उस दिन तारीख थी 10 सितंबर, 2019 और समय था शाम के करीब 5 बजे का. गोरखपुर जिले के चौरीचौरा के ओमनगर में रहने वाले शिक्षक अनिल कुमार पांडेय विद्यालय से थकेमांदे घर लौटे थे. बड़ी बेटी सुमन पिता के लिए चायनाश्ते का इंतजाम करने लगी.
नाश्ता कर के अनिल आराम करने के लिए अपने कमरे में चले गए. तभी उन के वाट्सऐप पर एक मैसेज और कई फोटो आए. मैसेज में लिखा था, ‘मैं ने तुम्हारी बेटी से बदला ले लिया है. उस की हत्या कर के लाश ऐसी जगह फेंक दी है कि तुम सात जन्मों तक भी नहीं ढूंढ पाओगे.’
अनिल पांडेय सोचने लगे कि यह भद्दा मजाक किस ने किया है. लेकिन जब उन्होंने मैसेज के साथ आए फोटो को ध्यान से देखा तो वह सन्न रह गए. उन के हाथ से मोबाइल छूटतेछूटते बचा. जो 3-4 फोटो वाट्सऐप पर आए थे, वे उन की दूसरे नंबर की बेटी काजल के थे.
फोटो देखने से साफ पता चल रहा था कि किसी ने काजल की हत्या कर के लाश जंगल में कहीं फेंक दी है. उस के सिर से खून निकल रहा था. मुंह और दोनों पैर किसी कपड़े से बंधे थे. उस के दोनों हाथ भी पीछे की ओर बंधे हुए थे.
हड़बड़ाए से अनिल मोबाइल ले कर पत्नी के पास पहुंचे. बच्चों को आवाज दे कर अपने पास बुलाया. उस समय उन के चेहरे की रंगत उड़ी हुई थी और सांसों की रफ्तार तेज हो चली थी. पत्नी ने उन की इस हालत के बारे में पूछा तो उन्होंने पत्नी की ओर मोबाइल फोन बढ़ा दिया.
पत्नी और बच्चों ने जब वाट्सऐप पर काजल की लाश की फोटो देखीं तो उन की आंखें फटी रह गईं और मुंह से चीख निकल गई.
घर में रोनापीटना शुरू हो गया. अनिल पांडेय के घर में अचानक रोना सुन कर पासपड़ोस के लोग भी उन के यहां पहुंच गए. जब उन्हें पता चला कि काजल की हत्या हो गई है, तो सभी के चेहरों पर दुख की छाया उतर आई. पड़ोसियों ने पांडेयजी को सुझाया कि यह पुलिस केस है, इसलिए पुलिस को यह सूचना दे देनी चाहिए ताकि वे काजल की लाश का पता लगा सकें.
उन की सलाह पर अनिल पांडेय पड़ोसियों के साथ चौरीचौरा थाने पहुंच गए. उस समय शाम के करीब 7 बज रहे थे. थानाप्रभारी नीरज राय थाने में मौजूद थे. अनिल पांडेय ने सारी जानकारी थानाप्रभारी को दे दी.
थानाप्रभारी ने वाट्सऐप पर आई तसवीरों को गौर से देखा. इस के बाद उन्होंने अनिल पांडेय से पूछा कि उन्हें किसी पर कोई शक है? तब अनिल पांडेय ने पड़ोस में रहने वाले 3 युवकों के नाम बता दिए, जिन पर उन्हें शक था. उन्होंने बताया कि इन से उन का पिछले कई महीनों से विवाद चल रहा था. विवाद के चलते उन युवकों ने धमकी दी थी कि वे उन के परिवार वालों की हत्या कर देंगे.
थानाप्रभारी नीरज राय ने बिना समय गंवाए अनिल पांडेय की निशानदेही पर तीनों युवकों को उन के घरों से हिरासत में ले लिया और पूछताछ के लिए थाने ले आए. तीनों युवक पांडेयजी के पड़ोसी थे.
पुलिस ने तीनों युवकों से पूरी रात सख्ती से पूछताछ की. पूछताछ के दौरान कोई ऐसी वजह निकल कर सामने नहीं आई जिस से यह साबित होता कि काजल की हत्या उन्हीं तीन युवकों ने की है. तब पुलिस ने उन्हें कड़ी हिदायत दे कर छोड़ दिया.
अगले दिन सुबह अनिल पांडेय यह पता लगाने थाने पहुंचे कि उन तीनों ने किस वजह से बेटी की हत्या की थी, उन्होंने क्या बताया? थानाप्रभारी नीरज राय ने अनिल को बताया कि युवकों से काजल की हत्या की कोई ऐसी बात नहीं पता चल सकी, जिस से उन की संलिप्तता दिखती. फिलहाल उन्हें हिदायत दे कर छोड़ दिया गया है. यह सुन कर अनिल पांडेय मायूस हो गए.
इसी बीच पुलिस को कहीं से एक चौंकाने वाली खबर मिली. सूचना यह थी कि बीते दिन 2 युवकों को काजल का अपहरण करते देखा गया था.
इस जानकारी के बाद अनिल पांडेय ने भोपा बाजार चौराहा स्थित एक मोबाइल दुकानदार अनूप जायसवाल और उस के कर्मचारी विजय पाठक पर अपहरण कर बेटी की हत्या किए जाने की नामजद तहरीर थानाप्रभारी को दे दी. इस के पीछे एक खास वजह थी.
अनिल पांडेय ने बताया कि काजल और विजय पाठक के बीच कई दिनों से किसी बात को ले कर गहरा विवाद चल रहा था. संभव है उसी विवाद के चलते विजय और दुकानदार ने मिल कर बेटी का अपहरण किया हो और उस की हत्या कर लाश जंगल में फेंक दी हो. अनिल पांडेय की इस बात में थानाप्रभारी को दम नजर आ रहा था.
अनिल पांडेय की इस तहरीर पर पुलिस ने विजय पाठक और दुकान मालिक अनूप जायसवाल के खिलाफ अपहरण और हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया. मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने दोनों को भोपा बाजार स्थित मोबाइल की दुकान से हिरासत में ले लिया.
काजल की हत्या की सूचना थानाप्रभारी ने एसएसपी डा. सुनील गुप्ता, सीओ (चौरीचौरा) सुमित शुक्ला को पहले ही दे दी थी और वह उन्हीं अधिकारियों के दिशानिर्देश पर फूंकफूंक कर कदम रख रहे थे.
दुकान मालिक अनूप जायसवाल ने पूछताछ में बताया कि काजल को दुकान पर काम करने के लिए विजय पाठक ले कर आया था. वह मेहनती लड़की थी. इस से ज्यादा वह काजल के बारे में कुछ नहीं बता सका.
विजय ने पुलिस को बताया कि वह पांडेय जी के पड़ोस में रहता है. इस वजह से उन के परिवार को अच्छी तरह जानता है. कुछ दिनों पहले काजल ने उस से कहा था कि वह कोई नौकरी करना चाहती है. इस पर उस ने अपने दुकान मालिक से बात कर के काजल को उसी की दुकान पर नौकरी दिला दी थी.
कुछ दिनों बाद काजल की बड़ी बहन सीमा ने भी काम करने की इच्छा जाहिर की और कहा कि जहां काजल काम करती है, उसी दुकान पर उस की भी नौकरी लगवा दे. जब इस बात की जानकारी काजल को हुई, तो वह मुझ से झगड़ने लगी थी.
उस ने कहा था कि उस की बहन को यहां नौकरी पर न रखवाए, नहीं तो इस का अंजाम बहुत बुरा होगा. इसी बात को ले कर उस के और मेरे बीच मतभेद हो गया था. इस बारे में चाहें तो आप सीमा से पूछ लें. पुलिस ने सीमा से पूछताछ की तो उस ने भी विजय की बातों का समर्थन किया.
इस से एक बात तो तय हो गई थी कि विजय पाठक जो कह रहा था, वह सच था. लेकिन काजल की लाश वाली तसवीर झुठलाई नहीं जा सकती थी.
इस सब से पुलिस इस सोच में फंस कर रह गई कि काजल की हत्या अनूप और विजय ने नहीं की तो फिर किस ने की? आखिर यह माजरा है क्या. हत्या की गुत्थी को कैसे सुलझाया जाए. सोचविचार के बाद पुलिस ने कानूनी काररवाई कर के अनूप जायसवाल और विजय को हिरासत में ले लिया. पुलिस ने दोनों को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.
घटना के तीसरे दिन यानी 12 सितंबर, 2019 को सीओ सुमित शुक्ला ने थानाप्रभारी नीरज राय और स्वाट टीम के प्रभारी के साथ अपने कार्यालय में एक मीटिंग की. मीटिंग में तय हुआ कि काजल हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने के लिए काजल के मोबाइल फोन की घटना से 15 दिनों पहले तक की काल डिटेल्स निकलवा कर जांच की जाए. घटना के खुलासे के लिए काल डिटेल्स ही आखिरी सहारा थीं.
इस के बाद सीओ सुमित शुक्ला ने काजल की लाश वाली तसवीर कंप्यूटर में एनलार्ज कर के देखी तो वे हैरत में पड़ गए. तसवीर में काजल के सिर के जिस भाग से खून बह रहा था, वहां उस के सिर में चोट का कोई निशान नजर नहीं आ रहा था.
हैरानी वाली बात तब सामने आई, जब उस के सिर से बहे खून का निरीक्षण किया गया. पड़ताल के दौरान पता चला कि माथे पर खून जैसा दिखने वाला पदार्थ कुछ और था. क्योंकि वह खून होता तो सूख कर काला पड़ जाता, जबकि ऐसा नहीं हुआ था. यह बात पुलिस को शक करने पर मजबूर कर रही थी. इस सब से सीओ सुमित शुक्ला को यह मामला पूरी तरह संदिग्ध लगने लगा.
काजल हत्याकांड संदिग्ध लगते ही सीओ सुमित शुक्ला और थानाप्रभारी नीरज राय ने काजल के घर से दुकान आने वाले रास्ते पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच की. उन फुटेज में काजल कहीं भी नहीं दिखी.
पुलिस ने फिर से काजल की काल डिटेल्स की जांच की तो पता चला उस के घर से निकलने के कुछ देर बाद ही यानी साढ़े 9 बजे उस का मोबाइल स्विच्ड औफ हो गया था. तब से उस का फोन लगातार बंद आ रहा था. पुलिस विजय और अनूप से काजल के बारे में फिर से पूछताछ करने जेल पहुंची. पूछताछ के दौरान विजय और अनूप ने पुलिस को बताया कि 10 सितंबर को काजल ड्यूटी पर आई ही नहीं थी. यह सुन कर पुलिस और भी परेशान हो गई.
पुलिस इस सोच में थी कि घर से निकली काजल दुकान नहीं पहुंची तो कहां गई? इस सवाल का जवाब पाने के लिए पुलिस जेल से लौट कर सीधे अनिल पांडेय के घर पहुंची. पुलिस ने इस बार पांडेय परिवार के सभी सदस्यों से अलगअलग पूछताछ की. पूछताछ में किसी के बयान एकदूसरे से जरा भी मेल नहीं खा रहे थे.
काजल को ले कर पुलिस अफसरों के दिमाग में जो शक था, वह अब यकीन में बदलता जा रहा था. इस पूछताछ के दौरान पुलिस को काजल के एक ऐसे सच के बारे में पता चला, जिस से पुलिस को विश्वास हो गया कि काजल की हत्या नहीं हुई है, बल्कि वह स्वेच्छा से किसी के साथ चली गई है. मतलब काजल जिंदा है.
पुलिस के लिए काजल चुनौती बन गई थी. किसी भी सूरत में उसे जिंदा बरामद करना जरूरी था. पुलिस को इस बात का यकीन था कि काजल परिवार के किसी न किसी सदस्य से बात जरूर करेगी, इसलिए पुलिस ने अनिल पांडेय, उन की पत्नी और बड़ी बेटी सीमा तीनों के मोबाइल सर्विलांस पर लगा दिए. इस की जानकारी परिवार के किसी भी सदस्य को नहीं थी.
पुलिस की मेहनत रंग लाई. 13 सितंबर को सीमा के मोबाइल पर देवरिया जिले के खुखुंदू निवासी उस के फुफेरे भाई राजमणि पांडेय का फोन आया. राजमणि ने सीमा से काजल के मामले में चल रही पुलिस जांच की जानकारी मांगी तो उस ने विस्तार से उसे पूरी बात बता दी.
पुलिस को राजमणि के बातचीत के अंदाज से उस पर संदेह हो गया. पुलिस ने राजमणि का भी मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगा दिया. इस से पुलिस को काजल की लोकेशन फिरोजाबाद की मिली.
काजल की लोकेशन फिरोजाबाद मिलते ही पुलिस टीम काजल को जिंदा बरामद करने फिरोजाबाद रवाना हो गई. पुलिस फिरोजाबाद पहुंची तो पता चला कि कुछ देर पहले ही काजल वहां से जा चुकी थी.
इस का मतलब साफ था कि कोई था, जो पुलिस की पलपल की सूचना काजल तक पहुंचा रहा था. इसी वजह से फिरोजाबाद गई पुलिस टीम खाली हाथ गोरखपुर लौट आई.
इस बीच पुलिस को काजल का नया फोन नंबर मिल गया था. पुलिस ने वह नंबर भी सर्विलांस पर लगा दिया. 15 सितंबर की सुबह सर्विलांस के जरिए काजल के फोन की लोकेशन बस स्टैंड के पास मिली. पुलिस की एक टीम सादे कपड़ों में बस स्टैंड जा पहुंची और बस स्टैंड को चारों ओर से घेर लिया ताकि वह भाग न सके.
नीले रंग की फ्रौक और उसी से मैच करता लाल रंग का प्लाजो पहने एक गोरीचिट्टी खूबसूरत युवती और एक इकहरे छरहरे बदन का युवक बस स्टैंड परिसर में खड़े किसी के आने का इंतजार कर रहे थे. उन के हावभाव से पुलिस को दोनों पर शक हुआ.
शक के आधार पर पुलिस दोनों के पास पहुंची और इतना ही कहा कि तुम्हारा लुकाछिपी का खेल खत्म हुआ काजल. यह सुन कर दोनों वहां से भागने की कोशिश करने लगे. लेकिन पुलिस ने दोनों को धर दबोचा और उन्हें हिरासत में ले कर थाना चौरीचौरा ले आई. काजल के साथ पकड़ा गया युवक काजल का प्रेमी हरिमोहन था.
काजल के जिंदा होने की सूचना थानाप्रभारी नीरज राय ने सीओ सुमित शुक्ला और एसएसपी डा. सुनील गुप्ता को दे दी. काजल के जिंदा और सहीसलामत बरामदगी की सूचना मिलते ही सीओ सुमित शुक्ला गोरखपुर से चौरीचौरा थाने पहुंच गए. उन्होंने काजल से सख्ती से पूछताछ की.
काजल बिदांस हो कर सीओ शुक्ला के एकएक सवाल का जवाब देती चली गई. उस के जवाब सुन कर शुक्लाजी दांतों तले अंगुलियां दबाते रह गए. पूछताछ के बाद उसी दिन शाम 3 बजे उन्होंने थाना परिसर में प्रैस कौन्फ्रैंस कर के काजल हत्याकांड के नाटक से परदा उठा दिया था.
प्रैस कौन्फ्रैंस के बाद पुलिस ने काजल और हरिमोहन को अदालत में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. काजल को अपने किए पर तनिक भी मलाल नहीं था. काजल और हरिमोहन से की गई पुलिसिया पूछताछ में कहानी कुछ इस तरह सामने आई—
45 वर्षीय शिक्षक अनिल कुमार पांडेय मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला गोरखपुर के चौरीचौरा इलाके के ओमनगर मोहल्ले के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी सलोनी के अलावा 3 बेटियां और 2 बेटे थे. अनिल कुमार पांडेय एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षक थे.
अनिल पांडेय के पांचों बच्चों में दूसरे नंबर की काजल अन्य भाईबहनों से थोड़ी अलग थी. ग्रैजुएशन कर चुकी काजल का मन आगे की पढ़ाई में नहीं लग रहा था, इसलिए उस ने आगे की पढ़ाई छोड़ दी और घर पर ही रहने लगी.
मांबाप उस के इस फैसले से खुश नहीं थे. उस के पिता ने आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए उसे समझाया भी, लेकिन वह आगे की पढ़ाई के लिए तैयार नहीं हुई.
खूबसूरत काजल थोड़ी जिद्दी स्वभाव की फैशनपरस्त और आधुनिक विचारधारा वाली युवती थी. वह अपना जीवन अपने तरीके से जीना चाहती थी. आसमान में पंख फैला कर वह उड़ना चाहती थी. काजल की ये बातें न तो उस के मांबाप को पसंद थीं और न ही भाईबहनों को. इसलिए उस के पिता उसे डांट दिया करते थे. पिता की बातों से उस का मन खट्टा हो जाता था.
काजल के पड़ोस में विजय पाठक रहता था. उस का पांडेयजी के घर आना जाना था. वह चौरीचौरा के भोपाबाजार स्थित एयरटेल फ्रैंचाइजी पर काम करता था. काजल और उस के घर वाले यह बात जानते थे. एक दिन काजल ने अपने मन की बात विजय से कह दी कि वह भी नौकरी करना चाहती है. उस के लिए भी कहीं बात करे.
काजल की बातों को उस ने गंभीरता से लिया और वह जहां नौकरी करता था, वहां के मालिक अनूप जायसवाल से उस के लिए भी बात कर ली. अनूप ने विजय से काजल को अपने यहां नौकरी पर रखने को कह दिया.
इस तरह काजल नौकरी करने लगी. उस के पिता अनिल पांडेय को जब यह बात पता चली तो वह आगबबूला हो गए. उन्हें मोबाइल की दुकान पर काजल का नौकरी करना पसंद नहीं था. उन्होंने उसे नौकरी छोड़ देने की चेतावनी भी भी दी. लेकिन उस ने पिता की बात नहीं मानी और नौकरी करती रही.
कभीकभी काजल फिल्मी गाने गुनगुनाया करती थी. उस के स्वर में दर्द छिपा होता था. काजल के इस शौक के बारे में जान कर विजय ने उसे सुझाव दिया कि वह चाहे तो अपना स्वर सिंगिंग ऐप पर लोड कर सकती है. इस से भविष्य में उसे सिंगिंग के क्षेत्र में अवसर मिल सकता है.
विजय का यह सुझाव काजल को जंच गया और उस ने स्टार सिंगिंग ऐप पर अपने कई गाने अपलोड कर दिए. उसी ऐप पर आगरा जिले के खंदौली क्षेत्र के प्यायू खंदौली का रहने वाला हरिमोहन शर्मा भी था. उस ने भी अपने कई गाने अपलोड किए हुए थे. स्टार सिंगिंग ऐप के जरिए काजल और हरिमोहन का एकदूसरे से परिचय हुआ. यह अप्रैल, 2018 की बात है.
काजल और हरिमोहन के बीच यह परिचय जब दोस्ती में बदला तो दोनों ने एकदूसरे को अपनेअपने मोबाइल नंबर दे दिए थे. अब ऐप के बजाए दोनों सीधे फोन पर बातें करने लगे थे.
बीटेक पास हरिमोहन एक अच्छे परिवार का होनहार युवक था. 4 भाईबहनों में वह दूसरे नंबर का था. वह पढ़ने में भी अव्वल था. हरिमोहन आगरा में रह कर एक बड़े कोचिंग इंस्टिट्यूट से एसएससी के विद्यार्थियों को तैयारी कराता था.
हरिमोहन सरकारी नौकरी के लिए भी तैयारी कर रहा था. अपनी तैयारी के उद्देश्य से ही वह एसएससी की कोचिंग में विद्यार्थियों को पढ़ाता था. इसी बीच उस के जीवन में काजल ने चुपके से कदम रख दिया था.
जल्दी ही काजल और हरिमोहन की दोस्ती प्यार में बदल गई. दोनों एकदूसरे से अपनी मोहब्बत का इजहार भी कर चुके थे. जब दोनों का प्यार परवान चढ़ा तो हरिमोहन दिसंबर, 2018 और मार्च, 2019 में काजल से मिलने आगरा से गोरखपुर आया और बस से गोरखपुर से चौरीचौरा पहुंचा. कुछ घंटे प्रेमिका काजल के साथ बिताने के बाद उसी दिन वह आगरा लौट आया था.
काजल से मिलने के बाद हरिमोहन की दिनचर्या ही बदल गई थी. उस ने उस के बिना जीने की कल्पना तक छोड़ दी थी. इधर काजल की भी यही स्थिति थी. दिनरात वह प्रेमी के खयालों में खोई रहती थी. अपने दिल की प्यास बुझाने के लिए वह घंटों फोन पर चिपकी रहती थी और प्यार की मीठीमीठी बातें करती थी. पहली ही भेंट में हरिमोहन ने काजल को मोबाइल गिफ्ट किया था.
जब से काजल हरिमोहन के संपर्क में आई थी, तब से उस की जीवनशैली काफी बदल गई थी. यह बात घर वाले महसूस कर रहे थे. घर वालों ने जब उस से मोबाइल के बारे में पूछा तो उस ने झूठ बोलते हुए कह दिया कि उस की एक सहेली ने गिफ्ट किया है.
लेकिन काजल की प्रेम कहानी घर वालों से ज्यादा दिनों तक नहीं छिप पाई. पिता अनिल पांडेय को छोड़ कर घर के सभी सदस्यों को उस के प्रेमप्रसंग के बारे में पता चल चुका था. मां और बड़ी बहन ने तो काजल को समझाया भी था कि वह अपनी हरकतों में सुधार लाए, नहीं तो घर में कयामत आ सकती है.
लेकिन काजल पर मां और बहनों के समझाने का कोई असर नहीं हुआ. उस ने ठान लिया था कि हरिमोहन ही उस के जीवन का शहजादा है. उस के अलावा वह किसी अन्य पुरुष को अपने जीवन में जगह नहीं दे सकती.
काजल समझ चुकी थी कि उस के घर वाले इस रिश्ते के लिए राजी नहीं होंगे, जबकि वह हरिमोहन के बिना नहीं जी सकती. ऐसे में उसे क्या करना चाहिए, वह अकसर यही सोचती रहती थी.
काजल को टीवी के क्राइम सीरियल बहुत पसंद थे. सीरियल देख कर उस के दिमाग में विचारों की उठापटक होने लगी. जल्दी ही उस ने मन ही मन एक खतरनाक योजना बना ली. उस की खतरनाक योजना यह थी कि वह दिखाने के लिए खुद की फरजी हत्या करेगी और सारा इलजाम किसी और पर डाल देगी. घर वाले थोड़े दिन उस की याद में तड़पेंगे, फिर धीरेधीरे उसे भूल जाएंगे.
दूसरी ओर वह हरिमोहन के साथ स्वच्छंद जीवन जीती रहेगी. समय आने पर वह खुद को घर वालों के सामने आ जाएगी. घर वाले थोड़ा नाराज होंगे, लेकिन फिर उसे माफ कर अपना लेंगे.
काजल ने यह बात हरिमोहन को बता कर उसे भी योजना में शामिल कर लिया. अब उसे बस सही समय का इंतजार था. इसी बीच सीमा को ले कर काजल और विजय में विवाद हो गया था. काजल बड़ी बहन सीमा को इसलिए अपने यहां नौकरी पर नहीं रखने देना चाहती थी कि उस की योजना पर पानी फिर सकता था.
वैसे भी घर वाले उस पर दबाव डाल रहे थे कि वह नौकरी छोड़ दे. लड़कियों का मोबाइल की दुकान पर नौकरी करने को लोग अच्छी निगाहों से नहीं देखते. दूसरी ओर काजल हरिमोहन के संपर्क में बनी हुई थी और उस पर दबाव डाल रही थी कि वह उसे जल्द से जल्द अपने साथ ले जाए.
उस के घर वाले उस के बाहर निकलने पर कभी भी पाबंदी लगा सकते हैं. उस ने अपनी योजना देवरिया में रह रहे फुफेरे भाई राजमणि को भी बता दी थी. यह बात अगस्त, 2019 के आखिरी सप्ताह की थी.
योजना के मुताबिक, 10 सितंबर, 2019 की सुबह साढ़े 9 बजे काजल अपना बड़ा पर्स ले कर यह कह कर घर से निकली कि वह दुकान पर अपना हिसाब करने जा रही है. आज के बाद वह नौकरी नहीं करेगी. हिसाब कर के थोड़ी देर में घर लौट आएगी.
यह सुन कर घर वाले यह सोच कर खुश हुए कि काजल में सुधार आ रहा है. लेकिन वे यह नहीं समझ पाए कि विश्वास की जमीन पर धोखे की काली चादर बिछा कर काजल उन के दिए संस्कारों को कलंकित करने वाली है. बहरहाल, उस ने पर्स में अपने सभी सर्टिफिकेट, आधार कार्ड, बैंक पासबुक आदि जरूरी कागजात रख लिए थे, ताकि जरूरत पड़ने पर उन का इस्तेमाल कर सके.
इधर हरिमोहन चौरीचौरा आ कर टैंपो स्टैंड पर खड़ा उस का इंतजार कर रहा था. जैसे ही काजल वहां पहुंची, सब से पहले उस ने उस का फोन स्विच्ड औफ करा दिया. टैंपो से दोनों कुसम्ही जंगल में स्थित वनसप्ती माता के मंदिर गए. हरिमोहन अपने साथ ग्लिसरीन और लाल रंग ले आया था.
उस ने ग्लिसरीन में लाल रंग मिला कर खून तैयार किया. जंगल के एकांत जगह पर जा कर काजल के सिर पर ग्लिसरीन से बना नकली खून उड़ेल दिया.
उस के बाद हरिमोहन ने काजल के हाथपैर और मुंह बांध कर अपने मोबाइल से 3-4 ऐंगल से फोटो खींचे, जिसे देखने से ऐसा लगे कि बदमाशों ने अपहरण कर के उस की हत्या कर लाश जंगल में फेंक दी हो.
फोटो खींचने के बाद दोनों वहां से मोहद्दीपुर आए, वहां वी मार्ट बाजार से हरिमोहन ने काजल के लिए कपडे़ खरीदे. फिर दोनों टैंपो से नौसढ़ चौराहे पहुंचे. दोनों ने वहां एक रेस्टोरेंट में नाश्ता किया. नौसढ़ से ही आगरा जाने वाली एसी बस में सवार हो कर दोनों आगरा पहुंच गए.
बीच रास्ते में हरिमोहन ने काजल का सिम तोड़ कर चलती बस से बाहर फेंक दिया और सेट भी. फिर उसी बस में बैठेबैठे उस ने काजल की नकली हत्या की सभी तसवीरें उस के पिता अनिल कुमार पांडेय के वाट्सऐप पर भेज दीं.
बहरहाल, पुलिस ने राजमणि पांडेय को भी आरोपी बना लिया. उस का दोष यह था कि वह पुलिस की गतिविधियों की सूचना काजल तक पहुंचाता रहा था. पुलिस ने काजल की सहीसलामत बरामदगी के बाद जेल में बंद विजय पाठक और अनूप जायसवाल को रिहा करा दिया.
पुलिस ने अपनी हत्या की कहानी गढ़ने, झूठे सबूत तैयार करने, पुलिस को गुमराह करने और सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने की आईपीसी की धाराओं 364, 193, 419, 468/34 और 66डी आईटी ऐक्ट में दोनों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया था.
काजल और हरिमोहन ने पुलिस के सामने इकरार किया था कि जेल से छूटने के बाद दोनों शादी करेंगे. जिंदगी रहने तक एकदूसरे से कभी अलग नहीं होंगे.
कथा लिखे जाने तक दोनों आरोपी गोरखपुर मंडलीय कारागार में बंद थे. काजल के मांबाप ने बेटी से सदा के लिए संबंध तोड़ लिए. लेकिन हरिमोहन के घर वालों ने काजल को बहू के रूप में स्वीकार लिया था.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित