रिटायर्ड प्रोफेसर आशा (Retired Professor Asha Bhatnagar) के पास 14 मार्च, 2024 की दोपहर एक वीडियो काल आई. उन्होंने जैसे ही काल अटेंड की तो काल करने वाली एक महिला थी.

उस ने आशा से कहा, ”मैं मुंबई क्राइम ब्रांच से सुनीता बोली रही हूं. आप के नाम के डाक्यूमेंट्स का उपयोग कर कुछ सिमकार्ड लिए गए हैं और इन सिमकार्डों के जरिए लड़कियों को अश्लील मैसेज भेजे जा रहे हैं. आप के खिलाफ अब तक 24 एफआईआर मुंबई में दर्ज हो चुकी हैं.’’

इतना सुनते ही 72 साल की आशा घबराते हुए बोलीं, ”लेकिन मैं ने तो किसी को अपने डाक्यूमेंट्स दिए ही नहीं, फिर सिमकार्ड कैसे कोई यूज कर रहा है?’’

”आप को जो भी कुछ कहना है, मुंबई आ कर कहिए मैडम, आप के खिलाफ जो कंपलेंट हैं, उस में हमें आप को गिरफ्तार करना पड़ेगा.’’ काल करने वाली महिला ने आशा को धमकाते हुए कहा.

”लेकिन मैं मुंबई नहीं आ सकती, घर में अकेली रहती हूं. उम्र और बीमारी की वजह से चलना फिरना कम होता है.’’ आशा ने अपनी परेशानी बताई.

”आप मुंबई नहीं आ सकतीं तो आप को वीडियो कालिंग पर अपने बयान दर्ज करवाने होंगे.’’ उस ने आशा से कहा.

”मैं  पहले अपने बेटे और  बेटियों से इस संबंध में बात करना चाहती हूं.’’ आशा ने निवेदन करते हुए कहा.

”देखिए जब तक इनवैस्टीगेशन पूरी नहीं हो जाती, आप को किसी से भी बात करने की परमिशन नहीं है.’’ डपटते हुए वह महिला बोली. आशा काफी डर गई थीं, इसलिए वीडियो काल पर बयान देने को तैयार हो गईं.

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के ग्वालियर (Gwalior) के मुरार थाना (Murar Thana) क्षेत्र में रहने वाली 72 साल की आशा भटनागर रिटायर्ड प्रोफेसर हैं. उन की 2 विवाहित बेटियां पुणे में रहती हैं और एक बेटा अमेरिका में जौब करता है. आशा के पति की 2017 में मौत हो चुकी है.

वह अब घर में अकेली रहती हैं. वीडियो कालिंग के जरिए 2 घंटे तक आशा से बातचीत कर उस महिला ने औनलाइन ही घर की पूरी तलाशी ली.

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                 पीड़ित आशा भटनागर

इस दौरान एक महिला पुलिसकर्मी ने बुजुर्ग आशा को मुंबई पुलिस के अफसर से वीडियो कालिंग के जरिए बात करने को कहा. इसी दौरान पुलिस की वरदी में एक व्यक्ति महिला को दिखाई दिया और उस ने रौबदार अंदाज में उस महिला पुलिसकर्मी से कहा, ”इन को अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?’’

यह सुन कर आशा डर गईं. देश विदेश की यात्रा कर चुकी आशा भटनागर के दिमाग को साइबर ठगों ने पूरी तरह से अपने बस में कर लिया था.

उस अफसर ने आशा से कहा, ”आप को मालूम नहीं कि आप का नाम चाइल्ड पोर्नोग्राफी के केस में नामजद है, गंभीर  मामला है.’’

फिर उस ने अपने दूसरे साथी को अधिकारी बता कर बात कराई. इन लोगों ने घर के अंदर ही वीडियो काल पर पूर्व प्रोफेसर को औनलाइन अरेस्ट (Online Arrest)  कर लिया.

अपने को किसी केस में फंसा हुआ जान आशा इतनी परेशान हो गईं कि दूसरे दिन उन्होंने बैंक जा कर अपनी 51 लाख रुपए की एफडी तुड़वा कर क्राइम ब्रांच के अफसरों के बताए श्रीनगर की पंजाब नैशनल बैंक व राजकोट की फेडरल बैंक के अकाउंट नंबरों पर वो रुपए जमा करवा दिए.

ठगों का दुबई से निकला संबंध

अगले दिन आशा ने अपने परिवार वालों को पैसे डालने के बारे में बताया, तब समझ आया कि उन के साथ फ्रौड हुआ है. फिर इस मामले में पुलिस से शिकायत की गई.

क्राइम ब्रांच में एफआईआर दर्ज हुई तो ग्वालियर के एसपी धर्मवीर सिंह (ACP Dharmveer Singh) ने एएसपी सियाज के.एम., क्राइम ब्रांच प्रभारी अजय पवार और एसआइ धर्मेंद्र शर्मा को पड़ताल में लगाया. क्राइम ब्रांच थाने की पुलिस ने तकनीकी आधार पर साइबर एक्सपर्ट की टीम बना कर इनवैस्टीगेशन शुरू की.

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  ग्वालियर के एसपी धर्मवीर सिंह

जांच में पता चला कि जिन नंबरों से आशा भटनागर के पास काल किए गए, वे नंबर ऐप के माध्यम से प्रदर्शित कराए गए हैं. जिन खातों में रुपए ट्रांसफर किए गए थे, वे खाते जम्मू कश्मीर व गुजरात के निकले.

इन दोनों खातों से रुपए अलगअलग कई खातों में ट्रांसफर हुए तथा उन खातों से कुछ राशि संयुक्त अरब अमीरात (दुबई) के एक खाते में ट्रांसफर की गई थी.

साइबर क्राइम विंग (Cyber Crime Wing) ने दुबई पुलिस से जब इस की जानकारी मंगाई तो इस में सामने आया कि खाता दुबई की किसी कंपनी का है, जिस का धारक छत्तीसगढ़ के भिलाई में रहता है.

मास्टरमाइंड का पता चलने के बाद ग्वालियर पुलिस की साइबर क्राइम टीम (Cyber Crime Team) को भिलाई भेजा गया और आरोपी कुणाल जायसवाल (Accused Kunal Jaiswal) के यहां दबिश दे कर उसे उस के घर से गिरफ्तार कर लिया गया.

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   आरोपी कुणाल जायसवाल

जब उस से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि वह एमसीए किया हुआ है व एमटेक (आईटी) है. पुलिस को पूछताछ में पता चला कि आरोपी अपने यहां काम करने वाले लोगों के खाते खुलवा कर उन खातों को स्वयं संचालित करता था और उन खातों में साइबर ठगी (Cyber Thagi) की राशि ले कर आगे यूएई के खाते में ट्रांसफर करता था.

कुणाल ने आशा के पैसे 3 और बैंक खातों में ट्रांसफर किए थे, ये खाते भी भिलाई के निकले. जब उस के घर की तलाशी ली तो उस के घर से दरजनों आधार कार्ड, एटीएम कार्ड, लैपटाप, पासबुक, चैकबुक, मोबाइल फोन, आईपैड व अन्य दस्तावेज बरामद किए गए. जिन खातों में रकम ट्रांसफर हुई, उन खातों की पासबुक भी उस के यहां से पुलिस को मिली. कुणाल ने पुणे में सिंबायोसिस यूनिवर्सिटी से एमसीए की पढ़ाई की थी. इस के बाद उस ने काफी पैसा कमाया और नेहरू नगर में बड़ा बंगला, लग्जरी गाडिय़ां खरीदीं.

53 घंटे तक किया औनलाइन अरेस्ट (Online Arrest) 

मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में क्राइम ब्रांच के पास राऊ इलाके में रहने वाले एक डाक्टर दंपति भी इस तरह के फ्रौड का शिकार हुए. डाक्टर दंपति ने थाने में शिकायत दर्ज कराते हुए बताया कि सीबीआई मुंबई स्काइप आईडी से उन्हें वीडियो काल आई और ठगों ने उन से 53 घंटे तक बात की और डिजिटल हाउस अरेस्ट में रखा. इस के बाद उन से साइबर ठगों ने 8 लाख 50 हजार रुपए का ट्रांजैक्शन करवा कर ठगी को अंजाम दिया है.

7 अप्रैल, 2024 की दोपहर को उन के पास मुंबई के एक नंबर से काल आई. काल रिसीव करते ही डाक्टर दंपति को बताया कि थाईलैंड में फाइनैंस इंटरनेशनल कुरिअर सर्विस के जरिए जो पार्सल आप के द्वारा भेजा गया था, उस में एमडीएम ड्रग्स मौजूद है और कई महत्त्वपूर्ण दस्तावेज भी मिले हैं, जिस में ह्यूमन ट्रैफिकिंग, छोटे बच्चों के आर्गन तस्करी जैसे गंभीर अपराधों में आप को फंसाया जा रहा है, इसलिए आप को सीबीआई मुंबई औफिस आना होगा.

डाक्टर दंपति ने जब मुंबई जाने से मना कर दिया तो उन्हें बताया गया कि यदि वह चाहे तो वीडियो काल पर उन के बयान दर्ज कर लिए  जाएंगे. ठगों ने कहा कि सीबीआई मुंबई से आप के पास वीडियो काल आएगी.

इस के बाद डाक्टर दंपति को स्काइप आईडी से एक वीडियो काल आई, जहां पर वरदी में मौजूद एक सीबीआई अफसर और दूसरे अफसर वीडियो काल पर दिखाई दे रहे थे. दोनों तथाकथित अफसरों द्वारा 53 घंटे तक औनलाइन हाउस अरेस्ट (Online House Arrest) रख कर डाक्टर दंपति को अलगअलग गंभीर धाराओं में फंसाने को ले कर डराया गया.

वहीं कई तरह के टैक्स और चार्ज के नाम पर पैसों की मांग की गई. इस के बाद साइबर ठग (Cyber Thag) यहीं नहीं रुके, बल्कि भारतीय रिजर्व बैंक आरबीआई के भी एक अधिकारी से इनवैस्टीगेशन के नाम पर एक अलग से वीडियो काल कराई गई. इस से घबराए डाक्टर दंपति ने 8 लाख 50 हजार रुपए साइबर ठगों के खातों में ट्रांसफर कर दिए.

इस के बाद भी साइबर ठगों द्वारा डाक्टर दंपति से और पैसों की मांग की गई. डाक्टर दंपति ने आखिरकार जब अपने मित्रों से जानकारी ली तो पता चला कि उन्हें ठगी का शिकार बनाया जा रहा है. इस के बाद डाक्टर दंपति ने पुलिस को पूरी घटना की जानकारी दी.

टीचर से कैसे ठगे 55 लाख

देश के लगभग सभी राज्यों में इस तरह के साइबर फ्रौड (Cyber Fraud) के मामले पुलिस के पास आए दिन आ रहे हैं. उत्तर प्रदेश के वाराणसी में सिगरा थाना क्षेत्र की रहने वाली एक रिटायर्ड शिक्षिका शंपा रक्षित ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया कि 8 मार्च, 2024 को अनजान नंबर से उन के पास काल आई.

फोन करने वाले ने खुद को टेलिकाम रेगुलेटरी अथौर्टी का अधिकारी बताते हुए उन से कहा, ”मैं महाराष्ट्र के विले पार्ले पुलिस स्टेशन से विनय चौबे बोल रहा हूं. आप ने घाटकोपर से यह सिमकार्ड लिया है, यह पूरी तरह से अवैध है. आप के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट है.’’

इतना सुनते ही शंपा डर गई.

काल करने वाले विनय चौबे ने उन्हें गिरफ्तारी की धमकी दे कर घर पर ही रहने और किसी को कुछ न बताने के लिए कहा. इस के बाद बैंक खाते का पूरा ब्यौरा उन से ले लिया और कहा कि ये पैसा आरबीआई को ट्रांसफर करना पड़ेगा. जांच के बाद पैसा लौटा दिया जाएगा. इस पर उन्होंने बताए गए खाते में पहले 3 करोड़ और फिर 55 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए. बाद में पता चला कि उन के साथ तो ठगी हुई है. इस के बाद उन्होंने पुलिस को इस की सूचना दी.

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 डीसीपी (क्राइम) चंद्रकांत मीणा

रिटायर्ड शिक्षिका शंपा रक्षित की शिकायत को वाराणसी के डीसीपी (क्राइम) चंद्रकांत मीणा (DCP Chandrakant Meena) ने गंभीरता से लेते हुए क्राइम ब्रांच की टीम को लगा दिया. क्राइम ब्रांच ने काररवाई करते हुए इस मामले में 15 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया. बाद में 3 अभियुक्त राजस्थान के केकड़ी जिला से गिरफ्तार किए. इन में मुख्य अभियुक्त टाइगर (हिमांशु वर्मा), वकील अनंत जैन और दीपक वासवानी शामिल थे.

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             वाराणसी पुलिस टीम की गिरफ्त में साइबर अपराधी

साइबर ठगी करने वाले इन ठगों के पास से 18 मोबाइल फोन, 20 सिमकार्ड, 32 एटीएम कार्ड, कई चेकबुक और एक लाख 20 हजार नगद व एक कार जिस की अनुमानित कीमत 20 लाख रुपए है, बरामद की गई. पुलिस पूछताछ में पता चला कि गैंग के सदस्य पहचान छिपा कर साइबर अपराध को अंजाम देते थे.

महिला वकील को कैसे किया औनलाइन अरेस्ट

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में रहने वाली सुप्रिया के साथ साइबर क्राइम का यह मामला 3 अप्रैल, 2024 का है. 29 साल की सुप्रिया (बदला हुआ नाम) पेशे से वकील हैं और बेंगलुरु में रहती हैं. उस दिन दोपहर करीब 2 बजे का वक्त था. सुप्रिया घर पर ही कोर्ट केस की कुछ फाइलें देख रही थीं, तभी उन के मोबाइल पर एक फोन आया.

फाइलों से ध्यान हटा जैसे ही सुप्रिया ने काल रिसीव की तो फोन करने वाले शख्स ने कहा, ”हैलो, मैं इंटरनैशनल कुरिअर कंपनी फेडेक्स के कस्टमर केयर से बोल रहा हूं. आप के नाम से एक पार्सल था, जो वापस आ गया है.’’

सुप्रिया कुछ समझ पातीं और कहना  चाहती थीं कि कौन सा पार्सल. इस से पहले ही उस ने यह काल एक दूसरे शख्स को  ट्रांसफर करते हुए कहा, ”लीजिए, सर से बात कर लीजिए.’’

दूसरे शख्स ने सुप्रिया से कहा, ”आप के नाम पर एक पार्सल मुंबई से थाईलैंड के लिए भेजा गया था, लेकिन यह वापस आ गया है. इस पार्सल में 5 पासपोर्ट, 3 क्रेडिट कार्ड  और 140 सिंथेटिक नशीली गोलियां हैं.’’

इतना सुनते ही सुप्रिया का माथा ठनका, क्योंकि न तो उन्होंने यह पार्सल भेजा था और न ही मुंबई या थाईलैंड से उन का कोई कनेक्शन था. फोन करने वाले शख्स ने कड़क आवाज में कहा, ”पार्सल में ड्रग्स मिला है, इसलिए इसे रोक दिया गया.’’

”लेकिन मैं ने ऐसा कोई पार्सल नहीं भेजा.’’ सुप्रिया ने घबरा कर कहा.

”इस में भेजने वाले का नाम और पता तो आप का ही है. अगर इस तरह का कोई पार्सल आप ने नहीं भेजा तो इस की शिकायत दर्ज कराने के लिए उन्हें इस बारे में मुंबई क्राइम ब्रांच से बात करनी होगी.’’ काल करने वाले ने कहा.

इस के बाद सुप्रिया को सोचने समझने का मौका दिए बिना उस ने काल को एक दूसरे नंबर पर ट्रांसफर करते हुए कहा, ”साइबर क्राइम ब्रांच के अफसर से आप खुद बात कर लीजिए.’’

उस तरफ से बात करने वाले उस अफसर ने सुप्रिया से कहा, ”अपने मोबाइल पर आप पहले स्काइप ऐप डाउनलोड करें और अपनी ईमेल आईडी डाल कर उन से अभी चैट करें.’’

इस के बाद उस टीम ने सुप्रिया से कुछ पूछताछ की और उन से उन का आधार नंबर मांग लिया. सुप्रिया से बात कर रहे उस शख्स ने कहा, ”मैं अपने सीनियर अधिकारियों से इस बारे में बात कर रहा हूं. अब आप को जो भी कहना है स्काइप पर चैट बौक्स में लिखें.’’

कुछ देर बाद वह शख्स स्काइप चैट पर वापस लौटा और सुप्रिया से कहा कि आप का आधार नंबर मानव तस्करी और नशीली दवाओं (एमडीएमए) की स्मगलिंग से जुड़े मामलों में पहले से ही हाई अलर्ट पर है.

इतना सुनते ही सुप्रिया बुरी तरह डर गईं. शख्स ने सुप्रिया से कहा कि आप को इस बारे में सीबीआई के अधिकारियों से बात करनी होगी. इस के बाद उस ने अभिषेक चौहान नाम के एक दूसरे शख्स को सीबीआई अधिकारी बता कर स्काइप काल उस के पास ट्रांसफर कर दी.

अभिषेक चौहान ने सुप्रिया से वीडियो काल के लिए मोबाइल का कैमरा औन करने को कहा. जैसे ही सुप्रिया ने कैमरा औन किया तो अभिषेक बोला, ”ये मामला बहुत गंभीर है. यह केस मानव तस्करी, मनी लौंड्रिंग और आधार कार्ड की डिटेल चोरी से जुड़ा हुआ है.’’

वीडियो काल के जरिए वह सुप्रिया से उन की सारी बैंक डिटेल्स मांगने लगा. बैंक में कितना बैलेंस है, सालाना सीटीसी और इनकम से ले कर इनवैस्टमेंट तक सब कुछ उस ने सुप्रिया से पूछा और डरीसहमी वह वकील सब कुछ बताती रही.

अभिषेक चौहान नाम के उस शख्स ने सुप्रिया से जो जो करने को कहा, वह चुपचाप करती गईं. अभिषेक चौहान ने सुप्रिया को धमकाते हुए यह भी कहा, ”जब तक यह काम पूरा नहीं होता, वह किसी को इस बारे में कुछ नहीं बताएंगी.’’

सेंसिटिव केस का हवाला देते हुए उसे हर वक्त कैमरा औन कर औनलाइन रहने को  कहा गया, ताकि वो जान सकें कि मैं ने किसी से फोन पर बात तो नहीं की है. इस तरह डर के साए में पूरा दिन बीत गया. अपने मांबाप से दूर रहने वाली सुप्रिया उस दिन बिना खाए पिए जब सोने के लिए जाने लगी, तब भी उसे कैमरा औन रखने के लिए कहा गया.

डर और तनाव के कारण उन्हें रात भर नींद नहीं आई. अगले दिन 4 अप्रैल को अभिषेक चौहान ने सुप्रिया से कहा कि उन के ट्रांजैक्शन को वेरिफाई करना होगा. इस के लिए उस ने सुप्रिया से अपने बैंक अकाउंट से निथिन जोसेफ नाम के अकाउंट में 10,78,993 रुपए ट्रांसफर करने को कहा.

मरता क्या न करता, पहले से काफी घबराई हुई सुप्रिया ने बताए गए अकाउंट में रुपए ट्रांसफर कर दिए. केस की जांच और वेरिफिकेशन के नाम पर उस शख्स ने सुप्रिया को पूरे दिन औनलाइन रखा.

इस के बाद उस शख्स ने सुप्रिया से अमेजन पर 2.04 लाख और 1.74 लाख रुपए के 2 अलगअलग ट्रांजैक्शन भी कराए. इस के बाद अभिषेक ने सुप्रिया से कहा, ”पूरे केस में ड्रग्स का मामला शामिल है, इसलिए हमें तुम्हारा नारकोटिक्स टेस्ट कराना होगा. मैं जैसा कहता हूं, चुपचाप वैसा करती जाओ, यदि हमें कोआपरेट नहीं किया तो मजबूरन हमें तुम्हारे मांबाप को भी अरेस्ट करना होगा.’’

सुप्रिया ने न्यूज में नारकोटिक्स टेस्ट के बारे में सुना जरूर था, मगर ज्यादा जानकारी उन्हें नहीं थी. ऊपर से मातापिता के अरेस्ट होने के डर से चुपचाप वह अभिषेक के निर्देशों का पालन करने लगीं. अभिषेक ने पहले सुप्रिया से अपने कपड़े उतार कर कैमरे के सामने खड़ी होने को कहा. सुप्रिया को जो भी करने को कहा गया, वह करती गईं.

सुप्रिया का दूसरा दिन भी एक अज्ञात आशंका के साए में गुजरा. रात में वह सोने का असफल प्रयास कर रही थीं, तभी रात के करीब एक बजे अभिषेक ने सुप्रिया को ब्लैकमेल करना शुरू किया. उस ने चेतावनी देते हुए कहा, ”अगर कल दोपहर 3 बजे तक तुम ने मुझे 10 लाख रुपए नहीं दिए तो तुम्हारा न्यूड वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया जाएगा.’’

यहां तक कि उस ने वीडियो को डार्क वेब पर डालने की धमकी भी दे दी. इतना सब कुछ होने के बाद सुप्रिया अब समझ चुकी थीं कि वीडियो अरेस्ट कर उन के साथ साइबर धोखाधड़ी की गई है. सुप्रिया ने 5 अप्रैल, 2024 को बेंगलुरु (ईस्ट) डिवीजन साइबर क्राइम थाने में एफआईआर दर्ज कराई.

कुरिअर या पार्सल के नाम से ठगी का बेंगलुरु का मामला कोई इकलौता मामला नहीं है. साइबर अपराधी नएनए तरीके अपना रहे हैं. दिल्ली के अशोक विहार इलाके में रहने वाले एक कारोबारी अशोक कोहली (परिवर्तित नाम) के साथ भी कुछ इसी तरह का फ्रौड हुआ है. अशोक अपने परिवार के साथ सत्यवती कालोनी में रहते हैं.

पहली अप्रैल, 2024 को उन के फोन पर एक कुरिअर कंपनी के नाम से काल आई. फोन करने वाले व्यक्ति ने कहा, ”27 मार्च, 2024 को आप की तरफ से ताइवान के लिए एक पार्सल बुक किया गया था. पार्सल को मुंबई कस्टम ने अपने कब्जे में ले लिया है, जिस में 5 पासपोर्ट, 4 क्रेडिट कार्ड, 200 ग्राम एमडीएमए ड्रग, एक लैपटौप और कपड़े हैं.’’

अशोक असमंजस में पड़ गए. तभी फोन करने वाले ने मुंबई क्राइम ब्रांच के कथित अफसर से बात करवा दी. अपने आप को क्राइम ब्रांच का अफसर बताने वाले उस शख्स ने अशोक को धमकाते हुए  कहा, ”आप के आधार नंबर से मुंबई में बैंक खाते खुले हैं, जिन के जरिए मनी लौंड्रिंग का काम चल रहा है. आप सीबीआई, ईडी और एनसीबी के रेडार पर हैं.’’

इस के बाद फिर उन्होंने स्काइप आईडी पर आने के लिए कहा. उस अफसर ने कहा कि मामले में डिजिटल और विजुअल सबूत के रूप में औनलाइन इन कैमरा आप से पूछताछ की जाएगी. इसी दौरान उस ने अपने सीनियर अधिकारी डीसीपी जौर्ज मैथ्यूज से मिलाया.

स्काइप काल के जरिए ही जौर्ज ने अशोक के बैंक खातों और कंपनी के बैंक खातों की जानकारी ली और धमकी दी कि जब तक यह पूछताछ पूरी नहीं हो जाती, यह बात किसी को न बताएं.

अगर उन के खाते में अवैध धन पाया गया तो जेल हो जाएगी, जिस में पूरा परिवार कानूनी शिकंजे में आ जाएगा. इस के बाद उन्होंने बाकायदा सीबीआई के लेटर हैड पर एक लेटर और अपने आईकार्ड भी सेंड कर दिए, जिसे देख कर अशोक को यकीन भी हो गया.

जौर्ज मैथ्यूज ने अशोक को अकाउंट सीज करने का भी डर दिखाते हुए कहा, ”अगर जांच के बारे में किसी को भी बताया और भनक भी पड़ गई तो सभी प्रौपर्टी और बैंक खाते सीज कर दिए जाएंगे और पासपोर्ट भी सस्पेंड कर दिया जाएगा. साथ ही जांच पूरी होने तक विदेश यात्रा पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाएगा. कई साल की जेल होगी और पत्नी, पिता भी जांच के दायरे में होंगे.’’

अशोक बुरी तरह से डर गए और उन के निर्देशों का पालन करने लगे. उन दोनों अफसरों ने अशोक के पूरे खाते की जांच करने के लिए 15 लाख 12 हजार रुपए पीएनबी से दूसरे बैंक खाते में जमा करवा लिए. बाद में 15 लाख रुपए और जमा करवा लिए.

4 अप्रैल, 2024 को उन्होंने फिर से फोन पर कहा, ”पूछताछ पूरी हो गई है और आप का खाता सही है. शाम तक 25 लाख रुपए और 5 अप्रैल की सुबह तक बाकी 5 लाख 12 हजार रुपए वापस आप के बैंक अकाउंट में भेज दिए जाएंगे.’’

4 अप्रैल की शाम तक जब पैसे अकाउंट में नहीं आए तो अशोक स्काइप चैट पर गए, वहां जा कर पता चला कि स्काइप चैट से कथित सीबीआई पत्र और आईडी कार्ड हटा दिए गए हैं, तब जा कर उन्हें ठगी का अहसास हुआ और उन्होंने साइबर क्राइम ब्रांच में अपनी एफआईआर दर्ज कराई.

हरियाणा में हुए फ्रौड का निकला कंबोडिया कनेक्शन

हरियाणा पुलिस की क्राइम ब्रांच में दर्ज किए गए 2 मामलों पर नजर डालें तो इन में भी काफी समानता है और ठगी के लिए एक ही तरह का तरीका अपनाया गया है. यहां भी जनवरी और मार्च के महीने में अलगअलग दर्ज हुए इन मामलों पर गौर करना इसलिए जरूरी है कि यहां भी कुरिअर पार्सल में संदिग्ध सामान बता कर ठगी की गई थी.

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एसीपी साइबर प्रियांशु दीवान

10 जनवरी, 2024 को एक युवक को सीबीआई अधिकारी बन कर संदिग्ध पार्सल के केस से बचाने के नाम पर 10 लाख 90 हजार रुपए का फ्रौड किया गया. साइबर फ्रौड (Cyebr Fraud) का शिकार हुए युवक ने एसीपी साइबर प्रियांशु दीवान (ACP Priyanshu Deewan) को बताया कि कुरियर कंपनी के कर्मचारी बन ठगों ने उसे बताया कि आप के नाम से बुक पार्सल में कुछ संदिग्ध सामान है, जो कंबोडिया भेजा जा रहा था, इसे जब्त कर लिया गया है.

काल करने वाले ने बताया कि उस पर ड्रग्स पार्सल करने का केस चलेगा. युवक डर गया तो युवक को बचाने के नाम पर 10 लाख 90 हजार रुपए ट्रांसफर करा लिए गए.

इसी तरह पहली मार्च, 2024 को गुरुग्राम की एक युवती से कस्टम में पार्सल पकड़े जाने को कह कर उस से 2 लाख 85 हजार रुपए ठग लिए गए. युवती को काल कर ठगों ने कहा कि आप के नाम से बुक हुए पार्सल को कस्टम विभाग की टीम ने पकड़ लिया है और इस में कुछ संदिग्ध सामान होने का शक है.

कस्टम क्लियरेंस के नाम पर आरोपियों ने अलगअलग शुल्क बता कर युवती से 2 लाख 85 हजार रुपए ट्रांसफर करा लिए. फोन करने वाले ने सीबीआई अधिकारी को केस ट्रांसफर करते हुए युवक की उन से बात भी कराई.

इस मामले में साइबर क्राइम थाने में एफआईआर दर्ज की गई. जब इस मामले की जांच गुरुग्राम पुलिस द्वारा की गई तो पता चला कि काल करने वाले का आईपी एड्रेस कंबोडिया का था.

एसीपी (साइबर क्राइम) प्रियांशु दीवान ने बताया कि पुलिस की जांच में यह बात सामने आई है कि दक्षिण भारत के कई राज्यों से लोगों को कंबोडिया में नौकरी दिलाने के बहाने भेजा जा रहा है. इस काम के लिए कई एजेंसियां और उन के एजेंट काम कर रहे हैं. एजेंसी वाले बेरोजगार नौजवानों को कंबोडिया भेज रहे हैं. इस के लिए एजेंट इन लोगों से रुपए भी लेते हैं.

कंबोडिया पहुंचते ही कंपनी के कर्मचारी बताने वाले लोग इन्हें रिसीव कर अपने ठिकाने पर ले जाते हैं, वहां जाते ही इन के पासपोर्ट जब्त कर लेते हैं तथा इन्हें बिल्डिंग में ही बंधक बना कर गुलामों की तरह रखा जाता है.

उन के मुताबिक काम न करने पर इन से मारपीट की जाती है और फिर साइबर ठगी की इन्हें ट्रेनिंग दे कर ठगी की वारदात अंजाम देने में लगा देते हैं. हाल ही में 3 युवक वहां से भाग कर देश लौट सके हैं. उन्होंने साइबर पुलिस टीम को बताया कि उन से साइबर ठगी के लिए काल कराई जाती थी. यदि किसी दिन कोई टारगेट नहीं मिलता तो उन से क्रूर व्यवहार किया जाता था.

क्या होता है औनलाइन अरेस्टिंग (What Is Online Arresting) 

कानूनी तौर पर औनलाइन अरेस्ट नाम का कोई शब्द पुलिस की डिक्शनरी में नहीं है. यह एक फ्रौड करने का तरीका है, जो साइबर ठग अपना रहे हैं. इस का सीधा मतलब होता है ब्लैकमेलिंग, जिस के जरिए ठग अपने टारगेट को ब्लैकमेल करता है. औनलाइन अरेस्ट में कोई आप को वीडियो कालिंग के जरिए आप के ही घर में बंधक बना लेता है. वह आप पर हर वक्त नजर रख रहा होता है.

औनलाइन अरेस्ट के मामलों में ठग कोई सरकारी एजेंसी के अफसर या पुलिस अफसर बन कर आप को वीडियो काल करते हैं. ठगी करने वाले ये लोग फर्राटेदार अंगरेजी में बात करते हैं, इसलिए किसी को भी यह शक नहीं होता कि ये लोग फरजी अफसर हैं.

इस तरह के मामलों में फ्रौड करने वाले इतने शातिर तरीके से आप को अपने जाल में फंसा कर बातों में उलझाए रखते हैं कि आप को सोचने समझने का मौका ही नहीं मिलता.

इस के बाद ठग आप को कहते हैं कि आप का आधार कार्ड, सिमकार्ड या बैंक अकाउंट का इस्तेमाल किसी गैरकानूनी गतिविधि के लिए हुआ है. ऐसे मामलों में वह आप को फरजी गिरफ्तारी का डर दिखा कर आप के घर में ही कैद कर देते हैं और वह झूठे आरोप लगाते हैं और जमानत की बातें कह कर पैसे ऐंठ लेते हैं.

शातिर ठग इस दौरान आप को वीडियो काल से हटने भी नहीं देते हैं और न ही किसी को काल करने देते हैं. औनलाइन अरेस्ट के इस तरह के कई मामले अब तक अलगअलग स्थानों पर सामने आ चुके हैं.

ऐसे साइबर ठग तकनीकी रूप से मजबूत होते हैं और जानते हैं कि अपने लक्ष्य को कैसे हासिल करना है और उन की मेहनत की कमाई को कैसे खत्म करना है.

—कथा मीडिया रिपोर्ट और पुलिस सूत्रों पर आधारित

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