17 मई, 2018 को रात के कोई 8 बजे का वक्त रहा होगा. हल्द्वानी भीमताल मार्ग पर गांव सिलुड़ी के पास सड़क के किनारे खड़ी कार से अचानक ही आग की लपटें उठने लगीं, जिसे देखते ही हाइवे पर अफरा तफरी मच गई. देखते ही देखते आसपास रहने वाले लोगों के अलावा राहगीर भी इकट्ठे हो गए थे. उस वक्त वहां पर मौजूद लोग इस बात को ले कर हैरान थे कि न तो उस कार का कोई एक्सीडेंट हुआ था और न ही उस जलती कार से किसी के रोनेचिल्लाने की आवाज ही आ रही थी.

वहां मौजूद लोगों में से किसी ने उस की सूचना पुलिस को और दमकल विभाग को दे दी. लेकिन जब तक दमकलकर्मी वहां पहुंचे, कार पूरी तरह से जल चुकी थी. कार से धुआं उठ रहा था. दमकलकर्मियों ने आग बुझाई.

कार के जलने की सूचना पर थाना काठगोदाम व थाना भीमताल की पुलिस भी पहुंच चुकी थी. पुलिस ने जब जांच की तो ड्राइवर की बगल वाली सीट पर एक व्यक्ति का जला शव कंकाल के रूप में मिला. वह शव इतनी बुरी तरह से जल चुका था कि उस की यह भी शिनाख्त नहीं हो पाई थी कि वह किसी महिला का है या किसी पुरुष का.

पुलिस ने जांचपड़ताल करने के बाद वहां पर रह रहे कुछ स्थानीय लोगों से उस कार के बारे में पूछताछ की तो सभी ने यही बताया कि कार से किसी के चीखने की आवाज नहीं आई थी. मौके की जांचपड़ताल करने के बाद पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी, साथ ही उस का डीएनए सैंपल भी सुरक्षित रखवा लिया.

इस कार की सच्चाई जानने के लिए अगले दिन सुबह से ही भीमताल पुलिस जांच में जुट गई थी. पुलिस ने जिले के सभी थानों को इस बर्निंग कार की जानकारी देते हुए पूछा था कि किसी भी थाने में किसी इंसान के लापता होने की रिपोर्ट तो दर्ज नहीं है. इस कोशिश में भी पुलिस के हाथ कोई सुराग नहीं मिला.

पुलिस के सामने सब से बड़ी समस्या यह आ रही थी कि कार से जो जला हुआ शव मिला था, उस की शिनाख्त कैसे हो. शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के बाद पुलिस ने गाड़ी की जांचपड़ताल की तो पुलिस के हाथ छोटा सा सुराग लगा. मृतक ने जो जूता पहन रखा था, वह ऊपर से तो जल गया था, लेकिन उस का तलवा कार से ही चिपक गया था. पुलिस ने उस जूते के तलवे को किसी तरह छुड़ाया तो पता चला कि मृतक 7 नंबर का जूता पहनता था. लेकिन उस जूते के नंबर से भी यह साफ नहीं हो पा रहा था कि वह जूता किसी मर्द का है या किसी औरत का.

पुलिस अपनी जांचपड़ताल में जुटी थी कि अगले ही दिन सामिया लेक सिटी रुद्रपुर निवासी नीलम नाम की एक महिला सुबहसुबह रुद्रपुर कोतवाली पहुंची. उस ने पुलिस को जानकारी दी कि उस का पति अवतार सिंह कल से लापता है. नीलम ने पुलिस को बताया कि कल शाम से उन का मोबाइल भी बंद आ रहा है. वह सारी रात अपने परिजनों के साथ उन की तलाश करती रही, लेकिन उन के बारे में कोई भी जानकारी नहीं मिल पाई.

नीलम ने पुलिस को जानकारी देते हुए बताया कि कल शाम वह अपने पति के साथ अपना इलाज कराने के लिए रुद्रपुर से हल्द्वानी आई थी. लेकिन डाक्टर के न मिलने के बाद अवतार ने बताया था कि उन्हें पहाड़ पर अपना कुछ काम है. तब वह उसे कालू सिद्ध मंदिर के पास उतार कर चले गए थे. जहां से देर रात वह दवा ले कर रुद्रपुर अपने घर पहुंच गई थी. घर पहुंचने के बाद उन का मोबाइल नंबर मिलाया तो उन का फोन स्विच्ड औफ मिला.

मृतक की बीवी नीलम से विस्तृत पूछताछ करने के उपरांत थानाप्रभारी ने इस की सूचना हल्द्वानी के एसएसपी को दे दी. एसएसपी ने एएसपी व सीओ (भवाली) के निर्देशन में 6 पुलिस टीमें गठित कीं, जिस में प्रशिक्षु एसपी अमित कुमार, कोतवाली हल्द्वानी के इंसपेक्टर विक्रम राठौर, काठगोदाम के थानाध्यक्ष कमाल हसन, भीमताल थानाप्रभारी अनवर, एसओजी प्रभारी दिनेशचंद्र पंत को शामिल किया गया था.

एसएसपी के निर्देश पर थानाप्रभारी ने कुछ औपचारिकताएं  पूरी करते हुए नीलम को सीधे भीमताल भेज दिया था ताकि वह घटनास्थल पर मिली कार की कुछ शिनाख्त कर सके.

नीलम रुद्रपुर से सीधे थाना भीमताल पहुंची और पुलिस के सामने पति अवतार सिंह के गायब होने की बात बताते हुए कहा कि उस के पति सिडकुल की कंपनियों में मैनपौवर सप्लाई करते हैं.

नीलम ने पुलिस को बताया कि पहले वह किसी के साथ पार्टनरशिप में काम करते थे, लेकिन करीब साल भर से उन्होंने अपना काम अलग कर लिया था. उस के बाद उन्होंने रुद्रपुर में अपना औफिस बना लिया था. वैसे वह मूलरूप से हरियाणा के निवासी थे और अब से लगभग 10 साल पहले रुद्रपुर आ कर बस गए थे.

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          मृतक अवतार सिंह

नीलम ने नहीं पहचानी लाश

नीलम की बात सुनने के बाद पुलिस को लगा कि अब बर्निंग कार की गुत्थी शीघ्र ही सुलझ सकती है. पुलिस नीलम को अपने साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंची लेकिन नीलम ने जली कार को देखते ही उसे पहचानने से मना कर दिया. यही नहीं उस ने उस कार में कंकाल के रूप में मिली लाश भी नहीं पहचानी. उस का कहना था कि उस के पति तो हल्द्वानी तक मेरे साथ ही थे, वह कार खुद ही चला रहे थे. फिर उन की बगल वाली सीट पर वह कंकाल किस का हो सकता है.

उसी दौरान पुलिस ने उस जली कार की गहनता से जांचपड़ताल की तो पुलिस के हाथ ऐसा सूत्र हाथ लगा जो इस केस की जड़ों तक जा सकता था. छानबीन के दौरान पुलिस के हाथ गाड़ी के बोनट वाली डिक्की में रखा इंश्योरेंस का अधजला कागज मिला. पुलिस ने उस मिले कागज के आधार पर कार का पता किया तो वह अवतार सिंह के नाम से ही थी.

लेकिन उस वक्त पुलिस के सामने एक और समस्या आ खड़ी हुई थी. नीलम ने उस कार से मिले कंकाल को पहचानने से ही इनकार कर दिया था. नीलम का कहना था कि जिस वक्त उस के पति ने उसे वहां छोड़ा था तो वह कार में अकेले ही थे. फिर अगर कंकाल ड्राइवर की सीट पर होता तो वह मान सकती थी कि लाश पति की हो सकती है.

नीलम की बात सुनते ही पुलिस फिर से चक्कर में पड़ गई. उस के बाद तो पुलिस के सामने इस केस को खोलने के लिए एक ही रास्ता बाकी बचा था, वह रास्ता था पोस्टमार्टम और डीएनए की रिपोर्ट का.

यह खबर तमाम अखबारों में प्रमुखता से छपी थी. इस खबर को पढ़ने के बाद 18 मई, 2019 को अंबाला निवासी अवतार सिंह के पिता गुलजार सिंह, मां नक्षत्रो देवी और भाई जगतार सिंह हल्द्वानी पहंचे.

पुलिस पूछताछ में गुलजार सिंह ने अपने बेटे अवतार सिंह की हत्या की आशंका जाहिर करते हुए उस की बीवी पर संदेह प्रकट किया. उस के बाद इंसपेक्टर विक्रम राठौर ने गुलजार सिंह और उन के बेटे जगतार सिंह से लगभग आधे घंटे तक पूछताछ की.

इस पूछताछ में कई चौंकाने वाले राज खुल कर सामने आए. इस हादसे से संबंधित कई महत्त्वपूर्ण तथ्य सामने आने के उपरांत उसी रात पुलिस ने गुलजार सिंह की तहरीर के आधार पर नीलम और उस के करीबी माने जाने वाले उस के दोस्त मनीष मिश्रा के खिलाफ थाना भीमताल में मुकदमा दर्ज करा दिया.

इस सब काररवाई से निपटने के बाद पुलिस ने इस मामले की तह तक पहुंचने के लिए उस के परिजनों से पूछताछ करनी ही उचित समझी.

अवतार सिंह के पिता और भाई के बयानों के आधार पर पुलिस को विश्वास हो गया था कि यह कोई हादसा नहीं बल्कि मर्डर है, जिस को अंजाम देने के लिए पूरी साजिश रची गई थी. इंसपेक्टर विक्रम राठौर ने इस मामले की गहराई तक पहुंचने के लिए उस हाइवे पर जगहजगह लगे लगभग 200 सीसीटीवी कैमरे खंगाले. इस मामले में पुलिस लगभग 30-35 अलगअलग लोगों से पूछताछ कर चुकी थी.

लेकिन सीसीटीवी कैमरे से मिली जानकारी के बाद पुलिस ने अपना फोकस कैमरों को ही बना लिया था. इस दौरान रुद्रपुर से ले कर काठगोदाम तक सीसीटीवी की जांच में पुलिस के हाथ कई अहम सुराग लगे. जांचपड़ताल के दौरान पुलिस को उस कार में आगे की सीट पर 2 लोग बैठे दिखाई दिए. लेकिन उन दोनों की तसवीर साफ नजर नहीं आ रही थी. उस वक्त उस गाड़ी को कौन चला रहा था और उस के पास वाली सीट पर कौन बैठा हुआ था, यह जानकारी भी रहस्य बनी हुई थी.

सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद पुलिस इतना तो जान ही चुकी थी कि उस कार में 2 बैठे हुए व्यक्तियों में से एक जरूर हत्यारा रहा होगा, वरना वह भी कार में जल चुका होता. इस सब जांचपड़ताल के बाद पुलिस ने अपना ध्यान उस दूसरे व्यक्ति पर लगा दिया जो कार जलने से पहले ही वहां से गायब हो गया था.

यह सब जानकारी हासिल करने के बाद पुलिस ने नीलम की सच्चाई जानने के लिए उस के मोबाइल को भी सर्विलांस पर लगा दिया था. उसी दौरान पुलिस ने मृतक अवतार के घर से उस के महत्त्वपूर्ण कागजात अपने कब्जे में लेते हुए उन की गहनता से जांचपड़ताल की. उन्हीं कागजों से पता चला कि अवतार ने 15 दिन पहले ही 50 लाख रुपए का टर्म इंश्योरेंस लिया था, जिस में उस ने अपनी पत्नी नीलम को ही नौमिनी बनाया था.

यह सच्चाई सामने आने के बाद पुलिस को पूरा विश्वास हो गया कि कहीं इस रकम को हड़पने की कोशिश में ही तो नीलम ने अपने पति की हत्या नहीं करा दी. उसी जांचपड़ताल के दौरान पुलिस को पता चला कि सामिया लेक सिटी स्थित अवतार का मकान भी उस की पत्नी नीलम के नाम पर था.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चली हकीकत

उधर पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने सभी पुलिस अधिकारियों को चौंकाने पर मजबूर कर दिया था. रिपोर्ट के अनुसार, मृतक की हत्या जलने से पूर्व ही हो चुकी थी. रिपोर्ट से पता चला कि मृतक की सांस नली ठीकठाक निकली, जबकि अगर कोई इंसान आग में जल कर मरता है तो उस की सांस नली में धुएं (कार्बन) के कण जरूर मिलते हैं.

जबकि कार से बरामद शव की सांस नली में ऐसा कुछ भी नहीं मिला. जिस से साफ हो गया था कि अवतार को कहीं और खत्म करने के बाद उस की लाश को कार में जला कर हादसे का रूप देने की कोशिश की गई थी.

नीलम का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगाने के बाद पुलिस के सामने और भी चौंकाने वाले तथ्य उभर कर सामने आए. नीलम के फोन की काल डिटेल्स में एक नंबर ऐसा मिला, जिस पर वह दिन में सब से ज्यादा बातें करती थी. पुलिस ने उस नंबर का पता लगाया तो जानकारी मिली कि वह नंबर मनीष नाम के व्यक्ति का है, जो नीलम के पास में ही रहता था.

नीलम के साथ मनीष का नाम जुड़ते ही पुलिस ने फिर से रुद्रपुर में मृतक अवतार के पड़ोसियों से पूछताछ की तो सब कुछ सामने आ गया.

पुलिस को इस बात की पुख्ता जानकारी मिल गई कि मनीष और नीलम के बीच काफी समय से चक्कर चल रहा था, जिसे ले कर अवतार और उस की बीवी में अकसर नोंकझोंक हो जाती थी.

इस मामले के सामने आते ही पुलिस ने नीलम को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. पुलिस ने नीलम को साथ ले कर घटनास्थल के 3 चक्कर लगाए. इस के बाद उस से पूछताछ की.

इस पूछताछ के दौरान नीलम ने आखिर सच्चाई बता ही दी. इस बर्निंग कार का रहस्य जब लोगों के सामने आया तो सभी के होश फाख्ता हो गए. मृतक अवतार सिंह हरियाणा के अंबाला कैंट थाना क्षेत्र के गांव घसीटपुर के रहने वाले गुलजार सिंह का बेटा था. कई साल पहले अंबाला कैंट थाना क्षेत्र में ही अवतार सिंह के भाई जगतार सिंह एक कैमिकल फैक्ट्री चलाते थे. उस वक्त अवतार सिंह भी अपने भाई के साथ फैक्ट्री के काम में हाथ बंटाता था. उसी काम के दौरान ही अवतार की मुलाकात नीलम से हुई थी.

नीलम बागेश्वर जिले के गांव बनलेख कारोली गांव की रहने वाली थी. वह देखनेभालने में खूबसूरत थी. उस की खूबसूरती पर अवतार सिंह रीझ गया था.

फिर दोनों के बीच बातचीत शुरू हो गई. यह मुलाकात दोस्ती से शुरू हो कर प्यार तक पहुंच गई. बात यहां तक पहुंच गई थी कि उन्होंने आपस में शादी करने का फैसला ले लिया. लेकिन उन की शादी के लिए दोनों के घर वाले राजी नहीं हुए, तब उन्होंने अपनी मरजी से शादी कर ली. करीब एक साल बाद नीलम ने एक बेटी को जन्म दिया.

लगभग 10 साल पहले अवतार रुद्रपुर में काम की तलाश में आया था. यहां पर उस ने अपने किसी दोस्त के साथ पार्टनरशिप में सिडकुल की कंपनियों में मैनपौवर सप्लाई का काम शुरू कर दिया था. कुछ दिनों बाद ही उन का काम तेजी पकड़ गया. जब काम ठीकठाक चल निकला तो अवतार ने 2 साल पहले रुद्रपुर में ही अपना अलग काम शुरू कर लिया, वहीं पर उस ने अपना औफिस भी खोल लिया था.

बाद में अवतार सिंह ने रुद्रपुर में ही अपना मकान भी बना लिया था. अवतार सिंह के घर के सामने ही मनीष मिश्रा का मकान था. मनीष मूलरूप से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के गांव नंदोत फूलपुर का निवासी था. मनीष करीब 2 साल पहले रुद्रपुर आया था. मनीष शादीशुदा और 2 बच्चों का बाप था लेकिन उस का परिवार प्रयागराज में ही रहता था. वह रुद्रपुर में अकेला ही रहता था.

मनीष ने रुद्रपुर में सिक्योरिटी एजेंसी का औफिस खोला था. वह रुद्रपुर की ही विभिन्न फैक्ट्रियों में सुरक्षाकर्मियों को लगा कर उन से अच्छाखासा कमीशन कमा लेता था. उधर अवतार सिंह फैक्ट्रियों में हाउसकीपिंग ठेकेदार था. आमनेसामने रहने और एक ही लाइन से जुड़े होने के कारण अवतार सिंह और मनीष के बीच अच्छी दोस्ती हो गई थी. उन का एकदूसरे के घर भी आनाजाना था.

इसी दौरान नीलम और मनीष के बीच प्रेमप्रसंग शुरू हो गया. उन के बीच संबंध इतने प्रगाढ़ हो गए थे कि दोनों ने अवतार सिंह की गैरमौजूदगी में बाहर भी घूमनाफिरना शुरू कर दिया था. मनीष ने अपने दोस्त के साथ दोस्ती में दगा करते हुए उस के बिस्तर पर भी कब्जा कर लिया. जब कभी भी अवतार किसी काम से घर से बाहर जाता तो उस रात मनीष पूरी तरह से नीलम के घर पर ही रहता था.

इस तरह की बातें लाख छिपाने के बावजूद भी ज्यादा दिनों तक नहीं छिप पाती हैं. लिहाजा किसी तरह उन के संबंधों की भनक अवतार को भी लग गई. उस ने इस बारे में पत्नी से पूछताछ की, लेकिन नीलम ने सफाई देते हुए कहा कि उस के और मनीष के बीच ऐसा कुछ नहीं है, किसी ने जरूर कान भरे होंगे. पत्नी की इस सफाई पर अवतार उस समय शांत जरूर हो गया लेकिन उस के मन का शक दूर नहीं हुआ था. वह पत्नी पर नजर रखने लगा.

4 महीने पहले की बात है. अवतार एक योजना के अनुसार, किसी काम के बहाने घर से बाहर गया हुआ था, तभी नीलम ने मौके का फायदा उठाते हुए अपने प्रेमी मनीष को बुला लिया. कुछ देर बाद अवतार घर लौट आया तो मनीष उसे घर पर ही मिल गया. मनीष को नीलम के साथ देख कर अवतार का खून खौल उठा.

उसी दौरान दोनों में हाथापाई हो गई थी. यही नहीं अवतार ने मनीष को डराने की नीयत से अपनी पिस्टल की नाल उस के मुंह में डाल कर सुधरने की धमकी भी दी थी. उसी दौरान अवतार ने पुलिस को फोन कर घर बुला लिया. मनीष को पुलिस अपने साथ ले गई.

उस के बाद चौकी में बैठ कर दोनों के बीच सुलहनामा हो गया. उसी दौरान अवतार ने पुलिस के सामने ही मनीष को उस के घर पर न आने की हिदायत दी. मनीष ने भी वादा किया कि वह आइंदा उस के घर नहीं जाएगा.

फैसला हो जाने के बाद मनीष अपने घर चला गया. लेकिन उस के मन में उस दिन से अवतार सिंह के प्रति नफरत का बीज अंकुरित हो गया था. मनीष ने मन ही मन ठान लिया था कि वह किसी भी तरह से अपने अपमान का बदला ले कर ही रहेगा. मनीष जानता था कि अवतार की अपनी बीवी नीलम से नहीं बनती है. और वैसे भी अवतार उस वक्त करोड़ों का मालिक था.

करोड़ों रुपए की संपत्ति का मालिक था अवतार

हालांकि नीलम ने अवतार सिंह के साथ लवमैरिज की थी. लेकिन उस की संपत्ति को देख कर वह भी बौखला गई थी. उस के बावजूद भी वह अवतार से सीधे मुंह बात नहीं करती थी. जबकि अवतार उसे जीजान से चाहता था. उस का मकान भी अच्छा बना हुआ था. इस के अलावा हरियाणा में भी उस के नाम पर काफी संपत्ति थी.

पुलिस चौकी में हुए फैसले के बाद मनीष ने कुछ दिनों के लिए नीलम से मिलनाजुलना बंद कर दिया था. लेकिन फोन के द्वारा उस का और नीलम का संपर्क बना हुआ था. उसी दौरान मनीष ने नीलम से मिल कर अवतार को अपने रास्ते से हटाने की बात की तो नीलम भी तैयार हो गई. इस के बाद दोनों ने योजना बनानी शुरू कर दी.

मार्च, 2019 में उन्होंने योजना को अंतिम रूप दे दिया लेकिन किसी वजह से वह अपनी योजना को अंजाम नहीं दे पा रहे थे. मनीष जानता था कि अवतार सिंह को रास्ते से हटा देने पर वह करोड़ों का मालिक बन सकता है.

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                           अभियुक्त मनीष मिश्रा और नीलम  

मनीष का एक पुराना दोस्त था अजय यादव, जो जौनपुर जिले के दौलतिया गांव का रहने वाला था. मनीष ने अपने दिल की पीड़ा उस के सामने रखते हुए इस मामले में उस का साथ मांगा तो वह साथ देने के लिए तैयार हो गया. फिर योजना के अनुसार, अजय यादव 15 मई, 2019 को मनीष के पास पहुंच गया था. मनीष और नीलम ने पूरी योजना पहले ही तैयार कर रखी थी.

योजना के तहत मनीष ने नीलम को नींद की गोलियां ला कर दे दीं. 16 मई, 2019 को नीलम ने ग्लूकोन डी के पाउडर में नींद की 10 गोलियां पीस कर मिला दी थीं. वही ग्लूकोन डी पाउडर उस ने एक गिलास पानी में घोल कर अवतार को पिला दिया.

नींद की गोलियों ने कुछ देर में असर दिखाया तो अवतार नींद में झूमने लगा. जब उसे लगा कि अब अवतार पूरी तरह से नशे में हो चुका है तो उस ने तुरंत ही मनीष को फोन कर के उस की स्थिति बता कर उसे घर से निकलने के लिए कह दिया.

नीलम ने बेहोश पति को जैसे तैसे कर अपनी कार में ही अगली सीट पर बिठा दिया. नीलम ने खुद कार चलाई और सीधे हल्द्वानी में मुखानी चौराहे पर स्थित डा. नीलांबर भट्ट के क्लीनिक पहुंची. योजनानुसार मनीष मिश्रा और उस का दोस्त अजय यादव भी पल्सर बाइक से उस के पीछे लगे रहे. उसी दौरान उन्होंने रास्ते से ही पैट्रोल भी खरीद लिया था.

हल्द्वानी पहुंचते ही नीलम ने वह कार मनीष के हवाले कर दी थी. मनीष कार को ले कर गांव सलड़ी के रास्ते निकल गया. उस का दोस्त अजय यादव उस के पीछेपीछे बाइक से चल रहा था. सलड़ी गांव के पास पहुंचते ही एकांत जगह पा कर मनीष ने अजय के सहयोग से गले में गमछा लपेट कर अवतार की हत्या कर दी.

अवतार की हत्या करने के बाद मनीष और अजय ने उस के गले में पड़ी सोने की चेन और अंगुली से सोने की अंगूठी भी निकाल ली थी. इस के बाद मनीष ने गाड़ी में पैट्रोल छिड़क कर उसे आग के हवाले कर दिया. यह काम करने के बाद मनीष और अजय यादव उसी बाइक से हल्द्वानी की ओर आ गए. उस वक्त तक नीलम भी सिटी बस से रुद्रपुर चली गई थी.

योजना को अंजाम देने के बाद नीलम ने अगली सुबह ही रुद्रपुर जा कर पुलिस के सामने अपनी पीड़ा सुना दी. नीलम और मनीष इस कदर चालाक थे कि उन्होंने अवतार हत्याकांड को पूरी तरह से हादसा दिखा कर सारे सबूत खत्म करने की योजना बनाई थी. लेकिन पुलिस के सामने उन की योजना धरी की धरी रह गई. उन की असली योजना अवतार को गायब होना दिखाना था. लेकिन वह अपनी मंशा में पूरी तरह से असफल रहे.

पुलिस ने मनीष मिश्रा को भी गिरफ्तार कर लिया, जो इस वारदात को अंजाम देने के बाद से ही लापता हो गया था. पुलिस ने नीलम और उस के प्रेमी मनीष मिश्रा से विस्तार से पूछताछ के बाद उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया था. जबकि पुलिस तीसरे अभियुक्त अजय यादव को तलाश कर रही थी. जो घटना वाले दिन से ही फरार हो गया था. कथा लिखने तक पुलिस मामले की तहकीकात कर रही थी कि इस हत्याकांड में कहीं और कोई तो शामिल नहीं था.

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