15 मई, 2019 की दोपहर को झारखंड के जनपद खूंटी के जिला एवं सत्र न्यायाधीश (प्रथम) राजेश कुमार की अदालत के बाहर भारी भीड़ थी. अदालत परिसर में खाकी वरदी ही वरदी नजर आ रही थीं. परिसर के अंदर और बाहर सशस्त्र पुलिस किसी भी स्थिति से निबटने के लिए तैयार थी. हालात देख कर लग रहा था कि अदालत किसी बड़े केस का फैसला सुनाने वाली है.
सचमुच उस दिन एक बड़े और संगीन जुर्म का फैसला सुनाया जाने वाला था. दरअसल, खूंटी जिले के अड़की थाना क्षेत्र में एक दिल दहला देने वाली घटना घटी.
इस घटना में दरिंदों ने सोची समझी साजिश के तहत 3 युवकों और 5 युवतियों का अपहरण कर के पहले उन के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और फिर उन के गुप्तांगों को सिगरेट से दाग दिया. इस कांड से न केवल झारखंड की बुनियाद हिल गई थी. बल्कि इस दरिंदगी की गूंज दिल्ली तक सुनाई दी थी. इसी केस में 6 आरोपियों को सजा सुनाई जानी थी.
दोपहर के करीब 2 बजे न्यायाधीश राजेश कुमार ने अदालत में आ कर न्याय का आसन संभाला. अदालत में सरकारी अधिवक्ता सुशील जायसवाल और बचाव पक्ष के दोनों अधिवक्ता के.बी. सांगा और सुभाशीष सोरेन सावधान मुद्रा में खड़े थे.
न्यायाधीश के सामने दाईं ओर बने कटघरे में 7 आरोपियों स्कौटमैन मेमोरियल मिडिल स्कूल के प्रधानाचार्य फादर अल्फोंस आइंद, छुटभैया नेता जौन जोनास तिडु, बलराम समद, जुनास मुंडा,बांदी समद उर्फ टकला, आशीष लुंगा एवं अजूब सांडी पूर्ती खड़े थे.
दोनों पक्षों के वकीलों ने घटना से संबंधित बहस 8 मई, 2019 को पूरी कर ली थी. बहस के दौरान बचाव पक्ष के वकीलों के.बी. सांगा और सुभाशीष सोरेन अपने मुवक्किलों को बचाने में असफल रहे थे. सरकारी वकील सुशील जायसवाल ने अदालत के सामने कई ठोस सबूत और केस से संबंधित 19 अहम गवाहों को पेश कर के बचाव पक्ष को धूल चटा दी थी.
8 मई को दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद न्यायाधीश राजेश कुमार ने फैसला सुनाने के लिए 15 मई, 2019 की तारीख मुकर्रर की थी. न्यायाधीश ने सातों आरोपियों के विरुद्ध फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘तमाम गवाहों और सबूतों के आधार पर अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि इस गैंगरेप में जौन जोनास तिडु, बलराम समद, जूनास मुंडा, बांदी समद उर्फ टकला, आशीष लुंगा, और अजूब सांडी पूर्ती दोषी पाए गए हैं. एक अभियुक्त को नाबालिग पाया गया है. उस के खिलाफ अनुसंधान जारी है.’’
अपने फैसले को जारी रखते हुए न्यायाधीश ने आगे कहा, ‘‘फादर अल्फोंस आइंद, जो पहले से जमानत पर थे, उन की जमानत रद्द की जाती है, क्योंकि वह इस केस में मुख्य षडयंत्रकारी साबित हुए हैं. साथ ही 4 अभियुक्तों जौन जोनास तिडु, बलराम समद, आशीष लुंगा और बांदी समद उर्फ टकला का जुर्म साबित हुआ है.
फादर अल्फोंस आइंद था साजिशकर्ता
जौन जोनास तिडु, बांदी समद उर्फ टकला, आशीष लुंगा और बलराम समद जो पत्थरगढ़ी के समर्थक थे, की इस मामले में संलिप्तता पाई गई है.
‘‘इस मामले में 19 लोगों की अहम गवाही दर्ज हुई. स्थितियों के अनुरूप यह मामला रेयरेस्ट औफ रेयर की श्रेणी में आता है. इसलिए अदालत सभी आरोपियों को दोषी करार देते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाती है. सभी अभियुक्तों को हिरासत में ले कर जेल भेज दिया जाए.’’
न्यायाधीश राजेश कुमार फैसला सुनाने के बाद न्याय के आसन से उठ कर अपने कक्ष में चले गए. अदालत के आदेश के बाद पुलिस ने सभी दोषियों को हिरासत में ले कर जेल भेज दिया.
दिल दहला देने वाली इस लोमहर्षक घटना की बुनियाद फैसला सुनाए जाने के 11 महीने पहले 19 जून, 2018 को पड़ी थी. इसलिए घटनाक्रम जानने के लिए हमें 11 महीने पहले जाना होगा.
झारखंड की राजधानी रांची से 80-90 किलोमीटर दूर ऊंची पहाडि़यों और जंगलों के बीच है जिला खूंटी. इस जिले के कुछ हिस्सों में आदिवासियों के बसेरे हैं. ये आदिवासी अशिक्षा, गरीबी, अज्ञानता के शिकार हैं और आज भी गुलामों जैसी जिंदगी जीते हैं.
खूंटी के एक सामाजिक संगठन आशा किरण की संस्थापिका सिस्टर जेम्मा ओएसयू ने आदिवासियों को अज्ञानता से आजादी दिलाने और मानव तस्करी जैसे घृणित कार्यों के खिलाफ जागरूकता अभियान चला रखा था. अपने नाम आशा किरण के अनुरूप यह संगठन अच्छा काम कर रहा था.
आशा किरण के युवक और युवतियां जगहजगह नुक्कड़ नाटक कर के जागरूकता का संदेश देते थे. संगठन के जोशीले कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किए जा रहे नुक्कड़ नाटकों से समाज पर गहरा असर हो रहा था. परिणामस्वरूप आदिवासी समाज में काफी बदलाव आने लगा था.
जो मांबाप अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतराते थे, वे पुरानी दकियानूसी परंपराओं को दरकिनार कर बच्चों को स्कूल भेजने लगे थे. स्कूली बच्चे घने जंगलों के बीच से हो कर कोसों दूर विद्यालय में पढ़ने जाते थे.
बात 19 जून, 2018 की है. जिले के अड़की थानाक्षेत्र के कोचांग स्थित स्टौकमैन मेमोरियल मिडिल स्कूल में सामाजिक संगठन आशा किरण की ओर से सरकारी योजनाओं के प्रचारप्रसार और मानव तस्करी के खिलाफ नुक्कड़ नाटक का आयोजन होना था.
यह आयोजन स्कूल के फादर अल्फोंस आइंद, स्कूल के 2 शिक्षकों मोटाई मुंडू, रौबर्ट हस्सा पूर्ती और 2 महिला शिक्षकों रंजीता किंडो और अनीता नाग की देखरेख में शुरू हुआ. नाटक में आशा किरण की ओर से 3 युवक रोशन, विकास, राजन और 5 युवतियां सीमा, रीना, गीता, बिपाशा और वंदना शामिल थे.
ये कलाकार अपनी कला के माध्यम से सरकारी योजनाओं के बारे में बता रहे थे. इस कार्यक्रम को शुरू हुए करीब एक घंटा बीत चुका था. नाटक के दौरान एक शख्स स्कूल की सिस्टर रंजीता किंडो से मिला. उस ने कहा कि वह कोचांग के बुरुडीहा गांव का मुखिया है. उसे उन का कार्यक्रम पसंद है और वह चाहता है कि बुरुडीह में भी ऐसा कार्यक्रम कराया जाए.
सिस्टर रंजीता किंडो ने पहले तो मना कर दिया, फिर कुछ सोच कर कहा कि इस की इजाजत फादर अल्फोंस आइंद से लेनी पड़ेगी. अगर वह कलाकारों को ले जाने की परमिशन दे देते हैं तो ये लोग वहां जा सकते हैं.
उस शख्स ने सिस्टर रंजीता से कहा कि वह उसे फादर अल्फोंस आइंद से मिला दे. रंजीता उसे ले कर फादर के दफ्तर पहुंची, जो स्कूल के पीछे था. उस शख्स के साथ 3 और भी युवक थे. जिन की उम्र 25 से 35 साल के बीच रही होगी. ये चारों युवक मोटरसाइकिल से आए थे.
नुक्कड़ नाटक बना मुसीबत
रंजीता किंडो वहां से मंच की ओर लौट आई. नाटक खत्म हो चुका था और कलाकार वापस लौटने की तैयारी करने लगे थे. तभी फादर अल्फोंस ने सिस्टर अनीता नाग को भेज कर आठों कलाकारों को अपने औफिस में बुला लिया.
फादर अल्फोंस ने एक व्यक्ति की ओर इशारा कर के कलाकारों से कहा कि ये कोचांग के मुखिया हैं और बुरुडीह गांव में नुक्कड़ नाटक कराना चाहते हैं. 2 घंटे की बात है. आप सब वहां जा कर नाटक कर दें. नाटक खत्म होते ही मुखियाजी अपने आदमियों के साथ आप सभी को सम्मान के साथ यहां पहुंचा देंगे.
फादर अल्फोंस आइंद की बात सुन कर सभी कलाकारों ने उन युवकों के साथ जाने से मना कर दिया. उन युवकों ने सिस्टर रंजीता किंडो और सिस्टर अनीता नाग को भी साथ चलने के लिए कहा था. लेकिन फादर ने यह कह कर दोनों सिस्टर्स को उन के साथ भेजने से मना कर दिया कि वे नन हैं, इसलिए वहां नहीं जा सकतीं.
कलाकारों के मना करने पर मोटर साइकिलों पर आए चारों व्यक्ति जोरजबरदस्ती पर उतर आए. उन्होंने बंदूक की नोंक पर आठों कलाकारों को आशा किरण के वाहन में बैठा लिया और बुरुडीह की ओर चलने को कहा. वाहन के पीछेपीछे चारों युवक 3 मोटरसाइकिलों पर चल रहे थे.
आशा किरण के आठों कलाकार रोशन, विकास, राजन और 5 युवतियां सीमा, रीना, गीता, बिपाशा और वंदना को बुरुडीह गए करीब 6 घंटे बीत गए थे, शाम ढलने वाली थी. लेकिन वे स्कूल लौट कर नहीं आए थे.
फादर अल्फोंस को उन की चिंता हो रही थी. थोड़ी देर बाद यानी शाम साढ़े 6 बजे आशा किरण के वाहन ने स्कूल में प्रवेश किया तो उसे देख कर फादर की जान में जान आई. क्योंकि सारे कलाकार उन्हीं की जिम्मेदारी पर बुरुडीह गए थे.
वाहन स्कूल परिसर के बीच खड़ा कर के चालक तेजी से मुख्यद्वार से बाहर की ओर भाग गया. यह देख कर फादर आइंद को कुछ शक हुआ. उन्होंने वाहन के पास जा कर उस के भीतर झांका. वाहन में आठों कलाकार मरणासन्न स्थिति में पड़े थे. उनके कपडे़ फटे हुए थे. शरीर पर जगहजगह चोट के निशान थे.
फादर अल्फोंस ने खेला खेल
लड़कों और लड़कियों की हालत देख कर ऐसा लग रहा था जैसे उन के साथ कुछ बहुत बुरा हुआ था. वे इस स्थिति में नहीं थे कि कुछ बोल पाते. फादर के बहुत कुरेदने पर लड़कों ने जो आपबीती बताई, उसे सुन कर फादर के रोंगटे खड़े हो गए.
फादर अल्फोंस आइंद की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें. इलाके में फादर का बहुत दबदबा था. राजनीति के गलियारों में ऊंची पहुंच थी. इसी का फायदा उठाते हुए फादर आइंद ने आठों कलाकारों को धमकाया कि जो होना था, सो हो गया. यह बात तुम सब के अलावा किसी को पता नहीं चलनी चाहिए. अन्यथा इस का बहुत बुरा परिणाम होगा.
फादर ने कहा तुम्हारे मुंह खोलने पर तुम्हारे मांबाप की हत्या भी हो सकती है. फादर के धमकाने से आठों कलाकार बुरी तरह डर गए. वे लोग इतना डर गए कि अपने साथ हुई घटना के बारे में अपने मांबाप तक को नहीं बताया.
आठों कलाकारों के साथ घटना घटे 24 घंटे बीत गए थे. खूंटी की रहने वाली सीमा को भीतर ही भीतर बुरी तरह घुटन महसूस हो रही थी. उन लोगों द्वारा दी गई यातना उस से बरदाश्त नहीं हुई तो उस ने अपने मांबाप से आपबीती सुना दी और फफक फफक कर रोने लगी.
बेटी के साथ हुई घटना को मांबाप ने सुना तो सन्न रह गए. बात कोई छोटीमोटी नहीं थी. बेटी की मानमर्यादा को तारतार कर के उस के गुप्तांगों को सिगरेट से जलाया गया था. उन दरिंदों ने यातना की सारी सीमाएं लांघ दी थीं. सीमा और उस के बाकी साथियों के साथ क्या क्या हुआ था, उस ने मांबाप को पूरी बात विस्तार से बता दी.
दरअसल, बीते 19 जून को खुद को बुरुडीह का मुखिया बता कर जो युवक गांव में नुक्कड़ नाटक कराने की बात कह कर आठों कलाकारों को अपने साथ ले गया था, वह उन्हें गांव न ले जा कर एक घने जंगल में ले गया था. वाहन चला रहे आशा किरण संगठन के चालक संजय शर्मा को मारपीट कर बीच रास्ते में उतार दिया गया था.
गाड़ी के पीछे चल रहे मोटरसाइकिल सवारों में से एक नीचे उतरा और संजय की जगह ड्राइविंग सीट पर सवार हो कर वाहन चलाने लगा. वे लोग जिस जंगल के बीच वाहन को ले गए, वहां पहले से ही कई लोग मौजूद थे. उन के पास खतरनाक हथियार थे.
मुखिया ने सभी युवक और युवतियों को वाहन से निकलने का आदेश दिया. फरमान जारी होते ही सभी एकएक कर के वाहन से नीचे उतर आए और एक कतार में खडे़ हो गए. उन के कतार में खड़े होते ही हथियारबंद युवकों ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया.
उन लोगों के हाथों में हथियार देख कर आठों कलाकार कांपने लगे. मुखिया आगे बढ़ा और पांचों युवतियों में से सीमा के नजदीक पहुंचा. पहले तो उस ने सीमा को खा जाने वाली नजरों से घूरा, फिर एकाएक उस के बालों को अपनी मुट्ठी में भर कर खींचा. सीमा दर्द के मारे बिलबिला उठी. वह चिल्लाया, ‘‘हरामजादी कुतिया, और चिल्ला.’’
मुखिया की आंखों से क्रोध के अंगारे बरसने लगे, ‘‘तुम्हारा चीखना चिल्लाना सुन कर मेरे दिल को सुकून मिला.’’
‘‘पर आप हो कौन?’’ सीमा ने साहस जुटा कर सवाल किया, ‘‘और इस तरह हमारे साथ जंगली जानवरों जैसा व्यवहार क्यों कर रहे हो? आखिर हम ने किया क्या है?’’
‘‘बहुत नाटक करती है हरामजादी और मुझ से पूछती है कि तेरा दोष क्या है?’’ मुखिया दांत भींचते हुए बोला.
‘‘लेकिन हमारे नाटक से आप का क्या संबंध है?’’
‘‘है. तुम्हारे नाटक करने से हमारा बहुत गहरा संबंध है. तुम जो नाटक कर के समाज के लोगों को जागरूक करने की कोशिश कर रहे हो, वही तुम्हारा सब से बड़ा दोष है. तुम्हें और तुम्हारे साथियों को इस दोष की ऐसी सजा दी जाएगी, जो जीवन भर नासूर बन कर तुम्हारे जमीर को चुभेगी.’’
‘‘प्लीज हमें छोड़ दीजिए, हमें हमारे घर जाने दीजिए.’’ सीमा दोनों हाथ जोड़ कर उस के सामने गिड़गिड़ाई, ‘‘अगर हमारे नाटक करने से आप को परेशानी है तो आज के बाद हम नाटक नहीं करेंगे. प्लीज, हमें छोड़ दीजिए.’’
‘‘हम तुम्हें और तुम्हारे बाकी साथियों को छोड़ भी देंगे, घर भी जाने देंगे लेकिन सजा देने के बाद, समझी?’’ इतना कह कर मुखिया ने उस के बाल छोड़ दिए. फौरी तौर पर सीमा को थोड़ी राहत मिली.
दरिंदगी की इंतहा
सीमा को यातना देते देख बाकी साथियों की सांस गले में अटक गई थी. उन के मुंह से एक बोल तक नहीं फूटा. इस के बाद मुखिया ने अपने साथियों को इशारा किया.
उस का इशारा पाते ही 5 युवक, जिस में मुखिया भी शामिल था, पांचों लड़कियों को खींच कर वहां से थोड़ी दूर जंगल के भीतर ले गए और एकएक कर के उन के साथ अपना मुंह काला किया. उन के साथ एक युवक और भी था, जो अपने और लड़कियों के मोबाइल से दुष्कर्म के समय की वीडियो बना रहा था.
इन दरिंदों का जब इतने पर भी दिल नहीं भरा तो उन्होंने उन के गुप्तांगों को सिगरेट से दाग दिया. सिगरेट की जलन से वे बुरी तरह बिलबिला उठीं. वे दरिंदों के सामने हाथ जोड़ कर भीख मांग रही थीं कि वीडियो न बनाएं लेकिन उन हैवानों पर उन की याचनाओं का कोई असर नहीं हुआ.
दरिंदे सिगरेट से गुप्तांग के जलाए जाने का भी नजदीक से वीडियो बना रहे थे. हैवानों ने उन के साथ कई बार अपना मुंह काला किया. इतना ही नहीं, उन्होंने लड़कों को भी नहीं छोड़ा. लड़कों के साथ भी अप्राकृतिक दुष्कर्म किया गया. इतना ही उन्हें अपना पेशाब पिलाया और इस कृत्य की भी वीडियो बनाई.
उन नरपिशाचों ने 6 घंटों तक आठों युवकयुवतियों के साथ यातनाओं का घिनौना खेल खेला. जब शाम ढलने लगी तो सभी युवकयुवतियों को उन्हीं के वाहन में डाल कर स्कूल पहुंचा दिया गया. स्कूल पहुंच कर उन्होंने फादर अल्फोंस आइंद से आपबीती सुनाई. लेकिन फादर आइंद ने मदद करने की बजाए उन्हें डराधमका कर चुप करा दिया.
बहरहाल, सीमा की दिलेरी से दिल दहला देने वाली घटना सामने आई तो उस के मांबाप ने आशा किरण की संस्थापिका जेम्मा ओएसयू को पूरी बात बताई, जिन की जिम्मेदारी पर बच्चियां नुक्कड़ नाटक करने गई थीं. बच्चियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी संगठन की थी, लेकिन उन की सुरक्षा नहीं की गई थी.
सिस्टर जेम्मा ने दिल दहला देने वाली घटना सुनी तो भौचक रह गईं. उन्हें ताज्जुब तो इस बात पर हो रहा था कि 24 घंटे बीत जाने के बाद भी मामला पुलिस तक नहीं पहुंचा, बल्कि उसे दबा दिया गया था. लेकिन वे खुद चुप बैठने वालों में से नहीं थीं.
21 जून, 2018 की दोपहर को सिस्टर जेम्मा अड़की थाने पहुंचीं और पुलिस को घटना की लिखित तहरीर दी. तहरीर पढ़ कर एसओ विपिन सिंह के होश उड़ गए. इतनी बड़ी और शर्मनाक घटना की पुलिस को सूचना तक नहीं मिली थी.
सिस्टर जेम्मा की तहरीर पर आननफानन में अड़की पुलिस ने अज्ञात बदमाशों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया. एसओ विपिन सिंह जानते थे, जेम्मा कोई ऐसीवैसी महिला नहीं हैं, उन की पहुंच ऊपर तक है. सो उन्होंने त्वरित काररवाई की.
अज्ञात बदमाशों के खिलाफ भादंवि की धारा 341, 342, 323, 363, 365, 328, 506, 201, 120बी के तहत केस दर्ज कर लिया गया. मुकदमा दर्ज होते ही इस घटना की जानकारी पूरे जिले में फैल गई. यह बात जब शहर के एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा तक पहुंची तो आननफानन में वे अड़की थाना पहुंचे और मामले की पूरी जानकारी ली.
घटना छोटीमोटी नहीं थी. साथ ही मानवाधिकार से भी जुड़ी हुई थी. एसपी अश्विनी ने अपनी गरदन बचाते हुए यह सूचना आईजी नवीन कुमार और डीआईजी अमोल वी. होमकर को दे दी. हकीकत सुन कर पुलिस अधिकारी सकते में आ गए. उसी दिन शाम होतेहोते यह मामला पुलिस महानिदेशक डी.के. पांडेय, एडीजी आर.के. मल्लिक से होते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास तक जा पहुंचा.
22 जून को मुख्यमंत्री रघुबर दास ने प्रदेश के पुलिस प्रमुख डी.के. पांडेय को अपने औफिस बुला कर उन के साथ आपात बैठक की. बैठक में उन्होंने मामले की गहन जांच के आदेश दिए और साजिश का परदाफाश करने को कहा. यही नहीं, उन्होंने दोषियों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी सुनिश्चित करने के भी आदेश दिए.
मुख्यमंत्री के आदेश के बाद डीजीपी डी.के. पांडेय ने आईजी नवीन कुमार को निर्देश दिया कि अविलंब सभी पीडि़तों की सुरक्षा बढ़ा दी जाए और उन से आरोपियों के बारे में पूछताछ की जाए. उन से जानकारी जुटा कर आरोपियों के स्कैच बनवाए जाएं.
आईजी नवीन कुमार का फरमान जारी होते ही एसपी अश्विनी कुमार ने आठों पीडि़तों को पूछताछ के लिए सुरक्षा घेरे में ले लिया. उन के रहने की व्यवस्था थाना अड़की में की गई. सुरक्षा की दृष्टि से उन से किसी की भी बात कराने पर पाबंदी लगा दी गई थी, ऐसा इसलिए किया गया था कि इस मामले की जानकारी बाहर न जा सके.
थाने में हुई पीडि़तों से पूछताछ के आधार पर 3 आरोपियों के स्कैच बनवा कर शहर में जगहजगह चस्पा करा दिए गए. उन पर ईनाम भी घोषित किया गया. उस के बाद सभी पीडि़तों का चिकित्सकीय परीक्षण कराया गया. मैडिकल रिपोर्ट में उन सभी के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हुई.
खैर, 5 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस को कोई खास सफलता नहीं मिली. लेकिन छठे दिन अचानक ही पुलिस को एक बड़ी कामयाबी मिल गई. शहर में लगाए गए पोस्टरों में से स्कैच वाले 2 युवकों की पहचान हो गई. दोनों आरोपियों के नाम अजूब सांडी पूर्ती और आशीष लुंगा थे. वे खूंटी जिले के पश्चिम सिंहभूम गांव के रहने वाले थे.
पुलिस को किस का डर था
पुलिस ने दोनों आरोपियों को उन के घर से गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ के लिए अड़की थाने ले आई.
थाने ला कर पुलिस ने जब अजूब सांडी और आशीष लुंगा से सख्ती से पूछताछ की तो दोनों ने पुलिस के सामने घुटने टेक दिए. उन्होंने अपने साथियों के नाम भी बता दिए.
घटना में इन के अलावा पत्थलगढ़ी समुदाय का मुखिया जौन जोनास तिडु, बलराम समद, बांदी समद उर्फ टकला और जुनास मुंडा के अलावा पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट औफ इंडिया (उग्रवादी संगठन) के लोग शामिल थे.
अजूब सांडी और आशीष लुंगा की निशानदेही पर उसी रात चारों साथियों को पश्चिम सिंहभूम से गिरफ्तार कर लिया गया. लेकिन उन्होंने अपने जुर्म कबूलने से इनकार कर दिया.
इस पर पुलिस ने इन चारों और पहले गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों की अलग कमरे में बैठे पीडि़तों के सामने परेड कराई तो पीडि़तों ने आरोपियों को पहचान लिया. ये वही दरिंदे थे, जिन्होंने 19 जून को उन्हें 6 घंटे तक मौत से बदतर यातनाएं दी थीं.
पीडि़तों द्वारा शिनाख्त किए जाने के बाद पुलिस ने चारों आरोपियों जौन जोनास तिडु, बलराम समद, बांदी समद उर्फ टकला और जुनास मुंडा से अलगअलग कड़ाई से पूछताछ की तो चारों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. ये लोग ही लड़के लड़कियों को स्कूल से जबरन अगवा कर के ले गए थे
इन लोगों ने उन के साथ बदले की भावना से बलात्कार किया था ताकि भविष्य में फिर कोई उन के और उन के उसूलों के खिलाफ न जा सके. यानि गुलामों सी जिंदगी जी रहे आदिवासियों को उन के अधिकारों का पाठ पढ़ाने की कोशिश न करे.
सामूहिक दुष्कर्म के सभी आरोपियों की गिरफ्तारी की सूचना मिलने पर एडीजी आर.के. मल्लिक, आईजी नवीन कुमार, डीआईजी अमोल वी. होमकर को मिली, तो वे भी थाने आ गए.
एडीजी आर.के. मल्लिक शहर में रह कर घटना की पलपल की मौनिटरिंग कर रहे थे और पूरी जानकारी पुलिस प्रमुख डी.के. पांडेय और मुख्यमंत्री रघुबर दास को दे रहे थे. पुलिसिया जांचपड़ताल में पूरी घटना के पीछे स्कौटमैन मेमोरियल मिडिल स्कूल के फादर अल्फोंस आइंद द्वारा रची गई साजिश का परदाफाश हुआ.
आरोपियों से की गई पूछताछ, पीडि़तों के मजिस्ट्रैट के समक्ष दिए गए बयानों और मौके से जुटाए गए साक्ष्यों के आधार पर पुलिस ने घटना के मुख्य साजिशकर्ता फादर अल्फोंस आइंद को 27 जून को स्कूल परिसर से गिरफ्तार कर लिया.
फादर अल्फोंस आइंद के गिरफ्तार होते ही क्रिश्चियन मिशनरी में खलबली मच गई. ईसाई समुदाय के लोग पुलिस का विरोध करने लगे तो विवश हो कर अगले दिन एडीजी आर.के. मल्लिक को प्रैस कौन्फ्रैंस करनी पड़ी.
एडीजी आर.के. मल्लिक ने प्रैसवार्ता के दौरान पत्रकारों को बताया कि खूंटी में घटी घटना में पत्थलगढ़ी के नेता जौन जोनास तिडु और अन्य अपराधी शामिल थे.
उन्होंने दावा किया कि अपराधी 5 युवतियों और उन के 3 पुरुष साथियों को उन्हीं की गाड़ी में जबरदस्ती बैठा कर 7-8 किलोमीटर दूर छोटाली के जंगल में ले गए थे. वहां पहले से ही पीएलएफआई समूह के नक्सली मौजूद थे. इन लोगों ने नुक्कड़ नाटक करने वाले समूह को सबक सिखाने के लिए उन के साथ सुनियोजित तरीके से बलात्कार किया.
मल्लिक ने आगे बताया कि पुलिस ने पश्चिम सिंहभूम के रहने वाले अजूब सांडी पूर्ती और आशीष लुंगा को गिरफ्तार कर मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. गिरफ्तार दोनों अपराधियों ने अपना अपराध कबूल लिया और पीडि़त युवतियों के समक्ष उन की परेड करा कर उन की पहचान भी करा ली गई.
जांच के दौरान पाया गया कि खूंटी में हुई सामूहिक बलात्कार की इस घटना में कम से कम 7 लोगों ने 5 युवतियों का अपहरण कर उन के साथ बलात्कार किया था. साथ ही उन के 3 पुरुष सहकर्मियों के साथ अप्राकृतिक दुष्कर्म भी किया था. आरोपियों ने इस पूरे कृत्य की वीडियो बना कर उसे सोशल मीडिया पर भी डाल दिया था.
प्रैस कौन्फ्रैंस के बाद पुलिस ने फादर अल्फोंस आइंद को अदालत के सामने पेश किया, जहां से अदालत ने उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
बहरहाल, आशा किरण संगठन समाज को जागरूक करने के लिए समय समय पर सरकारी योजनाओं के बारे में बताने के लिए नुक्कड़ नाटक कराती रहती थी. आशा किरण द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले ये नाटक पत्थलगड़ी के कोचांग इलाके के छुटभैये नेता जौन जोनास तिडु को पसंद नहीं आ रहे थे. उसे लगता था कि उन के द्वारा किए जाने वाले नुक्कड़ नाटक पत्थलगढ़ी समाज के खिलाफ हैं.
उन नाटकों में काम करने वाले लड़के और लड़कियां उन्हीं के समुदाय के थे. जोनास ने लड़कियों से मना किया था कि तुम सब ऐसे नाटकों में भाग मत लिया करो, जिस से हमारे समाज को नुकसान पहुंचे. लेकिन लड़कियों ने जोनास की बात मानने से साफ इनकार कर दिया था.
पूरे कृत्य का मास्टरमाइंड था जोनास तिडु
जोनास तिडु ने लड़कियों से बदला लेने की ठान ली और मौके की तलाश में रहने लगा. छुटभैया नेता जोनास तिडु का जो चेहरा सब के सामने था, उस के पीछे एक और चेहरा छिपा था. उस का संबंध झारखंड के प्रतिबंधित कट्टर उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट औफ इंडिया से था. उग्रवादी संगठन के साथ मिल कर वह समाज विरोधी गतिविधियों में संलिप्त था.
खैर, जिस मौके की तलाश में जोनास तिडु जुटा था, आखिरकार वह मौका उसे मिल ही गया. जोनास तिडु को पता चला था कि फादर अल्फोंस आइंद के स्कूल में 19 जून को आशा किरण की लड़कियां नुक्कड़ नाटक करने वाली हैं.
उस से 2 दिन पहले जोनास तिडु अपने ग्रुप के साथियों बलराम समद, अजूब सांडी पूर्ती, बांदी समद उर्फ टकला, जुनास मुंडा और आशीष लुंगा के साथ स्कूल जा कर फादर आइंद से मिला. फादर आइंद जानता था कि जोनास अपराधी प्रवृत्ति का इंसान है, अगर उस की बात नहीं मानी तो वह कुछ भी कर सकता है.
योजना के अनुसार, जौन जोनास तिडु ने अपने साथ उग्रवादी संगठन पीएलएफआई के कई साथियों को भी मिला लिया था. लड़कियों के साथ क्या करना है, इस की भी रूपरेखा तैयार कर ली गई.
19 जून को आशा किरण के लड़के और लड़कियां जब फादर आइंद के स्कूल में नाटक करने पहुंचे तो फादर ने इस की सूचना जौन जोनास को दे दी. सूचना मिलते ही दिन के करीब 12 बजे जौन जोनास तिडु अपने 3 साथियों बलराम समद, अजूब सांडी पूर्ति और आशीष लुंगा के साथ 3 मोटरसाइकिलों पर सवार हो कर स्कूल पहुंच गया. उस समय नाटक समाप्त होने वाला था.
जौन जोनास नाटक मंच के पास मौजूद सिस्टर रंजीता किंडो से मिला और अपने इलाके बुरुडीह में नाटक कराने की इच्छा जाहिर की. रंजीता ने उसे फादर से मिला दिया. सिस्टर रंजीता और सिस्टर अनीता नाग को देख कर उस का दिल दोनों ननों पर आ गया था.
जब वह फादर के पास पहुंचा, तो फादर समझ गए कि कोई बड़ा अनर्थ होने वाला है. जोनास ने जब नाटक मंडली को अपने इलाके में ले जाने की बात कही तो वह फौरन तैयार हो गए.
नाटक मंडली के 3 लड़के और 5 लड़कियों के अलावा जब उस ने दोनों ननों सिस्टर रंजीता किंडो और अनीता नाग को भेजने के लिए कहा तो फादर ने यह कह कर मना कर दिया कि वे नन हैं और हमारे विद्यालय की हैं.
जोनास फादर की बात मान गया. इस पर नाटक मंडली के सभी कलाकारों ने विरोध किया तो जोनास और उस के साथी आठों को जबरन अपहरण कर के उन्हीं के वाहन में बिठा कर ले गए. ये लोग स्कूल से 7-8 किलोमीटर दूर जंगल में पहुंचे, जहां पहले से पीएलएफआई के नक्सलियों के साथ उन के अन्य साथी मौजूद थे. आगे क्या हुआ, ऊपर कहानी में बताया जा चुका है.
खूंटी में हुए गैंगरेप की घटना के करीब ढाई महीने बाद मानवाधिकारों के हनन के मामले की जांच के लिए 17-18 अगस्त, 2018 को डब्ल्यूएसएस और सीडीआरओ की 10 सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग टीम फैक्ट फाइंडिंग के लिए स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ खूंटी गई.
टीम ने अपनी जांच के बाद बताया कि पुलिस को गैंगरेप की घटना की जानकारी तो मिली, लेकिन एफआईआर से यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें घटना की जानकारी कहां से मिली.
फैक्ट फाइंडिंग टीम को पुलिस अधिकारियों से पूछताछ करने पर पता चला कि महिला थाने को भी घटना की जानकारी एसपी औफिस से मिली थी. एसपी से इस के बारे में पूछने पर उन्होंने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया. 20 जून की रात से ही पुलिस ने पीडि़तों से संपर्क साधने की कोशिश की पर वे पीडि़तों तक 21 जून को पहुंच पाई.
जांच टीम ने आगे बताया कि गैंगरेप की 5 पीडि़ताओं को पुलिस द्वारा उन की सुरक्षा करने के नाम पर गैरकानूनी रूप से 3 हफ्ते तक हिरासत में रखा गया. पुलिस की हिरासत में 3 हफ्ते तक उन्हें किसी से मिलने तक नहीं दिया जा रहा था. केवल एनसीडब्ल्यू की टीम उन से मिल पाई थी.
एक पीडि़ता के परिजनों ने बताया कि उन्हें भी पीडि़ता से घटना के 2-3 दिन बाद थाने में पुलिस वालों की मौजूदगी में केवल 5-10 मिनट के लिए मिलने दिया गया था. प्रशासन की इस काररवाई को एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा ने दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए सही बताया.
मुख्यमंत्री रघुबर दास के आदेश पर दिल दहला देने वाले खूंटी गैंगरेप कांड की रोजाना सुनवाई शुरू हुई. घटना में लिप्त सातों आरोपी जेल में बंद थे. घटना के करीब 6 महीने बाद पटना हाईकोर्ट से फादर अल्फोंस आइंद को जमानत मिल गई थी. लेकिन अदालत ने उसे शहर छोड़ कर कहीं भी जाने पर पाबंदी लगा कर उस का पासपोर्ट जब्त कर लिया था.
7 मई, 2019 को खूंटी के जिला एवं सत्र न्यायाधीश (प्रथम) राजेश कुमार की अदालत ने 4 आरोपियों के खिलाफ चार्ज फ्रेम किया. कोर्ट ने फादर अल्फोंस को षडयंत्रकारी मानते हुए उस की जमानत रद्द कर दी. उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. बाद में इसी कोर्ट ने 15 मई, 2019 को सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
—कथा में रोशन, विकास, राजन, सीमा, रीना, गीता, बिपाशा और वंदना परिवर्तित नाम हैं. कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित