दिल्ली के दक्षिण पश्चिमी जिले में दिनदहाड़े एक युवक की हत्या और 77 हजार रुपए लूटने की खबर जब वायरलैस पर प्रसारित हुई तो पूरे जिले की पुलिस हरकत में आ गई. यह वारदात 23 सितंबर, 2014 को थाना उत्तरी द्वारका के क्षेत्र में घटी थी.
सूचना मिलने पर जिले की डीसीपी सुमन गोयल ने सभी थानाप्रभारियों को अपनेअपने क्षेत्र में बैरिकेड्स लगा कर वाहनों की सघन तलाशी के आदेश दिए. लुटेरे बाइक पर सवार थे, इसलिए पुलिस की निगाहें बाइक सवारों पर थीं. थाना दिल्ली कैंट की पुलिस भी बैरिकेड्स लगा कर लुटेरों की जांच में लगी हुई थी.
उसी समय दोपहर एक बजे के करीब कैंट इलाके में आरआर अस्पताल के पीछे से एक आदमी भाग कर आता हुआ दिखाई दिया. उस की उम्र करीब 25-30 साल थी. उस के सिर से खून बह रहा था. उस ने पिकेट पर तैनात पुलिस को अपना नाम कीरत सिंह बताया. उस ने बताया कि उस के दोस्त नकुल धीर और मुकीम ने चलती कार में उस के सिर पर गोली मारी है, जान बचाने के लिए वह कार से कूद कर भाग आया है.
कीरत सिंह के सिर से खून बह रहा था इसलिए पुलिस उसे तुरंत एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) के ट्रामा सेंटर ले गई और यह सूचना थाना कैंट के ड्यूटी औफिसर को दे दी. जिस इलाके में घटना घटी थी वह कैंट थाने की सुब्रोतो पार्क चौकी क्षेत्र में आता था. चौकी इंचार्ज के.बी. झा को खबर मिली तो वह भी उस जगह पहुंच गए जहां घटना घटी थी. इस के बाद वह एम्स के ट्रामा सेंटर पहुंचे.
कीरत सिंह का इलाज कर रहे डाक्टरों ने सबइंसपेक्टर के.बी. झा को बताया कि वह बेहोश है और बयान देने की स्थिति में नहीं है. कीरत सिंह कहां का रहने वाला था, उस के दोस्त कहां रहते थे और उन्होंने उसे गोली क्यों मारी? यह सारी जानकारी उस से बात करने के बाद ही मिल सकती थी. लिहाजा के.बी. झा उस के होश में आने का इंतजार करने लगे.
दोस्तों ने कीरत सिंह के सिर में 2 गोलियां मारी थीं. दोनों गोलियां सिर के पिछले हिस्से को छूती हुई निकली थीं. इसलिए उस की हालत कोई ज्यादा सीरियस नहीं थी. अगले दिन जब वह होश में आया तो चौकी इंचार्ज के.बी. झा ने उस से बात की.
कीरत सिंह ने उन्हें बताया कि वह शाहदरा की चंद्रलोक कालोनी में रहता है. कल वह अपने दोस्त नकुल धीर, जो नवीन शाहदरा में रहता है, के साथ कार से गुड़गांव जा रहा था. रास्ते में नकुल का दोस्त मुकीम उर्फ राहुल मिला. राहुल लोनी में रहता है. कार पालम फ्लाईओवर के नजदीक पहुंची तभी मुकीम ने उसे मारने के लिए उस के सिर पर 2 गोलियां चलाईं. लेकिन वह अपनी जान बचाने के लिए चलती कार से ही कूद गया.
कीरत सिंह से पूछताछ के बाद सबइंसपेक्टर के.बी. झा ने यह बात दिल्ली कैंट के थानाप्रभारी सुरेश कुमार वर्मा को बताई. चूंकि हत्यारों का नामपता पुलिस को मिल चुका था इसलिए डीसीपी सुमन गोयल ने अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए एक पुलिस टीम बनाई. इस टीम में थानाप्रभारी सुरेश कुमार वर्मा, चौकीइंचार्ज के.बी. झा, एसआई राजेंद्र सिंह, एएसआई जयकिशन, कांस्टेबल अवतार सिंह आदि को शामिल किया गया.
पुलिस टीम ने नकुल धीर और मुकीम के घरों पर दबिश डाली लेकिन वे दोनों अपनेअपने घरों से फरार मिले. उन्हें उन के और भी संभावित ठिकानों पर तलाशा गया लेकिन वे नहीं मिले. असफलता मिलने पर पुलिस ने अपने मुखबिरों को भी लगा दिया. 3 अक्तूबर को एक मुखबिर द्वारा चौकी इंचार्ज के.बी. झा को सूचना मिली कि आरोपी नकुल धीर अपने घर आया हुआ है. खबर मिलते ही पुलिस टीम उस के नवीन शाहदरा स्थित घर पहुंच गई.
मुखबिर की सूचना सही निकली. नकुल धीर घर पर ही मिल गया. पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया. पुलिस चौकी सुब्रोतो पार्क ला कर जब उस से पूछताछ की गई तो उस ने अपने दोस्त कीरत सिंह पर जानलेवा हमला करने की बात स्वीकार ली. उस ने कहा कि वह कीरत सिंह की हत्या करना चाहता था, लेकिन इत्तेफाक से निशाना चूक गया जिस से गोली उस के सिर को छूती हुई निकल गई और वह बच गया.
वह कीरत की हत्या क्यों करना चाहता था, यह पूछने पर उस ने जो कहानी बताई, वह नाजायज संबंधों के तानेबाने पर गढ़ी हुई निकली.
28 वर्षीय कीरत सिंह अपने परिवार के साथ उत्तर पूर्वी दिल्ली के शाहदरा क्षेत्र स्थित चंद्रलोक कालोनी में रहता था. उस के परिवार में पत्नी ममता के अलावा मांबाप और एक बहन थी. वह एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था. उसी से उस के परिवार का भरणपोषण होता था.
कीरत सिंह का एक दोस्त था नकुल धीर, जो नवीन शाहदरा में ही रहता था. उस का टूर ऐंड ट्रैवल का काम था, जिस से उसे अच्छी आमदनी होती थी. दोस्त होने की वजह से नकुल धीर का कीरत के यहां आनाजाना था. नकुल की जैसी आमदनी थी, उसी के अनुसार वह अपने ऊपर खर्च भी करता था. उसे बनठन कर रहने का शौक था.
कीरत सिंह की आमदनी सीमित थी. महीने की जो बंधीबंधाई तनख्वाह मिलती थी, उसी से वह घरपरिवार का गुजारा करता था. ममता उस से अपनी कोई फरमाइश करती तो वह कोई न कोई बहाना बना देता था, जिस से वह खिन्न हो जाती थी. उस के अरमान तंगहाली की आंच में झुलस रहे थे. मगर कीरत सिंह को इस बात की कोई फिक्र नहीं थी. वह उस की भावनाओं की कद्र करने के बजाय बाहरी महिलाओं के साथ मौजमस्ती करता था.
कीरत सिंह 1 बच्चे का बाप बन चुका था, इस के बावजूद वह बाहरी महिलाओं के चक्कर में लगा रहता था. ममता को जब पति की हरकतों की जानकारी मिली तो वह बहुत नाराज हुई. उस ने पति को समझाया लेकिन उस ने अपनी छिछोरेपन की आदत नहीं छोड़ी. इसी बात को ले कर पतिपत्नी के बीच अकसर नोकझोंक होती रहती थी.
पिछले साल तो कीरत सिंह ने हद कर दी. उस ने शाहदरा की ही रहने वाली अलका नाम की एक परिचित युवती के साथ बलात्कार कर दिया. अलका ने शाहदरा थाने में उस के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी, जिस के बाद उसे जेल भी जाना पड़ा. पति की इस कारगुजारी पर ममता को बहुत शर्मिंदा होना पड़ा.
पति के जेल जाने के बाद ममता के सामने आर्थिक परेशानी खड़ी हो गई. पति ही कमाने वाला था. वह भी इतनी पढ़ीलिखी नहीं थी, जिस से उसे आसानी से नौकरी मिल जाती. इस परेशानी में उस की मदद पति के 26 वर्षीय दोस्त नकुल धीर ने की.
नकुल ने आर्थिक सहयोग तो किया ही, साथ ही वह कीरत को जेल से बाहर निकलवाने की कोशिश में भी लग गया. ममता के साथ वह वकील के पास जाता और जेल जा कर कीरत से मुलाकात भी करता. कुल मिला कर नकुल ममता की हर तरह से मदद कर रहा था.
लंबे समय तक नकुल धीर के साथ रहने पर ममता का उस से लगाव हो गया. यहां तक कि बाद में उन के बीच अवैध संबंध भी बन गए. ममता को कोई रोकने टोकने वाला तो था नहीं, इसलिए वह उस के साथ बिना किसी डर के मौजमस्ती करने लगी. चूंकि नकुल के द्वारा ममता की ख्वाहिशें पूरी हो रही थीं इसलिए वह उस से खुश थी.
उन दोनों के बीच यह खेल लंबे समय तक चलता रहा. इसी वजह से ममता नहीं चाहती थी कि उस का पति जेल से जमानत पर बाहर आए. लेकिन अपने सासससुर के दबाव की वजह से उसे पति की जमानत के लिए पैरवी करनी पड़ी. अंतत: करीब सवा साल जेल में रहने के बाद कीरत सिंह की जमानत हो गई.
बाहर आने के बाद कीरत सिंह ने किसी तरह अलका को समझाबुझा कर केस वापस लेने के लिए तैयार कर लिया. अलका द्वारा केस वापस लेने पर कीरत ने राहत की सांस ली. इसी बीच उसे यह भी जानकारी मिल गई कि उस के जेल में रहने के दौरान उस की पत्नी नकुल के साथ गुलछर्रे उड़ाती थी. कीरत ने इस बारे में ममता से बात की तो उस ने बताया कि लोग उसे बिना वजह बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं.
पत्नी का जवाब सुन कर कीरत ने बात रफादफा जरूर कर दी थी लेकिन उस के दिमाग में शक का कीड़ा घर कर चुका था. वह पत्नी की गतिविधियों पर इस तरह नजर रखने लगा ताकि उसे आभास न हो.
उधर पति की मौजूदगी के मद्देनजर ममता ने भी नकुल से मिलने में सावधानी बरतनी शुरू कर दी थी. एक बार पति के सो जाने के बाद ममता बाथरूम में जा कर फोन पर अपने आशिक नकुल से बात कर रही थी. आधी रात के करीब कीरत सिंह की आंखें खुलीं तो उस ने पत्नी को बेड से नदारद पाया. उस ने सोचा कि शायद वह टायलेट गई होगी. 15 मिनट बाद तक भी जब ममता कमरे में नहीं लौटी तो वह बिस्तर से उतर कर दबेपांव कमरे से बाहर निकला.
तभी उस ने बाथरूम की तरफ पत्नी की आवाज सुनी. वह धीरे से जा कर बाथरूम के बाहर खड़ा हो गया और कान लगा कर पत्नी की बातें सुनने लगा. वह फोन पर प्यारभरी बातें कर रही थी. कीरत समझ गया कि जरूर वह अपने यार से बात कर रही है. उस का मन तो किया कि अभी उस की जम कर धुनाई करे, लेकिन आधी रात को वह कोई हंगामा खड़ा नहीं करना चाहता था.
गुस्से का घूंट पी कर वह कमरे में आ कर बिस्तर पर लेट गया. उस के सामने पत्नी की बेवफाई की तसवीरें घूमने लगीं. नींद उस की आंखों से कोसों दूर जा चुकी थी. उस ने तय कर लिया कि सुबह होते ही वह ममता की खबर लेगा.
अपने प्रेमी नकुल से काफी देर बतियाने के बाद ममता चुपके से आ कर पति के पास बिस्तर पर लेट गई. जब वह बिस्तर पर आई, तब कीरत जाग रहा था. वह चुपचाप लेटा अंदर ही अंदर गुस्से से भुन रहा था.
सुबह होने पर कीरत ने पत्नी से पूछा, ‘‘रात को तुम कहां चली गई थी, मेरी आंख खुली तो तुम बिस्तर पर नहीं थीं?’’
‘‘बाथरूम गई थी.’’ ममता ने साधारण तरीके से जवाब दिया.
‘‘बाथरूम में किस से बात कर रही थीं?’’
इतना सुनते ही ममता सकपकाते हुए बोली, ‘‘यह तुम क्या कह रहे हो?’’
‘‘झूठ मत बोलो, सच बताओ तुम किस से बात कर रही थीं?’’ कहते हुए कीरत ने उस की पिटाई करनी शुरू कर दी. साथ ही उसे हिदायत दी कि यदि उस ने अपना रवैया नहीं बदला तो वह उसे घर से निकाल देगा.
पिटाई से ममता का शरीर दुख रहा था. 2-4 दिन वह घर में ही रही. उस ने नकुल से भी बात नहीं की. बाद में नकुल धीर का फोन आया तो उस ने पिटाई की बात उसे बता दी. इस का नकुल को बहुत दुख हुआ.
एक दिन मौका पा कर ममता ने नकुल से मुलाकात कर के उस के सामने अपना दर्द बयान कर दिया. नकुल ने उसे कीरत को ठिकाने लगाने की सलाह दी. उस ने कहा कि कीरत को रास्ते से हटाने के बाद हम लोग शादी कर लेंगे.
यह बात ममता की समझ में आ गई. उस ने इस के लिए हामी भर दी. यह काम नकुल अकेले नहीं कर सकता था. उस ने लोनी के रहने वाले मुकीम उर्फ राहुल से बात की. इस के बदले में उस ने मुकीम को 50 हजार रुपए देने की पेशकश की तो मुकीम इस के लिए तैयार हो गया.
इस के बाद नकुल धीर, मुकीम और ममता ने कीरत सिंह को ठिकाने लगाने की योजना बना ली. इस योजना के अनुसार 23 सितंबर, 2014 को नकुल धीर अपने एक दोस्त की मारुति जेन कार ले कर कीरत के घर पहुंचा. किसी बहाने से उस ने कीरत को गुड़गांव जाने के लिए तैयार कर लिया. कीरत को कार में बिठा कर वह गुड़गांव की ओर निकल गया. रास्ते में नकुल ने एक अन्य युवक को कार में बैठा लिया. नकुल ने उस का नाम मुकीम बताते हुए कहा कि वह उस का दोस्त है.
कार नकुल चला रहा था, कीरत उस के बराबर वाली सीट पर बैठा था. मुकीम पीछे की सीट पर बैठ गया. कार अपनी गति से आगे बढ़ रही थी. तीनों आपस में बातें कर रहे थे. तभी कार के दिल्ली कैंट की तरफ जाने वाले फ्लाईओवर पर चढ़ने से पहले ही मुकीम ने तमंचा निकाल कर कीरत पर एक फायर कर दिया. गोली उस के सिर को छूती हुई चली गई. उसी समय नकुल ने भी तमंचे से एक फायर कीरत के सिर पर किया.
वह गोली भी कीरत के सिर को छूती हुई निकल गई. कीरत समझ गया कि उस की जान खतरे में है. इसलिए वह कार का गेट खोल कर चलती कार से कूद गया. उस के सिर से खून बह रहा था. वह भागता हुआ पिकेट पर तैनात पुलिस के पास पहुंच गया और सारी बात बता दी. पुलिस उसे एम्स के ट्रामा सेंटर ले गई.
नकुल धीर से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने 4 अक्तूबर को कीरत सिंह की पत्नी ममता और मुकीम उर्फ राहुल को भी गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में उन्होंने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया. 4 अक्तूबर को ही पुलिस ने तीनों अभियुक्तों को पटियाला हाउस कोर्ट में महानगर दंडाधिकारी धीरज मित्तल के समक्ष पेश कर के उन्हें 3 दिन के रिमांड पर लिया.
रिमांड अवधि में पुलिस ने उन की निशानदेही पर मारुति जेन कार, वारदात में प्रयुक्त तमंचे आदि बरामद किए. काररवाई पूरी होने पर पुलिस ने आरोपियों को पुन: न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया. उधर कीरत सिंह की हालत सुधरने पर उस की अस्पताल से छुट्टी कर दी गई थी. उस का कहना है कि वह बेवफा पत्नी से वास्ता नहीं रखेगा.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, कुछ पात्रों के नाम परिवर्तित हैं.