बांग्लादेश (Bangladesh) में सत्तारूढ़ दल अवामी लीग के सांसद अनवारुल अजीम अनार (MP Anwarul Azim Anar) पिछले कई महीनों से परेशान चल रहे थे. मानसिक तनाव में रहते थे, सिरदर्द बना रहता था. एक कान से सुनने में काफी दिक्कत हो रही थी. शारीरिक कमजोरी भी महसूस कर रहे थे. उन की बेटी मुमतरीन फिरदौस डोरिन (Mumtarin Ferdous Doreen) उन से कई बार कह चुकी थी कि वह अपना इलाज किसी अच्छे डाक्टर से करवाएं. हो सके तो भारत जा कर जांच करवाएं. दिल्ली में एम्स का काफी नाम है, वहां एक से बढ़ कर एक काबिल डाक्टर हैं. वहीं चले जाएं.
वह बांग्लादेश में झेनइदह-4 क्षेत्र से 3 बार के सांसद और अवामी लीग (Awami League) की कालीगंज उपजिला इकाई के प्रमुख थे. वह झेनाइदह से वर्ष 2014, 2018 और 2024 में सांसद चुने गए थे.
आखिरकार उन्होंने अपनी बेटी की बात मान ली और 9 मई, 2024 को ढाका (Dhaka) में माणिक मिया एवेन्यू स्थित अपने आधिकारिक आवास से दक्षिणपश्चिमी बांग्लादेश के जिला जेनाइदाह में स्थित अपने गांव गए. वहीं से उन्होंने कोलकाता (Kolkata) में रहने वाले अपने खास पारिवारिक दोस्त गोपाल विश्वास (Gopal Vishwas) के यहां जाने की योजना बना ली. वह बेटी को भी साथ ले जाना चाहते थे, लेकिन उस का वीजा नहीं मिलने के कारण अकेले जाने का कार्यक्रम बना लिया. इस बारे में उन्होंने 11 मई को सुबह करीब पौने 5 बजे फोन पर बेटी से बात की थी.
उस के बाद वह इलाज के लिए 12 मई, 2024 को कोलकाता पहुंच गए. अनवारुल अजीम कोलकाता के उत्तर में स्थित बरानगर के उपनगरीय इलाके में अपने एक मित्र गोपाल विश्वास के घर ठहर गए थे. बेटी फिरदौस को उन का 13 मई, 2024 को वाट्सऐप मैसेज मिला, जिस में कहा गया था कि वह एक वीआईपी के साथ दिल्ली चले गए हैं. वहां से वह अमित साह नामक व्यक्ति द्वारा सौंपे गए काम के लिए दिल्ली से न्यू टाउन आएंगे. उन्हें आगे काल करने की कोई जरूरत नहीं है.
सांसद अनवारुल अजीम अपनी बेटी फिरदौस के साथ
दूसरी तरफ फिरदौस अपने पिता के पीए से मिल कर भारत आने के लिए वीजा निकलवाने में जुट गई. इसी बीच उस ने 14 मई की शाम को कोलकाता में पापा के दोस्त गोपाल विश्वास को फोन किया.
”हैलो अंकल नमस्ते! मैं फिरदौस बोल रही हूं. अनवारुल अजीम की बेटी ढाका से!’’
”हांहां बेटी, बोलो, सब खैरियत है न! तुम्हारे अब्बाजान यहां पहुंच गए हैं. कल ही 12 मई शाम को 7 बजे के करीब आए थे.’’ गोपाल विश्वास बोले.
”अंकल, अब्बाजान का फोन नहीं लग रहा है. आप के पास हैं तो उन से मेरी बात करवा दीजिए.’’ फिरदौस ने विनती की.
”लेकिन बेटी, वह तो दोपहर में पौने 2 बजे के करीब डाक्टर को दिखाने के लिए निकल चुके हैं. आने वाले ही होंगे.’’ गोपाल बोले.
”लेकिन अंकल उन का फोन क्यों नहीं लग रहा? चिंता हो रही है.’’ फिरदौस बोली.
”अच्छा मुझे 2 मिनट का वक्त दो, मैं भी उन को काल करता हूं. तुम होल्ड पर रहना!’’ गोपाल बोले.
”जी अंकल.’’
कुछ सेकेंड बाद ही गोपाल ने होल्ड पर फिरदौस का काल औन किया. वह बोले, ”मेरा फोन भी अजीम को नहीं लग रहा है. शायद नेटवर्क प्रौब्लम होगी. यहां अकसर ऐसा होता रहता है…’’
”लेकिन अंकल अब तो शाम भी खत्म होने वाली है, आप ने ही बताया कि वह शाम तक लौट आने को बोल गए हैं. फिर आप का फोन भी नहीं लग रहा है. चिंता की तो बात है न!’’ फिरदौस बोली.
”एक मिनट होल्ड करना, अजीम का कोई मैसेज आया है, देख कर बताता हूं कि क्या लिखा है?’’ गोपाल अचानक बोले.
दरअसल, अनवारुल 13 मई को विश्वास से यह बता कर घर से बाहर निकले थे कि डाक्टर से मुलाकात के बाद शाम तक वापस लौट आएंगे. उन्होंने बिधान पार्क कलकत्ता पब्लिक स्कूल के सामने से टैक्सी ली थी. लेकिन उसी रोज उन्होंने शाम को दोस्त को वाट्सऐप मैसेज कर दिया था. अजीम ने वाट्सऐप पर मैसेज भेजा था, ‘मैं एक खास काम से दिल्ली जा रहा हूं और वहां पहुंचने के बाद फोन करूंगा. तुम को फोन करने की जरूरत नहीं है.’
इस मैसेज के बारे में गोपाल ने फिरदौस को भी बता दिया.
इस मैसेज ने फिरदौस की व्याकुलता को और भी बढ़ा दिया. वह दिल्ली जाने के संबंध में जानने को और बेचैन हो गई. उन की बेचैनी तब और बढ़ गई, जब अब्बूजान की 3 दिनों तक कोई सूचना तक नहीं मिल पाई. वह अपने पिता के सरकारी आवास में बैठी बारबार गोपाल विश्वास को फोन करती रही. अपने अब्बू के बारे में किसी समाचार मिलने को ले कर पूछती रही.
कोलकाता में गोपाल विश्वास भी परेशान हो गए थे. सभी जगह चुनाव का माहौल था. राजनीतिक पार्टियां एकदूसरे के खिलाफ तलवारें खींचे हुई थीं. वैसे भी पश्चिम बंगाल की सरकार और केंद्र सरकार हमेशा आपस में तनी रहती हैं.
अनवारुल अजीम की 3 दिनों से कोई सूचना नहीं मिलने पर बांग्लादेश के गृह मंत्रालय में भी खलबली मच गई थी. फिरदौस ने गृहमंत्री से गुहार की थी और प्रधानमंत्री शेख हसीना तक को पत्र तक लिख दिया था.
इधर कोलकाता में जब 17 मई तक अनवारुल की कोई सूचना नहीं मिली, तब उन्होंने 18 मई को स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज करवा दी.
मामला बांग्लादेशी सांसद के भारत से लापता हो जाने के संबंध में था. पश्चिम बंगाल पुलिस ने इसे बेहद गंभीरता से लिया और जांच की शुरुआत अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने कर दी. उधर बांग्लादेश की पुलिस भी अपने स्तर से जांच करने लगी.
सांसद अनवारुल कैसे हुए लापता
गोपाल विश्वास की लिखित शिकायत पर इस की जानकारी कोलकाता स्थित बांग्लादेश के उच्चायोग को दी गई. वहां के भारतीय अधिकारियों की मदद से कोलकाता पुलिस ने सब से पहले उन के मोबाइल की लोकेशन को ट्रैक किया. इस से पुलिस को कई जानकारियां मिलीं.
अनवारुल अजीम के कोलकाता में अपने मित्र के घर से 13 मई को निकलने के बाद उन के मोबाइल की लोकेशन महानगर के न्यू मार्केट इलाके में मिली. इस के बाद 17 मई को उन का फोन बिहार के किसी इलाके में कुछ देर के लिए औन हुआ था.
इस बारे में गोपाल विश्वास से भी पुलिस ने पूछताछ की. साथ ही पुलिस को अजीम के घर से निकलने के बाद किराए की जिस कार में सवार हुए थे, उस के ड्राइवर का पता चल गया था. ड्राइवर से भी पूछताछ की गई.
ड्राइवर ने पुलिस को बताया कि सांसद के साथ एक बांग्लादेशी नागरिक भी था. 13 मई, 2024 को ड्राइवर ने उन दोनों को कोलकाता से सटे न्यू टाउन इलाके में छोड़ दिया था. लापता सांसद के बारे में पुलिस को इस से अधिक कोई जानकारी नहीं मिल पाई.
उधर बांग्लादेश के कोलकाता स्थित उच्चायोग के प्रैस सचिव रंजन सेन को भी 18 मई को बांग्लादेश के प्रधानमंत्री की ओर से सांसद के लापता होने की सूचना मिल गई थी. उस के बाद उन्होंने भारतीय विदेश मंत्रालय से संपर्क कर इस मामले की जानकारी दी थी.
जब यह पता चला कि बांग्लादेश के सांसद को आखिरी बार कोलकाता में ही देखा गया था, तब उच्चायोग के अधिकारी कोलकाता पुलिस से भी नियमित संपर्क में आ गए थे.
कोलकाता के सिंथी इलाके के रहने वाले कारोबारी गोपाल विश्वास ने पूछताछ में बताया कि अनवारुल अजीम के साथ बीते 2 दशकों से उन के पारिवारिक संबंध हैं. अपने बारे में गोपाल विश्वास ने पुलिस को बताया कि वह कोलकाता में आभूषण के निर्यात के कारोबार से जुड़े हैं.
बांग्लादेश में बांग्लादेश नैशनल पार्टी सरकार के सत्ता में रहने के दौरान अनवारुल अजीम भारत में ही रहते थे. गोपाल ने बताया कि उन का घर माझदिया में है. अनवारुल वहां सुभाष अग्रवाल के घर में रहते थे. वहीं उन से परिचय हुआ था, जो आगे चल कर मित्रता में बदल गया. अब यह पारिवारिक संबंधों में तब्दील हो चुका है. इसी वजह से इलाज कराने के लिए यहां आने पर वह उन के घर ठहरे थे.
उन्होंने यह भी बताया कि अनवारुल अजीम ने उन के पास आने के बाद किसी न्यूरोलौजिस्ट को दिखाने की इच्छा जताई थी. इस बारे में किसी अच्छे न्यूरोलौजिस्ट के बारे में भी जानकारी मांगी थी.
इस पर गोपाल विश्वास ने अनवारुल से कहा था कि वह ऐसे किसी डाक्टर को नहीं जानते हैं, लेकिन उन को साल्टलेक स्थित अपोलो अस्पताल में अपना इलाज करवाने की सलाह दी.
गोपाल ने पुलिस को यह भी बताया कि मेरी सलाह को ध्यान में रख कर ही उन्होंने सुबह एक साथ ही नाश्ता किया था. उस वक्त उन से मैं ने यह भी कहा था कि आज मेरी कार उपलब्ध नहीं है, इसलिए वह किसी कार का इंतजाम कर लें. उस के बाद मैं घर की पहली मंजिल पर बने अपने दफ्तर में चला गया.
पुलिस गोपाल विश्वास की जानकारी से आश्वस्त हो चुकी थी. सीसीटीवी कैमरे की फुटेज के अनुसार उन के द्वारा दी गई जानकारी सही थी. फुटेज में अनवारुल अजीम दोपहर को 1.41 बजे घर से निकलते दिखाई दिए थे. उस के बाद पुलिस की मिसिंग डायरी में लिखा गया कि अनवारुल अजीम उन के घर से कुछ दूर स्थित बिधान पार्क इलाके से किराए की कार में सवार हुए थे.
साथ ही उन्होंने पुलिस को बताया है कि एक प्रत्यक्षदर्शी ने अजीम को कार में सवार होते देखा था. हालांकि अजीम को शाम को अपने मित्र के घर लौटना था, लेकिन वह नहीं लौटे थे.
विदेश मंत्रालय ने रखी मामले पर नजर
वैसे 15 मई को गोपाल विश्वास को अजीम का एक और वाट्सऐप मैसेज मिला कि वह दिल्ली पहुंच गए हैं और उन के साथ कुछ वीआईपी हैं. इसलिए उन को फोन नहीं किया जाए.
इस के 2 दिन बाद ही अजीम की बेटी ने गोपाल विश्वास को फोन पर बताया कि हरसंभव प्रयास के बावजूद पिता के साथ उन का कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है. इसलिए वह कुछ करें ताकि उन के बारे में जानकारी मिल सके.
इस की सूचना मिलने के बाद गोपाल भी अपने दोस्त की तलाश में जुट गए थे. कोलकाता में उन के तमाम करीबियों को इस की जानकारी दे दी थी. उन लोगों ने भी अनवारुल का पता लगाना शुरू कर दिया था, लेकिन सब से अजीब बात यह थी कि उन का फोन पर संपर्क ही नहीं हो पा रहा था.
इस की शिकायत ले कर वह पुलिस थाने गए, तब उन्हें वहां पूरे दिन बैठा कर रखा गया. इस बीच पुलिस की एक टीम उन के घर गई और वहां सीसीटीवी का फुटेज ले आई. उस फुटेज की जांच के बाद शिकायत दर्ज की गई.
कोलकाता में बांग्लादेश का वाणिज्य दूतावास भारतीय विदेश मंत्रालय के संपर्क में आ चुका था. बांग्लादेश उच्चायोग को भारतीय विदेश मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक 17 मई को अनवारुल का मोबाइल फोन कुछ देर के लिए बिहार में सक्रिय पाया गया था. यह भी पता चला कि मोबाइल सेट से सिम कार्ड निकाल देने के कारण उस की सही लोकेशन का पता लगाना संभव नहीं हो पा रहा था.
दूसरी तरफ ढाका में खुफिया विभाग (डीबी) के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त हारून रशीद का कहना था कि अनवारुल के पास 2 बांग्लादेशी मोबाइल नंबरों के अलावा एक भारतीय कंपनी का सिम भी था. उन्होंने भारतीय पुलिस के सहयोग से उन के भारतीय फोन नंबर की लोकेशन ट्रैक कर देखा था, जो बिहार का मुजफ्फराबाद दिखा रहा था.
कोलकाता पुलिस ने जांच कर पाया कि बिहार में मुजफ्फराबाद नाम की कोई जगह नहीं है. मुजफ्फराबाद पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर की राजधानी है. बिहार में इस से मिलताजुलता नाम है मुजफ्फरपुर.
लापता सांसद की तलाश में जुटे अतिरिक्त पुलिस आयुक्त ने इस सिलसिले में बांग्लादेश में रहने वाले भारतीयों के अलावा भारत के पुलिस अधिकारियों के साथ भी बातचीत की. उन्होंने अनवारुल के परिवार को भी नियमित संपर्क में ले लिया था. उन की बेटी मुमतरीन फिरदौस डोरिन बांग्लादेश में पिता के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज करवा चुकी थी.
अनवारुल की बेटी मुमतरीन फिरदौस
उस ने पुलिस को बताया था कि उन के पिता अकसर भारत जाते रहते हैं. यहां संसद बंद हो जाने के कारण वो 2-3 दिन के लिए भारत गए थे. इसी तरह नियमित रूप से वह वहां जाते रहते हैं. उन के कान में दिक्कत है. एक कान पूरी तरह बंद हो गया है यानी उस से कुछ सुनाई नहीं देता. मेरे पिता उसी का इलाज कराने वहां गए थे.
उस के बाद इस मामले के संबंध में सीमा के दोनों ओर से संदिग्धों की धरपकड़ शुरू की गई. कोलकाता पुलिस ने 24 मई, 2024 को जिहाद हवलदार नाम के एक बांग्लादेशी कसाई को गिरफ्तार किया, जो कथित तौर पर मुंबई में अवैध रूप से रह रहा था, जबकि बांग्लादेश में भी पुलिस ने 3 संदिग्धों को गिरफ्तार किया. वे अमानुल्ला सईद उर्फ शिमुल भुइयां उर्फ शिहाब उर्फ फजल मोहम्मद भुइयां (56 साल), तनवीर भुइयां, (30 साल) और एक युवती शिलास्ती रहमान (22 साल) थी.
कोलकाता पुलिस को सीसीटीवी फुटेज और ड्राइवर की पूछताछ से न्यूटाउन इलाके के फ्लैट की जानकारी मिली, जहां वह सांसद को छोड़ गया था. इस के बाद पुलिस की एक टीम 22 मई को न्यूटाउन फ्लैट पहुंची थी. यहां एक बोर्डिंग पास मिला था. इस के बाद पुलिस वहां से चली गई थी.
इसी बीच बांग्लादेश की सरकार ने घोषणा कर दी कि सांसद अनवारुल की हत्या हो चुकी है. फिर फोरैंसिक की एक टीम 22 मई को ही फ्लैट पर पहुंची. वहां जूतों के पास और ड्राइंग रूम में खून के धब्बे मिले थे.
चौंकाने वाले हुए खुलासे
एक तरफ कोलकाता पुलिस सांसद की हत्या की जानकारी हो जाने पर उन की लाश तलाशने में जुट गई थी, जबकि दूसरी तरफ ढाका पुलिस और खुफिया एजेंसियां इस हत्याकांड के गुनहगारों की तलाश करने लगी थीं. इसी सिलसिले में हत्या के पीछे के मास्टरमाइंड अख्तरुज्जमां उर्फ शाहीन मियां के बारे में जानकारी हुई.
वह संयुक्त राज्य अमेरिका का नागरिक है, जो 20 मई को दिल्ली और फिर नेपाल के काठमांडू के रास्ते अमेरिका फरार हो गया था. दोनों देशों की पुलिस को संदेह हुआ कि सांसद की हत्या कर शव को बड़ी चतुराई से ठिकाने लगा दिया गया है.
जांचकर्ताओं ने सीसीटीवी फुटेज से मिली जानकारी के आधार पर 23 मई की रात कोलकाता में एक नहर के किनारे सांसद के अंगों की खोज शुरू की. दूसरी तरफ कोलकाता पुलिस ने इस मामले की जांच के दौरान जिन 2 कारों को जब्त किया, उन में से एक में हत्या से पहले सांसद अजीम को सवार होते देखा गया था. हत्या के बाद अपराधी दूसरी कार से फ्लैट से बाहर गए थे.
लाश की तलाशी से पहले दिन में ही कोलकाता पुलिस ने एक संदिग्ध अपराधी जुबैर उर्फ जिहाद को हिरासत में लिया था. उस से पूछताछ में मालूम हुआ कि वह बांग्लादेश का नागरिक है.
उस के बाद कोलकाता से सीआईडी के 3 अधिकारियों ने ढाका पहुंच कर खुफिया शाखा (डीबी) के प्रमुख के साथ बैठक की.
इस हत्याकांड के सिलसिले में दर्ज एफआईआर में जिहाद के अलावा अख्तरुज्जमां, अमानुल्लाह, सैयद, मुस्तफिजुर, फैसल और शिलास्ती रहमान के नाम शामिल हैं. इन में से 3 आरोपी 22 मई को ढाका में गिरफ्तार किए गए थे.
सांसद को हनी ट्रैप में फंसाने वाली शिलास्ती रहमान
जुबैर उर्फ जाहिद से मुख्यरूप से इस बिंदु पर पूछताछ की गई कि सांसद अजीम की हत्या के बाद उन का शव कहां ठिकाने लगाया गया था. हिरासत में लिए गए लोगों से जब एकएक कर पूछताछ हुई, तब सांसद हत्याकांड से संबंधित कई चौंकाने वाले खुलासे प्याज के छिलके की तरह उतरते चले गए. दोनों देशों की पुलिस में दर्ज अभियुक्तों के बयानों के अनुसार उन्होंने सुनियोजित तरीके से हत्या को अंजाम दिया था.
उन की हत्या की फूलप्रूफ योजना ढाका में ही बनाई गई थी, लेकिन इस वारदात को विदेशी धरती भारत में अंजाम दे कर शव को ऐसे गायब करने की भी पूरी तैयारी की गई थी, ताकि उस का नामोनिशान भी पता नहीं चल पाए या वह कभी बरामद नहीं हो सके. इसी वजह से शव के कई टुकड़े किए गए. हड्डियों और मांस को अलगअलग कर दिया गया. उस के बाद उसे ग्रे कलर के एक सूटकेस में भरा गया.
उन्होंने जांच को गलत दिशा देने के लिए कई अन्य काम भी किए थे. हत्यारों का मकसद था कि शव को पूरी तरह गायब कर दिया जाए. दूसरा यह कि जांच अधिकारियों को सांसद के मोबाइल का कोई सुराग नहीं मिल सके. साथ ही भारतीय पुलिस का ध्यान बांग्लादेश की ओर नहीं जा सके.
इसी मकसद से कोलकाता में फ्लैट किराए पर लिया था. हालांकि मकान या फ्लैट किराए पर लेते समय उस के मालिक, किराएदार और मध्यस्थ दलाल, तीनों पक्षों के लिए अपनी फोटो और पहचानपत्र थाने में जमा करना अनिवार्य होता है. फ्लैट को किराए पर लेते समय कहा गया कि अख्तरुज्जमां उर्फ शाहीन, अमानुल्लाह सैयद और शिलास्ती रहमान वहां रहेंगे.
इस के लिए पहली मई को न्यू टाउन थाने में उन से संबंधित दस्तावेज जमा किए गए थे. किराए पर लेते समय दस्तावेज के तौर पर मुख्य साजिशकर्ता अख्तरुज्जमां उर्फ शाहीन ने न्यूयार्क के ड्राइविंग लाइसेंस की कौपी दी थी, जिस पर नंबर और तसवीर भी थी. उन्होंने खुद को मरीन इंजीनियर बताया था.
जाहिद और ढाका में गिरफ्तार मूल अभियुक्त सियाम उस सूटकेस को ले कर फ्लैट से बाहर चले गए थे. इस के बाद मुख्य अभियुक्त फ्लैट पर आया और ये लोग शव के बचेखुचे हिस्सों को पौलीथिन में भर कर बाहर ले गए.
सांसद की खाल उतार कर किए 80 टुकड़े
पूछताछ में आरोपियों ने कुबूल कर लिया कि सांसद की हत्या 13 मई की दोपहर में की गई थी. सीआईडी के अनुसार, हत्यारों ने पहले अजीम को क्लोरोफार्म का इस्तेमाल कर के तब बेहोश किया, जब वह वाश बेसिन के पास अपना चेहरा साफ कर रहे थे.
इस के बाद एक तकिए की मदद से दम घोंट कर उन की हत्या कर दी गई. फिर आरोपी जिहाद हलदार ने कसाई वाले चाकू और ब्लेड की मदद से उन की खाल उतार कर उन के शव के 80 टुकड़े किए. आरोपी शव के टुकड़ों को पौलीथिन बैग में भर कर सूटकेस में छिपा कर ले गए थे. इस के अलावा फ्लैट से ब्लीचिंग पाउडर भी बरामद हुआ.
उस के शरीर के काटे टुकड़ों को छोटेछोटे पैकेट में डाला गया. पैकेट एक ब्रीफकेस और ट्रौली बैग में रखे गए. इस के बाद हत्यारे फ्लैट से 20 किलोमीटर दूर कृष्णमती गए और पैकेट को ठिकाने लगा दिए.
सीआईडी को कोलकाता के न्यू टाउन फ्लैट से 600 ग्राम के सैकड़ों पौलीथिन बैग मिले. साथ ही पुलिस ने टायलेट पेपर, टिशू पेपर, दस्ताने और शिलास्ती रहमान के नाम का बोर्डिंग पास बरामद किया.
शिलास्ती वही महिला है, जो सीसीटीवी फुटेज में सांसद अनवारुल के साथ फ्लैट में जाती नजर आई थी. इस बारे में आरोपी जिहाद हवलदार ने बताया कि सांसद के फ्लैट में घुसने के 15 मिनट में ही पूरी वारदात को अंजाम दिया गया.
आरोपी ने बताया कि उन की हत्या के बाद उन के शरीर से चमड़ी हटाई गई, मांस निकाला गया और फिर लाश के 80 टुकड़े किए गए. इन टुकड़ों को बैग में भर कर शहर के अलगअलग इलाकों में फेंका गया. हालांकि कथा लिखे जाने तक पुलिस को उन की लाश या उन की बौडी के टुकड़े नहीं मिले थे.
‘डेली स्टार’ में छपी खबर के अनुसार ढाका और कोलकाता में खुफिया एजेंसियों ने बताया कि मास्टरमाइंड अख्तरुज्जमां ने हत्या को अंजाम देने के लिए 5 करोड़ रुपए में एक हिटमैन को काम पर रखा था.
खुफिया एजेंसियों ने यह भी दावा किया कि अजीम को एक महिला ने लालच दे कर फ्लैट में बुलाया होगा. बांग्लादेश पुलिस का इस बारे में कहना है कि महिला बांग्लादेशी है, जो मुख्य आरोपी अख्तरुज्जमां शाहीन की प्रेमिका है.
सीसीटीवी फुटेज में सांसद को एक पुरुष और एक महिला के साथ फ्लैट में प्रवेश करते हुए देखा गया था. दोनों बाद में फ्लैट के अंदर और बाहर आते हुए भी दिखे थे, लेकिन सांसद फिर कभी नहीं निकले. बाद में दोनों एक बड़े सूटकेस के साथ फ्लैट से बाहर आए थे.
पुलिस अधिकारी ने बताया कि उत्तरी कोलकाता के एक गेटेड सोसायटी में जिस आलीशान अपार्टमेंट में यह घटना हुई थी, उस का मालिक संदीप राय है. वह व्यक्ति उत्पाद शुल्क विभाग का एक कर्मचारी है, जिस ने इसे अख्तरुज्जमां को किराए पर दिया था.
ढाका मेट्रोपौलिटन पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त (डीबी) हारुन रशीद के अनुसार यह साजिश 2-3 महीने पहले रची गई थी. इस के लिए ढाका के गुलशन और वशुंधरा इलाके में अख्तरुज्जमां के फ्लैटों पर कई बैठकें हुई थीं. ढाका मेट्रोपौलिटन पुलिस की सतर्कता के कारण संदिग्ध बांग्लादेश में हत्या को अंजाम नहीं दे पाए थे. उन्हें यह भी पता था कि सांसद अकसर कोलकाता आते थे, इसलिए उन्होंने एक योजना बनाई और 25 अप्रैल, 2024 को वहां एक फ्लैट किराए पर ले लिया.
30 अप्रैल को अख्तरुज्जमां, उस की प्रेमिका और हिटमैन अमानुल्लाह ने कोलकाता के लिए उड़ान भरी और 13 मई को किराए के फ्लैट में आ गए. जब सांसद अनवारुल अपने दोस्त गोपाल विश्वास के घर से निकले, तब फायसल नाम का एक संदिग्ध उन्हें ले कर एक सफेद रंग की कार में बैठ गया और उन्हें फ्लैट में ले गया.
सांसद दोपहर करीब 2.51 बजे फ्लैट में दाखिल हुए और संदिग्धों ने अगले आधे घंटे के भीतर अपनी योजना को अंजाम दे दिया. साथ ही बचने के लिए अलग अलग लोगों को संदेश भेज दिए.
इस घटना के बाद अमानुल्लाह और अख्तरुज्जमां की प्रेमिका 15 मई को बांग्लादेश लौट आई, जबकि अन्य संदिग्ध मुस्तफिज, जो लापता है, 16 मई को और फायसल 17 मई को लौट आए.
क्यों की गई थी सांसद की हत्या?
कथा लिखे जाने तक पुलिस हत्या के पीछे के मकसद की जांच कर रही थी. शुरुआती जांच से पता चला है कि यह सांसद और मुख्य आरोपी के बीच एक व्यापारिक सौदे को ले कर अनबन का नतीजा हो सकता है. इस बारे में डेली स्टार अखबार ने बताया कि अख्तरुज्जमां और सांसद कथित तौर पर सोने की तस्करी का रैकेट चलाते थे, जब तक कि पिछले साल उन के बीच मतभेद नहीं हो गया.
बताया जाता है कि अख्तरुज्जमां दुबई से बांग्लादेश में सोने की छड़ों की तस्करी करता था, जबकि अजीम यह सुनिश्चित करते थे कि खेप उन के सिंडिकेट के माध्यम से भारत में सही लोगों के हाथों तक पहुंचे. बदले में सिंडिकेट को कमीशन दिया जाता था.
पिछले साल सांसद ने अपने लिए ज्यादा कमीशन की मांग की थी, लेकिन अख्तरुज्जमां ने इस के लिए तैयार नहीं हुआ, जिस से दोनों के बीच दरार पैदा हो गई. इस के बजाय उस ने अपनी सोने की तस्करी के लिए एक नया सिंडिकेट चुना. इस नए सिंडिकेट का नेतृत्व कथित तौर पर एक पूर्व सांसद कर रहे थे. इस से अजीम और भी क्रोधित हो गए.
इस के अलावा, पिछले 6 महीनों में भारतीय सीमा पर सोने की कई बड़ी खेप जब्त की जा चुकी थीं और अख्तरुज्जमां को इस के पीछे सांसद का हाथ होने का संदेह था. इन खेपों में करीब 200 करोड़ रुपए का सोना था. इस से अख्तरुज्जमां नाराज हो गया और उस ने सोना वापस पाने के लिए बारबार सांसद पर दबाव डाला.
इस के बाद अख्तरुज्जमां ने सांसद से पैसे (200 करोड़ रुपए) वापस मांगने शुरू कर दिए. मामले को सुलझाने के लिए सांसद और अख्तरुज्जमां पिछले 6 महीनों में कई बार मिले. बताया जाता है कि यही पैसे का लेनदेन अनबन अजीम की मौत का मुख्य कारण बना.
बांग्लादेश पुलिस के अनुसार 200 करोड़ रुपए खोने के गुस्से के अलावा, अख्तरुज्जमां नए सिंडिकेट के जरिए भारत में बिना किसी बाधा के सोने की तस्करी करना चाहता था.
हालांकि, अख्तरुज्जमां ने हत्या में अपनी संलिप्तता से इनकार किया है. उस ने एक बांग्लादेशी टीवी चैनल से कहा कि जब कोलकाता में सांसद की हत्या हुई तो वह ढाका में था और जब वह इलाज के लिए कोलकाता गए, तब कई बार उन के कोलकाता स्थित फ्लैट पर आए.
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि अजीम की हत्या में कई प्रभावशाली लोगों की भूमिका हो सकती है. 2014 में सांसद बनने के बाद अजीम ने झेनइदह में सोने की तस्करी पर नियंत्रण करना शुरू कर दिया था.
पिछले कुछ सालों में वहां के कुछ प्रभावशाली व्यवसायी और जशोर के एक राजनीतिज्ञ, जो सोने की तस्करी में भी शामिल हैं, अजीम के अवैध सोने के व्यापार पर पूर्ण नियंत्रण लेने के प्रयास से नाराज हो गया था. जबकि अजीम की बेटी का कहना है कि उसे अपने अब्बू की सोने की तस्करी में कथित संलिप्तता के बारे में जानकारी नहीं है.
डीबी की टीम ने आरोपियों को बांग्लादेश की अदालत में पेश किया, जहां से अदालत ने आरोपियों को 8 दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया.
बहरहाल, कथा लिखे जाने तक पुलिस और अन्य जांच एजेंसियां इस मामले की जांच में जुटी थीं और सांसद की लाश के कटे अंग भी पुलिस बरामद नहीं कर सकी थी.
—कथा पुलिस जांच और मीडिया रिपोर्टों पर आधारित