28 नवंबर, 2017 की सुबह 8 बजे के करीब सुधाकर किसी काम से बाहर गया हुआ था. स्वाति बच्चों को स्कूल के लिए तैयार कर के उन के लंच बौक्स में खाना रख रही थी. उसे खुद भी अस्पताल जाना था, इसलिए वह सारे काम जल्दी जल्दी निपटा रही थी. जब वह लंच बौक्स तैयार कर के बच्चों के बैग में रख रही थी, तभी उस के मोबाइल फोन की घंटी बजी.
स्वाति ने मोबाइल उठा कर स्क्रीन पर नजर डाली तो डिसप्ले हो रहा नंबर बिना नाम का था. मतलब फोन किसी अपरिचित का था. उस ने फोन रिसीव कर के जैसे ही हैलो कहा, दूसरी ओर से किसी पुरुष की दमदार आवाज आई, ‘‘यह नंबर सुधाकर रेड्डी का है?’’
‘‘जी, यह उन्हीं का नंबर है. मैं उन की पत्नी बोल रही हूं. आप कौन हैं और उन से क्या काम है? वह अभी बाहर गए हुए हैं. घर आते ही उन्हें बता दूंगी.’’ स्वाति ने कहा.
‘‘बताने की कोई जरूरत नहीं है. वह मेरे परिचितों में हैं.’’ दूसरी ओर से हड़बड़ाई आवाज में कहा गया.
‘‘फिर फोन क्यों किया?’’ स्वाति ने पूछा.
‘‘भाभीजी, कालोपुर कालोनी के पास किसी ने सुधाकर पर तेजाब फेंक कर उसे घायल कर दिया है.’’
‘‘क्याऽऽ?’’ सुन कर स्वाति घबरा गई. फोन काट कर वह कालोपुर कालोनी की ओर भागी. वहां पहुंच कर उस ने देखा तो पति सड़क किनारे घायल पड़ा तड़प रहा था. उस ने फोन कर के यह जानकारी सास को दी. इस के बाद तो घर में ही नहीं, रिश्तेदारी में भी कोहराम मच गया.
थोड़ी देर में सभी वहां पहुंच गए. सुधाकर को जिला अस्पताल ले जाया गया, वहां के डाक्टरों ने उस की हालत देख कर हैदराबाद रेफर कर दिया. स्वाति पति सुधाकर को ले कर हैदराबाद पहुंची, जहां उसे जाने माने अपोलो अस्पताल में भरती कराया गया. दूसरी ओर सुधाकर के भाई ने थाना नगरकुरनूल में उस पर हुए हमले की अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी.
सुधाकर रेड्डी का चेहरा और सीना तेजाब से बुरी तरह से झुलस गया था. मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस उस का बयान लेने अस्पताल पहुंची. लेकिन वह बयान देने की स्थिति में नहीं था.
पुलिस अपनी जरूरी काररवाई कर के चली गई. पुलिस के जाने के बाद स्वाति ने सासससुर को फोन कर के बताया कि डाक्टरों ने चेहरे के दागों को मिटाने के लिए उस के चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी करने की सलाह दी है. इस के लिए घर वालों ने हामी भर दी. उन्होंने कहा कि जैसा डाक्टर कहते हैं, वह करे. सर्जरी में जो भी खर्च आएगा, वे देने को तैयार हैं. पैसे की कोई चिंता न करे, बस सुधाकर किसी भी तरह स्वस्थ हो जाए.
सुधाकर का चेहरा तेजाब से बुरी तरह विकृत हो गया था और सूजा हुआ था. एकबारगी देख कर उसे कोई भी नहीं पहचान सकता था. लेकिन जब से वह इलाज के लिए अस्पताल में भरती हुआ था, तब से अजीब अजीब हरकतें कर रहा था. नाते रिश्तेदार उसे देखने आ रहे थे. लेकिन वह उन में से बहुतों को पहचान नहीं पा रहा था. यह देख कर घर वाले और रिश्तेदार हैरान थे कि उस की याद्दाश्त को क्या हो गया है? वह किसी को पहचान क्यों नहीं पा रहा है? कहीं सुधाकर की जगह वह कोई बहुरूपिया तो नहीं है.
आखिर घर वालों ने यह सोच कर संतोष कर लिया कि यह उन का वहम भी हो सकता है. संभव है, इस हादसे का उस के दिमाग पर गहरा असर हुआ हो, जिस की वजह से वह अजीबगरीब हरकतें कर रहा है. इस के बाद उन लोगों ने उस की हरकतों पर ध्यान देना बंद कर दिया. कोई रिश्तेदार कुछ कहता तो वह कह देते कि हादसे की वजह से शायद इस की याद्दाश्त चली गई है. स्वाति हर समय अस्पताल में पति के साथ मौजूद रहती थी.
8 दिसंबर, 2017 को स्वाति सुधाकर की देखरेख के लिए एक रिश्तेदार को छोड़ कर किसी काम के लिए बाहर चली गई. रिश्तेदार भरोसे का था, इसलिए वह निश्चिंत थी. मरीजों को खाना अस्पताल से ही मिलता था और रोजाना अलगअलग खाना दिया जाता था. उस दिन नाश्ते में मटन सूप था. खाना देने वाला बौय मटन सूप ले कर आया और उसे सुधाकर को पीने को दिया तो वह नाराज हो कर बोला, ‘‘तुम्हें पता होना चाहिए कि मैं शुद्ध शाकाहारी हूं. मांस मछली खाने की कौन कहे, मैं छूता तक नहीं.’’
सुधाकर की यह बात सुन कर रिश्तेदार चौंका. वह सोच में पड़ गया कि ऐसा कैसे हो सकता है. सुधाकर तो मांसाहारी खाना खाता था. मटन सूप तो उसे खूब पसंद था. फिर उस ने मना क्यों किया. उस की अजीब हरकतों को ले कर सब वैसे ही परेशान थे, इस बात ने उन की परेशानी और बढ़ा दी.
अस्पताल में मटन सूप न पीने पर हुआ शक
यह बात उस रिश्तेदार के दिमाग में खटकी लेकिन उस ने कुछ कहा नहीं. थोड़ी देर में स्वाति आई तो उस ने यह बात उस से भी नहीं कही. बिना कुछ कहे ही वह चला गया. उस रिश्तेदार ने यह बात स्वाति से भले ही नहीं कही, लेकिन सुधाकर के पिता को जरूर बता दी. साथ ही उन से पूछा भी, ‘‘सुधाकर तो मांस मछली का बड़ा शौकीन था, उस ने यह सब खाना कब से छोड़ दिया था? अस्पताल में उसे मटन सूप पीने को दिया गया तो वह चिल्लाने लगा कि वह मांसाहारी नहीं शाकाहारी है.’’
इस बात ने सुधाकर के पिता को भी हैरान कर दिया. वह भी सोच में पड़ गए. इस की वजह थी सुधाकर की अजीब हरकतें. वह सोच ही रहे थे कि क्या करें, तभी उसी दिन दोपहर किसी ने फोन कर के उन्हें जो बताया, उसे सुन कर वह हैरान रह गए. सहसा उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ.
उस आदमी ने उन्हें बताया कि अस्पताल में भरती जिस आदमी के इलाज पर वह लाखों रुपए खर्च कर रहे हैं, वह उन का बेटा एम. सुधाकर रेड्डी नहीं, बल्कि एक तरह से उन का दुश्मन है. वह सुधाकर की हत्या कर के उस की जगह लेने की कोशिश कर रहा है.
यह जान कर सुधाकर के पिता परेशान हो उठे कि यह हो क्या रहा है, ऐसा कैसे हो सकता है. कोई आदमी किसी की हत्या कर के उस की जगह कैसे ले सकता है. यह सब सोच कर वह चिंतित हो उठे. इस तरह उन के सामने 2 चीजें आ गईं, जिन से उन्हें शंका हुई.
सुधाकर जब से अस्पताल में भरती हुआ था, तब से उस का बातव्यवहार, चालचलन और हावभाव काफी बदला बदला सा लग रहा था. कभीकभी घर वालों को उस पर शक तो होता था कि वह उन का बेटा सुधाकर नहीं है, लेकिन उन के पास कोई सबूत नहीं था. लेकिन जब ये 2 बातें उन के सामने आईं तो उन का शक यकीन में बदल गया.
उन्होंने यह बात पत्नी को बताई तो पत्नी ने कहा, ‘‘ऐसा कैसे हो सकता है? यह कोई फिल्म थोड़े ही है कि कोई किसी की हत्या कर के उस की जगह ले ले.’’
सुधाकर के पिता ने पत्नी को इस बात के लिए राजी किया कि क्यों न हकीकत का पता लगाया जाए कि वह हमारा बेटा सुधाकर ही है या कोई और, जो बेटे के रूप में उस की जगह लेना चाहता है. पत्नी राजी हो गईं तो वह कुछ रिश्तेदारों को ले कर अस्पताल पहुंच गए. उन्होंने रिश्तेदारों के सामने खड़ा कर के सुधाकर से पूछा कि ये हमारे कौन रिश्तेदार हैं, कहां रहते हैं, इन का नाम क्या है?
यह पूछने पर सुधाकर एकदम से हड़बड़ा गया. वह चूंकि उन रिश्तेदारों को पहचानता ही नहीं था तो क्या बताता. वह चुप रहा तो सुधाकर के मातापिता जहां परेशान हो उठे, वहीं स्वाति भी परेशान हुई. वह इधरउधर की बातें करने लगी.
अब सुधाकर के घर वालों को पूरा विश्वास हो गया कि दाल में कुछ काला जरूर है. सुधाकर का भाई प्रभाकर पिता के साथ थाना नगरकुरनूल गया और थानाप्रभारी श्रीनिवास राव को सारी बात बता कर सच्चाई का पता लगाने का आग्रह किया.
आधार कार्ड से खुली पोल
मामला हैरान करने वाला था. श्रीनिवास राव ने उन्हें आश्वासन दे कर घर भेज दिया. वह भी सोच में पड़ गए, क्योंकि ऐसा मामला उन की जिंदगी में पहली बार सामने आया था. उन्होंने एसपी एस. कमलेश्वर को पूरी बात बताई. वह भी हैरान रह गए. यह मामला किसी सस्पेंस फिल्म जैसा पेचीदा था. जिस व्यक्ति को खुद घर वाले नहीं पहचान पा रहे थे, उसे दूसरा कोई कैसे पहचान सकता था.
एसपी एस. कमलेश्वर ने औफिस में मीटिंग बुलाई, जिस में एडीशनल एसपी जे. चेनायाह, एएसपी लक्ष्मीनारायण और थानाप्रभारी श्रीनिवास राव शामिल हुए.
मीटिंग से पहले श्रीनिवास राव ने सुधाकर के पिता से उस की पहचान से संबंधित जरूरी जानकारी के अलावा आधार कार्ड, पैनकार्ड तथा वोटर आईडी वगैरह ले लिया था.
पुलिस अधिकारियों के सामने चुनौती यह थी कि अस्पताल में जिस आदमी का इलाज चल रहा था, वह सुधाकर रेड्डी नहीं था तो कौन था? इस की पहचान कैसे की जाए. एस. कमलेश्वर ने सुधाकर की पहचान के सारे प्रमाण अपने पास मंगवा लिए थे. 2-3 घंटे चली बैठक में काफी माथापच्ची के बाद पुलिस अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि सुधाकर रेड्डी की पहचान आधार कार्ड के माध्यम से की जाए, क्योंकि उस में फिंगरप्रिंट होते हैं, जो दूसरे से कभी नहीं मिलेंगे.
थानाप्रभारी श्रीनिवास राव मीटिंग से सीधे अस्पताल पहुंचे और जब सुधाकर रेड्डी का अंगूठा रख कर उस का आधार खोला गया तो सुधाकर का आधार कार्ड खुलने के बजाय किसी सी. राजेश रेड्डी का आधार कार्ड खुल गया. इस से पूरा मामला साफ हो गया.
श्रीनिवास राव ने यह बात एसपी एस. कमलेश्वर को बताई तो वह भी समझ गए कि अस्पताल में भरती युवक एम. सुधाकर रेड्डी नहीं बल्कि उस की जगह राजेश रेड्डी इलाज करा रहा है. अब यह पता लगाना जरूरी हो गया था कि राजेश रेड्डी कौन है और सुधाकर रेड्डी की जगह अस्पताल में क्यों भरती है. अगर वह राजेश रेड्डी है तो सुधाकर रेड्डी कहां है? साथ ही यह भी कि स्वाति उस अजनबी को सुधाकर रेड्डी यानी अपना पति बता कर उस का इलाज क्यों करा रही है?
एसपी एस. कमलेश्वर ने थानाप्रभारी श्रीनिवास को आदेश दिया कि स्वाति और राजेश को किसी तरह का कोई शक हो, इस से पहले स्वाति को हिरासत में ले कर पूछताछ करो और राजेश के कमरे के बाहर पुलिस का पहरा बैठा दो.
10 दिसंबर, 2017 की सुबह महिला पुलिस की मदद से स्वाति को हिरासत में ले लिया गया और राजेश के कमरे के बाहर पुलिस का पहरा बैठा दिया गया, जिस से वह भाग न सके. स्वाति को थाना नगरकुरनूल लाया गया, जहां उस से पूछताछ शुरू हुई. स्वाति कोई क्रिमिनल तो थी नहीं, जो पूछताछ में पुलिस को छकाती. पूछताछ में उस ने जल्दी ही सारी सच्चाई उगल दी.
उस ने बताया कि अस्पताल में भरती युवक उस का पति एम. सुधाकर रेड्डी नहीं बल्कि प्रेमी सी. राजेश रेड्डी है. प्रेमी के साथ मिल कर उस ने सुधाकर की 26 नवंबर की सुबह हत्या कर के उस की लाश को वहां से 150 किलोमीटर दूर जिला महबूबनगर के मैसन्ना जंगल में ले जा कर जला दिया था.
उस ने पुलिस को सुधाकर की हत्या से ले कर राजेश के तेजाब से झुलस कर अस्पताल में भरती होने तक की जो कहानी सुनाई, उसे सुन कर पुलिस हैरान रह गई. स्वाति ने पुलिस को सुधाकर की हत्या और राजेश के तेजाब से झुलस कर अस्पताल में भरती होने की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी—
32 वर्षीय एम. सुधाकर रेड्डी मेहनती आदमी था, उस का भरापूरा परिवार था. वह नगरकुरनूल की पौश कालोनी कोलापुर में पत्नी एम. स्वाति रेड्डी और 2 बच्चों आशीष और मिली के साथ किराए के मकान में रहता था. जबकि उस के मांबाप छोटे बेटे प्रभाकर के साथ गांव में रहते थे. सुधाकर पत्थर तोड़ने वाले एक यूनिट में नौकरी करता था. उसे वहां से अच्छाखासा पैसा मिलता था. नौकरी की वजह से उसे ज्यादातर घर से बाहर रहना पड़ता था. स्वाति एक प्राइवेट अस्पताल में नर्स थी.
स्वाति जवान और खूबसूरत थी. उस के दिल में कुछ अरमान थे. उन्हीं के सहारे वह जी रही थी. पति काम की वजह से अकसर बाहर ही रहता था. पति के बिना स्वाति को बिस्तर काटने को दौड़ता था. उस की रातें करवटें बदलते हुए बीतती थीं. पति घर आता तो स्वाति उस से मन की पीड़ा कहती, सुधाकर पत्नी की पीड़ा को समझता था, लेकिन वह चाह कर भी उस की इच्छा पूरी नहीं कर पाता था. वह नौकरी की दुहाई दे कर उसे समझाता. स्वाति पति की विवशता समझती थी, लेकिन वह मन का क्या करती, जो उस के काबू में नहीं था.
पहली ही मुलाकात में राजेश रेड्डी को दे बैठी दिल
स्वाति नर्स थी. अस्पताल के काम से उसे दूसरे अस्पतालों में फिजियोथेरैपिस्ट से मिलने जाना पड़ता था. बात 2 साल पहले की है. वह अस्पताल की ओर से एक प्राइवेट अस्पताल के फिजियोथेरैपिस्ट से मिलने गई थी. वहीं उस की मुलाकात सी. राजेश रेड्डी से हुई. उसे देख कर वह चौंकी, क्योंकि उस का चेहरा मोहरा और कदकाठी उस के पति सुधाकर से काफी मेल खा रहा था.
एकबारगी उसे देख कर कोई भी उस में और सुधाकर में फर्क नहीं कर सकता था. इसी पहली मुलाकात में स्वाति उस की मुरीद हो गई. स्वाति सुंदर तो थी ही, राजेश ने भी पहली मुलाकात में ही उसे अपने दिल की मलिका बना लिया. स्वाति अपना काम कर के चली तो आई लेकिन दिल राजेश के पास ही छोड़ आई.
इस के बाद किसी न किसी बहाने दोनों की मुलाकातें होने लगीं. इन्हीं मुलाकातों ने उन दोनों को एकदूसरे से प्यार करने को मजबूर कर दिया. राजेश की शादी नहीं हुई थी, जबकि स्वाति शादीशुदा थी. उस के 2 बच्चे भी थे. लेकिन अब यह सब कोई मायने नहीं रखते थे. राजेश की पर्सनैलिटी पर स्वाति इस तरह मर मिटी कि उसे न पति का खयाल रहा, न बच्चों का.
राजेश रेड्डी अपने मांबाप और भाई के साथ कोलापुर में रहता था. उस का परिवार काफी संपन्न था. मांबाप उसे पढ़ालिखा कर डाक्टर बनाना चाहते थे. राजेश मांबाप के सपनों को पूरा करने के लिए जीजान से जुटा भी रहा, लेकिन वह डाक्टर नहीं बन सका. हां, फिजियोथेरैपिस्ट जरूर बन गया. पढ़ाई पूरी करने के बाद उसे एक प्राइवेट अस्पताल में नौकरी मिल गई थी, वहीं उस की मुलाकात स्वाति से हुई थी.
स्वाति और राजेश का प्यार दिनोंदिन बढ़ता गया. एक ऐसा समय भी आया जब वे एकदूसरे को देखे बिना नहीं रह पाते थे. उन के बीच की सारी दूरियां मिट चुकी थीं. मर्यादाओं को तोड़ कर वे कब के जिस्म के बंधन में बंध गए थे. स्वाति को राजेश के जिस्म की खुशबू सुधाकर के जिस्म से ज्यादा अच्छी लग रही थी. अब उसे पति से ज्यादा प्रेमी प्यारा लगने लगा था.
स्वाति के संबंध पतिपत्नी की तरह बन गए थे. स्वाति का हाल तो यह था कि वह राजेश की एक दिन की जुदाई भी बरदाश्त नहीं कर पा रही थी. पति जितने दिन बाहर रहता, स्वाति उसे साथ रखती थी. बच्चे छोटे थे, इसलिए वे कुछ भी नहीं जानसमझ पा रहे थे. स्वाति राजेश से कहने लगी थी कि वह उस से शादी कर के उसे सुधाकर से मुक्ति दिलाए. 2 सालों तक दोनों के प्यार की किसी को भनक तक नहीं लग पाई थी.
स्वाति चाहती तो सुधाकर से तलाक ले कर राजेश से शादी कर सकती थी लेकिन न जाने क्यों उसे लगता था कि सुधाकर के जीते जी ऐसा नहीं हो पाएगा. उसे लगता था कि राजेश से तभी शादी कर पाएगी, जब सुधाकर रास्ते से हट जाए.
यही सोच कर स्वाति राजेश के साथ मिल कर सुधाकर को रास्ते से हटाने की योजना बनाने लगी. लेकिन यह काम इतना आसान नहीं था. सुधाकर को ठिकाने लगाना तो आसान था, लेकिन खुद बचाना भी जरूरी था. वे दोनों इस के लिए आपराधिक धारावाहिक और इसी तरह की फिल्में देखने लगे. आखिर उन्हें श्रुति हसन की सुपरहिट फिल्म ‘येवाडु’ से सुधाकर को रास्ते से हटाने का आइडिया मिल गया.
इस फिल्म में दिखाया गया था कि पत्नी प्रेमी के साथ मिल कर पति की हत्या कर देती है और बाद में प्लास्टिक सर्जरी के जरिए प्रेमी का चेहरा पति जैसा करा देती है. उस के बाद प्रेमी प्रेमिका के साथ उसी के घर में रहने लगता है. कुछ दिनों बाद दोनों वह शहर छोड़ कर दूसरे शहर में रहने चले जाते हैं.
जैसा फिल्म में देखा था, स्वाति और राजेश ने तय किया कि वे भी ऐसा ही करेंगे. सुधाकर की हत्या कर के बाद में प्लास्टिक सर्जरी के जरिए राजेश का चेहरा सुधाकर जैसा बनवा दिया जाएगा. उस के बाद दोनों पतिपत्नी की तरह साथ रहेंगे. इस से किसी को शक भी नहीं होगा. कुछ दिनों बाद वे यह शहर छोड़ कर पुणे जा कर बस जाएंगे.
सुधाकर के पास कार और स्कूटर दोनों थे. कभी वह नौकरी पर कार से जाता था तो कभी स्कूटर से. 21 नवंबर को वह स्कूटर से ड्यूटी पर गया था. उस के जाने के बाद स्वाति ने फोन कर के राजेश को बुला लिया और कार से उस के साथ घूमने निकल गई.
संयोग से सुधाकर के चचेरे भाई ने उसे राजेश के साथ कार में जाते देख लिया. वह राजेश को पहचानता नहीं था, इसलिए उस ने भाभी को किसी अजनबी के साथ जाने की बात सुधाकर को फोन कर के बता दी.
प्रेमी को ले कर पति से हुआ झगड़ा
सुधाकर चिंता में पड़ गया कि पत्नी किस के साथ घूम रही है. उसे गुस्सा भी आया. यह बात उसे परेशान कर रही थी. उस का मन नौकरी पर नहीं लगा तो वह घर वापस आ गया. तब तक स्वाति घर नहीं आई थी. जब वह आई तो राजेश को ले कर पतिपत्नी में खूब झगड़ा हुआ. सुधाकर राजेश के बारे में पूछता रहा लेकिन स्वाति ने कुछ नहीं बताया. ऐसा 3 दिनों तक चलता रहा.
स्वाति ने राजेश से कह दिया कि उस की वजह से 3 दिनों से घर में लड़ाई झगड़ा हो रहा है. उन के संबंधों के बारे में किसी और को पता चले, उस के पहले ही सुधाकर को रास्ते से हटा दिया जाए. राजेश स्वाति की बात मान कर उस का साथ देने को तैयार हो गया.
25 नवंबर को राजेश मां से विजयवाड़ा जाने की बात कह कर घर से निकला और सीधे स्वाति के घर जा पहुंचा. उस समय सुधाकर कहीं गया हुआ था.
स्वाति ने राजेश को घर में ही बैड के नीचे छिपा दिया. उस दिन भी स्वाति और सुधाकर में खूब झगड़ा हुआ था, लेकिन स्वाति ने यह नहीं बताया था कि राजेश कौन है और उस का उस से क्या संबंध है. इसी वजह से घर में खाना तक नहीं पका था. स्वाति ने राजेश को घर में छिपा तो लिया था, लेकिन उसे डर लग रहा था कि अगर राजेश के घर में होने की खबर सुधाकर को हो गई तो कयामत आ जाएगी.
बहरहाल, किसी तरह रात कट गई. 26 नवंबर की सुबह 4 बजे के आसपास स्वाति जागी. दबे पांव बिस्तर से उतर कर उस ने बैड के नीचे छिपे राजेश को उठाया. इस के बाद पर्स से एनेस्थेसिया का इंजेक्शन निकाला और राजेश की मदद से सुधाकर की गरदन में लगा दिया. सुधाकर बेहोश हो गया.
इस के बाद राजेश ने उस के मुंह पर तकिया रख कर तब तक दबाए रखा, जब तक कि उस की मौत नहीं हो गई. उसे हिलाडुला कर देखा गया तो उस के शरीर में कोई हरकत नहीं हुई. वह मर चुका था. लाश को उन्होंने कार में रखा और उसे 150 किलोमीटर दूर महबूबनगर के मैसन्ना जंगल में ले गए. जंगल में बीचोबीच लाश जला कर वे लौट आए.
स्वाति और राजेश खुश थे कि उन्होंने रास्ते का कांटा हटा दिया है. अब उन्हें कोई रोकने टोकने वाला या लड़ाई झगड़ा करने वाला नहीं बचा. साजिश का पहला पायदान वे चढ़ चुके थे. अब दूसरी साजिश को अंजाम देना था.
योजनानुसार प्रेमी के ऊपर खुद फेंका तेजाब
27 नवंबर की सुबह स्वाति और राजेश शहर के एक प्राइवेट अस्पताल पहुंचे, जहां सर्जरी की सुविधा उपलब्ध थी. दोनों ने वहां पता किया कि 30 प्रतिशत तक जले मरीज की सर्जरी पर कितना खर्च आता है. वहां उन्हें बताया गया कि इस तरह के मरीज पर 3 से 5 लाख रुपए का खर्च आ सकता है.
दोनों घर लौट आए और आगे क्या और कैसे करना है, इस की रूपरेखा तैयार की. स्वाति और राजेश ने तय किया कि अगली सुबह कालोनी के बाहर सुनसान जगह पर दूसरी घटना को अंजाम दिया जाएगा.
28 नवंबर की सुबह साढ़े 7 बजे स्वाति ने बच्चों को स्कूल भेज दिया और राजेश को ले कर कालोनी के बाहर सुनसान जगह पर पहुंच गई. योजना के अनुसार, स्वाति और राजेश पहले गले मिले, उस के बाद साथ लाए तेजाब को स्वाति ने राजेश के चेहरे पर फेंक दिया. चेहरे के साथ उस की गरदन भी झुलस गई. प्रेमी की पीड़ा से स्वाति को काफी दुख पहुंचा, लेकिन ऐसा करना उस की मजबूरी थी. क्योंकि अब राजेश को सुधाकर बनवाना था. योजना को अंजाम दे कर वह घर लौट आई.
घर पहुंच कर स्वाति ने त्रियाचरित्र रचते हुए सासससुर को फोन कर के बताया कि सुधाकर के ऊपर किसी ने तेजाब फेंक दिया है. वह उसे ले कर अस्पताल जा रही है. सासससुर के अस्पताल पहुंचने तक राजेश के चेहरे पर मरहमपट्टी हो चुकी थी. चेहरा पट्टी से ढका होने के कारण वे उसे पहचान नहीं सके.
लेकिन शारीरिक बनावट और कदकाठी देख कर उन्हें संदेह तो हुआ, पर उस समय वे कुछ कह नहीं सके. राजेश को सुधाकर बना कर अस्पताल लाने वाली स्वाति ने सासससुर को अपनी बातों में कुछ इस तरह उलझाए रखा कि उन्हें राजेश को सुधाकर मानने के लिए विवश होना पड़ा.
सुधाकर पर हुए तेजाब के हमले की जांच पुलिस कर रही थी. इस जांच में पुलिस को कोलापुर कालोनी के पास लगे सीसीटीवी कैमरे से इस हमले की फुटेज मिल गई. उस फुटेज में साफ दिख रहा था कि स्वाति राजेश के साथ कालोनी के बाहर हंसहंस कर बातें करते हुए टहल रही थी. दोनों गले मिले और उस के बाद स्वाति ने बोतल का तेजाब राजेश के चेहरे पर फेंक दिया. राजेश तेजाब की जलन से वहीं बैठ कर छटपटाने लगा, जबकि स्वाति घर चली गई. इस के बाद क्या हुआ, कहानी के शुरू में ही उल्लेख किया जा चुका है.
स्वाति द्वारा रची गई साजिश का परदाफाश हो गया था. प्रेमी को पति का रूप दे कर जीवन भर साथ रहने का उस का सपना टूट चुका था. दूसरी ओर राजेश की मां बेटे को ले कर परेशान थी. वह शादी में विजयवाड़ा जाने की बात कह कर निकला था. कई दिन बीत जाने के बाद भी वह घर नहीं लौटा था. उसे किसी अनहोनी की आशंका होने लगी थी, क्योंकि राजेश से फोन पर भी बात नहीं हो पा रही थी.
प्रेमी को पति बनाने की ख्वाहिश रह गई अधूरी
बेटे को ले कर परेशान राजेश की मां ने स्वाति से कई बार पूछा था, लेकिन उस ने उन्हें कुछ नहीं बताया था. दरअसल, उन्हें राजेश और स्वाति के संबंधों के बारे में पता था. राजेश ने ही मां को उस के बारे में बताया था. इसलिए वह स्वाति से राजेश के बारे में बारबार पूछ रही थीं. जब उन्हें सच्चाई का पता चला तो वह इतनी शर्मिंदा हुई कि राजेश के कहने पर भी उन्होंने उसे उस के हाल पर छोड़ दिया.
स्वाति और राजेश की साजिश का खुलासा होने के बाद 10 दिसंबर, 2017 को पुलिस ने एम. सुधाकर रेड्डी की हत्या के आरोप में उस की पत्नी एम. स्वाति रेड्डी को गिरफ्तार कर लिया था. सी. राजेश रेड्डी का अभी इलाज चल रहा था, इसलिए पुलिस ने उसे फिलहाल गिरफ्तार नहीं किया. पूछताछ में उस ने भी सुधाकर की हत्या का अपना अपराध कबूल कर लिया था.
राजेश के इलाज का खर्च 5 लाख आया था, जिस में से सुधाकर के मांबाप ने बेटा समझ कर डेढ़ लाख रुपए अस्पताल में जमा करा दिए थे. सच्चाई का पता चलने के बाद बाकी रकम उन्होंने जमा नहीं की. अब बाकी पैसे राजेश से मांगे जा रहे थे. पुलिस को उस के स्वस्थ होने का इंतजार था ताकि स्वस्थ होते ही उसे गिरफ्तार किया जा सके.
पुलिस ने एम. सुधाकर रेड्डी की हत्या के आरोप में स्वाति और राजेश के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201, 120बी के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया था. स्वाति जेल में बंद है, जबकि राजेश का अभी इलाज चल रहा था.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित