शाम तक घर का माहौल खुशनुमा था. डिंपल ने हंसीखुशी शाम का खाना बनाया और सभी ने अपने पापा सुंदर लाल के साथ बैठ कर खाना खाया. उस के कुछ देर बाद ही सुंदर लाल के घर से चीखनेचिल्लाने की आवाजें आने लगीं.
चूंकि सुंदर लाल अपने घर में अकेले ही रहते थे. इसी कारण अचानक ही उन के घर से रोनेचिल्लाने की आवाजें सुन कर पड़ोस में रह रहे उन के भाई ओमप्रकाश व अन्य लोग उन के घर पर पहुंचे. सुंदर लाल के घर पहुंचते ही उन्होंने कई बार घर के दरवाजे पर दस्तक दी, लेकिन किसी ने भी दरवाजा नहीं खोला. काफी आवाज लगाने पर भी घर का दरवाजा नहीं खुला तो लोगों ने घर का दरवाजा तोड़ डाला.
जब लोग घर में घुसे तो अंदर सुंदर लाल का खून से लथपथ शव पड़ा हुआ था. जिस ने भी सुंदर लाल का शव देखा, वह सिहर उठा. सुंदर लाल के मुंह में कपड़ा ठूंसा हुआ था. उन के हाथपांव रस्सी से बांधे हुए थे.
अल्मोड़ा जिले के लमगड़ा थाने से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित एक गांव पड़ता है भांगा देवली. इसी गांव में रहते थे भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के सेवानिवृत्त जवान सुंदर लाल. सुंदर लाल की पत्नी की 2018 में मृत्यु हो गई थी. उन के 3 बच्चे थे, जिन में सब से बड़ी बेटी 25 वर्षीय डिंपल, उस के बाद 21 वर्षीय बेटा रितिक और सब से छोटी नाबालिग बेटी अंशिका (काल्पनिक नाम) थी. तीनों ही बच्चे अपने पिता के देहरादून स्थित सरकारी क्वार्टर में रहते थे.
सुंदर लाल की सब से बड़ी बेटी डिंपल एक निजी स्कूल में टीचर थी. बेटा रितिक वहीं पर एक जिम में ट्रेनर था, जबकि सब से छोटी बेटी अंशिका कक्षा 9 में पढ़ रही थी.
ये सभी अपने पापा सुंदर लाल से मिलने के लिए 28 दिसंबर, 2023 को देहरादून से अपने गांव भांगा देवली पहुंचे थे. लेकिन उसी रात को ही उन के घर से रोनेचिल्लाने की आवाजें आ रही थीं. आवाज सुन कर ही पड़ोसी उन के घर पहुंचे थे. तब घर में सुंदर लाल की लाश मिली थी.
उस के बाद ओमप्रकाश ने इस की सूचना गांव प्रहरी प्रधान पति को दी. उस वक्त तक सुंदर लाल के घर पर काफी लोग इकट्ठा हो गए थे. सुंदर लाल का बेटा और बेटियां घर में ही थे. जब उन्होंने गांव वालों को घर के अंदर आते देखा तो उन्होंने उन्हें घर से भगाने की कोशिश की.
अपने पापा की मौत पर बच्चों द्वारा कोई शोक भी नहीं मनाया जा रहा था. इस से गांव वालों को उन तीनों बच्चों पर ही शक हुआ कि जरूर इन बच्चों ने ही सुंदर लाल की हत्या की होगी. लिहाजा गांव वाले वहां से गए नहीं बल्कि उन्होंने तीनों बच्चों को एक कमरे में बंद करने के बाद तुरंत पुलिस को इस की सूचना दे दी.
सूचना मिलने के कुछ देर बाद ही लमगड़ा थाने के एसएचओ दिनेश नाथ महंत वहां पहुंच गए. उन्होंने मृतक के तीनों बच्चों और एक अन्य व्यक्ति को हिरासत में ले लिया. इन चारों में 3 बच्चे सुंदर लाल के थे, जबकि उन में एक शख्स ऐसा था, जिसे न तो सुंदर लाल के परिवार वाले जानते थे और न ही उसे इस से पहले कभी उन के घर पर देखा गया था.
पुलिस ने सब से पहले उसी शख्स से जानकारी ली तो पता चला कि वह सुंदर लाल की बड़ी बेटी डिंपल का प्रेमी था, जो दिल्ली के संगम विहार में रहता था.
इस घटना की जानकारी एसएचओ दिनेश नाथ महंत ने अपने उच्चाधिकारियों को दी, जिस की सूचना पाते ही सीओ (अल्मोड़ा) विमल प्रसाद व एसएसपी रामचंद्र राजगुरु घटनास्थल पर पहुंच गए.
घटनास्थल का पुलिस ने बारीकी से निरीक्षण किया. सुंदर लाल को बड़ी ही बेरहमी के साथ डंडों से पीटपीट कर मारा गया था. उस के शरीर पर अनगिनत चोटों के निशान मौजूद थे.
सुंदर लाल के घर में तीनों बच्चों और डिंपल के प्रेमी के पाए जाने से यह तो साफ हो ही गया था कि उन की हत्या इन्हीं चारों ने साथ मिल कर की थी. पुलिस ने इस मामले में चारों से पूछताछ की तो उन्होंने हत्या की जो कहानी बताई, वह वास्तव में चौंकाने वाली ही थी.
पुलिस ने फिलहाल उन चारों को ही हिरासत में ले लिया. इस के बाद सुंदर लाल की लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला मुख्यालय भेज दी. पूर्व सैनिक की हत्या से उस के परिवार वालों के साथसाथ गांव वाले भी दुखी थे. पोस्टमार्टम हो जाने के बाद देर रात को पुलिस ने सुंदर लाल का शव उस के परिवार वालों को सौंप दिया था. तत्पश्चात नगर के नजदीक विश्वनाथ घाट पर उन का अंतिम संस्कार कर दिया गया. इस दौरान ग्रामीणों ने आरोपियों के खिलाफ सख्त काररवाई की भी मांग की.
अल्मोड़ा जिले के गांव लमगड़ा निवासी सुंदर लाल इंडो तिब्बत बौर्डर पुलिस (आईटीबीपी) में कार्यरत थे. उन की नौकरी ही कुछ ऐसी थी कि उन की पोस्टिंग अधिकांश बाहर ही होती थी. इसी कारण सभी बच्चों की परवरिश उन की मां की देखरेख में ही हुई थी. जिस के कारण तीनों बच्चों को अपने पापा से पहले से ही ज्यादा लगाव नहीं था.
अब से लगभग 9 साल पहले उन की पत्नी गीता देवी अचानक बीमार हो गईं. पीलिया के कारण एक दिन उन की मृत्यु हो गई. पत्नी की मौत के समय सुंदर लाल बाहर ही नौकरी कर रहे थे. मम्मी की मृत्यु के बाद बच्चे अकेले पड़ गए थे.
हालांकि गांव में उन के परिवार वाले भी रहते थे. लेकिन बिना मांबाप के बच्चों का रहना गांव में मुश्किल हो गया था.
अपनी पत्नी के खत्म होने के बाद सुंदर लाल सर्विस पर जहांजहां गए, बच्चों को भी साथ ले गए थे. लेकिन जैसे ही बच्चे समझदार हुए तो उन की पढ़ाई डिस्टर्ब होने लगी थी.
बच्चों की परेशानी को देखते हुए सुंदर लाल ने आईटीबीपी की ओर से सीमाद्वार परिसर देहरादून में मिले सरकारी क्वार्टर में बच्चों के रहने की व्यवस्था कर दी.
वहीं पर बच्चे पढऩे लगे थे. देहरादून में रहते ही उन की बड़ी बेटी डिंपल ने पीएचडी कर ली थी. उन के बेटे ने एम.काम. पास कर लिया था. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन की बड़ी बेटी डिंपल ने देहरादून के ही एक स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया था. जबकि बेटे ने वहीं पर एक जिम में नौकरी कर ली थी.
नौकरी के अंतिम पड़ाव में सुंदर लाल की पोस्टिंग लद्ïदाख में थी. उस के बावजूद भी वह हर रोज सुबहशाम फोन पर अपने बच्चों की खैरखबर लेते रहते थे. देहरादून में रहते ही बड़ी बेटी डिंपल का फेसबुक के माध्यम से दिल्ली के संगम विहार निवासी हर्षवर्धन से संपर्क हो गया. दोनों की आपस में दोस्ती भी हो गई थी. उसी दोस्ती के सहारे हर्षवर्धन का उस के पास देहरादून आनाजाना भी शुरू हो गया था.
बाद में यह बात सुंदर लाल को पता चल गई थी. उस के कुछ समय बाद ही सुंदर लाल देहरादून आए तो उन्होंने बेटी डिंपल को समझाने की कोशिश की. लेकिन डिंपल उन की एक भी बात मानने को तैयार न थी. ऐसे में सुंदर लाल को डर था कि हर्षवर्धन के उन के कमरे पर आनेजाने से उन के और बच्चों पर भी बुरा असर पड़ सकता है. इसी कारण उन के भविष्य को ले कर वह परेशान हो उठे.
बेटी को समझानेबुझाने के बाद सुंदर लाल फिर से अपनी ड्यूटी पर चले गए थे. लेकिन ड्यूटी पर जाने के बाद भी उन का मन बच्चों की तरफ ही लगा रहता था. उसी दौरान एक दिन उन्हें पता चला कि डिंपल छोटे भाईबहन को देहरादून में अकेला छोड़ कर अपने प्रेमी के पास भी चली गई थी.
बेटी के बारे में सोचसोच कर सुंदर लाल कुछ ज्यादा ही परेशान थे. इस से उन्हें लगने लगा था कि बेटी कहीं उन की बिना मरजी के हर्षवर्धन के साथ ही शादी न कर ले. जबकि सुंदर लाल उस की शादी किसी अच्छे घराने में अपने हिसाब से करना चाहते थे.
हर्षवर्धन के प्यार में पडऩे के बाद डिंपल ने अपने पापा से और अधिक पैसों की डिमांड करनी शुरू कर दी थी, जिस के कारण सुंदर लाल परेशान हो उठे और उन का बच्चों के प्रति रुख बदलता गया.
अब से लगभग 3 महीने पहले ही सुंदर लाल सेवानिवृत्त हुए थे. सेवानिवृत्त होने के बाद वह अपने बच्चों के पास देहरादून में ही आ कर रहने लगे थे. लेकिन उन के वहां आने के बाद भी उन की बड़ी बेटी डिंपल अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रही थी. उन्होंने बच्चों को सबक सिखाने के लिए अकेले ही गांव का रुख कर लिया.
गांव आ कर वह अपने भाई के साथ रहने लगे. उस के बाद उन्होंने बेटी के व्यवहार से तंग आ कर बच्चों को खर्च के लिए पैसे भेजने भी बंद कर दिए थे.
हालांकि उन की बेटी के साथसाथ बेटा भी कमाने लगा था. लेकिन उन की छोटी बेटी रितिका इस वक्त पढ़ाई कर रही थी. उसे जब कभी भी पैसों की जरूरत होती तो वह अपने भाई से पैसे मांगती थी. एक बाप के होते उस का भाई से पैसे मांगना उसे कुछ खलने लगा था.
सुंदर लाल के गांव जा कर रहने पर उन के बच्चों को भी शक होने लगा था कि कहीं उन के परिवार वाले उन की संपत्ति पर कब्जा न कर लें. अपने पिता के इस व्यवहार से तंग आ कर उन के बच्चे उन के बारे में गलत अर्थ लगाने लगे थे.
उन्हें शक होने लगा था कि उन के पापा के गांव में किसी औरत के साथ अवैध संबंध तो नहीं हैं, जिस के प्यार में पड़ कर वह अपना सारा पैसा उसी औरत के नाम पर न कर दें. यह बात डिंपल ने अपने प्रेमी से भी कह दी थी.
सुंदर लाल को रिटायरमेंट पर काफी मोटी रकम मिली थी. उन के रिटायरमेंट होते ही बच्चों की निगाहें उसी पैसे पर अटकी हुई थीं. उस के बाद से ही उन की बड़ी बेटी और बेटा उन से पैसों की मांग कर रहे थे. लेकिन सुंदर लाल उन पैसों को उन के बेहतर भविष्य के लिए संजो कर रखना चाहते थे. इसी गलतफहमी की वजह से बच्चों और पिता में आए दिन विवाद रहने लगा था.
इसी विवाद के चलते ही डिंपल ने अपने प्रेमी हर्षवर्धन को देहरादून बुला लिया. उस के देहरादून आते ही उस ने सब कुछ उस के सामने रखते हुए उस से उन के साथ गांव चलने को कहा. हर्षवर्धन पहले ही पैसों का लालची था. उसे पता था कि अगर डिंपल के पापा किसी तरह से डिंपल की शादी उस के साथ करने के लिए राजी हो गए तो वह मालामाल हो जाएगा.
लेकिन सब कुछ हाथ से निकलते देख उस का माथा भी ठनकने लगा था. इसी कारण ही वह जल्दी ही उन के साथ गांव जाने के लिए तैयार हो गया. घर से निकलने से पहले ही चारों ने सोचा था कि वह किसी भी तरह से सुंदर लाल को समझाबुझा कर अपने साथ देहरादून ले आएंगे.
28 दिसंबर, 2023 को योजना बना कर सभी गांव पहुंचे. गांव पहुंचते ही चारों ने सुंदर लाल को समझाने की कोशिश की. उन्होंने बारबार उन से विनती की कि बच्चों को इस तरह से शहर में छोड़ कर आप का गांव में आ कर रहना ठीक नहीं. इस से आप के बच्चों की ही बदनामी होती है. लेकिन सुंदर लाल किसी भी कीमत पर न तो गांव छोड़ कर उन के साथ रहने को तैयार थे और न ही उन्हें कोई पैसा देने के लिए राजी हुए.
सुंदर लाल के तीनों बच्चे क्यों बने जल्लाद
29 दिसंबर की रात को दोनों के बीच यह विवाद और भी तूल पकड़ गया. सुंदर लाल शराब के नशे में किसी की भी सुनने को तैयार न थे. उस के बाद उन की बेटी, बेटे और हर्षवर्धन ने उन को खत्म करने की योजना बनाई, ताकि उन की संपत्ति उन्हीं के पास रहे.
उस शाम जब बातों ही बातों में बात आगे बढ़ गई तो चारों ने सब से पहले सुंदर लाल के पैर बांधे, ताकि वह घर से निकल कर कहीं भाग न सकें. उस के बाद लाठीडंडों से उन्हें पीटना शुरू किया.
जैसे ही सुंदर लाल ने चीखना शुरू किया तो उन की आवाज सुन कर उन के चाचा और पड़ोसी उन के घर पहुंचे. घर पहुंचते ही सभी ने उन के घर का दरवाजा खुलवाने की कोशिश की तो किसी ने भी दरवाजा नहीं खोला और उन्होंने उन के मुंह में कपड़ा ठूंस दिया ताकि चीख बाहर न निकले.
जब बाहर खड़े लोगों ने सुंदर लाल को बचाने के लिए उन के घर का दरवाजा जोरजोर से पीटना शुरू किया तो हर्षवर्धन ने घर में रखे एक स्टील के पाइप को कपड़े में छिपा कर गांव वालों को धमकाने की कोशिश की. उस ने कहा कि यह उन के घर का मामला है, अगर किसी ने भी उन के मामले में हस्तक्षेप करने की कोशिश की तो वह गोली चला कर उन की हत्या कर देगा.
गांव वालों ने उस पाइप को बंदूक समझा और फिर सभी डर के मारे वहां से भाग गए. उन के वहां से जाते ही उन्होंने फिर से सुंदर लाल पर जुल्म ढहाना शुरू कर दिया. उस के बाद हर्षवर्धन जल्लाद बन बैठा था. वह उसी वक्त घर में रखी एक दरांती उठा लाया. उस के बाद उस ने उस दरांती से वार कर सुंदर लाल की हत्या कर दी थी.
फिर गांव वाले भी दरवाजा तोड़ कर घर में घुस आए थे. इस से पहले कि वे भागने की कोशिश करते, गांव वालों ने उन्हें एक कमरे में बंद करने के बाद पुलिस को फोन कर दिया. जिस के बाद पुलिस ने चारों को गिरफ्तार कर लिया था.
पुलिस ने इस हत्याकांड में प्रयुक्त लाठी, डंडे व दरांती भी बरामद कर ली थी. इस मामले में मृतक सुंदर लाल के भाई ओमप्रकाश निवासी भांगा देवली के द्वारा चारों आरोपियों के खिलाफ हत्या करने की रिपोर्ट दर्ज करा दी गई.
इस मामले के हत्यारोपी डिंपल, उस के पे्रमी हर्षवर्धन व बेटे रितिक को पुलिस ने न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया था. जबकि चौथी आरोपी नाबालिग बेटी अंशिका को बाल सुधार गृह भेजा गया था.
सुंदर लाल के 3 बच्चे थे, उन के बाद सब कुछ उन्हीं के नाम आने वाला था. फिर ऐसे में उन्होंने इतना बड़ा कदम क्यों उठाया. उन सभी ने अपने बाप के खून से हाथ रंगते हुए अपना भविष्य ही चौपट कर लिया था.
पैसे का लालच इंसान को किस कदर अंधा बना देता है कि वह उस के लालच में अपनेपराए के मायने भी भूल जाता है और उसी के लिए खूनखराबा भी कर डालता है. चाहे भले ही उस के बाद उसे धनदौलत मिले न मिले, लेकिन वह उस के बाद अपनी जिंदगी को पूरी तरह से तबाह कर डालता है. यही सब किया इन तीनों बच्चों ने. उन्होंने अपने पापा की रिटायर रकम को एकमुश्त हड़पने के लिए अपनी जिंदगी को ही दागदार बना डाला था.