फर्रूखाबाद के कोतवाली इंसपेक्टर संजीव राठौर अपने औफिस में बैठे थे, तभी एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति ने  उन के औफिस में प्रवेश किया. दिखने में वह संभ्रांत लग रहा था, लेकिन उस के माथे पर परेशानी की लकीरें थीं. राठौर ने उस व्यक्ति को सामने पड़ी कुरसी पर बैठने का इशारा किया फिर पूछा, ‘‘आप कुछ परेशान दिख रहे हैं. आप अपनी परेशानी बताएं ताकि हम आप की मदद कर सकें.’’

‘‘सर, मेरा नाम रमेशचंद्र दिवाकर है. मैं एटा जिले के अलीगंज थाना अंतर्गत झकरई गांव का रहने वाला हूं. मेरा छोटा भाई दिनेश कुमार दिवाकर पत्नी व बच्चों के साथ आप के ही क्षेत्र के गांव झगुवा नगला में रहता है. दिनेश सीआरपीएफ की 75वीं बटालियन में है और श्रीनगर में तैनात है.

‘‘दिनेश 15 दिन की छुट्टी ले कर 6 जून को आया था, लेकिन वह घर नहीं पहुंचा. उस ने मुझे रात साढ़े 10 बजे मोबाइल पर फोन कर के जानकारी दी थी कि वह घर के नजदीक पहुंच गया है. लेकिन 8 जून को उस की पत्नी रमा ने मेरी मां को जानकारी दी कि दिनेश घर आया ही नहीं है. उस का फोन भी नहीं लग रहा है. श्रीनगर कंट्रोल रूम को भी रमा ने दिनेश का फोन बंद होने की जानकारी दी है. भाई के लापता होने से मैं परेशान हूं और इसी सिलसिले में आप के पास आया हूं. इस मामले में आप मेरी मदद कीजिए.’’

यह बात 10 जून की है. कोतवाल संजीव राठौर ने रमेशचंद्र दिवाकर की बात गौर से सुनी, फिर बोले, ‘‘झगुवा नगला गांव, पांचाल घाट पुलिस चौकी के अंतर्गत आता है. 8 जून को इस गांव के बाहर एक युवक की अधजली लाश बरामद हुई थी. अज्ञात में पंचनामा भर कर लाश को पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया गया था. लाश की कुछ फोटो हैं, आप उन्हें देख लो.’’

श्री राठौर ने लाश के फोटो मंगवाए फिर रमेशचंद्र को देखने के लिए थमा दिए. रमेशचंद्र ने सभी फोटो गौर से देखे और फफक पड़े, ‘‘सर, ये फोटो मेरे भाई दिनेश की लाश के हैं.’’

इस के बाद रमेशचंद्र ने मोबाइल फोन से घर वालों को सूचना दी तो घर में हाहाकार मच गया.

थानाप्रभारी संजीव राठौर ने रमेशचंद्र को धैर्य बंधाया, फिर मृतक के संबंध में जानकारियां जुटाईं. इस के बाद उन्होंने पूछा, ‘‘रमेशजी, आप को किसी पर शक है?’’

‘‘हां, है.’’ रमेशचंद्र गंभीर हो कर बोले.

‘‘किस पर?’’ संजीव राठौर ने अचकचा कर पूछा.

‘‘भाई दिनेश की पत्नी रमा और उस के आशिक अनमोल उर्फ अमन पर. हत्या की जानकारी रमा के भाई राहुल को भी होगी, लेकिन वह बहन के गुनाह को छिपाना चाहता है.’’

रमेशचंद्र दिवाकर की बात सुन कर संजीव राठौर चौंके. उन्होंने इस घटना की सूचना एसएसपी संतोष कुमार मिश्रा को दे दी. उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए दिनेश की हत्या का परदाफाश करने के लिए एडिशनल एसपी त्रिभुवन सिंह के निर्देशन में एक स्पैशल टीम बना दी. टीम में तेजतर्रार सबइंसपेक्टर, कांस्टेबल तथा महिला सिपाहियों को शामिल किया गया.

रमा ने किया गुमराह

पुलिस टीम ने सब से पहले मृतक दिनेश के बड़े भाई रमेशचंद्र दिवाकर से पूछताछ की तथा उन का बयान दर्ज किया. पूछताछ में रमेशचंद्र ने बताया कि दिनेश 6 जून की रात घर आया था, लेकिन रमा यह कह कर गुमराह कर रही है कि वह घर नहीं आया. रमा के घर से 200 मीटर दूर अधजली लाश खेत में पाई गई थी, लेकिन वह लाश की शिनाख्त के लिए नहीं गई.

एक रोज बाद रमा ने अपने आप को बचाने के लिए सास को पति के लापता होने की जानकारी दी. सब से अहम बात यह कि जब वह झगुवा नगला स्थित रमा के घर गया तो उस ने अपने बच्चों से बात नहीं करने दी.

घर में ताला बंद कर वह भाई राहुल के साथ ससुराल यानी हमारे यहां आ गई. रमा मायके न जा कर ससुराल इसलिए आई ताकि ससुराल वाले उस पर शक न करें. गुमराह करने के लिए ही उस ने श्रीनगर कंट्रोल रूम को फोन किया था.

रमेशचंद्र ने जो अहम जानकारी दी थी, उस से पुलिस टीम ने एएसपी त्रिभुवन सिंह को अवगत कराया तथा हत्या का परदाफाश करने के लिए रमा तथा उस के सहयोगियों की गिरफ्तारी के लिए अनुमति मांगी. त्रिभुवन सिंह ने तत्काल पुलिस टीम को अनुमति दे दी.

अनुमति मिलने पर पुलिस टीम ने रमा की ससुराल झकरई (एटा) में छापा मारा. रमा घर पर ही थी. पुलिस को देख कर वह रोनेधोने का नाटक करने लगी. लेकिन पुलिस टीम ने उस की एक नहीं सुनी और उसे गिरफ्तार कर फर्रूखाबाद कोतवाली ले आई.

रमा का मायका फर्रूखाबाद के चीनीग्राम में था. पुलिस टीम ने वहां छापा मार कर रमा के भाई राहुल दिवाकर को भी गिरफ्तार कर लिया. रमा का प्रेमी अनमोल उर्फ अमन फर्रूखाबाद जिले के थाना मेरापुर के गांव गुठना का रहने वाला था. पुलिस टीम ने उस के घर छापा मारा तो वह घर से फरार था.

घर पर उस के पिता महेश दिवाकर मौजूद थे. उन्होंने बताया कि अनमोल 2 दिन से घर नहीं आया है. पुलिस टीम ने जब उन्हें बताया कि पुलिस को एक हत्या के मामले में अनमोल की तलाश है तो वह आश्चर्यचकित रह गए.

जब पुलिस टीम लौटने लगी तब अनमोल के पड़ोसियों ने बताया कि अनमोल का एक जिगरी दोस्त है रामगोपाल, जो परचून की दुकान चलाता है. अनमोल जब भी फुरसत में होता है, तब रामगोपाल की दुकान पर पहुंच जाता है. दोनों घंटों बतियाते और अपने दिल की बात एकदूसरे को बताते हैं. रामगोपाल को पता होगा कि अनमोल कहां है.

दोस्त से मिली खास जानकारी

यह जानकारी मिलते ही पुलिस टीम ने रामगोपाल को उस की परचून की दुकान से हिरासत में ले लिया और थाना कोतवाली ला कर जब उस से अनमोल के संबंध में पूछताछ की गई तो वह उस की जानकारी से मुकर गया.

इस पर पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ की तब उस ने बताया कि अनमोल का एक दोस्त कमलकांत शर्मा है, जो उसी के गांव गुठना का रहने वाला है. कमलकांत उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही है और इन दिनों कानपुर देहात जिले के महाराजपुर थाने में तैनात है. अनमोल संभवत: कमलकांत के ही संरक्षण में होगा.

रामगोपाल से अनमोल के संबंध में अहम जानकारी मिली तो पुलिस टीम ने महाराजपुर थाने से संपर्क कर के सिपाही कमलकांत शर्मा से मोबाइल पर बात की. कमलकांत ने पुलिस टीम के प्रभारी संजीव राठौर को बताया कि अनमोल उस के पास है और वह पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करना चाहता है.

यह सुनते ही पुलिस टीम की बांछें खिल गईं. इस के बाद पुलिस टीम सिपाही कमलकांत के आवास पर पहुंची और अनमोल को फर्रूखाबाद कोतवाली ले आई. अनमोल को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस टीम ने उस के दोस्त रामगोपाल को थाने से रिहा कर दिया.

पुलिस टीम ने थाना कोतवाली पर अनमोल उर्फ अमन से दिनेश कुमार की हत्या के संबंध में पूछताछ शुरू की तो उस ने सहज ही हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि वह दिनेश की पत्नी रमा से प्यार करता है. दोनों के बीच नाजायज संबंध बन गए थे. दिनेश नाजायज संबंधों का विरोध करता था. इसलिए हम दोनों ने मिल कर उस की हत्या कर दी और शव को खेत में फेंक कर जला दिया.

अनमोल ने यह भी बताया कि उसे दिनेश की हत्या का कोई अफसोस नहीं है बल्कि खुशी है कि उस की जान बच गई. क्योंकि दिनेश उसे व उस की प्रेमिका को ही मारने आया था. इसी वजह से वह घर में बिना किसी को बताए छुट्टी ले कर घर आ गया था. पूछताछ के बाद अनमोल ने हत्या में प्रयुक्त रायफल भी बरामद करा दी, जो उस ने छिपा दी थी.

हो गया हत्या का परदाफाश

रमा का सामना जब अनमोल से हुआ तो उस ने गरदन झुका ली और पति की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. रमा ने बताया कि पति दिनेश को उस पर शक हो गया था इसीलिए उस ने प्रेमी के साथ मिल कर उसे मौत की नींद सुला दिया. हत्या में उस के भाई राहुल का हाथ नहीं है. लेकिन उसे हम दोनों द्वारा हत्या किए जाने की जानकारी हो गई थी.

पूछताछ के बाद रमा ने घर में खड़ी लाल रंग की वह स्कूटी बरामद करा दी, जिस पर रख कर उस के प्रेमी अनमोल ने लाश खेत में फेंकी थी. राहुल ने पूछताछ में साफ इनकार कर दिया कि उसे हत्या की जानकारी थी, लेकिन पुलिस ने उस की इस बात को खारिज कर दिया.

पुलिस टीम ने दिनेश कुमार की हत्या का परदाफाश करने तथा अभियुक्तों को पकड़ने की जानकारी एसएसपी संतोष कुमार मिश्रा तथा एएसपी त्रिभुवन सिंह को दी. इस के बाद उन्होंने पुलिस सभागार में प्रैसवार्ता की और अभियुक्तों को मीडिया के सामने पेश कर घटना का खुलासा कर दिया.

चूंकि अभियुक्तों ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था, इसलिए कोतवाली प्रभारी संजीव राठौर ने मृतक के बड़े भाई रमेशचंद्र दिवाकर को वादी बना कर भादंवि की धारा 302 के तहत रमा, अनमोल तथा राहुल के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कर ली और तीनों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस जांच में एक अध्यापिका की पापलीला की सनसनीखेज कहानी सामने आई.

उत्तर प्रदेश का फर्रूखाबाद शहर आलू और बीड़ी उत्पादन के लिए दूरदूर तक मशहूर है. यहां पर आलू खुदाई और बीड़ी बनाने वाले मजदूर ठेके पर काम करते हैं. आलू खुदाई का काम तो मात्र 3 महीने ही चलता है लेकिन बीड़ी बनाने का काम पूरे साल चलता है. यहां का बीड़ी उत्पादन का कारोबार कई राज्यों में फैला है.

बीड़ी व्यापार के लिए दूरदूर से व्यापारी आते हैं. इसे मजदूरों का शहर भी कहा जाता है. इस शहर का नाम फर्रूखाबाद कैसे पड़ा, इस की भी एक कहावत है. पहले फरख बात में बाद उस को कहते फर्रूखाबाद. यानी बात में फरख और विवाद. हर बात में झूठ फरेब का बोलबाला.

इसी फर्रूखाबाद जिले का एक गांव है चीनीग्राम. इसी गांव में देवकरन दिवाकर अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी मालती के अलावा बेटी रमा तथा बेटा राहुल था. देवकरन दिवाकर प्रतिष्ठित व्यक्ति थे. उन की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. घर में सभी भौतिक सुखसुविधाएं थीं.

उन की बेटी रमा खूबसूरत थी. जवानी की राह पर कदम रखते ही उस की सुंदरता में और निखार आ गया. उसे चाहने वाले अनेक थे. लेकिन वह किसी को भाव नहीं देती थी.

रमा बनना चाहती थी टीचर

रमा जितनी खूबसूरत थी, उतनी ही पढ़ नेलिखने में भी तेज थी. उस ने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाएं प्रथम श्रेणी में पास कर छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर से बीए और बीएड किया था.

उसी दरम्यान उत्तर प्रदेश सरकार ने प्राथमिक शिक्षकों की भरती का विज्ञापन जारी किया. रमा ने भी आवेदन किया लेकिन किसी कारणवश परीक्षा रद्द हो गई, जिस से रमा की शिक्षक बनने की तमन्ना अधूरी रह गई.

देवकरन को जवान बेटी के ब्याह की चिंता सताने लगी थी. इसलिए वह उस के लिए उपयुक्त लड़का तलाशने लगे. बेटी की इच्छानुसार वह किसी शिक्षक वर की तलाश में थे, लेकिन कोई शिक्षक वर मिल नहीं रहा था. उन्हीं दिनों एक रिश्तेदार के माध्यम से उन्हें दिनेश कुमार के बारे में पता चला.

दिनेश कुमार के पिता राजेश दिवाकर एटा जिले के झकरई गांव में रहते थे. उन के 2 बेटे रमेशचंद्र व दिनेश कुमार थे. राजेश एक संपन्न किसान थे. वह बड़े बेटे रमेशचंद्र का विवाह कर चुके थे जबकि छोटा दिनेश कुमार अभी कुंवारा था. दिनेश सीआरपीएफ की 75वीं बटालियन में श्रीनगर में तैनात था.

राजेश ने दिनेश को देखा तो उन्होंने उसे अपनी बेटी रमा के लिए पसंद कर लिया. दोनों तरफ से बातचीत हो जाने के बाद जनवरी, 2006 में सामाजिक रीतिरिवाज से दिनेश और रमा का विवाह धूमधाम से हो गया.

पढ़ीलिखी व सुंदर बहू पा कर दिनेश के घर वाले फूले नहीं समा रहे थे. ससुराल में रमा को सभी का भरपूर प्यार मिला. घर में उसे किसी चीज की कमी नहीं थी. इस तरह से रमा का सुखमय जीवन व्यतीत होने लगा.

शादी के बाद भी शिक्षक बनने की तमन्ना रमा के दिल में थी. इस बाबत उस ने पति दिनेश और सासससुर से बात की तो उन्हें भी कोई ऐतराज नहीं था.

जब शिक्षक की भरती निकली तो रमा ने भी आवेदन कर दिया. उस ने पति दिनेश से अनुरोध किया कि वह किसी भी तरह से उसे नौकरी दिलवाने की कोशिश करें. दिनेश ने पत्नी की बात मान कर जीजान से कोशिश की तो रमा का चयन हो गया. उसे फर्रूखाबाद के राजेपुरा थानांतर्गत चाचूपुर गांव के प्राथमिक विद्यालय में सहायक शिक्षिका के पद पर नौकरी मिल गई.

मायके से ही करने लगी ड्यूटी

नौकरी लग जाने के बाद रमा का ससुराल में रहना नामुमकिन सा हो गया. दरअसल, उस की ससुराल एटा जिले में थी और नौकरी फर्रूखाबाद जिले में लगी थी, जो उस के घर के नजदीक थी. इसलिए रमा मायके में रह कर अपनी ड्यूटी करती रही.

मायके से आनेजाने का साधन भी था और उस के रहने तथा खानेपीने की उचित व्यवस्था भी थी. सो उसे कोई परेशानी नहीं थी. इस के बावजूद दिनेश ने घूस दे कर रमा का तबादला एटा कराने का प्रयास किया, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली.

रमा का मायके में रहना न तो उस के पति दिनेश को पसंद था और न ही सासससुर को. लेकिन रमा की सरकारी नौकरी थी, इसलिए वे ज्यादा ऐतराज भी नहीं कर सकते थे. लेकिन कुछ दिनों बाद दिनेश ने मायके में रहने पर ऐतराज जताया तो रमा ने फर्रूखाबाद या उस के आसपास जमीन या प्लौट खरीद कर मकान बनाने की सलाह पति को दी.

रमा की सलाह मान कर दिनेश ने कोशिश शुरू की तो उस ने फर्रूखाबाद शहर से सटे झगुआ नगला गांव में एक प्लौट खरीद लिया और वहां 3 कमरे बनवा दिए. पूजापाठ कराने के बाद रमा इसी मकान में रहने लगी. स्कूल आनेजाने में पत्नी को परेशानी न हो, इस के लिए दिनेश ने एक स्कूटी यूपी78ए-0522 भी खरीद कर उसे दे दी.

रमा अब तक एक बेटी और एक बेटे की मां बन चुकी थी. बच्चों की देखरेख व घरेलू काम के लिए उस ने एक महिला को अपने यहां नौकरी पर रख लिया था. इस के अलावा रमा का भाई राहुल भी वहां आताजाता रहता था ताकि बहन के मन में असुरक्षा की भावना पैदा न हो. रमा की सास उर्मिला भी कभीकभी उस के पास आतीजाती रहती थी.

रमा को अपनी जवानी पर था गर्व

रमा 2 बच्चों की मां जरूर बन गई थी लेकिन उस का शारीरिक आकर्षण कम नहीं हुआ था. वह बनसंवर कर और महंगा काला चश्मा लगा कर स्कूटी पर घर से निकलती तो लोग उसे मुड़मुड़ कर देखते थे. रमा को स्वयं भी अपनी जवानी पर गर्व था.

लेकिन ऐसी जवानी का क्या, जिस का कोई कद्रदान न हो. दरअसल रमा का पति दिनेश सीआरपीएफ की 75वीं बटालियन में श्रीनगर में तैनात था. उसे तीसरे चौथे महीने बड़ी मुश्किल से महीना या 15 दिन की छुट्टी मिलती थी.

दिनेश जब साथ होता तो रमा की जिंदगी में बहार आ जाती थी. वह उस के साथ खूब मौजमस्ती करती. लेकिन उस के जाने के बाद उस के जीवन में नीरसता आ जाती. उस का दिन तो स्कूल में बच्चों के बीच कट जाता लेकिन रात करवटें बदलते बीतती थीं. कभीकभी वह सोचती कि उस ने सैनिक के साथ ब्याह कर के भारी भूल की है. उसे तो ऐसा मर्द चुनना चाहिए था, जो उस की तमन्नाओं को पूरा करता.

रमा के मन में पति के प्रति हीनभावना पैदा हुई तो उस का मन भटकने लगा. अब वह जिस्मानी सुख के लिए किसी युवक की तलाश में जुट गई.

रमा ने ढूंढ लिया प्रेमी

उन्हीं दिनों एक रोज रमा की मुलाकात अनमोल उर्फ अमन से हुई. अनमोल फर्रूखाबाद जिले के थाना मेरापुर के गांव गुठना का रहने वाला था. उस के पिता महेशचंद्र दिवाकर सेना में थे किंतु अब रिटायर हो चुके थे. उन के परिवार में पत्नी राजवती के अलावा बेटा अनमोल तथा एक बेटी थी.

महेशचंद्र भी संपन्न किसान थे. उन के पास 20 बीघा उपजाऊ जमीन थी. कृषि उपज के साथ उन्हें पेंशन भी अच्छीखासी मिलती थी. उन के दोनों बच्चे पढ़नेलिखने में तेज थे. बेटी बीए करने के बाद बीएड कर रही थी जबकि अनमोल का चयन बीटीसी में हो गया था. वह एटा से 2 वर्षीय बीटीसी की ट्रेनिंग कर रहा था.

रमा की बुआ प्रीति की शादी अनमोल के ताऊ सुरेशचंद्र दिवाकर के बेटे मुकेश के साथ हुई थी इसलिए अनमोल रमा का खास रिश्तेदार भी था.

अनमोल शरीर से हृष्टपुष्ट व सुदर्शन युवक था. वह रहता भी ठाटबाट से था. रमा उसे अच्छी तरह जानती थी. अत: उस रोज अनमोल रमा के घर अचानक पहुंचा तो उसे देख कर रमा आश्चर्यचकित रह गई. दोनों एकदूसरे को कुछ देर तक अपलक देखते रहे.

रमा की खूबसूरती ने अनमोल के दिल में हलचल मचा दी. कुछ पलों के बाद रमा के होंठ फड़के, ‘‘मेरी याद कैसे आ गई अमन. तुम ने तो मुझे भुला ही दिया.’’

‘‘ऐसी बात नहीं है. तुम्हारी याद तो मुझे हमेशा सताती रहती है. आज फर्रूखाबाद शहर में कुछ काम था. तुम्हारी याद आई तो अपने कदम रोक नहीं पाया और चला आया. तुम से मिल कर दिल को बड़ा सुकून मिला. अब मैं चलता हूं. मौका मिला तो फिर आऊंगा.’’

‘‘अरे वाह, ऐसे कैसे चले जाओगे. आज इतने दिनों बाद तो आए हो. कम से कम एक कप चाय तो पीते जाओ.’’ रमा ने मुसकराते हुए कहा.

अनमोल भी यही चाहता था. कुछ देर में ही रमा 2 कप चाय बना कर ले आई. चाय पीने के दौरान अनमोल की नजरें रमा की देह पर ही टिकी रहीं. इस दौरान जब दोनों की नजरें टकरातीं, अनमोल मुसकरा देता. उस की मुसकराहट से रमा के दिल में हलचल मच जाती. वह सोचती काश ऐसे पुरुष का साथ मिल जाए तो उस के जीवन में बहार आ जाए.

अनमोल रमा से मिल कर अपने घर लौटा तो रमा का खूबसूरत चेहरा उस के दिलो दिमाग में ही घूमता रहा. दूसरी ओर रमा का भी यही हाल था. वह अनमोल की आंखों की भाषा पढ़ चुकी थी. अनमोल जानता था कि रमा का पति फौज में है. वह महीना-15 दिन की  छुट्टी पर आता है और फिर चला जाता है. इसलिए रमा देह सुख की अभिलाषी है. अगर उस की तरफ कदम बढ़ाया जाए तो सफलता मिल सकती है.

अनमोल अब अकसर रमा के घर आने लगा. वह उस के बच्चों के लिए कुछ न कुछ जरूर लाता. रमा के बच्चे भी उस से हिलमिल गए और उसे अंकल कह कर बुलाने लगे. रमा और अनमोल दोनों के दिल एकदूसरे के लिए धड़क रहे थे. लेकिन अपनी बात जुबान पर लाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे.

एक दिन अनमोल सुबह 10 बजे रमा के घर पहुंच गया. रमा उस समय घर पर अकेली ही थी. उस के बच्चे स्कूल गए थे और वह बनसंवर कर बाजार जाने की तैयारी कर रही थी. अनमोल को देख कर वह मुसकरा कर बोली, ‘‘अरे अमन तुम, इस वक्त. बच्चे तो स्कूल गए हैं.’’

अनमोल रमा के चेहरे पर नजरें गड़ा कर बोला, ‘‘रमा, आज मैं बच्चों से नहीं तुम से मिलने आया हूं.’’

‘‘अच्छा,’’ रमा खिलखिला कर हंसी, ‘‘इरादा तो नेक है.’’

‘‘नेक है तभी तो अकेले में मिलने चला आया. रमा, मैं तुम से बहुत प्यार करने लगा हूं.’’ अनमोल ने सीधे ही मन की बात कह दी.

‘‘अनमोल, तुम ने यह बात कह तो दी लेकिन जानते हो प्यार की राह में कितने कांटे हैं,’’ रमा ने गंभीरता से कहा, ‘‘मैं शादीशुदा और 2 बच्चों की मां हूं.’’

‘‘जानता हूं, फिर भी जब तुम चाहोगी, मैं सारी बाधाओं को तोड़ दूंगा.’’ अनमोल ने रमा के करीब जा कर कहा.

इस के बाद अनमोल के गले में बांहें डाल कर रमा ने कहा, ‘‘अमन, मैं भी तुम्हें बहुत चाहती हूं. लेकिन शर्म की वजह से दिल की बात नहीं कह पा रही थी.’’

अनमोल ने रमा को पकड़ कर सीने से लगा लिया. फिर तो मर्यादा भंग होते देर नहीं लगी. जिस्मानी रिश्ते की नींव पड़ गई तो वासना का महल खड़ा होने लगा. अनमोल को जब भी मौका मिलता, वह रमा के घर आ जाता और इच्छा पूरी कर के चला जाता.

धीरेधीरे समय बीतता गया तो अमन ने भी अपना दायरा बढ़ा दिया. अब वह कई कई दिनों तक रमा के घर रुक कर मौजमस्ती करता. रमा रात को अपने बच्चों को डांटडपट कर दूसरे कमरे में सुला देती और खुद प्रेमी अनमोल के साथ रात भर जिस्मानी सुख क ा आनंद उठाती.

कहावत है कि औरत जब फिसलती है तो वह सारी मर्यादाओं को ताख पर रख देती है. रमा फिसली तो उस ने भी सारी मर्यादाओं पर पलीता लगा दिया. अनमोल के इश्क में अंधी रमा यह भूल गई कि वह 2 बच्चों की मां है. उस के परिवार की मानमर्यादा है और उस का पति देश की सुरक्षा में अपनी जान हथेली पर रखे हुए है.

बच्चों ने बता दी रमा की करतूत

अनमोल के आने का सिलसिला बढ़ता गया तो पासपड़ोस के लोगों की नजरों में दोनों खटकने लगे. कुछ महीने बाद दिनेश छुट्टी पर आया तो लोगों ने रमा और अनमोल के बारे में उसे बताया.

पड़ोसियों की बात सुन कर दिनेश का माथा ठनका. उस ने अपनी बेटी व बेटे से पूछा तो दोनों ने बताया कि अमन अंकल घर आते हैं और रात को घर में रुकते हैं. मासूमों ने यह बात भी बताई कि मम्मी उन दोनों को अपने कमरे में नहीं लिटातीं. वह उन्हें डांट कर दूसरे कमरे में बंद कर देती हैं. खुद अमन अंकल के साथ सोती हैं.

दिनेश पत्नी रमा पर बहुत अधिक भरोसा करता था. लेकिन आज उस का भरोसा टूट गया था. उस ने गुस्से में पूछा, ‘‘रमा, हमारी गैरमौजूदगी में अनमोल यहां क्यों आता है? वह रात में क्यों रुकता है? तुम दोनों के बीच क्या खिचड़ी पकती है. वैसे मुझे उड़ती खबर मिली है कि तुम्हारे और अनमोल के बीच नाजायज संबंध हैं.’’

रमा न डरी न लजाई. बेबाक आवाज में बोली, ‘‘जिन के पति परदेश में होते हैं, उन की पत्नियों पर ऐसे ही इलजाम लगाए जाते हैं. इस में नया कुछ नहीं है. पड़ोसियों ने कान भरे और तुम ने सच मान लिया. तुम्हें अपनी पत्नी पर भरोसा करना चाहिए.’’

लेकिन दिनेश ने रमा की एक न सुनी. उस ने उसे जम कर पीटा और सख्त हिदायत दी कि अनमोल घर आया तो उस की खैर नहीं. उस ने अनमोल को भी उस के गांव जा कर फटकारा और उस के मांबाप से उस की शिकायत की.

दिनेश जितने दिन घर में रहा, अनमोल को ले कर उस का झगड़ा पत्नी से होता रहा. बात बढ़ जाती तो दिनेश रमा की पिटाई भी कर देता. छुट्टी खत्म होने के बाद दिनेश अपनी ड्यूटी पर चला गया.

दिनेश के जाते ही रमा और अनमोल का मिलन फिर से शुरू हो गया. हां, इतना जरूर हुआ कि अनमोल अब दिन के बजाए रात को आने लगा था. प्रेमिका की पिटाई से अनमोल आहत था. उस का मन करता कि वह दिनेश को सबक सिखा दे.

रमा जान चुकी थी कि उस के बच्चे उस की शिकायत दिनेश से कर देंगे, इसलिए वह अब बच्चों से भी सतर्क रहने लगी थी. बच्चों के सो जाने के बाद ही वह अनमोल को फोन कर घर बुलाती थी. अनमोल शराब पीता था. उस ने रमा को भी शराब का चस्का लगा दिया था. बिस्तर पर जाने से पहले दोनों जाम टकराते थे.

मई के महीने में दिनेश छुट्टी ले कर घर आया तो पता चला कि अनमोल मना करने के बावजूद उस के घर आता है. रमा उसे मना करने के बजाए उस के साथ शराब पीती है. यह सब जान कर दिनेश का खून खौल उठा.

उस ने जम कर रमा की पिटाई की और धमकी दी कि जिस दिन वह दोनों को साथ देख लेगा, उसी दिन उन के सीने में गोली उतार देगा. उस ने रमा के नाजायज रिश्तों की जानकारी अपने भाई रमेशचंद्र को भी दे दी. कुछ दिन घर रुक कर वह फिर वापस श्रीनगर चला गया.

लेकिन इस बार दिनेश का मन ड्यूटी पर नहीं लगा. उस ने किसी तरह अपने अधिकारी से आने के 20 दिन बाद ही 15 दिन की छुट्टी मंजूर करा ली. इस बार दिनेश ने छुट्टी मंजूर होने तथा घर आने की सूचना किसी को नहीं दी. हर बार वह छुट्टी मिलने की सूचना फोन से पत्नी को दे देता था. इस की वजह यह थी कि वह अचानक घर पहुंच कर देखना चाहता था कि पत्नी पीठ पीछे क्या करती है.

इधर दिनेश के जाते ही रमा और अनमोल फिर से मौजमस्ती में डूबने लगे. उन दोनों को विश्वास था कि अब 4 महीने बाद ही दिनेश छुट्टी ले कर घर आएगा.

लेकिन दिनेश 6 जून, 2019 की रात 11 बजे ही अपने घर झगुआ नगला आ गया. दरअसल वह दोनों को रंगेहाथ पकड़ने तथा उन का काम तमाम करने ही आया था. उस रात रमा का प्रेमी अनमोल घर पर ही था और रमा के साथ बिस्तर पर था.

दिनेश ने दरवाजा पीटा तो रमा घबरा गई. दोनों ने जल्दीजल्दी अपने कपड़े दुरुस्त किए और रमा ने अनमोल को दूसरे कमरे की टांड पर छिपा दिया. फिर उस ने जा कर दरवाजा खोला तो सामने उस का पति दिनेश खड़ा था. उस की आंखों में क्रोध की ज्वाला भड़क रही थी.

दिनेश ने देर से दरवाजा खोलने की बाबत रमा से पूछा तो रमा ने गहरी नींद में होने का बहाना बनाया. इस पर दिनेश को शक हुआ तो उस ने रमा का हाथ मरोड़ दिया और पिटाई कर दी.

दिनेश को शक था कि अनमोल घर के अंदर ही कहीं है. अपने शक की पुष्टि के लिए उस ने सभी कमरों की तलाशी ली, लेकिन उसे अनमोल कहीं दिखाई नहीं दिया. अनमोल के न मिलने से दिनेश का गुस्सा कुछ कम हो गया. उस ने कहा कि तुम दोनों को आज मैं एक साथ पकड़ लेता तो दोनों ही जिंदा न रहते.

इस के बाद रमा ने अपने लटके झटके दिखा कर दिनेश का बाकी बचा गुस्सा शांत किया. फिर रमा ने पति को बिस्तर पर संतुष्ट किया.

देह सुख प्राप्त करने के बाद दिनेश गहरी नींद में सो गया. पति के सो जाने के बाद रमा ने अनमोल को टांड से नीचे उतारा. दोनों ने आंखों ही आंखों में इशारा किया फिर दोनों गहरी नींद में सो रहे दिनेश के पास पहुंचे.

दिनेश की रायफल कमरे में ही रखी थी. अनमोल ने लपक कर रायफल उठाई और दिनेश के सीने में 2 गोलियां दाग दीं. दिनेश खून से लथपथ हो कर तड़पने लगा. इसी समय उस की छाती पर सवार हो कर रमा ने तार से उस का गला घोंट दिया.

हत्या करने के बाद दिनेश के शव को उन दोनों ने कमरे में छिपा दिया और बाहर से ताला बंद कर दिया. सवेरा होने से पहले उन्होंने कमरे से खून आदि साफ कर दिया था.

7 जून को दिनेश का शव कमरे में ही बंद रहा. बच्चों ने कमरा खोलने की जिद की तो रमा ने उन्हें बुरी तरह पीट दिया. फिर रात होने पर अनमोल ने दिनेश के शव को बोरी में भरा और स्कूटी पर रख कर गांव के बाहर खेत में फेंक दिया. लाश पहचानी न जाए, इस के लिए उस ने पैट्रोल डाल कर शव को जला दिया.

खून सनी चादर भी उस ने जला दी तथा दिनेश का बैग जिस में उस के कपडे़ वगैरह थे, बस स्टौप जा कर दिल्ली जाने वाली रोडवेज की एक बस में रख दिया तथा मोबाइल तोड़ कर फेंक दिया. ये सब करने के बाद अनमोल फरार हो गया.

8 जून को झगुआ नगला गांव के लोगों ने खेत में जली लाश देखी तो सूचना फर्रूखाबाद कोतवाली पुलिस को दी. शव की पहचान न होने से पुलिस ने शव अज्ञात में पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. इधर 8 जून को ही रमा ने सास उर्मिला को फोन कर जानकारी दी कि दिनेश छुट्टी ले कर घर आया, लेकिन घर नहीं पहुंचा.

तब 10 जून को रमेशचंद्र भाई का पता लगाने फर्रूखाबाद आया और कोतवाली में अज्ञात शव की फोटो देख कर दिनेश की पहचान की. इस के बाद शक के आधार पर उन्होंने रमा, उस के भाई राहुल तथा प्रेमी अनमोल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. कोतवाली पुलिस ने तीनों को पकड़ कर पूछताछ की तो हत्या का परदाफाश हुआ.

13 जून, 2019 को फर्रूखाबाद कोतवाली पुलिस ने अभियुक्त अनमोल, राहुल और रमा को फर्रूखाबाद की कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट की अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जिला कारागार भेज दिया गया. कथा संकलन तक उन की जमानत स्वीकृत नहीं हुई थी. रमा की बेटी तथा बेटा अपने दादादादी के पास सुरक्षित थे.

अनमोल ने दिनेश को रायफल से 2 गोलियां मारी थीं. रात के सन्नाटे में गोलियों की आवाज पड़ोसियों ने जरूर सुनी होगी, लेकिन पुलिस इस बात का पता नहीं लगा पाई कि पड़ोसियों ने गोली की आवाज सुनने वाली बात जानबूझ कर छिपाए रखी या इस की कोई दूसरी वजह थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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