राजस्थान पुलिस (Rajasthan) के स्पैशल औपरेशन गु्रप ‘एसओजी’ के जयपुर मुख्यालय (Jaipur Head Office) पर अगस्त 2018 में एक शिकायत मिली थी. शिकायत में कहा गया था कि आदर्श क्रेडिट कोऔपरेटिव सोसायटी (Adarsh Credit Cooperative Society) अहमदाबाद (Ahmedabad) की ओर से निवेशकों का पैसा नहीं लौटाया जा रहा है.

कंपनी की देश के 28 राज्यों और 4 केंद्रशासित प्रदेशों में करीब 800 से ज्यादा शाखाएं हैं. इन में 309 शाखाएं अकेले राजस्थान में हैं. राजस्थान में कंपनी ने करीब 20 लाख सदस्य बनाए थे. इन में लगभग 10 लाख निवेशक सदस्य शामिल हैं. इन से करीब 8 हजार करोड़ रुपए का निवेश करवाया गया. यह राशि आदर्श क्रेडिट कोऔपरेटिव सोसायटी ने अपनी शैल यानी फरजी कंपनियों में निवेश कर निवेशकों की राशि का दुरुपयोग किया है.

शिकायत में बताया गया कि पहले यह कंपनी राजस्थान के सिरोही शहर में पंजीकृत थी. कुछ साल पहले कंपनी ने अहमदाबाद में मुख्यालय बना लिया था. मल्टीस्टेट कंपनी हो जाने के कारण यह राजस्थान के कोऔपरेटिव रजिस्ट्रार के अधिकार क्षेत्र से बाहर हो गई थी.

मामला गंभीर था. एसओजी के महानिदेशक ने पूरे मामले की जांच पड़ताल कराई. इस बीच, राजस्थान के कोऔपरेटिव रजिस्ट्रार आईएएस अधिकारी नीरज के. पवन ने भी एसओजी को शासकीय पत्र लिख कर आदर्श क्रेडिट कोऔपरेटिव सोसायटी के घोटाले की जानकारी दी.

उन्होंने पत्र के साथ करीब 200 पेज की एक जांच रिपोर्ट भी एसओजी को सौंपी. जांच रिपोर्ट में कहा गया था कि इस कंपनी ने निवेशकों का पैसा ले कर वापस नहीं लौटाया. कंपनी ने निवेशकों का पैसा रियल एस्टेट और फरजी कंपनियों में लगा दिया है.

इस संबंध में कोऔपरेटिव विभाग को कई शिकायतें मिली थीं. इस पर कोऔपरेटिव रजिस्ट्रार कार्यालय के अधिकारियों ने कंपनी के अधिकारियों को तलब कर उन्हें निवेशकों का पैसा लौटाने को कहा था. इस के बावजूद कंपनी ने निवेशकों का पैसा वापस नहीं लौटाया.

एसओजी की प्रारंभिक जांचपड़ताल में आदर्श क्रेडिट कोऔपरेटिव सोसायटी की ओर से फरजीवाड़ा कर निवेशकों का पैसा हड़पने की पुष्टि हो गई. इस पर जयपुर में एसओजी थाने में 28 दिसंबर, 2018 को कंपनी के खिलाफ भादंवि की धारा 406, 409, 420, 467, 468, 471, 477ए और 120बी में मामला दर्ज कर लिया गया.

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रिपोर्ट दर्ज किए जाने के बाद एसओजी के अधिकारियों ने इस मामले में पूरी तरह जांचपड़ताल प्रारंभ की. चूंकि कंपनी का कारोबार 28 राज्यों और 4 केंद्रशासित प्रदेशों में फैला हुआ था, इसलिए जांच का काम कई महीने तक चलता रहा. व्यापक जांचपड़ताल के बाद इसी साल 25 मई को एसओजी के तत्कालीन पुलिस महानिदेशक डा. भूपेंद्र यादव ने इस फरजीवाड़े का खुलासा कर दिया.

उन्होंने बताया कि कंपनी ने मोटा मुनाफा देने के नाम पर करीब 20 लाख सदस्य बनाए. इन सदस्यों की ओर से निवेश की गई करीब 8 हजार करोड़ रुपए की राशि कंपनी के पदाधिकारियों ने 187 फरजी कंपनियों में लगा दी. जांच में सामने आया कि आदर्श सोसायटी को अपने निवेशकों के करीब 14 हजार 682 करोड़ रुपए लौटाने हैं.

एसओजी ने इस घोटाले में 25 मई को आदर्श कंपनी के 11 मौजूदा और पूर्व पदाधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया. इन में सिरोही निवासी कंपनी के पूर्व चेयरमैन वीरेंद्र मोदी और कमलेश चौधरी, चेयरमैन ईश्वर सिंह, मुंबई निवासी पूर्व मैनेजिंग डायरैक्टर प्रियंका मोदी व सीनियर वाइस प्रेसीडेंट वैभव लोढ़ा, अहमदाबाद निवासी चीफ फाइनैंस औफिसर समीर मोदी, जयपुर निवासी असिस्टेंट मैनेजिंग डायरैक्टर रोहित मोदी, सिरोही निवासी पूर्व मैनेजिंग डायरैक्टर ललिता राजपुरोहित, आदित्य प्रोजैक्ट के निदेशक भारत मोदी, टैक्टोनिक इंफ्रा के निदेशक भारत दास और 6 कंपनियों के डायरैक्टर विवेक पुरोहित शामिल थे.

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एसओजी को जांच में यह भी पता चला कि सोसायटी के संस्थापक मुकेश मोदी (Mukesh Modi) और उन का भतीजा राहुल मोदी पहले ही आर्थिक अपराध के मामले में दिल्ली में गिरफ्तार हैं. इन दोनों को सीरियस फ्रौड इनवैस्टीगेशन सेल एसएफ.आईओ ने दिल्ली में कुछ माह पहले गिरफ्तार किया था.

कंपनी के 11 पदाधिकारियों की गिरफ्तारी के दूसरे दिन 26 मई को एसओजी ने एक और आरोपी राजेश्वर सिंह को गिरफ्तार कर लिया. जयपुर में वैशाली नगर के हनुमान नगर में रहने वाले राजेश्वर सिंह के पिता महावीर सिंह रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं. राजेश्वर सिंह एक अन्य कंपनी का डायरैक्टर है.

इस बीच, सोसायटी के संस्थापक मुकेश मोदी के भाई पूर्व चेयरमैन वीरेंद्र मोदी (Virender Modi) ने एसओजी की गिरफ्त में सीने में दर्द की शिकायत की. उसे जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के कार्डियक आईसीयू में भरती कराया गया.

वीरेंद्र मोदी को 26 मई को अदालत में पेश किया जाना था, लेकिन अस्पताल में भरती होने के कारण वह अदालत नहीं पहुंचा, तो उस के बीमार होने की सच्चाई जानने के लिए न्यायाधीश अरविंद जांगिड़ अदालत से चल कर खुद अस्पताल पहुंच गए. उन्होंने डाक्टरों से वीरेंद्र मोदी के स्वास्थ्य की जानकारी लेने के बाद उसे एक दिन के रिमांड पर एसओजी को सौंप दिया.

गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ और एसओजी की जांचपड़ताल में आदर्श घोटाले की जो कहानी उभर कर सामने आई, उस से पता चलता है कि हमारे देश में लोगों को मोटे मुनाफे का लालच दे कर किस तरह लूटा जा रहा है.

एक बाबू और उस के टैक्सी ड्राइवर भाई ने अपने दिमाग से खेल रच कर लोगों को बेवकूफ बनाया. वह महज 34 साल में अरबों रुपए के मालिक बन गए. मुकेश मोदी ने अपने भाइयों, बेटे बेटी और दामाद सहित परिवार के लोगों के अलावा दोस्तों को भी कंपनी में शामिल कर अथाह पैसों के सागर में डुबकी लगवाई.

कहानी की शुरुआत करीब 34 साल पहले वर्ष 1985 में हुई थी. सिरोही में प्रकाशराज मोदी रहते थे. वह ग्रामसेवक की सरकारी नौकरी से रिटायर थे. वह रिटायरमेंट के बाद भारतीय किसान संघ से जुड़ गए और उन्हें सिरोही का जिला संयोजक बना दिया गया.

प्रकाशराज मोदी के 3 बेटे हैं, मुकेश मोदी, वीरेंद्र मोदी और भारत मोदी. मुकेश मोदी पहले उद्योग केंद्र में बाबू था. बाद में वह लाइफ और जनरल इंश्योरेंस कंपनियों में बीमा एजेंट के रूप में लंबे समय तक जुड़ा रहा. कहा जाता है कि उस समय मुकेश मोदी मवेशियों की फरजी पोस्टमार्टम रिपोर्ट पेश कर बीमा क्लेम दिलवाने के मामले में मास्टरमाइंड था. बीमा के इस फरजी खेल में उसे अच्छाखासा कमीशन मिलता था.

सन 1985 में मुकेश मोदी और उस के भाइयों ने आदर्श प्रिंटर्स एंड स्टेशनरी कोऔपरेटिव सोसायटी लिमिटेड की शुरुआत की थी. इस सोसायटी में मुकेश मोदी ने खुद को दस्तावेज लेखक और बाइंडर बताया था.

भारत मोदी इस सोसायटी में मशीनमैन, इन का ड्राइवर ईश्वर सिंह भी मशीनमैन और मां सुशीला मोदी बाइंडर थी. इस सोसायटी में उस समय 18 सदस्य बनाए गए. खास बात यह है कि अधिकांश सदस्य बाद में आदर्श क्रेडिट सोसायटी से जुड़ गए.

जब इस सोसायटी का गठन हुआ था, उस समय प्रकाशराज मोदी का एक बेटा वीरेंद्र मोदी कैसेट रिकौर्डर का काम करता था. कैसेट रिकौर्डर का काम बंद हो गया, तो उस ने स्टेशनरी की दुकान खोल ली. इस के बाद वह टैक्सी चलाने लगा.

बाद में आदर्श प्रिंटर्स एंड स्टेशनरी कोऔपरेटिव सोसायटी पर करोड़ों रुपए की स्टेशनरी बिना टैंडर सप्लाई करने के आरोप लगे. एक बार हुई औडिट में सामने आया था कि यह सोसायटी स्टेशनरी कहीं और से खरीद कर बिल अपने पेश करती है. कहा जाता है कि इस सोसायटी के कामकाज से ही मोदी परिवार के दिन बदलने शुरू हो गए थे.

इस दौरान प्रकाशराज मोदी वर्ष 1989 से 1993 तक सिरोही अरबन कौमर्शियल बैंक के चेयरमैन रहे. उन का बेटा वीरेंद्र मोदी निदेशक था. प्रकाशराज की मौत के बाद मुकेश मोदी पहले प्रबंध समिति का सदस्य बना. फिर वह बैंक का चेयरमैन बन गया. इस बीच मोदी परिवार ने वर्ष 1999 में आदर्श क्रेडिट कोऔपरेटिव सोसायटी की शुरुआत की.

उस समय इस की 50 शाखाएं खोली गईं. उस समय निवेशकों का करीब 7-8 करोड़ रुपया जमा हुआ था. कुछ कारणों से करीब 9 महीने बाद ही इसे बंद कर दिया गया और निवेशकों के पैसे लौटा दिए गए.

बाद में इन्होंने रिजर्व बैंक को अरजी दे कर सिरोही अरबन कौमर्शियल बैंक का नाम बदल कर माधव नागरिक सहकारी बैंक रख लिया. यह नाम आरएसएस के दूसरे सरसंघ चालक माधव सदाशिव गोलवलकर के नाम पर रखा गया था. मुकेश मोदी के इस कदम ने उसे आरएसएस के नजदीक खड़ा कर दिया.

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सहकारी संस्थाओं की कमान संभालने और राजनीतिक संरक्षण हासिल होने से मुकेश मोदी और उस के भाई वीरेंद्र मोदी का सिरोही क्षेत्र में लगातार रुतबा बढ़ता गया. वे करोड़ों रुपए में खेलने लगे. सहकारिता के क्षेत्र में प्रभाव बढ़ने और अनापशनाप पैसा आने से वीरेंद्र मोदी की राजनीतिक इच्छाएं जागृत होने लगीं.

वह सन 1999 में सिरोही नगर पालिका का चेयरमैन बन गया. बाद में सन 2003 में सिरोही नगर पालिका चेयरमैन का पद एससी कैटेगरी के लिए आरक्षित हो गया, तो वीरेंद्र मोदी ने अपने चपरासी सुखदेव को नगरपालिका का चेयरमैन बनवा दिया.

इस बीच सन 2002 में केंद्र सरकार ने एक से ज्यादा राज्यों में चल रहे सहकारी बैंकों के लिए बने कानूनों में बदलाव कर दिया. इसे मल्टीस्टेट कोऔपरेटिव सोसायटी एक्ट-2002 नाम दिया गया. अब तक माधव नागरिक सहकारी बैंक पर मोदी परिवार का एकाधिकार हो चुका था. वीरेंद्र मोदी भी इस में शामिल हो गया था.

सन 2005 में इन्होंने पूरी प्लानिंग के साथ आदर्श क्रेडिट कोऔपरेटिव सोसायटी को फिर से शुरू किया तो इन के वारेन्यारे होने लगे. आदर्श सोसायटी को मल्टीस्टेट कोऔपरेटिव सोसायटी एक्ट में पंजीकृत करा कर इस का मुख्यालय सिरोही से अहमदाबाद बना दिया गया.

यह वह समय था, जब गांवों और दूरदराज के इलाकों में बैंकिंग व्यवस्था कमजोर थी. आदर्श क्रेडिट सोसायटी ने बैंकिंग व्यवस्था का विकल्प दिया. उन्होंने पौंजी स्कीम के जरिए अपने पैर जमा कर सरकारी और निजी बैंकों की तुलना में लोगों को ज्यादा ब्याज देने का लालच दिया.

इस का नतीजा यह हुआ कि मध्यम वर्ग और कालेधन के लेनदेन से जुड़े लोगों ने सोसायटी की योजना में अरबोंखरबों रुपए का निवेश किया.

साल 2009 में आदर्श सोसायटी ने गुजरात के घाटे में चल रहे 2 सहकारी बैंकों का अधिग्रहण कर लिया. इन में डीसा नागरिक सहकारी बैंक और सुरेंद्रनगर का मर्केंटाइल सहकारी बैंक शामिल था. इस से आदर्श सोसायटी ने गुजरात में अपने पैर जमा लिए.

कहते हैं कि इंसान के पास जब पैसा और प्रभाव हो, तो वह अपराध करने में भी नहीं झिझकता. वीरेंद्र मोदी के खिलाफ सिरोही में 12 से ज्यादा मामले दर्ज हैं. सिरोही में वीरेंद्र मोदी की पहचान वीरू मोदी के रूप में थी. वीरेंद्र का पहली पत्नी शकुंतला से तलाक हो चुका है. शकुंतला से उस के 2 बेटे हैं. बाद में वीरेंद्र मोदी ने बक्षा नाम की महिला से शादी कर ली. उस से एक बेटा है.

सिरोही के आदर्श नगर में वीरेंद्र मोदी का 10 हजार वर्गफीट एरिया में फैला आलीशान बंगला है. इस में स्विमिंग पूल, गार्डन सहित सभी सुखसुविधाएं हैं. वहां हाईमास्ट लाइट भी लगी हैं. इस लाइटों के बिल का भुगतान पहले नगर पालिका अदा करती थी.

वीरेंद्र के पास काले रंग की रेंज रोवर सहित कई लग्जरी कारें हैं. वह कछुए सहित कई पालतू जानवर रखने का भी शौकीन है. बंगले पर गनमैन तैनात रहता है. घोटाला उजागर होने पर वन विभाग ने वीरेंद्र मोदी के सिरोही स्थित बंगले से दुर्लभ प्रजाति के 21 स्टार कछुए बरामद किए. वन विभाग ने वीरेंद्र के खिलाफ केस भी दर्ज कर लिया था.

आदर्श क्रेडिट कोऔपरेटिव सोसायटी का पूरा काम मुकेश मोदी संभालता था, जबकि रियल एस्टेट का काम वीरेंद्र मोदी देखता था. मुकेश मोदी ने अपनी बेटी प्रियंका मोदी और दामाद वैभव लोढ़ा के अलावा भाईभतीजों और निकटस्थ लोगों को इस सोसायटी में पदाधिकारी बना रखा था.

राजस्थान में 2017 में उजागर हुए जम्मूकश्मीर के फरजी हथियार लाइसैंस मामले में भी मुकेश मोदी और उस का बेटा राहुल मोदी आरोपी हैं. दोनों को एटीएस मुख्यालय जयपुर बुला कर फरजी हथियार लाइसैंस मामले में पूछताछ की गई थी. बाद में इन्होंने अग्रिम जमानत करा ली थी.

दिल्ली में मुकेश मोदी और उन के बेटे की गिरफ्तारी के बाद से वीरेंद्र मोदी ही सोसायटी का मुख्य कर्ताधर्ता था. एसओजी की ओर से गिरफ्तार किया गया आदर्श क्रेडिट सोसायटी का चेयरमैन ईश्वर सिंह पहले कभी वीरेंद्र मोदी के साथ ही टैक्सी चलाता था.

पहली जून को एसओजी ने 4 आरोपियों को अदालत से 5 दिन के रिमांड पर दोबारा लिया. इन में वीरेंद्र मोदी, रोहित मोदी, विवेक पुरोहित और भरत वैष्णव शामिल थे. एक आरोपी ईश्वर सिंह को अदालत ने न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था. इस से एक दिन पहले वैभव लोढ़ा को भी अदालत से पुलिस रिमांड पर लिया गया.

रिमांड के दौरान एसओजी की टीम वीरेंद्र मोदी और भरत वैष्णव को ले कर सिरोही पहुंची. इन के आवासों की तलाशी में जमीनों और निवेश से जुड़े दस्तावेज जब्त किए गए. वीरेंद्र मोदी के बंगले से करीब डेढ़ हजार प्लौटों के पट्टे मिले. ये पट्टे अलगअलग नाम से थे और सिरोही व आसपास के इलाकों में काटी गई कालोनियों के थे. इन पट्टों की कीमत करीब 300 करोड़ रुपए के आसपास आंकी गई.

एसओजी की जांच में यह भी पता चला कि आदर्श क्रेडिट कोऔपरेटिव सोसायटी के संचालक की बेटी प्रियंका मोदी और दामाद वैभव मोदी का हर महीने वेतन डेढ़ करोड़ रुपए था. शादी होने से पहले प्रियंका मोदी 5 साल के दौरान करीब 75 करोड़ रुपए तो वेतन के एवज में ही ले चुकी थी.

शादी के बाद प्रियंका के पति वैभव मोदी को डेढ़ करोड़ रुपए महीने के हिसाब से वेतन दिया जा रहा था. वह करीब 45 करोड़ रुपए सैलरी ले चुका था. प्रियंका और वैभव मुंबई में रहते थे, लेकिन उन्हें गुरुग्राम स्थित कंपनी में काम करना बता रखा था.

दरअसल, आदर्श सोसायटी के देश भर में विस्तार के बाद इस के संचालकों ने निवेशकों के पैसे का घोटाला करने के लिए शैल कंपनियां यानी फरजी कंपनियां बना लीं. गुड़गांव के सुशांत लोक फेज-1 की एक बिल्डिंग में मुकेश मोदी, उस के परिवार के सदस्यों और सहयोगियों के नाम पर कुल 33 कंपनियां रजिस्टर्ड हैं.

असल में इस पते पर 12×15 की एक छोटी सी दुकान है. एसओजी ने जब इस पते पर छापा मारा तो यहां बंगाल का रहने वाला मोती उल मलिक मिला. उस ने बताया कि वह सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक यहां बैठता है. वह इस पते पर आने वाली सारी डाक एकत्र कर गुड़गांव में ही दूसरे औफिस पर पहुंचा देता है. एसओजी को जांच में पता चला कि इस दुकान की मालिक मुकेश मोदी की बेटी प्रियंका मोदी है.

जांच में यह भी पता चला कि मुकेश मोदी महावीर कंसलटेंसी नामक कंपनी में नौकरी कर एक करोड़ रुपए मासिक वेतन लेता था. महावीर कंसलटेंसी को आदर्श सोसायटी ने कंसलटेंसी का काम सौंप रखा था. इस कंसलटेंसी कंपनी में मुकेश मोदी की पत्नी मीनाक्षी मोदी और दामाद वैभव लोढ़ा साझीदार थे.

आदर्श सोसायटी की बैलेंसशीट के मुताबिक सोसायटी ने महावीर कंसलटेंसी को 3 साल के दौरान ही 6 अरब 60 करोड़ 73 लाख 68 हजार 938 रुपए का भुगतान किया था. इस में वर्ष 2015-16 में 59 करोड़ 36 लाख रुपए, वर्ष 2016-17 में एक अरब 94 करोड़ रुपए और वर्ष 2017-18 में 4 अरब 6 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया.

इस कंपनी का रजिस्ट्रेशन वर्ष 2013-14 में कराया गया था. उस समय इस कंपनी का टर्नओवर शून्य था. यानी एक रुपए का भी व्यापार नहीं हुआ था, लेकिन 3 साल बाद ही सन 2017 में इस कंपनी का टर्नओवर 500 करोड़ रुपए पहुंच गया.

नोटबंदी के दौरान मोदी परिवार ने 223 करोड़ 77 लाख रुपए कैश इन हैंड बताए थे. इस राशि को खपाने के लिए भी कई फरजीवाड़े किए गए. इस में परिचितों व परिवार के लोगों को फरजी कंपनियों के शेयर होल्डर बना कर उन के खातों में आरटीजीएस के माध्यम से लेनदेन किया गया. बाद में इस राशि से कपड़ों की खरीदारी बताई गई. यह कपड़ा कहां से आया और कहां गया, इस की कोई जानकारी एसओजी को नहीं मिली.

इस के अलावा मोदी बंधुओं ने सोसायटी में बिना किसी मोर्टगेज (गिरवी/रेहन) प्रक्रिया के लोन के नाम पर अपने रिश्तेदारों और जानकारों को अरबों रुपए बांट दिए. गिरवी के नाम पर कोई चलअचल संपत्ति के दस्तावेज नहीं होने से लोन लेने वालों ने यह राशि सोसायटी को नहीं लौटाई.

पुलिस रिमांड पर चल रहे आदर्श सोसायटी घोटाले के पांचों आरोपियों वीरेंद्र मोदी, वैभव लोढ़ा, रोहित मोदी, विवेक पुरोहित और भरत वैष्णव को एसओजी ने 5 जून को जयपुर में अदालत में पेश किया. अदालत ने इन्हें न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया. इस से पहले इस मामले में गिरफ्तार अन्य 7 आरोपियों को भी जेल भेजा जा चुका था.

इस के बाद एसओजी ने आदर्श सोसायटी घोटाले के मुख्य सूत्रधार मुकेश मोदी और उस के भतीजे राहुल मोदी पर शिकंजा कसा. इन दोनों को सीरियस फ्राड इनवैस्टीगेशन सेल (एसएफ.आईओ) ने दिल्ली में दिसंबर 2018 में गिरफ्तार किया था.

एसएफआईओ ने मुकेश और राहुल मोदी के अलावा इन के सहयोगी को आदर्श सोसायटी में गड़बडि़यां कर निवेशकों से करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी करने तथा फरजी कंपनियां बना कर उन को ऋण दे कर हेराफेरी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. बाद में एक बार छूटने के बाद इन्हें दोबारा गिरफ्तार किया गया. ये दोनों हरियाणा की गुड़गांव जेल में बंद थे.

एसओजी 10 जून को मुकेश और राहुल मोदी को प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार कर जयपुर ले आई. इन्हें अगले दिन जयपुर की अदालत में पेश कर 5 दिन के रिमांड पर लिया गया. मुकेश मोदी ही आदर्श सोसायटी का संस्थापक अध्यक्ष है.

मुकेश और राहुल मोदी से एसओजी ने 5 दिन तक पूछताछ की, लेकिन घोटाले और निवेशकों की रकम के बारे में कोई खास जानकारी नहीं मिल सकी. इस पर एसओजी ने इन्हें दोबारा रिमांड पर लिया.

इस दौरान उन्हें जयपुर से अहमदाबाद भी ले जाया गया. रास्ते में पाली जिले के बर चौराहे पर एसओजी के पुलिसकर्मियों ने दोनों आरोपियों की खातिरदारी भी की. सड़क पर कराए गए चायनाश्ते की तसवीरें वायरल होने पर एसओजी को बदनामी भी झेलनी पड़ी थी. अहमदाबाद में आदर्श सोसायटी के मुख्यालय पर दस्तावेजों की जांच की गई.

रिमांड अवधि पूरी होने पर एसओजी ने मुकेश और राहुल मोदी को 22 जून, 2019 को जयपुर में अदालत में पेश किया. अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

एसओजी अभी इस मामले की जांचपड़ताल में जुटी हुई है. आदर्श सोसायटी के खिलाफ  राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश के पीडि़त निवेशकों ने 50 से अधिक एफआईआर दर्ज कराई है. इस के अलावा इसी सोसायटी के खिलाफ  दायर करीब 300 परिवादों की जांच की जा रही है. गुजरात व मध्य प्रदेश में भी इस सोसायटी के खिलाफ पुलिस में मामले दर्ज हुए हैं.

आदर्श सोसायटी का घोटाला सामने आने के बाद मुकेश मोदी के भतीजे राहुल मोदी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक फोटो भी खूब वायरल हो रही है. इस फोटो में राहुल प्रधानमंत्री से बातचीत करते नजर आ रहा है. फोटो महाराष्ट्र के नासिक की है. इस में प्रधानमंत्री मोदी आदर्श सोसायटी की नासिक शाखा पर मौजूद हैं. प्रधानमंत्री के साथ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी दिखाई दे रहे हैं.

आदर्श सोसायटी के जरिए अरबों रुपए में खेलने वाले मुकेश मोदी और उन के भाई वीरेंद्र मोदी की महत्त्वाकांक्षा राजनीति में आने की भी रही है. सन 2004 के लोकसभा चुनाव में मुकेश मोदी ने सिरोही से भाजपा टिकट हासिल करने के प्रयास किए थे, लेकिन तब उन के विरोधियों ने माधव सहकारी नागरिक बैंक में वित्तीय गड़बडि़यों का पुलिंदा भाजपा आलाकमान तक पहुंचा दिया था. इस से मुकेश मोदी हाथ मलता रह गया था.

बाद में 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सिरोही में मुकेश मोदी के पोस्टर और होर्डिंग लगाए गए थे. उस समय मुकेश ने भाजपा से लोकसभा टिकट हासिल करने की पूरी कोशिशें की थीं, लेकिन विरोधियों ने इस बार भी कई तरह के दस्तावेज आलाकमान को भेज कर उन के अरमानों पर पानी फेर दिया था.

आयकर विभाग 2009-10 और 2018 में आदर्श सोसायटी के ठिकानों पर छापे मार कर काररवाई कर चुका है. आयकर विभाग को पहली बार के छापे में यह लग गया था कि सोसायटी में कालेधन के लेनदेन को ले कर गलत तरीके से निवेश हो रहा है. उस समय आदर्श सोसायटी के अनेक लौकर्स से भारी मात्रा में कालाधन बरामद किया गया था.

जून 2018 में आदर्श सोसायटी के अहमदाबाद, जोधपुर, सिरोही सहित 15 ठिकानों पर 100 से ज्यादा अफसरों ने करीब 10 दिन तक छापे की काररवाई की थी. एसओजी ने भले ही आदर्श सोसायटी के घोटाले का भंडाफोड़ कर इन के कर्ताधर्ताओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, लेकिन सोसायटी में अपनी मेहनत की जमापूंजी लगाने वाले निवेशकों को उन का पैसा वापस मिलता नजर नहीं आ रहा है. इस का कारण कानून की कमियां हैं.

आयकर विभाग ने भी मोदी बंधुओं की काफी संपत्तियां जब्त कर रखी हैं. आदर्श सोसायटी के 187 ऋण खातों में 31 मार्च 2019 को 146 अरब 82 करोड़ 24 लाख 42 हजार 239 रुपए बकाया चल रहे थे.

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