महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर दुनिया भर में औरेंज सिटी के नाम से मशहूर है, क्योंकि यहां अच्छी क्वालिटी और वैरायटी के संतरे पैदा होते हैं. नागपुर बदनाम भी कम नहीं है. खुलेआम देहव्यापार के अलावा नागपुर में छोटेबड़े अपराध भी इफरात से होते हैं. इन में से कई तो इतने हाईप्रोफाइल और अजीबोगरीब होते हैं कि उन्हें देख लोग दांतों तले अंगुली दबा लेते हैं.

दूसरे शहरों की तरह नागपुर का भी अपना एक अलग मिजाज और पहचान है. 14 अप्रैल का दिन नागपुर वासियों के लिए बेहद खास होता है, क्योंकि यहां बौद्ध धर्म के अनुयायी बहुतायत से हैं और इस दिन पूरे उत्साह और धूमधाम से अंबेडकर जयंती मनाते हैं. नागपुर संविधान निर्माता डा. भीमराव अंबेडकर की कर्मस्थली भी रहा है. यहीं पर उन्होंने हिंदू धर्म छोड़ कर बौद्ध धर्म अपनाया था.

बीती 14 अप्रैल को भी शहर में अंबेडकर जयंती की धूम थी. अंबेडकर को मानने वाले सुबह से ही फेरियां निकाल रहे थे. जगहजगह अंबेडकर वादियों का जमावड़ा था और चारों तरफ से बाबासाहेब अमर रहें जैसे नारे गूंज रहे थे. इस दिन नागपुर के लोग अमूमन घर से निकलने से बचते हैं, क्योंकि उन्हें मालूम होता है कि हर सड़क पर कोई न कोई जुलूस निकल रहा होगा.

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दत्तवाड़ी नागपुर का पौश इलाका है, जिस के सुरक्षानगर में मध्यमवर्गीय लोग रहते हैं. सुरक्षानगर के शृंखलाबद्ध खूबसूरत मकानों में से एक में रहते थे 72 वर्षीय शंकर अतुलचंद्र चंपाती. रिटायरमेंट से पहले चंपाती स्टेट माइनिंग कारपोरेशन जैसे अहम विभाग में कर्मचारी थे. उन के घर में उन से 7 साल छोटी पत्नी सीमा और 23 साल की बेटी ऐश्वर्या उर्फ प्रियंका को मिला कर कुल जमा 3 सदस्य थे.

चंपाती परिवार को देख हर कोई भी वैसी ही जिंदगी की तमन्ना कर सकता था. इस परिवार में सब कुछ था सुख, शांति और समृद्धि के अलावा संपन्नता भी. ये सारी चीजें आमतौर पर हर घर में एक साथ नहीं रह पातीं. यह जान कर भी हर किसी को हैरानी होती थी कि अच्छी खासी पेंशन पाने वाले शंकर चंपाती सब कुछ होने के बाद भी दत्तवाड़ी में ही नारियल पानी बेचने का धंधा करते थे और पत्नी सीमा इस में उन का हाथ बंटाती थी.

शंकर को नजदीक से जानने वाले जानते थे कि असल में वे मूलरूप से बंगाली हैं और उन का असली सरनेम चक्रवर्ती हुआ करता था, जो उन्होंने बदल दिया था.

शंकर चंपाती ऐशोआराम की जिंदगी जीने में यकीन नहीं करते थे और न ही उन्हें किसी तरह का दिखावा पसंद था. अपने मकान के अलावा नागपुर में उन का एक मकान और था, जिस में लगभग 10 किराएदार रहते थे. किराए से भी उन्हें अच्छीखासी आमदनी हो जाती थी.

नाम के मुताबिक बेइंतहा खूबसूरत ऐश्वर्या भी एक नामी सौफ्टवेयर कंपनी में नौकरी कर रही थी. उसे भी आकर्षक वेतन मिलता था. अच्छी बात यह थी कि ऐश्वर्या को बीई की डिग्री लेने के बाद ही जौब मिल गई थी. वह भी अपने ही शहर में, जिस के चलते उसे मम्मीपापा को छोड़ कर दूसरे किसी शहर का रुख नहीं करना पड़ा था.

शंकर चंपाती और सीमा इकलौती बेटी पर जान छिड़कते थे, क्योंकि वही उन की जिंदगी का मकसद थी. चंपाती दंपति को बेहद नजदीक से जानने वाले लोग ही जानते थे कि ऐश्वर्या उन की अपनी बेटी नहीं थी, बल्कि उन्होंने उसे एक अनाथालय से उस वक्त गोद लिया था, जब वह केवल 7 महीने की थी. ऐश्वर्या की मां की मौत के बाद उस का पिता उसे अनाथालय में छोड़ गया था, क्योंकि उसे दूसरी शादी करनी थी.

23 साल में सीमा और शंकर इस बात को भूल गए थे जो स्वाभाविक भी थी. क्योंकि उन्होंने कभी ऐश्वर्या को उस नजर नहीं देखा था, जिस नजर से आमतौर पर लोग गोद ली संतान को देखते हैं. ऐश्वर्या की बेहतर परवरिश के साथसाथ उन्होंने उसे अच्छी शिक्षा दिलाई थी, जिस का नतीजा था कि वह एक नामी कंपनी में अच्छे पैकेज और अच्छे पद पर कार्यरत थी.

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शंकर और सीमा चाहते थे कि उन की बेटी जिंदगी में ऊंचा मुकाम हासिल करे, इसलिए उन्होंने ऐश्वर्या को नागपुर के नामी जीएम रायसोनी इंजीनियरिंग कालेज में दाखिला दिलाया था.

14 अप्रैल को दोपहर का खाना खाने के बाद ऐश्वर्या शौपिंग करने घर से निकली थी. नागपुर के ही रामदास पेठ स्थित बिग बाजार में उस ने खरीदारी की और फोन कर अपनी मौसेरी बहन मेघा को भी बुला लिया. दोनों कुछ घंटे साथसाथ रह कर खाती पीती रहीं और शाम 7 बजे के लगभग अलग हुईं. मेघा अपने घर चली गई और ऐश्वर्या अपने घर आ गई.

घर में दाखिल होते ही ऐश्वर्या की चीख निकल गई, क्योंकि बिस्तर पर मम्मीपापा की लहूलुहान लाशें पड़ी थीं, जिन्हें देख उसे गश सा आ गया. पूरा कमरा खून से भरा था. ऐश्वर्या ने खुद को संभाल कर पड़ोसियों को आवाज दी तो देखते ही देखते शंकर चंपाती के घर के बाहर मोहल्ले वालों की भीड़ इकट्ठा हो गई. जिस ने भी सीमा और शंकर को इस हालत में देखा, वह सकते में आ गया.

तरहतरह की बातें होने लगीं कि क्या बुरा वक्त आ गया है जो दत्तवाड़ी जैसे पौश इलाके में भी लोग महफूज नहीं रहे. आखिर दिनदहाड़े हत्या की वारदात कैसे हो गई.

हर कोई ऐश्वर्या से हादसे के बारे में जानना चाह रहा था. रोती सुबकती ऐश्वर्या इतना ही बता पाई कि जब दोपहर में मम्मीपापा के साथ खाना खा कर वह बाजार के लिए निकली थी, तब घर में सब कुछ ठीकठाक था. वह बिग बाजार में अपनी मौसेरी बहन मेघा के साथ थी लेकिन जब लौटी तो मम्मीपापा को इस हालत में पाया.

इसी दौरान भीड़ में से किसी ने पुलिस को भी खबर कर दी थी. देखते ही देखते बुजुर्ग दंपति की हत्या की खबर शहर भर में फैल गई. हर किसी का अंदाजा यही था कि हत्या लूटपाट के इरादे से की गई होगी, क्योंकि चंपाती परिवार के पास पैसों की कोई कमी नहीं थी.

डबल मर्डर की सूचना मिलते ही पुलिस कंट्रोल रूम की टीम तुरंत मौके पर पहुंच गई, जिस का नेतृत्व पुलिस उपायुक्त विवेक मासाल और इंसपेक्टर संतोष खांडेकर कर रहे थे. शुरुआती पूछताछ में सारी बातों के साथसाथ यह भी पता चला कि घर में रखे करीब 10 हजार रुपए और लगभग एक लाख रुपए की कीमत के गहने भी गायब थे.

पुलिस वालों को पहली ही नजर में यह वारदात इरादतन लूटपाट की लगी. हत्या के ऐसे नृशंस मामलों में मुलजिम कोई सबूत छोड़ कर नहीं जाता, वही इस मामले में दिख रहा था. दुखी ऐश्वर्या से पुलिस ने ज्यादा पूछताछ करना ठीक नहीं समझा, लेकिन जितनी भी पूछताछ की गई, उस में वह गड़बड़ाती नजर आई.

वारदात संगीन थी, इसलिए देर रात पुलिस कमिश्नर डा. भूषण उपाध्याय और क्राइम ब्रांच के मुखिया पुलिस कमिश्नर नीलेश भरणे भी घटनास्थल पर पहुंच गए. मामले की जांच की जिम्मेदारी क्राइम ब्रांच को दे दी गई.

पुलिस दल ने जब पड़ोसियों से अलग अलग पूछताछ की तो एक चौंका देने वाली बात सामने आई. वह यह कि कुछ दिनों से बापबेटी में अनबन चल रही थी. वजह यह थी कि ऐश्वर्या जिस युवक से शादी करना चाह रही थी, वह शंकर और सीमा को नापसंद था, क्योंकि ऐश्वर्या का प्रेमी हिंदू नहीं बल्कि मुसलमान था.

यह एक महत्त्वपूर्ण जानकारी थी. इस के अलावा पुलिस टीम को दूसरी चौंका देने वाली जानकारी यह भी मिली कि चंपाती परिवार का चौथा सदस्य उन का पालतू कुत्ता नहीं भौंका था, जबकि वह अपरिचितों को घर में पांव भी नहीं रखने देता था.

अभी तक जो पुलिस नाजुक और मासूम ऐश्वर्या को इस हादसे से अलग मान कर चल रही थी, अब पूरी जांच के केंद्र में वही आ गई थी. गोद ली गई ही सही, बेटी अपने मांबाप की हत्या भी कर सकती है.

यह बात तजुर्बेकार पुलिस वालों के भी गले नहीं उतर रही थी. दूसरे हादसे के वक्त बिग बाजार में होने के बाबत भी ऐश्वर्या झूठ बोलती नहीं लग रही थी. यही एकलौती बात थी जो वह पूरे आत्मविश्वास से बारबार कह रही थी, जिस की पुष्टि मेघा से भी हो गई थी.

अब पुलिस का ध्यान एक दूसरी संभावना पर गया कि मुमकिन है ये कत्ल योजनाबद्ध तरीके से किए गए हों, जिस का एक हिस्सा यह भी रहा होगा कि ऐश्वर्या वारदात के वक्त घर नहीं रहेगी और यह बात प्रमाण बन जाएगी. इस थ्यौरी में दम था, लिहाजा पुलिस ने ऐश्वर्या के आशिक के बारे में जानकारियां जुटानी शुरू कर दीं.

पुलिस ऐश्वर्या पर भी शक कर रही है, इस बात को उस ने उजागर नहीं होने दिया. उस के आशिक के बारे में जानकारी जुटाने में पुलिस को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी. चंपाती दंपति के एक नजदीकी रिश्तेदार ने ऐश्वर्या के आशिक का नाम बता दिया, वह था इखलाक खान.

इखलाक और ऐश्वर्या बचपन से साथ पढ़े थे और किशोरावस्था में ही उन के दिलों में प्यार का बीज अंकुरित हो गया था. हाईस्कूल के बाद उन की राहें अलगअलग हो गई थीं, लेकिन वह बीज धीरेधीरे पहले पौधा और फिर पेड़ कब बन गया, इस का अहसास उन्हें तब हुआ जब दोनों कालेज की पढ़ाई कर चुके थे.

कसरती बदन का मालिक इखलाक उभरता हुआ क्रिकेटर था और साल 2012 में उस का चयन अंडर-16 टीम में विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन ने किया था. तेज गेंदबाज उमेश यादव को अपना आदर्श मानने वाला इखलाक अच्छा गेंदबाज था और जरूरत पड़ने पर बल्लेबाजी भी कर लेता था.

इखलाक के पिता मुश्ताक खान पेशे से ठेकेदार हैं, जिन की आर्थिक स्थिति ऊपर से देखने में ठीकठाक लगती है लेकिन वह बहुत ज्यादा संपन्न नहीं हैं. उन्हें 6 बच्चों के भरेपूरे परिवार के सम्मान जनक गुजारे लायक आमदनी हो जाती थी. पिछले साल ही इखलाक की एक बहन की शादी थी.

इस में कोई शक नहीं कि इखलाक एक उम्दा प्रतिभावान खिलाड़ी था, जिस में अपार संभावनाएं थीं. अंडर-18 और अंडर-19 टीम में खेलने वह जिंबाब्वे का दौरा भी कर चुका था. इंग्लैंड वर्ल्डकप में भी उस का चयन हो गया था, लेकिन वह टीम में शामिल नहीं हुआ था. उस ने इस की वजह व्यक्तिगत बताई थी. देश के कई नामी क्रिकेटरों से उस के अच्छे और व्यक्तिगत संबंध थे.

12वीं के बाद ही ऐश्वर्या और इखलाक नागपुर की सड़कों और मौल्स में हाथ में हाथ डाले घूमते नजर आने लगे थे. इश्क और मुश्क वाकई छिपाए नहीं छिपते, यह कहावत इन दोनों के प्यार से भी उजागर हुई. जब शंकर को पता चला कि ऐश्वर्या एक मुसलमान लड़के के साथ घूमती फिरती है तो उन्होंने इस पर ऐतराज किया.

उन्हें उम्मीद थी कि ऐश्वर्या उन की भावनाओं को समझ कर इस दोस्ती या प्यार पर यहीं पूर्णविराम लगा देगी. लेकिन ऐश्वर्या ने तो अर्धविराम भी नहीं लगाया. कालेज की पढ़ाई होने के बाद जैसे ही उस की नौकरी लगी तो वह हवा में उड़ने लगी. बापबेटी में अकसर इखलाक को ले कर विवाद होने लगा.

शंकर चंपाती किसी भी कीमत पर एक मुसलमान लड़के को दामाद नहीं बनाना चाहते थे. जबकि दूसरी तरफ ऐश्वर्या भी ठान कर बैठी थी कि शादी करेगी तो सिर्फ इखलाक से, वरना किसी से नहीं करेगी. अपना प्यार जताने के लिए वह रमजान में रोजे भी रखती थी.

इसी तकरार के दौरान ऐश्वर्या को पता चला कि वह नागपुर के ही सीताबर्डी इलाके में स्थित मातृसेवा संघ के अनाथालय से गोद ली हुई बेटी है तो उसे झटका लगा. यह एक स्वाभाविक बात भी थी, लेकिन ऐश्वर्या ने यह नहीं सोचा कि उस का सगा पिता महज अपनी गृहस्थी बसाने की गरज से उसे अनाथालय छोड़ गया था.

शंकर चंपाती ने तो उसे गोद ले कर उस पर जो लाड़प्यार लुटाया था, वह शायद कई मांबाप सगी औलाद पर भी नहीं लुटा पाते. ऐश्वर्या ने इसे अहसान तो दूर की बात है, शंकर और सीमा का आभार भी नहीं माना था तो यह उस की खुदगर्जी और अहसानफरामोशी ही थी.

जब यह तय हो गया कि शंकर किसी भी कीमत पर नहीं मानेंगे तो ऐश्वर्या दुविधा में फंस गई कि अब क्या करें. इस बारे में जब उस ने इखलाक से बातचीत की तो पैसों की जरूरत के मारे इस होनहार खिलाड़ी ने एक नया खेल खेल डाला.

समझाबुझा कर उस ने ऐश्वर्या को इस बात पर राजी कर लिया कि छिप कर शादी करने या भागने से फूटी कौड़ी हाथ नहीं लगेगी, फिर जिंदगी कैसे गुजारेंगे. मेरे पास तो नौकरी भी नहीं है.

महत्त्वाकांक्षी ऐश्वर्या अपनी खुद की आईटी कंपनी खोलने का ख्वाब देखने लगी थी और इखलाक को आईपीएल में खेलते देखना चाहती थी. कई बार वह अपने प्रेमी की आर्थिक सहायता भी कर चुकी थी. यह राशि 5 लाख रुपए के लगभग थी.

इधर ऐश्वर्या को न मानते देख शंकर का दिल भी नागपुर से उचटने लगा था, इसलिए उन्होंने अपनी करोड़ों की जायदाद बेच कर पुणे में बसने का फैसला कर लिया था.

सगी औलाद होती तो दबाव बना कर या समझाबुझा कर रास्ते पर ले आते, लेकिन ऐश्वर्या बातबात में यह कहने लगी थी कि मैं सगी नहीं गोद ली हुई बेटी हूं, इसलिए वे लोग उस की शादी इखलाक से नहीं होने देना चाहते. ऐश्वर्या यह तक कहने लगी थी कि सगी बेटी होती तो आप इनकार नहीं करते.

बेटी की ये बातें बूढ़े शंकर के कलेजे पर नश्तर की तरह चुभती थीं और चुभती भी क्यों नहीं, क्योंकि उन्होंने तो कभी यह समझा ही नहीं था कि ऐश्वर्या किसी और का खून है. अब चंपाती परिवार का सुखचैन छिन गया था और उस की जगह स्थायी तनाव और अस्थायी कलह ने ले ली थी.

इस हालत से बचने के लिए उन्हें यह फैसला ठीक लगा था कि सब कुछ बेचबाच कर पुणे चले जाएं. संभव है वहां जा कर ऐश्वर्या शायद इखलाक को भूल जाए. जायदाद बेचने के लिए उन्होंने कुछ दलालों से भी कह दिया था. सीमा और शंकर ने ऐश्वर्या से बात करना भी कम कर दिया था.

जैसे ही इस की भनक ऐश्वर्या को लगी तो उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई. उसे पहली दफा लगा कि इखलाक सच कह रहा है कि ऐसे तो कुछ हाथ नहीं लगने वाला.

23 साल की बेटी होने का जो सुख उस ने शंकर और सीमा को दिया था, उस की कीमत वसूलने के लिए यह कलयुगी बेटी उन की हत्या करने तक को उतारू हो गई. ऐश्वर्या की साजिश के बाबत हां करने की देर थी कि लालची इखलाक ने पूरी योजना बना डाली और बाहर से भाड़े का शूटर तक बुला लिया.

हत्या करना इतना आसान काम नहीं होता. इखलाक ने योजना बनाते वक्त अपनी तरफ से तमाम ऐहतियात बरती थीं. वह हादसे को लूटपाट की घटना साबित करना चाहता था, इसलिए उस ने ऐश्वर्या को समझा दिया कि उसे क्या क्या करना है.

योजना के मुताबिक 14 अप्रैल को ऐश्वर्या ने खाने के बाद खरबूजे में नींद की दवा मिला दी, ताकि मम्मीपापा बेहोश हो जाएं और इखलाक और उस का साथी इत्मीनान से उन की हत्या कर दे. उस दिन इखलाक अपने साथी सहित चोरीछिपे दीवार के सहारे ऐश्वर्या के घर आया.

चूंकि कुत्ता एक बड़ा अड़ंगा था, इसलिए ऐश्वर्या इन दोनों के अंदर जाने तक उस के पास ही खड़ी रही, जिस से कुत्ता नहीं भौंका. दोनों के घर में दाखिल होने के बाद ऐश्वर्या शौपिंग के लिए चली गई.

दूसरी ओर घर में इखलाक और उस के साथी ने सीमा और शंकर की गला रेत कर हत्या कर दी. उन बेचारों को तो नींद में शायद पता भी नहीं चला होगा कि 23 साल पहले वे अनाथालय से बेटी नहीं बल्कि अपनी मौत उठा कर ले आए थे.  पोस्टमार्टम रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि हुई थी कि शंकर और सीमा के खाने में नींद की तगड़ी खुराक मिलाई गई थी, लेकिन ऐश्वर्या पर इस सब का कोई असर नहीं हुआ था.

इस दौरान ऐश्वर्या और इखलाक मोबाइल फोन के जरिए बराबर संपर्क में रहे. ऐश्वर्या अपने हत्यारे आशिक की राह आसान करते हुए उसे पलपल की जानकारी दे रही थी.

दोनों को उम्मीद थी कि पुलिस इसे लूटपाट के बाद सबूत मिटाने की गरज से की गई हत्या समझेगी और कुछ दिन बाद बात आई गई हो जाएगी. इन दोनों ने तो यह तक तय कर लिया था कि जायदाद बेचने के बाद वे नोएडा में मकान खरीद कर रहेंगे.

हुआ वही, जैसी कि योजना बनी थी. शाम को ऐश्वर्या घर आई और रोने का ड्रामा करने लगी, जिस से थोड़ी देर के लिए ही असमंजस की स्थिति बनी.

पुलिस ने इखलाक को दबोचा तो वह शुरू में तो खुद को बेगुनाह बता कर बचाव करता रहा, लेकिन पुलिस के टेढ़े सवालों से ज्यादा देर तक बच नहीं पाया और अपना जुर्म कबूल कर लिया. पुलिस ने इन दोनों को अदालत में पेश कर रिमांड पर ले लिया और इखलाक के साथी की तलाश में जुट गई.

पुलिस जब इन के वाट्सऐप और फेसबुक की चैटिंग की जांच कर रही थी, तब एकएक कर चैट डिलीट होने लगे. ऐश्वर्या टेक्नोलौजी की जानकार थी, इसलिए चैटिंग डिलीट कर रही थी, जिस से पुलिस सच तक न पहुंच पाए. इसी चक्कर में पुलिस का शक उस पर और इखलाक पर गहराया भी. वारदात के समय दोनों की मोबाइल फोन पर कई बार बात हुई थी.

यह बात जिस ने भी सुनी, थूथू ही की और गोद ली हुई बेटी की अहसान फरामोशी को कोसा, जिस ने मांबाप की भावनाओं की परवाह नहीं की और जायदाद के लिए उन की हत्या तक करवा दी. अब दोनों की योजना फेल हो गई और दोनों जेल में अपने किए की सजा भुगत रहे हैं. इन दोनों ने लालच के चलते अपना कैरियर तबाह कर लिया और रिश्तों को बदनाम किया सो अलग.

इस हत्याकांड से न केवल गोद ली हुई संतानों की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगा है बल्कि मोहब्बत भी बदनाम हुई है. इखलाक का मकसद सिर्फ पैसा था, नहीं तो अगर वाकई वह ऐश्वर्या को चाहता होता तो उसे इतनी खतरनाक सलाह कतई नहीं देता.

लालच ऐश्वर्या के मन में भी आ गया था और वह भी मांबाप के पैसों से मौजमस्ती की जिंदगी जीने का ख्वाब देखने लगी थी.

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