8 मार्च, 2019 को सुबह के यही कोई 9 बजे थे. गोरखपुर के थाना सहजनवा के एसओ वी.के. सिंह को गणेश नाम के एक युवक ने फोन पर सूचना दी कि भकसा गांव के बाहर एक खेत में एक पुरुष और एक महिला की लाशें पड़ी हैं, किसी ने उन की गला रेत कर हत्या की है. उस समय एसओ साहब अपने सरकारी क्वार्टर में थे, जो थाना परिसर में ही था.
एसओ साहब तुरंत थाने पहुंचे और पुलिस टीम के साथ उसी समय भकसा गांव के लिए निकल गए. यह गांव थाने से लगभग 10 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में था. इसलिए वहां पहुंचने में पुलिस को 15 से 20 मिनट लगे.
जहां लाशें पड़ी थीं, वहां भारी संख्या में तमाशबीन जमा थे. पुलिस के पहुंचते ही वे सब इधरउधर हो गए. वहां पर 2 लाशें पड़ी थीं, एक आदमी की दूसरी औरत की. दोनों लाशों के बीच 200 मीटर का अंतर था. दोनों की ही हत्या किसी धारदार हथियार से गला काट कर की गई थी.
घटनास्थल का मुआयना कर के एसओ वी.के. सिंह ने उच्चाधिकारियों को फोन कर के सूचना दे दी. कुछ ही देर में एसपी (साउथ) विपुल कुमार श्रीवास्तव और एसपी (सिटी) विनय कुमार सिंह घटनास्थल पर पहुंच गए.
पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तो वहां पर एक सर्जिकल ब्लेड और एक जोड़ी ग्लव्स मिले. इस आधार पर पुलिस ने अनुमान लगाया कि हत्यारे शायद मैडिकल पेशे से जुड़े रहे होंगे या फिर उन में से कोई ऐसा होगा जिसे मैडिकल के सामान की बखूबी जानकारी हो. पुलिस ने वहां मौजूद लोगों से लाशों के बारे में शिनाख्त करानी चाही लेकिन कोई भी उन्हें नहीं पहचान सका.
स्थानीय लोगों से पता चला कि रात में एक एंबुलेंस गांव के बाहर खड़ी देखी गई थी. इस से पुलिस ने अनुमान लगाया कि घटना में कम से कम 5-6 लोग शामिल रहे होंगे, क्योंकि मृतकों की कद काठी के हिसाब से वे दोनों 4-5 लोगों के कब्जे में आने वाले नहीं थे. परिस्थितियों को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा था कि मृतक शायद पतिपत्नी होंगे.
पुलिस ने जरूरी काररवाई कर दोनों लाशें पोस्टमार्टम के लिए बाबा राघवदास मैडिकल कालेज, गुलरिहा भेजवा दीं. फिर भकसा के चौकीदार रामसमुझ की तरफ से अज्ञात हत्यारों के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201, 120बी के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया. पुलिस के सामने पहली समस्या मृतकों की शिनाख्त की थी. शिनाख्त हो जाने के बाद ही हत्यारों तक पहुंचा जा सकता था.
उधर घटनास्थल पर जुटे अनेक लोगों ने अपने अपने मोबाइल फोन में घटनास्थल पर पड़ी लाशों के फोटो खींच लिए थे. उन्होंने वह फोटो वाट्सऐप पर वायरल करने शुरू कर दिए. अगले दिन 9 मार्च को वह फोटो वायरल होतेहोते खोरबार थाने के महुलीसुधरपुर के रहने वाले वीरेंद्र निषाद के मोबाइल पर भी पहुंचे.
फोटो देख कर वीरेंद्र बुरी तरह चौंका. क्योंकि वह फोटो उस के भाई रविंद्र निषाद और भाभी संगम देवी के थे. भाई 7 मार्च को रोजाना की तरह घर से अपने काम पर निकला था और भाभी उसी दिन शाम को घर से दवा लेने के लिए डाक्टर के पास गई थी. फोटो देख कर वीरेंद्र की आंखों से आंसू बहने लगे.
9 मार्च के अखबारों में फोटो सहित 2 अज्ञात लाशें मिलने की खबर छपी. वह खबर किसी ने वीरेंद्र को दिखाई. इस से उसे यह जानकारी मिल गई कि भाई और भाभी की लाशें जिस जगह मिली हैं वह इलाका थाना सहजनवा के अंतर्गत आता है. जो उस के गांव से काफी दूर था. इसलिए गांव के कुछ लोगों के साथ वह थाना सहजनवा की तरफ चल दिया. वह सभी मोटरसाइकिलों पर सवार थे.
वीरेंद्र थाने पहुंच कर एसओ वी.के. सिंह से मिला और अखबार में छपी खबर और वाट्सएप के फोटो दिखाते हुए कहा कि मृतक उस के भाई रविंद्र निषाद और भाभी संगम देवी है. यह कहते कहते वीरेंद्र रोने लगा. लाशों की शिनाख्त होने के बाद एसओ ने राहत की सांस ली.
वीरेंद्र ने एसओ वी.के. सिंह को बताया कि रविंद्र ठेकेदार था. वह ठेके पर प्लंबिंग का बड़ा काम करता था. फिलवक्त उस का काम सहजनवा के गांव सरैया में चल रहा था. घर से वह बुलेट मोटरसाइकिल ले कर निकला था. वह अपने पास 2 मोबाइल रखता था लेकिन पुलिस को घटनास्थल से न तो बुलेट मिली थी और न कोई मोबाइल. इस का मतलब यह था कि हत्यारे साक्ष्य मिटाने के लिए उस का मोबाइल और मोटरसाइकिल अपने साथ ले गए थे.
पुलिस ने वीरेंद्र से दोनों की हत्या की वजह पूछी तो उस ने आशंका जताई कि कूड़ाघाट की रहने वाली सरिता से रविंद्र की जमीन के सौदे के ले कर काफी समय से विवाद चल रहा था. कहीं ऐसा तो नहीं कि रुपए हड़पने के लिए सरिता ने भाई और भाभी की हत्या करवा दी हो. पुलिस ने वीरेंद्र के बयान को आधार बना कर जांच की दिशा इसी ओर मोड़ दी.
पुलिस इस दोहरे हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने में जुटी हुई थी, तभी 9 मार्च को दोपहर के वक्त एसओ वी.के. सिंह के मोबाइल पर एक मुखबिर की काल आई. मुखबिर ने बताया कि पीपीगंज थानाक्षेत्र के जरहद गांव के बाहर 2 दिनों से एक लावारिस बुलेट मोटरसाइकिल खड़ी है.
मुखबिर की सूचना पर सहजनवा पुलिस जरहद गांव पहुंच गई और उस बुलेट को थाना सहजनवा ले आई. बुलेट वीरेंद्र को दिखाई तो उस ने बाइक पहचान ली. बुलेट उस के भाई रविंद्र की ही थी.
इस दोहरे हत्याकांड की गुत्थी काफी उलझी हुई थी. पहली बात तो यह कि मृतक गोरखपुर के थाना खोराबार के महुली सुधरपुर के रहने वाले थे. जबकि उन की हत्या सहजहनवा थाने के भकसा गांव में हुई थी. तीसरे मृतक की बुलेट मोटरसाइकिल मिली पीपीगंज थाने के जरहद गांव में. इस तरह यह घटना 3 थानों से जुड़ गई थी.
घटना के फैले हुए तथ्यों से लग रहा था कि हत्यारा बहुत चालाक और शातिर किस्म का है. क्योंकि उस ने पुलिस को इस तरह उलझा दिया था कि हत्या की कोई कड़ी नजर नहीं आ रही थी. एक बात यह भी थी कि हत्यारे या हत्यारों को वहां के भौगोलिक परिवेश की अच्छी जानकारी थी.
दोहरे हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने के लिए एसएसपी डा. सुनील गुप्ता ने 3 टीमें बनाईं. तीनों टीमों के साथ मीटिंग कर के उन्होंने कुछ दिशानिर्देश भी दिए. तीनों टीमें अपनेअपने काम में जुट गईं. इसी क्रम में पुलिस ने कई संदिग्ध लोगों के ठिकानों पर ताबड़तोड़ दबिश दीं. कुछ लोगों को हिरासत में ले कर उन से पूछताछ की गई. लेकिन हत्यारों का कोई सुराग नहीं मिला.
वीरेंद्र ने जिस महिला सरिता पर शक जताया था पुलिस ने उसे भी हिरासत में ले कर कड़ी पूछताछ की. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. सरिता दोहरे मर्डर में कहीं से दोषी नजर नहीं आई तो पुलिस ने उसे भी पूछताछ के बाद कुछ हिदायत दे कर छोड़ दिया.
हफ्ता भर बीत जाने के बाद भी पुलिस जहां से चली थी, वहीं खड़ी नजर आ रही थी. पुलिस ने एक बार फिर से मौके पर जा कर क्राइम सीन को समझने की कोशिश की. साथ ही आसपास के लोगों से पूछताछ की. पूछताछ से पुलिस को कुछ सफलता हाथ लगी.
पता चला कि घटना वाली रात 10-साढ़े 10 बजे गांव के बाहर जो फोरव्हीलर खड़ा हुआ था वह एंबुलेंस नहीं, बल्कि लाल रंग की एक मारुति कार थी. उस कार में 4-5 लोग देखे गए थे. कार आधे घंटे के बाद वापस चली गई थी. उस के बाद क्या हुआ, किसी को कुछ पता नहीं था.
इस बीच पुलिस ने मृतक रविंद्र निषाद और उस की पत्नी संगम देवी के फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवा कर अध्ययन किया. पता चला कि घटना वाले दिन सुबह 11 बजे के आसपास रविंद्र के मोबाइल पर एक काल आई थी. उसी नंबर से शाम करीब 4 बजे फिर काल की गई थी. फिर साढ़े 7 बजे रविंद्र और संगम देवी का मोबाइल फोन स्विच्ड औफ हो गए थे.
संगम देवी के फोन की काल डिटेल्स से पता चला कि शाम करीब साढ़े 4 बजे उस के फोन पर रविंद्र निषाद की काल आई थी. दोनों के बीच करीब 5 मिनट बातचीत भी हुई थी.
फिर 7 बजे दोनों की लोकेशन पीपीगंज इलाके में मिली. काल डिटेल्स के अध्ययन से यह बात साफ हो गई थी कि 7 बजे के करीब रविंद्र और संगम दोनों एक साथ पीपीगंज के किसी एक स्थान पर मौजूद थे. उस के बाद दोनों के मोबाइल फोन एक साथ स्विच्ड औफ हो गए.
मतलब साफ था, दोनों के साथ जो कुछ भी हुआ वह 7 साढ़े 7 बजे के बीच में ही हुआ था. हत्यारों की सुरागरसी के लिए पुलिस ने चारों ओर मुखबिरों का जाल फैला दिया था. जिस मोबाइल नंबर से रविंद्र निषाद के फोन पर आखिरी बार काल आई थी, पुलिस ने उस नंबर का पता लगा लिया था. वह नंबर अजीज के नाम से लिया गया था. अजीज गोरखपुर के चिलुआताल थाना क्षेत्र के काजीपुर डोहरिया का रहने वाला था. इतने सुराग का मिल जाना पुलिस के लिए काफी था.
15 मार्च, 2019 को सुराग मिलते ही पुलिस काजीपुर डोहरिया में अजीज के घर पहुंच गई. संयोग से अजीज घर पर ही मिल गया. पुलिस को देख कर अजीज का पसीना छूटने लगा. उस से पूछताछ करने पर पता चला कि वह एक तांत्रिक है और घर पर ही झाड़फूंक का काम करता है.
अजीत को हिरासत में ले कर पुलिस लौट आई. उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो 2 मिनट में ही उस ने घुटने टेक दिए. अपना जुर्म कबूल करते हुए उस ने बताया कि उस ने उन दोनों की हत्या अपने छोटे भाई नफीस और दोस्त गुलाम सरवर के साथ मिल कर की थी.
घटना के बाद से नफीस फरार है, जबकि गुलाम सरवर सहजनवा के कालेसर गांव में छिपा है. अजीज की निशान देही पर पुलिस ने गुलाम सरवर को गिरफ्तार कर लिया. जैसे ही उस की नजर पुलिस की जीप में बैठे अजीज पर पड़ी तो वह समझ गया कि पुलिस को सब कुछ पता चल गया है.
थाने में पुलिस ने गुलाम सरवर से भी सख्ती से पूछताछ की. सरवर ने अपना जुर्म कबूल करते हुए पूरी घटना सिलसिलेवार बता दी. पुलिसिया पूछताछ में दोहरे हत्याकांड के पीछे विश्वासघात और रुपए हड़पने की कहानी सामने आई. कभी जीजा कहने वाले तांत्रिक अजीज ने अपनी ही मुंहबोली बहन को विधवा बना दिया.
बहुचर्चित रविंद्र निषाद और संगम देवी हत्याकांड की गुत्थी पुलिस ने सुलझा ली थी. 16 मार्च, 2019 को एसएसपी डा. सुनील गुप्ता ने पत्रकार वार्ता का आयोजन कर के पत्रकारों के सामने दोहरे हत्याकांड का सिलसिलेवार तरीके से खुलासा किया. इस दोहरे हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—
35 वर्षीय रविंद्र निषाद उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के महुलीसुधरपुर का रहने वाला था. रविंद्र अपने बड़े भाई वीरेंद्र के साथ एक ही मकान में संयुक्त रूप से रहता था. दोनों भाइयों में गजब का आपसी मेलजोल था. दोनों एकदूसरे के सुखदुख में बराबर खड़े रहते थे.
रविंद्र ठेकेदार था. वह दूरदूर तक प्लंबिंग का ठेका लेता था. ठेकेदारी के काम से उस ने खूब पैसा कमाया. उस ने अपना आलीशान मकान बनवाया. बच्चों के सुखसुविधा की सारी भौतिक वस्तुओं का प्रबंध किया. अपने दोनों बेटों आदित्य और अभय को अच्छे स्कूल में दाखिल कराया. उन की शिक्षा पर वह खूब पैसा खर्च कर रहा था.
इस बीच रविंद्र ने कूड़ाघाट की रहने वाली सरिता से इसी इलाके में एक बड़ा प्लौट खरीदा. उस ने जो प्लौट खरीदा था, बाद में पता चला कि वह विवादित है. सरिता ने वही प्लौट एक और व्यक्ति को भी बेच दिया था. रविंद्र को जब इस सच्चाई का पता चला तो उसे अपने साथ हुए धोखे का अहसास हुआ.
रविंद्र समझदार इंसान था. उस ने बड़ी ही सूझबूझ से काम लिया और सरिता से अपना पैसा लौटाने का आग्रह किया. लेकिन सरिता की नीयत बिगड़ चुकी थी. उस ने पैसे देने से इनकार कर दिया. बात लाखों रुपए की थी. रविंद्र यूं ही अपना पैसा आसानी से नहीं जाने देना चाहता था. जब उस ने देखा कि बात आसानी से नहीं बनेगी तो उस ने अदालत का सहारा लिया.
रविंद्र की पत्नी संगम का मायका कुशीनगर में था. जिस गांव में उस का मायका था, उसी गांव में तांत्रिक अजीज का भी पुश्तैनी मकान था. वह संगम को अच्छी तरह जानता पहचानता था. अजीज संगम को बहन कहता था. अजीज का गोरखपुर के चिलुआताल के काजीपुर डोहरिया में भी मकान था. अजीज अपने परिवार के साथ अधिकतर काजीपुर डोहरिया में ही रहता था.
पुलिस के अनुसार, काफी पहले आरोपी अजीज की जिंदगी बड़ी तंगहाली से गुजरी थी. तब वह तंत्रमंत्र नहीं जानता था, बल्कि मेहनतकश इंसान था. बात करीब 8 साल पहले की है. अजीज हैदराबाद में पेंट पौलिश का काम करता था. पेंट पौलिश के काम से इतनी कमाई नहीं होती थी, जितनी उस की ख्वाहिश थी. इसलिए उस ने वह काम छोड़ दिया.
जहां अजीज किराए के कमरे में रहता था, उसी के पड़ोस में एक झाड़फूंक करने वाला आदमी रहता था. अजीज देखता था कि वह बिना मेहनत किए झाड़फूंक से रोज हजारों रुपए कमा लेता है. अजीज के दिमाग में यह बात घर कर गई कि वह भी तंत्र विद्या सीखेगा. फिर क्या था, उस ने चतुराई से उस व्यक्ति को अपना गुरु बना लिया और उस से लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए तथाकथित तंत्र विद्या सीख ली.
तंत्रमंत्र का पाखंड सीखने के बाद वह हैदराबाद से गोरखपुर आ कर यही काम करने लगा. सन 2014 से वह झाड़फूंक कर के लोगों को ठग रहा था. उस की ढंग की दुकान चल निकली. उस के पास दूरदराज से भी बड़ी संख्या में लोग आते थे.
रविंद्र की ससुराल से अजीज का पुराना संपर्क था. रविंद्र के शरीर पर सफेद दाग हो गए थे. ससुराल के लोगों के कहने पर इलाज के लिए वह अजीज से डोहरिया जा कर मिला.
अजीज के झाड़फूंक करने पर रविंद्र के सफेद दागों में थोड़ा फायदा होने लगा. यह देख कर रविंद्र खुश हो गया और अजीज का मुरीद बन गया. इस के बाद से रविंद्र और उस के परिवार के लोगों का उस के पास आनेजाने का सिलसिला शुरू हो गया. अजीज रविंद्र को संगम की वजह से जीजा कहता था.
घर आनेजाने से तांत्रिक अजीज रविंद्र के घर के कोनेकोने से वाकिफ था. वह यह भी जानता था कि रविंद्र मालदार पार्टी है. रविंद्र उस का मुरीद है, यह बात तांत्रिक अजीज भलीभांति जानता था. उस ने सोचा क्यों न इस संबंध का लाभ उठाया जाए. संयोग की बात यह थी कि रविंद्र के पास 5 लाख रुपए घर में रखे थे. यह रकम उस ने जमीन खरीदने के लिए रखी थी.
अजीज को इस की जानकारी हो गई थी. उस ने मकान बनवाने की बात कहते हुए उस से 5 लाख रुपए उधार मांगे. अजीज ने उस से वायदा किया कि जब उसे कहीं जमीन मिल जाएगी तब वह लौटा देगा. रविंद्र इनकार नहीं कर सका और 5 लाख रुपए उसे दे दिए. यह जून 2018 की बात है.
इसी बीच अजीज के छोटे भाई नफीस की शादी पक्की हो गई थी. शादी 17 फरवरी, 2019 को होनी तय हुई. अजीज की मंशा थी कि शादी से पहले घर बनवाया जाए ताकि नई दुलहन आराम से रह सके. रविंद्र से लिए 5 लाख रुपए थे ही. अजीज को 5 लाख रुपए दिए हुए धीरेधीरे 6 महीने बीत गए. रुपए लेने के बाद अजीज ने डकार तक नहीं ली. वह चुप्पी साध कर बैठ गया.
फिर क्या था? रविंद्र ने रुपए वापस करने के लिए अजीज से तगादा करना शुरू कर दिया. रुपए को ले कर दोनों के संबंधों में दरार आ गई. इसी बीच नफीस की शादी भी कैंसिल हो गई. भाई की शादी टूट जाने और रविंद्र के बारबार तगादा करने से अजीज रविंद्र से चिढ़ गया. वैसे भी लौटाने के लिए उस के पास रुपए नहीं थे. वह सब मकान बनवाने में खर्च हो गए थे. अब वह रुपए लौटाता तो कहां से. उस की समझ में कुछ नहीं आ रहा था.
अजीज की नीयत में खोट आ गई थी. वह रविंद्र के रुपए हड़पना चाहता था. उधर, रविंद्र और उस की पत्नी संगम के बारबार के तगादे से अजीज परेशान हो गया था. उस ने उसे कई बार समय दिया लेकिन रुपए नहीं लौटा सका. परेशानी की इस हालत में अजीज के दिमाग में एक खतरनाक विचार आया. उस ने सोचा कि क्यों न रविंद्र को ही रास्ते से हटा दिया जाए. न वह जिंदा रहेगा और न रुपए के लिए बारबार तगादा करेगा.
गुलाम सरवर तांत्रिक अजीज का परम भक्त था, जो कुशीनगर जिले के पड़रौना के गायत्रीनगर में रहता था. वह बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित एक आयुर्वेदिक मैडिकल कालेज से बीएमएस की पढ़ाई कर रहा था. तीसरे सेमेस्टर में 2 बार फेल होने के कारण वह पढ़ाई छोड़ कर महाराजगंज में जनसेवा नामक हास्पिटल चलाने लगा था. रोजीरोटी के लिए गुलाम सरवर बेल्डिंग का काम करता था.
परेशान अजीज ने गुलाम सरवर के सामने अपना दुखड़ा रोया और रविंद्र को रास्ते से हटाने में उस से मदद मांगी तो वह बिना सोचेसमझे अजीज का साथ देने के लिए तैयार हो गया. सरवर के साथ आ जाने के बाद उस ने छोटे भाई नफीस को भी साथ मिला लिया.
तीनों ने मिल कर योजना बनाई कि रुपए लौटाने के बहाने रविंद्र को घर बुलाएंगे और उस का काम तमाम कर के लाश को कहीं ठिकाने लगा देंगे. इस बीच नफीस और गुलाम सरवर स्थान की भी रेकी कर आए. गुलाम सरवर पडरौना से सर्जिकल ब्लेड और ग्लव्स खरीद लाया.
सब कुछ तय योजना के मुताबिक चल रहा था. योजना के मुताबिक, 6 मार्च, 2019 को अजीज ने रविंद्र को फोन कर कहा कि तुम 7 मार्च, 2019 को घर आ कर रकम ले जाओ. गुलाम सरवर और नफीस 7 मार्च की सुबह ही अजीज के घर आ गए थे. पिछली रात नफीस पडरौना स्थित गुलाम सरवर के घर रुक गया था. दोपहर में सरवर व नफीस कार से 8 किलोमीटर दूर सहजनवा के भकसा गांव गए. उन्हें वारदात को अंजाम देना था.
रेकी करने के बाद दोनों वापस आए. शाम 4 बजे अजीज ने रविंद्र को फोन कर के पूछा कि कब तक आ रहे हो. रविंद्र ने कुछ समय बाद पहुंचने को कहा. फिर रविंद्र ने उसी समय पत्नी संगम को फोन किया कि तुम तैयार हो जाओ, पैसे लेने अजीज के यहां पहुंचना है.
संगम को डाक्टर के पास चेकअप के लिए भी जाना था सो वह तैयार हो गई. संगम तैयार हो कर कैंट इलाके के रुस्तमपुर पहुंची तब तक रविंद्र भी बुलेट मोटरसाइकिल से सहजनवा की सरैया साइट से वहां पहुंच गया. पत्नी संगम को साथ ले कर रविंद्र शाम 5 बजे अजीज के घर डोहरिया पहुंच गया.
रविंद्र के साथ उस की पत्नी संगम को देख कर तीनों चौंक गए. अजीज ने मन ही मन सोचा कि शिकार तो एक होना था, यहां तो दोनों ही शिकार होने चले आए. फिर क्या था, अजीज दोनों से कुछ देर इधरउधर की बातें करता रहा. तब तक नफीस दोनों की खातिरदारी के लिए प्लेट में नाश्ता और पीने के लिए पानी ले आया. अजीज ने पानी में पहले ही नशीली गोली डाल दी थी. वही पानी नफीस ने दोनों को पिला दिया.
पानी पीने के कुछ देर बाद दोनों अचेत हो गए. दोनों के बेहोश होने के बाद नफीस और गुलाम सरवर लाल रंग की मारुति कार में डाल कर उन्हें सहजनवा के भकसा गांव ले गए. कार से काजीपुर डोहरिया से भकसा पहुंचने में उन्हें करीब डेढ़ घंटा लगा. कार खुद गुलाम सरवर चला रहा था. उस समय रात के 10 बज रहे थे.
कार उन्होंने गांव के बाहर खड़ी कर दी. नफीस और सरवर ने कार से रविंद्र और संगम को बारीबारी से बाहर निकाला और खेत में ले जा कर लेटा दिया. सरवर ने हाथों में ग्लव्स पहने और सर्जिकल ब्लेड से रविंद्र की गला रेत कर हत्या कर दी.
इत्तफाक से उसी समय संगम को होश आ गया और उस ने पति की हत्या होते देख ली. वह लड़खड़ाती हुई वहां से भागी. लेकिन उन के हाथों से नहीं बच सकी. करीब 200 मीटर दूर दौड़ा कर उस की भी उसी ब्लेड से हत्या कर दी गई.
पुलिस को गुमराह करने के लिए सर्जिकल ब्लेड और ग्लव्स उन्होंने घटनास्थल पर ही छोड़ दिए. रविंद्र की मोटरसाइकिल और दोनों मोबाइल फोन ले कर वे वहां से चले गए. रास्ते में राप्ती नदी थी, अजीज ने दोनों मोबाइल फोन नदी में फेंक दिए और घर जा कर आराम से सो गया. अगले दिन नफीस और सरवर पडरौना चले गए. नफीस पडरौना से फरार हो गया. कथा लिखे जाने तक वह गिरफ्तार नहीं हुआ था.
आरोपी अजीज और गुलाम सरवर जेल में बंद हैं. पुलिस ने रविंद्र की बुलेट मोटरसाइकिल बरामद कर ली थी. नदी में फेंके जाने से मोबाइल बरामद नहीं हो सके. तांत्रिक का नाम था तो अजीज लेकिन वह किसी का भी अजीज नहीं हुआ.
—कथा में सरिता परिवर्तित नाम है. कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित