बाल्टी में बच्चा पड़ा था. अगले पल जब बाल्टी पर नजर गई तब उगमराज की चीख निकल गई. असल में 7 महीने का गुन्नू (Gunnu) बाल्टी के पानी में ही (Balti Me Mili Lash) औंधे मुंह उलटा पड़ा था.
उसे तुरंत बाहर निकाला गया. उगमराज चीखते हुए बोले, ”किस ने किया ऐसा. गुन्नू बाल्टी के पानी में कैसे आ गया?…और बाल्टी यहां कहां से आई? कौन लाया इसे यहां..?’’
एक तरफ शोभा अपने बेटे की मौत के गम को नहीं झेल पा रही थी, दूसरी तरफ घर के सभी लोग इस बात को ले कर परेशान थे कि वह कौन निर्दयी कौन हो सकता है, जिस ने मासूम बच्चे को इतनी बेरहमी से मारा होगा? पुलिस भी इस का कोई कारण नहीं तलाश पाई थी.
राजस्थान (Rajasthan) के पाली (Pali) जिले का एक कस्बा है बर. यहां की न्यू कालोनी में रहने वाले चंपालाल चौहान के घर सुबह से ही गहमागहमी थी. उन के यहां एक घरेलू आयोजन चल रहा था. वहां आसपास के लोगों के साथ पड़ोसी भीकमचंद चौहान भी आमंत्रित थे. भीकमचंद के खुशहाल परिवार में 2 बेटे थे उत्तम चंद और उगमराज.
उत्तम चंद के परिवार में 2 बेटे और एक बेटी थी, जबकि उगमराज के घर 10 साल की बेटी के बाद 7 माह पहले ही एक बेटा पैदा हुआ था. उसे पूरा परिवार प्यार से गुन्नू बुलाता था. गुन्नू अपनी मां शोभा की तो आंखों का तारा था. वह उसे पलभर के लिए भी अपनी आंखों से ओझल नहीं होने देती थी. दरअसल, बेटी के जन्म के बाद बड़ी मुश्किल से गुन्नू का जन्म हुआ था. इस से पहले वह 4 बार गर्भपात की पीड़ा भी झेल चुकी थी.
दोनों भाइयों की खुशहाल जिंदगी संयुक्त परिवार में बीत रही थी. आपसी मेलजोल बना हुआ था. उन के परिवार के लोग चंपालाल परिवार के बुलावे पर दिन में करीब 3 बजे उन के घर गए थे. संयोग से उस वक्त गुन्नू सो रहा था. उस की मां शोभा ने अपने कमरे में लगे झूले में सुला कर दरवाजे की कुंडी बाहर से लगा दी थी. उस वक्त भीकमचंद के मकान में मरम्मत का काम भी चल रहा था. वहां 6 मजदूर काम पर लगे हुए थे.
शोभा को गुन्नू के सोने के समय का पता था. इस कारण वह उसे सोता छोड़ कर पड़ोस में चली गई थी. 2 जुलाई, 2023 की शाम के करीब पौने 5 बजे शोभा का पति उगमराज मजदूरों के काम को देखने के लिए अपने घर गया. मजदूरों से मिल कर वह अपने कमरे में भी गया. वहां झूले पर गुन्नू को नहीं पाया तो उसे थोड़ी चिंता हुई. कारण, शोभा ने उसे बताया था कि वह गुन्नू को झूले पर सुला कर आई है.
उगमराज को न जाने क्या सूझी तुरंत चंपालाल के घर चला गया. वहां शोभा की गोद में गुन्नू को नहीं पा कर पूछ बैठा, ”गुन्नू कहां है?’’
शोभा गुन्नू के बारे में अचानक पूछे जाने पर हैरान हो गई. वह बोली, ”गुन्नू कहां है! झूले पर सो रहा होगा.’’
”…लेकिन वह तो झूले में नहीं है.’’
”नहीं है… क्या मतलब है तुम्हारा? उसे तो मैं अपने कमरे में झूले पर सुला आई थी. मैं ने बताया तो था तुम्हें.’’ शोभा आश्चर्य से बोली.
”वो वहां नहीं है.’’
”तो फिर उसे झूले से कौन ले गया? कहीं उस झूले से जमीन पर तो नहीं गिर गया?’’ बोलती हुई शोभा तुरंत अपने घर गई. उन की बातें उगमराज की भाभी गुड़िया ने भी सुनी. वह भी शोभा और उगमराज के साथ अपने देवर के कमरे में आ गई. सभी ने देखा झूला खाली था. नीचे जमीन पर या आसपास भी गुन्नू नहीं दिख रहा था.
घर में सभी गुन्नू के नहीं मिलने पर चिंतित हो गए. वे इधर उधर ढूंढने लगे. उसे तलाशते हुए उगमराज घर के स्टोर रूम में चला गया. वहां रखी बाल्टी से उस के पैर टकरा गए. उस में रखा पानी छलक कर उस के पैर पर जा गिरा.
उगमराज खीझता हुआ बोला, ”स्टोररूम में बाल्टी, वह भी पानी से भरी हुई? यह मजदूरों का ही काम होगा. शोभा की नजर बाल्टी पर गई तो उस में उस का बेटा गुन्नू पड़ा था.
”पानी की बाल्टी में यह कैसे आ गया?’’ कहते हुए शोभा ने झट से गुन्नू को अपने सीने लगा लिया. लेकिन यह क्या, उस ने पाया कि उस की सांसें और दिल की धड़कनें सभी बंद हैं. वह रोने लगी. चीखने लगी. बिफरने लगी. बोली, ”चलो, जल्द ले चलो इसे डाक्टर के पास!’’
उगमराज और दूसरे लोगों ने बच्चे की नाक के पास हाथ ले जा कर चैक किया, उस की सांसें जरा भी नहीं चल रही थी. उस की मौत हो चुकी थी.
इस की सूचना पुलिस को भी दे दी गई. बर थाने के एसएचओ सुखदेव सिंह उगमराज के घर आ गए. उन्होंने बच्चे के मातापिता और घर के अन्य सदस्यों से किसी पर शक होने की जानकारी लेनी चाही. किसी ने इस बारे में कुछ नहीं बताया. कुछ लोगों ने वहां काम करने वाले मजदूरों पर संदेह जताया, लेकिन उन से पूछताछ पर कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई.
थोड़ी देर के लिए बच्चे की हत्या का आरोप घर में काम करने वाले मजदूरों पर भी लगा, लेकिन उन से पूछताछ के बाद कोई नतीजा नहीं निकला.
घटना के अगले दिन 3 जुलाई, 2023 को बच्चे के मातापिता और दूसरे परिजनों ने सरपंच महेंद्र चौहान के साथ अस्पताल में काफी हंगामा किया और हत्यारे की गिरफ्तारी की मांग करने लगे.
इस हंगामे की सूचना पा कर जेतारण की सीओ सीमा चोपड़ा अस्पताल पहुंच गईं. उन्होंने किसी तरह धरना प्रदर्शन को शांत करवाया और गुन्नू की हत्या का मामला बर थाने में दर्ज करवा दिया. रिपोर्ट में संदेह के आधार पर 2 लोगों पर हत्या का आरोप लगाया गया.
इस वारदात की जांच के सिलसिले में सीओ सीमा ने घटनास्थल की जांच की. उन्होंने पाया कि भीकमचंद के मकान की पहली मंजिल पर निर्माण का कार्य चल रहा था. वहां मजदूरों के अलावा राजमिस्त्री भी थे. मरम्मती का काम भीकमचंद और उन की पत्नी की देखरेख में ही चल रहा था. जांच के दौरान परिजनों का पूरा विवरण जुटाया गया.
पुलिस की पूछताछ 2 दिनों तक लगातार हुई. परिवार, रिश्तेदार, मजदूर और पासपड़ोस के दोस्त आदि से भी गहन पूछताछ हुई. उन से निकाले गए निष्कर्ष के आधार पर शक की सुई परिवार के ही एक सदस्य पर जा टिकी. वह और कोई नहीं मृतक की चाची गुड़िया थी.
पुलिस ने पाया कि गुन्नू की मौत से सब से ज्यादा दुखी गुड़िया थी. उस का रोरो कर बुरा हाल था. रोने से उस की भी तबीयत खराब हो गई थी, जिस से उसे अस्पताल में भरती करवाना पड़ा था.
पानी भरी उस बाल्टी की भी जांच की गई, उस में सुनहरे रंग के सितारे नजर आ रहे थे. उसे देखते ही जांच अधिकारी का माथा ठनका, क्योंकि उसी तरह के कुछ सितारे गुड़िया के चेहरे पर भी चिपके हुए थे और उस ने जो चुन्नी ओढ़ रखी थी, उस पर भी वैसे ही गोल्डन रंग के सितारे लगे हुए थे. जांच की इस जानकारी के बाद पुलिस का गुड़िया पर शक होना स्वाभाविक था. अब जरूरत इस की पुष्टि होने की थी.
हालांकि इस बारे में जांच टीम आश्वस्त थी कि गुन्नू की हत्या में गुड़िया का हाथ हो सकता है. उस की स्थिति में सुधार होने पर सुखेदव सिंह ने पूछताछ के लिए उसे थाने बुलवाया. पूछताछ के लिए जांच टीम ने काफी समझदारी से काम लिया. उस से मनोवैज्ञानिक तरीके सवाल पूछे गए.
पहले तो गुड़िया ने खुद को निर्दोष बताया, लेकिन जल्द ही वह सीओ सीमा चोपड़ा के उलझे हुए सवालों में फंस गई. उसे बाल्टी में मिले गोल्डन सितारों के बारे में बताया गया और उसे झूठ बोलने वाली मशीन से पूछताछ करवाने की बात कही.
सीमा ने उस से पूछा, ”सचसच बताना, तुम 2 जुलाई को उस वक्त मजदूरों के लिए चाय बनाने के लिए घर आई थी न, जिस समय गुन्नू की मां चंपालाल के यहां खाना खा रही थी?’’
”हां, आई थी.’’ गुड़िया बोली.
”तुम ने चाय बनाई थी?’’
”नहीं, मैं ने चाय नहीं बनाई थी.’’ गुड़िया तुरंत बोली.
”तब तुम ने चंपालाल के घर पर महिलाओं से क्यों बोला कि मजदूरों को चाय पिला कर आ रही है?’’
इस क्रौस सवाल पर गुड़िया उलझ गई. जवाब देने के बजाए ‘हां’ ‘न’ करने लगी. उस की सकपकाहट को देख कर सीमा चौधरी ने एक जबरदस्त डांट लगाई और झापड़ मारने के लिए हाथ उठाया ही था कि गुड़िया घबराहट के साथ बोल पड़ी, ”जी…जी मैडम! में बताती हूं…सब कुछ बताती हूं…’’ बोलते बोलते गुड़िया रोने लगी.
कुछ सेकेंड बाद दुपट्टे से आंसू पोंछती हुई बोलने लगी, ”मुझ से बहुत बड़ा अपराध हो गया, मैं ने गुन्नू की हत्या का अपराध किया है. मुझे जो सजा देनी है, दे दीजिए, लेकिन उस से गुन्नू वापस तो नहीं आ जाएगा न!’’
”तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई एक दुधमुंहे बच्चे को मारने की? उसे तुम ने बेरहमी से पानी में डुबो कर मार डाला… तुम तो बड़ी निर्दयी हो.’’ सीओ डपटती हुई बोली.
”मैडमजी, यही तो मुझे समझ में नहीं आया… मैं ने यह सब संपत्ति के लालच में किया. मैं चाहती थी कि हमारी पुश्तैनी संपत्ति मेरे बेटों को ही मिले… मैं लालच में अंधी हो गई थी.’’
गुड़िया द्वारा फैमिली क्राइम (Family Crime) करने की बात स्वीकार लिए जाने के बाद उसे न्यायिक हिरासत में ले लिया गया. उस के बाद जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—
थाना बर के अंतर्गत न्यू कालोनी में रहने वाले भीकमचंद ने दोनों बेटों उत्तमचंद और उगमराज को अलगअलग कपड़े की दुकान खुलवा दी थी. उत्तमचंद की दुकान बालुंदा गांव में थी, जबकि उगमराज की दुकान बर में ही थी.
दोनों सुबह होते ही अपनीअपनी दुकानों के लिए निकल पड़ते थे. दिन भर दुकान संभालने के बाद शाम को घर वापस लौट आते थे. दोनों संयुक्त परिवार में ही रह रहे थे. परिवार में सब कुछ ठीक चल रहा था, सिर्फ गुड़िया के मन में ही खलबली मची रहती थी.
उसे बेटे की कमी खलती थी. जब भी वह शोभा के छोटे बेटे गुन्नू को देखती थी, उस के दिल में एक टीस उभरती थी, किंतु मन मसोस कर रह जाती थी. गुन्नू के जन्म के बाद से ही उस के व्यवहार में बदलाव आ गया था. इस के जन्म से पहले गुड़िया चाहती थी कि देवर उगमराज उस के 2 बेटों में से एक को गोद ले ले.
इस के पीछे उस की मानसिकता संपत्ति का बंटवारा होने से रोकने की थी. उसे पता था कि संपत्ति का आधा भाग गोद दिए बेटे को मिल जाएगा. किंतु गुन्नू के पैदा होने पर उस की सोच पर पानी फिर गया. उस के बाद उस के दिमाग को संपत्ति के एक और हकदार की बात कचोटने लगी.
गुड़िया को संपत्ति के बंटवारे का डर सताने लगा. वह देवरानी शोभा से जलने लगी. क्योंकि उस की हरसत पर पानी फिर गया था. उस के बाद ही उस ने गुन्नू की हत्या की योजना बना ली थी. उसे सिर्फ मौके की तलाश थी, जो उसे चंपालाल के यहां घरेलू आयोजन के मौके पर 2 जुलाई को मिल गया था.
उस रोज गुड़िया भी चंपालाल के यहां कार्यक्रम में शामिल थी. कार्यक्रम के दौरान जब भोजन की तैयार होने लगी, तब गुड़िया मजदूरों को चाय देने के बहाने से अपने घर आ गई. वहां उस ने गुन्नू को झूले में सोया देखा. उस की आंखों में तब तक चमक आ चुकी थी. वह स्टोर में रखी बाल्टी बाहर ले आई. उस में मटके का पानी भर दिया. पानी भरी बाल्टी दोबारा स्टोर में रख आई.
गुड़िया ने गहरी नींद में सो रहे गुन्नू को उल्टा कर के पानी भरी बाल्टी में डाल दिया. वह पानी में छटपटाने लगा. कुछ देर तक उस की छटपटाहट वह देखती रही. जब उस की सांस रुकने के बाद पानी के बुलबुले आने बंद हो गए, तब गुड़िया चुपके से चंपालाल के यहां कार्यक्रम में चली आई.
गुन्नू के पानी में छटपटाने के दरम्यान गुड़िया की सितारों लगी चुन्नी पानी में गिर कर गुन्नू की देह पर लिपट गई थी. जिस से उस के कुछ सितारे बाल्टी के तले और गुन्नू के शरीर पर भी चिपक गए थे.
गुड़िया द्वारा अपना जुर्म स्वीकारे जाने के बाद उस के बयान को कलमबद्ध कर लिया गया था. पूरे मामले की जांच के बाद गुड़िया 5 जुलाई, 2023 को कोर्ट में पेश कर दी गई थी. वहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित