अमेरिका के केपोन शहर की रहने वाली जुलियन की दोस्ती मूलरूप से भारत के गुजरात के सूरत की रहने वाली रजनी से हुई तो वह उस के घर भी आनेजाने लगी थी. सालों पहले रजनी के दादा अमेरिका के इस शहर में आ कर बस गए थे. उन का अपना कारोबार था.
लंबे अरसे से अमेरिका में रहते हुए भी रजनी के घर वालों के न रहनसहन में बदलाव आया था और न परंपराओं में. उतनी दूर रह कर भी वे लोग अपनी भारतीय परंपरा को बनाए हुए थे. रजनी के पिता गोवर्धनभाई डाक्टर थे. रजनी भी डाक्टर बनना चाहती थी.
जुलियन जब भी रजनी के घर जाती, उस के घर वालों का आपस में प्रेम, अपनत्व भरी बातें बहुत प्रभावित करतीं. उन लोगों का रहनसहन और व्यवहार भी उसे बहुत अच्छा लगता. रजनी के मातापिता ही नहीं, दादा दादी भी साथ रहते थे, जबकि उस के दादा दादी की कौन कहे, मम्मी पापा भी अलगअलग रह रहे थे.
जब उस ने इस बारे में रजनी से बात की तो उस ने बताया कि भारत में वैदिक रीतिरिवाज से विवाह होते हैं, इसलिए लोग पूरी जिंदगी इस रिश्ते को निभाते हैं. पतिपत्नी के बीच कभी मतभेद भी होते हैं तो आपस में या बड़ेबुजुर्गों के समझाने पर वे दूर हो जाते हैं.
यह जान कर जुलियन ने भी तय कर लिया कि वह जब भी विवाह करेगी, वैदिक रीति से ही करेगी. क्योंकि उस के यहां तो विवाह को लोग खेल समझते हैं. कब शादी और कब तलाक हो गया, पता ही नहीं चलता. दूसरों की कौन कहे, उस के मम्मीपापा ही साथ नहीं निभा सके.
रजनी के साथ रहते हुए जुलियन ने तय कर लिया था कि वह उसी लड़के से शादी करेगी, जो भारत चल कर वहां की परंपरा के अनुसार उस से शादी करेगा. पढ़ाई पूरी कर के जुलियन एक कंपनी में अच्छी नौकरी करने लगी. यहीं उस की मुलाकात सिल्हो से हुई.
उस का मिलनसार स्वभाव और हर किसी की मदद के लिए तत्पर रहने वाली आदत उसे काफी पसंद आई. वह भी जब इस नौकरी पर आई थी तो सिल्हो ने कई बार उस की भी मदद की थी.
मदद की ही वजह से दोनों में परिचय हुआ और फिर दोस्ती हो गई. संयोग से दोनों की आदतें काफी हद तक मेल खाती थीं. दोस्ती हुई तो दोनों लंच एक साथ ही करने लगे थे. लंच के दौरान बातचीत में जुलियन अकसर भारतीय संस्कृति और परंपराओं की बात छेड़ देती.
इस की वजह यह थी कि रजनी के यहां आनेजाने से वह भारतीय संस्कृति और परंपराओं से इतनी ज्यादा प्रभावित हो चुकी थी कि उसे अपनी ही संस्कृति और परंपरा बुरी लगने लगी थी.
जुलियन अपने अन्य दोस्तों से कहती, ‘‘भारत में पतिपत्नी में टकराव होने के बाद भी दोनों उम्र भर साथ रहते हैं. जबकि अपने यहां शादी होने के बाद कोई भरोसा ही नहीं रहता कि कब तलाक हो जाए.’’
जुलियन की बातें सुनसुन कर ही सिल्हो को भी भारतीय संस्कृति और परंपराएं भाने लगी थीं. उस का कोई भारतीय दोस्त तो था नहीं, इसलिए जुलियन से मिली जानकारी के अलावा वह नेट द्वारा भारतीय संस्कृति और परंपराओं के बारे में जानने की कोशिश करने लगा. इस से जुलियन को लगने लगा कि सिल्हो भी उसी की तरह भारतीय संस्कृति और परंपरा का मुरीद हो चुका है.
इस के बाद दोनों भारत के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी एकत्र करने लगे. सिल्हो भी जुलियन की तरह सुंदर और समझदार लड़का था. यही वजह थी कि जुलियन ने उस से दोस्ती की थी. लेकिन ज्यादा से ज्यादा साथ रहने और आपस में स्वभाव मिलने की वजह से उन की दोस्ती प्यार में बदल गई. हंसती मुसकराती जुलियन उसे बहुत अच्छी लगती थी. वह चाहता था कि जुलियन हमेशा इसी तरह मुसकराती रहे.
प्यार हुआ तो दोनों एकदूसरे के घर भी आनेजाने लगे. घर वालों ने भी उन की पसंद को स्वीकार कर लिया. उन के शादी करने पर उन्हें कोई ऐतराज नहीं था. बात यहां तक पहुंच गई तो दोनों एक साथ रहने लगे. लेकिन उन्होंने पक्का निर्णय कर रखा था कि वे विवाह भारत जा कर वैदिक रीति से ही करेंगे.
पैसों की व्यवस्था कर के सिल्हो और जुलियन ने पासपोर्ट और वीजा के लिए आवेदन कर दिया. पासपोर्ट और वीजा मिल गया तो वे जरूरी सामान ले कर अक्तूबर के प्रथम सप्ताह में भारत आ गए.
दोनों दिल्ली, आगरा, खजुराहो, जयपुर, उदयपुर, अजमेर, पुष्कर, जोधपुर आदि शहर घूम कर जैसलमेर पहुंचे. रेलवे स्टेशन पर उतर कर उन्होंने पश्चिम की ओर देखा तो उन्हें सुनहरे रंग की त्रिकुट पहाड़ी पर गर्व से सीना ताने सोनार किला नजर आया.
अस्ताचल को जाते सूरज की किरणें सोनार किले पर पड़ रही थीं. उन किरणों से पीले पत्थर से बना वह किला सोने के किले की तरह लग रहा था. देख कर दोनों हैरान रह गए.
जैसलमेर में एक होटल में ठहर कर उन्होंने गाइड के साथ स्वर्णनगरी के दर्शनीय स्थलों— सोनार दुर्ग, जैन मंदिर, पटवा हवेली, मोती महल, नथमल हवेली, बादल विलास एवं गड़सीसर सरोवर को देखा.
दोनों को जैसलमेर बहुत अच्छा लगा. इसलिए उन्हें लगा कि वह जो फैसला कर के आए हैं, उसे यहीं पूरा कर लें. शादी करने का मन बना तो उन्होंने होटल मैनेजर और गाइड से बातचीत की. उन्होंने पूरा साथ देने को कहा.
अगले दिन उन्होंने गाइड की मदद से दूल्हे दुलहन के कपड़े, शृंगार की सामग्री, जूते, गहने आदि खरीदे. इस के बाद पंडित की व्यवस्था कर के 18 अक्तूबर, 2014 दिन शनिवार को जुलियन और सिल्हो की शादी की तारीख तय कर दी गई.
16 अक्तूबर से ही भारतीय रीतिरिवाज के अनुसार सारी रस्में निभाई जाने लगीं. विदेशी लड़का और लड़की भारतीय रीतिरिवाज से शादी कर रहे हैं, यह सुन कर आसपास के लोग इकट्ठा हो गए. फिर तो मंगलगीत भी गाए गए. उसी के बीच पंडित ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ दोनों प्रेमियों को सात फेरों के बंधन में बांध दिया. अपनी इस शादी से दोनों बहुत खुश थे. इस विवाह से उन्हें पूरा भरोसा है कि सारी उम्र दोनों साथसाथ रह सकेंगे.