पंचकूला के थाना मनसादेवी के पास सेक्टर-5 के निकट मजदूरों और कामगारों ने अपने रहने के लिए कच्चे झोपड़ीनुमा मकान बना रखे हैं. 27 अप्रैल, 2019 की सुबह 6 बजे इन्हीं झुग्गियों की कुछ महिलाएं जंगल की तरफ गईं तो उन्होंने झाडि़यों के बीच एक लाश से धुआं उठते देखा.
यह देखते ही महिलाएं उलटे पांव भागती हुई बस्ती में लौट आईं. उन्होंने शोर मचा कर यह बात सब को बताई. लाश के जलने की बात सुन कर बस्ती के लोग महिलाओं द्वारा बताई जगह पर पहुंच गए. उन्होंने भी वहां एक लाश से धुआं उठते देखा. लाश बुरी तरह झुलस चुकी थी.
इसी दौरान किसी ने पुलिस कंट्रोलरूम को फोन किया. चंडीगढ़ पुलिस कंट्रोलरूम ने घटना की सूचना संबंधित थाना मनीमाजरा को भेज दी. थोड़ी देर बाद थाना मनीमाजरा पुलिस मौके पर पहुंची तो उस ने बताया कि जिस जगह लाश पड़ी है, वह क्षेत्र के पंचकूला इलाके में आता है.
मनीमाजरा पुलिस ने यह खबर पंचकूला के थाना मनसादेवी को भेज दी. सूचना मिलने पर थाना मनसादेवी के एसएचओ विजय कुमार अपनी टीम के साथ तुरंत मौके पर पहुंच गए. साथ ही उन्होंने घटना की सूचना अपने उच्चाधिकारियों और क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को भी दी.
कुछ ही देर में डीसीपी कमलदीप गोयल, एसीपी (क्राइम) नुपूर बिश्नोई, पंचकूला क्राइम इनवैस्टीगेशन एजेंसी के प्रभारी अमन कुमार फोरैंसिक टीम सहित मौके पर पहुंच गए. जिस लाश के बारे में सूचना दी गई थी, वह मनसादेवी कौंप्लेक्स, विश्वकर्मा मंदिर की बैक साइड पर थाना मनसादेवी से मात्र 500 मीटर की दूरी पर झाडि़यों में पड़ी थी.
पुलिस जब वहां पहुंची, तब भी शव से धुआं उठ रहा था. इस से पुलिस को लगा कि कुछ देर पहले ही शव में आग लगाई गई थी. वह लाश किसी युवती की थी. पुलिस ने मौके पर देखा कि उस के गले में फंदा लगा हुआ था. युवती की जीभ भी बाहर निकली हुई थी और टांगें पूरी तरह फैली हुई थीं. यह सब देख कर दुष्कर्म की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता था.
मौके पर पहुंची फोरैंसिक टीम ने भी वहां से कुछ सबूत जुटाए. झाडि़यों पर पड़ी बोरी भी कब्जे में ले ली गई. पुलिस की प्राथमिक जांच में सामने आया कि युवती की किसी अन्य जगह पर गला घोंट कर हत्या करने के बाद शव को यहां ठिकाने लगाने की कोशिश की गई थी.
शिनाख्त जरूरी थी
झाडि़यों के पास कच्चे रास्ते पर किसी दोपहिया वाहन के टायरों के निशान भी मिले. ऐसा लगता था, युवती का शव किसी वाहन से वहां तक लाया गया होगा. पुलिस को लगा, जब हत्यारे शव लाए होंगे तो कहीं न कहीं किसी सीसीटीवी कैमरे में कैद जरूर हुए होंगे. युवती के शरीर पर घाव के कई निशान भी मिले.
बहरहाल, मनसादेवी थाना पुलिस ने घटनास्थल पर सब से पहले पहुंचे पीसीआर में तैनात हैडकांस्टेबल सतीश की सूचना पर हत्या और लाश को ठिकाने लगाने की रिपोर्ट दर्ज कर ली गई. शव को सेक्टर-6 जनरल अस्पताल की मोर्चरी में 72 घंटों के लिए सुरक्षित रखवा दिया गया.
लाश इतनी बुरी तरीके से जल चुकी थी कि उस की शिनाख्त करनी बहुत मुश्किल थी. पुलिस के सामने पहला अहम काम था शव की शिनाख्त कराना. उस के बाद ही हत्यारों तक पहुंचा जा सकता था.
पुलिस ने घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों को चैक किया. चंडीगढ़ पुलिस से भी घटनास्थल के रास्ते की तरफ आने वाले क्षेत्र के सीसीटीवी कैमरों को चैक करने की सहायता मांगी गई. इस काम में सीआईए, सेक्टर-19, क्राइम ब्रांच और कई थानों की टीमें लगी थीं.
मृतका के फोटो भी सभी थानों में भिजवा दिए गए थे और पिछले माह लापता हुई 20 से 30 साल की युवतियों के रिकौर्ड भी खंगाले गए. इस के अलावा अधजले शव की पहचान के लिए डीसीपी कमलदीप गोयल के आदेश पर पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर की पुलिस को भी सूचना भेज दी गई.
सीआईए इंसपेक्टर अमन कुमार ने सीसीटीवी कैमरे में दिखने वाली एक कार के चालक को हिरासत में ले लिया था, लेकिन लंबी पूछताछ के बाद जब उस से हत्या के संबंध में कोई क्लू नहीं मिला तो उसे छोड़ दिया गया. वहीं मनसादेवी थाना पुलिस ने भी इस मामले में कई संदिग्ध लोगों को हिरासत में ले कर उन से पूछताछ की, पर कोई नतीजा नहीं निकला. पुलिस इस मामले की हर पहलू से जांच कर रही थी.
कार चालक को सीआईए ने भले ही छोड़ दिया था, लेकिन उसे क्लीन चिट नहीं दी थी क्योंकि उस की काले रंग की अल्टो कार की लोकेशन आईटी पार्क से मनसादेवी कौंप्लेक्स के बीच रात एक से 3 बजे के बीच ट्रेस की गई थी.
पुलिस ने मृतका की शिनाख्त के लिए गली गली में उस के पोस्टर लगवा दिए थे, इस के अलावा विभिन्न अखबारों, लोकल टीवी चैनलों पर भी उस की फोटो दिखाई गई थी. इस का नतीजा यह निकला कि लाश मिलने के 2 दिन बाद अखबार से खबर पढ़ कर इंदिरा कालोनी निवासी लल्लन प्रसाद थाना मनसादेवी पहुंच गया.
उस ने एसएचओ से कहा, ‘‘साहब, अखबार में जो अधजली लाश बरामद होने की खबर छपी है, वह लाश मेरी बेटी गुरप्रीत की है.’’
लल्लन की बात सुन कर एसएचओ ने उस से पूछा, ‘‘आप को किसी पर शक है?’’
‘‘हां साहब, मुझे शक नहीं विश्वास है कि यह काम मेरी बेटी के प्रेमी ने किया होगा.’’ लल्लन ने फूटफूट कर रोते हुए यह बात पुलिस को बताई.
लल्लन ने बताया कि उस की बेटी गुरप्रीत नौवीं कक्षा में पढ़ती थी. उस का प्रेम प्रसंग इंदिरा कालोनी के ही रहने वाले एक लड़के से चल रहा था. वह लड़का दूसरी बिरादरी का था, इसलिए हम ने अपनी बेटी को समझाया और जब वह नहीं मानी तो हम ने 2 महीने पहले उस की मंगनी अपनी रिश्तेदारी के एक लड़के के साथ तय कर दी थी.
वह 23 मार्च, 2019 को सुबह 8 बजे स्कूल जाने के लिए घर से निकली थी. लेकिन शाम तक नहीं लौटी. हम ने भी इस पर अधिक ध्यान नहीं दिया, क्योंकि गुरप्रीत इस से पहले भी अपने प्रेमी के साथ घर से चोरीछिपे कई बार जा चुकी थी. लेकिन 1-2 दिन बाद वह अपने आप ही घर लौट आती थी. उन्हें उम्मीद थी कि इस बार भी वह 1-2 दिन में लौट आएगी. पर इस बार ऐसा नहीं हुआ.
जब 2 दिन तक वह घर नहीं लौटी तो हम ने पहले तो रिश्तेदारी में बेटी की तलाश की, लेकिन जब उस का कहीं कुछ पता नहीं चला तो चंडीगढ़ के मनीमाजरा थाने में उस की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करवा दी. वह तो नहीं मिली लेकिन इस बार उस की मौत की खबर जरूर मिल गई.
हालांकि पहले तो पुलिस ने उस की बातों पर विश्वास नहीं किया, लेकिन जब युवती की फोटो सीआईए प्रभारी के पास पहुंची तो वह भी दंग रह गए.
पहचान ली गई लाश
उन्होंने तुरंत वह फोटो मनसादेवी थानाप्रभारी को भेजी और दावा करने वाले व्यक्ति को एसएचओ विजय कुमार के पास भेज दिया. विजय कुमार ने उसे मोर्चरी में रखी झुलसी हुई लाश को पहचानने के लिए अस्पताल चलने को कहा. इस पर लल्लन अपनी पत्नी प्रभा के साथ अस्पताल पहुंच गया.
दोनों को मोर्चरी में रखी लाश दिखाई दी तो लल्लन प्रसाद और उस की पत्नी प्रभा ने लाश को पहचान कर उस की शिनाख्त अपनी बेटी गुरप्रीत के रूप में की. अखबारों से मिली जानकारी के बाद उसी दिन अधजले शव की पहचान के लिए अस्पताल में 60 से अधिक लोग पहुंचे थे, जिस में ट्राइसिटी के अलावा पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मूकश्मीर आदि जगहों के लोग भी शामिल थे, जिन की बेटियां, पत्नियां पिछले कुछ महीनों से लापता थीं. लेकिन शव की शिनाख्त उन में से किसी ने भी नहीं की थी.
30 अप्रैल, 2019 को डाक्टरों के पैनल ने लाश का पोस्टमार्टम किया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया कि मृतका की हत्या गला घोंट कर की गई थी और उस के पेट में चाकू से 3 वार भी किए गए थे. महिला 5 माह की गर्भवती थी. अंत में कागजी काररवाई करने के बाद उस की लाश लल्लन के हवाले कर दी गई थी. उसी दिन उस का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया था.
लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद पुलिस को अब लल्लन की बेटी के हत्यारों और हत्या के कारण का पता लगाना था. इस के पहले कि इस मामले में पुलिस आगे कुछ कर पाती, अगले दिन दिनांक 30 अप्रैल को कहानी में एक नया मोड़ आ गया.
कहानी में आया नया मोड़
इस ट्विस्ट से पंचकूला पुलिस भी आश्चर्यचकित रह गई. लल्लन अपनी जिस बेटी गुरप्रीत का अंतिम संस्कार कर चुका था, वही गुरप्रीत अपने गायब होने के करीब 38 दिनों बाद 30 अप्रैल को रात करीब 9 बजे आईटी थाने में अचानक पहुंच गई.
उस ने पुलिस को बताया कि मैं जिंदा हूं, मेरे प्रेमी को बेवजह मेरी हत्या के आरोप में फंसाया जा रहा है. इस में मेरे पिता की कोई चाल हो सकती है. गुरप्रीत ने बताया कि वह जहां भी गई थी, अपनी मरजी से गई थी. जब उस ने समाचारपत्रों में अपनी हत्या की खबर पढ़ी तो वह हैरान रह गई. इसलिए सच्चाई बताने के लिए वह सीधे थाने चली आई.
आईटी थानाप्रभारी लखबीर सिंह ने इस बात की सूचना एसएचओ मनसादेवी को देने के बाद देर रात तक गुरप्रीत से पूछताछ की. अगले दिन यानी पहली मई को उस का मैडिकल करवाने के बाद उसे सिटी मजिस्ट्रैट के सामने पेश कर उस का इकबालिया बयान दर्ज करवाया.
एसएचओ मनसादेवी विजय कुमार ने जब लल्लन और उस की पत्नी प्रभा को थाने बुला कर इस बारे में पूछा तो वह गिड़गिड़ा कर कहने लगा, ‘‘साहब, आप ने लाश और उस के जो फोटो हमें दिखाए थे, उस के नाक और कान मेरी बेटी से बिलकुल मिलते थे. इसीलिए हम ने उसे अपनी बेटी की लाश समझा.’’
लल्लन तो इतनी बात कह कर बच निकला पर पंचकूला पुलिस को इस मामले से बचना इतना आसान नहीं था. उस की खिल्ली उड़ रही थी. बहरहाल, गुरप्रीत के लौट आने से लल्लन और चंडीगढ़ पुलिस ने तो चैन की सांस ली पर पंचकूला पुलिस की मुश्किलें बढ़ गई थीं.
लल्लन के गलत शिनाख्त करने के बाद पुलिस ने मृतका को गुरप्रीत मान कर उस का अंतिम संस्कार करवा दिया था और आस लगाए बैठी थी कि लाश की शिनाख्त हो गई है तो उस के हत्यारे भी जल्द पकड़े जाएंगे, पर नए हालात में पुलिस के हाथ खाली थे.
पुलिस एक ऐसी अंधेरी खाई में घुस चुकी थी, जहां से जल्दी निकलना संभव नहीं था. न तो पुलिस के पास मृतका के बारे में कोई जानकारी थी और न हत्यारों का कोई सुराग. कुल मिला कर पुलिस को इस ब्लाइंड केस को सुलझाने के लिए नए सिरे से तहकीकात करनी थी. क्योंकि मृतका गर्भवती थी, इसलिए पुलिस अब इसे औनर किलिंग के एंगल से भी देख रही थी.
दूसरी ओर लल्लन की बेटी के वापस आने से उस के तथाकथित प्रेमी की मां ताज ने अपने रिश्तेदारों और मोहल्ले वालों के साथ थाने जा कर हंगामा खड़ा कर दिया और थाने में बैठे लल्लन और उस की पत्नी प्रभा को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ‘‘मैं कहती थी न कि मेरा बेटा ऐसा कभी नहीं कर सकता, वह गुरप्रीत से सच्ची मोहब्बत करता है, उस की हत्या नहीं कर सकता. लल्लन और उस के परिवार ने पुरानी रंजिश निकालने के लिए मेरे बेटे को फंसाने की कोशिश की है.’’
आखिर लाश की हो गई शिनाख्त
अब थाना मनसादेवी पुलिस इस की जांच करने में जुट गई कि आखिर वह युवती कौन थी, जिस का अंतिम संस्कार लल्लन ने अपनी बेटी गुरप्रीत जान कर किया. थोड़ी कोशिश के बाद मनसादेवी पुलिस को मृतका के बारे में एक छोटी सी जानकारी मिली.
पता चला कि वह लाश सूरजपुर की रहने वाली किसी युवती की थी. पुलिस जब सूरजपुर पहुंची तो वहां मृतका का पिता ऋषिपाल मिला. मनसादेवी पुलिस ने ऋषिपाल से बात की तो उस ने बताया कि उस की बेटी आरती 26 अप्रैल की रात से लापता है. उस ने पुलिस में गुमशुदगी दर्ज करा दी है.
इस बार पुलिस कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी. पुलिस ने युवती की झुलसी हुई लाश के जो सैंपल सुरक्षित रखे हुए थे, उन से ऋषिपाल का डीएनए मैच करवा कर देखा तो वह मिल गया. इस से यह बात भी साबित हो गई कि मृतका ऋषिपाल की ही बेटी थी. अब इस बात की पुष्टि हो गई कि वह अधजला शव ऋषिपाल की 28 वर्षीय बेटी सुनीता उर्फ आरती का था.
सुनीता शादीशुदा महिला थी. उस की 11 साल की एक बेटी भी है. सुनीता की शादी लगभग 12 साल पहले हुई थी. पिछले 3-4 सालों से उस की अपने पति से अनबन चल रही थी, जिस कारण वह अपने मातापिता और भाई भाभी के साथ सूरजपुर में ही रह रही थी.
पुलिस ने मृतका के परिजनों से उस का मोबाइल नंबर ले कर उस के नंबर की काल डिटेल्स निकलवा कर जांच की. उस में एक ऐसा नंबर हाथ लगा, जिस से मृतका की घंटों तक बातें हुआ करती थीं. वह नंबर चेक टाउन के रहने वाले 26 वर्षीय आनंद नाम के युवक का था.
पुलिस ने आनंद के नंबर की जांच की तो 27 अप्रैल, 2019 को उस के फोन की लोकेशन भी उसी जगह की मिली, जहां सुनीता उर्फ आरती की झुलसी हुई लाश मिली थी. सारे सबूत मिल जाने के बाद 3 मई, 2019 को सीआईए इंचार्ज इंसपेक्टर अमन कुमार ने अपनी टीम के साथ मनीमाजरा, पीपली से आनंद और उस के छोटे भाई आजाद को गिरफ्तार कर लिया.
पूछताछ के दौरान आनंद ने बिना कोई नौटंकी किए अपना अपराध स्वीकार करते हुए बताया कि उस ने ही सुनीता उर्फ आरती की हत्या की थी, क्योंकि वह उसे शादी करने के लिए ब्लैकमेल कर रही थी.
हालांकि बाद में ब्लैकमेल वाली बात झूठी साबित हुई थी. बहरहाल, उसी दिन डीएसपी कमल गोयल ने प्रैसवार्ता कर इस हत्याकांड का खुलासा कर दिया था. अगले दिन आनंद और आजाद को अदालत में पेश कर 2 दिन के पुलिस रिमांड पर ले लिया गया. रिमांड के दौरान की गई विस्तृत पूछताछ में इस हत्याकांड की कहानी कुछ इस प्रकार सामने आई.
जिस प्रकार मृतका सुनीता उर्फ आरती का अपने पति से विवाद चल रहा था और वह अपनी बेटी के साथ अपने भाई के घर अकेली रह रही थी, ठीक उसी तरह से आनंद भी अपनी पत्नी के साथ विवाद के चलते अकेला अपने मांबाप के साथ रह रहा था.
आज से लगभग 9 महीने पहले सुनीता अपनी भाभी के साथ किसी शादी में जाने के लिए लहंगा खरीदने सेक्टर-19 की मार्केट स्थित एक शोरूम में गई थी. आनंद भी उसी शोरूम पर काम करता था. यहीं दोनों की पहली मुलाकात हुई थी और पहली नजर में ही दोनों एकदूसरे को अपना दिल दे बैठे थे. दोनों ने अपने अपने फोन नंबर एकदूसरे को दे दिए थे और अकसर रात को फोन पर घंटों बातें किया करते थे.
अकेले रहने के कारण दोनों देहसुख पाने के लिए तड़प रहे थे. सो इस के बाद दोनों के बीच संबंध बन गए थे. पहले तो दोनों बाहर कहीं होटल आदि में मिल कर अपनी प्यास बुझा लिया करते थे, लेकिन बाद में मृतका आनंद के घर पीपली टाउन जाने लगी थी.
वैसे इन दोनों के संबंधों का दोनों के घर वालों को पता था. उन दोनों के बीच सब ठीकठाक ही चल रहा था. दोनों खुश भी थे और आपस में शादी कर लेना चाहते थे.
एक दिन अचानक सुनीता को पता चला कि वह गर्भवती हो गई है तो उस ने यह बात आनंद को बताते हुए कहा कि वह उस के बच्चे की मां बनने वाली है और अब हमें शादी कर लेनी चाहिए. आनंद को यह बात अच्छी नहीं लगी. उस ने बात टालते हुए कहा, ‘‘इस बारे में बाद में बात करेंगे.’’
सुनीता को उस का यह रूखा व्यवहार अच्छा नहीं लगा. कहां तो उस ने सोचा था कि बच्चे वाली बात सुन कर आनंद खुश हो जाएगा, लेकिन यहां तो बात उलटी ही निकली. बच्चे की बात को ले कर दोनों के बीच तनाव पैदा हो गया था. आरती जब भी आनंद से शादी की बात करती तो वह टाल देता था. इसी तरह तनाव भरे माहौल में समय बीतता गया और आरती के पेट में पल रहा बच्चा 5 माह का हो गया था.
अब तो आरती के शरीर में भी परिवर्तन आ गया था. दूसरी ओर आनंद शादी से साफ इनकार करने लगा था. दरअसल आनंद शुरू से ही शादी वादी के लिए तैयार नहीं था. वह बस मुफ्त में मजे लेने के पक्ष में था. उस का कहना था कि हम दोनों केवल अपने अपने शरीर की जरूरतें पूरी करते हैं. जबकि सुनीता इस मामले में गंभीर थी.
छली गई थी सुनीता
आनंद हर समय सुनीता पर इस बात का दबाव डालता था कि वह अबार्शन करवा कर इस मुसीबत से छुटकारा पा ले. एक दिन तो शादी को ले कर हो रही बहस के दौरान उस ने आरती से यहां तक कह दिया, ‘‘मैं कैसे मान लूं कि यह बच्चा मेरा ही है. क्या पता मेरे अलावा तुम्हारे संबंध न जाने किनकिन लोगों के साथ होंगे.’’
यह बात आरती को बहुत बुरी लगी. इस बात को ले कर दोनों में काफी नोकझोंक हुई. आनंद सुनीता से अपना पीछा छुड़ाने की पहले से ही योजना बना चुका था. अब उसे अपनी योजना को अमली जामा पहनाना था. 26 अप्रैल को दोनों की फोन पर शादी वाली बात को ले कर काफी बहस हुई. अंत में आनंद ने उसे रात 8 बजे घर पर मिलने के लिए बुलाया.
जब सुनीता वहां पहुंची तो आनंद के साथ उस का छोटा भाई आजाद भी था. आनंद ने फिर से उसे गर्भपात कराने के लिए कहा, जबकि सुनीता किसी भी कीमत पर गर्भपात कराने के लिए तैयार नहीं थी. वह अपनी बात पर अड़ी थी. इसे ले कर आनंद और सुनीता के बीच झगड़ा हो गया.
आनंद ने सुनीता पर अबार्शन का दबाव बनाने के लिए गुस्से में आ कर कई थप्पड़ मारे. इस पर सुनीता ने गुस्से में आ कर अपना गला अपनी चुन्नी से दबा लिया, जिस से वह बेहोश हो कर जमीन पर पड़ी थी. तभी दोनों भाइयों ने वह चुन्नी और खींच दी, जिस से उस का गला घुटने से मौत हो गई और उस की जीभ भी बाहर निकल आई. इस के बाद आनंद ने चाकू से पेट और आसपास के हिस्से में 3 वार किए.
हत्या करने के बाद दोनों भाइयों ने सुनीता के शव को जूट की बोरी में डाला और लाश को सुनीता की ही एक्टिवा पर अगले हिस्से में रख लिया. मनीमाजरा से चल कर दोनों भाई मनसादेवी थाने के क्षेत्र में पहुंचे, जहां उन्होंने सुनीता का शव झाडि़यों में डाल दिया. वहां घुप्प अंधेरा था और जगह भी एकदम सुनसान थी.
लाश को ठिकाने लगाने के लिए उन्हें यह जगह ठीक लगी. इस के बाद दोनों भाई मनीमाजरा स्थित पैट्रोल पंप पर पहुंचे, जहां उन्होंने एक्टिवा की टंकी फुल करवाई और वापस लाश के पास पहुंच गए.
एक्टिवा की टंकी से पैट्रोल निकाल कर उन्होंने लाश पर छिड़का और आग लगा कर वहां से अपने घर चले आए. यह बात 26-27 अप्रैल की रात की है. हालांकि आरोपियों ने अपनी तरफ से हत्या का कोई सबूत नहीं छोड़ा था, फिर भी पुलिस मोबाइल डिटेल्स के सहारे दोनों हत्यारोपियों तक पहुंच ही गई.
दोनों भाइयों से पूछताछ करने के बाद उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें 2 दिनों के पुलिस रिमांड पर ले लिया.
रिमांड अवधि के दौरान सीआईए पुलिस ने मृतका की एक्टिवा और हत्या में प्रयुक्त चाकू भी बरामद कर लिया. मामले की तफ्तीश चल रही है. पुलिस महिला की हत्या के आरोपी आनंद और आजाद को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.
पुलिस को संदेह है कि इस हत्याकांड में कोई और भी शामिल हो सकता है. पुलिस सभी पहलुओं पर जांच कर रही है. इस के अलावा पुलिस यह भी जांच कर रही है कि 38 दिनों तक गुरप्रीत आखिर कहां और किस के साथ रही थी.