20 अक्तूबर, 2023 की सुबह वायरलेस से पश्चिमी दिल्ली के थाना तिलक नगर को सूचित  किया गया कि एमसीडी स्कूल के पास एक काली पौलीथिन में किसी महिला का शव पड़ा है. सूचना थाने के एसएचओ संजीव कुमार को दी गई. वह एसआई विकास फुगेडिय़ा, एएसआई प्यारे लाल, दीपक, हैडकांस्टेबल मोहित को साथ ले कर तुरंत घटनास्थल की ओर रवाना हो गए.

सुबह के पौने 9 बजे का वक्त हो गया था. धूप खिल गई थी. सुबह का वक्त होने के कारण अभी सड़कों पर ट्रैफिक का ज्यादा जोर नहीं था. इसलिए पुलिस टीम जल्दी ही घटनास्थल पर पहुंच गई.

घटनास्थल के पास काफी भीड़ जमा हो चुकी थी. एमसीडी स्कूल के पास लाश पड़ी है, यह सूचना आग की तरह आसपास के इलाकों में भी फैल गई थी. वहां के निवासी यह जानने की जिज्ञासा लिए घटनास्थल की तरफ जा रहे थे कि मरने वाली कौन महिला है. पुलिस वैन वहां पहुंची तो भीड़ काई की तरह छंटती चली गई. तमाशबीन लोग वहां से गए नहीं, केवल लाश से कुछ दूरी बना कर खड़े हो गए.

एसएचओ संजीव कुमार, एसआई विकास और एएसआई प्यारे लाल उस काली पौलीथिन के पास आ गए.

पुलिस ने लाश से पौलीथिन पूरी तरह हटा दी तो उस में एक गोरी चमड़ी वाली विदेशी युवती की लाश निकली. उस की उम्र 30 साल की लग रही थी. सब से चौंकाने वाली बात यह थी कि युवती के हाथपैरों में लोहे की जंजीर बंधी थी. जंजीर में ताला भी लगा था.

युवती को इस प्रकार जंजीरों से बांध कर ताला क्यों लगाया गया है, वहां मौजूद पुलिस टीम की समझ में नहीं आया. युवती के जिस्म पर चोट के निशान देख कर यह अनुमान लगाया गया कि इस की हत्या करने से पहले इसे प्रताडि़त किया गया होगा.

एसएचओ संजीव कुमार ने लाश के बारे में डीसीपी विचित्र वीर और एसीपी सुरेंद्र कुमार को सूचित कर दिया, क्योंकि वह युवती विदेशी मूल की थी.

SK SINGH INSP

इंस्पेक्टर एस के सिंह

युवती की लाश तिलक नगर क्षेत्र में एमसीडी स्कूल के पास मिलने की जानकारी दे दी. इस के बाद उन्होंने फोरैंसिक टीम को वहां बुलवा लिया. यह टीम अपने काम में लग गई. थोड़ी देर में डीसीपी विचित्र वीर और एसीपी सुरेंद्र कुमार मौके पर आ गए. दोनों ने लाश का बारीकी से निरीक्षण किया. वहां पर हत्यारे ने ऐसा कोई सुराग नहीं छोड़ा था.

एसीपी सुरेंद्र कुमार

डीसीपी विचित्र वीर के कहने पर एसएचओ संजीव कुमार ने एक घंटे के अंदर स्पैशल टीम और दीनदयाल उपाध्याय हौस्पिटल से 2 डाक्टरों को वहां बुला लिया.

डाक्टरों ने युवती की लाश की जांच कर के बताया कि काफी टौर्चर करने के बाद युवती को गला घोंट कर मारा गया है. इस की मौत 3 दिन पहले हुई है, लाश सडऩे लगी है.

इंस्पेक्टर हरी सिंह

डीसीपी ने वहां लगे सीसीटीवी कैमरे चैक करने के निर्देश दिए. स्पैशल टीम और थाना पुलिस टीम ने सड़कों पर लगे हुए सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चैक करनी शुरू की तो एक कैमरे में उस स्थान पर जहां लाश पाई गई थी, एक सैंट्रो कार नजर आई.

कार की दिशा से अनुमान लगाया गया कि इसी कार में हत्यारा युवती की लाश को यहां ले कर आया और लाश फेंक कर चला गया है. कार की नंबर प्लेट को जूम कर के देखने पर नंबर स्पष्ट हो गया. उसे नोट कर लिया गया.

फोरैंसिक टीम ने वहां से काफी सूक्ष्म सुराग एकत्र कर लिए थे. सभी काररवाई पूरी कर लाश का पंचनामा तैयार कर के लाश को दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया.

हत्यारे तक कैसे पहुंची पुलिस

पुलिस टीम ने ट्रांसपोर्ट अथारिटी से सैंट्रो कार के रजिस्ट्रैशन नंबर से मालिक का पता निकाल लिया.

उस के पास पुलिस टीम पहुंची तो उस ने बताया कि उस ने सैंट्रो कार को जनकपुरी में एक युवती को 2 महीने पहले बेच दिया था. उस के पास से सैंट्रो कार खरीदने वाली युवती का जो एड्रैस मिला, वह जांच करने पर फरजी निकला.

पुलिस टीम का नेतृत्व खुद एसएचओ संजीव कुमार कर रहे थे. उन्होंने टीम के सभी सदस्यों में नया जोश भरते हुए आदेश दिया, ”सैंट्रो कार हमें हत्यारे तक पहुंचाएगी. आप सभी जनकपुरी के चप्पेचप्पे पर तलाश करें. कार जनकपुरी के एड्रैैस पर फरजी तरीके से ली गई है, उम्मीद है कि हत्यारा जनकपुरी का ही होगा. मैं समझता हूं कि कोशिश करने पर हमें सफलता अवश्य मिलेगी.’’

पुलिस टीम जनकपुरी में फैल गई. जनकपुरी की हर गली को देखा गया, खाली मैदान और कार पार्किंग में भी चैक किया गया. मेहनत की गई तो उस में पुलिस को सफलता भी मिल गई.

जनकपुरी के बी ब्लौक क्षेत्र में एक जगह वह संदिग्ध सैंट्रो कार पुलिस को खड़ी मिल गई. वहां मौजूद 2-3 युवकों से कार के मालिक के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बता दिया कि यह कार यहां रहने वाले गुरप्रीत सिंह की है. उन्होंने दूर से ही पुलिस को गुरप्रीत का मकान भी दिखा दिया.

पुलिस ने उस मकान के दरवाजे पर पहुंच कर घंटी बजाई तो दरवाजा खोलने वाला व्यक्ति पुलिस देख कर उलटे पैर भागा. पुलिस ने दौड़ कर उसे अंदर दबोच लिया. पूछने पर उस ने अपना नाम गुरप्रीत सिंह बताया.

पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. उसे और सैंट्रो कार को साथ ले कर पुलिस टीम थाना तिलक नगर लौट आई.

क्यों की गई लीना की हत्या

गुरप्रीत सिंह के पकड़े जाने की जानकारी डीसीपी विचित्रवीर और एसीपी सुरेंद्र कुमार को दे दी गई. उच्चाधिकारियों के सामने गुरप्रीत से पूछताछ शुरू की गई.

”क्या नाम है तुम्हारा?’’एसएचओ संजीव कुमार ने पूछा.

”गुरप्रीत सिंह है साहब.’’

”इस युवती को पहचानते हो?’’संजीव कुमार ने मोबाइल से ली गई विदेशी युवती की लाश का फोटो गुरप्रीत को दिखा कर प्रश्न किया

”यह लीना बर्गर है साहब, स्विट्जरलैंड में रहती है.’’

”स्विटजरलैंड की है तो यह तुम्हारे संपर्क में कैसे आ गई थी?’’

”यह मेरी दोस्त थी साहब. मैं 2021 में पहली बार स्विट्जरलैंड गया था, तब यह मेरे संपर्क में आ गई थी.’’

”तुम ने इस की हत्या क्यों की?’’

गुरप्रीत तुरंत जवाब नहीं दे सका. संजीव कुमार ने उसे घूरा, ”मेरी बात का जवाब दो, तुम ने लीना बर्गर की हत्या क्यों की?’’

”मैं उसे चाहने लगा था, साहब.’’गुरप्रीत ने लंबी सांस भर कर कहा, ”लीना मुझे अच्छी लगती थी. मैं ने उस के सामने शादी का प्रस्ताव रखा, लेकिन वह किसी और को प्यार करती थी, उस से शादी करना चाहती थी. मुझे इसी बात पर गुस्सा आ गया और मैं ने उस की हत्या कर दी.’’

”यदि तुम को लीना की हत्या करनी थी तो तुम ने उस के हाथपांव लोहे की जंजीर से बांध कर ताला क्यों लगाया? तुम ने उस की हत्या करने से पहले उसे टौर्चर भी किया था, इस की क्या वजह थी?’’इस बार डीसीपी विचित्रवीर ने प्रश्न कर दिया.

”मैं लीना को डराधमका कर अपने पक्ष में करना चाहता था. इसीलिए मैं ने उसे जंजीर से बांधा और पीटा भी था.’’

”तुम ने लीना बर्गर को कब मारा था?’’

”तारीख मुझे याद नहीं है साहब. हां, मैं यह कुबूल करता हूं कि लीना की हत्या कर देने के बाद मैं ने लाश को कार में रखा. 2 दिन तक लाश कार में रख कर मैं दिल्ली की सड़कों पर घूमता रहा, लेकिन मुझे कहीं भी लाश फेंकने के लिए उचित ठिकाना नहीं मिला.

”तीसरे दिन मैं लाश को ले कर रात के वक्त घर से निकला. मैं ने लाश को काली पौलीथिन में बांध दिया था ताकि उस में से बदबू न फैले. मैं रात के अंधेरे में सुनसान पड़े एमसीडी स्कूल के पास आया और लाश वहां डाल कर भाग गया.’’

गुरप्रीत ने खोले गहरे राज

”तुम्हारा मोबाइल फोन कहां पर है?’’एकाएक डीसीपी विचित्र वीर ने पूछ लिया.

”वह तो घर पर ही रह गया है साहब.’’

लीना बर्गर के हत्यारे गुरप्रीत सिंह के मोबाइल को पुलिस ने कब्जे में ले कर देखा तो उस में गुरप्रीत के संपर्क में कितने ही विदेशी युवकयुवतियों के कौंटेक्ट नंबर मिले. इस के अलावा उस के फोन पर विदेशी लोगों ने लाखों रुपया पेटीएम व अन्य ऐप द्वारा भेजा था.

यह ऐसी जानकारी थी, जिस के खुलासे ने यह जाहिर कर दिया कि गुरप्रीत कोई मामूली व्यक्ति नहीं है. वह अपने अंदर बहुत गहरे राज छिपाए हुए है. यह जानने के लिए उसे रिमांड पर लेना जरूरी हो गया. इस से पहले उस के मोबाइल को खंगालने के लिए मोबाइल सर्विलांस विभाग के हवाले कर दिया गया.

किसी मकसद से उस ने लीना बर्गर को फांसा था, यह मोबाइल जांच से मालूम हो सकता था.

गुरप्रीत को दूसरे दिन न्यायालय में पेश कर के 3 दिन की रिमांड पर ले लिया गया.  रिमांड के दौरान गुरप्रीत ने जो कुछ बताया, वह इस प्रकार है—

33 साल का गुरप्रीत बांका नौजवान था. उस के पिता अर्जुन सिंह खुद को तंत्रमंत्र का महान ज्ञाता बताते थे. पश्चिमी दिल्ली में उन्होंने तंत्रमंत्र की दुकान खोल रखी थी, जिस में टोनेटोटके, जादू आदि से संबंधित पुस्तकें, रत्न और ज्योतिष का सामान बेचा जाता था. वह परेशान, कारोबार में विफल, धन की हानि होने और प्रेम मिलन बाधा होने वाले व्यक्तियों का अपनी दुकान में तंत्रमंत्र और पूजाहवन द्वारा समाधान करने का दावा भी करते थे.

भारत भ्रमण पर आए कुछ विदेशी युवतियां और युवक उन के संपर्क  में आ गए थे. उन के द्वारा अर्जुन सिंह ने अपनी रत्न ज्योतिष की दुकान का विदेशों तक विस्तार कर लिया था.

गुरप्रीत अपने पिता के साथ ही ज्यादा रहता था. धीरेधीरे वह भी उन के नक्शेकदम पर चलने लगा. उस ने पिता को ज्योतिष अथवा मंत्रों द्वारा उपचार करते कई बार देखा था. उस ने भी वह पिता से सीख लिया और उन के नाम को आगे बढ़ाने लगा.

उस ने 2-3 बार हवाई जहाज में सफर कर के विदेशी धरती पर कदम रखा, वहां अपने दरजनों भक्त बनाए. उन को अपने ज्योतिष चमत्कार से प्रभावित कर के उन से धन भी प्राप्त किया. हालांकि उसे ज्योतिष और तंत्रमंत्र का इतना ज्ञान नहीं था, पर वह तिकड़मबाजी से अपने क्लाइंट को संतुष्ट करने में हमेशा सफल हो जाता था. उस ने विदेशी रूबल, डालर में बहुत धन कमाया.

स्विस महिला लीना का गुरप्रीत से कैसे हुआ संपर्क

एक बार वह स्विटजरलैंड गया हुआ था. वहां एक स्विस व्यक्ति का उसे मानसिक उपचार करना था. गुरप्रीत ने उस व्यक्ति को पूजापाठ करने का विधान समझा कर पूजा करने का दिन तय किया. जोजो सामान पूजा के लिए चाहिए था, वह मंगवाया और निश्चित दिन वह उस व्यक्ति के घर पूजा करने पहुंच गया.

वहां एक खूबसूरत स्विस युवती लीना बर्गर भी आई हुई थी. लीना बर्गर एक प्राइवेट फर्म में नौकरी करती थी. उस की अपने काम को ले कर हमेशा टेंशन बनी रहती थी. उस की फर्म घाटे में चल रही थी, वह बंद हो जाती तो लीना बर्गर को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ता.

यही टेंशन लीना बर्गर को रातदिन परेशान करती थी. उस की पहचान वाले एक व्यक्ति ने अपने मानसिक इलाज के लिए भारत के गुरप्रीत को अपने आवास पर बुलाया तो जिज्ञासावश लीना बर्गर भी वहां आ गई.

गुरप्रीत ने पूजापाठ का पूरा आडंबर रच कर उलटेसीधे मंत्रों का उच्चारण शुरू किया तो लीना बर्गर उस से बहुत प्रभावित हो गई. उस मानसिक विकार वाले व्यक्ति को गुरप्रीत के मंत्रोजाप और पूजापाठ से कुछ लाभ हुआ या नहीं, यह लीना ने नहीं पूछा, लेकिन उस ने गुरप्रीत को अपने घर आमंत्रित कर लिया.

गुरप्रीत ने दूसरे दिन लीना बर्गर के घर की काल बेल बजा दी. लीना ने दरवाजा खोल कर उसे सम्मान से अंदर बुलाया. उस की बहुत खातिरदारी की. फिर अपनी परेशानी बताई.

गुरप्रीत ने मुसकरा कर चुटकी बजाते हुए कहा, ”बस इतनी सी बात पर आप परेशान हो. मैं आप की समस्या चुटकी बजाते दूर कर दूंगा.’’

”मैं आप का एहसान जिंदगी भर मानूंगी गुरप्रीतजी, आप को जो सामान चाहिए बता दीजिए. जो फीस आप लेंगे वह भी मैं दूंगी. आप अपना काम शुरू कर दीजिए.’’

गुरप्रीत ने उसे पूजा के सामान की लिस्ट थमा दी. लीना ने सामान ला दिया तो एक दिन गुरप्रीत ने हवन का पूरा ड्रामा रच कर लीना बर्गर को संतुष्ट कर दिया.

इसे चमत्कार समझो या गुरप्रीत की किस्मत, लीना बर्गर की मानसिक परेशानी कुछ हद तक ठीक हो गई. उस की फर्म भी फिर से स्टैंड होने लगी.

लीना बर्गर गुरप्रीत से बहुत प्रभावित हो गई थी. गुरप्रीत भारत लौट आया, तब भी लीना उस के संपर्क में रही. लीना धनी थी. गुरप्रीत की नजरें उस की दौलत पर जम गईं. वह लीना को पूजापाठ के जाल में उलझा कर उस से ज्यादा से ज्यादा पैसे ऐंठ लेना चाहता था.

वह इसी चक्कर में 2-3 बार स्विटजरलैंड गया. लीना बर्गर ज्यूरिख में रहती थी. गुरप्रीत ने वहां उस के यहां पूजापाठ का आयोजन कराया और हर बार लीना से मोटी रकम डालर के रूप में ले कर वह वापस आया.

अब वह लीना को उस मुरगी की तरह एक ही बार में काट डालना चाहता था, जो सोने के अंडे देती थी.

लीना को जंजीर से किस ने और क्यों बांधा?

उस ने अंतिम हवन पूजा के नाम पर लीना बर्गर को भारत बुलाया. लीना बर्गर 11 अक्तूबर, 2023 को दिल्ली आ गई और एक होटल में ठहरी. इस बीच गुरप्रीत उस से होटल में मिलता रहा. 16 अक्तूबर, 2023 को उस ने पश्चिमी दिल्ली के तिलक नगर से एक जंजीर और ताला खरीद लिया और शाम को लीना बर्गर को अपने घर बुला लिया.

गुरप्रीत के पिता उस समय पेरिस में थे. घर में गुरप्रीत अकेला था. लीना बर्गर घर आई तो गुरप्रीत ने उसे चाय पिलाई, फिर उस से कहा कि वह उसे एक ऐसा जादू दिखाएगा जो उसे हैरत में डाल देगा.

लीना बर्गर जादू देखने को तैयार हो गई तो गुरप्रीत ने लोहे की जंजीर से लीना के हाथपांव बांध कर ताला लगा दिया. लीना जिसे जादू समझ रही थी, वह गुरप्रीत का वहशी रूप था.

लीना के हाथपांव जंजीर और ताले से बांध देने के बाद गुरप्रीत ने रंग बदला. उस ने लीना से कहा कि यह अपने बैंक से सारा रुपया उस के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दे, तभी वह उसे आजाद करेगा. नहीं मानेगी तो वह उस की जान ले लेगा.

लीना बर्गर ऐसा करने को तैयार नहीं हुई तो गुरप्रीत ने उसे बेरहमी से पीटा, सिगरेट से जलाया. जब लीना किसी भी तरीके से नहीं मानी हो उस ने लीना की गरदन दबा कर हत्या कर दी और लाश को पौलीथिन में डाल कर 2 दिन उसे सही जगह ठिकाने लगाने की कोशिश करता रहा. तीसरे दिन उस ने इलाके के ही एमसीडी स्कूल के पास रात के वक्त वह लाश फेंक दी.

गुरप्रीत के इस खुलासे के बाद उस को साथ ले कर उस के घर की तलाशी ली गई. उस के घर से पौने 2 करोड़ रुपए, 4 रिवौल्वर लीना बर्गर का लैपटाप, पासपोर्ट, वीजा, मोबाइल फोन और अन्य दस्तावेज बरामद कर लिए गए.

गुरप्रीत के बैंक खाते में लाखों रुपयों के लेनदेन का भी पता लगा. पुलिस ने इस की सूचना इनकम टैक्स विभाग को दे दी. गुरप्रीत पर एफआईआर 712/2023 धारा 302/201 आईपीसी के तहत अपराध दर्ज कर के उसे न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

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लीना बर्गर की हत्या की सूचना डीसीपी विचित्र वीर ने स्विस दूतावास को दे कर उन से लीना बर्गर का पोस्टमार्टम और अंतिम क्रियाकर्म भारतीय रीतिरिवाज से करने की अनुमति मांग ली. लीना बर्गर का लैपटाप, मोबाइल एफएसएल टीम को जांच के लिए सौंप दिया गया.

लीना बर्गर का दीन दयाल उपाध्याय हौस्पिटल में पोस्टमार्टम करवाने के बाद रिपोर्ट में उस को टौर्चर करने और गला घोंट कर मार देने की बात सामने आई. पोस्टमार्टम होने के बाद लीना बर्गर का भारतीय रीतिरिवाज से अंतिम संस्कार करवा कर उस की राख को स्विस दूतावास के हवाले कर दिया गया.

कथा लिखे जाने तक मृतका लीना बर्गर का कोई रिश्तेदार दिल्ली नहीं आया था. कथा लिखने तक पुलिस लीना बर्गर के हत्यारे गुरप्रीत को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने के लिए उस के खिलाफ चार्जशीट तैयार करने में लगी थी.

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