29 मार्च, 2019 की घटना है. सुबह के 7 बज चुके थे. इंदौर के खजराना क्षेत्र में रहने वाले बाबूलाल, रमेशचंद्र बंसी तथा गोलू ने झलारिया रोड पर स्थित बद्री पटेल के फ्लैट के सामने वाले मैदान में प्लास्टिक के बोरे देखे तो वे वहीं रुक गए.
उन बोरों में किसी की लाश थी. लाश को 2 बोरों में इस तरह से बंद किया गया था कि एक बोरा चेहरे से कमर तक लाश को ढके था तो दूसरा बोरा पैरों की तरफ से लाश को पहना कर कमर में बांध दिया गया था. बीच में जो खाली जगह बची थी, उस में से नीली जींस व शर्ट बाहर झांक रही थी. इस से लग रहा था कि उन बोरों में किसी की लाश है.
उन्होंने यह जानकारी उधर से गुजर रहे लोगों के अलावा फोन कर के थाना खजराना को दे दी. लाश मिलने की सूचना पाते ही टीआई प्रीतम सिंह प्रधान आरक्षी प्रवेश सिंह, आरक्षी प्रवीण सिंह पंवार आदि के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. तब तक वहां तमाम लोग एकत्र हो गए थे.
टीआई ने वहां पहुंच कर देखा कि एक प्लौट के किनारे पर बोरों में बंद एक लाश पड़ी थी. लाश वाले बोरे के पास एक युवती बैठी रो रही थी. टीआई के पूछने पर उस ने बताया कि बोरे में बंद लाश उस के शौहर बबलू खान की है. दुश्मनी के चलते किसी ने उस की हत्या कर दी है.
यह सुन कर टीआई चौंके कि बोरे में बंद लाश को उस महिला ने पति के रूप में कैसे शिनाख्त कर ली. इस बारे में उन्होंने उस से पूछा तो महिला ने बताया कि उस का शौहर कल शाम से लापता है. आज लाश मिलने की सूचना पर जब वह यहां आई तो जींस और शर्ट देख कर वह समझ गई कि यह उस के पति बबलू की ही लाश है. महिला ने अपना नाम फिरोजा बताया.
शव बोरे से बाहर निकलवाने से पहले टीआई ने इस की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को दे दी तो कुछ ही देर में एसपी (पश्चिम) मोहम्मद यूसुफ फोरैंसिक टीम के साथ वहां पहुंच गए. पुलिस ने बोरों से लाश बाहर निकलवाई तो वास्तव में वह लाश फिरोजा के पति बबलू खान की ही निकली. इस के बाद तो फिरोजा दहाड़ें मार कर रोने लगी. उस का घर वहां से 300 मीटर दूर खिजराबाद कालोनी में था.
पुलिस ने लाश का निरीक्षण किया तो उस के सिर पर चोट का निशान मिला. इस के अलावा उस के गले को धारदार हथियार से काटा गया था. पुलिस ने अनुमान लगाया कि पहले बबलू के सिर पर वार किया गया होगा. फिर उस के बेहोश हो जाने के बाद उस का गला रेता गया होगा.
लगभग 34 साल का बबलू काफी मजबूत कदकाठी का था. अनुमान था कि उस के कत्ल में एक से अधिक लोग शामिल रहे होंगे. बहरहाल, पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.
इस के बाद टीआई ने बबलू के परिवार वालों से बात की. उस के भाई ने बताया कि रात में लगभग साढ़े 4 बजे बबलू की बीवी फिरोजा ने उसे फोन कर के बताया था कि तुम्हारे भाई अभी तक घर नहीं लौटे हैं. उन का मोबाइल भी बंद है.
इस के बाद टीआई प्रीतम सिंह ने बबलू खान की पत्नी फिरोजा से पूछा तो उस ने बताया कि रात लगभग एक बजे मेरे शौहर के मोबाइल पर उन के पार्टनर कमल राठी का फोन आया था. फोन सुन कर उन्होंने कहा कि कमल राठी की गाड़ी पकड़ी गई है. उसे छुड़ाने जा रहा हूं.
इतना कह कर उन्होंने घर से 70-80 हजार रुपए लिए और कुछ देर में वापस आने की बात कह कर चले गए. उन के जाने के कुछ देर बाद मुझे नींद आ गई. सुबह साढ़े 4 बजे मेरी नींद खुली तो मैं ने देखा वह घर नहीं लौटे थे. मैं ने उन के मोबाइल पर फोन लगाया तो वह बंद था. फिर मैं ने कमल राठी को फोन लगाया. उन्होंने बताया कि बबलू खान रात में उन के पास आया ही नहीं था.
यह सुन कर मैं डर गई. उसी समय मैं ने अपने देवर को फोन लगा कर यह खबर दी. देवर ने भी उन्हें खोजने की कोशिश की लेकिन उन का कहीं पता नहीं चला. उड़ती खबर सुन कर जब मैं सुबह यहां पहुंची तो इन की लाश मिली.
पुलिस ने जब लाश की तलाशी ली तो बबलू की जेब से 10 हजार रुपए और एक जवान खूबसूरत युवती की तसवीर मिली. पुलिस ने मौके से सबूत जुटाने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.
इस के साथ ही पुलिस ने हत्या का केर्स दर्ज कर के मामले की जांच शुरू कर दी. चूंकि फिरोजा ने बताया था कि पति के मोबाइल पर आखिरी काल कमल राठी की आई थी, इसलिए पुलिस ने पहले कमल से ही पूछताछ की.
कमल राठी ने टीआई प्रीतम सिंह को बताया कि बीती रात उस ने बबलू खान को फोन किया ही नहीं था. इस से पुलिस को लगा कि फिरोजा झूठ बोल रही है. अगर यह मान भी लिया जाता कि वह सच बोल रही है तो फिर बबलू ने पत्नी से कमल राठी का फोन आने की झूठी बात क्यों कही थी. इसी दौरान टीआई को मृतक की जेब में मिली उस खूबसूरत जवान युवती की तसवीर याद आ गई जो तलाशी के दौरान 10 हजार रुपयों के साथ मिली थी.
इस से टीआई ने अनुमान लगाया कि हो सकता है जिस महिला की फोटो बबलू की जेब से मिली है, उस महिला के साथ बबलू के अवैध संबंध रहे हों. क्योंकि फिरोजा का कहना था कि उस का पति घर से 70-80 हजार रुपए ले कर निकला था. जबकि लाश की तलाशी में केवल 10 हजार रुपए ही उस की जेब से मिले थे.
ऐसे में संभावना यह थी कि बाकी का पैसा मृतक ने फोटो वाली युवती के संग अय्याशी में उड़ा दिया हो. हो सकता है कि अय्याशी के दौरान किसी बात पर तकरार होने से युवती के परिजन या उस के दूसरे साथियों ने बबलू का कत्ल कर दिया होगा.
पूछताछ में फिरोजा ने बताया था कि उस के शौहर को पराई जवान लड़कियों की संगत की लत थी. लेकिन अब सवाल यह था कि मामला अगर यही था तो हत्यारे जेब में 10 हजार रुपए और सोने की चेन व अंगूठी क्यों छोड़ कर गए.
दूसरी सब से बड़ी बात यह थी कि यदि बबलू की जेब से पैसे फोटो वाली युवती ने निकलवाए थे तो वह जेब में अपनी फोटो क्यों छोड़ती. टीआई प्रीतम सिंह को पूरे मामले में बड़ी साजिश नजर आने लगी. घुमाफिरा कर उन्हें फिरोजा पर ही शक हो रहा था. पुलिस ने मृतक की बीवी फिरोजा की कुंडली खंगाली तो पूरी कहानी साफ नजर आने लगी.
फिरोजा के फोन की काल डिटेल्स से पता चला कि उस रोज उस ने रात 2 बजे के आसपास मनसबनगर खजराना में रहने वाले इम्तियाज से काफी कम समय के अंतर में 2 बार बात की थी. यह बात फिरोजा ने पुलिस से छिपाई थी. जबकि उस का कहना था कि बबलू के जाने के बाद उस की नींद सुबह 4 बजे टूटी थी.
इस से पुलिस ने अपने मुखबिर को इम्तियाज की जानकारी जुटाने में लगा दिया. पता चला कि 29 साल का इम्तियाज बबलू के चचाजान का बेटा यानी 28 साल की फिरोजा का चचेरा देवर है. पुलिस को इम्तियाज के मोबाइल की लोकेशन भी रात में एक बजे से सुबह 3 बजे के आसपास फिरोजा के घर की मिली. पुलिस ने इम्तियाज को उसी रोज शाम को उस के घर से हिरासत में ले लिया.
इम्तियाज को पुलिस की ऐसी सक्रियता का जरा भी इल्म नहीं था, सो उस का चौंकना लाजिमी था. टीआई प्रीतम सिंह ने उस से सीधे सवाल किया, ‘‘आधी रात को तुम अपनी भाभी फिरोजा के साथ उस के घर पर क्या कर रहे थे?’’
‘‘यह आप क्या कह रहे हैं जनाब, भाभी मां के समान होती है.’’ वह बोला.
‘‘तो मैं ने कब कहा कि बीवी जैसी होती है. मैं तो केवल यह पूछ रहा हूं कि बबलू तो रात एक बजे घर से कहीं जाने को बोल कर निकल गया था जो वापस नहीं लौटा. इस बीच रात को तुम्हारी फिरोजा से फोन पर गुफ्तगू हुई. इस के बाद तुम फिरोजा के पास चले गए थे.’’ टीआई ने कहा.
‘‘जी, यह सही नहीं है. न मेरी फिरोजा भाभी से बात हुई और न मैं उन के घर गया.’’ इम्तियाज ने सफाई दी.
इम्तियाज ने यह सफेद झूठ बोला था. क्योंकि पुलिस के पास फिरोजा के साथ रात में फोन पर बात होने का सबूत था, इसलिए मुंह खुलवाने के लिए पुलिस ने थोड़ी सख्ती की तो इम्तियाज जल्द ही टूट गया.
उस ने न केवल फिरोजा के साथ इश्क के चक्कर में बबलू की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली, बल्कि इस राज को भी बेपरदा कर दिया कि इस जुर्म में फिरोजा भी बराबर से शरीक थी. इसलिए रात में ही पुलिस ने फिरोजा को भी हिरासत में ले लिया. पूछताछ के बाद दोनों ने बबलू की हत्या की चौंकाने वाली कहानी बताई.
इंदौर की न्यू खिजराबाद कालोनी में अपनी खूबसूरत बेगम फिरोजा के साथ रहने वाले हबीब उर्फ बबलू एक स्क्रैप कारोबारी था. वह गुजरात से पुराना सरिया ला कर इंदौर और आसपास के इलाकों में थोक में सप्लाई करता था. सांवेर रोड पर उस की स्क्रैप की दुकान और गोदाम था. बबलू के धंधे में कमल राठी भी उस का सहयोग करता था.
करीब 7 साल पहले बबलू का विवाह फिरोजा से हुआ था. फिरोजा निहायत ही खूबसूरत थी. हालांकि वह तलाकशुदा थी लेकिन उस की खूबसूरती पर बबलू इतना फिदा हुआ कि उस ने तलाकशुदा होने के बावजूद उस से निकाह कर लिया.
निकाह के 2 साल तक तो बबलू फिरोजा के पल्लू से बंधा रहा, लेकिन फिर धीरेधीरे धंधे पर ध्यान देना शुरू किया तो जल्द ही आम पारिवारिक जिंदगी जीने लगा. लेकिन फिरोजा को तो अपने शौहर को हमेशा अपने पल्लू में बांध कर रखने की आदत थी. सो उसे पति की यह बेरुखी रास नहीं आई.
लेकिन सच्चाई केवल इतनी ही नहीं थी. एक सच यह भी था कि बबलू को पराई औरतों के संग वक्त बिताने की लत शादी के पहले से ही थी. यह बात कुछ समय तक तो फिरोजा से छिपी रही, लेकिन कब तक छिपती. जल्द ही उसे पति की इस हरकत का पता चला तो उस ने इम्तियाज के बारे में सोचना शुरू कर दिया.
29 वर्षीय इम्तियाज बबलू का सगा चचेरा भाई था, जो पास में ही मनसब नगर में रहता था. वह उसी रोज से फिरोजा को हसरतभरी निगाहों से देखा करता था, जिस रोज फिरोजा बबलू की बेगम बन कर आई थी. देवरभाभी के रिश्ते का फायदा उठा कर उस ने कुछ समय तक फिरोजा की नजदीकी पाने की कोशिश भी की थी.
इस बात को फिरोजा भी समझती थी पर उस ने उसे लिफ्ट नहीं दी. दूसरे उस समय बबलू दिनरात फिरोजा के पास ही बना रहता था सो उसे सफलता नहीं मिली. लेकिन जब फिरोजा ने शौहर की अय्याशियों की कहानी सुनी तो उसे इम्तियाज का ध्यान आया.
इम्तियाज पहले तो रोज किसी न किसी बहाने उस के घर आता रहता था, लेकिन फिरोजा की बेरुखी को देखते हुए उस का आनाजाना काफी कम हो गया था. इसलिए कुछ दिन बाद एक रोज जब इम्तियाज फिरोजा के घर आया तो फिरोजा ने आगे बढ़ कर उस का स्वागत किया और काफी दिनों बाद आने की शिकायत भी की.
फिरोजा के बदले व्यवहार से इम्तियाज चौंक गया, सो उस रोज के बाद वह आए दिन जानबूझ कर फिरोजा से मिलने ऐसे समय में घर आने लगा जब बबलू अपनी दुकान पर निकल जाता था.
फिरोजा समझ चुकी थी कि इम्तियाज उसे अब भी चाहता है. इसलिए वह इम्तियाज के साथ घुलमिल कर बात करने लगी. जिस का नतीजा यह हुआ कि एक रोज डरतेडरते इम्तियाज ने फिराजा का हाथ पकड़ ही लिया.
‘‘यूं डर कर औरत का हाथ पकड़ने वाले मर्द मुझे अच्छे नहीं लगते. औरत का हाथ थामो तो कलेजा रखो वरना इसी बस्ती में इन आंखों की मस्ती और हुस्न के दीवाने बहुत हैं.’’ फिरोजा ने अदा के साथ आंखें मटकाते हुए इम्तियाज से कहा.
यह सुन कर एक पल के लिए इम्तियाज रुका फिर उस ने झटके से खींच कर फिरोजा को अपनी गोद में गिराते हुए कहा, ‘‘हिम्मत की बात न करो, अगर बबलू की बीवी न होतीं तो कब का उठा कर ले गया होता.’’
‘‘मुझ से कहा तो होता एक बार, उठाने की जरूरत ही नहीं पड़ती, खुद साथ चल देती.’’ कहते हुए फिरोजा ने इम्तियाज को अपनी बांहों के घेरे में जोर से कस लिया.
इस के बाद डरने का कोई कारण इम्तियाज के पास नहीं रह गया था. दोनों ने ही अपनी हदें पार कर के अपनी हसरतें पूरी कर लीं.
इस घटना के बाद तो मानो दोनों केवल इसी सुख के लिए जिंदा थे. इम्तियाज दिन भर फोन हाथ में पकडे़ रहता और इधर जैसे ही फिरोजा को मौका मिलता, वह इम्तियाज को फोन कर के अपने घर बुला लेती.
2 साल तक दोनों की प्रेमलीला बिना रुकावट के चलती रही. इधर वक्त के साथ बबलू भी दूसरी औरतों के फेर में फिरोजा की तरफ से बेपरवाह होता जा रहा था. फिरोजा कभी कुछ कहती तो उलटे वह उस से मारपीट भी करने लगा था.
इसी दौरान कुछ समय पहले बबलू ने शुजालपुर में 8 बीघा जमीन का सौदा कर उस की रजिस्ट्री फिरोजा के नाम करवा दी. बस इस जमीन के कागज हाथ में आते ही फिरोजा और इम्तियाज का दिमाग घूमना शुरू हो गया. उन्हें लगा कि यदि किसी तरह बबलू से छुटकारा मिल जाए तो वे दोनों इस जमीन पर खेती किसानी कर आसानी से जिंदगी बिता सकते हैं.
इसलिए फिरोजा ने कुछ दिनों से ऐसी हरकतें करनी शुरू कर दीं कि बबलू गुस्से में आ कर उसे तलाक दे दे. बबलू को गुस्सा तो बहुत आता था लेकिन गुस्से में वह तलाक के बदले उस की पिटाई कर देता. इस दौरान बबलू की गैरमौजूदगी में अकसर फिरोजा के पास इम्तियाज के आने से मोहल्ले में दोनों के अवैध संबंधों की चर्चा भी होने लगी थी.
इसलिए दोनों को डर लगने लगा था कि कहीं यह बात बबलू के कानों तक पहुंच गई तो उन का सारा खेल बिगड़ जाएगा, इसलिए दोनों ने महीने भर पहले बबलू की हत्या की योजना बनाने के बाद उस पर अमल करना शुरू कर दिया.
योजना के अनुसार, इम्तियाज ने बड़ी मात्रा में नींद की गोलियां ला कर फिरोजा को दे दीं. फिरोजा यह गोलियां रात के खाने में मिला कर बबलू को खिलाने लगी. उस का सोचना था कि गोली खा कर सोने से बबलू किसी दिन सोता ही रह जाएगा. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
फिर 28-29 मार्च को फिरोजा ने खाने में और अधिक गोलियां मिला कर बबलू को खिला दीं. इस से बबलू गहरी नींद में चला गया, मगर उस की सांस चलती रही. यह देख कर फिरोजा ने रात डेढ़ बजे अपने प्रेमी देवर इम्तियाज को फोन कर घर बुला लिया.
फिरोजा ने उस से कहा कि इस का आज ही काम तमाम कर दो. तब इम्तियाज ने गहरी नींद में सो रहे बबलू के सिर पर लाठी से जोरदार प्रहार किया. इस से बबलू बेहोश हो गया तो उस ने बड़ा सा चाकू उस के गले में अंदर तक डाल कर चाबी की तरह घुमा दिया.
कुछ ही देर में बबलू की मौत हो गई. इस के बाद दोनों को उस की लाश ठिकाने लगाने की सूझी. इस के लिए इम्तियाज नरवल में रहने वाले अपने दोस्त कादिर से उस की एक्टिवा ले आया था. फिर दोनों ने मिल कर लाश को प्लास्टिक के 2 बोरे पहना कर बंद कर दिया. फिर कमरे का खून साफ करने के बाद दोनों ने सैक्स का खेल खेला.
इस के बाद एक्टिवा पर लाश रख कर इम्तियाज उसे इंदौर से दूर फेंकने के लिए घर से निकला. लेकिन लाश को पकड़ने वाला कोई नहीं था. जैसे ही वह एक्टिवा पर लाश ले कर घर से निकला तो गली के आवारा कुत्ते उस के पीछे दौड़ते हुए भौंकने लगे.
कुत्तों से बचने के लिए इम्तियाज ने एक्टिवा की गति बढ़ा दी जिस से संतुलन बिगड़ जाने से लाश घर से 300 मीटर दूर ही नीचे गिर गई. इस से इम्तियाज डर गया और लाश एक खाली प्लौट में फेंक कर अपने घर चला गया.
घर जा कर उस ने फिरोजा को पूरी बात बता दी कि लाश उस ने कहां फेंकी है. इसलिए सुबह लाश मिलने पर फिरोजा बिना चेहरा देखे ही उसे बबलू की लाश बताते हुए रोने लगी. जिस से पुलिस को उस पर शक हो गया था.
पुलिस ने इम्तियाज और फिरोजा की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त लाठी, चाकू और एक्टिवा भी बरामद कर ली. पुलिस ने मात्र 10 घंटे में ही इस हत्याकांड का खुलासा कर अभियुक्तों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.
इंदौर संभाग के एडीजी वरुण कपूर, डीआईजी (एसएसपी) रुचिका वर्धन ने इस केस को खोलने वाली पुलिस टीम को बधाई दी.