वरदी औनलाइन मंगवाई थी. पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.
इंदौर का फरजी आईएएस
इंदौर के कंट्रोल रूम में 6 सितंबर, 2023 को एक काल आई. फोन करने वाले ने धमकाते हुए कड़क आवाज में कहा, ”हैलो! मेरी बात को ध्यान से सुनो. मैं दिल्ली पीएमओ से बोल रहा हूं. मेरे लिए दिल्ली में किसी अच्छे होटल में कमरा बुक करवा दो.’’
”आप कौन साहब बोल रहे हैं?’’ कंट्रोल रूम में औपरेटर की ड्यूटी पर बैठे कर्मचारी ने शालीनता से पूछा.
”बदतमीज! जयहिंद बोलना भी नहीं सीखा. सीधे मेरे बारे में पूछता है.’’ काल करने वाला व्यक्ति फिर कड़कती आवाज में बोला.
”सर, आप बताएंगे, तभी तो मैं जानूंगा कि आप कौन साहब हैं? धमकी के यहां सैकड़ों फोन आते रहते हैं…’’ औपरेटर बोला.
”यस ओके! मैं दिल्ली कैडर का अमित सिंह आईएएस हूं. मेरे लिए तुम्हें 2 काम अर्जेंट करने हैं…’’
”जय हिंद सर!’’ आईएएस शब्द सुनते ही औपरेटर ने अभिवादन किया.
”जय हिंद!…मेरे नाम से होटल में कमरा बुक करना है और हां, 2 मोबाइल सिम भी अरेंज करवा देना.’’ यह कहते हुए उस ने काल डिसकनेक्ट कर दी.
कंट्रोल रूम का औपरेटर दुविधा में पड़ गया कि होटल का कमरा किस नाम और आईडी से बुक करवाए…और सिम का क्या करे? जब कुछ समझ में नहीं आया, तब उस ने अपने अफसर से बात करने के लिए फोन मिला दिया.
वहां उसे मालूम हुआ कि इसी तरह का फोन लसूडिय़ा इलाके के पटवारी के पास भी आया था. वहां भी फोन करने वाले ने धमकी के अंदाज में कमरा बुक करवाने के लिए कहा था. लगता है कोई सनकी है या फिर फरजी.
कंट्रोल रूम का औपरेटर इस बारे में यही सोच रहा था कि क्या करे, क्या नहीं, तभी दोबारा उसी व्यक्ति का फोन आ गया. पहले जैसे रोबीले अंदाज में उस ने बात की. औपरेटर ने बात करते हुए उस से कौंटेक्ट नंबर मांग लिया ताकि उन्हें होटल बुकिंग की सूचना दे सके.
उधर मल्हारगंज में रहने वाले पटवारी संतोष चौधरी ने भी लसूडिय़ा थाने में शिकायत दर्ज कराई कि एक व्यक्ति आईएएस अधिकारी बन कर शादी करवाने के लिए धमका रहा है. वह बारबार काल कर के कह चुका है कि कोई लड़की हो तो बताओ, शादी करनी है.
उस के बाद इस की सूचना इंदौर क्राइम ब्रांच को भेज दी गई. क्राइम ब्रांच ने इस सूचना के संबंध में तहकीकात शुरू की. उन्हें संदेह इस बात का हुआ कि एक आईएएस अधिकारी विशेष तरह के प्रोटोकाल में रह कर कार्य करते हैं. उसी के तहत आदेश जारी किया जाता. सीधे कंट्रोल रूम में फोन नहीं करते हैं.
वह एक सिस्टम का हिस्सा होते हैं और उसी के तहत कामकाज किया जाता है. व्यक्तिगत काम के लिए फोन करना प्रोटोकाल के खिलाफ माना जाता है, जबकि फोन करने वाले ने न केवल होटल बुक करने का आदेश दिया था, बल्कि 2 सिमकार्ड उपलब्ध करवाने के लिए भी कहा था. इस पर तुरंत काररवाई की गई.
उसी रोज वह पकड़ा भी गया. लसुडिय़ा थाने की पुलिस ने उस से पूछताछ की, तब मालूम हुआ कि उस का नाम रामदास गुर्जर है और वह अंबाह मुरैना का रहने वाला है. उस से अपना जुर्म तुरंत स्वीकार कर लिया. इस बारे में एडिशनल डीसीपी (क्राइम ब्रांच) राजेश दंडोतिया के अनुसार उस के खिलाफ फरजी आईएएस के नाम पर धमकी देने और धमकी देने की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया.
पूछताछ में उस ने बताया कि उसे यह आइडिया ‘स्पैशल 26’ फिल्म देख कर आया था. यह स्पष्ट बताने से इनकार किया कि उस ने कितनों के साथ ठगी की है.
—विजय सोनी