कैलामऊ गांव के 2 युवक राजू और कमल पुलिस में भरती होने की तैयारी कर रहे थे. इस के लिए वह रोजाना सुबह के समय दौड़ लगाते थे. 16 अप्रैल को सुबह करीब पौने 5 बजे दोनों दौड़ लगाने घर से निकले तो उन्होंने गांव के बाहर एक खेत में 2 लाशें पड़ी देखीं.

लाशें देखते ही दोनों दौड़ते हुए गांव आए और उन्हें जो भी मिला उसे 2 लाशें पड़ी होने की सूचना दी. इस के बाद गांव के लोग खेत की तरफ दौड़ पड़े. कुछ ही देर में वहां भीड़ जुट गई. गांव वालों ने लाशें देखीं तो तुरंत पहचान गए. दोनों रामकिशोर की बेटियां संध्या और शालू थीं.

किसी ने यह खबर रामकिशोर को दी तो बेटियों की हत्या की खबर सुनते ही रामकिशोर परेशान हो गया. उस के घर में चीखपुकार मच गई. वह जल्दी ही अपनी पत्नी जयदेवी के साथ घटनास्थल पहुंच गया. दोनों बेटियों के शव देख कर मियांबीवी फूटफूट कर रोने लगे. जितेंद्र भी अपनी बहनों की लाशें देख कर दहाड़ मार कर रोने लगा. यह बात 16 अप्रैल प्रात: 5 बजे की है.

सूरज का उजाला फैला तो 2 सगी बहनों की हत्या की खबर कैलामऊ के आसपास के गांवों में भी फैल गई. कुछ ही देर बाद वहां देखने वालों का तांता लग गया. इसी बीच किसी ने फोन द्वारा यह सूचना थाना बसरेहर पुलिस को दे दी. सुबहसुबह डबल मर्डर की खबर पा कर थानाप्रभारी आर.के. सिंह ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को यह सूचना दे दी. फिर वह पुलिस टीम के साथ कैलामऊ गांव पहुंच गए.

उन्होंने घटनास्थल को पीले फीते से कवर किया ताकि साक्ष्यों से छेड़छाड़ न हो सके. उसी समय एसएसपी अशोक कुमार त्रिपाठी, एडीशनल एसपी डा. रामयश सिंह आ गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल पर फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया था. भारी भीड़ को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस फोर्स मंगवा ली.

पुलिस अधिकारियों ने लाशों का मुआयना किया तो पता चला कि दोनों बहनों की हत्या गोली मार कर की गई थी. दोनों के सीने में गोली मारी गई थी, जो आरपार हो गई थी. मृतका संध्या की उम्र 18 वर्ष के आस पास थी, जबकि उस की छोटी बहन शालू की उम्र लगभग 15 वर्ष थी. शवों के पास ही शराब की खाली बोतल, तमंचा, 5 जीवित कारतूस, खाली खोखे, टौर्च, चप्पलें और एक मोबाइल पड़ा था.

फोरैंसिक टीम ने शराब की बोतल, तमंचा तथा टौर्च से फिंगरप्रिंट लिए. इस के साथ ही अन्य साक्ष्य भी जुटाए गए. पुलिस ने घटनास्थल पर मिली सभी चीजें बरामद कर लीं. पुलिस अधिकारियों ने मृतक बहनों के पिता रामकिशोर से घटना से संबंध में जानना चाहा तो वह फफक पड़ा.

उस ने बताया कि बीती रात वह फसलों की रखवाली के लिए खेतों पर था. सुबह उस का बेटा जितेंद्र रोतेपीटते आया और बताया कि संध्या व शालू को किसी ने मार डाला है. इस के बाद वह पत्नी को घर से ले कर घटनास्थल पर पहुंचा.

‘‘क्या तुम बता सकते हो कि तुम्हारी बेटियों की हत्या किस ने और क्यों की?’’ एसएसपी ने रामकिशोर से पूछा.

‘‘साहब, हम गरीब किसान हैं. हमारी किसी से न तो कोई रंजिश है और न ही किसी से लेनदेन का झगड़ा है. पता नहीं मेरी बच्चियों ने किसी का क्या बिगाड़ा था, जो उन्हें मार डाला.’’

इस के बाद उन्होंने रामकिशोर के बेटे जितेंद्र से पूछताछ की तो उस ने कहा, ‘‘सर सोमवार की शाम मैं घर पर ही था. देर शाम संध्या और शालू मां से जंगल जाने की बात कह कर घर से निकली थीं. काफी देर तक जब वे घर वापस नहीं आईं तो मैं ने मां से पूछा. मां ने कहा कि पड़ोस में रहने वाले ज्ञान सिंह के यहां तिलक का कार्यक्रम है. शायद दोनों वहीं चली गई होंगी. इस के बाद मैं सो गया. सुबह गांव में हल्ला मचा तो पता चला कि संध्या और शालू की हत्या हो गई है.

प्रारंभिक पूछताछ के बाद पुलिस ने जब शवों को पोस्टमार्टम हाउस भिजवाने की काररवाई शुरू की तो लोगों ने विरोध शुरू कर दिया. दरअसल लोगों को शक था कि संध्या और शालू को दरिंदों ने पहले हवस का शिकार बनाया और भेद न खुले इसलिए दोनों को मार डाला. भीड़ ने धमकी भरे लहजे में पुलिस अधिकारियों से कहा कि जब तक क्षेत्रीय विधायक, सांसद या जिलाधिकारी घटनास्थल पर नहीं आते, तब तक दोनों शवों को नहीं उठने देंगे.

पुलिस ने मामले को शांत करने के लिए  सदर विधायक व जिलाधिकारी को पूरे मामले की जानकारी दी और मौके पर आने का अनुरोध किया. मामले की गंभीरता को देखते हुए सदर विधायक सरिता भदौरिया और पूर्व सांसद रघुराज शाक्य मौके पर पहुंच गए. सरिता भदौरिया ने उत्तेजित लोगों को शांत कराया तथा आश्वासन दिया कि पीडि़त परिवार को जो भी सरकारी मदद संभव होगी दिलवाई जाएगी. एसएसपी अशोक कुमार त्रिपाठी ने भी आश्वासन दिया कि हत्यारों को जल्दी ही पकड़ लिया जाएगा.

विधायक सरिता भदौरिया के आश्वासन पर लोग शांत हो गए. इस के बाद एसएसपी ने आननफानन में मृतका संध्या और शालू के शव का पंचनामा भरवाया और दोनों शवों को पोस्टमार्टम हाउस, इटावा भिजवा दिया. ऐहतियात के तौर पर उन्होंने गांव में पुलिस फोर्स तैनात कर दी.

थाना पुलिस ने रामकिशोर की तरफ से भादंवि की धारा 302 के तहत अज्ञात हत्यारों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. इस के बाद थानाप्रभारी आर.के. सिंह ने कई संदिग्ध अपराधियों को पकड़ कर उन से पूछताछ की.

मृतका संध्या तथा शालू के शवों का पोस्टमार्टम डाक्टरों के पैनल ने किया. इस पैनल में डा. वीरेंद्र सिंह, डा. पीयूष तिवारी तथा डा. पल्लवी दीक्षित सम्मलित रहीं. उन्होंने रिपोर्ट में बताया कि दोनों बहनों की मौत 16 से 18 घंटे पहले सीने में गोलियां लगने से हुई थी.

दोनों के मरने में 3 से 5 मिनट का अंतर रहा होगा. गोलियां दिल के आरपार हो गई थीं. शरीर और नाजुक अंगों पर चोटों के निशान नहीं पाए गए. किशोरियों और हत्यारों के बीच हाथापाई के निशान भी नहीं मिले. अर्थात उन दोनों के साथ बलात्कार नहीं किया गया था.

एसएसपी अशोक त्रिपाठी ने इस डबल मर्डर के खुलासे के लिए एक सशक्त पुलिस टीम गठित की. इस टीम में 4 तेजतर्रार इंस्पेक्टरों, 6 सबइंसपेक्टरों तथा एक दरजन कांसटेबिलों को सम्मिलित किया गया. सहयेग के लिए सर्विलांस टीम को भी लगाया गया. एडीशनल एसपी डा. रामयश सिंह की अगुवाई में पुलिस टीम ने हत्यारों की तलाश शुरू कर दी.

पुलिस टीम ने सब से पहले घटनास्थल का निरीक्षण किया फिर मृतक बहनों के मातापिता व भाई के बयान दर्ज किए. भाई जितेंद्र के बयानों से पुलिस टीम को पता चला कि पड़ोसी गांव नगरा का रहने वाला विनीत उर्फ जीतू आवारा किस्म का युवक है. घटना से लगभग 3 महीने पहले उस ने संध्या से छेड़खानी की थी. विरोध पर उस ने उसे सबक सिखाने की धमकी दी थी.

विनीत उर्फ  जीतू पुलिस टीम के रडार पर आया तो पुलिस ने उसे तलाशना शुरू किया. लेकिन वह घर से फरार था. उस का मोबाइल सर्विलांस पर लगा दिया गया था. साथ ही उस के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई गई, जिस से पता चला कि 15 अप्रैल, 2019 की शाम 7 बजे उस ने जिस फोन नंबर पर बात की थी. वह नंबर कैलाशमऊ के आनंद का है.

पुलिस टीम ने आंनद को पकड़ लिया. घटनास्थल से पुलिस को संध्या का जो मोबाइल फोन मिला था, पुलिस ने उसे चैक किया, तो उस में आनंद का नंबर मिला. इस से पुलिस टीम समझ गई कि आनंद ने ही फोन कर संध्या को खेत पर बुलाया था.

पुलिस ने थाने ले जा कर आनंद से सख्ती से पूछताछ की तो वह टूट गया. उस ने स्वीकार कर लिया कि वह इस दोहरे हत्याकांड में शामिल था. उस ने बताया कि हत्या का मुख्य किरदार विनीत उर्फ जीतू है. उस ने अपने दोस्त अतिवीर और रंजीत के साथ मिल कर हत्या की योजना बनाई थी. बाद में वह भी उस में शामिल हो गया था.

पुलिस टीम ने आनंद से कहा कि  वह जीतू से फोन पर बात करे, जिस से उस की लोकेशन ट्रेस हो जाए. पुलिस के दबाव में आनंद ने जीतू से बात की तो उस ने बताया कि वह सिविल लाइंस इटावा में है. लेकिन देर रात अपने घर नगरा पहुंच जाएगा. यह पता चलते ही पुलिस टीम ने रात में दबिश दे कर विनीत उर्फ जीतू को पकड़ लिया.

इस के बाद पुलिस ने उस के दोस्त अतिवीर व रंजीत को हिरासत में ले लिया. इन सब का आमना सामना थाने में हुआ तो सभी के चेहरे उतर गए. बाद में सभी ने जुर्म कबूल कर लिया.

पुलिस टीम ने हत्याओं का परदाफाश कर अभियुक्तों को पकड़ने की जानकारी एसएसपी अशोक कुमार त्रिपाठी को दी. त्रिपाठी ने आननफानन में प्रैसवार्ता की और हत्यारों को मीडिया के सामने पेश कर डबल मर्डर के बारे में सब कुछ बता दिया.

चूंकि सभी ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था, इसलिए थानाप्रभारी आर.के. सिंह ने विनीत उर्फ जीतू आनंद, रंजीत व अतिवीर को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के बसरेहर थाना अंतर्गत एक गांव है कैलामऊ. इसी गांव में रामकिशोर अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी जयदेवी के अलावा 3 बेटियां तथा एक बेटा जितेंद्र था.

रामकिशोर के पास थोड़ी सी खेती की जमीन थी. उसी से वह अपने परिवार का भरणपोषण करता था. रामकिशोर की आर्थिक स्थिति भले ही कमजोर थी. लेकिन समाज के लोग उस की बहुत इज्जत करते थे. वह बिरादरी की पंचायत का मुखिया था. रामकिशोर अपनी बड़ी बेटी का विवाह औरैया जिले में कर चुका था. रामकिशोर की 3 बेटियों में संध्या मंझली बेटी थी. वह अपनी अन्य बहनों से कुछ ज्यादा ही तेजतर्रार थी. वह खूबसरत तो थी ही.

संध्या जितनी खूबसूरत थी, उतनी ही चंचल और पढ़ने में तेज थी. हाईस्कूल की परीक्षा पास करने के बाद वह आगे पढ़ना चाहती थी, लेकिन उस के मांबाप ने उसे आगे पढ़ाने से साफ  मना कर दिया था. मजबूरन उसे पढ़ाई छोड़नी पड़ी. इस के बाद वह मां के साथ घरेलू काम में हाथ बंटाने लगी.

संध्या पर वैसे तो गांव के कई युवक फिदा थे लेकिन पड़ोसी गांव नगरा का रहने वाला 23 वर्षीय विनीत उर्फ  जीतू उस के नजदीक आने के लिए कुछ ज्यादा ही उतावला था. विनीत के पिता धनाढ्य किसान थे. गांव में उन का दबदबा था. विनीत आवारा किस्म का युवक था. वह बाप की कमाई पर ऐश करता था. उस ने गांव के कई हमउम्र लड़कों से दोस्ती गांठ रखी थी.

संध्या के भाई जितेंद्र से भी विनीत उर्फ जीतू की जानपहचान थी. कभीकभी दोनों के बीच गपशप भी हो जाती थी. ऐसे ही एक रोज सुबह को विनीत संध्या के घर आया और घर के बाहर पड़ी कुरसी पर बैठ गया.

फिर संध्या के भाई जितेंद्र से उस की बातचीत होने लगी. संध्या उस समय चबूतरे पर झाड़ू लगा रही थी. उस की नजरें विनीत से टकरा जातीं तो वह मुसकरा देता. यह देख संध्या नजरें झुका लेती.

विनीत के मन में आया कि वह उस के सौंदर्य की जी भर कर प्रशंसा करे, मगर संकोच के झीने परदे ने उस के होंठों को हिलने से रोक लिया. हालांकि उस के मनमस्तिष्क में जज्बातों की खुशनुमा हवाएं काफी देर तक हिलोरें लेती रहीं.

विनीत के मनमस्तिष्क में इधर सुखद विचारों का मंथन चल रहा था. उधर संध्या के दिलोदिमाग में एक अलग तरह की हलचल मची हुई थी. उन्हीं विचारों में खोई संध्या भाई के कहने पर किचन में गई और 2 कप चाय बना कर ले आई.

उस रोज संध्या के हाथों की बनी चाय पीते समय विनीत की आंखें लगातार उस के शवाबी जिस्म का जायजा लेती रहीं. दिन के उजाले में ही विनीत की आंखें उस के हुस्न के दरिया में डूब जाने के सपने देखने लगीं.

इस  मुलाकात में संध्या की मोहब्बत की आस में उस पर ऐसी दीवानगी सवार हुई कि वह उसे अपनी आंखों का काजल बना बैठा. कुछ ही दिनों में आंखों से उठ कर संध्या ने विनीत की रूह में आशियाना बना लिया. विनीत जैसा ही हाल संध्या का भी था. रात को वह सोने के लिए लेटती तो विनीत का मुसकराता चेहरा पलकों में आ कर छुप जाता.

संध्या का स्वयं के प्रति रुझान देख कर विनीत की उस के प्रति दीवानगी बढ़ती गई. जब भी उसे संध्या की याद आती वह उस से मिलने के लिए उस के घर पहुंच जाता. विनीत को देख कर संध्या का चेहरा खिल उठता. वह उस का दिल खोल कर स्वागत करती.

प्रेम, बंधन में स्वतंत्रता तो देता है, लेकिन सामाजिक वर्जनाएं अप्रत्यक्ष रूप से दीवार की तरह खड़ी होने लगती हैं. जिन्हें प्रेमी युगल अकसर नजरअंदाज कर भावनाओं में बहते रहते हैं. बाद में उस के परिणाम बडे़ भयावह होते है.

वैसे प्यार पाना व देना हर व्यक्ति चाहता है. यह बहार हर व्यक्ति की जिंदगी में जरूर आती है, लेकिन कुछ की जिंदगी में यह आ कर ठहर जाती है. जबकि कुछ की जिंदगी से बिना स्पर्श किए निकल जाती है. कुछ ऐसे भी होते हैं जिन की जिंदगी इस बहार से गुलजार होती है, ठहरती भी है.

यही हाल संध्या और विनीत की जिंदगी का भी हुआ. जब दोनों का प्यार परवान चढ़ा तो संध्या के मातापिता को शक हुआ. वह विनीत के घर पर आने का विरोध करने लगे लेकिन संध्या और विनीत ने मिलनाजुलना बंद नहीं किया. अंतत: संध्या की हरकतों से परेशान उस के मातापिता उस से सख्ती से पेश आने लगे.

एक रोज शाम के धुंधलके में संध्या के भाई जितेंद्र ने संध्या व विनीत को गांव के बाहर बगीचे में हंसतेबतियाते देख लिया. उस ने उस समय तो संध्या से कुछ नहीं कहा, लेकिन कुछ देर बाद जब वह घर लौटी तो जितेंद्र ने उस की पिटाई की फिर गुस्से से बोला, ‘‘संध्या, तू क्यों घर की इज्जत नीलाम कर रही है. उस आवारा, गुंडे जीतू से तुझे इश्क फरमाते शरम नहीं आती. कान खोल कर सुन ले, आज के बाद तू उस से नहीं मिलेगी.’’

उस रोज भाई की पिटाई से आहत संध्या काफी देर तक सिसकती रही. उस के बाद मां जयदेवी कमरे में आई और उस के आंसुआें को पोंछते हुए बोली, ‘‘बेटी, तेरा भाई, तेरा दुश्मन नहीं है. उस ने तुझ से जो भी कहा, वह सही है. जीतू आवारा लड़का है. ऐसे लड़कों से दूर रहने में ही भलाई है.’’

भाई की डांटडपट और मां की नसीहत ने संध्या के मन में हलचल पैदा कर दी. वह सोच ने लगी कि शायद मां और भाई सही कह रहे हैं. अत: उस ने निश्चय कर लिया कि अब वह विनीत के झांसे में नहीं आएगी और उससे दूरी बना कर रखेगी. संध्या ने जो सोचा उस पर अमल करना भी शुरू कर दिया. अब वह विनीत से कन्नी काटने लगी.

संध्या ने जब विनीत से बातचीत बंद कर दी तो वह परेशान रहने लगा. आखिर जब उस से नहीं रहा गया तो उस ने किसी तरह संध्या से मुलाकात की और पूछा कि वह उस से दूर क्यों भाग रही है. इस पर संध्या ने दो टूक जवाब दिया, ‘‘जीतू, हमारे तुम्हारे विचार मेल नहीं खाते. हमारी तुम्हारी नहीं निभ सकती. इसलिए तुम मुझे भूल जाओ.’’

संध्या की बात सुन कर विनीत सन्न रह गया. उस के प्रेम संबंधों को संध्या ने एक ही झटके में तोड़ दिया. इस के पहले कि वह गुस्से से बेकाबू होता, संध्या वहां से चली गई. विनीत उसे देखता रह गया.

घर पहुंचने पर विनीत को लगने लगा कि संध्या ने उस के प्रेम को यों ही नहीं ठुकराया, जरूर उस के जीवन में कोई दूसरा आ गया होगा. वह दूसरा कौन है वह इस का पता लगाने में जुट गया. एक रोज संध्या उसे अपने खेत पर दिखी. कुछ देर बाद वह घर वापस जाने लगी तो विनीत ने उस का रास्ता रोक लिया और पूछा, ‘‘क्या तुम्हारे जीवन में कोई दूसरा आ गया है?’’

संध्या ने तपाक से कहा, ‘‘हां, आ गया है. तुम्हें क्या करना है?’’ संध्या ने उस से साफ  कह दिया कि अब उस का उस से कोई वास्ता नहीं है. वह उस के रास्ते में न आए.

संध्या के तीखे तेवरों से विनीत पूरी तरह  टूट गया. उस के मन को गहरी चोट लगी. विनीत के 3 जिगरी दोस्त थे आंनद, रंजीत व अतिवीर. ये तीनों कैलामऊ गांव में ही रहते थे.

दोस्तों को जब उस की हालत का पता चला तो उन्होंने विनीत को समझाया कि तेरे लिए लड़कियों की कमी नहीं है. जीवन में ऐेसे मोड़ तो आते रहते हैं. लेकिन विनीत अपना आत्मविश्वास खोता जा रहा था और प्रतिशोध की आग में जलने लगा था.

विनीत अब जब भी दोस्तों के साथ बैठ कर शराब पीता, तो संध्या की वेवफाई की चर्चा जरूर होती थी. बात वेवफाई से शुरू हो कर प्रतिशोध पर खत्म होती थी. चूंकि उस के दोस्तों को मुफ्त में शराब पीने को मिलती थी, सो वह विनीत की हां में हां मिलाते थे और उस का साथ देने का वादा करते थे.

जनवरी 2019 के प्रथम सप्ताह में एक रोज विनीत अपने दोस्तों रंजीत, आंनद व अतिवीर के साथ गांव के बाहर बगीचे में बैठा शराब पी रहा था. तभी उसे खेत की तरफ से आती संध्या दिखाई दी. वह खेत से टोकरी में आलू ले कर घर लौट रही थी. संध्या को देख कर विनीत अपने दोस्तों के साथ उस के पास पहुंचा और उस से छेड़खानी करने लगा.

विनीत के साथ 3 दोस्तों को देख कर संध्या घबरा गई. वह आलू की टोकरी फेंक कर सिर पर पैर रख कर घर की ओर भागी. लेकिन उन शैतानों ने उसे पुन: पकड़ लिया और उस के नाजुक अंगों के साथ छेड़खानी करने लगे. संध्या चीखनेचिल्लाने लगी.

उस की चीख सुन कर खेतों पर काम कर रही महिलाएं व पुरुष उस की तरफ  दौडे़ तब वे चारों उसे छोड़ कर भाग निकले.

संध्या आंसू बहाते घर पहुंची और अपने साथ हुई छेड़खानी की बात अपने मांबाप व भाई को बताई. घर वालों ने उन लोगों से झगड़ना उचित नहीं समझा और वे संध्या को ले कर थाना बसरेहर पहुंच गए. उन्होंने संध्या की तरफ  से विनीत व उस के साथियों के विरुद्ध छेड़खानी की रिपोर्ट दर्ज करा दी.

पुलिस ने त्वरित काररवाई करते हुए विनीत, रंजीत आनंद व अतिवीर को पकड़ लिया और जेल भेज दिया. एक सप्ताह के अंदर ही उन की जमानत हो गई. इस घटना के बाद संध्या डरी सी रहने लगी. अब वह जहां भी जाती अपनी छोटी बहन शालू को साथ ले जाती थी.

इधर जमानत पर आने के बाद विनीत को पता चला कि संध्या अब गांव के संजय नामक युवक से प्यार करती है. यह पता चलते ही विनीत प्रेम प्रतिशेध के लिए उतावला रहने लगा. उस ने निश्चय किया कि संध्या यदि उस की न हुई तो वह उसे किसी और की भी नहीं होने देगा.

उस ने प्रतिशोध की बात दोस्तों से साझा की तो वह विनीत का साथ देने को तैयार हो गए. इस के बाद विनीत व उस के दोस्तों ने संध्या की हत्या की योजना बनाई. साथ ही तमंचा व कारतूसों का भी इंतजाम कर लिया.

15 अप्रैल, 2019 की शाम योजना के अनुसार विनीत उर्फ  जीतू शराब की बोतल ले कर अपने दोस्त आनंद, रंजीत व अतिवीर के साथ गांव के बाहर खेत पर पहुंचा. विनीत लोडिड तमंचा कमर में खोंसे था. वहां बैठ कर चारों शराब पीने लगे. जब अंधेरा घिरने लगा तब विनीत ने आंनद के फोन से संध्या को फोन कराया.

विनीत ने संध्या को फोन उस समय खरीद कर दिया था जब दोनों का प्रेम संबंध चल रहा था. आनंद ने संध्या से बात की और कहा कि वह और विनीत उस से माफी मांगना चाहते हैं. दोनों छेड़खानी के मुकदमे में उससे समझौता करना चाहते हैं.

संध्या ने पहले तो इनकार कर दिया, लेकिन जब आनंद ने उस से पैर छू कर माफी मांगने की बात कहीं तो वह राजी हो गई. इस के बाद उस ने अपनी छोटी बहन शालू को साथ लिया और मां से जंगल जाने की बात कह कर घर से निकल पड़ी.

अंधेरा घिर आया था, सो उस ने टौर्च भी ले ली थी. छोटी बहन शालू के साथ संध्या गांव के बाहर खेत पर पहुंची. वहां आनंद और विनीत के अलावा रंजीत व अतिवीर भी थे.

खेत पर विनीत व आनंद ने मुकदमे से संबंधित कोई चर्चा नहीं की और न ही माफी मांगी. उलटे विनीत उसे धमकाने लगा कि वह संजय से रिश्ता तोड़ कर उस से रिश्ता जोडे़. इस पर संध्या ने कहा कि वह उस से नफरत करती है. इसलिए इस बारे में उस से बात न करे.

यह सुनते ही विनीत का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा. उस ने कहा, ‘‘संध्या यदि तू मेरी नहीं हुई तो तुझे किसी और की भी नहीं होने दूंगा.’’ कहते हुए विनीत ने कमर में खोंसा तमंचा निकाला और संध्या पर 2 फायर झोंक दिए. गोली संध्या के दिल को चीरती हुई पार निकल गई. संध्या खून से लथपथ हो कर जमीन पर गिर पड़ी और उस ने दम तोड़ दिया.

बड़ी बहन की मौत का मंजर देख कर शालू की घिग्घी बंध गई. फिर भी वह भागी. लेकिन रंजीत और अतिवीर ने उसे यह कह कर दबोच लिया कि यह तो संध्या की हत्या की गवाह है. यह बच गई तो हम सब पकडे़ जाएंगे.

अत: आनंद ने विनीत के हाथ से तमंचा ले कर शालू के सीने पर भी 2 गोलियां दाग दीं. शालू भी खून से लथपथ हो कर संध्या के शव के पास धराशायी हो गई और दम तोड़ दिया. दोनों बहनों की हत्या करने के बाद विनीत तमंचा, कारतूस आदि मौके पर छोड़ कर साथियों सहित भाग गया.

इधर रात में संध्या और शालू के घर वालों ने उन की तलाश नहीं की. इस की वजह यह थी कि पड़ोस में ज्ञान सिंह के यहां तिलक समारोह था. घर वालों ने सोचा कि दोनों बहनें वहीं चली गई होंगी. लेकिन सुबह जब शोर मचा, तब घर वालों को जानकारी हुई. पुलिस ने अभियुक्त विनीत उर्फ  जीतू, रंजीत, आनंद तथा अतिवीर को इटावा कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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